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बदलाव जरूरी है

सालभर देश में कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं और चुनावी सरगर्मियां तेज करने के लिए कोई न कोई घटनाएं घटती रहती हैं। घटती हुई घटनाएं और बदलते हुए परिप्रेक्ष्य 2024 की आहट देते महसूस हो रहे हैं।

देश में घटनाएं कितनी तेजी से घट रही हैं साथ ही घटनाओं पर प्रतिक्रियाएं भी। कोई भी घटना स्थिर नहीं रह पाती है। उस पर विवाद, टिप्पणियां चलती रहती हैं और जैसे ही नियम कानून के फैसले की बात आती है तब तक एक दूसरी घटना घट चुकी होती है। लोग पुरानी घटना को भुलाकर नई घटना पर अपना ध्यान केंद्रित कर लेते हैं। नोटबंदी, काला धन, बैंक घोटाले, नेताओं की मनमर्जियां, अभद्र टिप्पणियां, चुनावी हमले, अभद्र बयानबाजी, धर्मांधता, संसद में हंगामा, अडाणी मामला इन पर लगातार घटनाएं घट रही हैं और प्रतिक्रिया स्वरुप अन्य घटना घट जा रही है। एक घटना पर फैसला लंबित रहता है कि दूसरी अचंभित कर देती है। इन सारे मुद्दों में अभी तक कोई हल नहीं निकला है बस दबा दी गई है जैसे सरकारी दफ्तरों में फाइलें एक टेबल से दूसरे टेबल पर सरकती रहती है और धूल खाती रहती है और मीडिया भी सवाल पूछने से ज्यादा मामले को ढकने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाती है।
और यदि आज के मौजूदा हालात पर नजर डालें तो विपक्ष ने जो सवाल पूछा वो गलत नहीं था और सवाल पूछने का हक तो सांसद के साथ-साथ जनता को भी है लेकिन सवाल पूछने का खामियाजा संसद की सदस्यता समाप्ति और पंद्रह हजार जुर्माना मिला। उससे इतर सवाल यह भी है कि अडाणी मामले पर सरकार चुप्पी क्यों साधे हुए है? उसकी जांच क्यों नहीं की जा रही है? पिछले कुछ समय पहले सत्ता पक्ष के बयानों पर नजर डालें तो सत्ता पक्ष द्वारा ऐसे तमाम निम्न स्तरीय बयान है जिनमें नेताओं पर मानहानि के दावे और कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। एक सम्मानित महिला पर अभद्र टिप्पणी और सत्तापक्ष के नेताओं की ऊटपटांग बयानबाजी उनके निम्न स्तरीय सोच को ही दर्शाती है।
लोकतंत्र के नाम पर अलग-अलग वक्त पर होने वाली तमाम राजनीतिक बहसों से परे निकल कर देखें तो अटल बिहारी बाजपेई ने अपने एक भाषण में लोकतंत्र का बहुत सुंदर उदाहरण पेश किया है उन्होंने बताया  कि कैसे नेता प्रतिपक्ष होने के बावजूद भी उन्हें सरकार की ओर से जिनेवा में सरकार का पक्ष रखने के लिए भेजा गया था। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि, “ऐसा नहीं है कि मेरे नेहरू जी से मतभेद नहीं हैं और मतभेद चर्चा में उभरकर आता भी है। एक दिन मैंने कह दिया कि आपका व्यक्तित्व मिलाजुला हुआ है। आपमें चर्चिल और चेंबरलिन दोनों हैं। नेहरू जी नाराज नहीं हुए और शाम को किसी इवेंट पर मुलाकात होने पर उन्होंने कहा कि आज बड़ा जोरदार भाषण दिया है तुमने और हंसते हुए चले गए। आजकल ऐसी आलोचना करना मतलब दुश्मनी को न्योता देने जैसा है। लोग बोलना बंद कर देंगे”। आज इस तरह की शालीनता कल्पना की बातें हैं। लोग सिर्फ एक दूसरे को नीचा दिखाने में ही लगे हुए हैं। यूं भी आजकल की राजनीति अवसरवादीता हो गई है।
संकीर्ण मानसिकता से किसी राष्ट्र का हित नहीं हुआ है और यदि हम फिर से जाति धर्म भाषा और क्षेत्र में बटेंगे तो क्या लंबे समय तक एक राष्ट्र के रूप में टिके रह पाएंगे? आज क्या सिर्फ गलत का विरोध करने के बजाय सिर्फ विरोध करना ही उद्देश्य रह गया है। जब सत्तायें समाज परिवर्तन और जन विश्वास को हासिल किए बगैर टिके रहना चाहती हैं तो वह अतिवाद के खंभों का सहारा लेती है और यह खंबे ज्यादा समय तक नहीं टिक रहते हैं। लगातार घटती हुई घटनाएं इशारा कर रही हैं कि राजनीति में परिपक्वता जरूरी हो गई है। अपनी मर्यादाओं और आचरण पर लक्ष्मण रेखा स्वयं ही खींचनी होगी। राष्ट्र को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए अपने समकालीन नेताओं के आदर्शों को समझना जरूरी हो गया है।

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फरवरी, 2023 के लिए आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक (आधार: 2011-12=100)

आठ प्रमुख उद्योगों का संयुक्त सूचकांक फरवरी 2022 के सूचकांक की तुलना में फरवरी 2023 के दौरान 6.0 प्रतिशत (अनंतिम) बढ़ गया। उर्वरक, कोयला, बिजली, सीमेंट, स्टील, रिफाइनरी उत्पाद और प्राकृतिक गैस का उत्पादन फरवरी 2023 में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में बढ़ा है। आईसीआई चुने हुए आठ प्रमुख उद्योगों अर्थात कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली में उत्पादन का संयुक्त और एकल निष्पादन को मापता है। आठ प्रमुख उद्योगों में औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) में शामिल मदों के भार का 40.27 प्रतिशत शामिल होता है। वार्षिक और मासिक सूचकांक तथा विकास दर का विवरण क्रमशः अनुलग्नक 1 तथा 2 में दिया गया है।

