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एमएसएमई क्षेत्र और बुनियादी ढांचा में अंतर्राष्ट्रीय निवेश बढ़ाने का नितिन गडकरी ने किया आह्वान

     केन्द्रीय सड़क परिवन, राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री श्री नितिन गडकरी ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और निकायों से भारतीय राजमार्गों और एमएसएमई क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया है। यह दोनों क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास ईंजन है। आज सड़क बुनियादी ढांचा और एमएसएमई में व्यापार निवेश और सहयोग पर इंडो-ऑस्ट्रेलियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स और वोमेनोवेटर को संबोधित करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया पहले से ही सड़क सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। इस सहयोग ने जनता के लिए बेहतर डिजाइन और जागरूकता के अवसर उपलब्ध कराए हैं। भारतीय सड़क सुरक्षा आकलन कार्यक्रम के तहत 21,000 किलोमीटर लम्बी सड़कों का आकलन किया गया है और लगभग 3,000 किलोमीटर लम्बी सड़कों का तकनीकी उन्नयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बेहतर सड़क इंजीनियरिंग और सार्वजनिक जागरूकता में बढ़ोतरी से यह सुधार आया है। अनुमान है कि इन उन्नयन कार्यक्रमों से सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 50 प्रतिशत कमी आएगी। श्री गडकरी ने यह भी बताया कि हमारा उद्देश्य 2030 तक शून्य सड़क मृत्यु दर अर्जित करना है। श्री नितिन गडकरी ने बताया कि उनके मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए अनेक पहल की हैं। विश्व बैंक और एडीबी ने इस अभियान के लिए 7000-7000 करोड़ रुपये देने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरूकता और शिक्षा, आपातकालीन सेवाओं में सुधार, चिकित्सा बीमा पर जोर, अधिक से अधिक अस्पताल आदि उपलब्ध करा कर देश अपने सड़क सुरक्षा लक्ष्यों को प्राप्त करने के करीब पहुंच रहा है। उन्होंने मोटर वाहन अधिनियम, 2019 का उल्लेख किया, जो देश में परिवहन क्षेत्र के सभी पहलुओं के लिए एक व्यापक कानून है।

     उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए गांव, कृषि और जनजातीये क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एमएसएमई एक ऐसा क्षेत्र है जो आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि बुनियादी ढांचे और बीमा क्षेत्रों में निवेश खोल दिया गया है क्योंकि बीमा, पेंशन और शेयर अर्थव्यवस्थाओं में बड़े अवसर मौजूद है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई जल्दी ही पूंजी बाजार में प्रवेश करने वाली है।

     ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री श्री माइकल मेककॉर्मेक ने इस अवसर पर भारतीय सड़क क्षेत्र के विकास और प्रगति, विशेष रूप से सड़क सुरक्षा क्षेत्र में भागीदारी करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की गहरी दिलचस्पी व्यक्त की। उन्होंने विशेष रूप से सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में उनके देश द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में मजबूत संबंध है। इससे पहले इतने मजबूत संबंध कभी नहीं रहे। इन संबंधों में व्यापक रूप से बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बुनियादी ढांचा निर्माण पर जोर दिया और कहा कि कोविड-19 पर काबू पाने का एक तरीका बुनियादी ढांचे का निर्माण करना भी है।

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आईआईए के स्थापना दिवस के अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों ने कहा कि आईआईए के संस्थापक डॉ. वेणु बापू के उत्साह को बरकरार रखने के लिए युवाओं के विचारों को अनुभव के साथ जोड़ा जा सकता है

भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान (आईआईए) ने अपना 50वां स्थापना दिवस मनाया, जिसमें गणमान्य व्यक्तियों ने युवा लोगों के नए विचारों को पिछले पांच दशकों में अर्जित ज्ञान और अनुभव के साथ जोड़कर इस संस्थान के संस्थापक डॉ. वेणु बापू की ऊर्जा और उत्साह को बरकरार रखने की जरूरत पर जोर दिया।

