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स्वस्थ समाज के लिए मानसिक विकारों से छुटकारा जरूरी : डॉ अमरीन

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर कानपुर प्रेस क्लब में एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सल रिलीफ ऐड (AURA) ट्रस्ट की संस्थापक डॉ अमरीन फातिमा ने प्रेसवार्ता करते हुए बताया, ” AURA ट्रस्ट के बैनर तले ट्रस्ट के सदस्यों के सहयोग से जमीनी स्तर पर कार्य किया जा रहा है। अनेक बच्चों को नशे की लत से छुटकारा दिलाया गया है और निरन्तर छुटकारा दिलाया जा रहा है। इसके साथ ही कई लोगों को मानसिक विकारों से उबारने का काम किया है। “

डॉ फातिमा ने यह भी बताया कि संस्था का उद्देश्य है कि लोगों के बेहतर जीवन के लिए कार्य करना है।
उन्होंने अपील की कि अगर किसी को मानसिक स्वास्थ्य की समस्या है तो वह कभी भी मुझसे या ट्रस्ट के सदस्यों से सम्पर्क कर सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि लोगो को अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। भावनात्मक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक संतुलन बनाये रखना चाहिए। क्योंकि आत्महत्या का एक कारण यह भी है।
यह भी कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषा के मुताबिक, लोगों को मानसिक विकारों से ही मुक्ति नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहना, सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाना और मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत रहना भी मानसिक स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा है।
प्रेस वार्ता में मौजूद फिजियोथेरेपिस्ट सौम्या बाजपेयी ने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और स्वस्थ समाज के निर्माण में अहम योगदान करें। उन्होंने लोगों से अपील की कि संस्था से जुड़ें और समाजहित में सहयोग करें।
प्रेस वार्ता में संस्था की संस्थापक डॉ अमरीन फातिमा, फिजियोथेरेपिस्ट सौम्या बाजपेयी, पत्रकार श्याम सिंह पंवार मौजूद रहे।

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पिछले तीन महीनों में प्रमुख मंडियों में तुअर और उड़द की कीमतों में लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट

उपभोक्ता कार्य विभाग की सचिव श्रीमती निधि खरे ने आज रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) और प्रमुख संगठित खुदरा श्रृंखलाओं के साथ बैठक की अध्यक्षता की और प्रमुख दालों की कीमतों के परिदृश्य और रुझानों पर चर्चा की। यह बैठक त्यौहारी सीजन को देखते हुए समय पर और महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि इस साल खरीफ दालों की बेहतर उपलब्धता और अधिक बुवाई क्षेत्र की वजह से हाल के महीनों में अधिकांश दालों की मंडी कीमतों में गिरावट का रुख रहा है।

उपभोक्ता कार्य विभाग की सचिव ने बताया कि पिछले तीन महीनों के दौरान प्रमुख मंडियों में तुअर और उड़द की कीमतों में औसतन लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन खुदरा कीमतों में ऐसी कोई गिरावट नहीं देखी गई है। चना के मामले में, पिछले एक महीने में मंडी कीमतों में गिरावट देखी गई है, लेकिन खुदरा कीमतों में वृद्धि जारी है। उन्होंने बताया कि थोक मंडी कीमतों और खुदरा कीमतों के बीच अलग-अलग रुझान खुदरा विक्रेताओं द्वारा बाजार से निकाले जा रहे अनुचित मार्जिन का संकेत देते हैं। इन रुझानों पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है और अगर यह अंतर बढ़ता हुआ पाया जाता है तो आवश्यक उपाय शुरू करने होंगे।

इस बैठक में आरएआई के अधिकारियों और रिलायंस रिटेल लिमिटेड, विशाल मार्ट, डी मार्ट, स्पेंसर और मोर रिटेल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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उपभोक्ता कार्य विभाग की सचिव ने उपलब्धता की स्थिति के संबंध में बताया कि खरीफ उड़द और मूंग की आवक बाजारों में शुरू हो गई है, जबकि पूर्वी अफ्रीकी देशों और म्यांमार से तुअर और उड़द का आयात घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए लगातार आ रहा है। घरेलू उपलब्धता की सहज स्थिति इस तथ्य से भी स्पष्ट होती है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग के स्टॉक प्रकटीकरण पोर्टल में बड़े-चेन खुदरा विक्रेताओं की ओर से घोषित दालों के स्टॉक की मात्रा हर हफ्ते बढ़ रही है।

उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष खरीफ दलहनों की बुवाई का रकबा पिछले वर्ष से 7 प्रतिशत अधिक है तथा फसल की स्थिति अच्छी है। रबी की बुवाई की तैयारी में, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने दलहनों में उत्पादन बढ़ाने तथा आत्मनिर्भरता पाने के उद्देश्य से प्रत्येक प्रमुख उत्पादक राज्य को फोकस योजनाएं सौंपी हैं। आगामी रबी सीजन में किसानों के पंजीकरण तथा किसानों के बीच बीज वितरण में नैफेड और एनसीसीएफ शामिल होंगे, जैसा कि इस वर्ष खरीफ बुवाई सीजन में किया गया था।

