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कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने पूरे भारत में रोजगार पाने योग्य हजारों युवाओं को नए कौशल सीखने (अप-स्किलिंग) के लिए फ्लिपकार्ट की आपूर्ति श्रृंखला संचालन अकादमी (एससीओए) के साथ एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया

केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने 2047 में विकसित भारत की परिकल्पना के अनुरूप वैश्विक मांगों को देखते हुए युवाओं को कौशल युक्त बनाने पर सरकार के दृढ़निश्चय पर जोर दिया। उन्होंने भारत के कारीगरों, बुनकरों, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), महिलाओं और ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित भारत के घरेलू ई-कॉमर्स बाजार फ्लिपकार्ट के समर्थ प्रोग्राम की पांच साल की यात्रा का उत्सव मनाने के आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।

समर्थ कार्यक्रम के दौरान फ्लिपकार्ट की आपूर्ति श्रृंखला संचालन अकादमी (एससीओए) ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया। इसका उद्देश्य पूरे भारत में रोजगार पाने योग्य हजारों युवाओं को कौशल युक्त बनाना है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 4.0 के तहत इस साझेदारी का लक्ष्य भारत भर में हजारों युवाओं को कौशल युक्त बनाना, ई-कॉमर्स और आपूर्ति श्रृंखला क्षेत्रों में उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाना है। फ्लिपकार्ट की टीम उम्मीदवारों को 7-दिवसीय गहन क्लासरूम प्रशिक्षण के साथ एक समग्र अनुभव और प्रशिक्षण प्रदान करती है। इसके बाद फ्लिपकार्ट की फैसिलिटी (इन जगहों पर रोजमर्रा के काम होते हैं) में 45-दिवसीय व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जाता है। इस सहयोग से देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है साथ ही विशेष प्रशिक्षण और प्रमाणन कार्यक्रम के जरिए युवा शक्तियों को सफल करियर के लिए भी तैयार किया जाता है।

इस अवसर पर जयंत चौधरी ने कहा कि भारत सरकार कारीगरों को सशक्त बनाने और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न अंग विविध शिल्पों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है। फ्लिपकार्ट समर्थ की यात्रा के उत्सव में एमएसडीई और फ्लिपकार्ट की आपूर्ति श्रृंखला संचालन अकादमी (सप्लाई चेन ऑपरेशंस अकेडमी) {एससीओए} के बीच सहयोग को औपचारिक रूप दिया गया। यह प्रयास हमारे युवाओं को आधुनिक बाजार में आगे बढ़ने के लिए कौशल से युक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पारंपरिक शिल्प को डिजिटल क्षेत्र में एकीकृत करके हम मजबूत साझेदारी बना रहे हैं और समर्थ कार्यक्रम के माध्यम से नवाचार को अपना रहे हैं। इससे भारत के एमएसएमई क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
उद्योग सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि उद्योग के साथ साझेदारी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। इंटर्नशिप कार्यक्रमों और समर्थ जैसे प्रयासों के माध्यम से हम युवाओं के लिए विकसित हो रही कार्य संस्कृति के साथ जुड़ने और भविष्य के लिए आवश्यक दक्षता हासिल करने के अवसर खोल रहे हैं। वैश्विक आकांक्षाओं वाला एक घरेलू ब्रांड फ्लिपकार्ट ने महिला उद्यमियों और वंचित पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को सशक्त बनाकर अपना प्रभाव प्रदर्शित किया है। इससे 1.8 मिलियन आजीविका (रोजगार) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित अपनी अकादमी के शुभारंभ के साथ फ्लिपकार्ट भारत के विकास को आगे बढ़ाते हुए व्यापक ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान देना जारी रखे हुए है।

इस कार्यक्रम में 250 से अधिक उद्योग जगत के दिग्गजों, विक्रेताओं, कारीगरों, बुनकरों, शिल्पकारों और एसएचजी ने भाग लिया। इसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मनाना और उसे उन्नत करना था। इसमें कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरीएमएसडीई के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी (आईएएस)एमएसडीई की संयुक्त सचिव श्रीमती सोनल मिश्रा (आईएएस) सहित सम्मानित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।  फ्लिपकार्ट समूह के मुख्य कॉरपोरेट मामलों के अधिकारी रजनीश कुमार ने कहा कि यह समर्थ 5-वर्षीय यात्रा मील का पत्थर उत्सव कार्यक्रम पूरे भारत में कारीगरोंबुनकरों और एमएसएमई को सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। अपनी समर्थ पहल के माध्यम से हमने अपनी यात्रा के पिछले वर्षों में 1.8 मिलियन आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। 100 से अधिक पारंपरिक कला रूपों को संरक्षित किया है और हजारों विक्रेताओं की वृद्धि को बढ़ावा दिया है। हम भविष्य की ओर देखते हैं। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ हमारी साझेदारी भारत के युवाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल से युक्त करेगीजिससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे अतीत की विरासत भविष्य की पीढ़ियों के हाथों में फलती-फूलती रहेगी। फ्लिपकार्ट समर्थ कार्यक्रम में कारीगर सशक्तिकरण के भविष्य पर एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा भी हुई। पैनल में एमएसएमई मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अतीश कुमार सिंह, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी श्री महेंद्र पायल, बीयूनिक की सह-संस्थापक, निदेशक श्रीमती सिम्मी नंदा और अखिल भारतीय कारीगर और शिल्पकार कल्याण संघ की कार्यकारी निदेशक श्रीमती मीनू चोपड़ा ने आज के तेजी से विकसित हो रहे माहौल में भारत के कारीगर समुदाय के भविष्य, कौशल विकास के महत्व और बाजार पहुंच के विस्तार में ई-कॉमर्स की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में चर्चा की। फ्लिपकार्ट ने इवेंट के दौरान अपने ऐप पर ‘समर्थ स्टोरफ्रंट’ इंडियन रूट्स का अनावरण किया। यह वर्चुअल प्लैटफॉर्म कारीगरों, बुनकरों और एमएसएमई को राष्ट्रीय बाजार तक अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करता है। इससे उन्हें पूरे भारत में 500 मिलियन से अधिक ग्राहकों को अपने अद्वितीय उत्पाद दिखाने में मदद मिलती है। इस कार्यक्रम ने सरकारी से जुड़े दिग्गजों, उद्योग विशेषज्ञों और प्रमुख हितधारकों के लिए डिजिटल युग में कारीगर सशक्तिकरण के भविष्य पर चर्चा करने और पता लगाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। सभा ने लाखों लोगों के लिए स्थायी आजीविका बनाने के लिए पारंपरिक शिल्प कौशल को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित किया।

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उद्यमियों की विभिन्न विभागों से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण के लिए मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डलीय उद्योग बंधु की बैठक सम्पन्न

