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विशाखापत्तनम में रक्षा मंत्री की मौजूदगी में भारतीय नौसेना में दूसरी अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिघात’ शामिल की गई

दसरी अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिघात’ को 29 अगस्त, 2024 को विशाखापत्तनम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि ‘अरिघात’ भूमि, जल और वायु प्‍लेटफॉर्मों पर परमाणु हथियारों की भारत की सैनिक रणनीति (न्‍यूक्‍लीयर ट्रायड) को और मजबूत करेगा, परमाणु निवारण बढ़ाएगा, क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद करेगा तथा देश की सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाएगा। उन्होंने इसे राष्ट्र के लिए एक उपलब्धि और प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के अटूट संकल्प का प्रमाण बताया। राजनाथ सिंह ने इस क्षमता को हासिल करने में भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और उद्योग जगत की कड़ी मेहनत और तालमेल की सराहना की। उन्होंने इस आत्मनिर्भरता को आत्मशक्ति की नींव बताया। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि देश के औद्योगिक क्षेत्र, विशेषकर एमएसएमई को इस परियोजना के माध्यम से भारी बढ़ावा मिला है और अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक इच्छाशक्ति को याद करते हुए, जिसने भारत को परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र के समकक्ष खड़ा कर दिया, रक्षा मंत्री ने कहा, “आज भारत विकसित देश बनने की ओर अग्रसर है। हमारे लिए रक्षा सहित हर क्षेत्र में तेजी से विकास करना जरूरी है, खासकर आज के भू-राजनीतिक परिदृश्य में। आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ हमें एक मजबूत सेना की जरूरत है। हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है कि हमारे सैनिकों के पास भारत की धरती पर बने उच्च गुणवत्ता वाले हथियार और प्लेटफॉर्म हों।” आईएनएस अरिघात के निर्माण में उन्नत डिजाइन और विनिर्माण प्रौद्योगिकी, विस्तृत अनुसंधान एवं विकास, विशेष सामग्रियों का उपयोग, जटिल इंजीनियरिंग और अत्यधिक कुशल कारीगरी का इस्तेमाल शामिल था। इसे स्वदेशी प्रणालियों और उपकरणों से युक्त होने का गौरव प्राप्त है, जिनकी अवधारणा, डिजाइन, निर्माण और एकीकरण भारतीय वैज्ञानिकों, उद्योग और नौसेना कर्मियों द्वारा किया गया था। इस पनडुब्बी पर स्वदेशी रूप से की गई तकनीकी प्रगति इसे इसके पूर्ववर्ती अरिहंत की तुलना में काफी उन्नत बनाती है। आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात दोनों की मौजूदगी संभावित शत्रुओं को रोकने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की भारत की क्षमता बढ़ाएगी।

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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय लगभग 1 एकड़ भूमि पर “मातृ वन” स्थापित करेगा-शिवराज सिंह चौहान

  केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज #एक_पेड़_माँ_के_नाम #Plant4Mother अभियान के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) कैंपस पूसा में पौधारोपण किया। श्री चौहान ने बताया कि मंत्रालय लगभग 1 एकड़ भूमि में “मातृ वन” स्थापित करेगा। कार्यक्रम में राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर, सचिव डेयर एवं महानिदेशक आईसीएआर डॉ. हिमांशु पाठक, कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय के लगभग 200 अधिकारी/कर्मचारी और स्कूली छात्र भी उपस्थित थे। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देशभर में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) के सभी अधीनस्थ कार्यालय, आईसीएआर संस्थान, सीएयू, केवीके और एसएयू भी अपने-अपने स्थानों पर इसी तरह का वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया। श्री चौहान ने यह भी बताया कि आज कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत 800 से अधिक संस्थानों ने भाग लिया और उम्मीद है कि कार्यक्रम के दौरान 3000-4000 पौधे लगाए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वैश्विक अभियान #एक_पेड़_माँ_के_नाम #Plant4Mother का शुभारंभ किया था और प्रधानमंत्री के संकल्प को सुनिश्चित करने के लिए आज हमारे मंत्रालयों ने जन आंदोलन के रूप में #एक_पेड़_माँ_के_नाम #Plant4Mother अभियान की शुरुआत की है। चौहान ने इस अवसर पर उपस्थित सभी अधिकारियों/कर्मचारियों और स्कूली विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे इस अभियान में भाग लें और वृक्षारोपण करके अपनी माँ और धरती माँ के प्रति सम्मान प्रकट करें। वैश्विक अभियान के हिस्से के रूप में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के प्रयास कर रहा है कि सितंबर 2024 तक देशभर में 80 करोड़ पौधे और मार्च 2025 तक 140 करोड़ पौधे लगाए जाएं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 20 जून 2024 को असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में वृक्षारोपण गतिविधि शुरू की, जिसमें व्यक्तियों ने अपनी माताओं के सम्मान में पेड़ लगाए। पेड़ लगाने से सरकार द्वारा शुरू किए गए मिशन लाइफ (Mission LiFE) के उद्देश्य को भी पूरा किया जाता है जो पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली का एक जन आंदोलन है। कृषि में, पेड़ उगाना टिकाऊ खेती को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। पेड़ मिट्टी, पानी की गुणवत्ता में सुधार करके और जैव विविधता को बढ़ाकर कृषि उत्पादकता में सुधार करने में मदद करते हैं। पेड़ किसानों को लकड़ी और गैर-लकड़ी उत्पादों से अतिरिक्त आय का स्रोत भी प्रदान करते हैं। अभियान में भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण को रोकने और उलटने की अपार क्षमता है।

