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मिन वात्सल्य के तहत, बच्चों को संस्थागत देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 2450 बाल देखभाल संस्थानों को सहायताश

मिशन वात्सल्य योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) द्वारा देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों (सीएनसीपी) और कानूनी विवाद से जूझ रहे बच्चों (सीसीएल) की सहायता करने के उद्देश्य से लागू किया जाता है। मिशन वात्सल्य का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परियोजनाओं तथा कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते समय बच्चों के सर्वोत्तम हितों का हमेशा ध्यान रखा जाए। उद्देश्यों में बच्चों के लिए आवश्यक सेवाओं, आपातकालीन संपर्क सेवाओं की स्थापना और संस्थागत और गैर-संस्थागत देखभाल सेवाओं को बेहतर ढंग से लागू करना शामिल है। मिशन के तहत स्थापित बाल देखभाल संस्थान ( सीसीआई) अन्य बातों के साथ-साथ, आयु-उपयुक्त शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण तक पहुंच, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल और परामर्श सहयोग देते हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों – हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तथा जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित राज्य को छोड़कर सभी राज्यों और विधायी सदन वाले राज्य क्षेत्रों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में धनराशि साझा की जाती है, जहां लागत साझा करने का अनुपात 90:10 है। विधायी सदन रहित केंद्रशासित राज्यों में, 100 प्रतिशत लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है।

मिशन के तहत, बच्चों को संस्थागत देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 2450 सीसीआई को सहायता प्रदान की गई है। कुल 1,21,861 बच्चों को गैर-संस्थागत देखभाल सहायता प्रदान की गई। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान संस्थागत देखभाल के लिए 62,594 बच्चों को सहायता प्रदान की गई। वर्तमान में, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में 762 जिला बाल संरक्षण इकाइयां, 781 बाल कल्याण समितियां और 774 किशोर न्याय बोर्ड हैं।

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 3580 बच्चों को देश के भीतर और 449 बच्चों को विदेश में रहने वाले लोगों द्वारा गोद लिया गया।

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।

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कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में “India’s Amrit Kaal:A Vision for dollar 5 trillion Economy” विषय पर गेस्ट लेक्चर कार्यक्रम आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा “India’s Amrit Kaal:A Vision for dollar 5 trillion Economy” विषय पर गेस्ट लेक्चर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्त के रूप में Prof.Vandana Dwivedi,Head of Economics department,PPN PG College Kanpur विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सुशोभित किया एवं भारत की आर्थिक दृष्टि और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग के बारे में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की।

कार्यक्रम की शुरुआत गेस्ट स्पीकर प्रोफेसर वंदना द्विवेदी एवं महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर पूनम विज के द्वारा दीप प्रज्वान करके की गई।इसके पश्चात कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत अर्थशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष,सुश्री नेहा सिंह के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने व्याख्यान के विषय का परिचय दिया और वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। इसके बाद अतिथि वक्ता का परिचय कराया गया। व्याख्यान में,गेस्ट स्पीकर प्रोफेसर वंदना द्विवेदी ने भारत की आर्थिक नीतियों में परिकल्पित अमृत काल की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। वक्ता ने सरकार द्वारा किए जा रहे रणनीतिक उपायों पर चर्चा की, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास, डिजिटल परिवर्तन, कौशल वृद्धि और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नीति सुधार शामिल हैं। उन्होंने इस दृष्टि को साकार करने में सतत विकास, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के महत्व पर भी जोर दिया। व्याख्यान में शिक्षा ,निवेश,विनिर्माण, सेवा और कृषि जैसे विकास को गति देने वाले प्रमुख क्षेत्रों का विस्तृत विश्लेषण किया गया। वक्ता ने भारत के आर्थिक भविष्य को आकार देने में युवाओं और महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों पर विचार किया गया और व्यावहारिक समाधान सुझाए गए। इसके बाद हुए संवादात्मक सत्र में छात्राओं और शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। भारत की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक आर्थिक रुझानों के प्रभाव से लेकर $5 ट्रिलियन लक्ष्य को प्राप्त करने में स्टार्टअप और उद्यमिता की भूमिका तक के प्रश्न पूछे गए। वक्ता के जवाब व्यावहारिक और उत्साहवर्धक थे, जिससे श्रोता प्रेरित और सूचित हुए। कार्यक्रम का समापन डॉ० शोभा मिश्रा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने अतिथि वक्ता को उनके ज्ञानवर्धक व्याख्यान के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संयोजन एवं संचालन अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष  नेहा सिंह के द्वारा किया गया कार्यक्रम में महाविद्यालय की कला, विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय की शिक्षिकाएं एवं कुल 67 छात्राएं उपस्थित रही।

