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एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय में स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं को स्मार्ट फोन वितरित किए गए

कानपुर 23 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, उत्तरप्रदेश सरकार की स्मार्टफोन वितरण योजना (डिजिशक्ति मिशन) के अंतर्गत एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय वर्ष 2022 में स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं को स्मार्ट फोन वितरित किए गए। आज के कार्यक्रम का शुभारंभ उच्च शिक्षा क्षेत्राधिकारी कानपुर मंडल रिपुदमन सिंह, महाविद्यालय सचिव पी. के. सेन, प्राचार्या प्रो. सुमन तथा संयुक्त सचिव शुभ्रो सेन के द्वारा दीप प्रज्वलन तथा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के द्वारा किया गया मुख्य अतिथि का पुष्प गुच्छ तथा स्मृति चिन्ह के माध्यम से विधिवत् स्वागत करते हुए प्राचार्या महोदया ने उनका कोटि कोटि आभार व्यक्त किया। रिपुदमन सिंह ने छात्राओं को संबोधित करते हुए उन्हें स्मार्टफोन के स्मार्ट उपयोग करने का महत्व बताया  महाविद्यालय प्रशासन की प्रशंसा करते हुए क्षेत्रीय अधिकारी ने महाविद्यालय शिक्षिकाओं को उनकी उत्साहपूर्ण कार्यशैली के लिए बधाई दी, वितरण के प्रथम दिवस को प्राचार्या प्रोफेसर सुमन तथा सचिव प्रोबीर कुमार सेन ने 147 छात्राओं को स्मार्टफोन वितरित किए। दूसरे दिन को प्रबंध समिति के सदस्य एवं प्रसिद्ध क्रिकेटर  गोपाल शर्मा तथा सुरेश शर्मा ने 216 छात्राओं को स्मार्टफोन दिए। कार्यक्रम के तीसरे दिन को लगभग 200 छात्राओं को स्मार्टफोन वितरित किए गए। त्रिदिवसीय कार्यक्रम प्रोफेसर सुमन के निर्देशन में , प्रो. निशी प्रकाश एवं कैप्टन ममता अग्रवाल के संयोजन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। समस्त शिक्षिकाओं ने अपनी ड्यूटी के अनुसार कार्यक्रम में अपेक्षित सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने भी सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया।

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भविष्य के लिए तैयार भारतीय सेना का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से आज सेना के कमांडरों का सम्मेलन संपन्न हुआ

2023 के लिए आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का दूसरा संस्करण 16 से 20 अक्टूबर, 2023 के बीच हाइब्रिड मोड में संपन्न हुआ। वरिष्ठ अधिकारियों ने वर्तमान घटनाक्रम के संदर्भ में सुरक्षा संबंधी व्यापक पहलुओं पर चर्चा की।

माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 18 अक्टूबर, 2023 को भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित किया। इस अवसर पर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस)जनरल अनिल चौहान, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) जनरल मनोज पांडेऔर चीफ ऑफ एयर स्टाफ (सीएएस) एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी संबोधन दिया।

माननीय रक्षा मंत्री ने अप्रत्याशित की उम्मीद करते हुए हमेशा तत्पर रहने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए मध्य पूर्व में चल रहे भू-राजनीतिक संकट और संघर्ष से सबक लेने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि ताकत में असमानता की गलत व्याख्या करने और प्रतिद्वंद्वी को कम आंकने की प्रवृत्ति किसी भी संघर्ष में जीत या हार के बीच की निर्णायक रेखा होगी।

सीडीएस ने बदलते प्रतिमान के अनुकूल राष्ट्रीय सुरक्षा के ढांचे और सैन्य मामलों में क्रांति की आवश्यकता को स्पष्ट किया। सीओएएस ने वर्तमान में जारी बदलाव की प्रक्रिया में उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए सेना की सराहना की। उन्होंने वरिष्ठ नेतृत्व से परिवर्तन की इस प्रक्रिया को जारी रखने का भी आह्वान किया। सीएएस ने परिचालन पहलुओं पर बात की और अधिकतम परिचालन परिणामों के लिए सेवाओं के बीच तालमेल के महत्व पर जोर दिया।

शीर्ष नेतृत्व ने वर्तमान/उभरते सुरक्षा परिदृश्यों पर विचारकिया और भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने संगठनात्मक संरचनाओं और बदलती प्रशिक्षण व्यवस्थाओं के मूलभूत पहलुओं पर भी गहराई से चर्चा की।

इस अवसर पर भारतीय सेना के लिए जरूरी सबक लेने के उद्देश्य से सैन्य नेतृत्व द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष सहित भू-रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई।

सिक्किम में हाल ही में आई ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) और उसके परिणामस्वरूप हुए नुकसान और तैयारियों की स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया गया। बचाव, राहत और संचार संबंधी बुनियादी ढांचे की त्वरित बहाली के लिए सरकार की सभी एजेंसियों के बीच तालमेल पर चर्चा हुई। साथ ही, इसी तरह की आपात स्थितियों में बेहतर प्रतिक्रिया के उद्देश्य से तंत्र स्थापित करने पर भी विचार-विमर्श किया गया।

‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का दोहन’विषय पर अपनी बातचीत के दौरान, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार श्री अजय कुमार सूद ने भविष्य के युद्ध पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव के बारे में बात की। उन्होंने क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति, साइबर खतरों को कम करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास पर जोर दिया।

शीर्ष स्तर के इस कार्यक्रम से रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों और वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व को विचार-मंथन करने और कई पहलों को आगे बढ़ाने का अवसर भी मिला। बातचीत के माध्यम से शॉर्ट सर्विस कमीशन को और अधिक आकर्षक बनाने, सभी आंतरिक परीक्षाओं को ‘ऑनलाइन’ मोड में आयोजित करने और बुजुर्ग सैनिकों की चिंताओं को दूर करने का तंत्र तैयार करने जैसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले गए।

इसके अलावा, सैन्य नेतृत्व ने डिजिटलीकरण और स्वचालन पहल सहित नए युग में भारतीय सेना के लिए प्रशिक्षण के तौर तरीकों और उसके स्वरूप पर विचार-विमर्श किया, ताकि खतरों और संघर्षों के उभरतेस्वरूपों के अनुरूप सेना को “भविष्य के लिए तैयार” बनाया जा सके।

भारतीय सेना के बदलाव की दिशा में जारी प्रक्रिया के अनुरूप संचालन, प्रशिक्षण, रसद और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी एक ठोस नीति तैयार करने के लिए वरिष्ठ कमांडरों के विचार लिए गए। वैचारिक स्तर पर चर्चा की गई,जिससे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण नीतियों के निर्माण का

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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कौशल परिषद (एससीपीडब्ल्यूडी) ने ‘समावेशी कार्यक्रमों के लिए जॉब कोच’ के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

आजमानेसरगुरुग्राम स्थित आईआईसीए परिसर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीएऔर दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कौशल परिषद (एससीपीडब्ल्यूडीके बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयूपर हस्ताक्षर किए गए।

एमओयू का उद्देश्य एससीपीडब्ल्यूडी और आईआईसीए की विशेषज्ञता में तालमेल बिठाना हैताकि एससीपीडब्ल्यूडी और आईआईसीए के तत्वावधान में बनाई गई विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से विविध कार्यबल के निर्माण और प्रबंधन के लिए ज्ञानकौशल और दक्षता के संबंध में कॉर्पोरेट जगत को सक्षम बनाया जा सके। आईआईसीए के सहयोग सेएससीपीडब्ल्यूडी योग्यता – समावेशिता के लिए जॉब कोच (जेसीआई)” कार्यक्रमों या विविध क्षेत्रों में कौशल पाठ्यक्रमों के माध्यम से पहल करेगा।

आईआईसीए के स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट की प्रमुख डॉगरिमा दधीच और एससीपीडब्ल्यूडी के सीईओ रवींद्र सिंह सिंह ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

आईआईसीए के महानिदेशक और सीईओ,  प्रवीण कुमार की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गएजिन्होंने इस पहल के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि कॉरपोरेट जगत और अन्य संगठनों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने कार्यबल में दिव्यांगजनों को शामिल करने को बढ़ावा देंगे। आईआईसीएएससीपीडब्ल्यूडी सहयोग के परिणामस्वरूप कॉर्पोरेट प्रतिनिधियों और ऐसे अन्य हितधारकों की क्षमता का निर्माण होगाजो विविधता और समावेश के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं।

डॉदधीच ने इस बात पर जोर दिया कि यह एक सामयिक पहल हैक्योंकि भारत में विविधता और समावेश के अभियान को मजबूत करने और प्रभावशाली क्षमता निर्माण करने एवं ऐसे व्यक्तियों का एक कैडर बनाने की जरूरत हैजो कॉरपोरेट जगत और अन्य संगठनों में दिव्यांगजनों को रोजगार देने और रोजगार के बाद अपनाने की सुविधा देने तथा उन्हें समर्थन देने में विशेषज्ञता रखते हों। रवींद्र सिंह ने कहा कि कॉरपोरेट्स के क्षमता निर्माण की आवश्यकता हैताकि उनके द्वारा नियोजित दिव्यांगजनों को अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा सके। आईआईसीए के एसओबीई के मुख्य कार्यक्रम कार्यकारी डॉरवि राज अत्रे और एससीपीडब्ल्यूडी के एसएंडक्यूए की प्रमुख डॉनिहारिका निगम इस सहयोग को क्रियान्वित करने के लिए नोडल अधिकारी हैं।

दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कौशल परिषद (एससीपीडब्ल्यूडीके बारे में

दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कौशल परिषद (एससीपीडब्ल्यूडीएक गैरलाभकारी‘ संगठन हैजो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम1860 के तहत पंजीकृत है। राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति 2015 के एक विशिष्ट प्रावधान के अनुपालन मेंकौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तत्वावधान में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (एमएसजेई), राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआईद्वारा संयुक्त रूप से अक्टूबर2015 में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कौशल परिषद (एससीपीडब्ल्यूडीकी स्थापना की गई थीताकि दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडीको मुख्यधारा में लाने के मिशन को पूरा किया जा सके।

