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वर्ष 2030 तक की अवधि के लिए रूस-भारत आर्थिक सहयोग के रणनीतिक क्षेत्रों के विकास के संबंध में नेताओं का संयुक्त वक्तव्य

8-9 जुलाई, 2024 को मॉस्को में रूस और भारत के बीच आयोजित 22वें वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद, रूसी संघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादिमीर पुतिन और भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने,

द्विपक्षीय व्यावहारिक सहयोग और रूस-भारत विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के विकास के वर्तमान मुद्दों पर विचारों का गहन आदान-प्रदान करके,

पारस्परिक सम्मान और समानता के सिद्धांतों का दृढ़ता से पालन करते हुए, पारस्परिक रूप से लाभप्रद एवं दीर्घकालिक आधार पर दोनों देशों के संप्रभु विकास,

रूस-भारत व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देकर द्विपक्षीय बातचीत को गहरा करने हेतु अतिरिक्त प्रोत्साहन देने,

दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार की गतिशील वृद्धि के रूझान को बनाए रखने के इरादे और 2030 तक इसकी मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित करने की इच्छा से निर्देशित,

निम्नलिखित बातों की घोषणा की:

रूसी संघ और भारत गणराज्य, जिन्हें इसके आगे “दोनों पक्षों” के रूप में संदर्भित किया जाएगा, के बीच निम्नलिखित नौ प्रमुख क्षेत्रों को शामिल करते हुए द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग विकसित करने की योजना है:

1. भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार से संबंधित गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को समाप्त करने की आकांक्षा। ईएईयू-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना की संभावना सहित द्विपक्षीय व्यापार के उदारीकरण के मामले में बातचीत जारी रखना। संतुलित द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने हेतु भारत से माल की आपूर्ति में वृद्धि सहित 2030 तक (पारस्परिक सहमति के अनुरूप) 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के पारस्परिक व्यापार की उपलब्धि को हासिल करना। दोनों पक्षों की निवेश संबंधी गतिविधियों को पुनर्जीवित करना, यानी विशेष निवेश संबंधी व्यवस्थाओं के ढांचे के भीतर।

2. राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके द्विपक्षीय निपटान प्रणाली का विकास। आपसी निपटान में डिजिटल वित्तीय साधनों का निरंतर समावेश।

3. उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्टक समुद्री लाइन के नए मार्गों के शुभारंभ के जरिए भारत के साथ कार्गो कारोबार में वृद्धि। माल की बाधा रहित आवाजाही हेतु कुशल डिजिटल प्रणालियों के अनुप्रयोग के जरिए सीमा शुल्क प्रक्रियाओं का अधिकतम उपयोग।

4. कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरकों के क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा में वृद्धि। पशु चिकित्सा, स्वच्छता और पादप स्वच्छता संबंधी प्रतिबंधों व निषेधों को हटाने के उद्देश्य से गहन संवाद को जारी रखना।

5. परमाणु ऊर्जा, तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल सहित प्रमुख ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग तथा ऊर्जा संबंधी बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकियों एवं उपकरणों के क्षेत्र में सहयोग व साझेदारी का विस्तारित रूप में विकास। वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, पारस्परिक और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को सुविधाजनक बनाना।

6. बुनियादी ढांचे के विकास, परिवहन इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल उत्पादन एवं जहाज निर्माण, अंतरिक्ष तथा अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बातचीत को ठोस रूप देना। सहायक कंपनियों एवं औद्योगिक समूहों का निर्माण करके भारतीय और रूसी कंपनियों को एक-दूसरे के बाजारों में प्रवेश की सुविधा प्रदान करना। मानकीकरण, माप-पद्धति (मेट्रोलॉजी) और अनुरूपता मूल्यांकन के क्षेत्र में दोनों पक्षों के दृष्टिकोण का समन्वय।

7. डिजिटल अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं अनुसंधान, शैक्षिक आदान-प्रदान के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश एवं संयुक्त परियोजनाओं और उच्च तकनीक वाली कंपनियों के कर्मचारियों के लिए इंटर्नशिप को बढ़ावा देना। अनुकूल राजकोषीय व्यवस्थाएं प्रदान करके नई संयुक्त (सहायक) कंपनियों के गठन को सुविधाजनक बनाना।

8. दवाओं और उन्नत चिकित्सा उपकरणों के विकास एवं आपूर्ति में व्यवस्थित सहयोग को बढ़ावा देना। रूस में भारतीय चिकित्सा संस्थानों की शाखाएं खोलने और योग्य चिकित्साकर्मियों की भर्ती के साथ-साथ चिकित्सा एवं जैविक सुरक्षा के क्षेत्र में समन्वय को मजबूत करने की संभावनाओं का अध्ययन करना।

9. मानवीय सहयोग का विकास, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति, पर्यटन, खेल, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और अन्य क्षेत्रों में बातचीत का निरंतर विस्तार।

रूसी संघ के राष्ट्रपति और भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री ने व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग से संबंधित रूसी-भारतीय अंतर-सरकारी आयोग को चिन्हित किए गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का अध्ययन करने और अगली बैठक में इसकी प्रगति का आकलन करने का निर्देश दिया।

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आरपीएफ के डीजी ने आरपीएफ कर्मचारियों के लिए भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर पुस्तिकाएं जारी कीं

