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मनोरंजन

मज़े की लाइफ

दैनिक भारतीय स्वरूप, कुछ ख्याल अक्सर अचानक आते हैं यूंकि बेमतलब से लगते हैं लेकिन सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम जिंदगी को किस नजर से देखते हैं और शायद हमारा नजरिया हमारी जिंदगी के रास्ते भी तय करता है। कितने ही दुख सुख आते जाते हैं, कितने ही लोग मिलते बिछड़ते हैं जिंदगी में, पता नहीं कब कौन दोस्त बन जाता है और कब किसका साथ छूट जाता है। ये वक्त, ये पल ऐसे होते हैं जिनमें डूबकर हम बह जाते हैं या फिर मौन साधकर तटस्थ हो जाते हैं। कुछ ऐसे अपनों से भी वास्ता रहता है जो जिंदगी में नमक और शक्कर की तरह घुले से रहते हैं लेकिन फिर भी जिंदगी नींबू निचोड़ कर शरबत बना ही देती है क्योंकि हमेशा मुस्कुराते हुए हमें संबंधों को स्वीकारना होता है। कभी-कभी लगता है कि यह सब प्रपंच छोड़कर “मजे की लाइफ” का आनंद लेना चाहिए कोई कुछ बोल रहा हो तो बोलने दो उसे हम अपने ही गीत में मगन रहें, कोई पैर खींचना चाहे तो उसके साथ बैठकर बतिया ही लिया जाए। यह रफ्तार भरी जिंदगी कब थम जाती है यह भी हमें देर से मालूम पड़ता है। लब्बोलुआब कुछ यूं है कि पंचायती स्वभाव वाले प्राणी हमेशा खुश रहते हैं। तांक – झांक, लगाई – बुझाई शगल रहता है उनका और कुछ नहीं तो मनोरंजन ही हो जाता है। मोहल्ले में सबसे ज्ञानी भी वही रहते हैं।

“मोहल्ले में सबसे ज्ञानी हम ही हैं ऐसा हम मानते हैं अब क्या करें सबको मालूम हो या ना हो हमारा काम है ज्ञान बांटना और कुछ इधर-उधर करना। अब घर में बहुरिया है तो घर की चिंता से हम मुक्त है सारा जीवन खट लिया तो अब हम मजे से अपनी लाइफ जिएंगे।”
“पता नहीं लड़कियाँ एक ही शहर में शादी करके मायके में काहे पड़ी रहती है, समझ में नहीं आया आज तक। अब हम पूछे तो बुरे बन जाए फिर भी मन की कुलबुलाहट पर काबू कैसे पाएं तो पूछ ही लेते हैं कि का हो लल्लन की दुल्हिन बिटिया घर में है? सब कुसल मंगल तो है ना ?”
सवाल हम पूछा तो जवाब मा सवाल हम ही से पूछ लिया गया।
“अरे चाची! तुमका काहे चिंता हो रही है?”
चाची:- “अरे कुछू नाहीं! मुन्नी को देखा तो पूछ लिया। कौउनो बात नहीं सुखी रहो। रामदुलारी हमका मिलीं रहीं तो उनहीं बताइन कि मुन्नी आई है तो हाल-चाल लेक खातिर आए गयन और तुमरी सहेली बबीता के घर से झगड़े की आवाज आवत रही। लागत भय कि बहुरिया सास का खूब खरीखोटी बोलत रही। रोना धोना मचा रहै खूब, आवाज आवत रही।”
“अरे चाची! सब घर में कुछ ना कुछ होत है तुम काहे परेसान होती हो? घर मा बैइठ के भजन किया करो।”
चाची:- “हां बिटिया! अब यही करना ही है मगर आंख कान नाक बंद थोड़ी कर लेंगे।”
“चाची तुम तुमरी कहो कल तुम्हार बिटेवा तुमका का बोलत रहै ? काहे डांटत रहै?”
अरे कुछ नहीं! चलो हम जा रहे हैं, देर हो रही है। बिटिया लोगन का बहुत दिन मायका मा नाही रहेक चाही। ससुराल मा ही नीक लगतीं हैं और सुनो लल्लन की दुल्हिन हम अपना समझ कै बोलत हन नहीं तो हमका का पड़ी है। राधे-राधे..”
गली के नुक्कड़ पर सहेली नंदा मिल गई दोनों बतियाने लगी। कहां से आ रही हो जी?
“अरे लल्लन के घर पर रुक गये रहन पता है पंदर दिन से घर पर है मुन्नी, हमका तो दाल में कुछ काला नजर आ रहा है?”
“अरे कुछ नहीं! सब कामचोरी है ससुराल में काम करना पड़ता है तो भाग कर मायके आ जाती हैं।”
“हम्म यही बात होई! अच्छा सुनो तुम मंदिर गई रहौ का? बहुत चोट्टा पंडित है सब डकार लेत है फिर भी पेट नहीं भरत है उका ऊपर से ही – ही करत रहत है बस।”
“ऐजी तुम फालतू ना बोला करो उ अपना काम करत हय बेचारा, जो बुलावत है तय कर लेत है उतना मा ही सब होई जात है।”
“का हमका कुत्ता काटा है जो हम ई मेर बोलब? हंय?. हम देखा है कल रजनी कहत रही।”
“अच्छा छोड़ो तुम जाय के खुदही तय कर लो हम का देर हो रही है राधे-राधे।”
चाची:- “ठीक है! राधे-राधे। आजकल कौउनो से कुछू कहे वाला नहीं उल्टे हमरे ऊपर बरस पड़त हैं।”
घर पहुंचते ही… अम्मा जी आ गई? चौधरी वाले काम हो गए हों आपके तो जरा सब्जी काट दो हमको!”
“हां! लाओ दे दो अब यही करेंगे!”
कहने का मतलब यही है कि आप अपनी जिंदगी को अपने मनमुताबिक जियें। जिंदगी में कुछ हासिल करें या ना करें मगर सुकून जरूर हासिल करें। लोगों से जुड़ाव लगाव और संबंध इस जीवन की कमाई है और इसे निभाना वास्तव में कसौटी है कसौटी पर खरा उतरना भी कसौटी ही है आसान नहीं होता मगर यही हमारी पूंजी भी है। अपनी इच्छाओं अपनी भावनाओं और खुद अपने आप को नकारात्मकता से दूर रख कर जीवन का आनंद लेना चाहिए।- – प्रियंका वर्मा माहेश्वरी 

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आखिर लगा ही दी नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमन्त्री पद पर हैट्रिक