आईआईसीए के बारे में

आईआईसीएकॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए), भारत सरकार द्वारा एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित एक संस्था हैजो एक एकीकृत और बहुसंकाय दृष्टिकोण के माध्यम से भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र के विकास का समर्थन करने के लिए एक थिंकटैंक और उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य करती है। आईआईसीए विभिन्न स्कूलों और केंद्रों के माध्यम से अपनी क्षमतानिर्माण और सलाहकार समाधान प्रदान करता है। आईआईसीए का स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंटपर्यावरणसामाजिक प्रशासन (ईएसजी), कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआरऔर व्यापार तथा मानवाधिकार (बीएचआरके क्षेत्रों में काम करता है। स्कूल ने इस साल दिसंबर में जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने की भी घोषणा की है। वर्तमान समझौता ज्ञापन की अगुआई देश में समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरमेंटआईआईसीए द्वारा की जायेगी।

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भारत आज रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से सुसज्जित हैः डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत आज रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से सुसज्जित है।

उन्होंने कहा, अतीत के विपरीत, हमारे सशस्त्र बल ड्रोन, हेलिबोर्न ऑपरेशन और यूएवी सहित उन्नत हथियारों से सुसज्जित हैं और क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा जैसी नई सीमाओं के लिए तैयार हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह नई दिल्ली में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) द्वारा आयोजित भारतीय सैन्य विरासत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

डॉ. सिंह ने कहा, भारत नई नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों को अपनाने में अग्रणी देशों के समकक्ष है, जिनमें रक्षा परिदृश्य को बदलने की क्षमता है। यह न केवल देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाती है बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक प्रौद्योगिकी के अग्रणी देश के रूप में भी स्थापित करती है।

उन्होंने कहा, ”यह अतीत की बात है जब हमारी सेनाएं पुराने अस्त्रों का उपयोग करती थीं। हम विश्व के उन सात विशिष्ट देशों में से हैं जो क्वांटम प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, ”इस दृष्टिकोण के साथ, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष मार्च में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू किया।”

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, पुणे के आईआईएसईआर में स्थापित ‘आई-हब क्वांटम’, क्वांटम टेक्नोलॉजीज के क्षेत्र में काम कर रहा है और परमाणु इंटरफेरोमेट्री-आधारित सेंसिंग और नेविगेशन उपकरण विकसित कर रहा है; आईआईटी मद्रास में टीआईएच, अर्थात् आईआईटीएम प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन रक्षा कर्मियों के लिए एक सुरक्षित मोबाइल फोन विकसित करने पर काम कर रहा है; आईआईटी रूड़की में टीआईएच, अर्थात् आईहब दिव्य संपर्क आईडीआर डूट एमके-1 की सहायता कर रहा है, जो आतंकवादी/अराजकता विरोधी और रूम इंटरवेंशन ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की मदद के लिए भारत का पहला स्वदेशी नैनो ड्रोन है; पुणे के आईआईएसईआर में स्थापित आई-हब क्वांटम परमाणु इंटरफेरोमेट्री-आधारित सेंसिंग और नेविगेशन उपकरणों को विकसित करने वाली क्वांटम टेक्नोलॉजीज के क्षेत्र में काम कर रहा है; आईआईटी मंडी में टीआईएच अर्थात् ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन (एचसीआई) फाउंडेशन नेवल कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम (एनसीएमएस) विकसित कर रहा है, आईआईएससी बेंगलुरु में टीआईएच ऑटोमेशन सिस्टम आदि के सटीक नियंत्रण के लिए समेकित रोबोटिक ज्वाइंट एक्चुएटर्स विकसित कर रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ये नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियां निरंतर विकसित हो रही हैं और सैन्य अभियानों पर उनका प्रभाव बढ़ता रहेगा। आधुनिक युग में सैन्य प्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए इन प्रौद्योगिकियों को अपनाना और उनका उपयोग करना आवश्यक होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां तक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषणों का प्रश्न है, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में यह भारत के लिए सबसे अच्छा समय है। चंद्रयान-3, आदित्य एल1 और कोविड टीकों की सफलता गाथाओं ने भारत की छवि में बड़े बदलाव लाने में योगदान दिया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, विशेष रुप से नई दिल्ली में हाल ही में सफल जी20 शिखर सम्मेलन के बाद विश्व के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे हैं। जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान घोषित वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, 2070 तक नेट ज़ीरो के भारत के एमडीजी लक्ष्यों को अर्जित करने में काफी सहायता करेगा।

जी20 में अफ्रीकी संघ के प्रवेश की सराहना करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि नई दिल्ली शिखर सम्मेलन उपयुक्त रूप से यह प्रदर्शित करता है कि “विश्व आज प्रधानमंत्री श्री मोदी, जो जी20 को जी21 में बदलने के लिए इतिहास में जाने जाएंगे, की अगुवाई में भारत द्वारा नेतृत्व किए जाने के लिए तैयार है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “उन्होंने भारत की भूमिका एक ऐसे राष्ट्र के रूप में स्थापित की है जो अब नेतृत्व नहीं सहेगा, बल्कि नेतृत्व करने के लिए तैयार है।”

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केंद्रीय मंत्री डॉ.  जितेंद्र सिंह ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में अनुभव पुरस्कार 2023 प्रदान किए