 

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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 234 नए शहरों/कस्बों में निजी एफएम रेडियो शुरू करने को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निजी एफएम रेडियो चरण-3 नीति के अंतर्गत 234 नए शहरों में 730 चैनलों के लिए 784.87 करोड़ रुपये के अनुमानित आरक्षित मूल्य के साथ तीसरे बैच की आरोही (बढ़ती हुई बोली) ई-नीलामी करवाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

शहरों/कस्बों की राज्यवार सूची और नई नीलामी के लिए स्वीकृत निजी एफएम चैनलों की संख्या अनुलग्नक के रूप में यहां संलग्न है।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को छोड़कर एफएम चैनल के वार्षिक लाइसेंस शुल्क (एएलएफ) के रूप में सकल राजस्व का 4 प्रतिशत लेने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। ये 234 नए शहरों/कस्बों के लिए लागू होगा।

234 नए शहरों/कस्बों में निजी एफएम रेडियो की शुरुआत से उन शहरों/कस्बों में एफएम रेडियो की अधूरी मांग पूरी होगी, जो अभी भी निजी एफएम रेडियो प्रसारण से अछूते हैं और मातृभाषा में नए/स्थानीय कंटेंट पेश करेंगे।

इससे नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, स्थानीय बोली और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा तथा ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल को बढ़ावा मिलेगा। अनुमोदित किए गए ऐसे कई शहर/कस्बे आकांक्षी जिलों और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में हैं। इन क्षेत्रों में निजी एफएम रेडियो की स्थापना से इन क्षेत्रों में सरकारी पहुंच और सुदृढ़ होगी।

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कैबिनेट ने भारतीय रेलवे में कनेक्टिविटी बढ़ाने, यात्रा को आसान बनाने, लॉजिस्टिक्स लागत कम करने, तेल आयात कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य से दो नई लाइनों और एक मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने रेल मंत्रालय की लगभग 6,456 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

इन परियोजनाओं से दूर-दराज़ के इलाकों को आपस में जोड़कर लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, मौजूदा लाइन क्षमता बढ़ाने और परिवहन नेटवर्क का विस्तार करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा जिससे तेजी से आर्थिक विकास होगा।

नई लाइन के प्रस्तावों से सीधी कनेक्टिविटी बनेगी और आवागमन में सुधार होगा, तथा भारतीय रेलवे की दक्षता और सेवा संबंधी विश्वसनीयता बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर बेहद जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की नए भारत की परिकल्पना के अनुरूप हैं, जिनसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक विकास होगा और लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाया जा सकेगा और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना तैयार किए जाने से संभव हुआ है और यह लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे 4 राज्यों के 7 जिलों में लागू की जाने वाली तीन परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 300 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी।

इन परियोजनाओं के साथ 14 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे दो आकांक्षी जिलों (नुआपाड़ा और पूर्वी सिंहभूम) को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। नई लाइन परियोजनाओं से लगभग 1,300 गांवों और लगभग 11 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी। मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 1,300 गांवों और लगभग 19 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी।

ये मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 45 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे पर्यावरण के अनुकूल एवं ऊर्जा कुशल परिवहन साधन है और इससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने, तेल आयात (10 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (240 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद मिलेगी, जो 9.7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

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कैबिनेट ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 12 औद्योगिक नोड/शहरों को मंजूरी दी

भारत जल्द ही औद्योगिक स्मार्ट शहरों की एक भव्य श्रृंखला स्‍थापित करेगा। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय में, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के तहत 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 12 नए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। यह कदम देश के औद्योगिक परिदृश्य को बदलने के लिए तैयार है, जिससे औद्योगिक नोड्स और शहरों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार होगा जो आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।

