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महिला जगत

गृह मंत्रालय ने देश में महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए

देश में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए गृह मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं, जिनके लिए निर्भया कोष से वित्तपोषण किया गया है। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने यौन हमलों के मामलों में समय से जांच पूरी करने सहित महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के प्रति राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को संवेदनशील बनाने के लिए एक अलग महिला सुरक्षा इकाई की स्थापना भी की है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने बीते 7 साल के दौरान महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा की दिशा में कई कदम उठाए हैं। यौन हमलों के घृणित मामलों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए भारत सरकार ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2018 के माध्यम से बलात्कार की सजा को ज्यादा कठोर कर दिया है। कानून में संशोधन को प्रभावी रूप से जमीनी स्तर पर लागू किया जाना सुनिश्चित करने के लिए एमएचए द्वारा कई कदम उठाए गए हैं और उनकी प्रगति की लगातार निगरानी की जा रही है। इनमें यौन अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली (आईटीएसएसओ), यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीएसओ), सीआरआई-एमएसी (क्राइम मल्टी-एजेंसी केन्द्र) और नई नागरिक सेवाएं शामिल हैं। आईटी से जुड़ी इन पहलों से समयबद्ध और प्रभावी जांच में सहायता मिलती है।गृह मंत्री श्री अमित शाह ने सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों से इन ऑनलाइन टूल्स के प्रभावी उपयोग के लिए बलपूर्वक सिफारिश की है।

 

आईटीएसएसओ और एनडीएसओ

यौन अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली (आईटीएसएसओ) एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक साधन है, जिसे यौन हमलों के मामलों  में पुलिस जांच की निगरानी और समयबद्ध तरीके से पूरा किए जाने (आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत वर्तमान में यह दो महीने है) के लिए लॉन्च किया गया है। वहीं, यौन अपराधियों के राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीएसओ) को बार-बार अपराध करने वालों की पहचान करने और साथ ही जांच में यौन अपराधियों पर अलर्ट हासिल करने के लिए पेश किया गया है।

 

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आपराधिक मामलों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्यों को सहूलियत देने के कदम के रूप में एक स्थगन चेतावनी मॉड्यूल भी विकसित किया गया है। इसके तहत, जब भी एक सरकारी वकील किसी आपराधिक मामले में दो बार से ज्यादा स्थगन की मांग करता है, तो इस प्रणाली में अपरिहार्य देरी से बचने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को अलर्ट भेजने का एक प्रावधान है।

 

सीआरआईएमएसी

क्राइम मल्टी एजेंसी केन्द्र (सीआरआई-एमएसी) को राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों के पुलिस थानों और मुख्य कार्यालयों को घृणित अपराधों और अंतर राज्यीय अपराध के मामलों में सामंजस्य से संबंधित अन्य मुद्दों से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए 12 मार्च, 2020 को पेश किया गया है। इसे राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को ईमेल/एसएमएस के माध्यम से अपराध और अंतर राज्यीय अपराधों के अलर्ट या संबंधित जानकारियां भेजने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

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नई नागरिक सेवाएं

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों के लिए अपने पोर्टल digitalpolicecitizenservice.gov.in पर नई नागरिक सेवाएं लॉन्च की हैं। इन सेवाओं में ‘गुमशुदा लोगों की खोज’ जैसे कार्य शामिल हैं, जिससे नागरिकों को खोजे गए अज्ञात लोगों/ अज्ञात मृतकों के राष्ट्रीय डाटाबेस से अपने लापता परिजनों को खोजने में मदद मिलती है।इसके अलावा ‘घोषित अपराधियों’ से जुड़ी एक अन्य सेवा है, जिससे नागरिकों को घोषित अपराधियों से जुड़ी ऑनलाइन जानकारी हासिल करने में मदद मिलती है।

 

 

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निर्भया कोष परियोजनाओं में तेजी

महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एमएचए द्वारा निर्भया कोष से वित्तपोषित परियोजनाओं को तेजी से लागू किया जा रहा है। ‘आपात प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली (ईआरएसएस)’ ऐसी पहलों का एक उदाहरण है। यह अखिल भारतीय, एकल, कई आपात स्थितियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नंबर 112 है। ईआरएसएस वर्तमान में मार्च, 2022 तक देश के 34 राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों में परिचालित है। इसे आधिकारिक रूप से 16 फरवरी, 2019 को पेश किया गया था। तब से ईआरएसएस अखिल भारतीय स्तर पर 15.66 मिनट के प्रतिक्रिया समय के साथ 11.48 करोड़ कॉल्स का प्रबंधन (31 जनवरी, 2021 तक) कर चुका है। 112 इंडिया मोबाइल एप्लीकेशन के फरवरी, 2019 तक 9.98 लाख डाउनलोड हो चुके हैं, जिस पर 5.75 लाख यूजर पंजीकृत हैं जिनमें 2.65 लाख महिलाएं हैं।

