कानपुर 12 फरवरी एस एन सेन पी जी बालिका विद्यालय की एन एस एस यूनिट ( कदोम्बिनी देवी ) द्वारा मतदाता जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत मतदाता जागरुकता पर फूल् बाग से 2 किलोमीटर की दूरी तक रैली निकाली गई तथा लोगो को मतदान से सम्बन्ध मे पोस्टर एवम स्लोगन और नारों के द्वारा मतदान करने के लिए जागृत किया गया
रैली मे कालेज की प्राचार्या डा निशा अगरवाल,राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डा चित्रा सिंह तोमर,डा अलका तन्डन,डा रचना निगम,डा ऋचा सिंह, डा रीटा,डा मोनिका शुक्ला,डा प्रीत अवश्थी,डा सरिका अवस्थी आदि कालेज की अनेक प्रवक्ता ने भाग लिया
इश्क़ तो उसी का मुकम्मल हुआ जो रूह तक पहुँचा
🌹मेरी रूह को जो छू जाये ..वो ज़रिया महज़ गुलाब नहीं हो सकता। रूहानी इश्क़ की पाकीज़गी को गर क़ायल करना चाहो ,तो कुछ कतरा अशक बहाना होगा। ”बहुत इश्क़ इश्क़ तू करता है ,पता भी है ये इश्क़ होता क्या है ?जिस को ये इश्क़ लगा ,चाहे वो रब का हो या जग का फिर वो शख़्स खुद मे रहता ही कहाँ है फिर तो जैसे साहेब राज़ी वैसे वो राज़ी”। ये सच है ! इश्क़ की गलियों मे रंगरूप ,धनदौलत रुतबा कोई मायने नहीं रखता।सामने वाले की ख़ुशी किस बात में है,यही इक फ़िक्र रह जाती है। वहाँ त्याग स्वीकार और सिर्फ़ समर्पण ही होता है और बातें भी सिर्फ़ खामोशियाँ ही करती है बिना शर्तों के, बिना शिकायत के ,बिना अल्फ़ाज़ो के।जहां आँखों से बहा पानी आंसू न रह कर अमृत हो जाता है।
क्या ख़ूब कहा किसी फ़क़ीर ने कि इश्क़ तेरे विच ,मन मर्ज़िया न चलदियां .. जो यार कहे, ओही बिस्मिल्ला। इश्क़ की बेशुमार दौलत“दर्द”होता है जो सहना हर किसी के बस की बात है ही नही। इश्क़ “ठहराव “है उम्र भर का इन्तज़ार हैं।महज़ इक गुलाब🌹देना या लेना ही इश्क़ नहीं है ..ये तो सिर्फ़ इज़हारे इश्क़ है जनाब। गुलाब चाहे कितना भी खूबसूरत क्यों न हो ..वक़्त रहते मुरझायेंगा ही ..मगर इश्क़ तो वो शय है जो मरने के बाद भी इसकी महक क़ायम रहती है। दोस्तों! रब के या दुनिया के प्रेम में कोई ज़्यादा फ़र्क़ नही। दोनो ही सब्र माँगते है और सब्र हर किसी से होता नही, न ही ये कोई सौदा है जिसे ख़रीदा या बेचा जा सके। प्रेम तो इक रूहानी अहसास है जहां“मैं “खो”जाये..और बस “ तू ही तू“रह जाये।प्रेम मे दूरियाँ के कोई मायने नही।बावजूद दूरियों के भी अगर इश्क़ क़ायम रह जाता है ,तो वो इश्क़ ही कुछ और होता है।जब वाक़ई मे आप इश्क़ से रुबरू होते है तो न केवल गुलाब बल्कि आप खुद को ही समर्पित करने के लिए बाध्य हो जाते है। जब कोई बाहरी रंग रूप से आकर्षित होता है वो आकर्षण कभी ठहरता नहीं अगर दिल से प्रेम हो जाये तो आख़िरी साँस तक चलता है..और जब कही इश्क़ रूह से हो जाये ,तो वो अमरत्व को प्राप्त करता है। कोई विरला ही इसका अनुभव कर पाता है।इसे ही रूहानी इश्क़ भी कहा जाता है मगर अफ़सोस !