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इस वैज्ञानिक संस्थान की यात्रा का यह 50वां वर्ष बहुत महत्वपूर्ण है, जिसे डॉ. वेणु बापू के महान दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया था। यह अब विज्ञान और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के पुनर्निर्माण के चरण में है और आज इन्हीं के कद के और अधिक मार्गदर्शकों की जरूरत है। इस संस्थान की प्रारंभिक ऊर्जा और उत्साह पांच दशकों में अर्जित ज्ञान और अनुभव से समृद्ध हो गई है। आईआईए की स्थापना के 50वें वर्ष के समारोह का उद्घाटन करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ युवाओं और नए विचारों के मिश्रण के साथ इस ऊर्जा को बरकरार रखना ही आगे बढ़ने का रास्ता है। आईआईए ने गुणवत्तायुक्त मानव संसाधनों, बुनियादी ढांचे का निर्माण करने और पर्यवेक्षीय खगोल विज्ञान और गहन विज्ञान उपलब्ध कराने के लिए बहुत अच्छा कार्य किया है। यह संस्थान सही संसाधनों और दृष्टिकोण के साथ प्रगति करके नई ऊंचाइयों की और बढ़ना जारी रखेगा।  

आईआईए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार का एक स्वायत संस्थान है। इस संस्थान का स्थापना दिवस ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से मनाया गया, जिसमें स्थापना दिवस व्याख्यान, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन द्वारा दिया गया। आधुनिक भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान की स्थापना में योगदान देने वाले डॉ. मनाली कल्लात वेणु बापू के जन्मदिन को यह संस्थान अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाता है। इस वर्ष के स्थापना दिवस के साथ इस संस्थान ने अपने अस्तित्व के 50वें वर्ष में प्रवेश किया है।

आईआईए की गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन, प्रो. अविनाश सी. पांडे ने संस्थान के छात्रों द्वारा तैयार की गई ई-पत्रिका ‘डीओओटी’ का विमोचन किया और कहा कि इस पत्रिका के माध्यम से हम छात्रों को रचनात्मक रूप से जोड़ने के लिए एक मंच उपलब्ध करा रहे हैं। यह विज्ञान की अनूठी अवधारणाओं के रचनात्मक वितरण को एक सरल तरीके से जन-जन तक पहुंचाने की अभिव्यक्ति होगी। निदेशक, प्रो. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने संस्थान के पूर्व निदेशकों के लघु संदेशों के माध्यम से आईआईए के गठन और विकास के प्रदर्शन द्वारा दर्शकों को काफी आकर्षित किया।

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राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए कोविड-19 वित्तीय पैकेज की दूसरी किस्त के तहत 890.32 करोड़ रूपए जारी

भारत सरकार ने 22 राज्यों / केन्‍द्र द्रशासित प्रदेशों को ‘ कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली तैयारी’  पैकेज की दूसरी किस्‍त के रूप में  890.32 करोड़ रूपए जारी किए हैं। इन राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों में छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, अरुणाचल प्रदेश,  मेघालय , मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम शामिल हैं। यह वित्तीय सहायता राशि इन राज्यों / केन्‍द्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 संक्रमण के मामलों के हिसाब से जारी की गई है।

केन्‍द्र सरकार कोविड -19 प्रतिक्रिया और प्रबंधन में नेतृत्‍व की भूमिका में है इस सिलसिले में  राज्‍यों तथा केन्‍द्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्‍तीय मदद उपलब्‍ध करा रही है। प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को राष्‍ट्र के नाम अपने संबोधन  में ‘ कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली तैयारी’  पैकेज की घोषणा की थी। इस मौके पर उन्‍होंने कहा था “केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस रोगियों का इलाज करने और देश के चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इससे कोरोना की जांच सुविधाओंव्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई)रोगियों को अलग रखे जाने तथा गहन चिकित्‍सा कक्ष में बिस्‍तरों , वेंटिलेटर और अन्य आवश्यक उपकरणों की संख्या तेजी से बढ़ाने में मदद मिलेगी।  इसके साथ हीचिकित्सा और अर्धचिकित्‍सा कर्मियों के लिए प्रशिक्ष्‍ज्ञण की व्‍यवस्‍था भी होगी। मैंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य सेवा उनकी पहली और सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। “