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महिला हेल्पलाइन से 31.10.2024 तक 81.64 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की गई

महिला हेल्पलाइन (डब्‍ल्‍यूएचएल) सेवा 1 अप्रैल, 2015 से काम कर रही है। यह मिशन शक्ति के अंतर्गत संबल पहल का एक घटक है। इसका उद्देश्य महिलाओं को पुलिस, वन स्टॉप सेंटर, अस्पताल, कानूनी सेवा प्राधिकरण आदि जैसे उपयुक्त अधिकारियों से जोड़कर सार्वजनिक और निजी दोनों जगहों पर टेलीफोन सेवा 181 के माध्यम से 24x7x365 आपातकालीन और गैर-आपातकालीन राहत प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त, यह महिला कल्याण योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान करती है। वर्तमान में, डब्‍ल्‍यूएचएल 35 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत है (पश्चिम बंगाल सरकार डब्‍ल्‍यूएचएल को लागू नहीं कर रही है) और इसकी शुरुआत से 31.10.2024 तक 81.64 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है।

मिशन शक्ति दिशा-निर्देशों के अनुसार, योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र जिम्मेदार हैं। सम्‍बंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर जन जागरूकता गतिविधियां चलाते हैं।

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।

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केंद्र ने ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज के विकास के लिए 28,602 करोड़ रुपये की 12 नई औद्योगिक स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को मंजूरी दी

भारत सरकार ने 28 अगस्त 2024 को ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज के विकास के लिए 28,602 करोड़ रुपये (भूमि लागत सहित) की कुल परियोजना लागत के साथ 12 नई औद्योगिक स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को मंजूरी दी है। औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम के स्वीकृत संस्थागत और वित्तीय ढांचे के अनुसार, राज्य सरकार भूमि प्रदान करती है और भारत सरकार राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट (एनआईसीडीआईटी) के माध्यम से आंतरिक ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर घटकों के विकास के लिए इक्विटी प्रदान करती है। ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर की अस्थायी निर्माण समयसीमा ईपीसी ठेकेदार की नियुक्ति की वास्तविक तिथि से 36-48 महीने है।

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न चरणों में चल रही परियोजनाओं का विवरण इस प्रकार है:

क्रम संख्या कॉरिडोर नाम स्थिति  
1 डीएमआईसी: दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा
  1. धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर), गुजरात
ट्रंक अवसंरचना वाली परियोजनाएं पूरी हो गईं  
  1. शेंद्रा बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र (एसबीआईए), महाराष्ट्र
 
  1. एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप – ग्रेटर नोएडा (आईआईटी-जीएन), उत्तर प्रदेश
 
  1. एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप – विक्रम उद्योगपुरी (आईआईटी-वीयूएल), मध्य प्रदेश
 
  1. एकीकृत मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स हब – नांगल चौधरी, हरियाणा
विकासाधीन परियोजनाएं  
  1. मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स हब और मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब (एमएमएलएच और एमएमटीएच), उत्तर प्रदेश
 
  1. दिघी पोर्ट औद्योगिक क्षेत्र, महाराष्ट्र
28 अगस्त, 2024 को भारत सरकार द्वारा हाल ही में स्वीकृत परियोजनाएं  
  1. जोधपुर पाली मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र, राजस्थान
 