इन्सान दिल या जिस्म पर ही अटक गया, इश्क़ तो उसी का मुकम्मल हुआ जो रूह तक पहुँच गया। 🙏
इश्क़ तो जिस्मों से परे ,पाकीज़गी मे ही ये पनपता और महकता है।बिना छूऐ भी प्यार करना।जुदा हो कर भी उसी का ही ..हो कर रहना।अपनी खुदी को ही खो देना ..ये है मोहब्बत।प्रेम वही कर सकता है जो प्रेम के बदले कुछ न चाहे ..जो सिर्फ़ प्रेम देना जानता हो ..बदले मे मिले न मिले ,उसे ..उससे कोई सरोकार नही।
कृष्ण दीवानी मीरा साक्षात्कार प्रेम की ही मूर्ति थी।कृष्ण को उसने कभी देखा नही, छुआ नही। बस उसके अहसास से प्रेम किया और रंग गई उसी के रंग मे। वक़्त जितना भी माडर्न हो जाये दोस्तों सच्चे प्रेम की परिभाषा वही रहेगी। “स्त्री अगर बहुत सुन्दर है इसीलिए उससे प्रेम हो जाये, ये मात्र आकर्षण या वासना भी हो सकती हैं ।विपरीत इसके ..किसी स्त्री से प्रेम हो जाये फिर वो हर हाल मे सुन्दर लगे तो यक़ीनन प्रेम हुआ” सुन्दर चेहरा तो किसी को लुभा ही लेता है। खूबसूरत “दिल”पर कोई भी आशिक़ हो सकता है मगर मन की सादगी किसी की भी रूह को छू सकने की ताक़त रखता है, दोस्तों, बेशक प्यार का इज़हार गुलाब दे कर करे मगर कोशिश करे ,उन्हें गुलाब के साथ-साथ अपना पूर्ण समर्पण भी दे ,जो उनके जीवन को सदा के लिए महका दे।आप का प्यार इक बेशक़ीमती इत्र की तरहां हो जिसकी महक दूसरो को भी महसूस हो …आज हम अगर खुद मे झांके और देखे , क्या वाक़ई मे हम ऐसे इश्क़ से वाक़िफ़ है जो आख़िरी साँस तक चले।आज हालात कुछ और है जो किसी हद तक ठीक नही ।ये वैलेंटाइन बाहरी देशों की सभ्यता थी।हमारे देश मे इसका चलन कुछ ही सालों से हुआ है ।वैलेंटाइन को मनाईये ज़रूर ,मगर गुलाब सिर्फ़ उसे ही दे ..जिसके साथ आप सारी उम्र गुज़ारना चाहे हर किसी को दे कर खुद को छोटा न करे।
ये बात कुछ साल पहले लंदन की है इक लड़का बहुत प्यार करता था किसी लड़की से .. वैलेंटाइन के दिन उसने उसको एक हज़ार पौण्ड का बेशक़ीमती गुलाब का गुलदस्ता दिया और फिर लंदन के किसी बड़े होटल मे दोनो ने लंच किया।लड़के ने शाम को अपने दोस्तों के साथ पार्टी रख ली और पार्टी के दौरान लड़के ने लड़की को शादी के लिये प्रपोज़ भी कर दिया।यानी वैलेंटाइन को यादगार बनाने के लिये कोई कसर नही छोड़ी ।दोनों बहुत ख़ुश थे।साल के बाद शादी भी हो गई ।दो सालों में सारी दुनिया भी घूम डाली।मगर दो साल के बाद दोनों एक दूसरे से अलग हो गये .. उससे अगले साल वो लड़का किसी और को गुलाबों का गुलदस्ता भेज रहा था और लड़की किसी और के साथ वैलेंटाइन मना रही थी। मेरे हिसाब से न तो ये इश्क़ है न ही प्यार या मोहब्बत… हाँ आकर्षण ज़रूर कह सकती हूँ बहुत से लोग आकर्षण को ही इश्क़ समझ लेते हैं ।आप इसे क्या कहते है ये फ़ैसला मै आप पर ही छोड़ देती हूँ ।इश्क़ इतना सस्ता है ही नही ,जो गुलाब दे कर उसे ख़रीद लिया जाये या छोड़ दिया जाये..मगर ये आज विदेशों में ही नहीं बल्कि सब जगह ये चलन चल रहा है।
दोस्तों। माना ये इश्क़ को ज़ाहिर करने की पहली निशानी गुलाब हो सकती है,मगर गुलाब तो एक ही काफ़ी है और सिर्फ़ “अकेला गुलाब”प्यार की नींव तो नही हो सकता।गुलाब लेने वाले को भी ये समझना ज़रूरी है कि गुलाब के साथ काँटे भी होते हैं और उसे भी वैसे ही स्वीकार करें जैसे गुलाब 🌹को किया जाता है दुया करती हूँ ये प्रेम का उत्सव मनाने के लिये आप को वैलेंटाइन का इन्तज़ार न करना पड़े बल्कि हर दिन गुलाब जैसा ही खिला और महकता रहे 🙏गुलाब की पंखुड़ियों की लालिमा ..आपके चेहरे के नूर को ..चार चाँद लगा दे।
हैपी वैलेंटाइन….🙏 स्मिता
क्राइस्टचर्च कॉलेज की राष्ट्रीय योजना इकाई के छात्र/छात्राओं ने मतदाता जागरूकता अभियान के अंतर्गत मतदाता के जागरूकता के लिए रैली निकाली