दूसरी किस्त  के रूप में जारी वित्तीय सहायता का उपयोग आरटी-पीसीआर मशीनों, आरएनए निष्कर्षण किट, ट्रुनेट और सीबीएनएएटी मशीनों तथा बीएसएल- II अलमारियाँ आदि की खरीद के साथ ही कोविड नमूनों के परीक्षण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, आईसीयू बेड,ऑक्सीजन जनरेटर, क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंक और मेडिकल गैस पाइपलाइनें लगाने और बेड साइड ऑक्सीजन सांद्रता आदि की खरीद तथा कोविड से निबटने के लिए आशा कर्मियों सहित आवश्‍यक  मानव संसाधन और स्वास्थ्य कार्यबल तथा स्वयंसेवकों को प्रोत्साहन देने और उनके प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए किया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर को‍विड वारियर्स पोर्टल पर पंजीकृत स्‍वयंसेवकों को भी कोविड की ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा

कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली तैयारी’  पैकेज  की पहली किस्‍त के रूप में अप्रैल 2020 में राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों को 300 करोड़ रूपए जारी किए गए थे ताकि वे आवश्यक सुविधाओं, दवाओं और अन्य आपूर्ति की खरीद के साथ-साथ परीक्षण सुविधाओं को बढ़ाने, अस्पताल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और निगरानी गतिविधियों का संचालन करने में सक्षम हो सकें।

इस पैकेज के जरिए  राज्यों / केन्‍द्र शासित प्रदेशों में  5,80,342 आइसोलेशन बेड, 1,36,068 ऑक्सीजन समर्थित बेड और 31,255 आईसीयू बेड उपलब्‍ध हुए हैं जिससे उनकी स्‍वास्‍थ्‍य सेवा प्रणाली मजबूत बनी हुई है। इसके साथ ही, इस पैसे से राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों ने 86,88,357 परीक्षण किट और 79,88,366 शीशी दवा (VTM) की खरीद की है। इसके अलावा  राज्यों / केन्‍द्र शासित प्रदेशों में 96,557 मानव कार्य बल जोड़ा गया है इनमें से 6,65,799 को प्रोत्साहन राशि दी गई है। पैकेज में 11,821 कर्मचारियों के लिए एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर जाने आने के खर्च का  प्रावधान भी किया गया है। .

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प्रधानमंत्री मोदी 13 अगस्त 2020 को ‘पारदर्शी कराधान – ईमानदार का सम्मान’ के लिए प्‍लेटफॉर्म लॉन्च करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 13 अगस्त 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘पारदर्शी कराधान – ईमानदार का सम्मान’ के लिए प्‍लेटफॉर्म लॉन्च करेंगे।

सीबीडीटी ने हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष करों में कई प्रमुख या बड़े कर सुधार लागू किए हैं। पिछले वर्ष कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया एवं नई विनिर्माण इकाइयों के लिए इस दर को और भी अधिक घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया। ‘लाभांश वितरण कर’ को भी हटा दिया गया।