भारतीय स्वरूप कानपुर 23 अगस्त उद्यमियों की विभिन्न विभागों से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण के लिए मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डलीय उद्योग बंधु की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्य रूप से उपाध्यक्ष, कानपुर विकास प्राधिकरण, नगर आयुक्त, मुख्य अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग, अधीक्षण अभियंता उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय), अधिशाषी अभियंता उ0प्र0 जल निगम (नगरीय), महाप्रबंधक जलकल विभाग, सचिव जलकल विभाग, अधीक्षण अभियंता केस्को अधिशाषी अभियंता केस्को, उपायुक्त जी0एस0टी0, क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीसीडा, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, उपायुक्त उद्योग कानपुर नगर, कानपुर देहात, फर्रूखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया तथा उद्यमी श्री मनोज बंका, श्री उमंग अग्रवाल, श्री बृजेश अवस्थी, श्री लाडली प्रसाद, श्री सुशील शर्मा, श्री सुशील टकरू, श्री अमन घई सहित एसोसिएशन के अनेक प्रतिनिधि, उद्यमी एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।
श्री उमंग अग्रवाल महासचिव फीटा द्वारा विगत बैठक में पनकी अग्निशमन केन्द्र, पनकी से कन्ट्रोल रूम और जी0 डी0 का संचालन कराये जाने की मांग की गयी थी। मुख्य अग्निशमन अधिकारी, कानपुर नगर द्वारा अवगत कराया गया कि मण्डलीय उद्योग बंधु समिति की बैठक में उद्यमियों की मांग के अनुसार कन्ट्रोल रूम और जी0 डी0 का संचालन करा दिया गया है। उपस्थित उद्यमीगण द्वारा त्वरित कार्यवाही करने के लिए मण्डलायुक्त महोदय का करतल ध्वनि से धन्यवाद दिया गया।
श्री बृजेश अवस्थी नगर अध्यक्ष पी0आई0ए0 द्वारा पनकी साइट-2 में पानी संचय हेतु टैंक बनाये जाने का अनुरोध किया गया है, जिससे अग्निकाल में पानी की आपूर्ति हो सके। इस सम्बन्ध में सचिव, जलकल विभाग नगर निगम, कानपुर द्वारा अवगत कराया गया कि क्षेत्र में 2 टैंकर प्रतिदिन नियमित रूप से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रश्नगत क्षेत्र में 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत डीप बोर नलकूप के अधिष्ठान का कार्य किया जा रहा है तथा 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत 1500 मी0 पाइप लाइन बिछाये जाने के कार्य की स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। उपस्थित उद्यमीगण द्वारा त्वरित कार्यवाही करने के लिए मण्डलायुक्त महोदय का करतल ध्वनि से धन्यवाद दिया गया। मण्डलायुक्त महोदय द्वारा सचिव, जलकल को निर्देशित किया गया कि अपने प्लान में पानी संचय हेतु टैंक को भी सम्मिलित करें।
कानपुर में औद्योगिक क्षेत्रों में सीवर लाइन डाले जाने के सम्बन्ध में अब तक की स्थिति की समीक्षा की गयी। अधीक्षण अभियंता, उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) द्वारा अवगत कराया गया कि एस0टी0पी0 एवं आई0एस0टी0 की स्थापना कराये जाने हेतु भूमि की चिन्हित कराये जाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। मण्डलायुक्त महोदय द्वारा नगर आयुक्त को निर्देशित किया गया कि तत्काल भूमि का चिन्हांकन करायें।
दादानगर विद्युत सब स्टेशन की भूमि हेतु अधीक्षण अभियंता, केस्को को निर्देशित किया गया कि क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीसीडा से समन्वय करते हुए तीन दिन के अन्दर स्थलीय निरीक्षण कर भूमि का चिन्हांकन कर अवगत करायें।
एल0एम0एल0 चैराहे से भौंती बाईपास तक सड़क के किनारे ग्रीन बेल्ट बनाये जाने के सम्बन्ध में पी0आई0ए0 द्वारा किये गये अनुरोध के क्रम में नगर निगम तथा वन विभाग के सहयोग से 1.4 कि0 मी0 की बाउण्ड्रीवाल बन गयी है तथा उसमें वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है। औद्योगिक संगठनों द्वारा मांग की गयी कि इस क्षेत्र का अतिक्रमण हटवाये जाने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही की जाये। इस सम्बन्ध में मण्डलायुक्त महोदय द्वारा नगर आयुक्त को अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।
अन्त में उद्यमी संगठनों द्वारा उनकी समस्याओं को संयमित रूप से सुनने एवं उनके समयबद्ध रूप से निस्तारण करने हेतु मण्डलायुक्त महोदय का धन्यवाद अर्पित किया गया।

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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 प्रदान किए

 राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (22 अगस्त, 2024) नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में आयोजित एक पुरस्कार समारोह में राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 प्रदान किए।

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के पहले संस्करण में, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को चार श्रेणियों – विज्ञान रत्न, विज्ञान श्री, विज्ञान युवा और विज्ञान टीम में 33 पुरस्कार प्रदान किए गए।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में आजीवन योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को दिया जाने वाला विज्ञान रत्न पुरस्कार, भारत में आणविक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के अग्रणी वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविंदराजन पद्मनाभन को प्रदान किया गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विशिष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को दिए जाने वाले विज्ञान श्री पुरस्कार, 13 वैज्ञानिकों को उनके संबंधित क्षेत्रों में अग्रणी अनुसंधान के लिए प्रदान किए गए। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को मान्यता देने के लिए दिया जाने वाला विज्ञान युवा-एसएसबी पुरस्कार, हिंद महासागर के गर्म होने और इसके परिणामों पर अध्ययन के साथ साथ स्वदेशी 5-जी बेस स्टेशन के विकास और क्वांटम यांत्रिकी के संचार और सटीक परीक्षणों के क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए 18 वैज्ञानिकों को दिया गया। विज्ञान टीम पुरस्कार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में अभूतपूर्व अनुसंधान योगदान देने के लिए 3 या अधिक वैज्ञानिकों की एक टीम को दिया जाता है, चंद्रयान -3 की टीम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान -3 लैंडर की सफल लैंडिंग के लिए दिया गया था।विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को इस वर्ष से शुरू होने वाले राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 के पहले संस्करण को प्रस्तुत करने के लिए अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इन पुरस्कारों का उद्देश्य भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में भारतीय वैज्ञानिकों की असाधारण उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करना है।

पुरस्कारों के कुछ महत्वपूर्ण प्राप्तकर्ताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

प्रोफेसर गोविंदराजन पद्मनाभ, एनएएसआई मानद वैज्ञानिक और प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर: प्रोफेसर पद्मनाभन ने नई दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग सहायता परिषद के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो 1800 इनक्यूबेटर्स का समर्थन करती है और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 800 से अधिक उत्पादों का निर्माण करती है। प्रो. पद्मनाभन ने मलेरिया का कारण बनने वाले प्लास्मोडियम के हीम-बायो सिंथेटिक मार्ग को स्पष्ट किया और देश में कई आणविक जीव विज्ञान/बायोटेक अनुसंधान प्रयासों का नेतृत्व किया।

डॉ. आनंद रामकृष्णन, निदेशक, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंस्थान परिषद (सीएसआईआर) – नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम: डॉ आनंदरामकृष्णन ने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और नवीन खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों, पोषक तत्व वितरण प्रणालियों, 3-डी खाद्य मुद्रण, भोजन की समझ संरचना और पाचन, और स्थायी खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने की दिशा में अनुप्रयोग में सुधार किया है।

डॉ. अवेश कुमार त्यागी, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और निदेशक, रसायन विज्ञान समूह, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई: डॉ. त्यागी विश्व स्तर पर प्रशंसित वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् हैं। उन्होंने भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं और सामग्रियों की उन्नति में अभूतपूर्व योगदान दिया है।