 

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महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों की रोकथाम

एमएचए का महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम पर मुख्य जोर है। वर्तमान में, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मिजोरम, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित 14 राज्यों ने साइबर फॉरेंसिक ट्रेनिंग लैबोरेटरी की स्थापना कर ली है। 13295 पुलिस कर्मचारियों, अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों की पहचान, पता लगाने और समाधान में प्रशिक्षण दिया गया है। गृह मंत्रालय ने एक पोर्टल www.cybercrime.gov.in भी लॉन्च किया है, जिस पर नागरिक अश्लील कंटेंट की सूचना दे सकते हैं और उसे 72 घंटों के भीतर ब्लॉक कराया जा सकता है। एमएचए द्वारा सुधार के साथ इस पोर्टल को 30 अगस्त, 2019 को लॉन्च किया गया है।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर ने महिला सप्ताह का आयोजन किया

कानपुर 8 मार्च क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के महिला प्रकोष्ठ ने   महिला सप्ताह का आयोजन किया – जिसमें मानसिक क्षमता से लेकर आत्मरक्षा के साथ-साथ लैंगिक समानता पर सामान्य जागरूकता कार्यक्रम: 2 – 8 मार्च, 2021 तक “मिशन शक्ति” – महिलाओं के खिलाफ अपराध पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की एक पहल, के तत्वावधान में विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया गया।
महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका, डॉo शिप्रा श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, एवं समन्वयक डॉo मीतकमल, एसोसिएट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग ने 2 जून 2021 को पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन करके सप्ताह भर चलने वाले उत्सव की शुरुआत की। विषय था – “महिलाएं, समाज का एक मजबूत स्तंभ”। निर्णायक डॉo सबीना बोदरा और डॉo मृदुला सैमसन थीं।

विजेता थे: प्रथम: ख़ुशी मल्होत्रा; द्वितीय: तरुण गर्ग; तृतीय: ज़ेबा
3 मार्च 2021 को, गूगल मीट प्लेटफ़ॉर्म पर “महिलाओं के भावनात्मक स्वास्थ्य” विषय पर एक वार्ता आयोजित की गई थी। यह वक्तव्य एच.एन.बी. गवर्नमेंट पी.जी. कॉलेज, नैनी, उत्तर प्रदेश कि एसोसिएट प्रोफेसर डॉo पूनम शुक्ला द्वारा दी गई थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अच्छा भावनात्मक स्वास्थ्य, चुनौतियों के बावजूद खुद को सर्वश्रेष्ठ देखने में मदद करता है। सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से व्यक्ति अधिक ऊर्जावान महसूस करता है और ध्यान केंद्रित करने और अधिक स्पष्ट रूप से सोचने में मदद करता है, जबकि नकारात्मक भावनात्मक स्वास्थ्य, मानसिक संसाधनों को कम कर देता है और थकावट की ओर ले जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। आठ पुरुषों में से एक – (12%) की तुलना में लगभग पांच महिलाओं में एक – (19%) कॉमन मेंटल डिसऑर्डर (जैसे चिंता या अवसाद) से पीड़ित हैं। इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य हिंसा और दुर्व्यवहार के उनके अनुभवों से जुड़ा हुआ है।
4 मार्च 2021 को, महिला सशक्तिकरण से संबंधित विभिन्न विषयों पर एक आशु-भाषण (एक्सटेंपोर) का आयोजन किया गया था। छात्रों ने अपने शब्दों के माध्यम से अपनी धारणा प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम का समन्वयन, डॉo विभा दीक्षित और डॉo अनिंदिता भट्टाचार्य ने किया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉo आशुतोष सक्सेना और डॉo सोफिया शहाब ने किया। विजेता थे: प्रथम: ख़ुशी मल्होत्रा; द्वितीय: राकेश; तृतीय: रैना
5 मार्च 2021 को एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम का समन्वयन डॉo अनिंदिता भट्टाचार्य और डॉo श्वेता चंद ने किया। विजेता थे:
प्रथम: सुधाकर चौधरी; द्वितीय: अभिषेक पाल; तृतीय: अभिषेक गौतम और मानसी मिश्रा
अगला कार्यक्रम जूडो और ताइक्वांडो में राष्ट्रीय प्रशिक्षक श्री प्रयाग सिंह द्वारा आत्म-रक्षा प्रशिक्षण था। यह कार्यक्रम 6 मार्च 2021 को कॉलेज हॉल में आयोजित किया गया था।
सप्ताह भर चलने वाला कार्यक्रम 8 मार्च 2021 को एक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से कॉलेज के छात्रों द्वारा दिए गए ज्ञानवर्धक संदेश के साथ समाप्त हुआ। डॉo मीतकमल के कुशल मार्गदर्शन में इस कार्यक्रम को शानदार ढंग से लिखा गया और प्रदर्शित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के सेक्रेटरी गवर्निंग बॉडी, रेवo सैमुअल पॉल लाल द्वारा की गई प्रार्थना के बाद हुई, जिसके बाद प्रिंसिपल डॉo जोसेफ डैनियल द्वारा दिया गया संबोधन था। उन्होंने महिला प्रकोष्ठ और साहित्यिक क्लब को उनकी पहल के लिए बधाई दी। उन्होंने छात्रों को महिला दिवस के इतिहास के बारे में भी बताया और छात्राओं को समाज में व्याप्त कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, कॉलेज लिटरेरी क्लब ने “बोल के लब अज़ाद है तेरे” नामक एक महिला केंद्रित संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया। इसकी अवधारणा साहित्य क्लब के संयोजक, डॉo अवधेश मिश्रा और सुश्री शेरोन लाल ने की थी।
वनस्पति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉo जेड. एच. खान ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से  श्री नलिन श्रीवास्तव, डॉ विभा दीक्षित, डॉ अरवििंद सिंह, आर.के. जुनेजा, डॉo सुजाता चतुर्वेदी, डॉo संगीता गुप्ता और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे।