कर सुधारों के तहत टैक्‍स की दरों में कमी करने और प्रत्यक्ष कर कानूनों के सरलीकरण पर फोकस रहा है। आयकर विभाग के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए सीबीडीटी द्वारा कई पहल की गई हैं। हाल ही में शुरू की गई ‘दस्तावेज पहचान संख्या (डिन) ’  के जरिए आधिकारिक संचार में अधिक पारदर्शिता लाना भी इन पहलों में शामिल है जिसके तहत विभाग के हर संचार या पत्र-व्यवहार पर कंप्यूटर सृजित एक अनूठी दस्तावेज पहचान संख्या अंकित होती है। इसी तरह  करदाताओं के लिए अनुपालन को ज्‍यादा आसान करने के लिए  आयकर विभाग अब ‘पहले से ही भरे हुए आयकर रिटर्न फॉर्म’ प्रस्‍तुत करने लगा है, ताकि व्यक्तिगत करदाताओं के लिए अनुपालन को और भी अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके। इसी तरह स्टार्ट-अप्‍स के लिए भी अनुपालन मानदंडों को सरल बना दिया गया है।

लंबित कर विवादों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से  आयकर विभाग ने प्रत्यक्ष कर ‘विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020’ भी प्रस्‍तुत किया है जिसके तहत वर्तमान में विवादों को निपटाने के लिए घोषणाएं दाखिल की जा रही हैं। करदाताओं की शिकायतों/मुकदमों में प्रभावकारी रूप से कमी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न अपीलीय न्यायालयों में विभागीय अपील दाखिल करने के लिए आरंभिक मौद्रिक सीमाएं बढ़ा दी गई हैं। डिजिटल लेन-देन और भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक मोड या तरीकों को बढ़ावा देने के लिए भी कई उपाय किए गए हैं। आयकर विभाग इन पहलों को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। यही नहीं, विभाग ने ‘कोविड काल’ में करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने के लिए भी अनेक तरह के प्रयास किए हैं जिनके तहत रिटर्न दाखिल करने के लिए वैधानिक समयसीमा बढ़ा दी गई है और करदाताओं के हाथों में तरलता या नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए तेजी से रिफंड जारी किए गए हैं।

प्रधानमंत्री ‘पारदर्शी कराधान – ईमानदार का सम्मान’ के लिए जो प्‍लेटफॉर्म लॉन्च करेंगे वह प्रत्यक्ष कर सुधारों की यात्रा को और भी आगे ले जाएगा।  

आयकर विभाग के अधिकारियों एवं पदाधिकारियों के अलावा विभिन्न वाणिज्य मंडलों, व्यापार संघों एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट संघों के साथ-साथ जाने-माने करदाता भी इस आयोजन के साक्षी होंगे। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।  

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भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करना : सेना मुख्यालय ने आवेदन जमा करने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए

भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) देने के लिए औपचारिक रूप से सरकारी अनुमोदन पत्र प्राप्त होने के परिणामस्वरूप, सेना मुख्यालय स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए महिला अधिकारियों की स्क्रीनिंग के लिए एक विशेष नंबर 5 चयन बोर्ड बुलाने की प्रक्रिया में है। इसके लिए सभी प्रभावित महिला अधिकारियों को आवेदन प्रस्तुत करने संबंधी दिशानिर्देश देने वाले विस्तृत प्रशासनिक निर्देश जारी किए गए हैं ताकि बोर्ड उनके आवेदन पर विचार कर सके।

महिला विशेष प्रवेश योजना (डब्ल्यूएसईएस) और अल्प सेवा कमीशन महिला (एसएससीडब्ल्यू) के माध्यम से भारतीय सेना में शामिल महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार किया जा रहा है, और उन्हें 31 अगस्त, 2020 तक सेना मुख्यालय में अपना आवेदन पत्र, विकल्प प्रमाण पत्र और अन्य संबंधित दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। सही दस्तावेज के साथ सही तरीके से आवेदन करने की सुविधा के लिए प्रशासनिक निर्देशों में नमूना प्रारूप और विस्तृत जांच सूची शामिल किए गए हैं।

कोविड की स्थिति की वजह से लगाए गए मौजूदा प्रतिबंधों के कारण, इन निर्देशों के प्रसार के लिए कई साधनों का इस्तेमाल किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये दस्तावेज़ प्राथमिकता के आधार पर सभी प्रभावित महिला अधिकारियों तक पहुंच सके। आवेदनों की प्राप्ति और उनके सत्यापन के तुरंत बाद चयन बोर्ड का गठन किया जाएगा।