2. नवंबर 2022 के लिए आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक की अंतिम वृद्धि दर को इसके अनंतिम स्तर 5.4 प्रतिशत से संशोधित कर 5.7 प्रतिशत कर दिया गया है। अप्रैल-फरवरी 2022-23 के दौरान आईसीआई की संचयी वृद्धि दर पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7.8 प्रतिशत (अनंतिम) दर्ज की गई।

3. आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक का सारांश नीचे दिया गया है:

कोयला – कोयला उत्पादन (भारांक: 10.33 प्रतिशत) फरवरी, 2023 में फरवरी, 2022 की तुलना में 8.5 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल से फरवरी 2022-23 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 15.2 प्रतिशत बढ़ा।

कच्चा तेल – कच्चे तेल का उत्पादन (भारांक: 8.98 प्रतिशत) फरवरी, 2023 में फरवरी, 2022 की तुलना में 4.9 प्रतिशत कम रहा। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल से फरवरी, 2022-23 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.6 प्रतिशत कम रहा।

प्राकृतिक गैस – प्राकृतिक गैस का उत्पादन (भारांक: 6.88 प्रतिशत) फरवरी, 2023 में फरवरी, 2022 की तुलना में 3.2 प्रतिशत अधिक रहा। अप्रैल से फरवरी, 2022-23 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.

पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद – पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन (भारांक: 28.04 प्रतिशत) फरवरी, 2022 की तुलना में फरवरी, 2023 में 3.3 प्रतिशत बढ़ गया। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल से फरवरी, 2022-23 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 5.2 प्रतिशत बढ़ा।

उर्वरक – उर्वरक उत्पादन (भारांक: 2.63 प्रतिशत) फरवरी, 2023 में फरवरी, 2022 की तुलना में 22.2 प्रतिशत बढ़ गया। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल से फरवरी, 2022-23 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.5 प्रतिशत बढ़ गया।

इस्पात – इस्पात उत्पादन (भारांक: 17.92 प्रतिशत) फरवरी, 2023 में फरवरी, 2022 की तुलना में 6.9 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल से फरवरी, 2022-23 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7.5 प्रतिशत बढ़ा।

सीमेंट – सीमेंट उत्पादन (भारांक: 5.37 प्रतिशत) फरवरी, 2023 में फरवरी, 2022 की तुलना में 7.3 प्रतिशत बढ़ा। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल से फरवरी, 2022-23 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 9.7 प्रतिशत बढ़ा।

बिजली – बिजली उत्पादन (भारांक: 19.85 प्रतिशत) फरवरी, 2023 में फरवरी, 2022 की तुलना में 7.6 प्रतिशत बढ़ गया। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल से फरवरी, 2022-23 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 9.9 प्रतिशत बढ़ गया।

नोट 1: दिसंबर,2022, जनवरी 2023 और फरवरी, 2023 के आंकड़े अनंतिम हैं। स्रोत एजेंसियों के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार प्रमुख उद्योगों के सूचकांकों को संशोधित/अंतिम रूप दिया जाता है।

नोट 2 : अप्रैल, 2014 से, नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन के आंकड़े भी शामिल हैं।

नोट 3 : ऊपर इंगित किए गए उद्योग वार भार आईआईपी से प्राप्त अलग अलग उद्योग भार हैं और 100 के बराबर आईसीआई के संयुक्त भार के अनुपात में बढ़ाए गए हैं।

नोट 4 : मार्च, 2019 से, परिष्कृत इस्पात के उत्पादन के भीतर ‘कोल्ड रोल्ड (सीआर) क्वायल्स‘ मद के तहत हौट रोल्ड पिकल्ड एंड आयल्ड (एचआरपीओ) नामक एक नया इस्पात उत्पाद भी शामिल किया गया है।

नोट 5 : मार्च, 2023 के लिए सूचकांक शुक्रवार 28 अप्रैल, 2023 को जारी किया जाएगा।

अनुलग्नक 1

आठ प्रमुख उद्योगों का निष्पादन

आधार वर्ष: 2011-12=100

सूचकांक

क्षेत्र कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट बिजली समग्र सूचकांक
भारांक 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
2012-13 103.2 99.4 85.6 107.2 96.7 107.9 107.5 104.0 103.8
2013-14 104.2 99.2 74.5 108.6 98.1 115.8 111.5 110.3 106.5
2014-15 112.6 98.4 70.5 108.8 99.4 121.7 118.1 126.6 111.7
2015-16 118.0 97.0 67.2 114.1 106.4 120.2 123.5 133.8 115.1
2016-17 121.8 94.5 66.5 119.7 106.6 133.1 122.0 141.6 120.5
2017-18 124.9 93.7 68.4 125.2 106.6 140.5 129.7 149.2 125.7
2018-19 134.1 89.8 69.0 129.1 107.0 147.7 147.0 156.9 131.2
2019-20 133.6 84.5 65.1 129.4 109.8 152.6 145.7 158.4 131.6
2020-21 131.1 80.1 59.8 114.9 111.6 139.4 130.0 157.6 123.2
2021-22 142.3 77.9 71.3 125.1 112.4 163.0 156.9 170.1 136.1
अप्रैल-फरवरी2021-22* 136.1 77.8 71.2 123.6 112.9 161.3 153.1 168.2 134.1
अप्रैल-फरवरी2022-23* 156.8 76.5 72.2 129.9 125.8 173.4 168.1 184.9 144.6
                     

*अनंतिम

 

विकास दर (वर्ष-दर-वर्ष आधार पर प्रतिशत में)