10 राज्यों में फैले और रणनीतिक रूप से नियोजित 6 प्रमुख गलियारों के साथ ये परियोजनाएं भारत की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक विकास को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाएंगी। ये औद्योगिक क्षेत्र उत्तराखंड में खुरपिया, पंजाब में राजपुरा-पटियाला, महाराष्ट्र में दिघी, केरल में पलक्कड़, उत्‍तर प्रदेश में आगरा और प्रयागराज, बिहार में गया, तेलंगाना में जहीराबाद, आंध्र प्रदेश में ओरवाकल और कोप्पर्थी और राजस्थान में जोधपुर-पाली में स्थित हैं।

मुख्य विशेषताएं:

रणनीतिक निवेश: एनआईसीडीपी को बड़े एंकर उद्योगों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) दोनों से निवेश की सुविधा प्रदान करके एक जीवंत औद्योगिक इकोसिस्‍टम को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। ये औद्योगिक नोड 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर निर्यात प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेंगे, जो सरकार के आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भारत के विजन को दर्शाता है।

स्मार्ट शहर और आधुनिक बुनियादी ढांचा: नए औद्योगिक शहरों को वैश्विक मानकों के ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जिन्हें ‘प्लग-एन-प्ले’ और ‘वॉक-टू-वर्क’ अवधारणाओं पर “मांग से पहले” बनाया जाएगा। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि शहर उन्नत बुनियादी ढांचे से लैस हों जो टिकाऊ और कुशल औद्योगिक कार्यों का समर्थन करते हैं।

पीएम गतिशक्ति पर क्षेत्रीय दृष्टिकोण: पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचा होगा, जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगा। औद्योगिक शहरों को पूरे क्षेत्र के परिवर्तन के लिए विकास केन्‍द्र बनाने की परिकल्पना की गई है।

एक विकसित भारत‘ का विजन:

इन परियोजनाओं की मंजूरी ‘विकसित भारत’ – एक विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक कदम है। वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में भारत को एक मजबूत प्रतिस्‍पर्धी के रूप में स्थापित करके, एनआईसीडीपी आवंटन के लिए तत्काल उपलब्‍ध उन्‍नत विकसित भूमि प्रदान करेगा, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करना आसान हो जाएगा। यह एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ या स्‍वालंबी भारत बनाने के व्यापक उद्देश्य के अनुरूप है, जो बढ़े हुए औद्योगिक उत्पादन और रोजगार के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

आर्थिक प्रभाव और रोजगार सृजन:

एनआईसीडीपी से महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिसमें अनुमानित 1 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियां और नियोजित औद्योगीकरण के माध्यम से 3 मिलियन तक अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। इससे न केवल आजीविका के अवसर उपलब्ध होंगे, बल्कि उन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान मिलेगा जहां ये परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।

स्‍थायी विकास के प्रति प्रतिबद्धता:

एनआईसीडीपी के तहत परियोजनाओं को स्‍थायित्‍व पर ध्यान केन्‍द्रित करते हुए तैयार किया गया है, जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए आईसीटी-सक्षम उपयोगिताओं और हरित प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है। गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय और टिकाऊ बुनियादी ढांचा प्रदान करके, सरकार का लक्ष्य ऐसे औद्योगिक शहर बनाना है जो न केवल आर्थिक गतिविधि के केंद्र हों, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के मॉडल भी हों।

एनआईसीडीपी के तहत 12 नए औद्योगिक नोड्स की स्वीकृति भारत की वैश्विक विनिर्माण शक्ति बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। एकीकृत विकास, टिकाऊ बुनियादी ढाँचे और निर्बाध कनेक्टिविटी पर रणनीतिक ध्यान देने के साथ, ये परियोजनाएं भारत के औद्योगिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने और आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए तैयार हैं।

इन नई मंजूरियों के अलावा, एनआईसीडीपी ने पहले ही चार परियोजनाओं को पूरा होते देखा है, और चार अन्य वर्तमान में कार्यान्वयन के अधीन हैं। यह निरंतर प्रगति भारत के औद्योगिक क्षेत्र को बदलने और एक जीवंत, टिकाऊ और समावेशी आर्थिक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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उच्च शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) 2024 के लिए उच्च शैक्षिक संस्थानों और पॉलिटेक्निक से 16 शिक्षकों का चयन किया

शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) 2024 के लिए उच्च शैक्षिक संस्थानों (एचईआईएस) और पॉलिटेक्निक के 16 शिक्षकों का चयन किया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार विद्यार्थियों, संस्थान और शिक्षा व्यवसाय की उन्नति के लिए प्रेरित, ऊर्जावान और सक्षम संकाय महत्वपूर्ण है।  इसमें शिक्षा इकोसिस्टम में उत्कृष्टता की संस्कृति विकसित करने के लिए पुरस्कार और मान्यता जैसे प्रोत्साहनों की भी परिकल्पना की गई है। ऐसे में, वर्ष 2023 में, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) की छत्रछाया में उच्च शैक्षिक संस्थानों (एचईआई) और पॉलिटेक्निक के लिए पुरस्कारों की दो श्रेणियां स्थापित करने का निर्णय लिया गया। अब तक यह पुरस्कार केवल स्कूल शिक्षकों तक ही सीमित थे।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) निम्नलिखित श्रेणियों के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों और पॉलिटेक्निक के अनुकरणीय शिक्षकों/संकाय सदस्यों को प्रदान किया जाता है:

श्रेणी I: उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षक:

उप-श्रेणी (i): इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी, वास्तुकला।

उप-श्रेणी (ii): गणित, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, फार्मेसी सहित शुद्ध विज्ञान

उप-श्रेणी (iii): कला और सामाजिक विज्ञान, मानविकी, भाषाएँ, कानूनी अध्ययन, वाणिज्य, प्रबंधन।

श्रेणी II: पॉलिटेक्निक संस्थानों के शिक्षक: कुल 10 पुरस्कार

चयनित 16 शिक्षक पॉलिटेक्निक, राज्य विश्वविद्यालयों और केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों से हैं।

चयन शिक्षण अधिगम प्रभावशीलता, जनसंपर्क गतिविधियों, अनुसंधान और नवाचार, प्रायोजित अनुसंधान / संकाय विकास कार्यक्रम / परामर्श शिक्षण जैसे मापदंडों के आधार पर शिक्षक के प्रदर्शन पर आधारित है। उपरोक्त में से, सीखने की प्रभावशीलता और जनसंपर्क गतिविधियों का प्रमुख महत्व है।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी)-2024 के लिए चयन प्रक्रिया में दो चरणों वाली प्रक्रिया शामिल है; (i) नामांकित व्यक्तियों की प्रारंभिक छंटनी के लिए प्रारंभिक खोज-सह-स्क्रीनिंग समिति द्वारा मूल्यांकन और (ii) छंटनी किए गए नामांकित व्यक्तियों में से पुरस्कार विजेताओं के चयन के लिए ‘निर्णायक’ समिति द्वारा मूल्यांकन।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी), 2024 के लिए नामांकन राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल @www.awards.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन माध्यम से आमंत्रित किए गए थे और इसमें जनभागीदारी के हिस्से के रूप में स्वयं, संस्थागत और सहकर्मी नामांकन के प्रावधान शामिल थे।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) 2024 के पुरस्कार विजेताओं का विवरण – उच्च शिक्षा विभाग(डीओएचई)

 

क्रम संख्या संस्थान का नाम राज्य
1 डॉ. गांधीमठी ए

 

त्यागराजर पॉलिटेक्निक कॉलेज, जंक्शन मेन रोड, सेलम- 636005, तमिलनाडु

 

तमिलनाडु
2. प्रोफेसर परमार रंजीतकुमार खिमजीभाई

राजकीय पॉलिटेक्निक खड़िया, बिलखा रोड, जूनागढ़, गुजरात-362263

 

गुजरात
3. प्रो. निधि जैन

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली,

हौज़ खास, नई दिल्ली-110016

 

 

दिल्ली
4. डॉ. स्मिलाइन गिरिजा

सविता डेंटल कॉलेज और अस्पताल, सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज [एसआईएमएटीएस], सविता यूनिवर्सिटी

नंबर 162: पीएच रोड, वेलप्पन्चवाडी, चेन्नई, तमिलनाडु- 600077

तमिलनाडु
5. प्रो. बिरिंची कुमार सर्मा

कवक विज्ञान और पादप रोग विज्ञान विभाग, कृषि विज्ञान संस्थान,

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश- 221005

 

उत्तर प्रदेश
6. प्रो. श्रीनिवास होथा

 

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान पुणे,

डॉ. होमी भाभा रोड, पुणे, महाराष्ट्र- 411 008

 

महाराष्ट्र
7. डॉ. एसआर केशव

 

अर्थशास्त्र विभाग,

बैंगलोर विश्वविद्यालय, ज्ञान भारती परिसर, केंगेरी, बैंगलोर, कर्नाटक – 560056

 

कर्नाटक
8. प्रो. शिल्पागौरी प्रसाद

गणपुले

 

पुणे जिला शिक्षा संघ के प्रो. रामकृष्ण मोरे कला, वाणिज्य और विज्ञान

कॉलेज, गंगानगर, सेक्टर नंबर 28, निगड़ी प्राधिकरण, पुणे, महाराष्ट्र- 411044

 