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शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद भेंट को नई शिक्षा नीति 2020 की प्रति भेंट की

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शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद भेंट को नई शिक्षा नीति 2020 की प्रति भेंट की

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने  आज राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से शिष्टाचार भेंट की तथा उन्हें नई शिक्षा नीति 2020 की प्रति भेंट की। केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हुए सभी आधारभूत एवं व्यापक परिवर्तनों की विस्तृत जानकारी से राष्ट्रपति जी को अवगत करवाया। श्री रामनाथ कोविंद ने शिक्षा नीति पर हुए व्यापक परामर्श पर अपनी खुशी व्यक्त की और अपनी शुभकामनाएं  दी। इससे पहले श्री निशंक भारत के उप राष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू को भी नई शिक्षा नीति की प्रति भेंट कर चुके हैं।

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सुशील बवेजा जिनकी ख्याति अब सात समुद्र पार भी

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गायक श्री सुशील बवेजा ने
गुरू- स्व.रविन्द्र जैन जी का सानिध्य पाया
कई देशों की यात्रा कि
अनगिनत उपलब्धियाँ, एकल विद्यालय,फाऊडेशन अमेरिका के लिए पूरे अमेरिका में 157 कार्यक्रमों की प्रस्तुति
1980 से गीत, गजल,भजन में संगीत की दुनियां में कदम रखा ,
धारावाहिक-रामायण, श्री कृष्णा, जय हनुमान, साई बाबा जैसे सीरियस मे प्रख्यात एवं महान म्यूजिक डायरेक्टर स्व.रविन्द्र जैन जी के निर्देशन में गाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, भजन सम्राट, भजन अंलकार, भजन श्री से U.K, U.S.A. मे सम्मानित किया गया इनके लाखों चाहने वाले
YouTube और Face book मे हैं

इन्हें विभिन्न सम्मान से सम्मानित किया गया

लाजपत राय “विकट”
जन्म-8.1.1958.”मैनपुरी”उ.प्र.
पिता- स्व.मनोहर लाल बवेजा
माता- स्व.कौशल्या देवी
सृजन- 1990 से लेखन प्रारंभ
उपलब्धि- निरालाअंलकार सम्मान (उन्नाव)
ओजस्वी स्वर सम्मान (लखनऊ)
खेडापति सम्मान धार (म.प्र.)
सुभाष सम्मान (जबलपुर)
स्व.ब्रजेन्द्र अवस्थी स्मृति सम्मान प्रथम (लखीम पुर खीरी)
टी .वी.प्रकाशन -(वाह वाह क्या बात है) आस्था, संस्कार,एन .डी,सब,सोनी, कई चैनलों मे “”””
निवास- कतरास रोड, मटकुरिया धनबाद (झारखंड)

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प्रधानमंत्री ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2020 के ग्रैंड फिनाले को संबोधित किया