प्रो. उमेश वार्ष्णेय, मानद प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी और सेल बायोलॉजी विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु: प्रो. वार्ष्णेय एक उत्कृष्ट जीवविज्ञानी हैं और उनका मौलिक कार्य ट्यूबरकुलर बैक्टीरिया, ई. कोलाई में प्रोटीन संश्लेषण और डीएनए मरम्मत की आवश्यक प्रक्रियाओं और टीबी के टीकों के विकास की दिशा में वादा करता है।

प्रो. जयंत भालचंद्र उदगांवकर, प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे: प्रो. उदगांवकर ने संरचनात्मक जीव विज्ञान के क्षेत्र में प्रोटीन फोल्डिंग और मिसफोल्डिंग सहित प्रोटीन संरचना और कार्य की समझ में उत्कृष्ट योगदान दिया है।

प्रोफेसर सैयद वजीह अहमद नकवी, राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंस्थान परिषद (सीएसआईआर)-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ: प्रोफेसर नकवी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता वाले एक उत्कृष्ट जैव-रासायनिक समुद्र विज्ञानी हैं। उनके अग्रणी शोध कार्य का समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में स्थायी विघटनकारी प्रभाव पड़ा।

प्रोफेसर भीम सिंह, एसईआरबी राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष और एमेरिटस प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली: प्रोफेसर सिंह पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अच्छे व्यावहारिक और अनुवादात्मक अनुसंधान के साथ एक विपुल शोधकर्ता और प्रौद्योगिकी सलाहकार हैं, जिसमें बिजली की गुणवत्ता और मल्टीपल्स कन्वर्टर्स, सौर पीवी विद्युत उत्पादन शामिल हैं।

प्रोफेसर डॉ. संजय बिहारी, निदेशक, श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम: प्रोफेसर बिहारी न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में प्रख्यात हैं, जो अनुकरणीय सेवा, उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान और चिकित्सा प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति के प्रतीक हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विज्ञान को बायोमेडिकल तकनीक के साथ एकीकृत करने वाले वातावरण को प्रोत्साहन दिया है जो पेटेंट और चिकित्सा उपकरणों को उत्पाद के रूप में परिवर्तित करता है।

प्रो. आदिमूर्ति आदि, प्रतिष्ठित विजिटिंग प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर: प्रो. आदिमूर्ति ने आंशिक अंतर समीकरणों के विश्लेषण और क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रश्नों के समाधान में मौलिक योगदान दिया है। उनके शोध योगदान को सेमीलिनियर इलिप्टिकल पीडीई, कार्यात्मक असमानताएं और हाइपरबोलिक संरक्षण कानूनों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्रोफेसर राहुल मुखर्जी, राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोलकाता: प्रोफेसर मुखर्जी ने उत्कृष्ट योगदान दिया है और गणितीय सांख्यिकी में उनके योगदान को अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है। सांख्यिकी में उनका शैक्षणिक कार्य एक विस्तृत क्षेत्र को शामिल करता है, जिसमें प्रयोगों का डिज़ाइन, बायेसियन सिद्धांत, एसिम्प्टोटिक विश्लेषण और सर्वेक्षण नमूनाकरण शामिल हैं।

प्रोफेसर लक्ष्मणन मुथुसामी, प्रख्यात प्रोफेसर और डीएसटी-एसईआरबी राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष, भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली: प्रोफेसर मुथुसामी भौतिकी के क्षेत्र में गैर-रेखीय गतिशीलता में एक प्रख्यात व्यक्ति हैं, जिसमें अंतर-अनुशासनात्मक अनुप्रयोगों के साथ गणित में खगोलीय गतिशीलता, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र का क्षेत्र शामिल है।

प्रोफेसर नबा कुमार मंडल, आईएनएसए के वरिष्ठ वैज्ञानिक, साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स, कोलकाता: प्रोफेसर मंडल न्यूट्रिनो भौतिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एक अग्रणी प्रायोगिक कण भौतिक विज्ञानी हैं। उन्होंने भारत स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला, आईएनओ के लिए डिटेक्टर की अवधारणा और डिजाइन का नेतृत्व किया, जो न्यूट्रिनो भौतिकी पर काम करने वाले युवा प्रयोगवादियों के लिए उपयोगी है।

डॉ. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम, निदेशक, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु: डॉ. (सुश्री) सुब्रमण्यम ने एकल और द्विआधारी सितारों, नीले स्ट्रैगलर्स, स्टार क्लस्टर, स्टार गठन, गैलेक्टिक संरचना, मैगेलैनिक बादलों आदि के भौतिकी में अग्रणी योगदान दिया है। उनके नेतृत्व में कक्षा में अंशांकन और यूवी इमेजिंग टेलीस्कोप के साथ और एस्ट्रोसैट मिशन में भी प्रभावशाली वैज्ञानिक परिणाम उत्पन्न हुए।

प्रो. रोहित श्रीवास्तव हिमांशु पटेल, चेयर प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई: प्रो. श्रीवास्तव ने पॉइंट ऑफ केयर चिकित्सा उपकरणों, बायो-मेडिकल माइक्रोसिस्टम्स और नैनोइंजीनियर्ड बायोसेंसर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रौद्योगिकी विकास हुआ है जिसमें मोबाइल आधारित मूत्र विश्लेषण, मधुमेह प्रबंधन, गैर-इनवेसिव हीमोग्लोबिन माप और लिपिड विश्लेषण प्रणाली शामिल है।

डॉ. कृष्ण मूर्ति एसएल, वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद: डॉ. कृष्ण मूर्ति ने चावल की छह नमक सहिष्णु किस्में और लवणता और क्षारीयता सहनशीलता के लिए चार आनुवंशिक स्टॉक विकसित किए हैं। विस्तार संबंधी कार्य से इन किस्मों के साथ एक महत्वपूर्ण क्षेत्र को शामिल करने में सहायता मिली।

डॉ. स्वरूप कुमार परिदा, वैज्ञानिक, राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (एनआईपीजीआर), नई दिल्ली: डॉ. परिदा ने एकीकृत अगली पीढ़ी के आणविक प्रजनन पर विभिन्न अवधारणाओं को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसे जटिल तनाव सहिष्णुता, उपज और पौधे के कुशल आनुवंशिक विच्छेदन, चावल और चने की फसल सुधार में तेजी लाने के लिए वास्तु संबंधी विशेषताओं के लिए तैनात किया।

प्रोफेसर राधाकृष्णन महालक्ष्मी, प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल: प्रोफेसर (सुश्री) महालक्ष्मी देश में स्वास्थ्य और बीमारियों में माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली प्रोटीन बायोफिज़िक्स में मौलिक अंतर्दृष्टि लाती हैं। इस कार्य में रोग निवारण के लिए पेप्टाइड-आधारित चिकित्सा विज्ञान के निहितार्थ हैं

प्रो. अरविंद पेनमात्सा, सहायक प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु: प्रो. पेनमात्सा ने औषध विज्ञान के क्षेत्र में न्यूरोट्रांसमीटर ग्रहण के लिए नवीन संरचनात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान की है। उनके काम ने एंटीबायोटिक परिवहन में इफ्लक्स पंप फ़ंक्शन के तंत्र का खुलासा किया है, जो कि बहु-औषध प्रतिरोध की व्यवस्था को उजागर करता है जो जैव चिकित्सा अनुसंधान के लिए सहायक है।