क्षेत्र कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट बिजली समग्र बढ़ोतरी
भारांक 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
2012-13 3.2 -0.6 -14.4 7.2 -3.3 7.9 7.5 4.0 3.8
2013-14 1.0 -0.2 -12.9 1.4 1.5 7.3 3.7 6.1 2.6
2014-15 8.0 -0.9 -5.3 0.2 1.3 5.1 5.9 14.8 4.9
2015-16 4.8 -1.4 -4.7 4.9 7.0 -1.3 4.6 5.7 3.0
2016-17 3.2 -2.5 -1.0 4.9 0.2 10.7 -1.2 5.8 4.8
2017-18 2.6 -0.9 2.9 4.6 0.0 5.6 6.3 5.3 4.3
2018-19 7.4 -4.1 0.8 3.1 0.3 5.1 13.3 5.2 4.4
2019-20 -0.4 -5.9 -5.6 0.2 2.7 3.4 -0.9 0.9 0.4
2020-21 -1.9 -5.2 -8.2 -11.2 1.7 -8.7 -10.8 -0.5 -6.4
2021-22 8.5 -2.6 19.2 8.9 0.7 16.9 20.8 8.0 10.4
अप्रैल-फरवरी 2021-22* 9.8 -2.6 20.5 9.2 -0.4 18.4 22.3 8.2 11.1
अप्रैल-फरवरी 2022-23* 15.2 -1.6 1.5 5.2 11.5 7.5 9.7 9.9 7.8

*अनंतिमवर्ष दर वर्ष की गणना पिछले वर्ष के समान महीने की तुलना में की जाती है

परिशिष्ट II

आठ प्रमुख उद्योगों का निष्पादन

वार्षिक सूचकांक एवं वृद्धि दर

आधार वर्ष : 2011-12 = 100

सूचकांक

 

क्षेत्र कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट बिजली समग्र सूचकांक
भारांक 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
फरवरी-22 174.4 71.6 64.9 124.9 102.4 165.0 167.7 160.8 137.1
मार्च-22 210.8 79.6 72.6 142.5 107.7 182.4 198.8 191.0 158.0
अप्रैल--22 147.7 77.8 70.9 134.7 96.1 164.0 170.9 194.5 144.6
मई--22 156.3 80.3 73.5 137.3 126.0 172.0 165.4 199.9 149.6
जून--22 148.0 76.9 70.9 130.3 126.4 158.2 177.4 196.9 143.9
जुलाई--22 132.7 77.3 72.6 129.8 127.6 166.8 155.4 188.9 141.1
अगस्त--22 127.5 76.7 73.0 123.6 130.9 170.5 152.0 191.3 139.9
सितंबर--22 127.5 75.2 72.1 120.2 127.0 172.8 158.7 187.4 138.6
अक्टूबर--22 145.8 77.4 73.0 123.5 129.5 177.3 155.2 169.3 138.8
नवंबर--22 167.5 75.8 71.8 119.7 129.2 175.5 164.3 166.7 139.4
दिसंबर--22* 184.3 78.2 74.5 139.3 129.9 180.5 184.8 179.4 151.6
जनवरी--23* 198.3 78.3 75.2 142.0 135.8 193.4 184.6 186.6 157.7
फरवरी-23* 189.3 68.1 67.0 129.1 125.2 176.5 180.0 173.1 145.4

*अंनतिम

 

विकास दर (वर्ष-दर-वर्ष आधार पर प्रतिशत में)

क्षेत्र कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट बिजली समग्र बढ़ोतरी
भारांक 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
फरवरी-22 6.6 -2.2 12.5 8.8 -1.4 5.6 4.2 4.5 5.9
मार्च-22 0.3 -3.4 7.6 6.1 15.3 4.1 9.0 6.1 4.8
अप्रैल--22 30.1 -0.9 6.4 9.2 8.8 2.5 7.4 11.8 9.5
मई--22 33.5 4.6 7.0 16.7 22.9 15.1 26.2 23.5 19.3
जून--22 32.1 -1.7 1.2 15.1 8.2 3.3 19.7 16.5 13.1
जुलाई--22 11.4 -3.8 -0.3 6.2 6.2 7.5 0.7 2.3 4.8
अगस्त--22 7.7 -3.3 -0.9 7.0 11.9 5.8 2.1 1.4 4.2
सितंबर--22 12.1 -2.3 -1.7 6.6 11.8 7.7 12.4 11.6 8.3
अक्टूबर--22 3.8 -2.2 -4.2 -3.1 5.4 5.8 -4.2 1.2 0.7
नवंबर--22 12.3 -1.1 -0.7 -9.3 6.4 11.5 29.1 12.7 5.7
दिसंबर--22* 12.2 -1.2 2.6 3.7 7.3 6.3 9.5 10.4 7.0
जनवरी--23* 13.4 -1.1 5.3 4.5 17.9 10.8 4.6 12.7 8.9
फरवरी-23* 8.5 -4.9 3.2 3.3 22.2 6.9 7.3 7.6 6.0

*अनंतिम, वर्ष-दर-वर्ष की गणना पिछले वर्ष के इसी माह के आधार पर की जाती है।

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स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत 7 वर्षों के दौरान 1,80,630 से अधिक खातों में 40,700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित

स्टैंड अप इंडिया योजना की शुरुआत 5 अप्रैल 2016 को आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। इस योजना को वर्ष 2025 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

ऊर्जावान, उत्साही एवं महत्वाकांक्षी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग और महिला उद्यमियों को अपने सपनों को साकार करने में पेश आने वाली विभिन्न चुनौतियों के तथ्य को स्वीकार करते हुए, स्टैंड-अप इंडिया का शुभारंभ महिलाओं और अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लोगों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और उन्हें विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र एवं कृषि से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित एक ग्रीनफील्ड उद्यम शुरू करने में मदद देने के लिए किया गया था।

इस अवसर पर, केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने कहा, “यह मेरे लिए बेहद गर्व और संतोष की बात है कि 1.8 लाख से अधिक महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए 40,600 करोड़ रुपये से अधिक राशि के ऋण स्वीकृत किए गए हैं।”

एसयूपीआई योजना की सातवीं वर्षगांठ के अवसर पर, केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “इस योजना ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है जिसने सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की शाखाओं से मिलने वाले ऋण के जरिए ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने में एक सहायक वातावरण के निर्माण को सुविधाजनक बनाया है और उसे जारी रखा है। स्टैंड-अप इंडिया योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई है।”