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रोहन नाईक चेरिटेबल ट्रस्ट संस्था द्वारा जरूरतमंदों को कपड़े वितरित

भारतीय स्वरूप, पुणे संवाददाता, विगत दिवस रोहन नाईक चेरिटेबल ट्रस्ट संस्था द्वारा महाराष्ट्र के बहुले गांव में जरूरतमंद बच्चों तथा महिलाओं को गणवेश एवं साड़ी वितरित की गई,

समय समय पर ट्रस्ट द्वारा विभिन्न सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन होता रहता है उसी कड़ी में ये कार्यक्रम आयोजित था,

उक्त कार्यक्रम में गांव के लोगो ने जोर शोर से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, कार्यक्रम में विशेष रूप से ट्रस्ट की अध्यक्षा श्रीमति कांता रंजीत नाईक, बहुले गांव की सरपंच सुजाता रामचंद्र पवार, मोहन पानस्कर, रमेश पवार ओर अतुल दीक्षित उपस्थित रहे

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एस एन सेन बा. वि.पी जी कॉलेज तथा आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वाधान में किशोरी स्वास्थ्य एवं योग विषय पर कार्यशाला का आयोजन

 

 

कानपुर 7 दिसम्बर एस.एन.सेन बा.वा.पी.जी कॉलेज, कानपुर के वनस्पति विज्ञान विभाग तथा आरोग्य भारती ने ‘किशोरी स्वास्थ्य एवं योग’ विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री अशोक कुमार वार्ष्णेय जी आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव मुख्य अतिथि रहे।
कार्यशाला का शुभारंभ सरस्वती पूजा तथा धनवंतरी इस्तवंन से हुआ। महाविद्यालय के सचिव श्री प्रोबीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल, मुख्य अतिथि श्री अशोक कुमार वार्ष्णेय, श्री गोविन्द जी, डॉ . बी.एन आचार्य, डॉ. सीमा द्विवेदी ने दीप प्रज्वलित किया तथा प्राचार्या निशा अग्रवाल ने कार्यशाला की औपचारिक उद्घाटन की घोषणा की। श्री अशोक कुमारवार्ष्णेय जी ने अपने उद्बोधन में स्वस्थ रहने के गुर बताए और बिना औषधि योग और संयम से कैसे स्वस्थ रहें पर बल दिया।
उन्होंने बताया कि आस-पास उपस्थित वनस्पतियों द्वारा संयमित जीवन, तथा एक-तीन-आठ (एक घंटे श्रम, तीन बार भोजन तथा आठ घंटे सोना) ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है। डॉ. सीमा द्विवेदी, एसोसिस्ट प्रोफेसर, मैडिकल कॉलेज, कानपुर ने किशोरी स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं को योग के माध्यम से किस प्रकार समाधान करें ये बताया।
कार्यक्रम का संकलन ,संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रीति सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान विभाग ने किया। कार्यक्रम में छात्राओं के अतिरिक्त सभी शिक्षक तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने भी सक्रिय प्रतिभाग किया। साथ ही छात्राओं को मास्क तथा ‘वैरी श्योर’ सेनेटरी पैड का मुफ्त वितरण किया गया।