2 सीबीआईसी: चेन्नई बेंगलुरु औद्योगिक

गलियारा

  1. कृष्णापट्टनम औद्योगिक क्षेत्र, आंध्र प्रदेश
विकासाधीन परियोजनाएं  
  1. तुमकुरु औद्योगिक क्षेत्र, कर्नाटक
3 कोयंबटूर होते हुए कोच्चि तक सीबीआईसी का विस्तार
  1. पलक्कड़ औद्योगिक क्षेत्र, केरल
 

 

28 अगस्त, 2024 को भारत सरकार द्वारा हाल ही में स्वीकृत परियोजनाएं

4 एकेआईसी: अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारा
  1. आईएमसी खुरपिया फार्म, उत्तराखंड
  1. आईएमसी राजपुरा पटियाला, पंजाब
 
  1. आईएमसी हिसार, हरियाणा
 
  1. आईएमसी आगरा, उत्तर प्रदेश
 
  1. आईएमसी प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
 
  1. आईएमसी गया, बिहार
 
5 एचएनआईसी: हैदराबाद नागपुर औद्योगिक

कॉरिडोर

  1. जहीराबाद फेज-1, तेलंगाना
 
6 एचबीआईसी: हैदराबाद बेंगलुरु औद्योगिक

कॉरिडोर

  1. ओर्वाकल औद्योगिक क्षेत्र, आंध्र प्रदेश
 
7 वीसीआईसी: विजाग चेन्नई औद्योगिक गलियारा
  1. कोपार्थी औद्योगिक क्षेत्र, आंध्र प्रदेश
 

 

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक औद्योगिक शहर/क्षेत्र/नोड का प्रबंधन एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) द्वारा किया जाता है। एसपीवी में निजी क्षेत्र का उचित प्रतिनिधित्व हो सकता है, जहां भी राज्य सरकार निजी क्षेत्र को शामिल करने का निर्णय लेती है। यह औद्योगिक स्मार्ट शहरों के विकास के लिए उपयोगकर्ता शुल्क निधि, मूल्य निर्धारण नवाचारों और विभिन्न पीपीपी व्यवस्थाओं के माध्यम से वितरण जैसे अभिनव बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण और वितरण उपकरणों का लाभ उठाने के लिए भी अधिकृत है। राज्य सरकार, जैसा उचित समझे, इस उद्देश्य के लिए द्विपक्षीय/बहुपक्षीय वित्तपोषण भी मांग सकती है।

विभिन्न औद्योगिक स्मार्ट शहरों के लिए फोकस सेक्टर अलग-अलग तरीके से परिभाषित किए गए हैं। इस प्रक्रिया में फोकस सेक्टर को परिभाषित करने के लिए बाजार की मांग का आकलन रिपोर्ट तैयार करना शामिल है। कुछ फोकस सेक्टर हैं हैवी इंजीनियरिंग, ऑटो और सहायक उपकरण, सामान्य विनिर्माण, फार्मा और बायोटेक, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, आईटी और आईटीईएस, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल उत्पाद, एयरोस्पेस, रबर और प्लास्टिक, फैब्रिकेटेड धातु उत्पाद, अनुसंधान और विकास, आईसीटी, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, फैब्रिकेशन (अर्धचालक), नैनो टेक्नोलॉजी और ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स।

यह जानकारी आज केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र सेवा में वृद्धि के लिए विदेश मंत्रालय और डाक विभाग के बीच समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण

आज एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्रों (POPSKs) के माध्यम से पासपोर्ट सेवाओं की निरंतर पहुंच के लिए विदेश मंत्रालय (एमईए) और डाक विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को पांच साल के लिए नवीनीकृत किया गया। डाक विभाग की ओर से व्यापार विकास निदेशालय की महाप्रबंधक सुश्री मनीषा बंसल बादल और विदेश मंत्रालय की ओर से संयुक्त सचिव (पीएसपी और सीपीओ) डॉ. के.जे. श्रीनिवास ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