कानपुर 11 फरवरी को क्राइस्टचर्च कॉलेज की राष्ट्रीय योजना इकाई के छात्र/छात्राओं ने मतदाता जागरूकता अभियान के अंतर्गत मतदाता के जागरूकता के लिए एक रैली निकाली, जिसका शुभारंभ प्राचार्य डॉक्टर जोसेफ डेनियल ने हरी झंडी दिखाकर किया, रैली महाविद्यालय से प्रारंभ होकर बड़ा चौराहा कोतवाली, परेड एवं मेस्टन रोड होते हुए शिवाले में समाप्त हुई, रैली में छात्र/छात्राओं बैनर एवं पोस्टर लेकर नारे लगाते हुए चल रहे थे एवं सभी को मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहे थे, उनका स्लोगन था पहले मतदान फिर खान पान ,मतदान करेगें जरूर,हमारा अधिकार है हम इसका प्रयोग करें इत्यादि के द्वारा उन्होंने जगह जगह जा कर लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित किया एवं उनको उनके अधिकारों के प्रति जागृत किया तथा वोट की महत्ता को बताया, इस रैली में महाविद्यालय के लगभग १०० छात्र/छात्राओं ने सहभागिता की जिसमें प्रमुख रुप से क्राइस्ट चर्च कॉलेज की एनएसएस यूनिट के प्रतिनिधि हर्षवर्धन दीक्षित ने अपने समन्वयको आयुषी पाठक एवं आयुष कुमार संग कार्यभार संभाला, रैली का आयोजन कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा ने किया, डाॅ सबीना बोदरा, डाॅ मीतकमल द्विवेदी, डॉ आनंदिता भट्टाचार्यका, डॉ अरविंद सिंह, डॉ निरंजन स्वरूप, आदि का विशेष सहयोग रहा।
Read More »क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर की एनएसएस यूनिट द्वारा हैल्थ कैंप आयोजित
क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर की एनएसएस यूनिट ने 09 फरवरी, 2022 को हैल्थ कैंप का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण लक्ष्य सबको अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना था। इस कार्यक्रम हेतु सेंट कैथरीन अस्पताल से आई डॉक्टरों की टीम जिसमें डॉक्टर समीर तथा डॉ मंजू मल्होत्रा और
पार्षद शिवम् दीक्षित जी मुख्य रूप से उपस्तिथ रहे ।
इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगो ने अपनी भागीदारी देकर अपने स्वास्थ्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी का परिचय दिया। इस कार्यक्रम में एनएसएस यूनिट ने बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभाई। उन्होंने स्वयं कार्यक्रम के आदेशों का पालन किया तथा सभी को जागरूक करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाया। तथा सब को अवगत कराया की स्वास्थ्य शिविर के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे उचित दूरी बनाए, मास्क पहने, और अपना सैनेटाइज़र साथ लेकर आये। इस शिविर में १०० से ज्यादा लोगो ने भाग लिया ।
इस कार्यक्रम में क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ जोसेफ डेनियल एवं उप प्रधानाचार्य डॉ सबीना बोदरा, डॉक्टर मृदुला सैमसंग तथा एनएसएस प्रोग्राम ऑफिसर डॉ सुनीता वर्मा एवं संध्या सिंह उपस्थित रही जिनके मार्गदर्शन में कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में एनएसएस इकाई के छात्रों के प्रतिनिधि हर्षवर्धन दीक्षित ने अपने समन्वयकों आयुषी पाठक एवं आयुष कुमार संग एनएसएस की टीम जिनमें विशेष रुप से पवन श्रीवास्तवा , वर्षा आनंद, ग्रीषा माथुर, अनन्या राठौर, सुप्रिया दास, यशस्वी कश्यप, वेदिका सिंह, अरबाज खान, इरम वकील, देव सोनकर ने कार्यक्रम में अपना सहयोग दिया तथा कार्यक्रम को सफल बनाया।
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के ५७ स्थापना दिवस के अवसर पर एस ऍन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय की ऍन एस एस इकाई द्वारा गोद ली गयी मलिन बस्ती काकोरी में एक स्वाथ्य एवम पोषण शिविर का महिलाओं एवम बच्चों के लिए आयोजन