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग वर्ष 2023 के लिए पुरस्कार विजेताओं को उनके लेखन को सम्मानित करने के लिए 23.10.2023 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में अनुभव पुरस्कार 2023 समारोह का आयोजन ;  केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन केंद्रीय मंत्री डॉ.  जितेंद्र सिंह ने विज्ञान भवन में अनुभव पुरस्कार 2023 प्रदान किए

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने प्रधानमंत्री के आदेश पर मार्च 2015 में अनुभव पोर्टल को लॉन्च किया था। यह पोर्टल सेवानिवृत्त हो रहे/सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके सराहनीय कार्यो को प्रस्‍तुत करने और दर्शाने के लिए एक ऑनलाइन व्‍यवस्‍था प्रदान करता है; सरकारी विभाग में कार्य करने के उनके अपने अनुभव साझा करना और शासन में सुधार के लिए सुझाव देना। इस विभाग के अनुभव पोर्टल पर 96 मंत्रालयों/विभागों/संगठनों ने पंजीकरण कराया है और अभी तक 10000 से अधिक आलेख प्रकाशित किए जा चुके हैं।

इस समय,अनुभव के लेखन के अनुसार शीघ्र ही सेवानिवृत्त होने वाले/सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के सराहनीय कार्यो को प्रस्‍तुत करने और दर्शाने के लिए उनके प्रस्‍तुतिकरण को अधिकतम करने के उद्देश्य से एक अनुभव आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया गया था। इस अभियान के परिणाम स्वरूप 1901 अनुभव आलेखों का प्रकाशन हुआ है, जो 2015 में इसकी शुरुआत के बाद से सबसे अधिक संख्या में है। प्रकाशित आलेखों की अधिकतम संख्या सीआईएसएफ से है। चिंतनशील प्रक्रिया के पश्‍चात्, 4 अनुभव पुरस्कार और 9 ज्‍यूरी प्रमाणपत्र प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। पुरस्कार विजेता 8 विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों से हैं। यह उल्लेख करना महत्‍वपूर्ण होगा कि इस प्रक्रिया में व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार 9 ज्यूरी प्रमाणपत्र भी प्रदान किए जा रहे हैं। अनुभव पुरस्कार विजेताओं को एक पदक, एक प्रमाण पत्र और 10,000/- रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। ज्‍यूरी प्रमाणपत्र विजेताओं को एक पदक और एक प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाएगा।

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) भारत सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लाभ के लिए प्री-रिटायरमेंट काउंसलिंग (पीआरसी) कार्यशाला का आयोजन भी कर रहा है जो पेंशनभोगियों के ‘जीवनयापन में आसानी’ की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस कार्यशाला में शीघ्र ही सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति लाभ और मंजूरी प्रक्रिया से संबंधित प्रासंगिक जानकारी प्रदान की जाएगी।

इसके अतिरिक्‍त, अखिल भारतीय पेंशन अदालत पेंशन शिकायतों के निवारण हेतु एक प्रभावी मंच के रूप में उभर कर आई है। अब तक डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा 08 पेंशन अदालतें आयोजित की गई हैं और पेंशन अदालत में उठाए गए 24,671 में से, इस पहल में भागीदारी करने वाले विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों द्वारा 17,551 शिकायतों का समाधान (71 प्रतिशत) किया गया था।

आगामी समारोह में, विषयगत अखिल भारतीय पेंशन अदालत आयोजित की जाएगी जिसमें मंत्रालयों/विभागों में लंबित पेंशन भुगतान आदेश मामलों को दिल्ली में डीओपीपीडब्ल्यूद्वारा और भारत भर में अन्य स्थानों पर मंत्रालयों/विभागों द्वारा लिया जाएगा।

डीओपीपीडब्ल्यू ने अब पोर्टलों को एकीकृत करने के औचित्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया है अर्थात् बड़े पैमाने पर पेंशनभोगियों के लिए जीवनयापन को आसान बनाने के लिए, सभी पोर्टल जैसे पेंशन वितरण बैंक पोर्टल, अनुभव, केंद्रीकृत पेंशन शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीईएनजीआरएएमएस), केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) आदि को नव निर्मित “एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल” (https://ipension.nic.in) में एकीकृत किया जाना चाहिए।

पेंशनभोगियों को बैंक बदलने, जीवन प्रमाण पत्र जमा करने, पेंशनभोगियों के मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करने, पेंशन पर्ची और पेंशन पर्ची की पुनर्प्राप्ति, आयकर कटौती डेटा / फॉर्म 16, पेंशन रसीद की जानकारी जैसी समस्याओं को कम करने के लिए, पेंशन वितरण बैंकों की वेबसाइटों को भी एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाएगा। स्‍टेट बैंकऑफ इंडिया (एसबीआई) और केनरा बैंक के पेंशन सेवा पोर्टल को भविष्य पोर्टल के साथ एकीकृत करने का कार्य पूरा हो गया है।