दैनिक भारतीय स्वरुप, जैसा कि पूर्वानुमान था, नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने हैट्रिक लगाते हुए 9 जून को तीसरी बार भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली| यद्यपि विपक्षी पार्टियों के गठबन्धन इण्डिया ने राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन को कड़ी टक्कर दी है| जिससे भाजपा का 400 पार का स्वप्न साकार नहीं हो सका| इसके कारणों पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को गहन विचार करना पड़ेगा| क्योंकि पार्टी के चाणक्यों ने 400 से अधिक सीटें प्राप्त करने हेतु जो रणनीति बनायी थी, वह कहीं न कहीं विफल साबित हुई| जिसके चलते भाजपा को बहुमत से बहुत कम 240 सीटें ही प्राप्त हुईं| परन्तु उसके नेतृत्व वाले गठबन्धन राजग ने 292 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की| जनवरी 2023 से फरवरी 2024 के बीच विभिन्न एजेंसियों द्वारा कराये गये चुनावी सर्वेक्षणों में भी नरेन्द्र दामोदर दास मोदी हैट्रिक लगाते हुए दिखाई दे रहे थे| जो एकदम सही साबित हुआ| लेकिन सीटों को लेकर सर्वेक्षणों का आकलन गलत सिद्ध हुआ| देश की 13 अलग-अलग एजेंसियों द्वारा कराये गये सर्वेक्षणों के आधार पर भाजपा गठबन्धन को 44.30 प्रतिशत वोट के साथ 341 के आसपास सीटें मिलने की सम्भावना थी| लेकिन भाजपा को मात्र 36.56 प्रतिशत मतों के साथ 240 सीटें ही प्राप्त हुईं और उसके गठबन्धन राजग को 41.56 प्रतिशत मतों के साथ 292 सीटों से सन्तोष करना पड़ा| सर्वेक्षण में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को 36.52 प्रतिशत मतों के साथ 146 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था| जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले इण्डिया गठबन्धन को 39.21 प्रतिशत मतों के साथ 234 सीटें प्राप्त हुईं| सर्वेक्षण के आधार पर अन्य दलों को 56 सीटें मिलनी चाहिए थीं| परन्तु वास्तविक परिणाम मात्र 17 सीटों का ही रहा| यहाँ विचार करने योग्य बात यह है कि इण्डिया गठ्बन्धन को 234 सीटें तब प्राप्त हुई हैं जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की आधारभूत इकाइयाँ संगठनात्मक रूप से भाजपा की तरह मजबूत नहीं हैं|

अयोध्या के बहुचर्चित श्रीराम मन्दिर के निर्माण से भाजपा की बांछे खिली हुई थीं और उसे पूर्ण विश्वास था कि आस्था का शैलाव ऐसा उमड़ेगा कि भाजपा अकेले दम पर 400 से अधिक सीटें प्राप्त करने में सफल होगी| परन्तु परिणाम पूरी तरह उल्टा निकला| पूरे देश में जो हुआ सो हुआ ही अयोध्या से सम्बन्धित फ़ैजाबाद सीट ही भाजपा के हाँथ से निकल गयी| जिसके कारण अयोध्यावासी कट्टर भाजपाइयों द्वारा सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रहे हैं| श्रीराम के प्रति उनकी आस्था पर ही सवाल खड़े किये जा रहे हैं| संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को स्वतन्त्र रूप से मतदान करने का अधिकार दिया है| इसके लिए कोई किसी पर न तो दबाव डाल सकता है और न ही अपनी मर्जी थोप सकता है| अब यदि किसी दल को उसकी अपेक्षा के अनुरूप मत नहीं प्राप्त हुए हैं तो उस दल को मतदाताओं के प्रति दुर्भावना व्यक्त करने की अपेक्षा अपनी कार्यशैली की समीक्षा करनी चाहिए| जनतन्त्र में जनता ही सर्वोपरि है| सरकारों के काम-काज की समीक्षा करते हुए उसके समर्थन या विरोध का निर्णय वह मतदान के माध्यम से ही सुनाती है| जो हुआ भी और आगे भी होगा| किसी एक मुद्दे के बल पर कोई भी दल लम्बे समय तक पूर्ण बहुमत की अपेक्षा नहीं कर सकता और न ही करना चाहिए| आशा है भाजपा के रणनीतिकार इस बात को गम्भीरता पूर्वक समझेंगे और पुनः उन्हें जो सुअवसर मिला है उसका भरपूर सदुपयोग करेंगे| गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, किसानो की दुर्दशा, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली तथा शिक्षा का गिरता स्तर जैसे ज्वलन्त मुद्दे चुनौती बनकर सामने खड़े हैं| इन मुद्दों को बहुत लम्बे समय तक हासिये पर नहीं डाला जा सकता| निश्चित ही नरेन्द्र मोदी अपने नये कार्यकाल में इन मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करेंगे और इनसे निबटने के लिए स्थाई योजना बनाते हुए उसे प्रभावी ढंग से लागू भी करेंगे| उन्हें विशेष रूप से याद रखना होगा कि उनकी सत्ता में वापसी का मार्ग विकल्पहीनता के कारण भी प्रशस्त हुआ है| लोगों ने इण्डिया गठबन्धन को गुस्से में वोट दिया है| कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को उनका आधारभूत संगठनात्मक ढांचा मजबूत न होने के बावजूद इतना वोट मिलना सिर्फ और सिर्फ लोगों के अन्दर भाजपा सरकार के प्रति व्याप्त गुस्से का परिणाम है| वहीँ असन्तुष्टों के एक बड़े वर्ग ने इण्डिया और राजग के बीच तीसरा और मजबूत विकल्प न देखकर राजग को चुना है| इस बार मतदान का प्रतिशत भी कम रहा| इसके मूल में भी कहीं न कहीं लोगों में सरकार के प्रति उत्साह का अभाव रहा| देशवासी कांग्रेस और सपा के शासन की विफलताओं को अभी भूले नहीं हैं| जिनके विकल्प में उन्होंने भाजपा और उसके सहयोगी दलों पर अपना विश्वास जताया था| परन्तु इन दस वर्षों में मंहगाई, बेरोजगारी, गरीबी, कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सरकार कोई करिश्मा नहीं कर सकी| बल्कि विफलता ही उसके हिस्से में आयी| जिसको लेकर आम जन में रोष होना स्वाभाविक था| परन्तु भाजपा और कांग्रेस की जगह किसी तीसरे और मजबूत विकल्प के अभाव में यह रोष जनाक्रोश में परिवर्तित नहीं हो सका| जैसा 2014 में हुआ था| ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के दायरे में आने वाले विपक्षी दलों के नेताओं का बड़ी संख्या में चुनाव पूर्व भाजपा में शामिल होना, उसके बाद उन पर ईडी और सीबीआई की कार्रवाई रूक जाना और पार्टी में तत्काल उन्हें विशेष स्थान मिल जाना भी भाजपा के लिए घातक बना| क्योंकि इससे न केवल भारतीय जनता पार्टी के रूढ़ नेता एवं समर्पित कार्यकर्ता अन्दरखाने नाराज हुए| बल्कि आम जन में भी इसका गलत सन्देश गया| जिसका सीधा असर भाजपा के वोट प्रतिशत पर पड़ा| अतः प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी तथा उनके सहयोगियों को अपने नये कार्यकाल में पुरानी रणनीतियों का परित्याग करते हुए नई कार्यशैली अपनानी चाहिए| जो भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं, रूढ़ नेताओं तथा आम जन को सन्तुष्ट करने वाली हो| यद्यपि इस बार सरकार को गठबन्धन के दबाव में निर्णय लेने पड़ सकते हैं| परन्तु नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत छवि दृढ़ निश्चयी व्यक्ति वाली रही है| इसीलिए वह देश ही नहीं विदशों तक के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं| अतएव गठबन्धन के दबाव की परवाह किये बिना उन्हें जनहित के निर्णय लेने में कतई संकोच नहीं करना चाहिए! — डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)