श्रीमती सीतारामन ने कहा कि स्टैंड-अप इंडिया योजना ने सुविधाओं से वंचित/कम सुविधा प्राप्त उद्यमियों के लिए परेशानी मुक्त किफायती ऋण सुनिश्चित करके कई लोगों के जीवन को संवारा है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना ने उभरते उद्यमियों की उद्यमशीलता संबंधी उड़ान में पंख दिए हैं और ये उभरते उद्यमी रोजगार के सृजनकर्ता बनकर आर्थिक विकास को गति देने और एक मजबूत इकोसिस्टम के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।

स्टैंड-अप इंडिया योजना की सातवीं वर्षगांठ के अवसर पर, केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड़ ने कहा, “स्टैंड-अप इंडिया योजना वित्तीय समावेशन के राष्ट्रीय मिशन के तीसरे स्तंभ पर आधारित है, जिसका नाम है “वित्त पोषण से वंचित लोगों का वित्त पोषण” (फंडिंग द अनफंडेड)। इस योजना ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की शाखाओं से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों के लिए निर्बाध ऋण प्रवाह की उपलब्धता सुनिश्चित की है। यह योजना उद्यमियों, उनके कर्मचारियों व उनके परिवारों के जीवन स्तर को बेहतर करने में सहायक रही है।”

डॉ. कराड़ ने कहा, “पिछले सात वर्षों के दौरान इस योजना से 1.8 लाख से अधिक उद्यमी लाभान्वित हुए हैं।” उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह भी बेहद खुशी की बात है कि इस योजना के तहत स्वीकृत गए 80 प्रतिशत से अधिक ऋण महिलाओं को प्रदान किए गए हैं।”

अब जबकि हम स्टैंड-अप इंडिया योजना की सातवीं वर्षगांठ मना रहे हैं, आइए हम इस योजना की विशेषताओं और उपलब्धियों पर एक नजर डालें।

स्टैंड-अप इंडिया का उद्देश्य है:

  • महिलाओं तथा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के बीच उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देना;
  • विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित ग्रीनफील्ड उद्यमों के लिए ऋण प्रदान करना;
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की प्रति बैंक शाखा से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कम से कम एक उधारकर्ता और कम से कम एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख रुपये से लेकर 100 लाख रुपये तक के बैंक ऋण की सुविधा प्रदान करना।

स्टैंड-अप इंडिया की जरूरत क्यों?

स्टैंड-अप इंडिया योजना को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों और महिला उद्यमियों द्वारा उद्यम स्थापित करने तथा व्यवसाय में सफल होने हेतु समय-समय पर ऋण एवं अन्य जरूरी सहायता प्राप्त करने में पेश आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है। इस दृष्टि से यह योजना एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रयास करती है, जो लक्षित क्षेत्रों को व्यापार करने और उस व्यापार को जारी रखने हेतु एक अनुकूल व सहायक वातावरण की सुविधा प्रदान करे। इस योजना का उद्देश्य सभी बैंक शाखाओं को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के उधारकर्ताओं और महिला उधारकर्ताओं को अपना ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने हेतु ऋण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के तहत इच्छुक आवेदक आवेदन कर सकते हैं:

  • सीधे बैंक शाखा में या,
  • स्टैंड-अप इंडिया पोर्टल (www.standupmitra.in) के माध्यम से या,
  • लीड जिला प्रबंधक (एलडीएम) के माध्यम से।

कौन लोग ऋण के पात्र हैं?

  • 18 वर्ष से अधिक आयु वाले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और/या महिला उद्यमी;
  • इस योजना के तहत ऋण केवल ग्रीन फील्ड परियोजनाओं के लिए उपलब्ध हैं। इस संदर्भ में, ग्रीन फील्ड से आशय विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित लाभार्थी द्वारा पहली बार स्थापित किए जाने वाला उद्यम है;
  • गैर-व्यक्तिगत उद्यमों के मामले में, 51 प्रतिशत शेयरधारिता और नियंत्रणकारी हिस्सेदारी या तो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमी और/या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए;
  • उधारकर्ता किसी भी बैंक/वित्तीय संस्थान के समक्ष चूककर्ता नहीं होना चाहिए;
  • इस योजना में ’15 प्रतिशत तक’ की मार्जिन मनी की परिकल्पना की गई है जो केन्द्रीय/राज्य स्तर की पात्र योजनाओं के साथ समन्वय बिठाते हुए प्रदान की जा सकती है। किसी भी हाल में, उधारकर्ता को परियोजना लागत का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा अपने योगदान के रूप में जुटाना होगा।

सहारा प्रदान करने वाली सहायता:

ऋण चाहने वाले संभावित उधारकर्ताओं को बैंकों से जोड़ने के अलावा, स्टैंड-अप इंडिया योजना के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा विकसित ऑनलाइन पोर्टल www.standupmitra.in संभावित उद्यमियों को व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने के उनके प्रयास में मार्गदर्शन भी प्रदान कर रहा है। इस मार्गदर्शन में बैंक की जरूरतों के अनुरूप प्रशिक्षण से लेकर ऋण के लिए आवेदन भरने तक की जानकारी शामिल है। सहारा प्रदान करने वाली 8,000 से अधिक एजेंसियों के नेटवर्क के माध्यम से, यह पोर्टल संभावित उधारकर्ताओं को विशिष्ट प्रकार की विशेषज्ञता वाली विभिन्न एजेंसियों से जोड़ने के लिए चरण दर चरण मार्गदर्शन की सुविधा प्रदान करता है। इस मार्गदर्शन के तहत कौशल केन्द्र (स्किलिंग सेंटर), मार्गदर्शन संबंधी सहायता (मेंटरशिप सपोर्ट), उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम केन्द्र (एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम सेंटर), जिला उद्योग केन्द्र (डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर) के पते और संपर्क नंबर की जानकारी उपलब्ध करायी जाती है।