समझौता ज्ञापन में POPSKs के प्रभावी प्रबंधन और परिचालन समर्थन के लिए साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भारत के नागरिकों को अपने निकटतम डाकघरों में विश्व स्तरीय पासपोर्ट सेवाएं मिलती रहें।

2017 में शुरू की गई डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र (POPSKs) 1.52 करोड़ से अधिक नागरिकों को पासपोर्ट से संबंधित सेवाओं की सुविधा प्रदान करने में सहायक रही है, खासकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में, जिससे पूरे भारत में नागरिकों के लिए पासपोर्ट सेवाओं तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित हुई है। पिछले कुछ वर्षों में डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्रों (POPSKs) का नेटवर्क काफी बढ़ गया है, वर्तमान में देश भर में 442 केंद्र चालू हैं।

यह समझौता ज्ञापन विदेश मंत्रालय और डाक विभाग के बीच सहयोग को मजबूत करता है, जिसका उद्देश्य सेवा वितरण को बढ़ाना, संचालन को सुव्यवस्थित करना और पासपोर्ट से संबंधित सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करना है। इस पहल के तहत, 2028-29 तक देश भर में पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या 600 केंद्रों तक बढ़ाने की योजना है, जिससे नागरिकों के लिए अधिक पहुंच और सुविधा सुनिश्चित होगी और अगले पांच वर्षों में वार्षिक ग्राहक आधार 35 लाख से बढ़कर 1 करोड़ हो जाएगा।

यह पहल दोनों मंत्रालयों के सहयोगात्मक प्रयास को दर्शाती है, ताकि एक सहज, सुलभ और कुशल पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया सुनिश्चित करके नागरिक अनुभव को बेहतर बनाया जा सके। यह भारत के डाक नेटवर्क को और मजबूत करेगा, जिससे पासपोर्ट सेवाएँ सभी नागरिकों के लिए अधिक सुविधाजनक, विश्वसनीय और आसानी से सुलभ हो जाएँगी।

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सुश्री मनीषा बंसल बादलमहाप्रबंधकव्यवसाय विकासडाक विभागडॉके.जेश्रीनिवाससंयुक्त सचिव (पीएसपी एवं सीपीओ) – विदेश मंत्रालय

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन में सहयोग के लिए इजरायली स्टार्टअप को आमंत्रित किया

भारत दौरे पर आए इजराइल के उद्योग एवं अर्थव्यवस्था मंत्री नीर बरकत ने आज केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट की। दोनों नेताओं ने स्टार्टअप्स, विशेषकर अंतरिक्ष एवं क्वांटम प्रौद्योगिकी में सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने कृषि एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में सहयोगात्मक नवाचार पहलों पर भी चर्चा की।

इजराइल के मंत्री के साथ एक उच्चस्तरीय आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भी था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन की परिवर्तनकारी क्षमता के बारे में बताया और इसे देश की तकनीकी आकांक्षाओं की आधारशिला कहा। उन्होंने क्वांटम कंप्यूटिंग में अपने अग्रणी कार्य के लिए जाने जाने वाले इजरायली स्टार्टअप को भारतीय संस्थानों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण क्वांटम तकनीकों का सह-विकास करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “भारत और इजरायल इस क्षेत्र में एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं – भारत अपने बड़े बाजार, जनशक्ति और अवसरों के साथ और इजरायल अपने अत्याधुनिक नवाचार के साथ।”

भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन का उद्देश्य संचार, क्रिप्टोग्राफी और कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए क्वांटम तकनीकों का उपयोग करना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इजरायली स्टार्टअप और शोधकर्ता आपसी लाभ के लिए अपने अनुभव का लाभ उठाते हुए महत्वपूर्ण तकनीकों के सह-विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अंतरिक्ष के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास पर जोर दिया उन्होंने अंतरिक्ष स्टार्टअप में विकास का श्रेय सरकार की दूरदर्शी नीतियों और पहलों को दिया। अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने के बाद से इस क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या में वृद्धि हुई है। यह वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “इजरायल के अंतरिक्ष स्टार्टअप में अपने भारतीय समकक्षों के साथ सहयोग करने की अपार संभावनाएं हैं,” उन्होंने भारत की लागत-प्रभावी उत्पादन क्षमताओं और प्रतिभा के साथ इजरायल के नवाचार कौशल का लाभ उठाने के पारस्परिक लाभों पर जोर दिया।