कानपुर 9 फरवरी, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के ५७ स्थापना दिवस के अवसर पर एस ऍन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय की ऍन एस एस इकाई द्वारा गोद ली गयी मलिन बस्ती काकोरी में एक स्वाथ्य एवम पोषण शिविर का महिलाओं एवम बच्चों के लिए आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल ने शिविर का उद्गाटन किया साथ ही साथ शिविर की सफलता के लिए सभी ऍन एस एस वालंटियर्स और प्रोग्राम अधिकारी को शुभकामनाए दी। कार्यक्रम अधिकारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने महिलाओं व बच्चों को स्वस्थ्य के प्रति जागरूक रहने की आव्यशकता को बताया। डॉ प्रीति सिंह ने आयुर्वेद तथा जड़ीबूटियों और वनपस्तियों का, जोकि उस बस्ती में आसानी से उपलब्ध हैं, का प्रयोग कर स्वस्थ्य रहने के प्रति महिलाओं को जागरूक किया। डॉ मोनिका शुक्ला ने जरुरी पोषण के प्रति महिलाओं को जागरूक किया तथा बताया कि उपलब्ध अनाज, दालों और सब्जियों से किस प्रकार वे महिलाएं पोषण प्राप्त कर सकती हैं। शिविर का समापन ऍन एस एस यूनिट कि छात्राओं द्वारा बस्ती में पोषण और स्वस्थ्य से सम्बंधित पोस्टरों के साथ रैली निकल कर हुआ जिसमें सभी महिलाओं, बच्चों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। शिविर का आयोजन बहुत ही सफल रहा।
Read More »विधवा
आईने के सामने खड़ी थी मैं। क्रीम कलर की बॉर्डर वाली साड़ी मुझ पर बहुत फब रही थी लेकिन मैं आईने में दूसरे रंग की साड़ी में खड़ी नजर आ रही थी सुर्ख लाल रंग की साड़ी…. माथे पर बड़ी सी बिंदी, आंखों में काजल, होठों पर लिपस्टिक और मैं खुद पर ही इतरा रही थी। मैंने अपने प्रतिरूप को छूना चाहा मगर यह क्या अचानक मैं खो गई और जो सामने थी वह एक विधवा थी। कबीर के जाने के बाद मेरे जीवन से सभी रंग उड़ चुके थे। खुशियों ने मुस्कुराना बंद कर दिया था और जिम्मेदारियों का बोझ मुझे परिपक्व बना रहा था। धीरे धीरे मेरा जीवन सामान्य होने लगा था लेकिन शायद मैं अंदर ही अंदर कुछ टूट सी रही थी… कोई कुछ महसूस नहीं कर रहा था लेकिन अंदर से कुछ दरक रहा था मगर फिर भी मैं मुस्कुरा रही थी, जी रही थी। उदासी मुझ पर हावी ना होने पाए इसलिए मैंने खुद को काम में गुथा लिया था। मयंक की जिम्मेदारी थी और उसके लिए मुझे जीना था, हंसना था।
मैं:- “मयंक! मैं कॉलेज के लिए निकल रही हूं, तुम ट्यूशन से आते वक्त लॉन्ड्री से होते हुए आना कुछ कपड़े ड्राइक्लीन को दिए हुए हैं वह लेते आना।”
मयंक:- “ठीक है मां।”
विचारों में सृजनात्मकता और नवीनता मेरा स्वभाव स्वभाव है और मेरा यह स्वभाव जल्दी से किसी को रास नहीं आता। वैसे भी एक सामाजिक धारणा है कि एक विधवा स्त्री सपने कैसे देख सकती है? गाड़ी चलाते हुए यह विचार मेरे जेहन में घूम रहे थे। कॉलेज में फाइलों और क्लास में उलझे रहकर मैं यह सब भूल जाती और जब मन शांत होकर अकेला होता तब मुझे कबीर बहुत याद आते। कबीर तुम हमेशा कहते थे ना कि तुम्हारे ऊपर चटक रंग ज्यादा अच्छे लगते हैं मरून रंग तुम पर कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता है। तुम हमेशा ऐसे ही चटक रंग पहनना, ज्यादा सुंदर लगती हो। कबीर के यह शब्द आज भी मेरे मन को छू जाते हैं। मुझे याद है एक बार मंदिर जाते समय मैंने हल्के जामुनी रंग की साड़ी पहनी थी। तब कबीर ने कहा, “अरे यह क्या पहन लिया? तुम्हारे ऊपर बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा। गहरे रंग का कुछ पहनना चाहिए” और उन्होंने गहरे हरे रंग की साड़ी निकाल कर दी मुझे। आश्चर्य होता था मुझे कि कोई व्यक्ति इतना ध्यान कैसे रख सकता है वो भी कपड़ों का, कपड़ों के रंगों का मगर कबीर ध्यान देते थे। कभी अच्छा भी लगता था तो कभी झल्लाहट भी होती थी मुझे लेकिन मैं आज इन सब चीजों की कमी महसूस करती हूं।
कॉलेज के लिए तैयार होते समय अचानक मेरा हाथ मरून रंग की साड़ी पर गया फिर पता नहीं क्यों मरुन साड़ी पहनकर ही ऑफिस चली गई। उस दिन मैं सबकी आंखों का केंद्र थी मगर मैंने किसी की आंख की परवाह नहीं की। मुझे जीना था, खुश रहना था मयंक के लिए, कबीर के लिए और अपने लिए। मैंने धीरे-धीरे सफेद रंग को अलविदा कहा और सभी रंगों को आत्मसात कर लिया सिवाय एक रंग के सुर्ख लाल रंग।
