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प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने साइबर सुरक्षा की जागरूकता बढ़ाने और इलेक्ट्रॉनिक्स और विशेष अभियान 4.0 के अंतर्गत चल रही सूचना सुरक्षा मंत्रालय की पहल को बढ़ावा देने के लिए 7 अक्टूबर को सीएसओआई में साइबर सुरक्षा पर कार्यशाला का आयोजन किया

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने सिविल सेवा अधिकारी संस्थान (सीएसओआई), विनय मार्ग, नई दिल्ली में साइबर सुरक्षा पर एक व्यापक कार्यशाला का आयोजन किया। यह पहल इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (सीईआरटी-आईएन) द्वारा साइबर स्वच्छता केंद्र की स्थापना से प्रेरित थी।

इस कार्यशाला का उद्देश्य साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाना, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पहलों को बढ़ावा देना तथा सार्वजनिक ई-गवर्नेंस प्लेटफार्मों की सुरक्षा के लिए मजबूत साइबर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर जोर देना था। यह कार्यशाला विशेष अभियान 4.0 के तहत आयोजित की गई, जिसमें 200 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इनमें नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर(एनआईसी) के वरिष्ठ अधिकारी, लोक शिकायत/ केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) के नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन (एनईएसडीए) 2023 के नोडल अधिकारी और मंत्रालय के डिजिटल प्लेटफार्मों के निर्माण और संचालन में शामिल वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

कार्यशाला में भारत में वर्तमान साइबर सुरक्षा परिदृश्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने, विभिन्न सरकारी अनुप्रयोगों के लिए साइबर सुरक्षा संबंधी विवेचन, और वर्तमान डिजिटल वातावरण में साइबर सुरक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा उन उपायों के बारे में जानकारी प्रदान की गई जिनसे साइबर खतरों को कम किया जा सकता है।

कार्यशाला में पैनल चर्चा के दो महत्वपूर्ण दौर हुए। पहले दौर में ‘भारत में वर्तमान साइबर सुरक्षा परिदृश्य’ पर चर्चा हुई। इसकी अध्यक्षता सीईआरटी-इन के महानिदेशक डॉ. संजय बहल ने की, जिसमें श्री नवीन कुमार सिंह (डीजी, एनसीआईआईपीसी), श्री संतोष मिश्रा (साइबर सुरक्षा पर साझेदार पीडब्ल्यूसी और एनईएसडीए 2023), और सुश्री सीमा खन्ना (डीडीजी और एचओजी साइबर सुरक्षा – एनआईसी) तथा स्वयं डॉ. संजय बहल ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। दूसरी पैनल चर्चा में ‘ई-ऑफिस, भविष्य और सीपीजीआरएएमएस के लिए साइबर सुरक्षा संबंधी विवेचन’ पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें श्रीमती जया दुबे (संयुक्त सचिव, डीएपीआरजी), डॉ. सुशील कुमार (डीडीजी और एचओजी, एनआईसी), सुश्री रचना श्रीवास्तव (वैज्ञानिक जी, एनआईसी – ई-ऑफिस), श्री अनिल बंसल (वरिष्ठ निदेशक (आईटी), डीओपीपीडब्ल्यू- भविष्य), और श्री संजीव सक्सेना (एसटीडी, एनआईसी, डीएआरपीजी- सीपीजीआरएएमएस) ने अपने विचार व्यक्त किए।

उद्घाटन सत्र की शुरुआत प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के अतिरिक्त सचिव श्री पुनीत यादव के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने वर्तमान डिजिटल वातावरण में मजबूत साइबर बुनियादी ढांचे के निर्माण के महत्व के बारे में एक ठोस संदेश के साथ अपनी बात रखकर विचार-विमर्श का माहौल तैयार किया। उन्होंने लोक सेवाओं में पारदर्शिता और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित और कुशल ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म की आवश्यकता पर जोर दिया।

