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महिला जगत

सुलझा हुआ दिखने की बजाय सुलझा होना बेहतर

“सुलझा हुआ दिखने की जगह ..सुलझे होना ही बेहतर है “साफ़ शीशे की तरह। बाहर से हर कोई शान्त समुन्दर की तरह दिखता है मगर भीतर इक छिपा हुया तूफ़ान। ये बात इक महिला कमल की है जिसे मैं जानती हूँ।वो बेहद समझदार ,ख़ुश मिज़ाज ,अपने गुरू में पूरी आस्था रखने वाली।पूरे मोहल्ले की रौनक़।हमेशा उनका हँसता हुआ चेहरा देखा करती।आत्मविश्वास तो कूट कूट कर भरा पड़ा था।अच्छे खुले विचारों की धनी ,सहृदय की स्वामिनी।अपने काम खुद ही करती।वो तक़रीबन अस्सी साल की होगी।आज बहुत गर्मी थी।सारा दिन ऐ-सी मे बैठने से मन उकता सा गया था।मैंने गार्गी को फ़ोन मिलाया और उसे झील पर मिलने के लिए कह दिया। थोड़ी ही देर मे मै भी वहाँ पहुँच गई।चंडीगढ़ की झील और उसपर शाम का ठंडी हवा जैसे मन को शान्त कर रही थी।सामने से गार्गी अपनी ममी के साथ आती दिखाई दी, वो बचपन से ही कमल आंटी को जानती थी।अचानक मेरी नज़र कमल आंटी पर पड़ी। झील की पोडियो पर चुप सी आँखें बंद करके बैठी हुई थी।मुझे हैरानी हुई ये कमल आंटी जो इतनी रौनकी है आज इतनी चुप सी ,मैंने गार्गी को कहा, इनको क्या दुख हो सकता है ये तो रोते हुए को भी हंसा देती है।
गार्गी की ममी ने बताया कि कमल मेरी बचपन की सहेली है।जब कमल तीन साल की थीं।उनके पिता की मौत हो गई।इनका बचपन बहुत तंगी में गुजरा।दादा के साथ रह कर देसी घी बेचने की दुकान चलाया करती थी।दुकान और घर के बीच इक अंधेरा वाली गली आती थी।लोग रात को वहाँ से नही गुजरते थे और ये कमल हाथ मे इक लम्बी सी छड़ी ज़मीन पर मारती और “दादा जी मै आईं ,दादा जी मै आई“ज़ोर ज़ोर से कहते कहते अपने दादा के पास पहुँच जाती और दादा उसे डाँटते ! कयूं आई हो अन्धेरें से ,मै घर आ जाता अपने आप,तो कमल कहती! कयूं आप अकेले कयूं आते।उस अंधेरे वाली गली से।कही आप का पैर फिसल गया और कहीं चोट लग गई।इसी लिये मै आप को शाम को घर ले जाने के लिये आ जाती हूँ और दादा की बूढ़ी आँखें कमल की इस सोच पर भर जाया करती।बहुत निडर हुआ करती थी। वहाँ गाँव में इक ऊँचा लम्बा आदमी जिस की शकल ख़ूँख़ार सी हुआ करती थी।लोग उससे डरा करते थे।इक बार वो दुकान पर आ गया।सब गाहक डर कर इधर उधर हो गये क्यूँकि वो डाकू था और ये कमल बहुत बिन्दास हो कर कहने लगी।चाचा चाचा क्या आप डाकू है ?लोग आप से इतना डरते क्यों हैं।डाकू बोला !मैं अपने गाँव की इज़्ज़त उनकी बेटियों की रखवाली के लिये ही डाकू बना हूँ।ये कमल जो उस वक़्त शायद 10 साल की रही होगी बोली !आप इतने बुरे भी नहीं जैसे लोग समझते हैं।अगर रखवाली ही करनी है आप अपनी इन बड़ी बड़ी मूँछों को कटवा दें। फिर लोग आप से नही डरेंगे।दादा ने कमल को रोकना चाहा ,मगर कमल को रोक पाना इतना सहज नही था।