नए कानूनी ढांचे पर अमल किए जाने को सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक (डीजी)  मनोज यादव ने आज नई दिल्ली में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 और भारतीय साख्य अधिनियम (बीएसए), 2023 पर समग्र पुस्तिकाएं जारी कीं।

ये पुस्तिकाएं आरपीएफ कर्मचारियों के लिए एक आवश्यक मार्गदर्शिका के रूप में काम करने के लिए तैयार की गई हैं, जो नए अधिनियमित कानूनों के अनुसार कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में बताती हैं। पुस्तिकाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आरपीएफ कर्मचारी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) से संबंधित नए अधिनियमों को लागू करने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं। विस्तृत स्पष्टीकरण और व्यावहारिक मार्गदर्शन के साथ, पुस्तिकाएं बल (आरपीएफ) को न्याय को बनाए रखने और कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से बनाए रखने में सक्षम बनाएंगी।

आरपीएफ के महानिदेशक ने इन पुस्तिकाओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ये पुस्तिकाएं सुचारू और कुशल परिवर्तन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आरपीएफ कर्मचारियों की कानूनी दक्षता बढ़ाने तथा बल के भीतर कानूनी प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने की दिशा में चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं। इससे कानून के शासन को बनाए रखने और न्याय प्रदान करने की बल की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा।

मुद्रित संस्करणों के अलावा, आज पुस्तिकाओं की ई-फ्लिपबुक भी जारी की गई। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के लिए पुस्तिका के साथ ये डिजिटल संस्करण जेआर आरपीएफ अकादमी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और मोबाइल फोन और डेस्कटॉप कंप्यूटर दोनों के लिए अनुकूल हैं, जिससे सभी आरपीएफ कर्मियों के लिए इन तक आसान पहुंच सुनिश्चित होती है। फ्लिपबुक के लिंक इस प्रकार हैं:

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भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) ने अपने प्रमुख पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम (पीजीआईपी) के छठे बैच का उद्घाटन किया

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अधीन भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) ने 8 जुलाई 2024 को मानेसर में अपने प्रमुख पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम (पीजीआईपी) के छठे बैच का उद्घाटन किया। इस समारोह में सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति श्री एस. रवींद्र भट; आईआईसीए के महानिदेशक और सीईओ तथा राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. अजय भूषण प्रसाद पांडे; एनसीएलएटी के पूर्व तकनीकी सदस्य डॉ. आलोक श्रीवास्तव; आईबीबीआई के पूर्णकालिक सदस्य श्री सुधाकर शुक्ला और आईआईसीए में इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी केंद्र के प्रमुख डॉ. के.एल. ढींगरा सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्घाटन भाषण में माननीय न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट ने पिछले आठ वर्षों में आईबीसी की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला और आईबीसी, 2016 के उद्देश्यों की तुलना आरडीबी अधिनियम 1993 और एसएआरएफईएएसआई अधिनियम 2002 से की और यह भी बताया कि पहले के कानून किस तरह से विखंडित थे। उन्होंने एनसीएलटी, एनसीएलएटी, सीआईआरपी की भूमिका, आईबीसी के तहत आईपी की भूमिका और इसकी एकीकृत तथा समयबद्ध प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। माननीय न्यायमूर्ति भट ने कुशल समाधान प्रक्रिया, प्राथमिकता और ऋणशोधन पर सीआईआरपी के महत्व के बारे में भी बात की। उन्होंने आईबीसी, 2016 के समक्ष समय पर समाधान, बुनियादी ढांचे के मुद्दे, समाधान और वसूली आदि चुनौतियों को भी चिह्नित किया। उन्होंने आईपी की भूमिका पर भी बात की, जिसमें उनके लिए आवश्यक कौशल सेट जैसे समाधान और बातचीत कौशल, प्रबंधन कौशल तथा दावों, परिसंपत्तियों, वित्त के संग्रहण, सीओसी के गठन, सीओसी में मतदान प्रक्रिया को विनियमित करने और भारत में आईबीसी 2016 की शुरुआत के बाद क्रेडिट संस्कृति में बदलाव शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय सचिव, विधि एवं न्याय तथा एनसीएलएटी के पूर्व सदस्य (तकनीकी) डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने आईबीसी मामलों के बारे में अपने अनुभव साझा किए तथा संपूर्ण समाधान प्रक्रिया में आईपी की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने व्यापार करने में आसानी, सीमा कानून तथा संबंधित पक्ष लेन-देन के बारे में बात की, जिन्हें आईबीसी प्रक्रिया में शामिल किया गया। इसके साथ ही उन्होंने यूके कॉमन लॉ सिस्टम से उधार लिए गए आईबीसी मॉडल पर भी अपनी बात रखी। इस अवसर पर अपने संबोधन में, आईबीबीआई के पूर्णकालिक सदस्य श्री सुधाकर शुक्ला ने आरबीआई की 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर प्रकाश डाला, जिसमें प्रधानमंत्री ने ‘मान्यता, समाधान तथा पुनर्पूंजीकरण की रणनीति’ पर बात की। उन्होंने कहा कि दोहरी बैलेंस शीट की समस्या अतीत की समस्या है। श्री शुक्ला ने यह भी उल्लेख किया कि आईबीसी की सफलता को चालू वर्ष के दौरान समाधानों की संख्या (लगभग 1000), आईबीसी के तहत आवेदनों की वापसी की संख्या तथा पिछले 8 वर्षों से ऋणशोधन पर 131 प्रतिशत समाधानों से देखा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दिवालियापन के लिए एक विनियामक के रूप में आईबीबीआई का निर्माण और युवा पेशेवरों के लिए पीजीआईपी अपनी तरह का पहला नवाचार है।