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अंतर्विरोध (लघु कथा)

सुबह से ही रसोई में नाना प्रकार के पकवान बनने की तैयारियां हो रही थी. कभी रसोई में न जाने वाली ‘कुसुम’ अपनी ‘मेड’ लक्ष्मी को समझा रही थी- “लक्ष्मी, कचौरियां खूब स्वादिष्ट होनी चाहिए… और दही बड़े रूई जैसे मुलायम मटर पनीर चटपटी, दादी को स्वादिष्ट खाना बहुत पसंद था, वो खुद भी बहुत अच्छा बनाती थीं, मैंने तो २५ साल उनके हाथ का खाना खाया है,और हाँ, भरवां बैगन और खीर ज़रूर बनाना.

(डॉ रानी वर्मा )

‘सोना’ को माँ की बातों में एक अजीब सा उत्साह व दादी के प्रति अपार लगाव, जुड़ाव, सेवा-भाव दिखाई दे रहा था. वह आश्चर्य चकित थी! ऐसा क्या हो गया? कैसे माँ के मन में दादी के प्रति इतना प्रेम उमड़ रहा है? आखिरकार उसने पूछ ही लिया, “ माँ, आज ऐसा क्या है? इतने पकवान बन रहे हैं और विशेष रूप से दादी की पसंद के?” कुसुम बड़े गर्व से सर उठा कर बोल पड़ी, अरे सोना, “आज मातृ-नवमी है, तेरी दादी का श्राद्, आज के दिन ब्राह्मणी को भोजन कराने से पुन्य मिलता है, पितृदोष दूर होता है, इसीलिए आज तेरी दादी की पसंद के पकवान बन रहे हैं, तेरी दादी खुश होकर आशीर्वाद देंगी और हमें पितृदोष नहीं लगेगा.”

सोना हतप्रभ थी. अतीत की धुंधली स्मृतियाँ उसके मानस-पटल पर अंकित होने लगीं. जब असहाय दादी बिस्तर पर पड़े-पड़े खाने के लिए मांगती, तो माँ अक्सर झिड़क दिया करती, “सारा दिन बिस्तर पर पड़े-पड़े खाओगी तो पचेगा कैसे?” बेस्वाद सब्जी, कड़े-कड़े दही बड़े, मोटी–मोटी रोटी, जो दादी अपने पोपले मुंह से खा भी नहीं पाती थी, माँ उन्हें खाने को देती. दादी ठीक से खा भी नहीं पाती, लेकिन माँ को कोई फर्क नहीं पड़ता, वह मुंह बिचका कर, सिर झटकते हुए, ‘उहं’ कह कर अपने बेड-रूम में चली जाती.

माँ की तीखी आवाज़ से सोना का ध्यान टूटा, “सोना, दादी के पलंग पर नई चादर, जो मैं कल लाई हूँ, पंडिताइन को देने के लिए, वो बिछा दे…, और वह साड़ी का पैकेट भी वहीँ रख दे”, कुसुम बोले जा रही थी और सोना को दादी की मैली-कुचैली, फटी धोती और पलंग पर महीनों से बिछी पुरानी चादर याद आ रही थी. दादी जब चादर बदलने को कहती, माँ फटकार देती –“ क्या करोगी चादर बदलवा कर? दिन भर ऐसे ही तो पड़े रहना है. कौन आ रहा है आपके कमरे में जो चादर देखेगा?” दादी आँखों में आंसू भरे, करवट लिए चुपचाप पड़ी रहती.

पंडिताइन के लिए ऐसी आवभगत, स्वागत-सत्कार की तैयारी देख कर सोना का मन स्वार्थ और आडम्बर के सामाजिक अंतर्विरोध की अतल गहराइयों में डूबने लगा, उसका मन चीख-चीख कर पूछ रहा था ‘माँ, ऐसी सेवा और सत्कार दादी को जीवित रहते क्यों नहीं मिला?’

(डॉ रानी वर्मा: 10 अक्टूबर 2020)

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पुरुष समाज मेरी नज़र में- प्रधानमंत्री के नाम खुला खत -डॉ मंजू डागर चौधरी “अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार”

प्रधानमंत्री के नाम खुला ख़त — देश की सभी बेटियों के पिता और कितने सामूहिक बलात्कारों का दर्द सहे हम और मौत के घाट उतर दी जाएं ?