प्रोफेसर विवेक पोलशेट्टीवार, प्रोफेसर, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई: प्रोफेसर पोलशेट्टीवार पहले सिद्धांतों से दवाओं की खोज, डिजाइन और विकास के लिए अद्वितीय हस्ताक्षर वाले शोधकर्ताओं के समूह से संबंधित हैं। “ब्लैक गोल्ड” और “डिफेक्ट्स” के नैनोकैटलिसिस क्षेत्रों में उनका काम मौलिक विज्ञान और नवाचार का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।

प्रोफेसर विशाल राय प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, भोपाल: प्रोफेसर राय ने प्रोटीन की सटीक इंजीनियरिंग में मौलिक योगदान दिया है और निर्देशित ट्यूमर सर्जरी और कैंसर कीमोथेरेपी के लिए एंटीबॉडी-संयुग्मों को सशक्त बनाने के लिए सटीक प्रोटीन इंजीनियरिंग के लिए भारतीय बायोफार्मा क्षेत्र का समर्थन किया है।

डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोल, वैज्ञानिक एफ, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे: डॉ. कोल ने हिंद महासागर के गर्म होने और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून के साथ-साथ समुद्री उत्पादकता और समुद्री गर्मी चरम घटनाओं पर इसके प्रभाव में उत्कृष्ट और पथप्रदर्शक योगदान दिया है।

डॉ. अभिलाष वरिष्ठ प्राचार्य, सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला, जमशेदपुर: डॉ. अभिलाष ने खदान और प्रक्रिया अपशिष्ट आदि जैसे माध्यमिक संसाधनों से महत्वपूर्ण/रणनीतिक धातुओं के निष्कर्षण के लिए अंतःविषय स्वदेशी प्रक्रियाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, साथ ही खनन, धातुकर्म और अपशिष्ट पुनर्चक्रण उद्योगों के लिए प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने में अनुकरणीय योगदान दिया है।

डॉ. राधा कृष्ण गंती, प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास, चेन्नई: डॉ. गंती एक उत्कृष्ट शोधकर्ता हैं, जिन्होंने स्वदेशी रूप से 5-जी बेस स्टेशन विकसित किया है जिसमें मल्टी-इनपुट मल्टी-आउटपुट (एमआईएमओ) एसजी बेस स्टेशन, स्वदेशीकरण प्रयासों की दिशा में 64/32/16 एंटीना एमआईएमओ आरआरएच और सॉफ्टवेयर शामिल हैं।

डॉ. पूरबी सैकिया, सहायक प्रोफेसर, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची: डॉ. (सुश्री) सैकिया इकोलॉजिकल आला मॉडलिंग, मात्रात्मक इकोलॉजिकल विश्लेषण और आरईटी पौधों की प्रजातियों के संरक्षण में कुशल एक भावुक शोधकर्ता हैं। उनके शोध प्रकाशनों में क्षेत्रीय अनुप्रयोगों की संभावनाएं हैं और नीति नियोजन के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं।

डॉ. बप्पी पॉल सहायक प्रोफेसर, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर: डॉ. पॉल ने भविष्य के ईंधन के रूप में इथेनॉल में कार्बन डाइऑक्साइड के सीधे हाइड्रोजनीकरण के लिए एक प्रक्रिया और उत्प्रेरक विकसित किया है और वैश्विक वायु प्रदूषण के लिए उत्तरदाई उद्योगों और परिवहन से उत्सर्जित वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों को हटाने में भी योगदान दिया है।

प्रो. महेश रमेश काकड़े, प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु: प्रो. काकड़े ने पथ-प्रदर्शक विचारों का उपयोग करके गैर-कम्यूटेटिव इवासावा सिद्धांत के मुख्य अनुमान और ग्रॉस-स्टार्क अनुमान पर निर्णायक प्रगति की है, जो संख्या सिद्धांत में केंद्रीय समस्याएं हैं।

प्रो. जितेंद्र कुमार साहू प्रोफेसर, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, चंडीगढ़: प्रो. साहू एक कुशल बाल रोग विशेषज्ञ हैं और शिशु मिर्गी ऐंठन सिंड्रोम और शिशु-शुरुआत मिर्गी के उपचार पर काम कर रहे हैं।

डॉ. प्रज्ञा ध्रुव यादव, वैज्ञानिक ‘एफ’ और प्रमुख, भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे: डॉ. (सुश्री) यादव कई संक्रामक रोगों से संबंधित उच्च जोखिम वाले रोगजनकों और रोकथाम के मुद्दों में विशेषज्ञ हैं और उन्होंने विकास और देश में कोविड-19 के लिए कई टीकों का मूल्यांकन में योगदान दिया है।

प्रोफेसर उर्बासी सिन्हा प्रोफेसर, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु: प्रोफेसर (सुश्री) सिन्हा का क्वांटम सूचना, संचार और क्वांटम यांत्रिकी के सटीक परीक्षणों में मुख्य योगदान वैज्ञानिक समुदाय में अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है। लेगेट-गर्ग असमानता के निर्णायक उल्लंघन को प्रदर्शित करने वाले उनके बचाव-मुक्त प्रयोग और हांग-ओ-मंडेल इंटरफेरोमेट्री पर उनका हालिया काम महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियां हैं।

डॉ. दिगेंद्रनाथ स्वैन, ईएक्सएमडी/एसटीआर, विक्रम साराभाई स्पेस, इसरो, तिरुवनंतपुरम: डॉ. स्वैन लॉन्च वाहन संरचनाओं के प्रयोगात्मक ठोस यांत्रिकी में विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने डीआईसी और अन्य प्रयोगात्मक तकनीकों का उपयोग करके संरचनात्मक योग्यता परीक्षणों का समर्थन करने में उत्कृष्ट योगदान दिया है।

डॉ. प्रशांत कुमार, वैज्ञानिक-एसएफ, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), अहमदाबाद: डॉ. कुमार ने वायुमंडलीय विज्ञान और मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में मूल्यवान अनुसंधान योगदान दिया है और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा उपयोग की जाने वाली उच्च-रिज़ॉल्यूशन रैपिड रिफ्रेश प्रणाली के विकास में योगदान दिया है।

प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल, प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास, चेन्नई: फीचर-निर्देशित अल्ट्रासाउंड, वेवगाइड सेंसिंग, रोबोटिक संपत्ति निरीक्षण और अल्ट्रासोनिक मेटामटेरियल्स पर डॉ. राजगोपाल के अग्रणी शोध को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।

टीम चंद्रयान-3, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो मुख्यालय, बेंगलुरु: टीम चंद्रयान-3 को विज्ञान टीम श्रेणी के अंतर्गत सम्मानित किया गया है। चंद्रयान-3 निश्चित रूप से देश के लिए विश्व स्तर पर सबसे अधिक दिखाई देने वाली और स्वीकृत वैज्ञानिक उपलब्धि है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिकों की एक टीम के काम के रूप में प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।

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जेएनसीएएसआर ने स्वदेशी जिंक-आयन बैटरी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए एचजेडएल के साथ भागीदारी की