अब, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी अपने पेंशन पोर्टल को इंटीग्रेटेड पेंशनर्स पोर्टल के साथ एकीकृत कर दिया है। 4 सुविधाएं अर्थात् मासिक पेंशन पर्ची, जीवन प्रमाण पत्र की स्थिति, पेंशनभोगी का सबमिशन फॉर्म 16 और पेंशन बकाया का देय एवं आहरित विवरण इन बैंको द्वारा प्रदान किया जा रहा है। इस आयोजित समारोह में केंद्रीय मंत्री (पीपी) पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल लॉन्च करेंगे।

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग 70 लाख केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाण पत्र जमा करने में सक्षम बनाने के लिए नवंबर, 2023 में राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 2.0 का आयोजन करेगा। 17 बैंकों के सहयोग से भारत भर के 100 शहरों में 500 स्थानों पर डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) शिविर आयोजित किए जाएंगे। इस अभियान के नियंत्रण के लिए केंद्रीय राज्‍य मंत्री 23 अक्टूबर, 2023 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रीय डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) पोर्टल को लॉन्च करेंगे।

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मैरीटाइम अमृतकाल विजन 2047 के अनावरण के तीन दिनों के भीतर भारत ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हासिल किया

मैरीटाइम अमृतकाल विजन 2047 के अनावरण के तीन दिनों के भीतर भारत ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हासिल किय

दुनिया में सबसे बड़े समुद्री शिखर सम्मेलनों में से एक ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस), 2023 में तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश जुटाने में कामयाबी मिली। यह शिखर सम्मेलन आज संपन्न हो गया। इस बड़ी उपलब्धि के साथ, जीएमआईएस का तीसरे संस्करण 80 ट्रिलियन रुपये के निवेश का ‘अमृत काल विजन 2047’ हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

जीएमआईएस, 2023 के समापन सत्र के दौरान केंद्रीय पत्तनपोत परिवहन और जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीसपत्तनपोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री श्रीपद नाक और पत्तनपोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर आदि के साथ ‘जीएमआईएस 2023 मुंबई डिक्लेयरेशन’ का अनावरण किया।

जीएमआईएस, 2023 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय पत्तनपोत परिवहन और जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट, 2023 ने दूरदर्शी प्रधानमंत्री मोदी के मैरीटाइम अमृत काल विजन, 2047 को प्राप्त करने की दिशा में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निवेश प्रतिबद्धता हासिल करके एक शानदार शुरुआत की है। मोदी जी द्वारा  जारी किया गया विजन दस्तावेज कई क्षेत्रों में समयबद्ध कार्यान्वयन योजना के साथ भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक रोडमैप पेश करता है। हितधारकों के बीच रिकॉर्ड संख्या में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के साथ, शिखर सम्मेलन ने भारत के वैश्विक मैरीटाइम हब बनने की राह खोल दी है। हम 50 से अधिक भागीदार देशों, सभी हितधारकों, प्रतिनिधियों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहते हैं जिन्होंने सहयोग के लिए चिह्नित क्षेत्रों पर सहयोग करने और भविष्य के लिए सुरक्षित समाधान तैयार करने के लिए इस शिखर सम्मेलन के दौरान संबंध स्थापित किए हैं। आपके सक्रिय समर्थन से इस शिखर सम्मेलन की सफलता को देखते हुए, हमारा मानना है कि जीएमआईएस ने अपना उद्देश्य हासिल कर लिया है जो क्षेत्रीय सहयोग, समुद्री देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है।” गोयल ने भारत की एग्जिम (निर्यात-आयात) व्यापार क्षमता को बढ़ाने के लिए पत्तन, पोत और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की, जिसके द्वारा 2022-23 में 450 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार हासिल किया गया है।

वैश्विक शिखर सम्मेलन में कई देशों, 215 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय वक्ताओं और 50,000 भौतिक रूप से और वर्चुअल माध्यम से उपस्थित लोगों की भागीदारी देखी गई। अपने पिछले संस्करणों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, तीसरी बैठक ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री हितधारकों के लिए व्यापक संभावनाओं की पेशकश की।

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नवाचार और प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में बताते हुए कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में, भारत क्षेत्रीय दक्षता बढ़ाने, क्षमता निर्माण की दिशा में अनुसंधान और विकास और मौजूदा प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन में सबसे आगे रहा है। समुद्री दक्षता के लिए डिजिटल उत्कृष्टता केंद्र (सीओईएमई) की स्थापना उन कई पहलों में से एक है जो स्वदेशी और सहयोगात्मक विकास दोनों के लिए तकनीकी विकास के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं। इस क्रम में, हमारी सरकार के लिए भारत के समुद्री स्टार्ट अप इकोसिस्टम की क्षमता का दोहन करने का मुख्य रूप से जोर रहेगा।”

इस तीन दिवसीय आयोजन के दौरान, हरित बंदरगाहों और नौवहन के साथ सतत विकास के बारे में भी काफी चर्चा हुई, जो एक ऐसा क्षेत्र जिसमें नॉर्वे और अन्य अग्रणी समुद्री राष्ट्र सर्वोत्तम तौर तरीकों को परिभाषित कर रहे हैं और नए मानक स्थापित कर रहे हैं जिनका बाकी दुनिया को पालन करना चाहिए। सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “उदाहरण के लिए, भारत हरित ईंधन, विद्युतीकृत/ नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित यार्ड उपकरण और वाहनों के उपयोग के साथ जीएचजी उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़े अन्य प्रमुख क्षेत्रों में कार्बन तटस्थता (कार्बन न्यूट्रैलिटी) विकसित करने की योजना बना रहा है।”