पीपीपी+पीपीपी-सार्वजनिक-निजी भागीदारी+नीतिगत प्रोत्‍साहन- की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसे एक अनूठा मॉडल बताया जिससे भारत में नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत और इजरायल महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में संयुक्त उद्यमों को बढ़ाने के लिए इस व्‍यवस्‍था को अपनाएं। मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि बाजारों और जनशक्ति के मामले में भारत की अर्थव्यवस्थाओं के मानदंड को इजरायल की नवाचार में अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलाने से सफलता का एक विजयी सूत्र तैयार होगा

मंत्री ने अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान मिशन (एनआरएम) के बारे में बात की जिसका उद्देश्य भारत में विभिन्न विषयों में अनुसंधान को एक करना और उसे बढ़ावा देना है। उन्होंने इसे उन्नत अनुसंधान और विकास में इजरायल की क्षमताओं से जोड़ा और वैश्विक चुनौतियों को हल करने के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण की कल्पना की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बढ़ते जैव-अर्थव्यवस्था क्षेत्र पर भी बात की उन्होंने कहा कि वर्तमान शासन के तहत भारत में जैव-स्टार्टअप की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी में इजरायल की विशेषज्ञता का स्वागत किया और कृषि, स्वास्थ्य सेवा और सतत विकास में नवाचार को बढ़ावा देने वाली साझेदारी का प्रस्ताव दिया।

बैठक के दौरान, दोनों मंत्रियों ने सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) में साझेदारी की संभावनाओं पर भी चर्चा की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इजरायली कंपनियों को इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने मोबाइल निर्माण और 5जी रोलआउट सहित स्वदेशी तकनीक विकास में भारत की प्रगति के बारे बताया।

बरकत ने भारत के अटूट समर्थन के लिए गहरा आभार व्यक्त किया, महत्वपूर्ण समय के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की त्वरित एकजुटता के बारे में बताया। उन्होंने इजरायल के निर्यात को बढ़ावा देने वाले छह प्रमुख समूहों के अभिनव आर्थिक मॉडल के बारे में विस्तार से बताया। इनमें उन्नत विनिर्माण, जीवन विज्ञान और उच्च तकनीक क्षेत्र शामिल हैं। इसी अनुसार इन समूहों के लिए अनुरूप बुनियादी ढांचा बनाना, प्रयोगशालाओं जैसी विशेष सुविधाएँ बनाना शामिल है। यह कई स्टार्टअप की आवश्‍यकताओं को पूरा करते हैं। उदाहरण के लिए, कृषि-तकनीक कंपनियों के लिए साझा प्रयोगशालाएँ न केवल लागत कम करती हैं बल्कि एक सहयोगी तंत्र को भी बढ़ावा देती हैं। सार्वजनिक-निजी भागीदारी का लाभ उठाकर इज़राइल अपनी क्षमता का अधिकतम उपयोग करता है और नवाचारों को प्रभावी ढंग से बढ़ाता है। यह भारत-इज़राइल सहयोग के लिए एक अनुकरणीय है।

श्री बरकत ने रणनीतिक पायलट परियोजनाओं और क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप बुनियादी ढांचे में निवेश के माध्यम से भारत-इज़राइल संबंधों को और मजबूत करने की संभावना पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इज़राइल की छोटी लेकिन नवाचार-समृद्ध अर्थव्यवस्था भारत के बाजार आकार और प्रतिभा के विशाल पैमाने को पूरक बनाती है। विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में सहयोग दोनों देशों के लिए समाधान में स‍हायता कर सकते हैं। इन सहयोगों को बढ़ावा देकर इज़राइल और भारत खुद को नवाचार में वैश्विक नेताओं के रूप में स्थापित कर सकते हैं और दोनों देशों की सरकारों और लोगों के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा दे सकते हैं।