जिंक सामग्री के नए प्रकार के साथ स्वदेशी जिंक-आयन बैटरी प्रौद्योगिकियां जल्द ही कम लागत वाले ग्रिड-स्केल ऊर्जा भंडारण और अन्य संबंधित अनुप्रयोगों को सुगम बना सकती हैं। जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर),  जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का एक स्वायत्त संस्थान है, ने जिंक सामग्री के नए प्रकार विकसित करने और जिंक-आधारित बैटरियों के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए 21 अगस्त, 2024 को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

कम लागत और बेहतर प्रदर्शन वाली जिंक-आयन बैटरियों को भारत में महंगी और आयातित लिथियम-आयन बैटरियों के लिए अभिनव विकल्प के रूप में सराहा जाता है। जिंक-आयन बैटरियों में कम लागत और पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कच्चे माल के कारण बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण की अपार संभावनाएं हैं। जिंक-आधारित बैटरियां बाजार में काफी अच्छा और सुरक्षित विकल्प प्रदान करती हैं और विभिन्न तापमान सीमाओं में सामग्री स्थिरता, प्रदर्शन और विश्वसनीयता में हाल की प्रगति के साथ, जिंक बैटरियां ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं। जिंक-आयन बैटरियों में प्रयोग किए जाने वाले इलेक्ट्रोड, इलेक्ट्रोलाइट और इंटरफेस में कुछ उपयुक्त बदलाव कर देने से बाजार में मौजूदा लिथियम-आधारित बैटरी विकल्पों की तुलना में कहीं बेहतर परिणाम दे सकते हैं।

हालांकि, उनका व्यावसायीकरण सामग्री के प्रदर्शन को स्थिर करने पर निर्भर है। उदाहरण के लिए, जिंक जल-आधारित घोलों के साथ ऊष्मागतिकीय रूप से अस्थिर है और इसलिए इलेक्ट्रोड, इलेक्ट्रोलाइट और इंटरफेस पर उपयुक्त संशोधनों की आवश्यकता होती है। इन मुद्दों को संबोधित करते हुए, साझेदारी सामग्री नवाचार को बढ़ावा देने और स्वदेशी जिंक-आयन बैटरी प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाने के लिए तैयार है। जेएनसीएएसआर में प्रो. प्रेमकुमार सेनगुट्टुवन के समूह ने जिंक-आधारित बैटरियों में मजबूत अनुसंधान आधार तैयार किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्त पोषित समूह की अत्याधुनिक बैटरी लक्षण-वर्णन सुविधा ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। परिणामी शोध ने महत्वपूर्ण प्रकाशनों को जन्म दिया है, जिसने जिंक क्षेत्र में हिंदुस्तान जिंक जैसे अग्रणी उद्योगपतियों की रुचि को आकर्षित किया है। जेएनसीएएसआर टीम जिंक-आयन पाउच बैटरी का प्रदर्शन करने की भी योजना बना रही है, जिसे बड़े पैमाने पर व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए आसानी से निर्माण किया जा सकता है। नवपरिवर्तनकारी नए उत्पाद समाधान प्रदान करके, हिंदुस्तान जिंक का लक्ष्य चल रहे वैश्विक ऊर्जा संक्रमण का समर्थन करने के लिए बैटरी क्रांति में सबसे आगे रहना है। यह अनुसंधान समझौता दो प्रमुख सतत विकास लक्ष्यों एसडीजी 7 (सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा) और एसडीजी 13 (जलवायु कार्रवाई) को लक्षित करता है – सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना तथा जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना, जो बैटरी प्रौद्योगिकियों के विकास में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है।

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पद्म पुरस्‍कारों के लिए नामांकन 15 सितंबर, 2024 तक खुले

गणतंत्र दिवस, 2025 के अवसर पर घोषित किए जाने वाले पद्म पुरस्‍कार-2025 के लिए नामांकन/सिफारिश 01 मई, 2024  से शुरू हो गई हैं। पद्म पुरस्‍कारों के नामांकन की अंतिम तारीख 15 सितंबर, 2024 है। पद्म पुरस्‍कारों के लिए नामांकन/सिफारिश केवल राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार पोर्टल https://awards.gov.in पर ऑनलाइन प्राप्‍त की जाएंगी।

पद्म पुरस्‍कार, अर्थात पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री देश के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मानों में शामिल हैं। वर्ष 1954 में स्‍थापित, इन पुरस्‍कारों की घोषणा प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। इन पुरस्‍कारों के अंतर्गत ‘उत्‍कृष्‍ट कार्य’ के लिए सम्‍मानित किया जाता है। पद्म पुरस्‍कार कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा, विज्ञान एवं इंजीनियरी, लोक कार्य, सिविल सेवा, व्यापार एवं उद्योग आदि जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्‍ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए प्रदान किए जाते हैं। जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। चिकित्‍सकों और वैज्ञानिकों को छोड़कर अन्‍य सरकारी सेवक, जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम करने वाले सरकारी सेवक भी शामिल है, पद्म पुरस्‍कारों के पात्र नहीं हैं।

सरकार पद्म पुरस्‍कारों को “पीपल्स पद्म” बनाने के लिए कटिबद्ध है। अत:, सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे नामांकन/सिफारिशें करें। नागरिक स्‍वयं को भी नामित कर सकते हैं। महिलाओं, समाज के कमजोर वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, दिव्यांग व्यक्तियों और समाज के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे लोगों में से ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की पहचान करने के ठोस प्रयास किए जा सकते हैं जिनकी उत्कृष्टता और उपलब्धियां वास्तव में पहचाने जाने योग्य हैं।

नामांकन/सिफारिशों में पोर्टल पर उपलब्ध प्रारूप में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिसमें वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (citation) (अधिकतम 800 शब्द) शामिल होना चाहिए, जिसमें अनुशंसित व्यक्ति की संबंधित क्षेत्र/अनुशासन में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हो।

इस संबंध में विस्‍तृत विवरण गृह मंत्रालय की वेबसाइट (https://mha.gov.in) पर ‘पुरस्‍कार और पदक’ शीर्षक के अंतर्गत और पद्म पुरस्‍कार पोर्टल (https://padmaawards.gov.in) पर उपलब्‍ध हैं। इन पुरस्‍कारों से संबंधित संविधि (statutes) और नियम वेबसाइट https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx पर उपलब्‍ध हैं।

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केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “चंद्रयान-3 एक प्रमुख उपलब्धि था: अब चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 का प्रक्षेपण किया जाएगा”

केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की पूर्व संध्या पर मीडिया से बातचीत में इस कार्यक्रम के पूर्वावलोकन की घोषणा की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “चंद्रयान-3 एक प्रमुख उपलब्धि था और अब चंद्रयान-4 और-5 का प्रक्षेपण किया जाएगा।”

नई दिल्ली में आज राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के भव्य समारोह के लिए प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।

भारत 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा और इसके दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बन गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि का उत्सव मनाने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 अगस्त को “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” ​​​​के रूप में घोषित किया था।

भारत 23 अगस्त, 2024 को अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस [एनएसपीडी-2024] मना रहा है। इसका विषय है “चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा।” इसका आयोजन नई दिल्ली में भारत मंडपम के प्लेनरी हॉल में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की गरिमामय उपस्थिति में किया जाएगा।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग, में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “गगनयान मिशन 2025 में पहले भारतीय को अंतरिक्ष में भेजना है” जो अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व नेतृत्व के रूप में उभरने के भारत के प्रयासों पर प्रकाश डालता है। उन्होंने नौसेना प्रमुख एडमिरल डी. के. त्रिपाठी के साथ अपनी हालिया बैठक का भी स्मरण किया और मुख्य रूप से क्रू मॉड्यूल रिकवरी के लिए भारतीय नौसेना के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की साझेदारी को रेखांकित किया।