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्ट्सी केंद्र के प्रमुख डॉ. के. एल. ढींगरा ने पीजीआईपी के पूर्व छात्रों की सफलता की कहानियों और इन्सॉल्वेंसी तथा बैंकरप्ट्सी के क्षेत्र में इस पाठ्यक्रम की भूमिका और समाधान प्रक्रिया में नैतिकता की भूमिका के बारे में बताया। इससे पहले, अपने स्वागत भाषण में आईआईसीए के महानिदेशक और सीईओ डॉ. अजय भूषण प्रसाद पांडे ने मजबूत इन्सॉल्वेंसी फ्रेमवर्क और लेनदारों को प्रदान की जाने वाली स्वस्थ ऋण संस्कृति के आधार के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि दिवालियापन समाधान उत्पादक संपत्तियों को अनलॉक करने और मूल्य ह्रास को रोकने की कुंजी है। उन्होंने वित्तीय प्रणाली में जनता के विश्वास को बनाए रखने में इन्सॉल्वेंसी पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि आईबीसी का उद्देश्य एनपीए के समाधान के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किए जाने की तुलना में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान देना है। आईआईसीए में पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम के छठे बैच का उद्घाटन भारत में इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी के क्षेत्र में उत्कृष्टता एवं नेतृत्व के लिए युवा और कुशल पेशेवरों को तैयार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वर्ष 2019 में इसकी शुरुआत के बाद से भारत में विभिन्न हितधारकों द्वारा इस कार्यक्रम को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।

आईआईसीए में पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम की शुरुआत कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी में ज्ञान व विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए आईबीबीआई और आईआईसीए के ठोस प्रयास का नतीजा है। इसका उद्देश्य छात्रों को कॉर्पोरेट पुनर्गठन और इन्सॉल्वेंसी कार्रवाई की जटिलताओं से निपटने के लिए महत्वपूर्ण उन्नत कौशल और अंतर्दृष्टि से लैस करना है। आईआईसीए के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पायला नारायण राव ने कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन किया।

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नव प्रवेशित छात्राओं का अभिविन्यास कार्यक्रम संपन्न

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 10 जुलाई एस एन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज माल रोड, में आज नए छात्रों का अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें नव प्रवेशित छात्राओं को महाविद्यालय के गौरवपूर्ण इतिहास के साथ ही साथ समस्त संचालित विभागों, उसमें कार्यरत शिक्षक ,उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य तथा भविष्य में बच्चे यहा क्या प्रगति कर सकते हैं ?इस पर मुख्य रूप से प्रकाश डाला गया ।कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय की अनुशासन समिति के तत्वाधान में किया गया ।कार्यक्रम का संचालन शिक्षा शास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो चित्रा सिंह तोमर द्वारा किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो सुमन ने बच्चों के अधिक संख्या में आगमन से प्रसन्न होकर बहुत ही प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। महाविद्यालय में एनएसएस, एनसीसी , रोबर रेंजर के प्रभारी ने भी बच्चों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रही ,राष्ट्रगान के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया।

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राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने आनंद विवाह अधिनियम के कार्यान्वयन पर चर्चा करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक की

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने आज राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष की अध्यक्षता में 18 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ आनंद विवाह अधिनियम के तहत सिखों के विवाह के कार्यान्वयन और पंजीकरण पर चर्चा करने के लिए एक वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठक आयोजित की। झारखंडमहाराष्ट्र और मेघालय सहित कुछ राज्यों ने अपने-अपने राज्यों में उक्त अधिनियम के कार्यान्वयन की सूचना दीजबकि शेष राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने दो महीने के भीतर अधिनियम को कार्यान्वित करने का आश्वासन दिया है।

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भारत में रोजगार पर सिटीग्रुप की शोध रिपोर्ट का खंडन

कुछ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा उद्धृत भारत में रोजगार पर सिटीग्रुप की हालिया शोध रिपोर्ट, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि भारत सात प्रतिशत की विकास दर के साथ भी पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए संघर्ष करेगा, उपलब्ध व्यापक और सकारात्मक रोजगार डेटा को ध्यान में रखने में विफल रही है। रिपोर्ट में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) और भारतीय रिजर्व बैंक के केएलईएमएस डेटा जैसे आधिकारिक स्रोतों से जानकारी नहीं ली गई है तथा ये स्रोत रिपोर्ट का खंडन करते हैं। अत: श्रम और रोजगार मंत्रालय ऐसी रिपोर्टों का दृढ़ता से खंडन करता है जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध सभी आधिकारिक डेटा स्रोतों का विश्लेषण नहीं करती हैं।