पुरुष समाज मेरी नज़र में —–

डॉ मंजू डागर चौधरी “अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार”

1 ) वो पुरुष समाज को जन्म देती है और वो उसको कोठा और बलात्कार देता है।

2 ) न जाने कितनी बार घर पर भी अपनी बीवी का हर रात बलात्कार करते हो चाहे वो पीरियड्स में ही क्यों न हो। फिर आप शान से खुद को मर्द कहते हो।

3 ) क्या कभी किसी एकांत में अपनी नज़रो में भी गिरते हो या केवल मर्द ही बने फिरते रहते हो। याद है न मर्द जाति तुमको जब किसी सार्वजनिक जगह पर पार्क में , यात्रा में या कहीं भी कोई नारी अपने दुधमुँहे बच्चे को दुध पिलाती हुई नज़र आती है तब किस ललचाई नज़र से उसके खुले स्तनो को देखते हो कि मिल जाये तो अभी नोच लो उसका मांस।

4 ) याद है न तुमको जब कोई लड़की किसी कैमिस्ट से अपनी पीरियड्स के दौरान सुरक्षा के लिए पैड खरीदती है तब उसको कैसे घूरते हो जैसे उसने अभी भी कोई वस्त्र न पहना हो। ये भी एक तरह से उस बच्ची का बलात्कार है।

5 ) आप मर्दों की वजह से ही अभी भी भारत के बहुत से छेत्रों में आज भी शर्म के मारे बेटियाँ पीरियड्स के दौरान गन्दा कपड़ा इस्तेमाल करने को मजबुर हैं। आप कहेंगे लड़की न जा कर कैमिस्ट से उसकी माँ पैड्स खरीद लाये जैसे कि आप उसको बख्स देते हो अपनी हैवानियत भरी सोच से।

6 ) कितनी ही नन्ही बच्चियों से ले कर 80 साल तक की बुजुर्ग़ नारियों को तुमनें अपनी हवस का शिकार बनाया है। नारी तो छोड़िये तुमने तो जानवरों तक का बलात्कार किया है। कभी मुर्ग़ी का कभी बकरी का तो कभी गाय या भैंस का भी। फिर कहते हो हम मर्द है।

मेरा सीधा सवाल आप से है प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जी से है क्योंकि किसी भी देश का प्रधानमंत्री अपनी जनता का पिता होता है । आज हिंदुस्तान की हर बेटी आपकी बेटी है। उसकी अस्मिता की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस समाज के साथ -साथ आपके कन्धों पर भी है। अगर आप सारे हिंदुस्तान की बेटियों की अस्मिता की सुरक्षा नहीं कर सकते तब पिता बने रहने का आपको कोई हक़ नहीं है। आप कितने महाभारत करवाएंगे प्रधानमंत्री जी। पहले महाभारत में तो न आप थे न मैं लेकिन बेटियाँ तब भी थी। एक द्रोपदी के अपमान का बदला महाभारत में तब्दील जरुर हुआ था लेकिन और भी बहुत से सामाजिक कारण थे उस युद्ध के। समाज का विघटन हो रहा है दिन -प्रतिदिन। वक़्त रहते संभालिये इसको नहीं तो इन वहशी -दरिंदों की वजह से ही बेटियों की एक बार फिर से गर्भ में ही हत्याएं करनी आरंभ कर देगा ये घिनौना होता जा रहा समाज।

भारतीय संस्कृति में नारी का उल्लेख जगत्-जननी आदि शक्ति-स्वरूपा के रूप में किया गया है। लेकिन क्या समाज नारी को आज उसका ये हक़ दे रहा है ? “जब पुरुष में नारी के गुण आ जाते हैं तो वो महात्मा बन जाता है और अगर नारी में पुरुष के गुण आ जाये तो वो कुलटा बन जाती है”। ‘गोदान’ की ये पंक्तियां प्रेमचंद का नारी को देखने का संपूर्ण नज़रिया बयां करती हैं।

नारी ने तो बहुत बार पुरुष समाज को आईना दिखने की कोशिश की लेकिन वो अपने पुरुष होने के अहँकार के चलते कुछ देखने को तैयार ही नहीं होता फिर एक पुरुष मुंशी प्रेमचंद जी ने भी पूरी पुरुष जाति को आईना दिखाया वो भी उनको देखना गवारा नहीं। तब कितने ही समाज सुधारक आ जाये इस भारतीय समाज में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती।

प्रधानमंत्री जी आप महिला सशक्तिकरण की बात तो बहुत करते हैं लेकिन बेटियों को जीने का हक़ भी नहीं दिलवा पा रहे। आप हिंदुस्तान की बेटियों के पिता की भुमिका में पूरी तरह से निष्फल हो गए हैं। कहाँ हैं वो सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष जो महिलाओं को सुरक्षा देने के नाम पर पद और परतिष्ठा और बड़ा -बड़ा वेतन लेती हैं। किन कोठियों में छुपी हुई बैठी पार्टियां कर रहीं हैं वो। कौन से मेकअप और ब्रांडेड कपड़ो के साथ ? जहां पूरी तरह से शराब और सिगरेट के धुएँ के कश पर कश लगाये जाते हैं ?