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स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के ग्रैंड फिनाले में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र देश के सामने आने वाली चुनौतियों के कई समाधानों पर काम कर रहे हैं। समस्याओं के समाधान देने के साथ ही यह डाटा, डिजिटलीकरण और हाई-टेक भविष्य को लेकर भारत की आकांक्षाओं को भी मजबूत करता है। उन्होंने स्वीकार किया कि तेजी से बदलती 21वीं सदी में भारत को अपनी वही प्रभावी भूमिका निभाने के लिए उतनी ही तेजी से खुद को भी बदलना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में नवाचार, अनुसंधान, डिजाइन, विकास और उद्यमिता के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका उद्देश्य भारत की शिक्षा को और अधिक आधुनिक बनाना है और प्रतिभाओं के लिए अवसर पैदा करना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे 21वीं सदी के युवाओं की सोच, जरूरतों, उम्मीदों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक नीति दस्तावेज नहीं है बल्कि 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है। उन्होंने कहा, ‘आज भी कई बच्चों को लगता है कि उन्हें ऐसे विषय के आधार पर आंका जाता है, जिसमें उनकी कोई रुचि नहीं है। माता-पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों आदि के दबाव के कारण बच्चे दूसरों के द्वारा चुने गए विषयों को ही पढ़ने के लिए मजबूर होते हैं। इसका परिणाम यह है कि एक बड़ी आबादी जो अच्छी तरह से शिक्षित तो है लेकिन अधिकांश जो उन्होंने पढ़ा है, उनके लिए उपयोगी नहीं है।’ उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत की शिक्षा प्रणाली में एक व्यवस्थित सुधार लाकर इस दृष्टिकोण को बदलने का प्रयास करती है और शिक्षा के उद्देश्य और सामग्री दोनों को बदलने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि एनईपी सीखने, अनुसंधान और नवाचार पर फोकस करती है साथ ही स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के अनुभव को लाभदायक, व्यापक और ऐसा बनाने का विचार है, जो छात्र की स्वाभाविक रुचि का मार्गदर्शन कर सके।

छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह हैकाथॉन पहली समस्या नहीं है, जिसका समाधान निकालने की आपने कोशिश की है, न ही यह आखिरी है।’ उन्होंने युवाओं को तीन चीजें करने की सलाह दी: सीखना, सवाल पूछना और समाधान करना। उन्होंने कहा कि जब कोई सीखता है तो उसके पास सवाल करने की बुद्धि आती है और भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस भावना को दर्शाती है। उन्होंने आगे कहा कि फोकस स्कूल बैग के बोझ से हटाकर, जो स्कूल के बाद नहीं रहता है, सीखने के फायदे की तरफ बढ़ना है- जो जीवन में काम (याद करने से लेकर महत्वपूर्ण सोच तक) आती है।

अंत:विषय अध्ययन पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंत:विषय अध्ययन पर जोर नई शिक्षा नीति की सबसे रोमांचक विशेषताओं में से एक है। यह अवधारणा लोकप्रियता हासिल कर रही है क्योंकि एक ही साइज सबके लिए फिट नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अंत:विषय अध्ययन पर जोर देने से यह सुनिश्चित होगा कि फोकस उस पर हो जो विद्यार्थी पढ़ना चाहता है, उस पर नहीं जो समाज उससे अपेक्षा करता है।

शिक्षा तक पहुंच

बाबा साहब अंबेडकर की बात का जिक्र करते हुए कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए, पीएम ने कहा कि यह शिक्षा नीति भी उनके सुलभ शिक्षा के विचारों को समर्पित है। प्राथमिक शिक्षा से शुरू होकर शिक्षा तक पहुंच को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति बड़ी है। उन्होंने कहा कि नीति का लक्ष्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 2035 तक बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना है। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में नौकरी चाहने वालों की बजाय नौकरी देने वाले तैयार करने पर जोर दिया गया है। यानी एक तरह से यह हमारी मानसिकता और हमारे दृष्टिकोण में सुधार लाने की कोशिश है।

स्थानीय भाषा पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने और विकसित करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि छात्रों को अपने शुरुआती वर्षों में अपनी भाषा में सीखने से लाभ होगा। उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति दुनिया का समृद्ध भारतीय भाषाओं से भी परिचय कराएगी।

वैश्विक एकीकरण पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे तो नीति लोकल (स्थानीय) पर केंद्रित है, पर वैश्विक एकीकरण पर भी समान रूप से ध्यान दिया गया है। शीर्ष वैश्विक संस्थानों को भारत में परिसर खोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इससे भारतीय युवाओं को विश्वस्तरीय माहौल और अवसर प्राप्त करने में मदद मिलेगी, साथ ही उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में भी मददगार होगा। इससे भारत में विश्व-स्तरीय संस्थानों के निर्माण में भी मदद मिलेगी, जिससे भारत वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनकर उभरेगा।