दोनों मंत्रियों ने कृषि और समुद्री क्षेत्रों में आपसी लाभ की उनकी क्षमता को पहचानते हुए सहयोगी प्रयास शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने नवाचार और सतत विकास के अवसरों की पहचान करते हुए इन क्षेत्रों का गहन अध्ययन करने के लिए एक समर्पित कार्य समूह के गठन का प्रस्ताव रखा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और इज़राइल की साझा आकांक्षाओं का उल्‍लेख किया। उन्होंने दोहराया कि अंतरिक्ष, क्वांटम कंप्यूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साझेदारी न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी बल्कि दोनों देशों को वैश्विक नवाचार में अग्रणी के रूप में भी स्थापित करेगी। उन्होंने कहा, “हम मिलकर आज की चुनौतियों का समाधान करने तथा बेहतर कल के लिए समाधान तैयार करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं।”

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भारत का 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान

7 दिसंबर, 2024 को भारत तपेदिक (टीबी) को खत्म करने की दिशा में एक साहसिक कदम उठाएगा। तपेदिक एक ऐसा रोग है, जो देश भर में लाखों लोगों को प्रभावित करना जारी रखे हुए है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा हरियाणा के पंचकूला में इस महत्वाकांक्षी 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान का आधिकारिक रूप से शुभारंभ करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य विशेष रूप से असुरक्षित आबादी के लिए टीबी के मामलों का पता लगाने, निदान में होने वाली देरी को कम करने और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाते हुए टीबी के खिलाफ़ लड़ाई को तेज़ करना है। यह अभियान 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 347 जिलों में टीबी को समाप्‍त करने और टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने की भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है।

राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी): टीबी मुक्त भारत का विजन

यह 100 दिवसीय अभियान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तत्वावधान में राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के व्यापक ढांचे का अंग है, जो टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) 2017-2025 से संबद्ध है। एनएसपी टीबी के मामलों में कमी लाने, निदान और उपचार की क्षमताओं को बेहतर बनाने और इस रोग के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को दूर करने पर केंद्रित है। यह महत्वाकांक्षी पहल 2018 के टीबी उन्मूलन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा निर्धारित विजन को प्रतिबिम्बित करती है, जिसमें उन्होंने 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया था।

एनटीईपी के तहत भारत में टीबी के मामलों में कमी लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। यहां टीबी के मामलों की दर में वर्ष 2015 में प्रति 100,000 की आबादी पर 237 मामलों की तुलना में वर्ष 2023 में प्रति 100,000 की आबादी पर 195 मामलों के साथ 17.7 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसी तरह, टीबी से संबंधित मौतों में वर्ष 2015 में प्रति लाख की आबादी पर 28 मौतों से 2023 में प्रति लाख की आबादी पर 22 मौतों के साथ 21.4 प्रतिशत तक की कमी आई है। पिछले पांच वर्षों में, टीबी के मामलों की सूचना देने में लगातार वृद्धि हुई है, जैसा कि निम्नलिखित आंकड़ों में देखा जा सकता है:

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कोविड-19 के बाद भारत ने एनटीईपी के जरिए टीबी उन्‍मूलन के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं, जो एनएसपी के साथ लगातार संबद्धता बनाए हुए है। 2023 की प्रमुख उपलब्धियों में लगभग 1.89 करोड़ स्‍प्‍यूटम स्मीयर परीक्षण और 68.3 लाख न्यूक्लिक एसिड एम्‍प्‍लीफीकेशन परीक्षण शामिल हैं, जो स्वास्थ्य सेवा स्तरों में नैदानिक पहुंच का विस्तार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