उसके दादा बहुत ही शान्त क़िस्म के व्यक्ति थे।वो डाकू थोडा झेंप गया।कहने लगा !अच्छा अच्छा कटवा दूँगा और सच में अगले दिन उसने अपनी ढाडी मूँछें कटवा दी और अच्छे से पगड़ी बांध कर दुकान पर आया और दादा को कहने लगा ! मैं सब को डरा कर रखता हूँ और आप की पोती को मुझ से डर नहीं लगा।चाचा चाचा कह कर मुझे डाँट भी दिया। निडर हो कर जो कहना था कह भी दिया।अब देखो मेरा पूरा हुलिया ही बदल दिया।ऐसे ही वो डाकू रोज दुकान पर आता और ये कमल जो उस वक़्त सिर्फ़ 10 बरस की लड़की थी हर रोज डाकू चाचा को अपने गुरू की बाते और कहानियाँ सुनाने लगी, जो वो अपनी माँ से सुनती थी।सुना है कि कुछ देर के बाद उस डाकू ने लूट मार करना बंद कर अपनी छोटी सी कपड़े की दुकान लगा ली। कुछ वर्ष बाद इक कोड़ी गाँव के बाहर आ रहने लगा।लोगों ने उस रास्ते से आना जाना ही छोड़ दिया।जब कमल को पता चला तब वो 12 वर्ष की लड़की रही होंगी।घर वालों से छिपा कर उस कोड़ी को रोटी पानी दूध देने चली जाती।जब इनकी माँ को पता चला तो माँ से कमल को खूब डाँट पड़ी तो कमल कहने लगी! इस कोड़ी को हमारी ज़रूरत है।उसके बाद सब गाँव वाले खुद जा कर उस कोड़ी को रोटी दे कर आते है।ऐसी थी ,बडे दिल की मालकिन ,विशाल और सरल सहज तुम्हारी कमल आंटी। बड़ी हुई तो इक डाक्टर से शादी हो गई।फिर बताया कमल के संस्कार इतने शक्तिशाली हैं।बहुत नुक़सान देखा, दो जवाई गुजर गये पति भी गुज़र गये तो भी शुक्र करती और औरों को भी सांतवना देती।बात करते करते हम सब कमल आंटी के पास पहुँच गये।आज आंटी को देखने का मेरा नज़रिया बिल्कुल अलग था सामने से सूरज की किरणें उनके मुख पर पड़ने से मुख की लालिमा और भी ज़ोरों पर थी गार्गी की ममी ने उन्हें आवाज़ दी ।जैसे ही कमल आंटी ने आँखें खोली मुझे इक तेज प्रकाश का आभास हुआ।हमे देख कर इक दम से ख़ुश हो गई आंटी हमसे बातें करने लगी ।मैं उनके तेज को ही निहारे जा रही थी कितनी निर्मल ह्रदय है। इतना कुछ खोने के बाद भी इनकी शख़्सियत कितनी शक्तिशाली है। आंटी कमल इकदम उठी और गाड़ी की ओर चल पड़ी।मैं सोच रही कि ये औरत जिसे मैं इक आम इंसान समझती थी।क्या पता था कि इनके अन्दर भी इतनी उलझनों हो सकती हैं जो कभी वो ज़ाहिर नहीं करती। मैंने भी महसूस किया वाक़ई में ये सुलझी हुई औरत है जो भी मिला उसे सहर्ष स्वीकार किया और उलझा सा था कोई दूसरा उनमें।जो उनका गुरू ही था। जिस की ताक़त से वो जीवन जी रही थी। दोस्तों उलझने सब पर आती है उनको सुलझाना कैसे हैं। कमल आंटी इक उधारण है, ये बुज़ुर्ग हमारे समाज के लिये वरदान की तरह होते है इनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।हमें इन्हें आभार प्रकट करना चाहिए। दोस्तों इस कहानी की नायिका कोई और नही बल्कि “मेरी माँ “ही है।जो आज होमियोपैथी डाक्टर है~स्मिता