दिनांक 21 मार्च 2023 तक इस योजना की उपलब्धियां

  • इस योजना की शुरुआत के बाद से दिनांक 21.03.2023 तक स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत 180,636 खातों में 40,710 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
  • दिनांक 21.03.2023 तक स्टैंड-अप इंडिया योजना के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों का विवरण नीचे दिया गया है:
अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति महिला कुल
खातों की संख्या आवंटित राशि (करोड़ रुपये में) खातों की संख्या आवंटित राशि (करोड़ रुपये में) खातों की संख्या आवंटित राशि (करोड़ रुपये में) खातों की संख्या आवंटित राशि (करोड़ रुपये में)
26,889 5,625.50 8,960 1,932.50 1,44,787 33,152.43 1,80,636 40,710.43

 

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज दूसरे अलंकरण समारोह में वर्ष 2023 के लिए तीन पद्म विभूषण, पाँच पद्म भूषण और सैंतालिस पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित दूसरे अलंकरण समारोह में वर्ष 2023 के लिए तीन पद्म विभूषण, पाँच पद्म भूषण और सैंतालिस पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए। पहला अलंकरण समारोह 22 मार्च, 2023 को आयोजित किया गया था।

आज के अलंकरण समारोह में उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह, अन्य केन्द्रीय मंत्री और अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

अलंकरण समारोह के बाद केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में पद्म पुरस्कार से सम्मानित लोगों के लिए रात्रि भोज का आयोजन किया। इसमें श्री अमित शाह और अन्य केन्द्रीय मंत्रियों ने पद्म पुरस्कार से सम्मानित व्यक्तियों से संवाद किया।

पद्म पुरस्कार सम्मान हासिल करने वाले व्यक्ति कल सुबह (06 अप्रैल) राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। इसके बाद वे अमृत उद्यान, राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री संग्रहालय देखने भी जाएँगे।

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केंद्र सरकार ने सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के संबंध में निजी उपयोग के लिये विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये सभी आयातित औषधियों व खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है

केंद्र सरकार ने सामान्य छूट अधिसूचना के जरिये राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के सम्बंध में निजी उपयोग के लिये विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये सभी आयातित औषधियों व खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है।

इस छूट को प्राप्त करने के लिये, वैयक्तिक आयातक को केंद्रीय या राज्य निदेशक स्वास्थ्य सेवा या जिले के जिला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन द्वारा प्राप्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। दवाओं/औषधियों पर आम तौर से 10 प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क लगता है, जबकि प्राणरक्षक दवाओं/वैक्सीनों की कुछ श्रेणियों पर रियायती दर से पांच प्रतिशत या शून्य सीमा शुल्क लगाया जाता है।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी या डूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार के लिये निर्धारित दवाओं के लिये छूट प्रदान की जाती है, लेकिन सरकार को ऐसे कई प्रतिवेदन मिल रहे थे, जिनमें अन्य दुर्लभ रोगों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं और औषधियों के लिये सीमा शुल्क में राहत का अनुरोध किया गया था। इन रोगों के उपचार के लिये दवायें या विशेष खाद्य सामग्रियां बहुत महंगी हैं तथा उन्हें आयात करने की जरूरत होती है। एक आकलन के अनुसार 10 किलोग्राम वजन वाले एक बच्चे के मामले में कुछ दुर्लभ रोगों के उपचार का वार्षिक खर्च 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये से अधिक तक हो सकता है। यह उपचार जीवन भर चलता है तथा आयु व वजन बढ़ने के साथ-साथ दवा तथा उसका खर्च भी बढ़ता जाता है।

इस छूट से खर्च में अत्यंत कमी आ जायेगी और बचत होगी तथा मरीजों को जरूरी राहत भी मिल जायेगी।

सरकार ने भिन्न-भिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाले पेमब्रोलीजूमाब (केट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया है।

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भारत में दुनिया का सबसे प्रभावकारी लोकतंत्र है; दुनिया में कोई भी हमें इस पर प्रवचन देने की स्थिति में नहीं है– उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताया और इस बात पर जोर दिया कि दुनिया में किसी के पास इस पहलू पर हमें उपदेश देने की साख नहीं बची है। उन्होंने कहा कि हमारी संवैधानिक संस्थाएं मजबूत और स्वतंत्र हैं तथा हमें अपनी न्यायिक प्रणाली पर गर्व है।

आज नई दिल्ली में न्यूज 18 नेटवर्क की ओर से आयोजित राइजिंग इंडिया समिट-2023 में समापन भाषण में श्री धनखड़ ने कहा कि यह दुखद है कि हममें से कुछ लोग हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कलंकित करने के लिए बिना सोचे-समझे कुटिल अभियान चला रहे हैं।

भारत की अखंडता के खिलाफ वर्चुअल युद्ध के प्रति सभी को जागरूक होने का आह्वान करते हुए उन्होंने आगाह किया कि भीतर और बाहर की भयावह ताकतें हमारे विकास पथ को दूषित करने, कम करने तथा हमारी सफलता को कम करने के लिए एक खतरनाक एजेंडे के साथ काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उभरने का मुकाबला करने के लिए एक ईकोसिस्टम को आकार दिया जा रहा है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक राष्ट्र राज्य के रूप में भारत की लेजिटमेसी पर हमला करते हुए संसद सहित इसकी संवैधानिक संस्थाएं देश के बाहर कुछ लोगों का पसंदीदा शगल बन रही हैं। उन्होंने कहा, “आपको दुनिया में ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा कि सत्ता के पदों पर बैठे लोग अपने ही देश को नीचा दिखाने के लिए दूसरे देशों में चले जाएं।”

भ्रष्टाचार के मुद्दे को राजनीतिक और पक्षपातपूर्ण चश्मे से देखने पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त करते हुए श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा कि “लोकतंत्र में कोई भी किसी भी आधार पर कानून से ऊपर और कानून की पहुंच से परे होने का दावा नहीं कर सकता है।”

हाल के वर्षों में शासन सुधारों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इनसे पारदर्शी और जवाबदेह ईको सिस्टम विकास हुआ है। “पावर कॉरिडोर, जो लंबे समय से लाइजनिंग से प्रभावित थे, लेकिन इस संस्कृति को अब खत्म कर दिया गया है। यह एक समय में एक आकर्षक काम हुआ करता था।” उन्होंने कहा नौकरशाही की स्थिति में एक बड़ा परिवर्तन भी दिखता है।

