कोटि कोटि नमन पिता आपको जिनकी उंगली थामे हम हर मुश्किल भूल जाते थे
जिनकी मार पे भी हम न मुँह फुलाते थे
जिनके दिए आर्शीवचनों
से हम पल्लवित हुए
आज उनके पद चिन्हों पर चल उनका हम मां गढ़े थी यही उनकी मनोकामना
आओ मिलजुल हम उनका सम्मान करें।
पितृ दिवस के अवसर पर पिता को समर्पित मेरी कविता
-पूर्णिमा तिवारी