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गार्गी फाउंडेशन द्वारा ज़रूरतमंद बच्चों को रक्षा बंधन पर कपड़ो आदि का वितरण

गार्गी फाउंडेशन द्वारा ज़रूरतमंद बच्चों को कपड़ो आदि का वितरण

रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर गार्गी फाउंडेशन उन ज़रुरतमंद बच्चों तक पहुंचा जिन बच्चों को उसने पढ़ाने लिखाने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने का बीड़ा उठाया है, उन तक पहुच के उन्हें मिठाईयां कपड़े और राखी आदि ज़रूरी वस्तुओं का वितरण किया, त्यौहार में ये सारी चीज़ें पा के बच्चों की ख़ुशी देखते ही बन रही थी कोरोना काल में इस अत्यंत साधारण से आयोजन में प्रमुख रुप से गार्गी फाउंडेशन की करता धरता सुषमा चौहान, भारती दीक्षित, पूजा श्रीवास्तव, छाया आदि संस्था के सदस्यों द्वारा भरपूर योगदान दिया गया, इस अवसर पर अनेक गड़मान्य लोग उपस्थित रहे और संस्था के कार्यो को सराहा।

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सुशांत सिंह राजपूत की गला घोंट कर हत्या हुई! सुब्रमण्यम स्वामी ने गिनाई ये 26 वजहें

सुब्रमण्यम स्वामी ने एक नोट शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा कि सुशांत के गले पर जो निशान मिले हैं वो किसी बेल्ट हैं वो कपड़े के नहीं है। उन्होंने दावा किया जब कोई आत्महत्या करता है को उसके मुंह से झांक निकलता है आंखे और जीफ भी बाहर आती है लेकिन सुशांत के केस में यह नहीं देखा गया।

सुशांत सिंह राजपूत की गला घोंट कर हत्या हुई! सुब्रमण्यम स्वामी ने गिनाई ये 26 वजहें

सुब्रमण्यम स्वामी हमेशा से ही अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी राजनेता के साथ साथ कानून के भी अच्छे जानकार  हैं। सुशांत सिंह के केस में वह अक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। सुशांत केस के लिए उन्होंने वकील का चयन करवाया साथ ही प्रधानमंत्री को लेटर लिख कर सीबीआई जांच की भी मांग की। सुशांत के केस में वह शुरू से ही साजिश बता रहे हैं। अब सुशांत सिंह राजपूत के केस में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हत्या का शक जताया है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोशम मीडिया पर सुशांत के केस से जुड़े 26 प्वाइंट शेयर किए है जो ये दावा करते है कि सुशांत ने आत्महत्या नहीं  की बल्कि उनकी हत्या की गयी हैं। 

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सुब्रमण्यम स्वामी ने एक नोट शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा कि सुशांत के गले पर जो निशान मिले हैं वो किसी बेल्ट हैं वो कपड़े के नहीं है। उन्होंने दावा किया जब कोई आत्महत्या करता है को उसके मुंह से झांक निकलता है आंखे और जीफ भी बाहर आती है लेकिन सुशांत के केस में यह नहीं देखा गया। साथ ही सुशांत के शरीर पर कई चोट के निशान थे उसके बारे में रिपोर्ट में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सुशांत सिंह राजपूत के घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है जो काफी हैरान करने वाली बात है। 

सुब्रमण्यम स्वामी ने यह भी दावा किया जिस कपड़े से सुशांत के फांसी लगाने का दावा किया जा रहा है उससे मुमकिन नहीं है फांसी को लगा पाना। सुशांत के कमरे से कोई स्टूल नहीं मिला है, सीसीटीवी भी नहीं थे साथ ही कमरे की एक चाभी भी गायब थी। यह सब इत्तेफाक नहीं है। सुशांत की हत्या कि गयी है। उन्होंने मुंबई पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं। स्वामी के इन दावों में कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगी।

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