कहा है वो मुख्य धारा की महान पत्रकार महिलाएं जो हिन्दू -मुस्लिम पर तो बड़ी पत्रकारिता करती हैं लेकिन बेटियों के सामुहिक दुष्कर्म पर अपना मुँह छुपा कर कहीं बैठी कोई नई ख़बर रच रहीं हैं कि इस बलात्कार को किस एंगेल से ख़बर बनाई जाये ताकि हमको भी कोई राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय पत्रकारिता का अवॉर्ड मिल जाये। शर्म आनी चाहिए आप लोगों को जो आज भी ऐसी ख़बर लिखता है कि एक दलित लड़की से बलात्कार हुआ मतलब वो दलित थी इस लिए बलात्कार हुआ। दलित हटा दीजिये और जब वो बस लड़की रह जाये तब उससे बलात्कार नहीं होता। अरे समाज के ठेकेदारों अपनी सोच और दिमाग में भरे इस कचरे को बहार निकाल कर उस बेटी के सहे हुए दर्द को भी कभी समझ कर कोई ख़बर लिख लो। आपकी भी जवाबदेही बनती है इस समाज के प्रति। यही हालात चलते रहे तब आने वाले वक़्त में सामूहिक बलात्कार की खबरें होगी कि फला राज्य में बीजेपी की सरकार थी तब इतने बलात्कार हुए। कांग्रेस की सरकार थी तब इतने। फिर साथ ही लगी होगी नई हैडलाइन दलित लड़की से दुष्कर्म किया गया। मुस्लिम लड़की से दुष्कर्म किया गया , ईसाई लड़की से दुष्कर्म किया गया गोया लड़की न हो कर जाति और धर्म के साथ बलात्कार हुआ है। साथ ही एक और हैडलाइन आने को तैयार है कि बस हिंदू लड़कियों से बलात्कार क्यों नहीं होता क्योंकि मैंने तो खुद आज तक कोई ख़बर नहीं देखी जिसमें लिखा हो हिंदू लड़की से बलात्कार हुआ हो। कहने का मतलब बलात्कार तो होते रहे लेकिन फला जाति वाली या धर्म वाली नहीं बल्कि फला वाली का होना चाहिए। देखिए मेरी भारत सरकार और मीडिया घराने आप लड़की की अस्मिता की रक्षा कीजिये लड़की की , बलात्कार को जाति और धर्म से जोड़ना बंद कीजिये।

सुनो अरे विपक्षी राजनीतिक दल वालों ,दलितों की हितैषी राजनीतिक दलों की महारानियों , धर्म के नाम पर सियासती राजनीतिक दल वालो तुम अपनी घिनौनी राजनीतिक रोटियां सेकनी बंद करो। वोट के नाम पर बलात्कारियों को सजा दिलवाने की जगह उनको बचाने का नंगा नाच बंद करो। क्या तुमको रात को सोते हुए कभी उस मजबूर निरहि नारी की चीत्कार नहीं सुनाई पड़ती जब वहशी दरिंदे उसके जिस्म को नोच रहे होते हैं ??

भारतीय पुलिस जो की महिलाओँ को न्याय दिलाने का टेंडर अपने नाम लिखवाये बैठी है वो खुद न जाने कितनी बार अपने थाने में ही मजबूर महिलाओं का न केवल शारीरिक बलात्कार ही करती है बल्कि मानसिक बलात्कार भी करती है गंदे -गंदे ढंग से सवाल करके। बेचारी लड़की को ऐसा घिनौना अहसास करवाती है जैसे उसने खुद ही अपना बलात्कार करवाया हो। कुछ दिन पहले ही एक पुलिस अधिकारी अपनी बीवी को मार कर शान से कंधे पर मैडल चमकाए कहते हैं ये मेरा घरेलु मामला है। वाह रे मर्दाने पुलिस वाले क्या शान है तुम्हारी। आप भूल गये कि समाज में अधिकारी बनने के उपरांत आप का व्यक्तिगत कुछ नहीं है। आप के परिवार की नारियाँ भी इसी समाज का हिस्सा हैं जिसकी सुरक्षा की ठेकेदारी आप को मिली है।