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मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव का जोश पूरे देश में जोरों पर: दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और पुणे में मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव की बेहतरीन फिल्में देखें!

18वां मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव (एमआईएफएफ) का जादू मुंबई के साथ-साथ अन्य शहरों में भी सर चढ़कर बोल रहा है। पहली बार, एमआईएफएफ का यह आयोजन न केवल मुंबई में होगा, बल्कि दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और पुणे जैसे शहरों में भी समानांतर स्क्रीनिंग के साथ दुनिया भर की बेहतरीन गैर-फीचर फिल्में – डॉक्यूमेंट्री, लघु कथा और एनीमेशन फिल्में दिखाई जाएंगी।

मुख्य कार्यक्रम 15 जून को शुरू होगा और 21 जून, 2024 तक मुंबई के पेडर रोड पर राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम-फिल्म प्रभाग परिसर में चलेगा। दिल्ली में फिल्म प्रेमियों के लिए, 16 जून से 20 जून तक सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम 1, 2 और 3 में फिल्मों का एक समानांतर चयन दिखाया जाएगा। कोलकाता में फिल्म प्रेमी प्रतिष्ठित सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई) में स्क्रीनिंग देख सकते हैं। वहीं, चेन्नई एनएफडीसी के टैगोर फिल्म सेंटर में स्क्रीनिंग दिखाई जाएगी। इसके अतिरिक्त, पुणे में स्क्रीनिंग नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया के परिसर में होगी। आयोजन स्थलों पर पंजीकरण डेस्क स्क्रीनिंग के लिए आगंतुक उपस्थित लोगों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करेंगे। बैठने की व्यवस्था पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगी। शुरुआती फिल्म बिली एंड मौली: एन ओटर लव स्टोरी 15 जून को दोपहर 2.30 बजे सभी स्थानों पर एक साथ दिखाई जाएगी।

 

कृपया चार शहरों में 18वें एमआईएफएफ के लिए स्क्रीनिंग शेड्यूल यहां देखें:

दिल्ली

कोलकाता

चेन्नई

पुणे

यह अभिनव कदम राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) की उच्च गुणवत्ता वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण को व्यापक भारतीय दर्शकों के लिए अधिक सुलभ बनाने की प्रतिबद्धता से प्रेरित है। इस महोत्सव का उद्देश्य इन जीवंत सांस्कृतिक केंद्रों में एमआईएफएफ को लाकर, देश भर के सिनेमा प्रेमियों के बीच डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए गहरी रुचि को बढ़ावा देना है।

डॉक्यूमेंट्री फिल्में हमारे आस-पास की दुनिया के बारे में शक्तिशाली और विचारोत्तेजक अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। महोत्सव की पहुंच का विस्तार करके, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम सार्थक बातचीत को बढ़ावा देने और भारत के सभी कोनों में इस महत्वपूर्ण कला के लिए जुनून जगाने की उम्मीद करता है। मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव लंबे समय से भारत में डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के निर्माण का चैंपियन रहा है। यह विस्तार न केवल फिल्म उत्सव के मंच को मजबूत करता है, बल्कि दिल्ली, कोलकाता, पुणे और चेन्नई के दर्शकों को बड़े पर्दे पर वृत्तचित्रों के विविध चयन का अनुभव करने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान करता है।

विश्व सिनेमा की सिनेमाई उत्कृष्टता का उत्सव, मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव, दक्षिण एशिया में सबसे बड़े और सबसे पुराने गैर-फीचर फिल्म समारोहों में से एक के रूप में पहचाना जाता है। 1990 से हर दो साल में आयोजित होने वाले मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म, लघु फिल्म और एनीमेशन श्रेणियों में असाधारण कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए लगातार एक मंच प्रदान किया है।

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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मीडिया पुरस्कार-2024 के तीसरे संस्करण की घोषणा की

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मीडिया सम्मान-2024 के तीसरे संस्करण की घोषणा की है। भारत और विदेशों में योग के संदेश को फैलाने में मीडिया की सकारात्मक भूमिका और जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए मंत्रालय ने जून 2019 में पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मीडिया सम्मान (एवाईडीएमएस) शुरू किया था।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मीडिया सम्मान-2024 के तहत, बाईस भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में तीन श्रेणियों अर्थात प्रिंट, टेलीविजन और रेडियो के तहत तैंतीस सम्मान प्रदान किए जाएंगे:

  1. 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में 11 सम्मान – “अखबारों में योग पर सर्वश्रेष्ठ मीडिया कवरेज” श्रेणी के तहत प्रदान किए जाएंगे
  2. 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में 11 सम्मान – “इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी) में योग पर सर्वश्रेष्ठ मीडिया कवरेज” श्रेणी के अंतर्गत प्रदान किए जाएंगे
  3. 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में 11 सम्मान – “इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (रेडियो) में योग पर सर्वश्रेष्ठ मीडिया कवरेज” श्रेणी के अंतर्गत प्रदान किए जाएंगे

 

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

हर साल 21 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, दुनिया भर में स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक जन आंदोलन का अलग जगाया है। शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए इसके समग्र दृष्टिकोण ने महत्वपूर्ण रुचि पैदा की है, जिससे यह एक वैश्विक आयोजन बन गया है। भारत और विदेश दोनों में योग के संदेश को बढ़ाने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, इस प्राचीन परंपरा और इसके कई लाभों को बढ़ावा देने में मीडिया की अपार शक्ति और जिम्मेदारी को मान्यता प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

 