अब मैं सजने संवरने लगी थी तो लोगों की आंखों में चुभने भी लगी थी। लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आती, “देखो तो कैसी है! विधवा है लेकिन तैयार कैसे हो रही?” कुछ तो इतने रूढ़ होते कि चरित्र पर ही उंगली उठा देते थे। फिर भी मैं हारी नहीं। मेरा आत्मविश्वास मजबूत होता गया और धीरे-धीरे लोगों को मैं उत्तर भी देने लगी।
निम्मी मासी:- “अरे बेटा! अब शुभ कामों में बुलाया तो है मगर जरा दूर बैठा करो और इतनी चटक रंग की साड़ी क्यों पहनी? हल्के रंग की पहनी चाहिए। अब शोभा नहीं देता इस तरह से। समाज के सभी लोग देखते हैं।”
मैं:- “मासी! जमाना बदल गया है और लोगों की सोच भी बदल गई है। आजकल के बच्चे नहीं मानते हैं यह सब। अब देखो मिलोनी बुला रही है और बोल रही है कि “फेरों के वक्त पास में ही रहना बुआजी। भैया भाभी भी बुला रहे हैं, सम्मान दे रहे तो बिना वजह का बखेड़ा क्यों खड़ा करूं?” मासी बुरा सा मुंह बना कर रह गई। भाभी भी पास आकर बोली, “हां बुआ जी क्या पति के जाने से औरत सिंगार करना छोड़ दे, जीना छोड़ दे, सपने देखना छोड़ दे, अपनी इच्छाओं को मार दे, जिंदा लाश बन कर रहे और आगे का जीवन निराशा और अकेलेपन में गुजारे।”
बुआ:- “हमने भी तो ऐसे ही गुजारा है जीवन। पति के जाने के बाद कैसा उत्सव? विधवा होने के बाद स्त्री के लिए यह सब अशोभनीय है, पाप है।”
भाभी:- “कुछ नहीं होता बुआ जी! नंददोई जी को जीजी हमेशा तैयार और खुश ही अच्छी लगती थी और अब जब अकेली रह गई हैं तो उन्हें निराशा में धकेलना क्या ठीक है? उन्हें हमारे साथ, हम सब के बीच में रहकर खुशियां मनानी चाहिए”।
मुझे गहने, कपड़े, मेंहदी, काजल, लिपस्टिक, बिंदी लगाये देखकर लोगों में खुसफुस होते रहती लेकिन मैं परवाह नहीं करती क्योंकि मुझे पता है समय परिवर्तनशील है और कुछ समय बाद यह लोग चुप हो जाएंगे और समर्थन भी देंगे क्योंकि जब इन्हीं में से ही किसी की बेटी पर ऐसा दुख आएगा तब। पास ही के मंदिर में शाम की आरती की आवाज आनी शुरू हो गई थी और मेरा मन धीरे-धीरे शांत हो गया होता जा रहा था।
प्रियंका वर्मा महेश्वरी
Read More »एसएन सेन बा वि पीजी में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना की
भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर 27 जनवरी, एसएन सेन बा वि पीजी कॉलेज कानपुर में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मां सरस्वती की प्रतिमा को प्रतिष्ठित कर पूजन अर्चन किया गया बसंतोत्सव की शुभ बेला पर मुख्य अतिथि विधायक श्री अमिताभ बाजपेई ने मां सरस्वती के चरणों में पुष्प अर्पित कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया, महाविद्यालय प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्र, सचिव श्री प्रवीण कुमार सेन ,संयुक्त सचिव श्री शुभरो सेन ,सदस्या श्रीमती दीपा श्री सेन, एवं प्रबंध समिति के अन्य गणमान्य सदस्य प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल ने ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा कर पुष्पांजलि अर्पित की ऋतुराज बसंत के आगमन की छटा सभागार में देखते ही बनती थी, पीत पुष्पों से सुसज्जित महाविद्यालय सभागार में रंगों का सुंदर संयोजन लिए अल्पना देखकर सभी मोहित हो उठे, कोविड के नियमों का पालन करते हुए महाविद्यालय के समस्त प्रवक्ता गण एवं कर्मचारी गण ने पुष्पांजलि अर्पित कर मां से आशीर्वाद लिया, भारतीय संस्कृति में समस्त पर्व त्यौहार प्रकृति से जुड़े हुए हैं माघ मास की पंचमी को बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन महाविद्यालय में भी मां को अन्य भोगो के साथ पीली खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और बाद में सभी को वितरित किया जाता है, छात्राएं अपनी पुस्तक कलम एवं विद्या से संबंधित सामग्री मां के चरणों में रख उनसे आशीर्वाद लेती है, इस पूजा में भाग लेने सेवानिवृत्त प्रवक्तागण कर्मचारी गण और तथा पूर्व छात्राएं भी आती हैं, दिनांक 07.02.2022 को मां सरस्वती की प्रतिमा का विसर्जन दोपहर 1:00 बजे किया जाएगा, इस शुभ अवसर पर डॉ निशी प्रकाश, डॉ अलका टंडन ,डॉ पूनम अरोड़ा ,डॉ संध्या सिंह, डॉ गार्गी यादव, डॉ रचना शर्मा ,डॉ चित्रा सिंह तोमर ,डॉ मोनिका सहाय, डॉ प्रीति सिंह, डॉ रचना निगम, डॉ शुभा वाजपेई ,डॉ प्रीता अवस्थी , डॉ सुनीता शुक्ला आदि उपस्थित रहे