महाराष्ट्र
9. डॉ. छायापुरम जया शंकर बाबू

 

पांडिचेरी विश्वविद्यालय, आर. वेंकट रमन नगर, कलापेट, पुद्दुचेरी – 605 014

 

पुद्दुचेरी
10. प्रो. नीलाभ तिवारी

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय

भोपाल परिसर

बागसेवनिया, भोपाल, मध्य प्रदेश

पिन -462043

 

मध्य प्रदेश
11। प्रो. विनय शर्मा

 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, रुड़की, हरिद्वार, उत्तराखंड-247667

 

उत्तराखंड
12. डॉ. नंदवरम मृदुला

राजकीय महिला महाविद्यालय, मयूर मार्ग, बेगमपेट, हैदराबाद, तेलंगाना 500016

तेलंगाना
13. डॉ. शिमी एस.एल.

 

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (मानद विश्वविद्यालय), विद्या पथ, सेक्टर 12, चंडीगढ़ 160012

चंडीगढ़
14. प्रो. कपिल आहूजा

 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर, खंडवा रोड, सिमरोल, इंदौर, मध्य प्रदेश 453552

 

मध्य प्रदेश
15. डॉ. अनिता सुसीलन

 

स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, केंगेरी कैंपस, क्राइस्ट डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी, केंगेरी-कैंपस, कनमिनिके, कुंबलगोडु, मैसूर रोड, बैंगलोर, कर्नाटक- 560074

 

कर्नाटक
16. प्रो. डॉ. शाहनाज़ अयूब

 

बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कानपुर रोड, झांसी-284128, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश

 

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मुख्य मंत्री द्वारा राजकीय इण्टर कॉलेज चुन्नीगंज में एक दिवसीय वृहद रोजगार मेला, ऋण मेला व टेबलेट वितरण

*◆ एक दिवसीय वृहद रोजगार मेला, ऋण मेला, टेबलेट वितरण का किया गया भव्य आयोजन-*
*◆ 745 करोड़ की विभिन्न विकास परियोजनाओं को हुआ शिलान्यास व लोकार्पण*
*◆ 01 हजार से अधिक युवाओं को वितरित किया गया नियुक्ति पत्र-*
*◆ 5027 लाभार्थियों को 191 करोड़ का ऋण वितरित किया गया-*
*◆ *8087 युवाओं टेबलेट वितरित किया गया। **