केंद्रीय राज्य मंत्री महोदय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि निजी भागीदारों के साथ सहयोग के कुछ महीनों के भीतर अंतरिक्ष क्षेत्र में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्टअप्स की भूमिका पर बल दिया और दोहराया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में शुरुआत में बहुत कम स्टार्टअप्स थे, लेकिन अब इसमें लगभग 300 स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से कई वैश्विक क्षमता वाले हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री महोदय ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री श्रीमती सीतारामण के बजट भाषण को याद किया जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अगले 10 वर्षों में 5 गुना बढ़ जाएगी।

इस कार्यक्रम में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने दुनिया को अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की प्रगति देखने के लिए श्रीहरिकोटा के द्वार खोलने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया। यह एक निजी प्रक्षेपण केंद्र की भी मेज़बानी करता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री महोदय ने भविष्य की योजनाओं को साझा करते हुए कहा, “आधारशिला परियोजनाओं में से एक वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और वर्ष 2045 तक चंद्रमा पर एक भारतीय की लैंडिंग करनी है।” उन्होंने यह भी बताया कि राकेश शर्मा गगनयान मिशन टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री महोदय ने सुनीता विलियम्स को शुभकामनाएं भी दीं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक सचिव शांतनु भटवाडेकर भी बातचीत के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री महोदय के साथ उपस्थित थे। उन्होंने कहा, “इसरो ने हमारे देश के सात क्षेत्रों में कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की। प्रत्येक क्षेत्र ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनियों, अंतरिक्ष विज्ञान मेलों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत के सत्र की मेजबानी की। कार्यक्रमों में उपग्रह प्रौद्योगिकी, मॉडल रॉकेटरी कार्यशालाओं का प्रदर्शन शामिल था। इन आयोजनों में अंतरिक्ष मिशनों के आभासी वास्तविकता अनुभव और इसरो रोबोटिक्स चैलेंज और भारतीय अंतरिक्ष हैकथॉन सहित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं शामिल हैं।” इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह उत्सव सिर्फ वैज्ञानिक समुदाय के लिए नहीं बल्कि हर भारतीय के लिए है। देश भर के विद्यालयों और महाविद्यालयों ने अंतरिक्ष-विषय वाली प्रतियोगिताओं, वाद-विवाद और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में भाग लिया। अनुसंधान संगठनों, मंत्रालयों और गैर-सरकारी संगठनों ने कार्यशालाओं और जनसंपर्क कार्यक्रमों का संचालन करने के लिए इसरो के साथ सहयोग किया, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान को जनता के लिए सुलभ बनाया गया। भारतीय नागरिकों को अंतरिक्ष प्रदर्शनियों को देखने, वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने और यहां तक ​​कि इसरो केंद्रों पर सजीव प्रक्षेपण देखने का अवसर मिला।

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गृह मंत्री अमित शाह ने श्री अमरनाथ जी यात्रा के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर सभी सुरक्षाकर्मियों, श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं को बधाई दी

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने श्री अमरनाथ जी की पवित्र यात्रा के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर सभी सुरक्षा कर्मियों, श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं को बधाई दी।

X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में श्री अमित शाह ने कहा कि “श्री अमरनाथ जी की पवित्र यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हुई। 52 दिनों तक चली इस पवित्र यात्रा में इस बार रिकॉर्ड 5.12 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने बाबा के दर्शन किये, जो कि बीते 12 वर्षों की सर्वाधिक संख्या है। इस यात्रा को सफल बनाने के लिए हमारे सभी सुरक्षा कर्मियों, श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं को बधाई देता हूँ। श्रद्धालुओं की यात्रा को सुरक्षित व सुगम बनाने में आप सभी का अद्वितीय योगदान रहा है। बाबा सभी पर अपनी कृपा बनाये रखें। जय बाबा बर्फानी!”

 

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भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण ने नागरिकों को अपने नाम से धोखाधड़ी करने वाले कॉल के संबंध में आगाह किया

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के संज्ञान में यह लाया गया है कि नागरिकों को इस प्राधिकरण से होने का दावा करते हुए बहुत से प्री-रिकॉर्डेड कॉल किए जा रहे हैं। नागरिकों को धमकी दी जाती है कि उनके नंबर जल्द ही ब्लॉक कर दिए जाएंगे और उनसे कुछ व्यक्तिगत जानकारी देने के लिए कहा जाता है।

यहां पर यह सूचित किया जाता है कि ट्राई के संदेशों या अन्य माध्यमों से मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट करने के बारे में ग्राहकों से संचार शुरू नहीं किया जाता है। ट्राई ने ऐसे उद्देश्यों की पूर्ति हेतु ग्राहकों से संपर्क करने के लिए किसी भी तीसरे पक्ष की एजेंसी को अधिकृत नहीं किया है। इसलिए, ट्राई से होने का दावा करने वाले अथवा मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट करने की धमकी देने वाले किसी भी प्रकार के संचार (कॉल, संदेश या नोटिस) को संभावित धोखाधड़ी का प्रयास माना जाना चाहिए और इस पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।

बिलिंग, केवाईसी या दुरुपयोग के कारण किसी भी मोबाइल नंबर का डिस्कनेक्ट संबंधित दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) द्वारा किया जाता है। नागरिकों को सतर्क रहने और संदिग्ध धोखेबाजों के झांसे में आने से घबराने की सलाह नहीं दी जाती है। उन्हें संबंधित दूरसंचार सेवा प्रदाता के अधिकृत कॉल सेंटर या ग्राहक सेवा केंद्रों से संपर्क करके ऐसी फोन कॉल की पुष्टि करने की भी सलाह दी जाती है।

साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से नागरिकों को दूरसंचार विभाग के संचार साथी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सुविधा के माध्यम से संदिग्ध धोखाधड़ी वाले संचार की रिपोर्ट करने के लिए आग्रह किया जाता है। इस प्लेटफॉर्म को https://sancharsaathi.gov.in/sfc/ पर देखा किया जा सकता है। साइबर अपराध के पुष्ट मामलों के लिए, पीड़ितों को निर्दिष्ट साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ पर या आधिकारिक वेबसाइट https://cybercrime.gov.in/ के माध्यम से घटना की रिपोर्ट करनी चाहिए।

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भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व ने विकसित भारत@2047 की कार्य योजना पर विचार-विमर्श किया

थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेन्द्र द्विवेदी की अध्यक्षता में भारतीय सेना का वरिष्ठ नेतृत्व 19 अगस्त 2024 को एक महत्वपूर्ण चर्चा के लिए नई दिल्ली में एकत्र हुआ। 30 जून 2024 को थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) का पद भार संभालने के बाद से जनरल द्विवेदी के नेतृत्व में यह पहली उच्च स्तरीय बैठक है। यह बैठक 20 अगस्त तक जारी रहेगी। भारतीय सेना की सात कमानों के  जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सीएस) इस बैठक में भाग ले रहे हैं।