जब एक छोटी सी बेटी किसी घर में पैदा होती है न तब घर का हर पुरुष भी घर की महिलाओं की तरह ही उसको खिलाता है। उसके नाजुक अंगों को देख कर उसकी ज़्यादा परवाह करता है। पूरी तरह से ये सुनिश्चित करता है कि इस नन्हीं सी परी को कोई खरोंच तक न आये। जैसी नाजुक अंगों के साथ वो पैदा होती है हक़ीक़त में सारी उम्र उसका जिस्म नाजुक और कोमल ही रहता है। उसके शरीर में कुछ नहीं बदलता जैसे -जैसे वो बड़ी होती जाती है। मुझको ये कभी समझ नहीं आई पुरुष की मानसिकता कि अपने घर में पैदा हुई तो परी नज़र आई और दूसरे के घर पैदा हुई तब केवल उसका जिस्म नज़र आया जिसके साथ संभोग के सपने देखने लगता है वो। बुरी तरह से बढ़ते जा रहे बलात्कार और बलात्कार का भयानक रुप जो आज कल हमारे सामने निकल कर आ रहा है कि किसी के नाजुक अंगों में आप लोहे की रॉड डाल देते हैं ,किसी की अतड़िया तक बहार निकाल देते हैं , किसी की जीभ काट दे उसकी हड़िया तक तोड़ दे। वहशी दरिंदों को समाज के पुरषों को एक बात जरुर कहूँगी कि आप भले ही नारी को नोचते रहें क्योंकि आप जिंदा लाशें हैं तभी आपको उसका दर्द समझ नहीं आता। उसके शरीर पर आये घाव एक दिन भर भी जाएंगे लेकिन आत्मा पर आये घाव ता उम्र अन्दर ही अन्दर रिस्ते रहते हैं। वो जिन्दा तो रहती है लेकिन एक मुर्दे की तरह। कभी तो खुद के अंदर के राक्षस को मार कर सच वाला मर्द बनिये।

कितनी निर्भया ,कितनी गुड़िया ,कितनी परिया हर रोज नोच दी जाती है गिद्धों द्वारा और सब गूंगे -बहरे बने हुए बस कुछ दिन गली -चौराहों पर मोमबत्तियां जलाएंगे और अपने घरों में जा कर चैन की नींद सोयेंगे कि लीजिये हमनें न्याय की मांग में अपने होने की आहुति दे दी लेकिन अपने भीतर के गिद्ध को नहीं मरेंगे। आज किसी और की बेटी को नोचते सुना है कल अपनी बीवी को नोचेंगे क्योंकि उसको नोचने का तो प्रमाणपत्र मिल चुका है। सरकार को इसी वजह से क़ानून लाना पड़ा था कि बिना मर्ज़ी के किया गया संभोग भी बलात्कार की श्रेणी में ही आता है। लेकिन सच यही है बहुत सी बीवियों का भी हर पल बलात्कार उसके पति द्वारा ही किया जा रहा है। क्या सच में आप मर्द हैं ? क्या सच में ? एक बार सोचियेगा जरुर। #PMO India , #narendramodi #PMOffice #PMOIndia #HMOIndia #Modi #narendramodi_primeminister Ajay Kumar , Ranvir Sharda ji , Sharda Gulati Ma’am , RK Singh ji , Amitabh Kumar ji , Amit Kumar ji , Amitabh Yash ji

डबलिन से आपकी ही एक भारतीय बेटी
डॉ मंजू डागर चौधरी
अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार
आयरलैंड
Copyright @Dr.Manju Dagar Chaudhary

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महिला अधिकारियों को भारतीय सेना में स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए चयन बोर्ड की कार्यवाही शुरू

भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) प्रदान करने की जांच के लिए गठित विशेष नंबर 5 चयन बोर्ड ने 14 सितंबर 2020 को सेना मुख्यालय में कार्यवाही शुरू की। बोर्ड का नेतृत्व एक वरिष्ठ जनरल अधिकारी करता है। बोर्ड में ब्रिगेडियर रैंक की एक महिला अधिकारी भी शामिल होती है। प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए महिला अधिकारियों को पर्यवेक्षकों के रूप में कार्यवाही को देखने की अनुमति दी गई है।

      स्क्रीनिंग प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करने वाली महिला अधिकारियों को न्यूनतम स्वीकार्य चिकित्सा श्रेणी में पाये जाने के बाद स्थायी कमीशन प्रदान किया जाएगा।

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एस. एन. सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज द्वारा “आई.सी.टी. टूल्स इन ऑनलाइन टीचिंग एण्ड एसेसमेंट” विषय पर सात दिवसीय “फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम” का शुभारंभ