कानपुर दिनांक 29 अगस्त, 2024 (सू0वि0)* मा0 मुख्यमंत्री उ0प्र0 योगी आदित्यनाथ द्वारा आज राजकीय इण्टर कालेज लाल इमली, चुन्नीगंज में एक दिवसीय वृहद रोजगार मेला, ऋण मेला व टेबलेट वितरण किया गया तथा 745 करोड़ रूपये की विभिन्न विकासपरक परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया गया। रोजगार मेले के अन्तर्गत 01 हजार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरण, 5027 लाभार्थियों को रोजगार हेतु 191 करोड़ का ऋण वितरण एवं 8087 युवाओं को टेबलेट वितरण किया गया।
मा0 मुख्यमंत्री जी ने बटन दबाकर 745 करोड़ रूपये की विभिन्न विकास परक परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। इस अवसर पर मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा मुदिता मिश्रा, आकाश कुमार पटेल, अंजलि भारतीय , नरेन्द्र प्रताप सिंह, उत्कर्ष सिंह, पंकज सोनकर, सक्षम सिंह राजावत, आसमा बानो, महक दुबे, आरूषी गौतम को टेबलेट प्रदान किया, साथ ही अमर नाथ रावत को 80.83 लाख, पारूल पटेल को 09 लाख, सीमा द्विवेदी को 02 लाख, पप्पी सचान को 04 करोड़ 47 लाख, रविन्द्र पाल सिंह को 01 करोड का ऋण योजना के अन्तर्गत चेक तथा अभिषेक सिंह, सूरज पाल सिंह, रवि कुमार, मोनी देवी, स्वामी वर्मा को रोजगार मेले के अन्तर्गत नियुक्ति पत्र प्रदान किया।
मा0 मुख्यमंत्री उ0प्र0 योगी आदित्यनाथ जी ने कानपुर की जनता को धन्यवाद देते हुये कहा कि प्रदेश सरकार कानपुर वासियों व नौजवानों की आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु लगातार प्रयास कर रही है, इसी क्रम में आज जनपद कानपुर नगर को विभिन्न विकास परक परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य 01 हजार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरण, 5027 लाभार्थियों को 191 करोड़ का ऋण वितरण एवं 8087 युवाओं को टेबलेट प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि लाल इमली का पुनरुद्धार करने के बड़े पैकेज के साथ हमारी सरकार आगे बढ़ने जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में 40 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव उ0प्र0 सरकार के साथ हुये हैं। मा0 प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में अब तक 6.5 लाख नौजवान सरकारी नौकरी प्राप्त कर चुके हैं। कहा कि जो भी युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करेगा उसे बख्शा नहीं जायेगा। परीक्षा में धांधली करने वाले आरोपियों को आजीवन कारावास, एक करोड़ का जुर्माने के साथ सम्पत्ति की जब्तीकरण कार्यवाही के साथ जोड़ा जायेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार मा0 प्रधानमंत्री के मिशन रोजगार के अनुरूप अगले दो वर्षों में दो लाख सरकारी नौकरी देगी जिसमें से 60 हजार 02 सौ पदों पर पुलिस भर्ती की परीक्षा प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 50 लाख युवाओं को प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, एक जिला एक उत्पाद योजना, पी0एम0 विश्वकर्मा योजना, पी0एम0 स्वनिधि योजना और उ0प्र0 विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के माध्यम से रोजगार की योजना के साथ जोड़ने के बड़े कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ रही है।
आज कानपुर नगर में ट्रैफिक जाम से मुक्ति की ओर आगे बढ रहा है। आज कानपुर नगर मेट्रो का संचालन किया जा रहा है। सीसामऊ और जाजमऊ के सीवर का नाला गंगा में बहने से रोका जा रहा है, जिससे कि मां गंगा की अविरल व निर्मल धारा को पवित्र बनाये रखा जा सके। प्रदेश सरकार सुरक्षा, विकास, सुशासन के मॉडल को अपना रही है, लखनऊ व कानपुर के बीच बन रहा ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे इस विकास की गति की ओर तेज करेगा। गंगा एक्सप्रेसवे बनने से भी कानपुर का चौमुखी विकास होगा, कानपुर की विकास परियोजनाओं को और आगे बढ़ाया जायेगा। प्रदेश सरकार गुण्डागर्दी व अराजकता से मुक्ति दिलाने हेतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि मुझे अत्यन्त हर्ष है कि मैं कानपुर को 745 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दे रहा हूं। वे नौजवान जिन्हें आज रोजगार, टेबलेट व जिन्हें रोजगार हेतु ऋण प्राप्त हुये है उन्हें मैं बधाई देता हूं।
इस अवसर पर मा0 मंत्री वित्त एवं संसदीय कार्य सुरेश कुमार खन्ना, मा0 मंत्री सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग राकेश सचान, मा0 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आबकारी एवं मध्य निषेध नितिन अग्रवाल, मा0 राज्यमंत्री विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक तथा सूचना प्रौद्योगिकी अजीत सिंह पाल, मा0 राज्यमंत्री महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार प्रतिभा शुक्ला, मा0 सांसद कानपुर रमेश अवस्थी, मा0 सांसद अकबरपुर देवेन्द्र सिंह भोले, मा0 जिला पंचायत अध्यक्ष स्वप्निल वरूण, मा0 महापौर प्रमिला पाण्डेय, मा0 विधायक सरोज कुरील, सुरेन्द्र मैथानी, मोहित सोनकर (राहुल बच्चा), महेश त्रिवेदी, नीलिमा कटियार, अभिजीत सिंह सांगा, मा0 विधान परिषद सदस्य अरूण पाठक, मानवेन्द्र सिंह चौहान, सलिल विश्नोई, अविनाश सिंह चौहान तथा अन्य गणमान्य महानभावों, लाभार्थीगण सहित जन सामान्य उपस्थित रहे।

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किदवई नगर में बढ़ी चोरियो की संख्या सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए चोर

भारतीय स्वरूप संवाददाता त्यौहार की शुरुआत होते ही एच ब्लॉक किदवई नगर में बढी चोरियो की संख्या, कहीं यह किसी बड़ी घटना का आगाज तो नहीं… जी हां पिछले कई दिनों से किदवई नगर बाईपास किनारे स्थित एच ब्लॉक में ग्रीन बेल्ट से लगे हुए घरों के बाहर प्रायः चोरियो की घटनाएं हो रही है। चूंकि सभी वारदाते बड़े स्तर की न होकर छोटी छोटी चोरिया जैसे जाली, ग्रिल, लोहे की रॉड आदि है इसलिए लोग इन्हें लेकर पुलिस के पास नही जाते जिससे चोरों के हौसले दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे है। ऐसा ही वाकया आज सबेरे तकरीबन 3 बजकर चालीस मिनट पर देखने में आया जब स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र के ऑफिस के सामने लगे हुए स्टील के रॉड को तोड़ते हुए दो चोर दिखाई दिए। दिन में उस रॉड के टुकड़े आगे फुटपाथ पर नमकीन की दुकान पर दिखाई दिए। सीसीटीवी फुटेज किदवई नगर थाना प्रभारी बहादुर सिंह को भेज दी गई और उन्हें पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है। उन्होंने संजय वन चौकी इंचार्ज को कार्यवाही के लिए आदेशित भी किया है। बताते चलें कि पिछले वर्ष इसी समय एच ब्लॉक दो बड़ी चोरियां हुई थी। अब देखना है कि पुलिस किस चुस्ती फुर्ती से चोरों का हौसला पस्त करने हेतु कदम उठाती है वर्ना गणेश पूजन और राम लीला आदि त्योहारों में चोरी एक बड़ी समस्या हो सकती है।