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा“हम वैश्विक अर्थव्यवस्था के गुमनाम नायकों – हमारे नाविकों को धन्यवाद देते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘प्रमुख श्रमिक’ के रूप में नामित किया गया है। वैश्विक स्तर पर नाविकों की आपूर्ति में 5वें स्थान पर भारत का होना, उसकी उद्योग के लिए तैयार प्रतिभाओं के विकास को बढ़ावा देने में हमारे दशक भर के प्रयासों का प्रमाण है।

उन्होंने नाविकों के लिए महामारी के बाद के युग में विकसित अधिक मददगार और सहज कामकाजी माहौल प्रदान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योगवस्त्रउपभोक्ता मामलेखाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयलगुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने श्री सोनोवाल के साथ जीएमआईएस 2023 का समापन किया और इस बारे में अपने विचार साझा किए कि कैसे भारत का समुद्री क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो सभी सार्वजनिक और निजी बंदरगाह प्राधिकरणों, शिपिंग लाइनों, कंपनियों, स्टार्टअप, एमएसएमई और अन्य सहायक उद्योगों के लिए योगदान देती है।

शिखर सम्मेलन के तीन दिनों में ज्ञानवर्धक गोलमेज बैठकों और सत्रों की एक श्रृंखला देखी गई, जिनमें से प्रत्येक में भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी), बिम्सटेक, चाबहार बंदरगाह आईएनटीएससी गलियारे पर चर्चा के साथ-साथ प्रमुख क्षेत्रीय विकास पहल सहित समुद्री क्षेत्र के अहम पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया। भारतीय और यूरोपीय संघ के देशों को जोड़ने वाले कई बंदरगाहों के विकास, भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं से निपटने, बिम्सटेक और आईएमईसी आर्थिक गलियारों के लिए समुद्री मार्ग को प्रवेश द्वार के रूप में बढ़ावा देने और आईएमओ में प्रासंगिक फोकस क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए संयुक्त मंचों की सुविधा जैसे पहलू चर्चा के कुछ प्रमुख क्षेत्र थे।

जीएमआईएस 2023 में जहां भारत के क्रूज क्षेत्र में मौजूद अवसरों के बारे में बताया गया, वहीं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को भारत में अपना आधार स्थापित करने के लिए आमंत्रित करने के साथ-साथ क्रूज टर्मिनल से जुड़े बुनियादी ढांचे के निर्माण, करों में छूट के साथ प्रोत्साहन, क्रूज़ के लिए समर्पित प्रशिक्षण अकादमियों के साथ संस्थागत क्षमता निर्माण और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक आकर्षक एवं टिकाऊ नीतिगत ढांचे जैसे उपायों के साथ क्रूज क्षेत्र को विकसित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया। सरकार एक समग्र क्रूज प्रोत्साहन नीति जारी करने की योजना बना रही है।

जीएमआईएस 2023 शिखर सम्मेलन केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और पत्तन, पोत्त और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर की अध्यक्षता में हुए शिपिंग उद्योग से संबंधित प्रासंगिक सत्रों के साथ संपन्न हुआ।

डॉ. मंडाविया ने कहा, “समुद्री क्लस्टर उद्योग में सहयोग, नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमारे उद्योग को आगे बढ़ाने के लिहाज से अपरिहार्य हैं। अच्छी तरह से सभी सुविधाओं से युक्त और विशिष्ट क्लस्टर स्थापित करके, हमारा लक्ष्य प्रतिस्पर्धी दरों पर उच्च गुणवत्ता वाली मरम्मत सेवाओं की मांग वाले दुनिया भर के जहाजों को आकर्षित करना है।”

इसके बाद भारत सरकार की माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में समुद्री वित्तपोषण, बीमा और मध्यस्थता पर एक विशेष चर्चा हुई। केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने भी जीएमआईएस शिखर सम्मेलन का भ्रमण किया।

देश के समुद्री क्षेत्र की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा, “पिछले 9 वर्षों के दौरान, हमारे प्रयासों से समुद्री क्षेत्र में उल्लेखनीय 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ बड़ा बदलाव लाया है, जिससे इस महत्वपूर्ण उद्योग में खासी प्रगति देखने को मिली है। भारत के बंदरगाह अब वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्थिति में हैं, जो मात्र 0.9 दिन के टर्नअराउंड समय के साथ सिंगापुर और दुबई जैसे अंतरराष्ट्रीय केंद्रों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।”

इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएमआईएस 2023 का उद्घाटन किया और उद्घाटन सत्र के दौरान 3.24 लाख करोड़ रुपये 34 एमओयू के साथ 18,800 करोड़ रुपये की 21 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसमें 1.8 लाख करोड़ की हरित परियोजनाएं और 1.1 लाख करोड़ रुपये की बंदरगाह विकास और आधुनिकीकरण की परियोजनाएं शामिल थीं। पीएम मोदी ने मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047 भी शुरु किया, जो अगले 25 वर्ष यानी 2047 तक भारत को आत्मनिर्भर बनाने से संबंधित अमृत काल के लिए समुद्री क्षेत्र के विकास का एक रोडमैप है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस अवधि के दौरान समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए 80 लाख करोड़ रुपये के निवेश को खोले जाने के अपने दृष्टिकोण को साझा किया। वैश्विक आर्थिक गलियारों पर हुए गोलमेज सम्मेलन में विभिन्न देशों के 60 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें 33 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और 17 भारतीय कंपनियों के सीईओ शामिल थे। उद्घाटन सत्र में मंच पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ विभिन्न देशों के 10 मंत्री भी उपस्थित रहे। जीएमआईएस, 2023 के विभिन्न सत्रों में 10 देशों के 21 मंत्रियों ने भाग लिया।

 

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खादी फॉर नेशन खादी फॉर फैशन पर व्याख्यान

कानपुर 21 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2023 तक चल रहे खादी महोत्सव अभियान के अंतर्गत “खादी फॉर नेशन खादी फॉर फैशन” विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने छात्राओं को खादी के इतिहास एवम प्रयोग करने की आवश्यकता, खादी ग्रामोद्योग, एक जिला एक उत्पाद, वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत व स्किल इंडिया आदि योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए उन्हें खादी से बने वस्त्रो का प्रयोग एवं प्रचार प्रसार करने हेतु प्रोत्साहित किया तथा बताया कि यह किस प्रकार से विकसित भारत के निर्माण में सहायक है! इस अवसर पर छात्राओं ने खादी के वस्त्र प्रयोग करने, प्रचार प्रसार करने तथा दूसरों को खड़ी वस्त्रो का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु शपथ भी ली। कार्यक्रम में एनएसएस की समस्त वॉलिंटियर्स तथा महाविद्यालय की अन्य छात्राएं भी उपस्थित रही।

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क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय की को~करिकुलर कमेटी द्वारा एक्शन और एक्टिंग विषय पर कार्यशाला आयोजित

कानपुर 21 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय की को~करिकुलर कमेटी द्वारा दिनांक २०/१०/२०२३ से दो दिवसीय कार्यशाला का कॉलेज के प्राचार्य जोसेफ डेनियल के दिशा निर्देशन में आयोजन किया गया जिसके मुख्य वक्ता परवेज खान एक्शन और एक्टिंग गुरु मुंबई से आए इस कार्यक्रम का आयोजन डॉक्टर संजय सक्सेना समन्वयक तथा सह समन्वयक डॉ मीत कमल द्वारा कराया गया कार्यक्रम का उक्त संचालन मानवी शुक्ला द्वारा किया गया इसके साथ कार्यशाला के प्रथम दिन परवेज खान सर द्वारा एक्शन के मुख्य तत्व एवं आधारो को समझाया गया और कुछ एक्सरसाइज कराई गई उसके बाद सही माइनो एक्शन कैसे होता है उसका डेमो भी सर द्वारा प्रस्तुत किया गया इसी प्रकार की प्रक्रियाओं के साथ कार्यशाला के दूसरे दिन भी सर द्वारा कुछ एक्सरसाइज एवं एक्शन के डेमो कराए कार्यशाला में 100 से अधिक छात्र एवं छात्राओं ने प्रतिभाग किया और कार्यशाला के आखिरी दिन महाविद्यालय द्वारा सर को स्मृति चिन्ह देकर उनका सम्मान किया गया इसी के साथ 2 दिन की कार्यशाला का समापन किया गया

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कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में श्रृंखला NEP 2020 में अच्छे अंक कैसे प्राप्त करे विषय पर कार्यशाला अयोजित

कानपुर 18 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय ,स्वरूप नगर के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित की जा रही कार्यशाला श्रृंखला ,”How to get good marks in NEP 2020″ का समापन हुआ। इस कार्यशाला में NEP 2020 में अच्छे अंक प्राप्त करने वाली सीनियर छात्राओं निधि, शीतल, महक,प्रज्ञा आदि के द्वारा ने अपनी जूनियर छात्राओं से सेमेस्टर प्रणाली को समझने तथा अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए किस प्रकार से पढ़ाई करनी चाहिए इत्यादि विषयों पर गहन चर्चा की गई । कार्यशाला में छात्राओं द्वारा न्यूनतम पासिंग मापदण्ड, इंटरनल तथा एक्सटर्नल मूल्यांकन प्रणाली, सम एवम विषम सेमेस्टर परीक्षा का पैटर्न, माइनर तथा वोकेशनल विषयों के लाभ, तृतीय वर्ष (5&6 सेमेस्टर) में मुख्य विषय चयन,बैक पेपर्स की समस्या तथा सीजीपीए एवं सीजीपीए में ग्रेडिंग प्रणाली का प्रतिशत में मूल्यांकन इत्यादि संबंधी प्रश्न पूछे गए जिनका सीनियर छात्राओं एवम समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ पूर्णिमा शुक्ला द्वारा उत्तर दिया गया। कार्यशाला में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो पूनम विज़ ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला के आयोजन से छात्राओं को अपनी सीनियर छात्राओं से पढ़ाई में गाइडेंस के साथ साथ कैरियर काउंसलिंग में भी मदद मिलेगी। इस कार्यशाला में NEP 2020 के विषय में जो विस्तृत जानकारी दी गई है उससे छात्राओं में भ्रम की स्थिति का निराकरण भी हुआ है। इस कार्यशाला के आयोजन के लिए प्राचार्या ने विभागाध्यक्ष डॉ पूर्णिमा शुक्ला की प्रशंसा की तथा छात्राओं को परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए शुभकामनाएं दी। छात्राएं इस कार्यशाला में प्रतिभाग करके बहुत उत्साहित और लाभान्वित प्रतीत कर रही है