आज की चर्चा का मुख्य केंद्र अमृत काल के दौरान भारतीय सेना के भविष्य के पाठ्यक्रम को तैयार करने, भारत को एक विकसित देश, एक महत्वपूर्ण वैश्विक प्रतिनिधि और वर्ष 2047 तक दुनिया के सबसे वांछनीय देशों में से एक बनाने के भारत सरकार के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाने पर था। इस मंच से भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों को रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और अगले दो दशकों में भारतीय सेना के परिवर्तन की दिशा निर्धारित करने का अवसर प्राप्त हुआ।

आज की बैठक के दौरान भारतीय सेना द्वारा चल रही परिवर्तनकारी पहलों और विकसित भारत@2047 के उद्देश्य को प्राप्त करने में इसके योगदान पर चर्चाएँ केंद्रित थीं। वरिष्ठ नेतृत्व ने राष्ट्रीय दृष्टिकोण में सेना की भूमिका को परिभाषित करने के लिए आपसी बातचीत की और भारतीय सेना के विज़न@2047 को इस प्रकार व्यक्त किया:

“एक आधुनिक, चुस्त, अनुकूल, प्रौद्योगिकी-सक्षम और आत्मनिर्भर भविष्य-तैयार बल में परिवर्तित होना, जो संचालन के स्पेक्ट्रम में बहु-क्षेत्रीय वातावरण में युद्धों को रोकने और जीतने में सक्षम हो, हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा और अन्य सेवाओं के लिए तालमेल के साथ हो।”

परिवर्तन के दशक के प्रमुख लक्ष्य

भारतीय सेना ने परिवर्तनकारी पहलों के प्रति अपनी रैंक और फ़ाइल को संरेखित करने के लिए वर्ष 2023 को ‘परिवर्तन का वर्ष’ और 2024 को ‘प्रौद्योगिकी अवशोषण का वर्ष’ घोषित करके परिवर्तन के दशक में प्रवेश किया।

वरिष्ठ नेतृत्व ने अगले दशक में अपनाए जाने वाले कई व्यापक लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार की, जिनमें शामिल हैं: रंगमंचीकरण, सेना और कमान मुख्यालयों का पुनर्गठन, कमान, कोर और क्षेत्रीय मुख्यालय सीमाओं का पुनर्गठन। अन्य चर्चा एजेंडे में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का विकास, भूमि, वायु, साइबर और अंतरिक्ष को शामिल करने के लिए मल्टी-डोमेन और क्रॉस-डोमेन परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना शामिल है।

वर्तमान क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ लेकर डेटा-केंद्रित व्यवहार के संचालन पर विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा, मैकेनाइज्ड फोर्सेज, आर्टिलरी, कॉम्बैट एविएशन, एयर डिफेंस और इन्फैंट्री के उन्नयन के लिए क्षमता विकास की रूप रेखा पर चर्चा की गई, जिसमें लॉजिस्टिक्स, गोला-बारूद के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के विकल्पों, मल्टी डोमेन संचालन का समर्थन करने के लिए नई संरचनाओं की आवश्यकता और सिस्टम, प्रक्रियाओं और कार्यों के स्वचालन और नेटवर्किंग में तेजी लाने के लिए ढांचे पर चर्चा की गई।

थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) ने सभी हितधारकों से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने, उपकरणों, प्लेटफार्मों और हथियारों के स्वदेशीकरण में आत्मनिर्भरता हासिल करने का प्रयास करने, न केवल विश्व स्तरीय उपकरण विकसित करने में भारतीय रक्षा उद्योगों का समर्थन करने, बल्कि एक अग्रणी रक्षा निर्यातक बनने में भी सहायता करने का आह्वान किया।

लॉजिस्टिक्स, संचार और अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए सामान्य सैन्य स्टेशनों और इकाइयों की स्थापना की आवश्यकता के अलावा संयुक्त सेवा संरचनाओं और संगठनों को मजबूत करने के लिए सशस्त्र बलों में संयुक्तता और एकीकरण को बढ़ाने की कार्रवाइयों पर भी चर्चा की गई। सभी रैंकों के कर्मियों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता में सुधार लाने के उद्देश्य से मानव संसाधन विकास पहल पर भी विचार-विमर्श किया गया।

मुख्य चर्चाएँ और पहल

  • अधिकतम दक्षता और परिचालन तत्परता सुनिश्चित करने के लिए सेना मुख्यालय, कमान मुख्यालय और अन्य प्रमुख संरचनाओं का पुनर्गठन।
  • सभी लड़ाकू हथियारों, लड़ाकू सहायता हथियारों और लॉजिस्टिक्स इकाइयों का आधुनिकीकरण।
  • युद्ध की भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच संयुक्त संचालन और एकीकरण को बढ़ाना।
  • स्वदेशीकरण के लिए प्रतिबद्धता, घरेलू रक्षा उद्योग का समर्थन करना और एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति को सुविधाजनक बनाना।

अतिरिक्त पहलें

  • निम्नलिखित पहलों को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय दृष्टिकोण से जुड़ी भारतीय सेना की चल रही पहलों के साथ चर्चा समाप्त हुई:
  • सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण: सैन्य शिक्षा में भारत के नेतृत्व पर प्रकाश डाला गया, संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (सीयूएनपीके) को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता प्रदान की गई।
  • रक्षा कूटनीति: रक्षा विंगों की संख्या बढ़ाना, संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भारतीय सेना की भूमिका बढ़ाना और विदेशी देशों के साथ संयुक्त अभ्यास में भागीदारी करना।
  • संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण: गति शक्ति जैसी राष्ट्रीय पहल में सेना की भागीदारी पर चर्चा की गई, जिसमें दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे की पहचान और विकास में महत्वपूर्ण प्रगति हुई।
  • स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा: भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) और सैन्य अस्पतालों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में भारतीय सेना के योगदान के साथ-साथ कौशलवीर योजना जैसी पहल के माध्यम से शिक्षा और कौशल विकास में इसकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया।
  • युवा सशक्तिकरण और खेल: राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाने और ओलंपिक में संभावित पदक विजेताओं को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मिशन ओलंपिक के माध्यम से खेलों को प्रोत्साहन प्रदान करने में सेना के प्रयास। 

बैठक के दौरान चर्चाओं ने भविष्य के लिए तैयार बल के रूप में विकसित होने की भारतीय सेना की प्रतिबद्धता की पुष्टि कीजो न केवल राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में सक्षम है बल्कि विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

 

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद में CAA के तहत 188 शरणार्थी बहनों-भाइयों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान किये