यह देखते हुए कि “संसद में अव्यवस्था सामान्य व्यवस्था बन गई है,” श्री धनखड़ चाहते थे कि विधायिकाएं संवाद, बहस, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए वास्तविक मंच बनें, न कि व्यवधान और गड़बड़ी का रंगमंच। यह कहते हुए कि सभी को हमारे लोकतंत्र के पोषण और प्रस्फुटन के लिए काम करना चाहिए, उन्होंने पत्रकारों और बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे ऐसा माहौल तैयार करें ताकि हमारे सांसद, लोकतंत्र के मंदिरों में, बड़े पैमाने पर लोग उच्च मानकों का अनुकरण कर सकें।

खुद को न्यायपालिका का सिपाही बताते हुए और अपने लंबे कानूनी करियर का जिक्र करते हुए, श्री धनखड़ ने सुझाव दिया कि संवैधानिक संस्थाओं के शीर्ष पर बैठे लोगों को सार्वजनिक क्षेत्र में टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने “वॉयस ऑफ इंडिया-मोदी एंड हिज ट्रांसफॉर्मेटिव मन की बात” नामक एक कॉफी टेबल बुक का भी अनावरण किया। पुस्तक में भारत की सफलता की उन कहानियों पर प्रकाश डाला गया है जिनका उल्लेख प्रधानमंत्री के मन की बात के एपिसोड में किया गया था।

इस अवसर पर राज्यसभा के उप सभापति डॉ. हरिवंश और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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डॉ. मनसुख मांडविया ने देहरादून में 500 बिस्तरों वाले अस्पताल और रुद्रप्रयाग, नैनीताल व श्रीनगर पौड़ी में 50 बिस्तरों वाले तीन क्रिटिकल केयर ब्लॉकों का शिलान्यास किया

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज जोशीमठ से वर्चुअल माध्यम के जरिए देहरादून में 500 बिस्तरों वाले अस्पताल और रुद्रप्रयाग, नैनीताल व श्रीनगर में 50 बिस्तरों वाले तीन क्रिटिकल केयर ब्लॉक का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढांचे के उन्नयन और सुदृढ़ीकरण का कार्य लगातार प्रगति पर है। वैश्विक कोविड महामारी के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए भविष्य की चिकित्सा इकाइयों को मजबूत करने के उद्देश्य से ईसीआरपी-द्वितीय (आपातकालीन कोविड प्रतिक्रिया पैकेज-II) के तहत महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है।” देहरादून में आयोजित इस समारोह में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य मंत्री श्री धन सिंह रावत, कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री श्री गणेश जोशी के साथ उत्तराखण्ड से संसद सदस्य श्रीमती राज्य लक्ष्मी शाह व नरेश बंसल भी उपस्थित थे।

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इससे पहले गुरुवार को डॉ. मांडविया ने चमोली जिले के मलारी गांव का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने मलारी व आसपास के क्षेत्रों में जीवंत (वाइब्रेंट) ग्राम कार्यक्रम और अन्य विकास परियोजनाओं की समीक्षा की। वहीं, मलारी के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने देहरादून में जन औषधि केंद्र का निरीक्षण करने के साथ स्वास्थ्यकर्मियों और लाभार्थियों से बातचीत की।

इसके अलावा डॉ. मांडविया ने स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर उत्तराखंड सरकार की प्रतिबद्धता की सराहना की। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से काम कर रही है, पीएम- एबीएचआईएम योजना के तहत 7 और ईसीआरपी-II के तहत 7 यानी कुल 14 क्रिटिकल केयर ब्लॉकों का निर्माण किया जा रहा है।” उन्होंने कहा, “इन पहलों के माध्यम से सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आपातकालीन देखभाल के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सुगमता से उपलब्ध हो सकेगीं।”

रुद्रप्रयाग व नैनीताल में क्रिटिकल केयर ब्लॉक का निर्माण ईसीआरपी-II पैकेज के तहत किया जाएगा। वहीं, श्रीनगर में इसका निर्माण पीएम-एबीएचआईएम योजना के तहत किया जाएगा। भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार के आपसी समन्वय से स्वास्थ्य सुविधाओं तक आम जनता की पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए श्रीनगर पौड़ी, रुद्रप्रयाग और नैनीताल के हल्द्वानी में 3 क्रिटिकल केयर ब्लॉकों के लिए कुल 71.25 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से हर एक गंभीर देखभाल ब्लॉक के निर्माण के लिए 23.75 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। इन गंभीर देखभाल ब्लॉकों में आईसीयू बेड, एचडीयू बेड, आइसोलेशन वार्ड बेड, आइसोलेशन रूम, इमरजेंसी बेड, ऑपरेशन थिएटर, लेबर डिलीवरी रूम, संयुक्त देखभाल प्रयोगशाला और डायलिसिस रूम जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

राज्य में चिकित्सा अवसंरचना को उन्नत और सुदृढ़ करने के लिए 120 करोड़ रुपये की धनराशि से दून मेडिकल कॉलेज में 500 बिस्तरों की सुविधा का विस्तार किया जाएगा। इस पहल से सुदूर क्षेत्रों से आने वाले रोगियों को राज्य की राजधानी में बेहतर उपचार की सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी! पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में जरूरी स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्र का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत आयुष्मान भारत जैसी उच्च प्रभाव वाली योजनाओं के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार रोगों के बारे में जागरूकता उत्पन्न कर, गुणवत्तापूर्ण व सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध प्रदान करके, स्वास्थ्य पेशेवरों की गुणवत्ता व संख्या में बढ़ोतरी के जरिए और स्वास्थ्य सेवा से संबंधित बुनियादी ढांचे व अन्य योजनाओं में बदलाव लाने के लिए एक मिशन-मोड पर काम करके राज्य की स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में और अधिक सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार के साथ काम कर रही है।