भारत के लिए रोजगार डेटा

भारतीय रिजर्व बैंक का केएलईएमएस डेटा 2017-18 से 2021-22 तक आठ करोड़ से अधिक रोजगार के अवसरों का संकेत देता है, जिसका मतलब प्रति वर्ष औसतन दो करोड़ से अधिक रोजगार है। उल्लेखनीय है कि इस तथ्य के बावजूद कि 2020-21 के दौरान विश्व अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से प्रभावित हुई थी, इसके मद्देनजर पर्याप्त रोजगार पैदा करने में भारत की असमर्थता के सिटीग्रुप के दावे का खंडन हो जाता है। यह महत्वपूर्ण रोजगार सृजन विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी पहलों की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करता है।

पीएलएफएस डेटा

वार्षिक पीएलएफएस रिपोर्ट निम्नलिखित से संबंधित श्रम बाजार संकेतकों में 2017-18 से 2022-23 के दौरान सुधार की प्रवृत्ति दर्शाती है: (i) श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), (ii) श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और (iii) 15 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर (यूआर)। तदनुसार डब्ल्यूपीआर 2017-18 में 46.8 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 56 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह, देश में श्रम बल की भागीदारी भी 2017-18 में 49.8 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 57.9 प्रतिशत हो गई है। बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.0 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.2 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई है।

पीएलएफएस डेटा से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान, श्रम बल में शामिल होने वाले लोगों की संख्या की तुलना में अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी दर में लगातार कमी आई है। यह रोज़गार पर सरकारी नीतियों के सकारात्मक प्रभाव का एक स्पष्ट संकेतक है। जहां रिपोर्ट में रोजगार परिदृश्य को गंभीर बताया गया है, वहीं आधिकारिक डेटा भारतीय रोजगार बाजार की अधिक आशावादी परिदृश्य प्रस्तुत करता है।

ईपीएफओ डेटा

व्यापार सुगमता, कौशल विकास को बढ़ाने और सार्वजनिक व निजी, दोनों क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के सरकारी प्रयासों से औपचारिक क्षेत्र के रोजगार आंकड़ों को भी बढ़ावा मिल रहा है। ईपीएफओ डेटा से पता चलता है कि अधिक से अधिक कर्मचारी औपचारिक नौकरियों में शामिल हो रहे हैं। वर्ष 2023-24 के दौरान, 1.3 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर ईपीएफओ में शामिल हुए, जो वर्ष 2018-19 के दौरान ईपीएफओ में शामिल हुए 61.12 लाख की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। इसके अलावा, पिछले साढ़े छह वर्षों के दौरान (सितंबर, 2017 से मार्च, 2024 तक) 6.2 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर ईपीएफओ में शामिल हुए हैं।

एनपीएस के नए सब्सक्राइबर

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के तहत 2023-24 के दौरान 7.75 लाख से अधिक नए सब्सक्राइबर एनपीएस में शामिल हुए हैं, जो 2022-23 के दौरान सरकारी क्षेत्र के तहत एनपीएस में शामिल होने वाले 5.94 लाख नए ग्राहकों से 30 प्रतिशत अधिक है। नए सब्सक्राइबरों में यह पर्याप्त वृद्धि सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्तियों को समय पर भरने के लिए सरकार के सक्रिय उपायों को उजागर करती है।

फ्लेक्सी-स्टाफिंग क्षेत्र

श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव के साथ इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) के सदस्यों की हालिया बातचीत में, आईएसएफ सदस्यों ने बताया कि वे लगभग 5.4 मिलियन औपचारिक अनुबंध श्रमिकों को रोजगार दे रहे हैं। प्रतिभा की कमी और श्रम गतिशीलता के कारण विनिर्माण, खुदरा, बैंकिंग क्षेत्र में लगभग 30 प्रतिशत मांग अधूरी बनी हुई है।

अनेक नए अवसर

भारत में रोजगार बाजार की भविष्य की संभावनाएं अत्यधिक उत्साहजनक हैं, जैसा कि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है। भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई है। गिग अर्थव्यवस्था देश में कार्यबल में उल्लेखनीय वृद्धि का भी भरोसा दिलाती है। विशेष रूप से, गिग अर्थव्यवस्था पर नीति आयोग की रिपोर्ट में प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों में पर्याप्त वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जिसके वर्ष 2029-30 तक 2.35 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है, जो गिग अर्थव्यवस्था के तेजी से विस्तार को रेखांकित करता है। वर्ष 2029-30 तक भारत में गिग श्रमिकों के गैर-कृषि कार्यबल का 6.7 प्रतिशत या कुल आजीविका का 4.1 प्रतिशत होने की उम्मीद है। ये विकास सामूहिक रूप से भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और विविध रोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता को दर्शाते हैं।

डेटा विश्वसनीयता

यह सर्वविदित है कि निजी डेटा स्रोत, जिन्हें रिपोर्ट/मीडिया अधिक विश्वसनीय बताता है, में कई कमियां हैं। ये सर्वेक्षण रोज़गार के संबंध में अपनी स्वयं की परिभाषा का उपयोग करते हैं-बेरोजगारी जो राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है। पीएलएफएस जैसे आधिकारिक डेटा स्रोतों के समान मजबूत या प्रतिनिधि नहीं होने के कारण नमूना वितरण और कार्यप्रणाली की अक्सर आलोचना की जाती है। इसलिए, आधिकारिक आँकड़ों की तुलना में ऐसे निजी डेटा स्रोतों पर निर्भरता से भ्रामक निष्कर्ष निकल सकते हैं और इसलिए, इनका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।