सीईआरटी-इन के महानिदेशक डॉ. संजय बहल ने भारत में अनुकूल साइबर व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से चल रही पहलों पर चर्चा की। उन्होंने सुरक्षित डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुरूप साइबर खतरों के विरुद्ध डिजिटल प्लेटफॉर्म को मजबूत करने के प्रयासों पर जोर दिया। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) के संयुक्त सचिव श्री ध्रुवज्योति सेनगुप्ता ने भविष्य पोर्टल की साइबर सुरक्षा विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने पेंशन मामलों से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा और पेंशनभोगियों को सुरक्षित सेवा सुनिश्चित करने में डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के महत्व पर जोर दिया।

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने भी साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म की सुरक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन (एनईएसडीए) जैसी प्रमुख पहलों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें सूचना सुरक्षा और गोपनीयता के मुख्य मापदंडों के आधार पर यह सुनिश्चित किया जाता है कि सुरक्षित और कुशलतापूर्ण तरीके से लोक सेवाएं प्रदान की जाएं।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन ने साइबर स्वच्छता केंद्र (बॉटनेट क्लीनिंग और मालवेयर एनालिसिस सेंटर) जैसी पहलों के माध्यम से भारत के साइबर सुरक्षा परिदृश्य को मजबूत करने में चल रहे भारत सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया। CERT-In के नेतृत्व में यह प्रयास देश का सुरक्षित डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सीईआरटी-इन के महानिदेशक डॉ. संजय बहल के संचालन में पहले पैनल ने राष्ट्रीय साइबर व्यवस्था के निर्माण के प्रयासों का अवलोकन किया। एनसीआईआईपीसी के श्री नवीन कुमार सिंह ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की साइबर खतरों से सुरक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। पीडब्ल्यूसी के श्री संतोष मिश्रा ने एनईएसडीए 2023 के तहत डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने वाले साइबर सुरक्षा के वर्तमान रुझानों पर चर्चा की, और एनआईसी की सुश्री सीमा खन्ना ने सरकारी डिजिटल प्लेटफार्मों के सामने आने वाली चुनौतियों और उन्हें सुरक्षित करने के लिए एनआईसी के प्रयासों के बारे में बताया। दूसरी पैनल चर्चा ई-ऑफिस, भविष्य और सीपीजीआरएएमएस के लिए साइबर सुरक्षा विचारों पर केंद्रित थी। इसका संचालन डीएआरपीजी की संयुक्त सचिव श्रीमती जया दुबे ने किया। उन्होंने ई-ऑफिस, भविष्य और सीपीजीआरएएमएस जैसे प्रमुख सरकारी प्लेटफार्मों की कुशलता और समग्रता को बढ़ाने के प्रयासों में मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों को शामिल करने के महत्व को रेखांकित किया।

डीएआरपीजी की संयुक्त सचिव श्रीमती जया दुबे के संचालन में दूसरे पैनल ने ई-ऑफिस, भविष्य और सीपीजीआरएएमएस के लिए साइबर सुरक्षा उपायों की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया। डॉ. सुशील कुमार ने सरकारी कामकाज के निर्बाध संचालन के लिए ई-ऑफिस सुरक्षा पर जोर दिया, जबकि सुश्री रचना श्रीवास्तव ने उत्पादकता बढ़ाने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री अनिल बंसल ने भविष्य पोर्टल में डेटा गोपनीयता की आवश्यकता पर जोर दिया और श्री संजीव सक्सेना ने सुरक्षित नागरिक शिकायत निवारण व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सीपीजीआरएएमएस की साइबर सुरक्षा रणनीतियों का उल्लेख किया।

कार्यशाला के समापन में श्रीमती सरिता तनेजा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने श्री एस. कृष्णन और श्री वी. श्रीनिवास के नेतृत्व की प्रशंसा की। इस कार्यक्रम में सुरक्षित ई-गवर्नेंस के लिए साइबर सुरक्षा के विशेष महत्व को रेखांकित किया गया, तथा भारत की डिजिटल व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएपीआरपीजी) की पहलों को प्रदर्शित किया गया।