एवाईडीएमएस अनुशंसा और दिशानिर्देश

इस सम्मान में एक विशेष पदक/पट्टिका/ट्रॉफी और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है। इसे एक स्वतंत्र जूरी द्वारा अनुशंसित किया जाता है। यह पुरस्कार प्रिंट मीडिया, रेडियो और टेलीविजन से जुड़े सभी मीडिया घरानों/कंपनियों के लिए खुले हैं, जिनके पास सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से पंजीकरण/अनुमति है।

दिशानिर्देशों के अनुसार, मीडिया हाउस 12 जून, 2024 से 25 जून, 2024 की अवधि के दौरान बनाए गए और प्रकाशित लेखों या प्रसारित/ऑडियो/विजुअल सामग्री की संबंधित क्लिपिंग के साथ एक निर्धारित प्रारूप में नामांकन का विवरण प्रस्तुत कर सकते हैं। प्रविष्टियों की अंतिम तिथि 8 जुलाई, 2024 है। विस्तृत दिशानिर्देश पत्र सूचना कार्यालय (https://pib.gov.in/indexd.aspx) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (https://mib.gov.in/sites/default/files/AYDMS%20Guidelines%202024_0.pdf) की वेबसाइटों पर देखे जा सकते हैं।

 

एवाईडीएमएस दूसरा आयोजन – 2023

पहली बार 7 जनवरी, 2020 को पुरस्कार प्रदान प्रदान किए गए थे। एवाईडीएमएस का दूसरा आयोजन – 2023 के लिए सम्मान अभी तक प्रदान नहीं किए गए हैं। पिछले वर्ष के एवाईडीएमएस (द्वितीय आयोजन) के विजेताओं को भी इस वर्ष के एवाईडीएमएस (तृतीय आयोजन) के विजेताओं के साथ-साथ सम्मान प्रदान किया जाएगा।

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राजनीतिक महाभारत…. जीत किसकी?

देश में चल रहे 2024 लोकसभा चुनाव का सियासी घमासान खत्म हो गया है और अब सबकी नजरें प्रधानमंत्री के शपथ समारोह पर है। सियासी युद्ध के परिणाम लोगों की सोच से परे रहा हालांकि साम दाम दंड भेद वाली नीति भाजपा की हमेशा से रही है मगर इस बार भाजपा की पकड़ कमजोर साबित हुई। इस चुनाव के नतीजों ने जहां बीजेपी की हार ने लोगों को चौकाया वहीं कांग्रेस का मजबूती से खड़ा होना और सत्तारूढ़ दल को टक्कर देना लोगों को आश्चर्य में डाल गया।

ये दीगर बात है कि कांग्रेस बहुमत नहीं ला पाई लेकिन एक मजबूत विपक्ष के रूप में खड़ी हुई है हालांकि सत्ता तक पहुंच बनाने के लिए उसे अभी कड़ी मेहनत की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने जिन प्रदेशों पर आंख मूंद कर भरोसा किया था इस बार वहीं से इन्हें मुंह की खानी पड़ी। अयोध्या जैसे शहर से हार जाना जरा अविश्वसनीय लगता है। जो शहर राम मंदिर के प्रचार और जय श्री राम के नारों से गूंजता था वहां भाजपा की हार अप्रत्याशित है हालांकि कई कारण बताए जा रहे हैं।
फैजाबाद लोकसभा सीट के नतीजे से हर कोई हैरान है जहां सरकार द्वारा राम मंदिर का निर्माण कराया गया था और मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी ऐसे समय  की गई जब इसी साल देश में लोकसभा चुनाव होने वाले थे। यह दीगर बात है कि यह कार्य भी चुनावी रणनीति के तहत ही किया गया था मगर इन सब के बावजूद भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। ध्यान दें कि यहां साल 2022 की विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की जमीन दरक चुकी थी और 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते पूरी तरह खिसक गई। 2022 के चुनाव में भाजपा ने जिले में पांच विधानसभा सीटों में से 2 सीटें गंवा दी थी फिर भी भाजपा सजग नहीं हुई और 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने है।
हिंदुत्व के रथ पर सवार भाजपा ने स्थानीय मुद्दों और मसलों को दरकिनार किया। 2020 में जब विकास कार्य शुरू हुआ तो सड़कों के चौड़ीकरण के दौरान बड़ी संख्या में मकान और दुकान टूटे। बड़ी संख्या में लोगों के घर उजड़े लोगों के रोजगार छिनें। व्यापारी वर्ग का आरोप है कि उन्हें मकान और दुकानों के अधिग्रहण का उचित मुआवजा नहीं मिला। जो लोग अपनी जमीन से संबंधित कागज पेश नहीं कर सके बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को मुआवजा नहीं मिला। अयोध्या के हाई प्रोफाइल बनने की वजह से यहां आम लोगों की सुनवाई ना तो भाजपा के नेताओं ने की और ना ही यहां के अधिकारियों ने की यही वजह है कि भाजपा से लोगों का मोह भंग होने लगा।
अयोध्या में करीब 84% हिंदू और 13% मुसलमान है। इसके बावजूद यहां पर भाजपा का हिंदुत्व का कार्ड फेल हो गया। स्थानीय हिंदू मुसलमानों ने खुलकर कहा कि बाबरी की घटना के बाद यहां पर लगातार भाईचारे को बिगड़ने का काम किया गया है एक समय था कि जब मुसलमानों के बनाये खड़ाऊं वहां के साधू संतों के पैर में सजते थे।
अयोध्या के आसपास के इलाकों में ज्यादातर किसान है और जो खेती किसानी से अपना जीवन यापन करते हैं। ऐसे में आवारा पशुओं की समस्या को भाजपा ने नजरअंदाज किया। खेतीबाड़ी से हुए नुकसान के चलते किसानों ने अपने खेत कई सालों तक खाली छोड़ रखे थे। किसानी से लागत नहीं निकलती थी और आवारा पशुओं द्वारा नुकसान अलग होता था। समाजवादी पार्टी ने इन मुद्दों पर  मोर्चा संभाला और जन समर्थन हासिल किया।
दूसरी बात महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त जनता ना तो कांग्रेस को वोट देना चाह रही थी और ना ही भाजपा को देना चाह रही थी ऐसे में लोगों ने नोटा को अपनाया और बड़ी संख्या में ऐसे लोग वोट देने नहीं गए। यह चुनाव इस बात का प्रमाण है कि धर्म से देश नहीं चलता बल्कि बुनियादी मुद्दे ज्यादा जरूरी होते है।

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18वां मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 15 से 21 जून, 2024 तक आयोजित किया जाएगा

