उन्नत आकाश शस्त्र प्रणाली
सेना वायु सुरक्षा की तीसरी और चौथी रेजीमेंट के लिए उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली जिसमें आधुनिकीकरण के साथ लाइव मिसाइल और लॉन्चर, स्थलीय सहायता उपकरणों , वाहन और आधारभूत अवसंरचना शामिल हैं, के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के साथ 8,160 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए।
उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली (एडब्ल्यूएस) एक कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसआरएसएएम) की वायु प्रतिरक्षा प्रणाली, जिसे डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। हवाई खतरों से निपटने के उद्देश्य से भारतीय सेना के लिए उत्तरी सीमाओं के लिए इन्हें उन्नत करने के साथ एडब्ल्यूएस की दो अतिरिक्त रेजीमेंट खरीदी जा रही हैं। इस उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली में सीकर टेक्नोलॉजी, सरलता से पता न चलने की विशेषता, सभी दिशाओं में कार्य कर सकने की क्षमता और बेहतर पर्यावरणीय मानक हैं।
यह परियोजना विशेष रूप से भारतीय मिसाइल निर्माण उद्योग और समग्र रूप से स्वदेशी रक्षा निर्माण इकोसिस्टम को बढ़ावा देगी। परियोजना में कुल स्वदेशी सामग्री 82% है जिसे 2026-27 तक बढ़ाकर 93% किया जाएगा ।
भारतीय सेना में उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली (एडब्ल्यूएस) को शामिल करने से कम दूरी की मिसाइल क्षमता में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। यह परियोजना अन्य देशों को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा के बाहर जाने से बचाकर, देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने और विभिन्न घटकों के निर्माण के माध्यम से भारतीय सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहित करके समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी अपनी भूमिका निभाएगी। अस्त्र प्रणाली की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने के लिए परियोजना लागत का लगभग 60% एमएसएमई सहित निजी उद्योग को दिया जाएगा, जिससे बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
हथियारों का पता लगाने वाले रडार स्वाति
हथियारों का पता लगाने वाले रडार स्वाति (मैदानी) के लिए अनुबंध पर भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल) के साथ 990 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह एक स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया ऐसा डब्ल्यूएलआर है जो हमारी सेनाओं पर गोलाबारी कर रही तोपों, मोर्टारों और रॉकेटों की सटीक स्थिति का पता लगाने की क्षमता के साथ ही स्वयम के गोलाबारी संसाधनों द्वारा प्रत्युत्तर में आक्रमण करके उन्हें नष्ट करने की सुविधा से लैस है। यह सैनिकों को दुश्मन के किसी भी हस्तक्षेप के बिना अपने परिचालन कार्यों को पूरा करने में सक्षम बनाएगा और उन्हें दुश्मन की गोलाबारी से सुरक्षा भी प्रदान करेगा। इसे सेना में आने वाले 24 महीनों में शामिल करने की योजना है ।
यह परियोजना रक्षा उद्योग के लिए अपनी क्षमता दिखाने का एक बड़ा अवसर है और रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ के लक्ष्य को प्राप्त करने