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एनसीआर को अधिक हरित बनाने के लिए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने अब एनसीआर में संबंधित विभिन्न निकायों – राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी, केंद्र सरकार और शैक्षणिक संस्थानों, उच्च शिक्षा/अनुसंधान संस्थानों के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान पूरे एनसीआर में 4.5 करोड़ वृक्षारोपण का बहुत बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है

पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में खास कर शुष्क गर्मी के मौसम में हवा की खराब गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार धूल के उच्च स्तर को कम करने की दिशा में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एनसीआर में खुले क्षेत्रों, विशेष रूप से सड़कों, सड़कों के किनारे/रास्ते आदि पर व्यापक हरियाली और वृक्षारोपण को प्रभावी साधन के रूप में चिन्हित किया है। वायु प्रदूषण कम करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की हरियाली बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में एनसीआर के राज्य सरकारों, एनसीटी दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों सहित एनसीआर में स्थित शैक्षणिक और वैज्ञानिक अनुसंधान आधारित संस्थानों के साथ सक्रिय भागीदारी और सहयोग से इस प्रयास में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।

इस दिशा में हल्की शुरुआत के साथ, वर्ष 2021-22 के दौरान केवल 28,81,145 नए वृक्षारोपण किए गए जिसके बाद प्रयासों में काफी तेजी लाई गई और वर्ष 2022-23 के दौरान एनसीआर में 3,11,97,899 नए वृक्षारोपण किए गए। वर्ष 2023-24 के लिए पूरे एनसीआर में एनसीआर राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी के लिए लगभग 3.85 करोड़ नए वृक्षारोपण का एक और महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करते हुए, इस वर्ष के दौरान लगभग 3.6 करोड़ वृक्षारोपण सफलतापूर्वक किया गया। इस प्रकार, कुल मिलाकर 93.5 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल किया गया। एनसीआर क्षेत्रों में वर्ष 2023-24 के व्यक्तिगत लक्ष्यों के संबंध में राज्य-वार अनुपालन दिल्ली के लिए 84.6 प्रतिशत; हरियाणा के लिए 87.4 प्रतिशत; राजस्थान के लिए 86.2 प्रतिशत; और यूपी के लिए 103.4 प्रतिशत रहा।

2023-24 में किए गए वृक्षारोपण और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित लक्ष्य की तुलना में हरियाली/वृक्षारोपण कार्य योजना 2023-24 के अंतर्गत विभिन्न हितधारकों के वृक्षारोपण लक्ष्य की तुलनात्मक तालिका नीचे दी गई है:

राज्य वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लक्ष्य वित्त वर्ष 2023-24 में वृक्षारोपण वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लक्ष्य
  • दिल्ली
95,04,390 80,41,331 56,40,593
  • हरियाणा (एनसीआर जिले)
98,93,797 86,49,277 1,32,50,000
  • राजस्थान (एनसीआर जिले)
25,89,892 22,33,288 42,68,649
  • उत्तर प्रदेश (एनसीआर जिले)
1,64,63,497 1,70,28,308 1,97,56,196
  • केंद्रीय सरकारी एजेंसियां ​​(सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ, उत्तरी रेलवे, एनसीआरटीसी, केंद्रीय विद्यालय संगठन, दिल्ली, डीएमआरसी, डीएफएफसीआईएल, आदि सहित)
 

 

6,29,500

 

 

7,24,036

 

 

12,07,000

  • एनसीआर के शैक्षणिक संस्थान, उच्च शिक्षा/अनुसंधान संस्थान
 

3,32,500

 

7,11,456

 