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव प्रसारण संजय जाजू ने आज (7 जून 2024) घोषणा की कि मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का 18वां संस्करण मुंबई में 15 जून से 21 जून, 2024 तक आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव का आयोजन स्थल एफडी-एनएफडीसी कॉम्प्लेक्स, मुंबई होगा और एमआईएफएफ की स्क्रीनिंग दिल्ली (सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम), चेन्नई (टैगोर फिल्म सेंटर), पुणे (एनएफएआई ऑडिटोरियम) और कोलकाता (एसआरएफटीआई ऑडिटोरियम) में भी होगी।

इस मौके पर अपर सचिव सुश्री नीरजा शेखर, प्रधान महानिदेशक, पीआईबी सुश्री शेफाली बी. शरण और प्रबंध निदेशक, एनएफडीसी श्री पृथुल भी उपस्थित थे

एमआईएफएफ फिल्म प्रोग्रामिंग

1. इस वर्ष प्रतियोगिता खंडों के लिए 38 देशों से 65 भाषाओं में 1018 फिल्मों की रिकॉर्ड प्रविष्टियां।

2. अंतर्राष्ट्रीय (25) और राष्ट्रीय (77) प्रतियोगिता खंडों के लिए प्रतिष्ठित फिल्म विशेषज्ञों की तीन चयन समितियों द्वारा 118 फिल्मों का चयन किया गया। चयन समिति ने सर्वसम्मति से यह भी कहा कि इस वर्ष बहुत उच्च गुणवत्ता वाली फिल्में प्राप्त हुई हैं, जिससे चयन कठिन हो गया।

3. इस वर्ष एमआईएफएफ प्रोग्रामिंग में कुल 314 फिल्में।

4. 8 विश्व प्रीमियर, 6 अंतर्राष्ट्रीय प्रीमियर, 17 एशिया प्रीमियर और 15 भारत प्रीमियर होंगे।

5. इस संस्करण में विशेष पैकेज तैयार किए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:

ए. ऑस्कर और बर्लिनले के पुरस्कार विजेता फिल्मों का पैकेज (प्रत्येक में 12 लघु फिल्में)।

बी. 7 देशों- रूस, जापान, बेलारूस, इटली, ईरान, वियतनाम और माली के साथ सहयोग से ‘विशेष देश फोकस पैकेज’।

सी. 4 देशों- फ्रांस, स्लोवेनिया, अर्जेंटीना और ग्रीस से तैयार एनिमेशन पैकेज।

डी. देश भर के प्रतिष्ठित संस्थानों की छात्र फिल्में (45 फिल्में)।

ई. एनएफडीसी-नेशनल फिल्म आर्काइव्स ऑफ इंडिया से पुनर्स्थापित क्लासिक्स पैकेज।

एफ. अमृत काल में भारत की विशेष थीम पर देश की प्रगति, विकास और समृद्धि को प्रदर्शित करने वाली प्रतियोगिता फिल्में।

जी. दिव्यांगजन पैकेज में, दृष्टिबाधित लोगों के लिए ऑडियो विवरण और सांकेतिक भाषा विवरण के साथ तथा श्रवण बाधितों के लिए क्लोज़ड कैप्शन के साथ फिल्में शामिल हैं।

एच. फिल्मों के चयनित पैकेज निम्नलिखित पर भी हैं-

i. वन्यजीव

ii. मिशन लाइफ

iii. एशियाई महिला फिल्म निर्माताओं की फिल्में

एमआईएफएफ की उद्घाटन और समापन फिल्म

6. 18वें एमआईएफएफ की उद्घाटन फिल्म “बिली एंड मौली, एन ऑटर लव स्टोरी” होगी, जो 15 जून, 2024 को मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, पुणे और चेन्नई में स्क्रीनिंग के साथ महोत्सव की शुरुआत करेगी।

7. महोत्सव की समापन फिल्म वह फिल्म होगी, जो गोल्डन कॉन्च जीतती है और इसे 21 जून, 2024 को प्रदर्शित किया जाएगा।

ज्यूरी और पुरस्कार

8. अंतर्राष्ट्रीय ज्यूरी में दुनिया भर की प्रतिष्ठित फिल्म हस्तियां केइको बैंग, बार्थेलेमी फौगा, ऑड्रियस स्टोनिस, भारत बाला और मानस चौधरी शामिल हैं, जो सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र फिल्म के लिए गोल्डन कॉन्च, सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा फिल्म और सर्वश्रेष्ठ एनिमेशन फिल्म के लिए सिल्वर कॉन्च और सबसे नवीन/प्रयोगात्मक फिल्म के लिए प्रमोद पति पुरस्कार प्रदान करेंगे।

  1. 9. 18वें एमआईएफएफ के लिए राष्ट्रीय ज्यूरी में एडेल सीलमन-एगबर्ट, डॉ. बॉबी शर्मा बरुआ, अपूर्व बख्शी, मुंजाल श्रॉफ और अन्ना हेन्केल-डॉन नेर्समार्क जैसे उल्लेखनीय नाम शामिल हैं, जो सर्वोत्तम भारतीय वृत्तचित्र, लघु फिल्म, एनिमेशन, सर्वोत्तम डेब्यू फिल्म पुरस्कार (महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रायोजित) और सर्वोत्तम छात्र फिल्म पुरस्कार (आईडीपीए द्वारा प्रायोजित) के अलावा कई तकनीकी पुरस्कार और “अमृत काल में भारत” पर सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म के लिए एक विशेष पुरस्कार प्रदान करेंगे।

10. इसके अलावा, 1) छायांकन, 2) संपादन और 3) साउंड डिजाइन के लिए तीन तकनीकी पुरस्कार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता से साझे आधार पर दिए जाएंगे।

11. फेडरेशन इंटरनेशनेल द ला प्रेसे सिनेमाटोग्राफिक– द इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म क्रिटिक्स (फिपरेस्की)- ज्यूरी के 3 प्रतिष्ठित फिल्म समीक्षक राष्ट्रीय प्रतियोगिता वृत्तचित्र के लिए भी पुरस्कार प्रदान करेंगे।

12. कुल पुरस्कार राशि 42 लाख रुपये है।

महोत्सव में सुगमता

13. दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए ऑडियो विवरण और सांकेतिक भाषा विवरण के साथ तथा श्रवण बाधित व्यक्तियों के लिए क्लोज्ड कैप्शन के साथ फिल्में।

14. दिव्यांगजनों के लिए विशेष फिल्मों के अलावा, एनएफडीसी ने ‘स्वयम्’ नामक एक गैर-लाभकारी संगठन के साथ भागीदारी की है, ताकि एनएफडीसी-एफडी परिसर में एमआईएफएफ महोत्सव स्थल को दिव्यांगजनों तथा विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के लिए पूरी तरह से सुगम बनाया जा सके। सुगमता भागीदारी यह भी सुनिश्चित करेगी कि कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसेवकों को सुगमता वंचित प्रतिनिधियों की सुविधा के लिए संवेदनशील बनाया जाए, ताकि आने वाले प्रतिनिधियों को बेहतर अनुभव हो सके।