इसके अलावा, कुछ लेखक चुनिंदा डेटा का उपयोग करते हैं जो उनके विश्लेषण की विश्वसनीयता को कमजोर करता है और भारत में रोजगार परिदृश्य की सटीक तस्वीर पेश नहीं करता है। ऐसी रिपोर्टें आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त सकारात्मक रुझानों और व्यापक आंकड़ों पर विचार करने में विफल रहती हैं।

सारांश

पीएलएफएस, आरबीआई, ईपीएफओ आदि जैसे आधिकारिक डेटा स्रोत प्रमुख श्रम बाजार संकेतकों में लगातार सुधार दिखाते हैं, जिसमें श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) में वृद्धि और पिछले पांच वर्षों के दौरान बेरोजगारी दर में गिरावट शामिल है। ईपीएफओ और एनपीएस डेटा सकारात्मक रोजगार रुझानों का समर्थन करते हैं। विनिर्माण, सेवा क्षेत्र के विस्तार, बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा अन्य रुझान, जिसमें गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था और जीसीसी जैसे कई क्षेत्रों में उभरते अवसर शामिल हैं, भविष्य की मजबूत संभावनाओं का संकेत देते हैं।

श्रम और रोजगार मंत्रालय आधिकारिक डेटा की विश्वसनीयता और व्यापकता पर जोर देता है, निजी डेटा स्रोतों के चयनात्मक उपयोग के प्रति आगाह करता है जिससे भारत के रोजगार परिदृश्य के बारे में भ्रामक निष्कर्ष निकल सकते हैं।

सरकार एक मजबूत और समावेशी रोजगार बाजार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और मौजूदा स्थिति से साबित होता है कि इस दिशा में पर्याप्त प्रगति हो रही है।

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दूरसंचार विभाग ने श्री अमरनाथजी यात्रा 2024 के लिए दूरसंचार अवसंरचना का विस्‍तार किया

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने श्री अमरनाथजी यात्रा 2024 पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को निर्बाध मोबाइल कनेक्टिविटी सुनिश्चित कराने के लिए दूरसंचार बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण विस्‍तार की घोषणा की है। विभाग ने एयरटेल, बीएसएनएल और रिलायंस जियो सहित प्रमुख दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के सहयोग से यात्रा मार्गों पर लगातार कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचे का उन्नयन किया है।

कनेक्टिविटी में वृद्धि:

  • कवरेज सुनिश्चित करने के लिए, कुल 82 साइटें (एयरटेल, आरजेआईएल और बीएसएनएल) सक्रिय होंगी। कवर किए गए प्रमुख स्थानों की सूची नीचे दी गई है।
  • यात्रा मार्गों पर कुल 31 नई साइटें स्थापित की गई हैं और इस तरह इनकी कुल संख्‍या 2024 में बढ़कर 82 हो गई है जबकि 2023 में इनकी संख्या 51 थी। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों और जनता को निर्बाध मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्‍ध कराना है।
  • लखनपुर से काजीगुंड और काजीगुंड से पहलगाम और बालटाल तक के मार्ग पर तीर्थयात्रियों और जनता के लिए विभिन्‍न स्थानों पर 2जी, 3जी और  4जी तकनीक पूरी तरह उपलब्ध कराई गई है और कई जगहों पर 5जी तकनीक भी उपलब्‍ध कराई गई है।
  • यात्रियों की सुविधा के लिए अन्य स्थानों के अलावा कई जगह सिम वितरण केंद्र भी खोले गए हैं। इनकी सूची इस प्रकार है:
स्थान
लखनपुर
यात्री निवास भगवती नगर
चंदरकोट
अनंतनाग
श्रीनगर
श्रीनगर हवाई अड्डा
पहलगाम
सोनमर्ग
बालटाल

श्री अमरनाथजी यात्रा 2024 के दौरान मोबाइल सेवाओं की निरंतर कवरेज सुनिश्चित करने के लिए, टीएसपी ने नीचे दिए गए तरीके से बीटीएस स्थापित किए हैं:

ऑपरेटर-स्थान कनेक्टिविटी साइट मार्किंग
बेस कैंप (पहलगाम और बालटाल) से पवित्र गुफा तक
ऑपरेटर ऑपरेटर साइट (स्थान)
एयरटेल 19 स्थल (सोनमर्ग, नीलग्रथ आर्मी कैंप, बालटाल-1, बालटाल-2, डोमेल-1, डोमेल-2 आर्मी कैंप, रेल पटरी, बुराड़ी, संगम, पवित्र गुफा, पंचतरणी, पोषपटरी, शेषनाग, चंदनबाड़ी, नुनवान बेस कैंप और यात्रा मार्गों पर स्थित कई यात्री निवास) जिनमें 2जी, 4जी और 5जी कवरेज है
बीएसएनएल 27 बीटीएस (रंगा मोड़, बालटाल, डोमेल चेक पोस्ट, डोमेल, रेल पटरी-1 रेल पटरी-2, बरारी, वाई-जंक्शन, संगम, पवित्र गुफा, पंचतरणी, केलनार-1, केलनार-2, पोष पटरी, महागुनस टॉप, वबल, शेषनाग, नागाकोटी, जोजीबल-1, जोजीबल-2, पिस्सू टॉप, चंदनबाड़ी, पहलगाम, नुनवान बेस कैंप और यात्रा मार्गों पर स्थित कई यात्री निवास) जिनमें 2जी, 3जी और स्वदेशी 4जी कवरेज है
आरजेआईएल 36 साइटें (गांसिबल पहलगाम, नुनवान बेस कैंप, पहलगाम बस स्टैंड, पहलगाम मार्केट, लिद्दर पार्क पहलगाम, सर्किट रोड पहलगाम, लालीपोरा पहलगाम, लालीपोरा ईएससी, बेताब वैली, चंदनवारी, चंदनवारी पहलगाम, पिस्सू टॉप, जोजीबल, शेषनाग कैंप, शेषनाग पहलगाम, महागुनस पास, पोषपत्री, पंचतरणी-1 पंचतरणी-2, स्नागाम टॉप, पवित्र गुफा पहलगाम ईएससी, पवित्र गुफा पहलगाम, बरारीमार्ग, रेल पत्री, डोमेल कैंप, डोमेल, बालटाल बेस कैम-1,2,3,4, सारीबाल कंगन, नीलग्रथ सोनमर्ग, न्यू ट्रक यार्ड सोनमर्ग, सोनमर्ग मुख्य बाजार, सोनमर्ग रोड) 4जी, 5जी (30 साइटों पर  4जी और 5जी, और  6 साइटों पर 4 जी) कवरेज।