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एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन महिलाओं एवम बच्चों को योगासन और प्राणायाम की विभिन्न मुद्राओं का अभ्यास कराया गया

कानपुर 27 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र का शुभारंभ एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर के द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया गया। स्वयं सेविकाओं ने प्रार्थना ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ से सत्र की शुरुआत की। डॉ अंजना गुप्ता ने शिविर में उपस्थित सभी महिलाओं एवम बच्चों को योगासन और प्राणायाम की विभिन्न मुद्राओं का अभ्यास करवाते हुए उनसे संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियां भी साझा की जैसे कि याददाश्त तेज करने, तनावमुक्त रहने में कौन से योगासन की महती भूमिका है? स्वयं सेविकाओं ने ग्रामीण बच्चों को कविताएं याद करवाईं, गणित के सवाल हल करवाये तथा विज्ञान की जानकारी प्रदान की। सभी बच्चों ने शिविर में मनोरंजक गतिविधियों जैसे नृत्य, संगीत आदि में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रथम सत्र के अंत में स्वयं सेविकाओं ने कैंप में उपस्थित बच्चों में टॉफी का वितरण किया। शिविर का प्रथम सत्र काफी ऊर्जावान एवम रोचक रहा।शिविर के द्वितीय सत्र के आरंभ में डॉ प्रीति सिंह ने आरोग्य भारती संस्थान कानपुर के जिला अध्यक्ष डॉ बी एन आचार्य जी का परिचय शिविर से करवाया। स्वयं सेविकाओं ने गांव में ही उपलब्ध पत्तियों एवम फूलों से पुष्प गुच्छ बनाकर अथिति को भेंट किया । डॉ बी एन आचार्य ने ‘स्वस्थ जीवन शैली व संतुलित जीवन’ विषय पर व्याख्यान दिया तथा ग्रामीण महिलाओं एवम बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया। डॉक्टर साहब ने शिविर में लगभग 50 ग्रामीण महिलाओं व बच्चों का चिकित्सकीय परीक्षण करते हुए उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का उचित समाधान किया। एन एस एस प्रोग्राम ऑफिसर डॉ चित्रा सिंह तोमर ने डॉ बी एन आचार्य जी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए द्वितीय सत्र का समापन किया। सत्र के अंत में स्वयं सेविकाओं ने शिविर में फल वितरण किया। इस अवसर पर डॉ प्रीति सिंह, डॉ अनामिका राजपूत, श्रीमती चेतना त्रिपाठी ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

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एस एन सेन बी वी पी जी कालेज कानपुर की एन एस एस इकाई सात दिविसीय शिविर आयोजित करेगी

कानपुर 25 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी वी पी जी कानपुर की एन एस एस इकाई के तत्वाधान में सात दिविसीय शिविर (दिनांक 25/03/2022 से 31/03/2022 तक) का शुभारंभ प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल एवम एन एस एस इकाई प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर के द्वारा काकोरी ग्राम में मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। शिविर के प्रथम दिन उदघाटन सत्र में प्राचार्या जी के द्वारा शिविर के महत्त्व की ग्रामीण महिलाओं के जीवन में उपयोगिता पर प्रेरक वक्तव्य दिया गया। एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने सात दिविसीय शिविर की रूपरेखा पर सारगर्भित प्रकाश डाला। डॉ प्रीति सिंह एवम डॉ अंजना गुप्ता ने शिविर में ग्रामीण महिलाओं से जीवन उपयोगी विषयों पर सार्थक चर्चा की। स्मृतियों को छाया चित्रों में संजोने का कार्य श्रीमती चेतना त्रिपाठी के द्वारा किया गया। शिविर के द्वितीय सत्र में एन एस एस स्वयं सेविकाओं ने ग्रामीण बच्चों के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार की शैक्षिक एवम सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जिसमें सभी बच्चों ने बढ़ चढ़ कर सहभागिता की। आज का विशेष आकर्षण काकोरी ग्राम की नन्ही परी कुमारी सिद्धि वर्मा रहीं जिन्होंने हर गतिविधि में उत्साहपूर्वक प्रतिभागिता की। अंत में फल वितरण के द्वारा शिविर के प्रथम दिन का सफल समापन किया गया।

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सारे दुख हमारे अंदर का संसार देता है