भव्य उद्घाटन/समापन समारोह और रेड कार्पेट

15. भव्य उद्घाटन और समापन समारोह एनसीपीए, नरीमन पॉइंट, मुंबई में आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का कलात्मक मिश्रण देखने को मिलेगा, जिसमें भारतीय एनिमेशन की यात्रा को दर्शाने वाला एक कार्यक्रम, उद्घाटन समारोह में श्रीलंका और समापन समारोह में अर्जेंटीना का सांस्कृतिक प्रदर्शन और एफटीआईआई छात्र लघु फिल्म “सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो” का प्रदर्शन शामिल होगा, जिसने इस वर्ष 77वें कान फिल्म समारोह में ला सिनेफ पुरस्कार जीता था।

16. पन्द्रह जून को उद्घाटन फिल्म से शुरू होकर हर दिन मुंबई में एनएफडीसी-एफडी परिसर में गाला रेड कार्पेट स्क्रीनिंग आयोजित की जाएगी। प्रतिष्ठित फिल्म हस्तियों के साथ अन्य रेड कार्पेट की योजना बनाई जा रही है, जिसमें पोचर, इनसाइड आउट-2, द कमांडमेंट्स शैडो, माई मर्करी, श्रीकांत, ब्रांड बॉलीवुड आदि शामिल हैं।

17. फिल्म उद्योग की प्रतिष्ठित हस्तियों की भागीदारी के साथ दिल्ली (17 जून), चेन्नई (18 जून), कोलकाता (19 जून) और पुणे (20 जून) में विशेष रेड कार्पेट का भी आयोजन किया जाएगा।

मास्टरक्लास और पैनल चर्चाएं:

18. अठारहवें एमआईएफएफ में फिल्म निर्माताओं संतोष सिवन, ऑड्रियस स्टोनीस, केतन मेहता, रिची मेहता, टी.एस. नागभरण, जॉर्जेस श्विज़गेबेल और कई अन्य दिग्गजों के साथ 20 मास्टरक्लास, इन-कन्वर्सेशन और पैनल चर्चाएं आयोजित की जाएंगी।

19. फिल्म उद्योग की प्रतिष्ठित हस्तियों के साथ रंगारंग एम्फीथिएटर स्थल पर हर दिन भारतीय वृत्तचित्र निर्माता संघ (आईडीपीए) के सहयोग से ओपन फोरम चर्चाएं आयोजित की जाएंगी।

20. पंजीकृत प्रतिभागियों के लिए एनिमेशन और वीएफएक्स विषय आधारित एक क्रैश कोर्स आयोजित किया गया है।

डॉक फिल्म बाज़ार:

21. फिल्म निर्माताओं को अपनी परियोजनाओं के लिए खरीदार, प्रायोजक और सहयोगी खोजने के लिए एक मंच प्रदान करके फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए पहली बार डॉक फिल्म बाज़ार का आयोजन किया जा रहा है।

22. दस देशों से 27 भाषाओं में करीब 200 परियोजनाएं प्राप्त हुई हैं।

23. डॉक फिल्म बाज़ार में 3 क्यूरेटेड वर्टिकल आयोजित किए जाएंगे– ‘को-प्रोडक्शन मार्केट’ (16 परियोजनाएं), ‘वर्क इन प्रोग्रेस (डब्ल्यूआईपी) लैब’ (6 परियोजनाएं) और ‘व्यूइंग रूम’ (106 परियोजनाएं)।

24. चयनित परियोजनाओं के लिए इन अवसरों के अलावा, एक ‘ओपन बायर-सेलर मीट’ भी आयोजित होगा, जो फिल्म निर्माताओं को उत्पादन, सिंडिकेशन, अधिग्रहण, वितरण और बिक्री के क्षेत्र में खरीदारों और कॉर्पोरेट जगत के साथ सहयोग करने में मदद करेगा।

25. वृत्तचित्र फिल्म निर्माण और कॉर्पोरेट ब्रांडिंग के बीच आपसी संबंध की संभावना तलाशने के लिए एक समर्पित सत्र। फिक्की जैसे विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के दिग्गजों के साथ, ब्रांड वृद्धि के लिए कारगर उपायों और सकारात्मक सामाजिक प्रभाव के प्रेरक के रूप में वृत्तचित्रों के सीएसआर वित्तपोषण की संभावना देखी जाएगी।

एमआईएफएफ के लिए समर्पित पोर्टल और मोबाइल ऐप

26. एमआईएफएफ की एक इंटरैक्टिव वेबसाइट www.miff.in विकसित की गई है, जो महोत्सव में निर्धारित फिल्मों, कार्यक्रमों और गतिविधियों के बारे में विवरण प्रदान करती है।

27. विभिन्न गतिविधियों जैसे फिल्म स्क्रीनिंग की पूर्व बुकिंग, मास्टरक्लास में भाग लेना, खुले मंच आदि में प्रतिनिधियों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए एक समर्पित मोबाइल ऐप विकसित किया गया है। यह महोत्सव को प्रतिनिधियों से मूल्यवान प्रतिक्रिया प्राप्त करने में भी मदद करेगा।

प्रतिनिधि पंजीकरण

28. वेबसाइट या एमआईएफएफ की प्रचार सामग्री में दिए गए क्यूआर कोड के माध्यम से महोत्सव में भाग लेने के लिए प्रतिनिधि पंजीकरण सरल लेकिन अनिवार्य है।

29. प्रतिनिधि पंजीकरण की सुविधा ‘बुक माई शो’ के माध्यम से भी उपलब्ध की जा रही है।

30. किसी भी संख्या में फिल्म स्क्रीनिंग या मास्टरक्लास या डॉक फिल्म बाजार में भाग लेने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं है।

31. प्रतिनिधि पंजीकरण शुल्क-

अ. मुंबई – पूरे महोत्सव में भाग लेने के लिए 500 रुपये

ब. दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और पुणे- निःशुल्क

स. छात्र और प्रेस- निःशुल्क

द. अगले तीन दिनों के लिए सभी प्रतिनिधि पंजीकरण ‘निशुल्क’ हैं।

भागीदारी

32. इस वर्ष पहली बार, एमआईएफएफ को महोत्सव में 20 से अधिक ब्रांडों से कॉर्पोरेट सहयोग प्राप्त हुआ है। ब्रांडों ने महोत्सव के साथ विभिन्न स्तरों पर सहयोग किया है, यानी महोत्सव के विभिन्न पहलुओं को प्रायोजित करने से लेकर महोत्सव को मजबूत बनाने के लिए विशेषज्ञता लाने तक।