मौजूदा उपलब्धता की स्थिति तथा मंडी कीमतों में नरमी को देखते हुए, सचिव ने खुदरा उद्योग से कहा कि वे दालों की कीमतों को उपभोक्ताओं के लिए किफायती बनाए रखने के सरकार के प्रयासों में हर संभव सहायता प्रदान करें। इस संबंध में, उन्होंने संगठित खुदरा शृंखलाओं को भारतीय दालों, विशेषकर भारतीय मसूर दाल तथा भारतीय मूंग दाल के वितरण में एनसीसीएफ तथा नैफेड के साथ समन्वय करने के लिए आमंत्रित किया, ताकि उपभोक्ताओं के बीच भारतीय दालों की पहुंच को बढ़ाया जा सके।

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प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने साइबर सुरक्षा की जागरूकता बढ़ाने और इलेक्ट्रॉनिक्स और विशेष अभियान 4.0 के अंतर्गत चल रही सूचना सुरक्षा मंत्रालय की पहल को बढ़ावा देने के लिए 7 अक्टूबर को सीएसओआई में साइबर सुरक्षा पर कार्यशाला का आयोजन किया

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने सिविल सेवा अधिकारी संस्थान (सीएसओआई), विनय मार्ग, नई दिल्ली में साइबर सुरक्षा पर एक व्यापक कार्यशाला का आयोजन किया। यह पहल इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (सीईआरटी-आईएन) द्वारा साइबर स्वच्छता केंद्र की स्थापना से प्रेरित थी।

इस कार्यशाला का उद्देश्य साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाना, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पहलों को बढ़ावा देना तथा सार्वजनिक ई-गवर्नेंस प्लेटफार्मों की सुरक्षा के लिए मजबूत साइबर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर जोर देना था। यह कार्यशाला विशेष अभियान 4.0 के तहत आयोजित की गई, जिसमें 200 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इनमें नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर(एनआईसी) के वरिष्ठ अधिकारी, लोक शिकायत/ केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) के नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन (एनईएसडीए) 2023 के नोडल अधिकारी और मंत्रालय के डिजिटल प्लेटफार्मों के निर्माण और संचालन में शामिल वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

कार्यशाला में भारत में वर्तमान साइबर सुरक्षा परिदृश्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने, विभिन्न सरकारी अनुप्रयोगों के लिए साइबर सुरक्षा संबंधी विवेचन, और वर्तमान डिजिटल वातावरण में साइबर सुरक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा उन उपायों के बारे में जानकारी प्रदान की गई जिनसे साइबर खतरों को कम किया जा सकता है।

कार्यशाला में पैनल चर्चा के दो महत्वपूर्ण दौर हुए। पहले दौर में ‘भारत में वर्तमान साइबर सुरक्षा परिदृश्य’ पर चर्चा हुई। इसकी अध्यक्षता सीईआरटी-इन के महानिदेशक डॉ. संजय बहल ने की, जिसमें श्री नवीन कुमार सिंह (डीजी, एनसीआईआईपीसी), श्री संतोष मिश्रा (साइबर सुरक्षा पर साझेदार पीडब्ल्यूसी और एनईएसडीए 2023), और सुश्री सीमा खन्ना (डीडीजी और एचओजी साइबर सुरक्षा – एनआईसी) तथा स्वयं डॉ. संजय बहल ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। दूसरी पैनल चर्चा में ‘ई-ऑफिस, भविष्य और सीपीजीआरएएमएस के लिए साइबर सुरक्षा संबंधी विवेचन’ पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें श्रीमती जया दुबे (संयुक्त सचिव, डीएपीआरजी), डॉ. सुशील कुमार (डीडीजी और एचओजी, एनआईसी), सुश्री रचना श्रीवास्तव (वैज्ञानिक जी, एनआईसी – ई-ऑफिस), श्री अनिल बंसल (वरिष्ठ निदेशक (आईटी), डीओपीपीडब्ल्यू- भविष्य), और श्री संजीव सक्सेना (एसटीडी, एनआईसी, डीएआरपीजी- सीपीजीआरएएमएस) ने अपने विचार व्यक्त किए।

उद्घाटन सत्र की शुरुआत प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के अतिरिक्त सचिव श्री पुनीत यादव के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने वर्तमान डिजिटल वातावरण में मजबूत साइबर बुनियादी ढांचे के निर्माण के महत्व के बारे में एक ठोस संदेश के साथ अपनी बात रखकर विचार-विमर्श का माहौल तैयार किया। उन्होंने लोक सेवाओं में पारदर्शिता और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित और कुशल ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म की आवश्यकता पर जोर दिया।