दूरसंचार विभाग श्री अमरनाथजी यात्रा 2024 में शामिल होने वाले सभी तीर्थयात्रियों के लिए सुचारू और सुगम दूरसंचार अनुभव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, तथा इस महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा को सहयोग देने के लिए उन्नत दूरसंचार प्रौद्योगिकी की सुविधा उपलब्‍ध करा रहा है।

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छावनी क्षेत्रों को अन्य नगर पालिकाओं के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज छावनी क्षेत्रों में पर्यावरण की देखभाल करने और वनस्पतियों का पोषण करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि समाज के व्यापक लाभ के लिए रक्षा संपदा भूमि पर संरचित तरीके से औषधीय पौधों और बागवानी को बढ़ावा देकर इसे प्राप्त किया जा सकता है।

आज उपराष्ट्रपति के एन्क्लेव में भारतीय रक्षा संपदा सेवा के 2023 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों से बातचीत करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि छावनी क्षेत्रों को स्वच्छता, हरियाली और नागरिक सुविधाओं के मामले में अन्य निकायों (जैसे नगर पालिकाओं) के लिए एक उदाहरण बनना चाहिए। विकसित हो रहे तकनीकी और भू-राजनीतिक परिदृश्य का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने युवा अधिकारियों को तेजी से बदलते परिदृश्य के साथ लगातार तालमेल बिठाने की सलाह दी। अधिकारियों से हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखने का आग्रह करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया, “रक्षा का सबसे अच्छा तरीका युद्ध के लिए सदैव तत्पर रहना है।” रक्षा भूमि को हमारी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए उपराष्ट्रपति महोदय ने रक्षा भूमि के प्रबंधन में आने वाली कई चुनौतियों जैसे अतिक्रमण और उसके बाद कानूनी विवादों का उल्लेख किया। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को भूमि प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे आप किसी भी घुसपैठ की निगरानी कर सकेंगे और दृढ़ संकल्प के साथ त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई कर सकेंगे। उपराष्ट्रपति, जो प्रतिष्ठित अधिवक्ता भी रहे हैं, उन्होंने ऐसे मामलों में अदालती कार्रवाई के लिए तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

उपराष्ट्रपति महोदय ने परिवीक्षार्थियों को कभी भी आसान रास्ता न अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि वे नैतिक आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करें तथा दूसरों के लिए आदर्श बनें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि “जब आप दबावों और चुनौतियों का सामना करें, तब भी दृढ़ रहें।” उन्होंने अधिकारियों से वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लिए काम करने का आग्रह किया। यह देखते हुए कि रक्षा संपदा का ऐतिहासिक और विरासत संबंधी महत्व बहुत अधिक है, उपराष्ट्रपति महोदय ने इसकी योजना और विकास में दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। डॉ. सुदेश धनखड़, रक्षा मंत्रालय के सचिव श्री गिरिधर अरमाने, रक्षा संपदा के महानिदेशक श्री जी.एस. राजेश्वरन, राष्ट्रीय रक्षा संपदा प्रबंधन संस्थान के निदेशक श्री राजेंद्र पवार, प्रशिक्षु अधिकारी, भारतीय रक्षा संपदा सेवा और उपराष्ट्रपति सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी

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केन्‍द्रीय मंत्री मनोहर लाल ने अरुणाचल प्रदेश में बिजली क्षेत्र की योजनाओं और परियोजनाओं की समीक्षा की

केन्‍द्रीय विद्युत और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने आज ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश के विद्युत क्षेत्र की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू, उपमुख्यमंत्री श्री चौना मीन, सचिव (विद्युत), भारत सरकार श्री पंकज अग्रवाल और मुख्य सचिव श्री धर्मेन्‍द्र, अरुणाचल प्रदेश सरकार उपस्थित थे।