एक संसार बाहर है एक अन्दर .. हम कह देते है संसार ने हमें बहुत दुख दिया है ये ग़लत है, सारे दुख हमारे अंदर का संसार देता है।
तकलीफ़ निंदा जब हमें मिलती है तो प्रतिक्रिया अन्दर होती है। हम दुखी होते हैं।क्रोध अग्नि में जलते है।बदला लेने की भावना होती है। कोई इन्सान ऐसी प्रतिक्रिया से आनन्द महसूस कर ही नहीं सकता। हालात कोई भी हो अगर हम शान्ति से स्वीकार कर लेते हैं।किसी का कुछ भी किया और कहा माफ़ कर उसे भूल जाते है तो प्रतिक्रिया पाजिटिव होगी ..साकारातमक होगी ,जो हमे आनन्द का अहसास करवायेंगी और मन सुखी होगा। दुख या सुख हमारा अपना रचा हुआ है ..दुख सुख तो संसार है दुख हमें इतना दुखी नहीं करता जितनी हमारी अपनी ही प्रतिक्रिया।सो कोशिश करें ,हम प्रतिक्रिया न दे कर हालातों को बैलेंस करने की कोशिश करे।कोई आप के साथ ग़लत करता है, तो शान्त रहे, ख़ामोशी से सह जाये वक़्त ख़ुद ही फ़ैसला कर देता है।खुद लाठी न उठाये।वक़्त को अपना काम करने दे।जब हम दुख सुख से निकलते हैं। हम और भी निखर कर बाहर आते हैं।अगर किसी ने ग़रीबी को झेला हो,वो ही इक गरीब की व्यथा को समझ सकता है।जब हम हमेशा सुख में रहते हैं तो हम किसी की तकलीफ़ को नहीं समझ सकते।ये कटु अनुभव ही हमें बेहतर इन्सान बनाते है।इक फूल का पौधा तब ही सुन्दर ख़ुशबूदार फूल दे पाता।जब वो कड़ी धूप ,बारिश,आँधी तूफ़ान, कभी गर्मी सर्दी सहता है,तो ही पौधों के तने में जान आती हैं।तब वो समय आने पर बहुत ही शानदार फूलों से बाग को भर देते है।ये पौधों की फूल देने की क्षमता किस ने बड़ाई. ये विपरीत मौसम ने।पौधों को अगर इन विपरीत मौसमों से न गुजरना पड़े तो फूल भी बड़े और सुन्दर न हो पायेंगे। कई बार हमें स्थितियाँ हालात बेहद विपरीत दुख देने वाले दिखते हैं मगर हमें और शक्तिशाली बनाने के लिये ही आते है। दुख तकलीफ़ हमें अपने कर्मों से मिलता है।हर कोई अपना रोल जो उन्हें विधाता की तरफ़ से मिला है,निभा रहे हैं।हम यूँही कह देते हैं कि उसने मेरे साथ ऐसा किया वैसा किया .. कई बार वो नहीं कर रहा होता ,हमारे ही क्रम हमें दुखी या सुखी कर रहे होते हैं। इक बार बहुत बड़ा सेठ गाँव में रहता था .. दूसरे गाँव में मेला लगा।सारा गाँव मेला देखने चला गया ..घर में कोई नहीं था .. वो अकेला ही था। उसका इक गुरू था।अपने गुरू को बहुत याद किया करता था।ख़ूब मन लगा कर भक्ति किया करता था।उस रात जब वो अकेला था..चार चोर आ गये।उसका सब कुछ लूटने लगे।सेठ को मारा कूटा।सेठ बहुत गिड़गिड़ाया मगर चोरों ने उसके हाथ पैर मुहं बाँध दिये।गाँव के और घरों में भी चोरों ने चोरी की।जाने से पहले कहने लगे ! ये सेठ इस गाँव का जाना माना व्यक्ति है।इस की गवाही पर हम पकड़े भी जा सकते है।इस को मार कर ही जाते हैं ताकि कोई गवाह बचे ही नही।जैसे ही उसे मारने लगे।सेठ ने कहा मेरे हाथ पैर खोल दो। मरना तो है ही मुझे।मरने से पहले मुझे अपने रब को याद करने दो।सेठ कहने लगा !सिर्फ़ इक घंटा मुझे अपने रब को याद करने दो।चोरों ने सोचा अभी रात बहुत पड़ी है,तब तक हम भी कुछ खा पी लेते हैं।थोड़ा सुस्ता लेते हैं।गाँव वाले भी तो दिन चढ़ने पर ही आयेंगे।वो मान गये।अब सेठ को खोल दिया ।सेठ आँखें बंद कर अपने गुरू से बातें करने लगा ..कहता है गुरू जी मैंने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा तो ये सब मेरे साथ क्या हो रहा है।फिर चुपचाप ध्यान मग्न हो गया। घंटे बाद उठा तो बढ़ा ख़ुश।कहने लगा चोरों से !अब आप मुझे मार सकते हो।मैं तैयार हूँ मरने के लिए।सब चोर हैरान हो कर सोचने लगे।कुछ देर पहले तो गिड़गिड़ा रहा था।अपने जीवन की भीख माँग रहा था।अचानक से ऐसा क्या हो गया। उन्होंने पूछा! ऐसा क्या हुआ कि इतनी विपरीत हालात में भी तुम ख़ुश हो।क्या राज है बता।कहता है कि मेरे गुरू ने मुझे बताया है कि ये तेरा ही करम है जो तुम हिसाब दे रहे हो। गुरू ने कहा ये सारे चोर अलग अलग जन्म में तेरे भाई ही थे तुमने इनको तरह तरह से इनका धन लूटा फिर इनके गले भी काट दिये।गुरू कहते है कि तुम चाहो तो चार जन्म ले कर इनके हाथों से मारे जाओ, या आज इन चारों के हाथ से मर कर ..एक ही बार में इन चारों का हिसाब पूरा कर दो।सेठ कहने लगा मैंने फ़ैसला किया है कि आप चारों मुझे मार कर अपना हिसाब पूरा करे। चोर सोच में पड गये और पूछने लगे क्या ऐसा भी होता है।इस हिसाब से तो हम आज तुम्हें मारेंगे कल या किसी जन्म में तुम हमें मारोगे।ऐसे तो सिलसिला चलता ही रहेगा।पूछने लगे कौन है तेरा गुरू?हमें उसके पास ले चल।सुबह हुई पाँचों गुरू के पास पहुँच गये।चारों चोर गुरू से बहुत प्रभावित हुये और गुरू से गुरू दिक्षा भी ले ली। और अच्छे इन्सानों की तरहा जीवन जीने लगे। यहाँ उन्हें मौक़ा मिला अपना बदला ,अपना हिसाब ..पूरा करने का ,मगर उन्होंने बदला न ले कर पुराने किये गये करम को माफ़ करने का रास्ता चुन लिया।ऐसे ही करमो से आत्मा में बल बढ़ता है। दोस्तों! दुख जब आते हैं किसी की भी तरफ़ से तो माफ़ कर दे।इसमें फ़ायदा ही फ़ायदा है हम क्रोध और बुराई से बचे रहते हैं।किसी और के लिए नहीं बल्कि हमें अपनी मन की शांति के लिए ही माफ़ करना है।माफ़ करना कमजोरी नहीं ..बहुत बड़ी ताक़त है जो हमारी आत्मा को और भी बलवान बना देती है। अगर हम उम्मीद रखते है कि रब हमे हमारी ग़लतियों के लिए माफ़ कर दे,तो पहले हमे ही दूसरों को माफ़ करने का सलीका सीखना होगा।🙏 स्मिता 