सीईआरटी-इन के महानिदेशक डॉ. संजय बहल ने भारत में अनुकूल साइबर व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से चल रही पहलों पर चर्चा की। उन्होंने सुरक्षित डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुरूप साइबर खतरों के विरुद्ध डिजिटल प्लेटफॉर्म को मजबूत करने के प्रयासों पर जोर दिया। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) के संयुक्त सचिव श्री ध्रुवज्योति सेनगुप्ता ने भविष्य पोर्टल की साइबर सुरक्षा विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने पेंशन मामलों से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा और पेंशनभोगियों को सुरक्षित सेवा सुनिश्चित करने में डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के महत्व पर जोर दिया।

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने भी साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म की सुरक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन (एनईएसडीए) जैसी प्रमुख पहलों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें सूचना सुरक्षा और गोपनीयता के मुख्य मापदंडों के आधार पर यह सुनिश्चित किया जाता है कि सुरक्षित और कुशलतापूर्ण तरीके से लोक सेवाएं प्रदान की जाएं।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन ने साइबर स्वच्छता केंद्र (बॉटनेट क्लीनिंग और मालवेयर एनालिसिस सेंटर) जैसी पहलों के माध्यम से भारत के साइबर सुरक्षा परिदृश्य को मजबूत करने में चल रहे भारत सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया। CERT-In के नेतृत्व में यह प्रयास देश का सुरक्षित डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सीईआरटी-इन के महानिदेशक डॉ. संजय बहल के संचालन में पहले पैनल ने राष्ट्रीय साइबर व्यवस्था के निर्माण के प्रयासों का अवलोकन किया। एनसीआईआईपीसी के श्री नवीन कुमार सिंह ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की साइबर खतरों से सुरक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। पीडब्ल्यूसी के श्री संतोष मिश्रा ने एनईएसडीए 2023 के तहत डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने वाले साइबर सुरक्षा के वर्तमान रुझानों पर चर्चा की, और एनआईसी की सुश्री सीमा खन्ना ने सरकारी डिजिटल प्लेटफार्मों के सामने आने वाली चुनौतियों और उन्हें सुरक्षित करने के लिए एनआईसी के प्रयासों के बारे में बताया। दूसरी पैनल चर्चा ई-ऑफिस, भविष्य और सीपीजीआरएएमएस के लिए साइबर सुरक्षा विचारों पर केंद्रित थी। इसका संचालन डीएआरपीजी की संयुक्त सचिव श्रीमती जया दुबे ने किया। उन्होंने ई-ऑफिस, भविष्य और सीपीजीआरएएमएस जैसे प्रमुख सरकारी प्लेटफार्मों की कुशलता और समग्रता को बढ़ाने के प्रयासों में मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों को शामिल करने के महत्व को रेखांकित किया।

डीएआरपीजी की संयुक्त सचिव श्रीमती जया दुबे के संचालन में दूसरे पैनल ने ई-ऑफिस, भविष्य और सीपीजीआरएएमएस के लिए साइबर सुरक्षा उपायों की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया। डॉ. सुशील कुमार ने सरकारी कामकाज के निर्बाध संचालन के लिए ई-ऑफिस सुरक्षा पर जोर दिया, जबकि सुश्री रचना श्रीवास्तव ने उत्पादकता बढ़ाने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री अनिल बंसल ने भविष्य पोर्टल में डेटा गोपनीयता की आवश्यकता पर जोर दिया और श्री संजीव सक्सेना ने सुरक्षित नागरिक शिकायत निवारण व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सीपीजीआरएएमएस की साइबर सुरक्षा रणनीतियों का उल्लेख किया।

कार्यशाला के समापन में श्रीमती सरिता तनेजा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने श्री एस. कृष्णन और श्री वी. श्रीनिवास के नेतृत्व की प्रशंसा की। इस कार्यक्रम में सुरक्षित ई-गवर्नेंस के लिए साइबर सुरक्षा के विशेष महत्व को रेखांकित किया गया, तथा भारत की डिजिटल व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएपीआरपीजी) की पहलों को प्रदर्शित किया गया।

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क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय में थियेटर प्रोग्राम कोर्स (एड ऑन थियेटर इन एक्टिंग स्किल,थियेटर,ओरिनेंटेशन, डिक्शन) संपन्न