Read More »एंग्जायटी डिसॉर्डर के लक्षण
#एंग्जायटी #डिसऑर्डर ❤️❤️❤️
हमेशा अपने साथ कुछ गलत होने की आशंका, छोटी-छोटी बातों को लेकर बेवजह घबराहट और चिंता में घिरे रहना एंग्जायटी डिसॉर्डर का लक्षण हो सकता है।
जब ऐसी नकारात्मक भावनाओं पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण न हो और तमाम कोशिशों के बावजूद छह महीने से ज्यादा लंबे समय तक इसके लक्षण दिखाई दें तो यह समस्या एंग्जायटी डिसॉर्डर का रूप धारण कर सकती है।
#क्या है #मर्ज
हमेशा चिंता, बेचैनी, वास्तविक या काल्पनिक घटनाओं पर आधारित भविष्य का डर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। हालांकि, हर व्यक्ति में इसके अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं, लेकिन स्थायी डर और चिंता लगभग सभी में देखे जाते हैं। अगर ये लक्षण ज्यादा तीव्र न हों तो समय बीतने के साथ समाप्त हो जाते हैं, अन्यथा एंग्जाइटी डिसार्डर की समस्या हो सकती है। इससे व्यक्ति की रोजमर्रा की दिनचर्या प्रभावित होने लगती है।
#क्यों होती है #समस्या
आजकल युवा आबादी का एक बडा हिस्सा इस मनोवैज्ञानिक समस्या से जूझ रहा है। दरअसल आधुनिक जीवनशैली में लोगों की व्यस्तता इतनी बढ गई है कि वे हमेशा जल्दबाजी में रहते हैं और उन पर काम का दबाव भी बहुत ज्यादा है। इसी वजह से उनमें चिडचिडापन और आक्रोश बढता जा रहा है। इसके अलावा आधुनिक समाज में हर व्यक्ति अकेला है। किसी के भी पास दूसरे की बातें सुनने की फुर्सत नहीं है। इसलिए अब लोगों में शेयरिंग की भावना ख्ात्म हो रही है। शहरी समाज इतना व्यक्तिवादी और आत्मकेंद्रित हो चुका है कि अब पहले की तरह रिश्तेदारों या पास-पडोस का कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं रह गया है। लगातार तनाव, अकेलेपन और उदासी में जीने की वजह से ही लोग एंग्जायटी डिसॉर्डर के शिकार हो रहे हैं।
अध्ययनों के अनुसार गंभीर या लंबे समय तक चलने वाले तनाव की वजह से अनिद्रा की समस्या होती है। इससे मस्तिष्क से निकलने वाले हॉर्मोस के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है, जो एंग्जायटी डिसॉर्डर का कारण बन सकता है। आनुवंशिकता भी इसकी प्रमुख वजह है।
#एंग्जायटी #डिसॉर्डर के #प्रकार
प्रमुख लक्षणों के आधार पर इस मनोवैज्ञानिक समस्या के कई अलग-अलग प्रकार निर्धारित किए जाते हैं, जो इस प्रकार हैं :
#जनरलाइज्ड एंग्जायटी डसॉर्डर : इस समस्या से पीडित लोग बेवजह बहुत ज्यादा चिंतित रहते हैं। इनकी चिंता का कोई तार्किक आधार नहीं होता। हमेशा चिंता में रहना इनकी आदत होती है। सकारात्मक परिस्थितियों में भी ऐसे लोग चिंतित होने की कोई न कोई वजह ढूंढ लेते हैं।
#ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर : इससे पीडित लोग लगातार चिंतित या भयभीत रहते हैं। ऐसे में वे कुछ अजीब आदतें विकसित कर लेते हैं। मिसाल के तौर पर कुछ लोगों को सफाई की सनक हो जाती है और वे साफ-सुथरी चीजों को भी बार-बार धोते-पोछते रहते हैं।
#पैनिक डिसॉर्डर : इस समस्या से जूझ रहे लोगों को अकसर ऐसा महसूस होता है कि जैसे उनकी सांस रुक रही है या उन्हें हार्ट अटैक आ रहा है। ऐसे लोगों को बेवजह मौत का भय सताता रहता है।
#सोशल एंग्जाइटी डिसॉर्डर : ऐसी समस्या से पीडित व्यक्ति अपने सामाजिक जीवन में अत्यंत सतर्क रहता है। उसे हरदम ऐसा लगता है कि लोग उसे ही घूर रहे हैं। वह भीड वाली जगहों और सामाजिक समारोहों में जाने से बचने की कोशिश करता है क्योंकि ऐसे माहौल में उसे बहुत घबराहट महसूस होती है।