अपने संबोधन मेंकेन्‍द्रीय विद्युत तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने उल्लेख किया कि केन्‍द्र सरकार देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की समग्र प्रगति के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। पिछले दशक में, केन्‍द्र सरकार इस क्षेत्र की जरूरतों के प्रति बेहद संवेदनशील रही है और बेहतर कनेक्टिविटी, बेहतर बुनियादी ढांचे और लोगों के कल्याण के लिए काम कर रही है। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत की कुल जलविद्युत क्षमता का लगभग 38 प्रतिशत (लगभग 50 गीगावाट) अरुणाचल प्रदेश में है, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है। इस बात पर चर्चा की गई कि राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं के शीघ्र विकास के लिए पूरक वनीकरण भूमि की उपलब्धता महत्वपूर्ण है। इस बात पर चर्चा की गई कि अन्य राज्यों में भी पूरक वनीकरण भूमि के लिए भूमि की तलाश की जा सकती है। नए कनेक्शनों की मंजूरी की प्रक्रिया और बिजली बिलों का प्रारूप सरल बनाने पर जोर दिया गया, जिसे उपभोक्ता आसानी से समझ सकें। इसके अलावा, उन्होंने उपभोक्ताओं को हर दो महीने में एक बार सेल्फ मीटर रीडिंग और मोबाइल ऐप के माध्यम से बिल बनाने का विकल्प प्रदान करने का सुझाव दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण बिजली की आपूर्ति की उपलब्धता से औद्योगिक क्षेत्र का भी विकास होगा, जिससे राज्य में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बिजली वितरण के मोर्चे पर, उन्होंने आरडीएसएस के तहत स्वीकृत कार्यों के शीघ्र कार्यान्वयन की सलाह दी। उन्होंने बिजली विभाग की वित्तीय व्यवहार्यता और परिचालन दक्षता में सुधार के लिए योजना के तहत निर्धारित विभिन्न सुधार उपायों को लागू करने की सलाह दी। बिजली विभाग को इस वर्ष के भीतर उपभोक्ता सेवा रेटिंग को ‘सी’ से कम से कम ‘बी’ तक सुधारने का लक्ष्य रखने की भी सलाह दी गई। मंत्री महोदय ने देश के बिजली क्षेत्र के समक्ष रखे गए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने में राज्य से सहयोग मांगा।

मुख्यमंत्री ने विद्युत मंत्री को केन्‍द्र में नई सरकार के गठन के बाद अपनी पहली यात्रा के लिए अरुणाचल प्रदेश को चुनने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने राज्य में विद्युत क्षेत्र के विकास को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय/नीतिगत निर्णय लेने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास ने गति पकड़ी है और निकट भविष्य में भारत सरकार से निरंतर सहयोग मांगा है।

उप मुख्यमंत्री ने राज्य में विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं के लिए सीपीएसई को बिजली विभाग का पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और सीपीएसई के संयुक्त प्रयासों से 13 जलविद्युत परियोजनाएं निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी हो जाएंगी। इससे राज्य के राजस्व में प्रति वर्ष लगभग 10,000 करोड़ रुपये का योगदान होगा, जिससे प्रति व्यक्ति आय विकसित राज्यों के स्तर तक बढ़ जाएगी। उन्होंने 2000 मेगावाट की प्रतिष्ठित सुबनसिरी लोअर और 2800 मेगावाट की बहुउद्देशीय दिबांग परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का सुझाव दिया। इस बैठक के दौरान अरुणाचल प्रदेश राज्य में विद्युत क्षेत्र के समग्र परिदृश्य के संबंध में विस्तृत विचार-विमर्श किया गया, जिसमें राज्य में जलविद्युत उत्पादन, विद्युत पारेषण और वितरण क्षेत्र के पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके अतिरिक्त, विद्युत क्षेत्र के सुधारों, विद्युत उपभोक्ताओं के लिए जीवन को आसान बनाने के लिए किए जाने वाले उपायों और भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए संसाधन पर्याप्तता योजना को अंतिम रूप देने के संबंध में भी विचार-विमर्श किया गया। राज्य सरकार ने भी विचार-विमर्श के दौरान अपनी जानकारी और सुझाव दिए।

अपने स्वागत भाषण मेंसचिव (विद्युत) ने राज्य में समृद्ध जलविद्युत क्षमता और स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में अरुणाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। पारेषण क्षेत्र की समीक्षा के दौरान, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित की जा रही “अरुणाचल प्रदेश में पारेषण और वितरण को मजबूत करने की व्यापक योजना” पर चर्चा की गई। इस बैठक के दौरान, रिजर्व फॉरेस्ट (आरएफ) क्षेत्रों में राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू), पूर्ण हो चुके तत्वों के ओएंडएम और डाउनस्ट्रीम कनेक्टिविटी से संबंधित मुद्दों जैसे प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा की गई और उनका समाधान किया गया। विद्युत वितरण के मोर्चे पर, राज्य सरकार से अनुरोध किया गया कि वह राज्य में बिजली की आपूर्ति में गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार लाने के उद्देश्य से पुनर्विकसित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत स्वीकृत कार्यों को तेजी से क्रियान्वित करे। इस बात पर जोर दिया गया कि स्मार्ट मीटरिंग कार्यों के कार्यान्वयन से ऊर्जा लेखांकन में सुविधा होगी और उपभोक्ताओं को भुगतान में आसानी और उनकी विद्युत खपत पर बेहतर नियंत्रण के साथ सशक्त बनाया जा सकेगा। राज्य सरकार ने दिसम्‍बर 2024 तक फीडर मीटरिंग पूरी करने का आश्वासन दिया। सचिव (विद्युत) ने इस बात पर जोर दिया कि हमें बढ़ती ऊर्जा मांग की दिशा में काम करते रहना चाहिए। किफायती दर पर गुणवत्तापूर्ण और विश्वसनीय बिजली सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता के हितों को हमारी रणनीति के केन्‍द्र में रखना होगा।