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होली का महत्व

 योग का नियमित अभ्यास किसी भी मनुष्य को प्रह्लाद बना सकता है – वही प्रह्लाद, जिसकी कथाएँ पुराणों में निहित हैं और जिसे हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन मॉस की पूर्णिमा को, होलिका दहन में जलाकर मारने का प्रयास किया था। किन्तु उस रात की शक्ति ही कुछ ऐसी थी कि प्रह्लाद बिना जले आग से बाहर आ गया और होलिका , जिसे न जलने का वरदान प्राप्त था, फिर भी जलकर राख़ हो गयी।

पुराणों में निहित कथाएँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं बल्कि ज्ञान का भंडार हैं। एक साधारण मनुष्य उन्हें सिर्फ कहानियाँ ही मानता है। सीमित बुद्धि के कारण उसमें इन कथाओं में निहित ज्ञान को जानने की जिज्ञासा ही नहीं होती। और यही इन कथाओं का उद्देश्य भी है कि उनमें छिपे ज्ञान और रहस्यपूर्ण शक्तियों तक एक योग्य साधक ही पहुँच सके।

ज्ञान की प्राप्ति और दैविक शक्तियों का अनुभव गुरु द्वारा निर्धारित क्रियाओं और साधनाओं के नियमित अभ्यास से ही संभव हैं।

यह सृष्टि पांच तत्वों के संयोजन और सम्मिश्रण से उत्पन्न हुई है। जब शरीर में कोई दोष होता है तभी ये तत्व मिलकर उस शरीर की संरचना करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त और कफ ही शरीर के दोष हैं तथा वेदानुसार कोई नकारात्मक विचार या स्वार्थ की भावना ही शरीर में दोष का कारण है।

यही दोष, एक मनुष्य की मूल प्रकृति को निर्धारित करते हैं। तत्वों की शुद्धता और अशुद्धता का स्तर ही एक व्यक्ति की विचार धारा को निर्धारित करता है। अगर तत्व शुद्ध हैं तो विचार उच्चकोटि के होंगे, परमार्थ के होंगे और यदि तत्व अशुद्ध है तो मनुष्य के विचार, स्वार्थ भावना और स्थूल स्तर के होंगे।