#क्या है नुकसान
एंग्जायटी डिसॉर्डर से पीडित व्यक्ति की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर बहुत बुरा असर पडता है। इससे उसकी रोजमर्रा की दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है। वह किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता। ऐसे लोगों की स्मरण-शक्ति कमजोर पड जाती है और इनका दांपत्य जीवन भी तनावग्रस्त रहता है। अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि अगर स्त्रियों में एंग्जायटी डिसॉर्डर हो तो वे जल्द ही इससे बाहर निकल आती हैं, लेकिन पुरुषों में यह समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है, क्योंकि उनका अहं समस्या को आसानी से स्वीकार नहीं पाता। इसलिए वे उसका हल ढूंढने की कोशिश भी नहीं करते। अगर लंबे समय तक समस्या हो तो वह डिप्रेशन का रूप ले सकती है। ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ जाती है। प्रमुख लक्षण
-शारीरिक दुर्बलता
-याद्दाश्त में कमी
-लगातार चिंतित रहना
-एकाग्रता में कमी आना, आंख के आगे तैरते हुए बिंदु दिखाई देना
-घबराहट, डर और बेचैनी
-नकारात्मक विचारों पर काबू न होना व डरावने सपने दिखना
-अनिद्रा
-शरीर के तापमान में असंतुलन, कभी हाथ-पैरों का ठंडा पड जाना तो कभी बुखार जैसा महसूस होना
-दिल की धडकन तेज होना
-मांसपेशियों में तनाव होना
-पेट में दर्द
#कैसे करें #बचाव
-नियमित दिनचर्या अपनाएं क्योंकि नींद की कमी से मस्तिष्क पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पाता। अनिद्रा से एंग्जायटी और डिप्रेशन का खतरा बढ जाता है।
-शरीर की तरह मस्तिष्क को भी पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। इसलिए अपने भोजन में फलों और हरी सब्जियों को प्रमुखता से शामिल करना चाहिए।
-नियमित एक्सरसाइज और योगाभ्यास करें। इस समस्या से बचने के लिए ध्यान भी फायदेमंद होता है। इससे सेरिब्रल कोरटेक्स को मजबूती मिलती है, मस्तिष्क का यही हिस्सा स्मरण-शक्ति, एकाग्रता और तर्क शक्ति के लिए जिम्मेदार होता है।
-अगर जीवन में कभी कोई मुश्किल आए तब भी आत्मविश्वास बनाए रखें।
-लोगों के साथ दोस्ती बढाएं और खुलकर अपनी भावनाएं शेयर करें।
-अपनी क्षमताओं का आकलन करके व्यावहारिक लक्ष्य बनाएं। कार्यो की प्राथमिकता तय करें। एक साथ कई काम करने से बचें।
-अगर कभी किसी बात को लेकर एंग्जायटी हो तो उसका सामना करने की आदत डालें। उससे बचने की कोशिश कभी न करें, क्योंकि व्यक्ति ऐसी मनोदशा से जितना अधिक बचने की कोशिश करता है, समस्या उतनी ही तेजी से बढती जाती है।
-ऐसी समस्याओं को छोटे-छोटे टुकडों में बांट कर हल करने की कोशिश करें। एक ही दिन में इनका समाधान संभव नहीं है। इसलिए धैर्य के साथ प्रयास करें।
-नियमित रूप से एंग्जायटी डायरी मेंटेन करना भी फायदेमंद साबित होगा। रोजाना रात को सोने से पहले अपनी डायरी में विस्तृत रूप से लिखें कि आज दिन भर में आपको किस चिंता या भय ने सबसे ज्यादा परेशान किया और उसे दूर करने के लिए आपकी ओर से क्या कोशिश की गई। -मन को तार्किक ढंग से समझाने की कोशिश करें कि यह आशंका निराधार है।
-एंग्जायटी दूर करने के लिए अपने मन से कोई दवा न लें।
-कैफीन और एल्कोहॉल से दूर रहें, क्योंकि ऐसी चीजों के सेवन से एंग्जायटी बढती है! सलाह, ” प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाये जहाँ तक सम्भव हो क्योंकि ये हमारे शरीर से जुड़ी हुई चिकित्सा है, जिस प्रकति ने हमें बनाने में सहयोग किया है वही हमारे अस्वस्थ हुए शरीर को स्वस्थ करने में पूर्ण सहयोग करेगी”………
Dr. Shruti kaushik
लेख में प्रकाशित सामग्री लेखिका की अपनी राय है