वहीं, श्री धन सिंह रावत ने उत्तराखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र हुई प्रगति को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “80,000 से अधिक लोगों के ई-रक्तकोष रक्तदान पोर्टल पर पंजीकृत होने के साथ देश में उत्तराखंड के लोगों ने सबसे अधिक रक्तदान किया है।” उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड के लोगों को 50 लाख से अधिक एबीएचए कार्ड जारी किए गए हैं और उनमें से 7 लाख से अधिक लोगों ने इस नि:शुल्क उपचार सुविधा का लाभ उठाया है। श्री रावत ने बताया, “उत्तराखंड टीबी के खिलाफ लड़ाई में नि-क्षय मित्र पहल के तहत 100 फीसदी टीबी रोगियों को कवर करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।”

इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विशाल चौहान और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व उत्तराखंड सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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आत्मनिर्भर भारत-रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए उन्नत  आकाश अस्त्र  प्रणाली और अस्त्रों  का पता लगाने वाले 12 स्वाति रडारों के लिए 9,100 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंधों  पर हस्ताक्षर किए

रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को और बढ़ावा देते हुए, रक्षा मंत्रालय ने आज 30 मार्च, 2023 को भारतीय सेना के लिए उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली और अस्त्रों का पता लगाने वाले 12 स्वाति रडारों (मैदानी) की खरीद के लिए 9,100 करोड़ रुपये से अधिक अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए।

उन्नत आकाश शस्त्र प्रणाली

सेना वायु सुरक्षा की तीसरी और चौथी रेजीमेंट के लिए उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली जिसमें आधुनिकीकरण के साथ लाइव मिसाइल और लॉन्चर, स्थलीय सहायता  उपकरणों , वाहन और आधारभूत अवसंरचना शामिल हैं, के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के साथ 8,160 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए।

उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली (एडब्ल्यूएस) एक कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली  मिसाइल (एसआरएसएएम) की वायु प्रतिरक्षा प्रणाली, जिसे डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। हवाई खतरों से निपटने के उद्देश्य से भारतीय सेना के लिए उत्तरी सीमाओं के लिए इन्हें उन्नत करने के साथ एडब्ल्यूएस की दो अतिरिक्त रेजीमेंट खरीदी जा रही हैं। इस  उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली  में सीकर टेक्नोलॉजी, सरलता से पता न चलने की विशेषता, सभी दिशाओं में कार्य कर सकने की क्षमता और बेहतर पर्यावरणीय मानक हैं।

यह परियोजना विशेष रूप से भारतीय मिसाइल निर्माण उद्योग और समग्र रूप से स्वदेशी रक्षा निर्माण इकोसिस्टम को बढ़ावा देगी। परियोजना में कुल स्वदेशी सामग्री 82% है जिसे 2026-27 तक बढ़ाकर 93% किया जाएगा ।

भारतीय सेना में उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली (एडब्ल्यूएस) को शामिल करने से कम दूरी की मिसाइल क्षमता में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। यह परियोजना अन्य देशों को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा के बाहर जाने से बचाकर, देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने और विभिन्न घटकों के निर्माण के माध्यम से भारतीय सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहित करके समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी अपनी भूमिका निभाएगी। अस्त्र प्रणाली की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने के लिए परियोजना लागत का लगभग 60% एमएसएमई सहित निजी उद्योग को दिया जाएगा, जिससे बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।

हथियारों का पता लगाने वाले रडार स्वाति

हथियारों का पता लगाने वाले रडार स्वाति (मैदानी) के लिए अनुबंध पर भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल) के साथ 990 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह एक स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया ऐसा डब्ल्यूएलआर है जो हमारी सेनाओं पर  गोलाबारी कर रही तोपों, मोर्टारों और रॉकेटों की सटीक स्थिति का पता लगाने की क्षमता के साथ ही स्वयम के गोलाबारी संसाधनों द्वारा प्रत्युत्तर में आक्रमण करके उन्हें नष्ट करने की सुविधा से लैस है। यह सैनिकों को दुश्मन के किसी भी हस्तक्षेप के बिना अपने परिचालन कार्यों को पूरा करने में सक्षम बनाएगा और उन्हें दुश्मन की गोलाबारी से सुरक्षा भी प्रदान करेगा। इसे सेना में आने वाले 24 महीनों में शामिल करने की योजना है ।

यह परियोजना रक्षा उद्योग के लिए अपनी क्षमता दिखाने का एक बड़ा अवसर है और रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ के लक्ष्य को प्राप्त करने

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नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने इंदौर और शारजाह के बीच सीधी विमान सेवा का शुभारंभ किया

  • उड़ान 31 मार्च को अपना परिचालन शुरू करेगी, और यह सप्ताह में तीन दिन संचालित होगी।
  • यह संयुक्त अरब अमीरात के लिए इंदौर का दूसरा हवाई संपर्क है, और यह मध्य प्रदेश में व्यापार, वाणिज्य और पर्यटन को बढ़ावा देगा।

नागर विमानन और इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने नागर विमानन मंत्रालय के राज्यमंत्री जनरल डॉ. विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) के साथ आज इंदौर और शारजाह के बीच सीधी विमान सेवा का शुभारंभ किया।

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यह नया मार्ग मध्य-पूर्व के साथ संपर्क बढ़ाएगा और मध्य प्रदेश में व्यापार, वाणिज्य और पर्यटन को बढ़ावा देगा। यह 31 मार्च, 2023 से शुरू होकर सप्ताह में तीन दिन निम्नलिखित कार्यक्रम के अनुसार संचालित होगा:

उड़ान सं.  कहां से  कहां तक  फ्रीक्वेंसी  प्रस्थान का समय  आगमन का समय  विमान शुरुआत की तिथि
आईएक्स0255 आईडीआर एसजेएच सोमवारशुक्रवार और शनिवार 10:30 12:10 बी 737-800 31 मार्च 2023
आईएक्स0256 एसजेएच आईडीआर सोमवार, शुक्रवार और शनिवार 03:00 07:35

नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि इंदौर से दुबई, इंदौर से शारजाह के बाद संयुक्त अरब अमीरात के साथ इंदौर का दूसरा हवाई संपर्क होगा। इससे न केवल व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि दो अलग-अलग देशों में रहने वाले परिवारों को भी जोड़ा जा सकेगा।

कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के बारे में चर्चा करते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि 2013-14 में इंदौर केवल 6 गंतव्यों से जुड़ा था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के 9 वर्षों में, यह शहर 2 अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों सहित 24 गंतव्यों तक बढ़ गया है, जो कि 400 प्रतिशत की वृद्धि है। पहले इंदौर से साप्ताहिक हवाई यातायात की आवाजाही 320 थी, जो अब बढ़कर 500 हो गई है जो कि 52 प्रतिशत की वृद्धि है।

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सिंधिया ने यह भी कहा कि 2014 में मध्य प्रदेश राज्य का देश के केवल आठ शहरों से हवाई संपर्क था, लेकिन अब यह 26 शहरों से जुड़ गया है, जो कि 300 प्रतिशत की वृद्धि है। राज्य से साप्ताहिक हवाई यातायात की आवाजाही 500 विमानों की थी, जो 9 वर्षों में बढ़कर 840 हो गया है। आरसीएस उड़ान योजना के तहत मध्य प्रदेश को 60 रूट दिए गए थे, जिनमें से 33 पहले से ही चालू हैं और 12 जल्द ही चालू हो जाएंगे। हाल ही में रीवा हवाई अड्डे की नींव रखी गई और इसके विकास पर 50 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। ग्वालियर में 500 करोड़ रुपये की लागत से एक नया एकीकृत टर्मिनल भवन विकसित किया जा रहा है। जबलपुर में भी लगभग 475 करोड़ रुपये की लागत से नया एकीकृत टर्मिनल भवन विकसित किया जा रहा है।

कार्यक्रम के दौरान एयर इंडिया एक्सप्रेस, एयरएशिया इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री आलोक सिंह और एयरएशिया इंडिया के संचालन प्रमुख कैप्टन मनीष उप्पल उपस्थित थे।

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आत्मनिर्भर भारत: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के 11 समुद्रगामी गश्ती युद्धपोतों और 6 मिसाइल वाहक जहाजों के अधिग्रहण के उद्देश्य से भारतीय शिपयार्ड के साथ 19,600 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ का लक्ष्य हासिल करने हेतु भारतीय नौसेना की आवश्यकतानुसार एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अगली पीढ़ी के 11 समुद्रगामी गश्ती युद्धपोतों और 6 मिसाइल वाहक जहाजों के अधिग्रहण के लिए 30 मार्च, 2023 को भारतीय शिपयार्ड के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सौदे की कुल लागत लगभग 19,600 करोड़ रुपये आंकी गई है।

अगली पीढ़ी के खुले समुद्र में गश्त करने वाले युद्धपोत

अगली पीढ़ी के 11 समुद्रगामी गश्ती युद्धपोतों के अधिग्रहण के लिए होने वाली खरीद कुल 9,781 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय-आईडीडीएम श्रेणी के तहत निर्माण हेतु की जा रही है। इस अनुबंध पर गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं। इन 11 जहाजों में से सात को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा और चार को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा स्वदेशी रूप से अभिकल्पित, विकसित तथा तैयार किया जाएगा। इन युद्धपोतों को भारतीय नौसेना को इस्तेमाल के लिए सितंबर 2026 से सौंपना शुरू किया जायेगा।

इन नौसैन्य जहाजों के अधिग्रहण से भारतीय नौसेना को अपनी लड़ाकू क्षमता को विस्तार देने और विभिन्न परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिलेगी। इनमें समुद्री डकैती का मुकाबला करना, गैरकानूनी व्यापार पर नियंत्रण, घुसपैठ पर रोक लगाना, अनधिकृत जलीय शिकार को रोकना, गैर-लड़ाकू निकास गतिविधि संचालन, तलाश और बचाव (एसएआर) अभियान व खुले समुद्र में उपस्थित परिसंपत्तियों की सुरक्षा आदि शामिल हैं। इन जलपोतों के निर्माण से साढ़े सात साल की अवधि में कुल 110 लाख मानव-दिवस रोजगार अवसर सृजित होंगे।

अगली पीढ़ी के मिसाइल वाहक जहाज

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के साथ 9,805 करोड़ रुपये की लागत से अगली पीढ़ी के 6 मिसाइल वाहक जहाजों (एनजीएमवी) के अधिग्रहण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन युद्धपोतों को मार्च 2027 से भारतीय नौसेना को सौंपना शुरू कर दिया जाएगा। ये अगली पीढ़ी के मिसाइल वाहक जहाज रडार से बचने में सक्षम, तेज गति वाले और काफी आक्रामक क्षमता के साथ भारी हथियारों से लैस पोत होंगे। मोटे तौर पर इन जहाजों की प्राथमिक भूमिका दुश्मन के युद्धपोतों, अवैध व्यापारी जहाजों और सतही ठिकानों के खिलाफ अपनी रक्षात्मक आक्रामक क्षमता प्रदर्शित करना होगी।

ये जहाज समुद्री हमले वाली कार्रवाइयों को पूरा करने में सक्षम तथा समुद्र के साथ-साथ बड़े सतही हमलों को अंजाम देने में सहायक होंगे। ये युद्धपोत दुश्मन के जहाजों से निपटने के लिए विशेष रूप से चोक पॉइंट्स पर समुद्र में रोक लगाने के एक शक्तिशाली हथियार के रूप में तैनात होंगे। रक्षात्मक भूमिका में, इन जहाजों को स्थानीय नौसेना रक्षा संचालन और अपतटीय विकास क्षेत्र के लिए समुद्री रक्षा के अन्य उद्देश्यों की पूर्ति हेतु भी प्रयुक्त किया जाएगा। इन जहाजों के निर्माण से नौ वर्षों की अवधि में कुल 45 लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजन होगा।

इन युद्धपोतों के स्वदेशी निर्माण से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सहित भारतीय जलपोत निर्माण एवं उनसे संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त अधिकांश उपकरणों और प्रणालियों के साथ ये युद्धपोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ के गौरवशाली ध्वजवाहक बनेंगे।

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