पञ्च तत्वों में अग्नि तत्व का उल्लेख, विशेष महत्त्वपूर्ण है क्योंकि केवल इसी तत्व को दूषित नहीं किया जा सकता। यही एक ऐसा तत्व है जो गुरुत्वाकर्षण के बावजूद ऊपर की ओर उठता है। इसके संपर्क में जो कुछ भी आता है वह शुद्ध और पवित्र हो जाता है। यही अग्नि, मनुष्य का उत्थान करने की क्षमता रखती है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि ऋग वेद का पहला शब्द अग्नि ही है।

अग्नि की शक्ति को प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं जिसमें होली भी एक है। इस दिन होलिका, प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी थी किन्तु वह एक साधिका थी और अग्नि द्वारा उसके पवित्र होने का समय आ चुका था,इसलिए वरदान होते हुए भी अग्नि ने उसे स्वीकार कर लिया और प्रह्लाद , जो पहले से ही पवित्र और विशुद्ध था, बिना जले बाहर आ गया। जो शरीर पूर्ण रूप से शुद्ध होता है, अग्नि उसको प्रभावित नहीं करती। अग्नि से तात्पर्य स्थूल अग्नि तो है ही साथ ही हमारे जीवन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, अशांति या विघ्न से भी है।

एक पवित्र देह उच्च लोकों में जाने योग्य है जहाँ उसका संपर्क दैविक शक्तियों से रहता है और ऐसी आत्मा सदैव आनन्द की स्थिति में होती है वहीँ एक अशुद्ध शरीर इस सँसार के भोगों को भोगने में व्यस्त रहता है,भोग जो क्षणभंगुर तो हैं ही साथ ही उस प्राणी को रोग की ओर भी ले जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को लगता है कि उसका मनोरंजन हो रहा है और उसका समय सही व्यतीत हो रहा है, किन्तु वास्तव में समय ही उसे व्यतीत कर रहा है और रोगों की ओर ले जा रहा है क्योंकि रोग ही तो भोग का विपरीत है। सृष्टि स्वयं भी तो एक दूसरे के विपरीत पहलुओं का ही परिणाम है।

सनातन क्रिया में भी होली के दिन करने के लिए कुछ शुद्दिकरण प्रक्रियाएं दी गयी हैं। इसमें साधक अपने चारों और अग्नि चक्र बना कर, गुरु द्वारा दिए गए मन्त्रों का जाप करते है जिससे तुरंत ही उनमे आत्मिक शुद्धि की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

योगी अश्विनी – ध्यान आश्रम के योगी अश्विनी से सम्पर्क करने के लिए dhyanashram.ya@gmail.com पर लिखें । गुरुवार 17 मार्च को दुनिया भर में ध्यान फाउंडेशन केंद्रों पर विशेष होली यज्ञ। भाग लेने के लिए www.dhyanfoundation.com पर रजिस्टर करें  09318451205

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई कोदोमबनी द्वारा गोद लिए गए गांव काकोरी में पोषक आहार वितरण

कानपुर 8 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई कोदोमबनी द्वारा गोद लिए गए गांव काकोरी में पोषक आहार वितरण कार्यक्रम किया गया कार्यक्रम के प्रारंभ में एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने महिला दिवस के इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत कर महिलाओं को जागरूक किया इस अवसर पर डॉ मोनिका शुक्ला एवं श्रीमती रीता आदि शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं, एन एस एस यूनिट से लगभग 30 वालंटियर ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया , एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर के व्याख्यान के उपरांत महिलाओं को पोषक आहार का वितरण किया गया तदोपरांत उन्हें स्वास्थ एवं स्वच्छता से संबंधित शपथ दिलाई गई कार्यक्रम में काकोरी की सभी महिलाओं एवं बच्चों ने भाग लिया