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पिछले वर्ष दर्ज अब तक के सर्वाधिक वार्षिक निर्यात की संख्या इस वित्त वर्ष के 10 महीनों में ही पूरी हो गई और निर्यात आंकड़े 336 बिलियन डॉलर के करीब पहुंचे
जनवरी 2022 में भारत का वस्तु निर्यात जनवरी 2021 के 27.54 बिलियन डॉलर की तुलना में 23.69 प्रतिशत बढ़कर 34.06 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। जनवरी 2020 की तुलना में इसमें 31.75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह बढ़कर 25.85 बिलियन डॉलर पहुंच गया।
भारत का वस्तु निर्यात 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) में 46.53 प्रतिशत बढ़कर 335.44 बिलियन डॉलर जा पहुंचा। 2019-20 (अप्रैल-जनवरी) के 264.13 बिलियन डॉलर की तुलना में इसमें 27 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई।
जनवरी 2022 में गैर पेट्रोलियम निर्यात का मूल्य 30.33 बिलियन डॉलर था, जिसने जनवरी 2021 के 25.4 बिलियन डॉलर की तुलना में गैर पेट्रोलियम निर्यात में 19.4 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई और जनवरी 2020 के 22.67 बिलियन डॉलर की तुलना में गैर पेट्रोलियम निर्यात में 33.81 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई।
वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) गैर पेट्रोलियम निर्यात का संचयी मूल्य 287.84 बिलियन डॉलर था जिसमें वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-जनवरी) के 209.19 बिलियन डॉलर की तुलना में 37.59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई तथा वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-जनवरी) के 228.8 बिलियन डॉलर की तुलना में यह 25.8 प्रतिशत अधिक था।
जनवरी 2022 में गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यातों का मूल्य 27.09 बिलियन डॉलर था जिसने जनवरी 2021 में 22.56 बिलियन डॉलर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यातों की तुलना में 20.1 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई तथा जनवरी 2020 के 19.79 बिलियन डॉलर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यातों की तुलना में 36.92 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई।
वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) में गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात का संचयी मूल्य 255.69 बिलियन डॉलर था जिसमें वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-जनवरी) के 189.47 बिलियन डॉलर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात के संचयी मूल्य की तुलना में 34.95 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई तथा वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-जनवरी) के 197.94 बिलियन डॉलर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात के संचयी मूल्य की तुलना में यह 29.18 प्रतिशत अधिक था।
Read More »प्रधानमंत्री ने मणिपुर के रानी गाइदिन्ल्यू रेलवे स्टेशन पर पहली बार मालगाड़ी पहुंचने पर प्रसन्नता व्यक्त की
प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के रानी गाइदिन्ल्यू रेलवे स्टेशन पर पहली बार मालगाड़ी पहुंचने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि मणिपुर की कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जाएगा तथा वाणिज्य को बढ़ावा दिया जाएगा।
उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी के एक ट्वीट के जवाब में, प्रधानमंत्री ने कहा:
“उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बदलाव जारी है।
मणिपुर की कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जाएगा तथा वाणिज्य को बढ़ावा दिया जाएगा। इस राज्य के उत्कृष्ट उत्पाद देशभर में भेजे जा सकते हैं।”
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