भारतीय स्वरूप संवाददाता क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय कानपुर के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सभागार में 6 दिनों से चल रहे थियेटर प्रोग्राम कोर्स जिसका विषय “एड ऑन थियेटर इन एक्टिंग स्किल,थियेटर,ओरिनेंटेशन, डिक्शन ” के अन्तिम दिवस में प्राचार्य एवम कार्यक्रम संरक्षक जोसेफ डेनियल के मार्गदर्शन एवम दिशानिर्देश से समापन समारोह के उपलक्ष में एक बहुचर्चित हास्यात्मक नाट्य “अंधेर नगरी चौपट राजा” जोकि प्रो. विभांशु वैभव की कल्पना से ओत–प्रोत और प्रतिभाशाली निर्देशन के द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमे रित्विक(चौपट राजा), कांची(मंत्री), सुंदरम(फरियादी), आर्यन(कल्लू बनिया), मनुज(महंत), नागेंद्र(कोतवाल), वैष्णवी(गोवर्धनदास), उर्वशी(नारायणदास)ओजश्विनी, यशस्वी (दरबान), तनिस्का(भिस्तीवाला) जैसे किरदारों ने सभागार में उपस्थित दर्शकों को हँसा हँसा कर लोट पोट कर दिया। प्रो.विभांशु ने नाट्य प्रस्तुति के बारे में बात करते हुए कहा ” इसी लिए नाट्यशास्त्र और रंगमंच को पंचम वेद की श्रेणी में रखा गया है प्रतिभागियो को इसी प्रकार अपनी प्रतिभा का अवलोकन करते रहना चाहिए “साथ ही प्रतिभागियों को इसी प्रकार से निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा और आशीर्वाद दिया। मुख्य अतिथि मिसेज सुसी जोसेफ ने नाट्य प्रस्तुति की तारीफ करते हुए कहा की ” इस प्रकार की नाट्य प्रस्तुति बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में संजीवनी का कार्य करती है। “महाविद्यालय के प्राचार्य एवम कार्यक्रम संरक्षक प्रो. जोसेफ डेनियल जी ने कहा  “प्रतिभागियों का नाट्य रंगमंच के प्रति ये रुझान और उनकी कर्तव्यनिष्ठा उनके उज्ज्वल भविष्य कि कुंजी बनेगी ” कार्यक्रम संयोजक प्रो. मीत कमल ने बीते छह दिनों से चल रहे एड ऑन थियेटर कार्यक्रम का संपूर्ण लेखाजोखा देते हुए कहा “बच्चों ने पूरे सप्ताह अपनी कला और मंचन को निखारने का काम किया है और आगे भी करते रहेंगे “
कार्यक्रम सह संयोजक डॉ प्रेरणा दीक्षित जी ने कार्यक्रम की सफलता के पश्चात धन्यवाद ज्ञापन दिया! हास्य एवम उमंगों से भरपूर के इस नाट्य प्रस्तुति ने ‘कभी किसी लोभ मोह से ग्रसित प्रलोभन में नही पड़ना चाहिए’ ऐसी सीख देते हुए सबके दिलों को जीत लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मिसेज सुसी जोसेफ, महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जोसेफ डेनियल, उप प्राचार्या प्रो. श्वेता चंद्रा, कार्यक्रम संयोजक प्रो. मीत कमल, सह संयोजक डॉ प्रेरणा दीक्षित, डॉ अर्चना वर्मा तथा कोर्स में प्रतिभागी छात्र -छात्रायें एवम उन सभी के अभिभावकगण , अन्य अतिथिगण छात्र कोऑर्डिनेटर कांची त्रिपाठी, सुंदरम मिश्रा, आर्यन जयसवाल एवम महाविद्यालय शिक्षकगण एवम छात्र– छात्रा मौजूद रहे।।

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स्त्री” 2024 “कर्टेन रेज़र” कार्यक्रम का सफल आयोजन

भारतीय स्वरूप संवाददाता    कानपुर 5 अक्टूबर – महिला सशक्तिकरण को समर्पित राष्ट्रीय सम्मेलन “स्त्री”, 2024 का कर्टेन रेज़र कार्यक्रम कानपुर के दीन दयाल उपाध्याय सभागार में भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. सुधीर अवस्थी (प्रो-वाइस चांसलर) के प्रेरणादायक संबोधन से हुई, जिसमें उन्होंने आगामी”स्त्री”, 2024 सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सम्मेलन महिलाओं के नेतृत्व और उनकी बढ़ती भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा। इसके बाद CDC के निदेशक डॉ. राजेश अवस्थी और कुलसचिव डॉ. अनिल यादव ने भी महिला सशक्तिकरण के बढ़ते महत्व और उनके योगदान पर विचार रखे।

विभा संगठन मंत्री श्री अशुतोष सिंह और आईआईटी कानपुर के प्रो. अजीत चौधरी उपाध्यक्ष विभा ने भी इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं के रूप में डॉ. संगीता सरस्वत ने समग्र स्वास्थ्य प्रबंधन (Holistic Health Management) पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य के महत्व और उसे प्रबंधित करने के तरीकों पर गहन चर्चा की। इसके अलावा, डॉ. तुषार संधान ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के माध्यम से शिक्षा, विज्ञान और कला को जोड़ने के विषय पर एक जानकारीपूर्ण सत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने इन क्षेत्रों के बीच हो रहे अभूतपूर्व परिवर्तनों को रेखांकित किया और बताया कि कैसे नई तकनीकें इन क्षेत्रों में क्रांति ला रही हैं।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. सुनीता वर्मा द्वारा किया गया, जिन्होंने अपनी कुशल वाणी से कार्यक्रम को सरस और रोचक बनाए रखा। अंत में डॉ. शशि बाला सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी अतिथियों और उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो.Rashmi Gore,सीमा द्विवेदी और डॉ. नूतन वोहरा ने की, जिन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह कर्टेन रेज़र कार्यक्रम दिसंबर में होने वाले स्ट्री 2024 सम्मेलन के लिए मंच तैयार करता है, और महिला सशक्तिकरण परआप महत्वपूर्ण विचार-विमर्श की आवश्यकता को बल देता है। कार्यक्रम ने नारी शक्ति और समाज में उनके योगदान को लेकर एक नई दिशा देने का कार्य किया है।