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सरकार ने टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में 4 स्टार्ट-अप को मंजूरी दी

वस्त्र मंत्रालय के सचिव ने आज नई दिल्ली स्थित उद्योग भवन में राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के तहत आठवीं अधिकार प्राप्त कार्यक्रम समिति (ईपीसी) की बैठक की अध्यक्षता की। समिति ने ‘तकनीकी वस्त्र के क्षेत्र में उभरते अन्वेषकों के लिए अनुसंधान एवं उद्यमिता हेतु अनुदान (ग्रेट)’ योजना के तहत 4 स्टार्ट-अप को मंजूरी दी है और प्रत्येक स्टार्ट-अप को लगभग 50 लाख रुपये के अनुदान प्रदान किया है।

समिति ने ‘तकनीकी वस्त्रों से संबद्ध शैक्षणिक संस्थानों को सक्षम बनाने हेतु सामान्य दिशानिर्देश’ के तहत 5 शिक्षा संस्थानों को तकनीकी वस्त्रों से संबंधित पाठ्यक्रम शुरू करने हेतु लगभग 20 करोड़ रूपये के अनुदान को भी मंजूरी दे दी है।

अनुमोदित स्टार्ट-अप परियोजनाएं कंपोजिट्स, सस्टेनेबल टेक्सटाइल्स और स्मार्ट टेक्सटाइल्स के प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों पर केन्द्रित हैं। अनुमोदित शिक्षा संस्थानों ने जियोटेक्सटाइल्स, जियोसिंथेटिक्स, कंपोजिट्स, सिविल स्ट्रक्चर्स आदि सहित तकनीकी वस्त्रों के विभिन्न क्षेत्रों और अनुप्रयोगों में नए बी.टेक पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह कल नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अनुभव पुरस्कार 2024 प्रदान करेंगे

प्रधानमंत्री के निर्देश पर, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने मार्च 2015 में ‘अनुभव’ नामक एक ऑनलाइन मंच शुरू किया। यह सेवानिवृत्त होने वाले/सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए अपनी सेवा अवधि के दौरान की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का एक माध्यम है।

28 अगस्त, 2024 को डीओपीपीडब्ल्यू 2016 में अपनी स्थापना के बाद से 7वें अनुभव पुरस्कार समारोह का आयोजन करेगा। उल्लेखनीय है कि अब तक 6 समारोहों में 54 अनुभव पुरस्कार और 09 जूरी प्रमाण पत्र प्रदान किए जा चुके हैं।

इस वर्ष 22 मंत्रालयों/विभागों के लेख प्रकाशित किए गए हैं, जिनमें से 5 अनुभव पुरस्कार और 10 जूरी प्रमाण पत्र कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा उत्कृष्ट लेखों के लिए प्रदान किए जाएंगे। यह पुरस्कार समारोह अभूतपूर्व है, क्योंकि कुल 15 पुरस्कार विजेताओं में से 33 प्रतिशत महिला कर्मचारी हैं, जो ‘अनुभव’ के इतिहास में अब तक की सर्वाधिक संख्या है। यह शासन में उनकी बढ़ती भूमिका और योगदान को दर्शाता है। डीओपीपीडब्ल्यू 15 पुरस्कार विजेताओं की व्यावसायिक उपलब्धियों का समारोह मनाने और उन्हें रेखांकित करने के लिए एक लघु फिल्म और प्रशस्ति पुस्तिका भी जारी करेगा।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग 28 अगस्त, 2024 को विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में 55वीं सेवानिवृत्ति पूर्व परामर्श (पीआरसी) कार्यशाला का आयोजन करेगा ।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग, सुशासन के एक हिस्से के रूप में, सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को सेवानिवृत्ति प्रक्रिया में सुविधा प्रदान करने के लिए, पूरे देश में सेवानिवृत्ति-पूर्व परामर्श (पीआरसी) कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है। भारत सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लाभ के लिए आयोजित की जा रही यह कार्यशाला, पेंशनभोगियों के ‘जीवन को सुगम बनाने’ की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस कार्यशाला में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति लाभों और पेंशन स्वीकृति प्रक्रिया से संबंधित सुसंगत जानकारी प्रदान की जाएगी।

सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए सुचारू बदलाव की सुविधा के लिए, भविष्य पोर्टल, एकीकृत पेंशनर्स पोर्टल, सेवानिवृत्ति लाभ, पारिवारिक पेंशन, सीजीएचएस नियम, आयकर नियम, अनुभव, डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र, निवेश के अवसर आदि पर विभिन्न सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सभी सत्रों को सेवानिवृत्त लोगों को अपनाई जाने वाली प्रक्रिया और सेवानिवृत्ति से पहले भरे जाने वाले फॉर्म के बारे में जागरूक करने और सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें मिलने वाले लाभों के बारे में जानकारी देने के लिए तैयार किया गया है।

विभिन्न निवेश मोड, उनके लाभ और योजना पर एक विस्तृत सत्र आयोजित किया जाएगा ताकि सेवानिवृत्त लोग समय रहते अपने रिटायरमेंट फंड के निवेश की योजना बना सकें। सीजीएचएस प्रणाली, सीजीएचएस पोर्टल, प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के साथ-साथ सीजीएचएस लाभ प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं पर भी एक विस्तृत सत्र आयोजित किया जाएगा।

पीआरसी कार्यशाला के दौरान “बैंकों की प्रदर्शनी” आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया है, जिसमें सभी 18 पेंशन वितरण बैंक भाग लेंगे। प्रतिभागियों को पेंशनभोगियों से संबंधित सभी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। बैंक सेवानिवृत्त लोगों को पेंशन खाता खोलने और उनके लिए उपयुक्त विभिन्न योजनाओं में पेंशन कोष का निवेश करने के बारे में भी मार्गदर्शन करेंगे।

उम्मीद है कि 31.03.2025 तक सेवानिवृत्त होने वाले लगभग 1,200 अधिकारियों को इस पूर्व-सेवानिवृत्ति परामर्श (पीआरसी) कार्यशाला से अत्यधिक लाभ होगा। विभाग सुशासन के हिस्से के रूप में ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन करना जारी रखेगा, ताकि केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एक सहज और आरामदायक बदलाव सुनिश्चित किया जा सके। विभाग उन्हें सरकार द्वारा की जा रही पहलों के बारे में अद्यतन रखने के लिए सभी प्रयास कर रहा है ताकि वे सेवानिवृत्ति के बाद भी सभी लाभों का लाभ उठा सकें।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग 28 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में 11वीं राष्ट्रव्यापी पेंशन अदालत का आयोजन करेगा।

पेंशनभोगियों की शिकायतों का निवारण सरकार के लिए उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। पेंशनभोगियों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए पेंशन अदालतों का आयोजन डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा किया जा रहा है, जिसमें कई हितधारकों को मौके पर ही निवारण के लिए एक ही प्लेटफार्म पर लाया जाता है। देश भर में आयोजित सभी पेंशन अदालतों में 17,760 (74 प्रतिशत निवारण दर) मामलों का समाधान किया गया।

11वीं पेंशन अदालत में लंबे समय से लंबित वरिष्ठ नागरिकों के पेंशन मामलों के समाधान पर ध्यान दिया जाएगा। पेंशन अदालत में गृह मंत्रालय, रक्षा वित्त विभाग, वाणिज्य मंत्रालय, भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, रेल मंत्रालय आदि सहित 22 मंत्रालय/विभाग भाग लेंगे। मंत्रालयों से संबंधित 298 मामलों पर चर्चा की जाएगी।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने पेंशनभोगियों और बुजुर्ग नागरिकों के लिए एक साझा एकल खिड़की पोर्टल प्रदान करने के लिए भविष्य मंच को आधार के रूप में उपयोग करते हुए एक “एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल” विकसित किया है। भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया पहले से ही अपने पेंशन पोर्टल को एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल के साथ एकीकृत कर रहे हैं। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कल इस वर्ग में शामिल हो जाएगा। वर्तमान में, इन बैंकों द्वारा 4 सुविधाएं अर्थात् मासिक पेंशन पर्ची, जीवन प्रमाण पत्र की स्थिति, पेंशनभोगी का फॉर्म 16 जमा करना और भुगतान किए गए पेंशन बकाया का देय और आहरित विवरण प्रदान की जा रही हैं। इसका लक्ष्य एकीकृत उपयोगकर्ता अनुभव के लिए सभी पेंशन संवितरण बैंकों को इस पोर्टल के साथ एकीकृत करना है।

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