आज दिनांक 13/08/2020 को शिक्षाशास्त्र विभाग, एस. एन. सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज द्वारा “आई.सी.टी. टूल्स इन ऑनलाइन टीचिंग एण्ड एसेसमेंट” विषय पर एक सात दिवसीय “फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम” का शुभारंभ किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ अपराह्न 3 बजे ज़ूम ऐप पर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल द्वारा किया गया।प्राचार्या ने मुख्य अतिथि, रिसोर्स पर्सन्स एवं सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि, इस प्रकार के कार्यक्रम समय की आवश्यकता हैं, ताकि शिक्षकों और विद्यार्थियों को अॉनलाइन शिक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त की कि, यह एफ. डी.पी. इस दिशा में सहायक और सफल सिद्ध हो।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री शुभ्रो सेन ने कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएँ दीं तथा आशा व्यक्त की कि, यह एफ.डी.पी. शिक्षण की गुणवत्ता को प्रभावकारी बनाने के साथ-साथ विद्यार्थियों की शिक्षा प्रक्रिया में रुचि विकसित कर सके।
सम्पूर्ण राज्य के 75 से अधिक शिक्षक तथा विद्यार्थी इस एफ. डी.पी. में प्रतिभाग ले रहें हैं।
कार्यक्रम संयोजिका डॉ. चित्रा सिंह तोमर ने उद्घाटन सत्र का संचालन किया। साथ ही एफ.डी.पी. में संयोजन समिति की सदस्या कु. ऋचा सिंह, श्रीमती प्रीति साहू एवं डाॅ. निशा सिंह उपस्थित रहीं।

                           

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भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करना : सेना मुख्यालय ने आवेदन जमा करने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए

भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) देने के लिए औपचारिक रूप से सरकारी अनुमोदन पत्र प्राप्त होने के परिणामस्वरूप, सेना मुख्यालय स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए महिला अधिकारियों की स्क्रीनिंग के लिए एक विशेष नंबर 5 चयन बोर्ड बुलाने की प्रक्रिया में है। इसके लिए सभी प्रभावित महिला अधिकारियों को आवेदन प्रस्तुत करने संबंधी दिशानिर्देश देने वाले विस्तृत प्रशासनिक निर्देश जारी किए गए हैं ताकि बोर्ड उनके आवेदन पर विचार कर सके।

महिला विशेष प्रवेश योजना (डब्ल्यूएसईएस) और अल्प सेवा कमीशन महिला (एसएससीडब्ल्यू) के माध्यम से भारतीय सेना में शामिल महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार किया जा रहा है, और उन्हें 31 अगस्त, 2020 तक सेना मुख्यालय में अपना आवेदन पत्र, विकल्प प्रमाण पत्र और अन्य संबंधित दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। सही दस्तावेज के साथ सही तरीके से आवेदन करने की सुविधा के लिए प्रशासनिक निर्देशों में नमूना प्रारूप और विस्तृत जांच सूची शामिल किए गए हैं।

कोविड की स्थिति की वजह से लगाए गए मौजूदा प्रतिबंधों के कारण, इन निर्देशों के प्रसार के लिए कई साधनों का इस्तेमाल किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये दस्तावेज़ प्राथमिकता के आधार पर सभी प्रभावित महिला अधिकारियों तक पहुंच सके। आवेदनों की प्राप्ति और उनके सत्यापन के तुरंत बाद चयन बोर्ड का गठन किया जाएगा।

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गार्गी फाउंडेशन द्वारा ज़रूरतमंद बच्चों को रक्षा बंधन पर कपड़ो आदि का वितरण

गार्गी फाउंडेशन द्वारा ज़रूरतमंद बच्चों को कपड़ो आदि का वितरण

रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर गार्गी फाउंडेशन उन ज़रुरतमंद बच्चों तक पहुंचा जिन बच्चों को उसने पढ़ाने लिखाने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने का बीड़ा उठाया है, उन तक पहुच के उन्हें मिठाईयां कपड़े और राखी आदि ज़रूरी वस्तुओं का वितरण किया, त्यौहार में ये सारी चीज़ें पा के बच्चों की ख़ुशी देखते ही बन रही थी कोरोना काल में इस अत्यंत साधारण से आयोजन में प्रमुख रुप से गार्गी फाउंडेशन की करता धरता सुषमा चौहान, भारती दीक्षित, पूजा श्रीवास्तव, छाया आदि संस्था के सदस्यों द्वारा भरपूर योगदान दिया गया, इस अवसर पर अनेक गड़मान्य लोग उपस्थित रहे और संस्था के कार्यो को सराहा।

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