पृष्ठभूमि

एमआईएफएफ दक्षिण एशिया में गैर-फीचर फिल्मों (वृत्तचित्र, लघु कथात्मक चित्र और एनिमेशन) के लिए सबसे पुराना और सबसे बड़ा फिल्म महोत्सव है। वर्ष 1990 में शुरू होने के बाद से वृत्तचित्र फिल्म जगत का एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है। यह एक द्विवार्षिक आयोजन है।

एमआईएफएफ दुनिया भर के वृत्तचित्र निर्माताओं से मिलने, विचारों का आदान-प्रदान करने, वृत्तचित्र, लघुचित्र और एनिमेशन फिल्मों के सह-निर्माण तथा विपणन की संभावनाओं का पता लगाने और फिल्म निर्माताओं के विश्व सिनेमा के दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह महोत्सव वृत्तचित्र, एनिमेशन और लघु फिल्मों के लिए संवाद करने  व चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करेगा, जिसका उद्देश्य कलात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देना तथा फिल्म निर्माताओं और उपस्थित लोगों के लिए एक रचनात्मक प्रेरणा के रूप में काम करना है।

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साहित्यिक संस्था ‘श्यामार्चना फाउंडेशन’ का सातवां स्मृति सम्मान समारोह व काव्य संगमन संपन्न

कानपुर 1 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता,bकानपुर शहर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘श्यामार्चना फाउंडेशन’ का सातवां स्मृति सम्मान समारोह व काव्य संगमन आज दिनांक 1 जून 2024 को संस्था के प्रधान कार्यालय जवाहर नगर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में लखनऊ, कानपुर, उन्नाव आदि शहरों के साहित्यकार उपस्थित रहे। इस वर्ष का स्मृति सम्मान प्रख्यात साहित्यकार व अंतरराष्ट्रीय कवि डॉक्टर सुरेश अवस्थी जी(कानपुर) प्रसिद्ध कथा वाचक डॉक्टर संत शरण त्रिपाठी जी ( लखनऊ) ख्यातिप्राप्त कवयित्री डॉ कमल मुसद्दी जी( कानपुर) व इं श्रवण कुमार मिश्रा ( लखनऊ)जी को दिया गया ।यह कार्यक्रम दो सत्रों में हुआ । प्रथम सत्र में श्यामार्चना फाउंडेशन के संस्थापक डॉ प्रदीप अवस्थी, अध्यक्ष निरंजन अवस्थी व कोषाध्यक्ष रेखा अवस्थी जी ने सभी साहित्यकारों को अंग वस्त्र,स्मृति चिन्ह, मोती माल, व श्रीफल भेंट कर उनका सम्मान किया व सभी का काव्यपाठ हुआ।द्वितीय सत्र में सभी साहित्यकारों के भोजन उपरांत काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमे श्री अजीत सिंह राठौर (लुल्ल कानपुरी), अंशुमन दीक्षित,  मनीष रंजन त्रिपाठी ,डॉ कमलेश शुक्ला जी,  दिलीप दुबे,  अमित ओमर,डॉ नारायणी शुक्ला ,डॉ प्रमिला पांडे, अमित पांडे, डॉ दीप्ति मिश्रा, पी के शर्मा आदि सभी ने बेहतरीन काव्य पाठ किया। कार्यक्रम में डॉ अजीत सिंह राठौर (लुल्ल कानपुरी) की 14 वीं बाल गीत पुस्तक ‘कंचे’ का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम का शानदार संचालन स्वैच्छिक दुनिया के संस्थापक व प्रतिष्ठित कवि डॉ राजीव मिश्रा जी ने किया।

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नेट वॉल प्रतियोगिता के लिए कानपुर टीम का चयन

कानपुर 22 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, 24 राज्य स्तरीय सीनियर नेटवर्क प्रतियोगिता में भाग लेने वाली कानपुर टीम का चयन मंगलवार डॉ वीरेंद्र स्वरुप एजुकेशन सेंटर में किया गया इसमें करीब 30 खिलाड़ियों ने भाग लिया पुरुष वर्ग टीम में
ऋषभ सिंह,सार्थक ,सक्षम ,शिविर, नैमिष त्रिपाठी,कार्तिक, वैभव ,शिवम ,अस्तित्व, देवांश, अर्नब वाजपेई, प्रखर हैं यह जानकारी जिला नेटवर्क खेल संघ के सचिव अखिलेश त्रिपाठी ने मनीषा शुक्ला को दी, चयनित खिलाड़ी 30 मई को बागपत के लिए रवाना होंगे इस मौके पर जिला सचिव एवं अन्य पदाधिकारी शामिल रहे|

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कानपुर के एक और होनहार आकाश वर्मा ने शहर का नाम रोशन किया

कानपुर 20 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, अपने शहर कानपुर के एक और होनहार ने शहर का नाम रोशन किया,

रेखा वर्मा और ओ.पी. वर्मा की खुशी सातवें आसमान पे थी जब उन्हें सूचना मिली की उनके पुत्र आकाश वर्मा को चौथी एशियाई पुरुष भारतीय हैंडबॉल टीम में स्थान मिला है। उनके निवास पे बधाई देने वालों का ताता लग गया आकाश की दृढ़ता और सहनशीलता ने उन्हें प्रतिष्ठित चौथी एशियाई पुरुष भारतीय हैंडबॉल टीम में स्थान दिलाया है। उन्होंने इतनी कम उम्र में ही कई पुरस्कार और सम्मान अपने नाम किए हैं। भारत का प्रतिनिधित्व करना अपने आप में आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। वर्मा परिवार ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि उनके द्वारा किए गए सभी प्रयासों में वो निरंतर सफलता प्राप्त करें ऐसी कामना करते हैं।

वो कल यानी 21 मई को 8.30 की शाम की शताब्दी से अपने शहर पधार रहे है

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भारत 77वें कान फिल्म महोत्सव (14-25 मई) में भाग लेगा

कान फिल्म महोत्सव में यह भारत के लिए एक विशेष वर्ष है क्योंकि देश इस प्रतिष्ठित महोत्सव के 77वें संस्करण के लिए तैयार है। भारत सरकार, राज्य सरकारों, फिल्म उद्योग के प्रतिनिधियों वाला कॉर्पोरेट भारतीय प्रतिनिधिमंडल महत्वपूर्ण पहलों की एक श्रृंखला के माध्यम से दुनिया के अग्रणी फिल्म बाजार मार्चे डु फिल्म्स में भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन करेंगे।

