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‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत देश में पहली बार इंड-सैट परीक्षा आयोजित की गई

 मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपने ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत देश में पहली बार प्रतिभा आकलन के लिए इंड-सेट 2020 परीक्षा आयोजित की।  नेपाल, इथियोपिया, बांग्लादेश, भूटान, युगांडा, तंजानिया, रवांडा, श्रीलंका, केन्या, जाम्बिया, इंडोनेशिया और मॉरीशस के लगभग पांच हजार छात्रों ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा ऑनलाइन आयोजित इस परीक्षा में भाग लिया। परीक्षा के लिए छात्रों के पंजीकरण और अन्य पहलुओं का प्रबंधन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम एडीसीआईएल (इंडिया) लिमिटेड और एसआईआई की कार्यान्वयन एजेंसी की ओर से किया गया।

      इंड-सैट, स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम के तहत चुनिंदा भारतीय विश्वविद्यालयों में अध्ययन के इच्छुक विदेशी छात्रों को छात्रवृत्ति और दाखिला देने के लिए कराई जाने वाली एक परीक्षा है। यह परीक्षा भारत में अध्ययन के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की शैक्षिक योग्यता का आकलन करने के लिए ली गई है। इस परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मेधावी छात्रों का चयन किया जाएगा और उसके अनुरूप उन्हें छात्रवृत्ति दी जाएगी तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला दिया जाएगा।  

      इस वर्ष के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि भारत में उच्च शिक्षा के लिए इच्छुक विदेशी छात्रों की योग्यता का आकलन करने के लिए एक बेंचमार्क के रूप में एशियाई और अफ्रीकी देशों में इंड-सैट परीक्षा आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है। इस वर्ष प्रायोगिक परीक्षण के आधार पर 12 देशों में यह परीक्षा आयोजित की गई। भविष्य में इसे अन्य देशों में आयोजित करने की भी योजना है।

      द स्टडी इन इंडिया मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया एक कार्यक्रम है, जिसके तहत विदेशी छात्र भारत के 116 चुनिंदा उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए आ सकते हैं। दाखिले के लिए छात्रों का चयन 12वीं की बोर्ड परीक्षा में उनके द्वारा हासिल अंकों के आधार पर किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 2000 छात्रों को छात्रवृत्ति देने की व्यवस्था है जबकि कुछ अन्य को शिक्षण संस्थानों द्वारा फीस में कुछ छूट देने की व्यवस्था है। कार्यक्रम के पहले चरण में 2018-19 के दौरान लगभग 780 छात्रों ने भारत कि विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश लिया था। इसके दूसरे वर्ष यह संख्या बढ़कर 3200 हो गई।