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद में CAA के तहत 188 शरणार्थी बहनों-भाइयों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान किये। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि CAA देश में बसे लाखों लोगों को सिर्फ नागरिकता देने का नहीं, बल्कि न्याय और अधिकार देने का कानून है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की तुष्टिकरण की नीति के कारण 1947 से 2014 तक देश में शरण लेने वाले लोगों को अधिकार और न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इन लोगों को न सिर्फ पड़ोसी देशों में बल्कि यहां भी प्रताड़ना सहनी पड़ी। श्री शाह ने कहा कि ये लाखों-करोड़ों लोग तीन-तीन पीढ़ियों तक न्याय के लिए तरसते रहे लेकिन विपक्ष की तुष्टिकरण की नीति के कारण इन्हें न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इन लाखों-करोड़ों लोगों को न्याय देने का काम किया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के समय भारत का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया और उस समय भीषण दंगे हुए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले करोड़ों हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई समुदाय के लोग अपनी वेदना नहीं भूल सकते। उन्होंने कहा कि उस वक्त विभाजन का फैसला करते हुए तत्कालीन सरकार ने वादा किया था कि पड़ोसी देशों से आने वाले  हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई संप्रदायों के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। श्री शाह ने कहा कि चुनाव आते-आते तत्कालीन सरकार के नेता इन वादों से मुकरते गए और 1947, 1948 और 1950 में किए गए इन वादों को भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि उस समय की सरकार ने इन लोगों को इसी लिए नागरिकता नहीं दी कि इससे उनका वोट बैंक नाराज़ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की नीति के कारण इन लाखों-करोड़ों लोगों को नागरिकता से वंचित रखा गया और इससे बड़ा पाप कोई नहीं हो सकता।

अमित शाह ने कहा कि ये करोड़ों लोग भाग कर और प्रताड़ना झेलकर आए, कईयों ने अपना परिवार और संपत्ति सब गंवा दी लेकिन यहां उन्हें नागरिकता तक नहीं मिली। उन्होंने कहा कि 1947 से 2019 और 2019 से 2024 तक की यात्रा को इस देश का इतिहास हमेशा याद रखेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग अपना आत्मसम्मान बचाने यहां आए उन्हें क्यों इस देश की नागरिकता नहीं मिल सकती। श्री शाह ने कहा कि एक ओर तो पिछली सरकारों ने करोड़ों लोगों को सीमापार से घुसपैठ कराकर अवैध रूप से भारत का नागरिक बना दिया, तो दूसरी ओर कानून को मानने वाले लोगों को कहा गया कि इसके लिए कोई कानून प्रावधान नहीं है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि कानून लोगों के लिए होता है न कि लोग कानून के लिए होते हैं। उन्होंने कहा कि हमने 2014 में वादा किया था कि हम CAA लाएंगे और 2019 में मोदी सरकार इस कानून को लेकर आई। उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से, करोड़ों हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, जिन्हें न्याय नहीं मिला था, उन्हें न्याय देने की शुरूआत हुई। श्री शाह ने कहा कि ये कानून 2019 में पारित हुआ था लेकिन उसके बाद भी सबको भड़काया गया कि इससे मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस कानून में किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है और ये नागरिकता देने का कानून है। उन्होंने कहा कि हमारे ही देश के लोग हमारे ही देश में निराश्रित बनकर रह रहे हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य और विडंबना क्या हो सकती है। श्री शाह ने कहा कि कई सालों तक तुष्टिकरण की नीति के कारण ये नहीं हो सका था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में इस कानून को लाने का फैसला लिया।

अमित शाह ने कहा कि 2019 में  कानून पारित होने के बाद भी 2024 तक इन परिवारों को नागरिकता नहीं मिली क्योंकि देश में दंगे कराए गए और अल्पसंख्यकों को भड़काया गया। उन्होंने कहा कि CAA को लेकर देश में अफवाहें फैलाई गईं। इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाती और ये हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है। श्री शाह ने कहा कि आज भी कुछ राज्य सरकारें लोगों को गुमराह कर रही हैं। गृह मंत्री ने देशभर के शरणार्थियों से अपील की कि वे नागरिकता प्राप्त करने के लिए बेझिझक आवेदन करें और इससे उनकी नौकरी, घर आदि पहले की तरह बरकरार रहेंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस कानून में किसी प्रकार के क्रिमिनल केस का प्रोविजन नहीं है और सबको माफी दे दी गई है और ये इसलिए किया गया है कि नागरिकता देने में देरी सरकार के कारण हुई है आपके कारण नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह कानून शरणार्थियों को न्याय देने और उनके साथ हुए अत्याचारों की क्षमा के साथ परिमार्जन के लिए उन्हें सम्मान देने का काम करेगा। अमित शाह ने कहा कि जब विभाजन हुआ था तब बांग्लादेश में 27 प्रतिशत हिंदू थे, आज 9% रह गए हैं, बाकी कहां गए। उन्होंने कहा कि वहां उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और यहां हमारी शरण में आए लोगों को क्या अपनी इच्छा के अनुसार वहां अपने धर्म का पालन करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर पड़ोसी देश में सम्मान के साथ नहीं जी सकते और हमारी शरण में आते हैं तो हम मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकते, यह नरेन्द्र मोदी सरकार है और इन लोगों को न्याय जरूर मिलेगा। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस कानून को लाने की मांग शरणार्थी लंबे समय से कर रहे थे और प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ फैसला लेते हुए इस कानून को पारित कराया। उन्होंने कहा कि इस कानून के पारित होने के बाद कुछ जगह हिंसक घटनाएं भी हुई लेकिन अंततोगत्वा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नियम बनाकर हमने नागरिकता का अधिकार और सर्टिफिकेट दे दिया। अमित शाह ने कहा कि 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि इस देश का लोकतंत्र परिवारवाद, जातिवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार के 4 नासूरों से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में मोदी जी ने इन चारों नासूरों को उखाड़ने के लिए अथक प्रयास किए हैं। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस वर्ष 15 अगस्त को परिवारवाद के खिलाफ अपील की है कि ऐसे 1 लाख युवा राजनीति से जुड़ें, जिनके परिवार में से कोई राजनीति में न हो। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भी जंग की। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने जातिवाद के नासूर को खत्म करने के लिए चार जातियां घोषित की- गरीब, महिला, युवा और किसान। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सामने एक नई प्रकार की राजनीतिक फिलॉसफी रखी और तुष्टिकरण की राजनीति को भी खत्म किया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस देश के कई मसले ऐसे थे जो दशकों से अटके हुए थे। जैसे, 550 साल के बाद अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बनाने का काम मोदी जी ने किया। इसी प्रकार, औरंगजेब द्वारा तोड़ा गया काशी विश्वनाथ मंदिर फिर से बन गया है, मोहम्मद बेगड़ा द्वारा तोड़ी गई पावागढ़ की शक्तिपीठ का भी पुनर्रूद्धार किया। उन्होंने कहा कि भारत में तीन तलाक समाप्‍त करने का काम भी नरेन्‍द्र मोदी जी ने किया। श्री शाह ने कहा कि आतंक की फैक्ट्री जिस सोच के कारण जन्मी और जिस सोच के कारण चलती थी उस सोच का पोषण करने वाली धारा 370 को भी प्रधानमंत्री मोदी ने समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, करोड़ों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन भाइयों को उनके अधिकार से वंचित रखने वाले कानून का संशोधन अटका हुआ था, उस CAA कानून को भी नरेन्द्र मोदी जी लेकर आए और इन लोगों को न्याय दिया। अमित शाह ने देशभर के शरणार्थियों से अपील करते हुए कहा कि विपक्षी दल उन्हें गुमराह करने का प्रयास करेंगे, लेकिन उन्हें डरना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग अलपसंख्यकों को गुमराह कर रहे हैं उन्हें मालूम होना चाहिए कि वे उनके साथ अन्याय कर रहे हैं। शाह ने कहा कि पिछली सरकारों की हिम्मत नहीं थी ये कानून लाने की, तो अब कम से कम इस पर अमल करने में विपक्षी दलों को मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए।

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