ऐसा पहली बार होगा जब देश 77वें कान फिल्म महोत्सव में “भारत पर्व” की मेजबानी करेगा जिसमें इस महोत्सव में भाग लेने वाले दुनिया भर के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति और प्रतिनिधि फिल्मी हस्तियों, फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों, खरीदारों और बिक्री एजेंटों के साथ जुड़ सकेंगे। इसमें विभिन्न स्तरों पर रचनात्मक अवसरों के साथ ही रचनात्मक प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। इस भारत पर्व में 20 से 28 नवंबर, 2024 तक गोवा में आयोजित होने वाले 55वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के आधिकारिक पोस्टर और ट्रेलर का अनावरण किया जाएगा। भारत पर्व में 55वें आईएफएफआई के साथ आयोजित होने वाले प्रथम विश्व ऑडियो-विजुअल एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स) के लिए “सेव द डेट” का विमोचन भी होगा।

108 विलेज इंटरनेशनल रिवेरा में 77वें कान फिल्म महोत्सव में भारत मंडप का उद्घाटन 15 मई 2024 को प्रख्यात फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में किया जाएगा। कान में भारत मंडप भारतीय फिल्म समुदाय के लिए विभिन्न गतिविधियों में शामिल होने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जिसमें उत्पादन कार्य में सहयोग को बढ़ावा देना, क्यूरेटेड ज्ञान सत्र, वितरण सौदे कराना, स्क्रिप्ट की सुविधा, बी2बी बैठकें और दुनिया भर के प्रमुख मनोरंजन व मीडिया कर्मियों के साथ नेटवर्किंग शामिल है। इस मंडप का आयोजन राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) उद्योग भागीदार के रूप में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के सहयोग से करेगा। भारतीय फिल्म उद्योग को अन्य फिल्मी हस्तियों से जुड़ने और सहयोग प्रदान करने के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के माध्यम से मार्चे डु कान में एक ‘भारत स्टॉल’ लगाया जाएगा।

राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद द्वारा डिजाइन भारत मंडप को इस वर्ष की थीम “क्रिएट इन इंडिया” को दर्शाने के लिए इसे ‘द सूत्रधार’ नाम दिया गया है। इस वर्ष कान फिल्म महोत्सव में भारत की उपस्थिति खास है जो इसके समृद्ध इतिहास और रचनात्मकता के परिदृश्य को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक दिशा को दर्शाता है।

सुर्खियों में, पायल कपाड़िया की प्रसिद्ध कृति “ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट” दर्शकों को लुभाने और प्रतिष्ठित पाल्मे डी’ओर के लिए प्रतिस्पर्धा करने को तैयार है। यह विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि तीन दशकों के बाद एक भारतीय फिल्म कान फिल्म महोत्सव के आधिकारिक चयन के प्रतियोगिता खंड में शामिल हुई है। यह सिनेमाई परिदृश्य ब्रिटिश-भारतीय फिल्म निर्माता संध्या सूरी की “संतोष” में मार्मिक कथा, डायरेक्टर्स फोर्टनाइट में अन सर्टेन रिगार्ड के साथ-साथ करण कंधारी की विचारोत्तेजक “सिस्टर मिडनाइट” और एल’एसिड में मैसम अली की सम्मोहक “इन रिट्रीट” से समृद्ध हुआ है।

भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के छात्र की फिल्म “सनफ्लॉवर्स वेयर फर्स्ट वन्स टू नो” को ला सिनेफ प्रतिस्पर्धा खंड में चुना गया है। कन्नड़ में बनी यह लघु फिल्म दुनिया भर से आई प्रविष्टियों के बीच चुनी गई और अब अंतिम चरण में पहुंची 17 अन्य अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्मों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी।

इसके अलावा, इस महोत्सव में श्याम बेनेगल की ‘मंथन’, जो अमूल डेयरी सहकारी आंदोलन पर केंद्रित फिल्म है, को शास्त्रीय अनुभाग में प्रस्तुत किया जाएगा जो इस महोत्सव के भारतीय लाइनअप में ऐतिहासिक महत्व का स्पर्श जोड़ेगी। इस फिल्म के रीलों को मंत्रालय की एक इकाई एनएफडीसी-नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया (एनएफएआई) के फिल्म वॉल्ट में कई दशकों तक संरक्षित किया गया था, और अब फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन (एफएचएम) द्वारा सुरक्षित किया गया है।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सिनेमैटोग्राफर संतोष सिवन को कान फिल्म महोत्सव में प्रतिष्ठित पियरे एंजनीक्स ट्रिब्यूट से सम्मानित किया जाएगा। वह कान प्रतिनिधियों के लिए एक मास्टरक्लास भी देंगे। इस गौरव से सम्मानित होने वाले सिनेमैटोग्राफर संतोष सिवन ऐसे पहले भारतीय बन जाएंगे।

भारत के विविध स्थानों और फिल्म प्रतिभा को प्रदर्शित करने में मदद के लिए गोवा, महाराष्ट्र, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड और दिल्ली सहित कई भारतीय राज्यों के भाग लेने की संभावना है।

भारत के सहयोग से फिल्म निर्माण के अवसरों की खोज पर “प्रचुर प्रोत्साहन और निर्बाध सुविधाएं- आओ, भारत में बनाएं” शीर्षक से 15 मई को दोपहर 12 बजे मुख्य मंच (रिवेरा) में एक सत्र आयोजित किया जा रहा है। पैनल चर्चा में फिल्म निर्माण, सह-निर्माण के अवसरों और शीर्ष स्तर की पोस्ट-प्रोडक्शन सुविधाओं के लिए भारत के विशाल प्रोत्साहनों पर प्रकाश डाला जाएगा। पैनल यह बताएगा कि फिल्म निर्माता इन पहलों का कैसे स्वागत कर रहे हैं, भारत में फिल्मांकन के लिए जमीनी स्तर पर वास्तविक अनुभव क्या हैं और कौन सी रोमांचक कहानियां साझा की जा रही हैं।

पूरे महोत्सव के दौरान आयोजित भारत मंडप में संवादात्मक सत्र में भारत में फिल्म निर्माण के लिए प्रोत्साहन, फिल्म समारोहों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, फिल्मांकन स्थल के रूप में भारत, भारत और स्पेन, ब्रिटेन, और फ्रांस जैसे अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय फिल्म सह-निर्माण जैसे विषयों शामिल होंगे। इन सत्रों का उद्देश्य सशक्त भारतीय फिल्म उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ जुड़ने के इच्छुक फिल्म निर्माताओं के लिए चर्चा, नेटवर्किंग और सहयोग के अवसरों को सुविधाजनक बनाना है।

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