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दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजाजीपुरम , लखनऊ में वार्षिकोत्सव एवं पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, लखनऊ 3 मार्च को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजाजीपुरम , लखनऊ में वार्षिकोत्सव एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य महोदया प्रोफेसर अर्चना राजन जी ने की कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में श्री नरेंद्र शंकर पांडे  (सलाहकार,गृह मंत्रालय, भारत सरकार )एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती मीरा पांडे जी उपस्थित रहे सर्वोच्च अंक प्राप्त मेधावी छात्राओं को सम्मानित किया गया साथ ही वर्ष पर्यंत आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजई प्रतिभागियों को भी मुख्य अतिथि के कर कमलों से प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किए गए इस अवसर पर महाविद्यालय की समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ नेहा जैन की पुस्तक “कार्यशील महिलाओं का समाजशास्त्रीय अध्ययन “का विमोचन किया गया महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका एवं इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रियंका शर्मा की पुस्तक “social history in modern india”का भी विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ  इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे

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मजबूत लोकतंत्र

लोकतंत्र मतलब जनता द्वारा जनता के लिए निर्धारित व्यवस्था। जनता द्वारा निर्धारित व्यक्ति संरक्षक की भूमिका निभाता है। अच्छा बुरा सोच कर उनके हितों को ध्यान में रखता है। इस चुनावी बयार में ही लोकतंत्र की मजबूती का भान होता है। एक वक्त था जब नेता शब्द सम्मानजनक माना जाता था। वो देश – समाज के लिए समर्पणभाव रखता था लेकिन जैसे-जैसे सत्ता में नेताओं की पकड़ मजबूत होती गई वैसे वैसे उनकी सोच, समझ, सलीका और शैली भी बदलती गई। आज के नेता अपने वैचारिक स्तर से नीचे गिर गए हैं। चुनाव, घोषणा – पत्र और सभाओं में दिए के प्रलोभनों द्वारा जनता को बरगलातें हैं लेकिन जनता भी इनको समझ चुकी है। फ्री की चीजों को लेने के बाद वो भी नेताओं जैसा ही व्यवहार करने लगी है। नेताओं के वादों पर से अब लोगों का भरोसा उठ गया है। आज नेताओं को दल बदलने में जरा भी वक्त नहीं लगता। जो नेता पहले अन्य दल की बुराई कर रहे थे दल बदलते ही पुराने दल का विरोध करने लगते हैं। निजी हितों के लिए व्यापारियों की तरह खुलेआम सौदेबाजी खरीद-फरोख्त करते हैं। इनका मकसद अच्छा बुरा सोचे बिना जैसे भी बने सिर्फ अपना कार्य सिद्ध करना होता है।
गौरतलब है कि कोरोना काल में जो भी नियम कानून बने वह बस जनता के लिए ही थे। चुनावी रैलियों पर यह नियम नहीं लागू हुये। तो सरकार कौन सी सोशल डिस्टेंसिंग की बात कर रही थी। जहां लोगों को मरने के लिए आमंत्रित किया जा रहा था। शादी समारोहों में लोगों की उपस्थिति पर संख्या निर्धारित कर दी गई, स्कूल – कॉलेज बंद कर दिए गए लेकिन चुनावी क्षेत्रों में कोरोना का कहीं असर नहीं दिखाई देता था। सरकारी घोषणाएं, मंत्रियों के मुस्कुराते चेहरे और अखबार के विज्ञापनों में आंकड़ों में विकास नजर आ जाता है तो फिर आज का युवा रोजगार क्यों मांग रहा है? वो क्यों परेशान है? यदि समस्याएं खत्म हो गई है तो आंदोलन क्यों हो रहे हैं? जनता का पैसा चुनाव प्रचार, रैलियों और विज्ञापनों में खर्च हो जाता है और बचा कुचा घपला कर भगोड़े ले जाते हैं और जनता को मुफ्त नाम का लॉलीपॉप थमा दिया जाता है।
हम सरकार चुनते हैं तो यह जरूरी नहीं हो जाता कि सरकार के हर निर्णय का समर्थन किया  जाये। हमारे घर का मुखिया पिता होता है और उसके द्वारा लिया हुआ निर्णय अंतिम निर्णय होता है। मगर जब वह गलत निर्णय या तानाशाही करता है तो पुत्र, पुत्री और पत्नी द्वारा विरोध के स्वर उठने लगते हैं। उसे चेताया जाता है कि आपका यह निर्णय सही नहीं है। कुछ यही बात लोकतंत्र के प्रतिनिधि पर भी लागू होती है सरकारें आयेंगी और जायेंगी लेकिन जनता को सही गलत का फर्क समझ में आना चाहिए और आज लोकतंत्र की यही मांग भी है। –प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा एक सेमिनार का आयोजन