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प्रधानमंत्री स्मृति चिन्हों की ई-नीलामी 31 अक्टूबर, 2024 तक बढ़ाई गई

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले स्मृति चिन्हों के अनूठे संग्रह की असाधारण ई-नीलामी को तिथि को आगे बढ़ा दिया है। यह नीलामी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाती है।

आरंभ में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर, 2024 तक निर्धारित यह नीलामी अब 31 अक्टूबर 2024 तक भागीदारी के लिए खुली रहेगी। इच्छुक व्यक्ति आधिकारिक वेबसाइट: https://pmmementos.gov.in/ के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं और नीलामी में भाग ले सकते हैं।

इस नीलामी में प्रस्तुत की जाने वाली वस्तुओं में पारंपरिक कला रूपों की एक श्रृंखला है, जिसमें जीवंत चित्रकारी, भव्य मूर्तियां, स्वदेशी हस्तशिल्प, आकर्षक लोक और आदिवासी कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं। इन खजानों में पारंपरिक अंगवस्त्र, दुशाला, शिरोवस्ट्र और औपचारिक तलवारें सहित सम्मान और आदर के प्रतीक के रूप में पारंपरिक रूप से दी जाने वाली वस्तुएँ शामिल हैं।

खादी का दुशाला, चांदी की जरदोज़ी के वस्त्र, माता नी पचेड़ी कला, गोंड कला और मधुबनी कला जैसी उल्लेखनीय वस्तुएं भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हुए, इनमें चार चांद लगाती हैं । नीलामी की एक प्रमुख विशेषता पैरा ओलंपिक, 2024 से खेल स्मृति चिन्ह हैं। प्रत्येक खेल स्मृति चिन्ह एथलीटों के असाधारण एथलेटिकता और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, जो उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता का प्रमाण है। यह स्मृति चिन्ह न केवल उनकी उपलब्धियों का सम्मान है बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा है।

वर्तमान ई-नीलामी सफल नीलामियों की श्रृंखला में छठा संस्करण है, जिसे शुरू में जनवरी 2019 में प्रारंभ किया गया था। पिछले संस्करणों की तरह, नीलामी के इस संस्करण से प्राप्त आय भी नमामि गंगे परियोजना में योगदान देगी। यह परियोजना केंद्र सरकार की प्रमुख पहल है जो हमारी राष्ट्रीय नदी, गंगा के संरक्षण और पुनरुद्धार और इसके कमजोर पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए समर्पित है। इस नीलामी के माध्यम से प्राप्त धन का उपयोग इस श्रेष्ठ कार्य में किया जाएगा जो पर्यावरण के संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।  

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प्रौद्योगिकी आधारित युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने के लिए भविष्य के रणनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता: सीडीएस जनरल अनिल चौहान

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने आज के प्रौद्योगिकी पर आधारित युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने के लिए भविष्य के रणनीतिक नेताओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जहां समयसीमा तेजी से कम होती जा रही है। 27 सितंबर 2024 को संपन्न हुए प्रथम ट्राई सर्विसेज फ्यूचर वारफेयर कोर्स में समापन भाषण देते हुए, सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, स्टील्थ टेक्नोलॉजी और हाइपरसोनिक्स में प्रगति और रोबोटिक्स भी भविष्य के युद्धों के स्वरूप को निर्धारित करेंगे।

गतिशील सुरक्षा परिवेश के साथ-साथ विशिष्ट प्रौद्योगिकियों का प्रसार, युद्ध का बदलता स्वरूप तथा हाल के तथा वर्तमान में जारी संघर्षों से मिली सीखों के कारण भविष्य के ऐसे नेताओं को तैयार करना आवश्यक हो गया है, जो आधुनिक युद्ध की बारीकियों को समझने में सक्षम हों। इस क्रम में, पाठ्यक्रम में भविष्य के युद्ध; भविष्य के रुझान, वायु और अंतरिक्ष युद्ध, गैर-गतिज (काइनेटिक) युद्ध, समुद्री संचालन और बहु-डोमेन संचालन से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके प्रमुख परिणामों में एकीकृत परिचालन अवधारणाएं, बढ़ी हुई संयुक्त सैन्य क्षमताएं, भविष्य के युद्धक्षेत्रों के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियां और तीन सेनाओं के मजबूत सहयोग शामिल हैं। यह पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को युद्ध के भविष्य का नेतृत्व करने और उसे आकार देने में सक्षम बनाएगा, जिससे उभरती चुनौतियों के लिए एकीकृत और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी।

जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों को सप्ताह भर चलने वाले इस कोर्स के परिणामों के बारे में जानकारी दी गई और बाद के कोर्स की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया गया।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा व्यक्तिगत रूप से संचालित होने के अलावा, इस कोर्स में रैंक की परवाह नहीं की गई, जिसमें प्रतिभागियों की सेवा अवधि 13 से 30 वर्ष तक थी। फ्यूचर वारफेयर कोर्स का उद्देश्य आधुनिक युद्धक्षेत्र की जटिलताओं से निपटने में सक्षम तकनीक रूप से कुशल सैन्य कमांडरों का एक कैडर तैयार करना है।

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एक पेड़ माँ के नाम: 80 करोड़ पौधे रोपे गए

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की शुरुआत की थी। यह अभियान पर्यावरण के प्रति अपना दायित्व निभाने के साथ-साथ माताओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण भाव दर्शाने की एक अनूठी पहल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जून, 2024 को दिल्ली के बुद्ध जयंती पार्क में पीपल का पौधा लगाकर इस अभियान की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री ने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व पर ज़ोर दिया और पिछले एक दशक में भारत के वन क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान देश के सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
‘एक पेड़ माँ के नाम’ एक संकेतिक भाव है – अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ लगाने का उद्देश्य जहां, जीवन को पोषित करने में माताओं की भूमिका का सम्मान करना है, वहीं अपने ग्रह को स्वस्थ बनाए रखने में अपना योगदान देना भी है। पेड़ जीवन को बनाए रखते हैं और एक माँ की तरह ही पोषण, सुरक्षा और भविष्य प्रदान करते हैं। ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के माध्यम से, कोई भी व्यक्ति एक पेड़ लगाकर अपनी माता को एक जीवंत श्रद्धांजलि और एक स्थायी स्मृति भेंट कर सकता है, इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को भी पूरा किया जा सकता है।

80 करोड़ पौधा रोपण

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सितंबर 2024 तक ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत 80 करोड़ पौधे लगाने के अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह लक्ष्य तय समय सीमा से 5 दिन पहले यानी 25 सितंबर 2024 को ही हासिल कर लिया गया। मंत्रालय की यह उपलब्धि सरकारी एजेंसियों, स्थानीय समुदायों और विभिन्न हितधारकों के सहयोग और प्रयासों का परिणाम है।

5 लाख से ज़्यादा पौधे लगाने का विश्व रिकॉर्ड

  • 22 सितंबर 2024 को, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत प्रादेशिक सेना की 128 इन्फैंट्री बटालियन और पारिस्थितिकी कार्य बल इकाई ने सिर्फ़ एक घंटे में 5 लाख से ज़्यादा पौधे लगाकर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। ​​जैसलमेर में “विशेष पौधारोपण अभियान” के अंतर्गत यह शानदार उपलब्धि, प्रधानमंत्री के “एक पेड़ माँ के नाम” और प्रादेशिक सेना की पहल, “भागीदारी और ज़िम्मेदारी” का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य पारिस्थितिकी को यथास्थिति में बनाए रखना और स्थानीय समुदायों के बीच पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। प्रादेशिक सेना की इकाई के इन प्रयासों को वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा निम्नलिखित विश्व रिकॉर्ड के साथ मान्यता दी गई :
  • एक घंटे में एक टीम द्वारा लगाए गए सबसे ज़्यादा पौधे।
  • एक घंटे में महिलाओं की एक टीम द्वारा लगाए गए सबसे ज़्यादा पौधे।
  • एक ही स्थान पर एक साथ सबसे अधिक संख्या में लोगों द्वारा पौधारोपण।

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों की मौजूदगी ने यह सुनिश्चित किया कि वृक्षारोपण को सावधानीपूर्वक सत्यापित और प्रमाणित किया गया था और इस उपलब्धि के लिए पारिस्थितिकी कार्य बल को पुरस्कार भी दिया गया। यह वृक्षारोपण अभियान, “जो लोग पेड़ों की रक्षा करते हैं, वे संरक्षित हैं,” आदर्श वाक्य का सर्वोत्तम उदाहरण है और जो भविष्य की पीढ़ियों की भलाई के लिए पर्यावरण संरक्षण के महत्व की पुष्टि भी करता है।

मंत्रालयों के सामूहिक प्रयास

प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के अनुरूप, विभिन्न मंत्रालयों ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रत्येक मंत्रालय और विभाग का इस पहल में पर्याप्त योगदान सततता, हरित आवरण वृद्धि और सार्वजनिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

रक्षा मंत्रालय ने इस अभियान के तहत स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 लाख पौधे लगाने की राष्ट्रव्यापी पहल की घोषणा की। इस प्रयास में भारतीय सशस्त्र बलों, रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) और अन्य संबद्ध निकायों ने एक हरित और स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए अपना महत्‍वपूर्ण सहयोग दिया।