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खेलो इंडिया महिला वुशू लीग के पटियाला में होने वाले उत्तरी क्षेत्रीय मुकाबले के लिए तैयारी पूरी

खेलो इंडिया महिला वुशु लीग का आगामी उत्तरी क्षेत्रीय दौर, बहुत से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाला है, क्योंकि इसमें प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एथलीट आयरा चिश्ती और कोमल नागर अपना शानदार प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। यह प्रतियोगिता 9 से 13 जुलाई तक पटियाला के नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान में होगी, जिसमें सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर श्रेणियों के 350 एथलीट अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। एसएआई पटियाला द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में सांडा (लड़ाई) और ताओलू (रूप) दोनों शामिल होंगे और इसमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख की प्रतिभागी भाग लेंगी।

युवा मामले और खेल मंत्रालय का खेल विभाग भारतीय वुशु महासंघ द्वारा आयोजित 7.2 लाख रुपये की पुरस्कार राशि वाली इस प्रतियोगिता का वित्तपोषण करता है। सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर स्पर्धाओं के शीर्ष आठ वुशु एथलीटों को नकद प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

पिछले महीने कर्नाटक में हुए दक्षिण क्षेत्रीय मुकाबलों के बाद यह अगले दौर की क्षेत्रीय प्रतिस्‍पर्धा होगी। चार क्षेत्रीय मुकाबलों के बाद राष्ट्रीय रैंकिंग चैंपियनशिप आयोजित की जाएगी।

महिला वुशु लीग कई ऐसी नई खिलाड़ियों को मौका देगी जो अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता आयरा (18 वर्ष) और कोमल (19 वर्ष) की तरह बड़ा नाम कमाना चाहती हैं और  जो एनएसएनआईएस पटियाला सेंटर में प्रशिक्षण ले रही हैं।

2022 में इस प्रतियोगिता में पदार्पण करने वाली आयरा ने कहा, “मैं तीसरी खेलो इंडिया महिला वुशु लीग में अपने घरेलू मैदान में खेलने को लेकर बहुत उत्साहित हूं और पिछली दो चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हूं।” आयरा ने कहा, “खेलो इंडिया महिला लीग उन बहुत सारी लड़कियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो खेलों में अपना भविष्य संवारना चाहती हैं और मैं इसके लिए सरकार की आभारी हूं। जहां तक ​मेरा सवाल है, मैं 52 किग्रा वर्ग में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं और इस भार वर्ग में भारत के लिए यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिला बनना चाहती हूं। इससे पहले, मेरा लक्ष्य इस सितंबर में चीन में होने वाली सीनियर एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।”

जम्मू-कश्मीर की आयरा चिश्ती खेलो इंडिया महिला वुशु लीग में लगातार तीसरा स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश में हैं।

जम्मू-कश्मीर की आयरा, जो सीनियर 52 किग्रा सांडा वर्ग में हिस्सा लेंगी, ने 2022 में इंडोनेशिया में जूनियर वुशु विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने 2022 में जॉर्जिया में अंतर्राष्ट्रीय वुशु चैंपियनशिप में स्वर्ण और 2024 में रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता था।

चंडीगढ़ की कोमल सांडा में रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2023 की स्वर्ण पदक विजेता हैं। उन्‍होंने कहा, “कैलेंडर वर्ष में राष्ट्रीय टूर्नामेंट के अलावा एक और टूर्नामेंट खेलने का अवसर मिलने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।”

कोमल ने 14 साल की उम्र में आत्मरक्षा तकनीक सीखना शुरू किया था, उन्‍होंने कहा, “खेलो इंडिया महिला लीग हमें अपने प्रदर्शन का आकलन करने, अपने खेल की खामियों और उसमें सुधार करने की दिशा में काम करने के लिए एक अच्छा मंच प्रदान करती है।”

चंडीगढ़ की कोमल ने रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु इंटरनेशनल चैंपियनशिप 2023 में स्वर्ण पदक जीता

महिलाओं के लिए खेल के विषय में:

महिलाओं के लिए खेल विषय के तहत, खेलो इंडिया महिला लीग को दो मुख्य प्रारूपों में तय किया गया है: मेजर लीग और सिटी लीग। ये लीग विभिन्न खेल प्रारूपों में महिलाओं के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए मंच के रूप में काम करती हैं। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक खेल की आवश्यकताओं के अनुरूप विशिष्ट आयु श्रेणियों या भार श्रेणियों में लीग आयोजित की जाती हैं।

केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा समर्थित यह दृष्टिकोण न केवल महिला एथलीटों की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, बल्कि देश भर में विभिन्न कौशल स्तरों और आयु समूहों में प्रतिभा की पहचान और उसके विकास की सुविधा भी देता है। इन खेल प्रारूपों के माध्यम से, खेलो इंडिया पहल का उद्देश्य देश में एक जीवंत खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और भारत की महिला एथलीटों के प्रदर्शन में सुधार करना है।

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