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बाल विवाह मुक्त उत्तराखंड के लिए मशाल जुलूस निकाला व शपथ ली

किसी सामाजिक मुद्दे पर पहले शायद ही देखी गई इस तरह की एकजुटता और उसके साथ सरकार के मार्गदर्शन के नतीजे में उत्तराखंड के सैकड़ों गांवों में आयोजित किए गए जागरूकता कार्यक्रमों को अभूतपूर्व समर्थन मिला। महिलाओं के नेतृत्व में नैनीताल और देहरादून जिलों के गांवों में मशाल जुलूस निकाले गए और स्त्रियों, पुरुषों व बच्चों ने जाति-धर्म भूल कर राज्य से बाल विवाह के पूरी तरह खात्मे के लिए शपथ ली। इससे पहले, उत्तराखंड सहित कई राज्य सरकारों ने विभिन्न विभागों और अन्य हितधारकों को पत्र लिख कर उनसे बाल विवाह के खिलाफ अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने और राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए लोगों को शपथ दिलाने का निर्देश दिया था। नतीजे में कचहरी से लेकर पुलिस थानों, शहरों के चौराहों से लेकर गांव की चौपालों, पूरे देश में बच्चों से लेकर बाल विवाह की पीड़ित महिलाओं तक करोड़ों लोग इस अभियान से जुड़े और बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली। पूरे देश में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान 2030 तक बाल विवाह के पूरी तरह खात्मे के उद्देश्य से महिलाओं की अगुआई में 160 गैर सरकारी संगठनों द्वारा 300 से ज्यादा जिलों में चलाया जा रहा है।

तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रमों की वजह से उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में पूरे दिन उत्सव और उल्लास का माहौल रहा और शाम ढलने के बाद महिलाओं के नेतृत्व में मशाल जुलूस निकाला गया जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोगों ने ‘बाल विवाह बंद करो-बंद करो, बाल विवाह करवाओगे तो जाओगे जेल, मेरी बेटी अभी पढ़ेगी-ब्याह की शूली नहीं चढ़ेगी’ के नारों के साथ यह संदेश दिया कि अब इस राज्य में बाल विवाह के लिए कोई जगह नहीं है।
यूनीसेफ का अनुमान है कि अगर बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में भारत की प्रगति की यही दर जारी रही तो 2050 तक देश में लाखों और बच्चियों को बाल विवाह के दलदल में फंसने से नहीं बचाया जा सकता। लेकिन प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन- टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ जिसका अभियान के हिस्से के रूप में पिछले सप्ताह लोकार्पण किया गया 2030 तक ही बाल विवाह के खात्मे के लिए जरूरी टिपिंग प्वाइंट यानी वह बिंदु जहां से छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें, तक पहुंचने का खाका पेश करती है। इस किताब ने बाल विवाह मुक्त भारत अभियान से जुड़े 160 सहयोगी संगठनों की इस साझा लड़ाई को एक रणनीतिक औजार मुहैया कराया है और अभियान में नई जान फूंकी है। बाल विवाह की त्रासद सच्चाइयों और इसके दुष्परिणामों पर बेबाकी से बात करते हुए किताब कहती है, “बाल विवाह बच्चों से बलात्कार है। इसका परिणाम बाल गर्भावस्था के रूप में आता है जिसके नतीजे में बच्चे की मौत हो सकती है।”
सरकार के मार्गदर्शन में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को मिले अपार जनसमर्थन पर खुशी जाहिर करते हुए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के कंट्री हेड रवि कांत ने कहा, “बाल विवाह सदियों से हमारे सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा रहा है और कानूनन अपराध होने के बावजूद इस पर विराम नहीं लग पा रहा है। लेकिन समाज के सभी वर्गों से मिले अप्रत्याशित और अभूतपूर्व समर्थन को देखते हुए मुझे लगता है कि हम नया इतिहास रचने की दहलीज पर हैं। आज यह अभियान जंगल की आग की तरह फैल रहा है और राज्य सरकारों ने इसके लिए जैसी प्रतिबद्धता दिखाई है, हमारे बच्चे अंतत: शायद एक ऐसे देश में पलें-बढ़ें जहां उनके अधिकार सुरक्षित और संरक्षित हों। यह प्रशंसनीय है कि सभी राज्य सरकारें बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य पर काम कर रही हैं जो इसे एक नई रफ्तार और विश्वास दे रहा है।”
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएफएचएस 2019-21) के आंकड़े बताते हैं कि देश में 20 से 24 के आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले ही हो गया था जबकि उत्तराखंड में यह आंकड़ा 9.8 प्रतिशत है।

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