कोयला मंत्रालय में सचिव श्री वी.एल. कांथा राव ने मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरणीय स्थिरता प्रयासों के हिस्से के रूप में मिलेनियम पार्क में एक पौधा रोपण अभियान का आयोजन किया। पिछले कुछ वर्षों में कोयला और लिग्नाइट क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा लगाए गए पौधे खनन क्षेत्रों में कार्बन के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

 इसके अतिरिक्त, सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से चलाए गए पौधा रोपण अभियान के अंतर्गत देश भर में शहरी और ग्रामीण स्थानों पर लगभग 7,000 पौधे लगाए गए हैं। अगस्त के मध्य में चलाए गए इस अभियान का उद्देश्य 17 सितंबर से 1 अक्टूबर, 2024 तक चलने वाले ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के दौरान पौधा रोपण के प्रयासों में तेज़ी लाना है।

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने अपनी मां की याद में आंवले का पौधा लगाकर इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस अभियान के महत्व का उल्लेख करते हुए श्री प्रतापराव ने कहा कि यह पहल अपनी मां और धरती माता दोनों के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने का एक अनोखा ढंग है।  

 कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने हैदराबाद के राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान में आयोजित किए गए एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान में भाग लिया। इसके अलावा, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने अपने विभिन्न कार्यालयों और अधीनस्थ निकायों को पौधा रोपण के इस व्यापक अभियान में शामिल किया।  

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ और स्वच्छता ही सेवा 2024 अभियान के तहत नई दिल्ली के कोटा हाउस में पौधा रोपण अभियान में भाग लिया। मंत्रालय के अधिकारियों ने सरकार के पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ भारत के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप बड़े पैमाने पर सफाई अभियान भी चलाया।

 इस अभियान से प्रेरित होकर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने श्री जयंत चौधरी के नेतृत्व में अपने संस्थानों में व्यापक पौधा रोपण गतिविधियों का आयोजन किया। प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों (पीएमकेके), राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (एनआईईएसदीयूडी), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई), राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) और जन शिक्षण संस्थानों (जेएसएस) में 11,778 से अधिक पौधे लगाए गए। मंत्रालय के प्रयासों का उद्देश्य कौशल विकास के साथ पर्यावरण चेतना को एकीकृत करना, छात्रों, प्रशिक्षकों और स्थानीय आबादी के बीच समुदाय और स्थिरता की भावना को बढ़ावा देना था। पेयजल और स्वच्छता विभाग तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के नेतृत्व में स्वच्छता ही सेवा 2024 अभियान ने सफाई और हरित आवरण वृद्धि पर जोर दिया। इस राष्ट्रव्यापी अभियान के हिस्से के रूप में पौधा रोपण से एक स्वच्छ और हरित भारत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को बल मिला है। भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, सीमा सुरक्षा बल, गैर-सरकारी संगठन संकलपतरु और स्थानीय समुदायों आदि सभी एजेंसियों की भागीदारी ने इस अभियान की पहुंच और प्रभाव को बढ़ावा दिया।

तकनीकी प्रोत्साहन: ‘एक पेड़ माँ के नाम’ ऐप

इस पहल को बढ़ावा देने के लिए, केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ ऐप की शुरुआत की। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को अपनी माताओं के सम्मान में एक पेड़ लगाने और समर्पित करने संबंधी फोटो अपलोड करने, स्थान टैगिंग और कार्बन क्रेडिट ट्रैकिंग जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है। इस ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ता अपनी मां के लिए लगाए पेड़ को बढ़ता हुआ देखने के साथ पर्यावरण संरक्षण से जुड़े रह सकते हैं।

ऐप का उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने में सक्षम है। इस ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ता पेड़ लगाकर, उसकी फोटो सोशल मीडिया पर साझा करके अन्य लोगों को भी इस सार्थक प्रयास से जुड़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

हरित भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण

‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान भारत की स्थायी और पर्यावरण के प्रति जागरूक भविष्य के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पर्यावरण संरक्षण के आह्वान और माताओं के प्रति सम्मान की भावना के साथ यह पहल नागरिकों को एक हरित ग्रह बनाने में अपना योगदान देने का अवसर प्रदान करती है।

इस अभियान की सफलता पूरे देश में लोगों को अपनी माताओं के सम्मान में एक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करने की भावना में निहित है। यह अभियान न सिर्फ प्रकृति और मातृत्व की पोषण शक्ति के सम्मान का प्रतीक है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और टिकाऊ विश्व का आश्वासन भी है।

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पति व पत्नी दोनों को अलग-अलग आवासीय योजना का लाभ देने में फंसा ग्राम विकास अधिकारी

आवासीय योजना में दो बार लाभ दिलाने वाले ग्राम विकास अधिकारी से वसूली व वेतन वृद्धि रोकने की हुई कार्यवाही