कानपुर 24 फरवरी एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज कानपुर में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया, कार्यक्रम का शुभारंभ वीएलसीसी से आए हुई हेड ऑफ इंस्टीट्यूट कु. प्राची , स्किन एक्सपर्ट कु.आस्था, मेक अप आर्टिस्ट कु.अनामिका, श्री गौतम जी, प्रबंध समिति के सचिव श्री पी के सेन, प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल तथा कार्यक्रम प्रभारी डॉ.गार्गी यादव ने दीप प्रज्वलित कर किया, वीएलसीसी से आई हुई टीम ने छात्राओं को मेकअप, हेयर कटिंग, न्यूट्रीशन के क्षेत्र में किस तरह से अपना करियर बनाए इस बारे में विस्तार से बताया। साथ ही छात्राओं को कैंपस में ही हेयरकट और मेकअप का डेमो भी दिया। वीएलसीसी से आई हुई वहां की हेड ऑफ इंटीट्यूट, प्राची जी ने कन्वेंशनल और नॉन कन्वेंशनल करियर के बारे में विस्तार से बताया। प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत महाविद्यालय में स्थापित ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा छात्राओं के ज्ञानवर्धन, विकास और रोजगार से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम करवाता रहेगा जिससे छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो सके। कार्यक्रम का संचालन ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की प्रभारी डॉ. गार्गी यादव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निशा वर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्लेसमेंट सेल की सदस्य डॉ. कोमल सरोज व समस्त प्रवक्ताए और छात्राएं उपस्थित रही।

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डीआरडीओ ने विज्ञान सर्वत्र पूज्यते में लिया हिस्सा, देश भर के 16 शहरों में प्रदर्शनियों का आयोजन

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत भारत की आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) देश भर में आयोजित होने वाले ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ कार्यक्रम में भाग ले रहा है। 22 से 28 फरवरी, 2022 के दौरान देश के हर हिस्से से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्रदर्शित करने के लिए विज्ञान सर्वत्र पूज्यते अखिल भारतीय कार्यक्रम है।

डीआरडीओ पूरे देश के 16 शहरों में ‘अमृत महोत्सव साइंस शोकेस : रोडमैप टू 2047’ विषय पर प्रदर्शनियों का आयोजन भी कर रहा है। डीआरडीओ की ओर से आगरा, अल्मोड़ा, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, हैदराबाद, जोधपुर, लेह, मुंबई, मैसूर, पुणे, तेजपुर, एरानाकुलम, विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बहुत बड़ी प्रदर्शनी आयोजित की जा रही हैं। ‘महोत्सव’ में डीआरडीओ की भागीदारी अनुसंधान एवं विकास संगठनों द्वारा किए जा रहे कार्यों और 2047 की राह में विचारों और प्रौद्योगिकी के प्रयासों को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।

विभिन्न तकनीकों से संबंधित कई डीआरडीओ उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें नाग, मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम), आकाश, ब्रह्मोस, अस्त्र, प्रलय, मिशन शक्ति, बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन (एईआरवी), मारीच, 3डी सेंट्रल एक्विजिशन रडार (3डी सीएआर), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, ब्रिज लेयर टैंक (बीएलटी) आदि के मॉडल शामिल हैं। इसमें रेट्रोमोटर, बूस्टर मोटर, समग्र रॉकेट मोटर आवरण, ड्रॉप टैंक, ब्रेक डिस्क आदि तकनीकी का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

इस सप्ताह के दौरान देश भर के अलग-अलग केंद्रों पर विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास पर प्रख्यात वैज्ञानिकों के व्याख्यान भी होंगे। डीआरडीओ के वैज्ञानिक देश भर के 33 केंद्रों पर 11 अलग-अलग भारतीय भाषाओं में विभिन्न मुद्दों और विषयों पर व्याख्यान भी दे रहे हैं।

स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में विभिन्न क्षेत्रों में देश की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए भारत सरकार एक साल का कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव आयोजित कर रही है। सरकार के विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन राज्यों के स्तर पर एजेंसियों के साथ करीबी साझेदारी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं।

‘अमृत महोत्सव विज्ञान’ जिसका नाम ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ भी है, हमारी वैज्ञानिक विरासत और प्रौद्योगिकी कौशल को प्रदर्शित करेगा, जिसने रक्षा, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, कृषि, खगोल विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में समस्याओं के समाधान खोजने में मदद की है। यह कार्यक्रम डीआरडीओ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस), परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), अंतरिक्ष विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय और संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित किया जाता है।

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