9,08,742

कुल 3,94,13,576 3,73,87,696 4,50,31,180

 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान आधारित संगठनों और अन्य वाणिज्यिक/औद्योगिक इकाइयों की सीमाओं पर बड़े पैमाने पर हरियाली और पेड़-पौधों के घेरे (जैविक बाड़) लगाने पर जोर दे रहा है। घने शहरी इलाकों में खाली जगहों की कमी को देखते हुए, आयोग प्रभावी शहरी वानिकी पहलों के माध्यम से हरियाली और वृक्षारोपण अभियान को बढ़ावा दे रहा है, विशेष रूप से मियावाकी तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके अलावा, आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सड़क से जुड़ी सभी एजेंसियों को सलाह दी है कि वे प्रमुख राजमार्गों के केन्द्रीय हिस्सों/बीच के हिस्से को पूरी तरह से हरा-भरा बनाने के साथ-साथ जहां तक संभव हो, रास्ते के दाईं ओर के साथ-साथ सड़क के किनारों और खुले क्षेत्रों को भी हरा-भरा बनाने का लक्ष्य रखें।

एनसीआर राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी, केंद्रीय एजेंसियों और प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, एनसीआर के उच्च शिक्षा/अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान, आयोग ने निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला:

  1. वृक्षारोपण करते समय यह ध्यान रखना होगा कि देशी पौधों की प्रजातियों का उपयोग किया जाए।
  2. वृक्षारोपण, निगरानी, ​​वृक्षारोपण के बाद देखभाल और पौधों के जीवित रहने की दर वृक्षारोपण कार्यक्रम के प्रमुख तत्व हैं।
  3. आयोग ने 6-7 फीट की ऊंचाई वाली झाड़ियों की सिफारिश की है ताकि पर्यावरण से धूल को रोकने के लिए पर्याप्त अवरोधक तैयार किया जा सके।
  4. औद्योगिक क्षेत्रों, स्कूलों, कॉलेजों आदि में घने पेड़ों/झाड़ियों के घेरे लगाने से भी धूल/प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी।
  5. शहरी क्षेत्रों में वृक्षारोपण गतिविधियों के लिए भूमि की उपलब्धता कम है और, उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक वृक्षारोपण किया गया है वहां घने वृक्षारोपण को प्राप्त करने के लिए पेड़ों के बीच खाली जगहों पर पौधे लगाए जा सकते हैं।
  6. वृक्षारोपण की उत्तरजीविता दर की निगरानी बहुत महत्वपूर्ण है; क्षतिग्रस्त/सूखे पौधों का प्रतिस्थापन आवश्यक है।
  7. वृक्षारोपण अभियान में गैर सरकारी संगठनों और आरडब्ल्यूए की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है और इस संबंध में संस्थानों द्वारा विभिन्न आईईसी गतिविधियां भी शुरू की जा सकती हैं।
  8. यदि किसी संस्थान के पास उसके परिसर में भूमि क्षेत्र उपलब्ध नहीं है, तो संस्थान सरकारी एजेंसियों, सीबीओ आदि की मदद से अपने परिसर के बाहर भूमि को गोद ले सकते हैं। भूमि की कम उपलब्धता के कारण मियावाकी तकनीक सहित सघन वृक्षारोपण के लिए अलग पहचान को प्राथमिकता दी जाती है।
  9. संस्थानों को इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की जानी चाहिए और यूजीसी भी इसमें मदद कर सकता है। इस संबंध में आयोग पहले ही यूजीसी से अनुरोध कर चुका है।
  10. बैठक में यह सलाह दी गई कि वित्तीय वर्ष के लिए वृक्षारोपण लक्ष्य पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम 20 प्रतिशत अधिक होना चाहिए।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग राज्य-वार वृक्षारोपण लक्ष्यों सहित एनसीआर के लिए व्यापक हरित कार्य योजना के कार्यान्वयन की प्रगति की बारीकी से निगरानी करेगा। संबंधित एजेंसियों को विशेष रूप से देशी प्रजातियों के वृक्षारोपण का सहारा लेने और वृक्षारोपण के बाद उचित देखभाल और पोषण के माध्यम से पेड़-पौधों को बचाए रखने का उच्च दर हासिल करने का प्रयास करने की सलाह दी गई है।