विकास खण्ड डेरापुर के ग्राम मिर्जापुर खुर्द में पति व पत्नी अर्थात दोनों को अलग-अलग आवासीय योजना का लाभ देने में फंसा ग्राम विकास अधिकारी।

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर देहात। जनपद में गरीबों के लिए संचालित आवासीय योजना में भ्रष्टाचार उजागर हो रहे हैं। जहां किसी को एक आवास की दरकार है तो किसी गाँव में एक ही परिवार (पति-पत्नी दोनों को) को एक की जगह दो-दो बार सरकारी आवासीय योजना का लाभ ग्राम विकास अधिकारी की मिलीभगत से दिया गया। इस बारे में की गई शिकायत की जांच के बाद खुलासा होने पर संबंधित तत्कालीन तैनात रहे ग्राम विकास अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही के साथ एक वर्ष तक वेतन वृद्धि रोकी गयी है।
जनपद के डेरापुर विकासखंड के ग्राम पचायत-मझगवां के ग्राम मिर्जापुर खुर्द निवासी राजेन्द्र सिंह पुत्र इन्दपाल सिंह को वर्ष 1995-96 में उच्चीकृत आवासीय योजना से लाभान्वित किये जाने के बावजूद वर्ष 2017-18 में उनकी पत्नी शकुन्तला देवी को पुनः प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण से लाभान्चित किये जाने अर्थात शासनादेश के विपरीत एक ही परिवार को दो बार आवास योजना का लाभ प्रदान किये जाने के आरोप में तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी अधिकारी व वर्तमान में मलासा विकास खण्ड में तैनात रवि कुमार शुक्ला के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ करते हुए खण्ड विकास अधिकारी मैथा, को जाँच अधिकारी नामित किया गया था। ग्राम विकास अधिकारी के विरूद्ध गठित आरोप-पत्र, ग्राम सचिव द्वारा उपलब्ध कराये गये स्पष्टीकरण तथा जांच अधिकारी की जाँच आख्या दिनांक 28.03.2024 के क्रम में कार्यालय पत्र संख्या-635/विकास / स्था०/व्य० पत्रा0/2024-25 दिनांक 04.09.2024 के द्वारा रवि कुमार शुक्ला को नोटिस निर्गत करते हुए आवास योजना के नियमों की अनदेखी कर एक ही परिवार को नियम विपरीत आवास आवंटित कराये जाने के सम्बन्ध में विलम्बतम् दिनांक 10.09.2024 तक अनिवार्य रूप से स्पष्टीकरण प्रस्तुत किये जाने के निर्देश दिये गये थे किन्तु उनके द्वारा इस सम्बन्ध में कोई भी स्पष्टीकरण परियोजना निदेशक डीआरडीए व अतिरिक्त चार्ज जिला विकास अधिकारी बीरेंद्र सिंह को स्पष्टीकरण उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस प्रकरण की समीक्षा करने पर यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रकरण में तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी रवि कुमार शुक्ला के साथ-साथ विकास खण्ड डेरापुर के तत्कालीन आवास पटल सहायक शैलेश कुमार गुप्त. कनिष्ठ सहायक की भी संलिप्तता / भूमिका पायी गयी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अन्तर्गत दुरूपयोग की गयी कुल धनराशि 1 लाख 20 हजार की आधी धनराशि 60 हजार की वसूली रवि कुमार शुक्ला से वसूली की धनराशि की कटौती उनके मासिक वेतन से नियमानुसार की जायेगी। तथा ग्राम विकास अधिकारी की एक वार्षिक तक की वेतन वृद्धि स्थाई रूप से रोके जाने का भी आदेश जारी किया गया है।

गौरतलब हो कि रवि कुमार शुक्ला के विरुद्ध की गई अन्य शिकायतों पर अगर जाँच कर ली जाए तो और भी मामलों में किये गए भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।

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डॉ. शैली बिष्ट उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित

भारतीय स्वरूप संवाददाता डॉ. शैली बिष्ट निदेशक कैरियर दिशा को महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लखनऊ, नोएडा परिसर के सम्मानित कुलपति, प्रो. (डॉ.) भानु प्रताप सिंह, निदेशक डॉ. रतीश गुप्ता के साथ उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। एमयूआईटी में कॉर्पोरेट मामले, और एक्सिस ग्रुप ऑफ कॉलेजेज, कानपुर के महानिदेशक कर्नल (डॉ.) जाहिद सिद्दीकी। पुरस्कार समारोह रविवार, 15 सितंबर, 2024 को शिक्षक सम्मेलन और सम्मान समारोह के दौरान डीएनजी द ग्रैंड में हुआ। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले 150 से अधिक प्राचार्यों और शिक्षाविदों के बीच होना सौभाग्य की बात थी, सभी शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध थे और पैनल चर्चा में भाग लेते थे। साथ में, हम #InnovateInEducation और #FosterLifelongLearning के लिए प्रयास करते हैं। निरंतर समर्थन और मान्यता के लिए धन्यवाद!

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