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तुझ पर वारी मेरी मुस्कान

सुनसान काली नागिन से तारकोल की सड़क।
आषाढ़ की गर्मी
सर पर सूरज
पत्तों की सर सर के बीच
कहीं दूर से आती एक आहट ।
एक संदेश ।
बिजली की गर्जन,
जिस्म की लरजन ,
यह नायाब तोहफा है
आज का ।
आओ चले
किसी घने वृक्ष की छाया में,
जहां और कोई नहीं है ।
सिर्फ मैं हूं तुम हो
और तुम्हारा नीला जिस्म है। तुम्हारी भूरी सफेद चोंच है ,
तुम्हारी कर्कश
लेकिन मेरीअपनी अपनी सी लगती
सरगम की तान है।
ओ नीले परिंदे तुझ पर वारी मेरी मुस्कान है