विकसित हो रहे चिकित्सकीय अनुसंधान के अनुरूप, एनटीईपी ने व्यापक देखभाल पैकेज और विकेन्द्रीकृत टीबी सेवाएं शुरू की हैं, जिनमें अब दवा प्रतिरोधी टीबी (डीआर-टीबी) के रोगियों के लिए अल्‍पकालीन मौखिक उपचार तक व्यापक पहुंच शामिल है। यह कार्यक्रम अलग तरह की देखभाल के नजरिए और जल्‍द निदान को प्रोत्‍साहन देने के माध्‍यम से कुपोषण, मधुमेह, एचआईवी और मादक द्रव्यों के सेवन जैसी स्वास्थ्य की सहवर्ती स्थितियों से निपटने पर विशेष ध्‍यान देते हुए उपचार में होने वाली देरी को कम करने और देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाने पर बल देता है। टीबी निवारक उपचार (टीपीटी) तक पहुंच में महत्‍वपूर्ण विस्तार के साथ निवारक उपाय भी एनटीईपी की रणनीति का केंद्र बने हुए हैं। इनकी बदौलत अल्‍पकालिक उपचार वालों सहित टीपीटी प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या बढ़कर लगभग 15 लाख हो गई है।

टीबी और स्वास्थ्य की अन्य स्थितियों के बीच परस्पर क्रिया को पहचानते हुए एनटीईपी ने कुपोषण, मधुमेह, एचआईवी और मादक द्रव्यों के सेवन जैसी समस्‍याओं से निपटने की दिशा में कदम उठाए हैं। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ मिलकर किए जा रहे इन प्रयासों का उद्देश्य टीबी रोगियों को अधिक समग्र सहायता प्रदान करना है, अंततः उनके उपचार के परिणामों को बेहतर बनाना है।

उच्च जोखिम वाली आबादी के लिए निदान और उपचार को बढ़ाना

100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान का मुख्य उद्देश्य विशेषकर सबसे असुरक्षित समूहों के लिए निदान और उपचार सेवाओं को मजबूत बनाना है। इनमें दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में रहने वाले लोग, हाशिए पर रहने वाले समुदाय तथा मधुमेह, एचआईवी और कुपोषण जैसी सह-रुग्णता से पीडि़त व्यक्ति शामिल हैं। यह अभियान उन्नत निदान तक पहुंच में सुधार और उपचार शुरू होने में देरी को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई विशेष रणनीतियों के साथ अत्‍यधिक बोझ वाले क्षेत्रों को लक्षित करेगा।

यह अभियान टीबी सेवाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में सहायक रहे आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के व्यापक नेटवर्क सहित मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे का लाभ उठाएगा। इसके अलावा, स्क्रीनिंग के प्रयास उच्च जोखिम वाले समूहों पर केंद्रित होंगे और स्वास्थ्य संबंधी अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करने वाले व्यक्तियों के लिए विशेष देखभाल पैकेज शुरू किए जाएंगे।

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यह पहल टीबी के रोगियों को बेहतर पोषण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली नि-क्षय पोषण योजना के माध्यम से पोषण सहायता का भी विस्तार करेगी। इसके अतिरिक्त, सरकार ने टीबी रोगियों के निकट संपर्क में रहने वालों को व्यापक देखभाल और सहायता दिलाना सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक सहायता पहल प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (पीएमटीबीएमबीए) को एकीकृत किया है।

रणनीतिक हस्‍तक्षेप

राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) तपेदिक (टीबी) से निपटने और समूचे भारत में टीबी के परिणामों में असमानताओं को दूर करने की व्यापक रणनीति के केंद्र में है। इस रणनीति के तहत, कई प्रमुख हस्तक्षेप किए जा रहे हैं, जिनमें मामलों का पता लगाने में सुधार, निदान में देरी में कमी और विशेष रूप से असुरक्षित समुदायों के लिए बेहतर उपचार परिणाम शामिल हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य एनटीईपी को मजबूत बनाना और पूरे देश में टीबी उन्‍मूलन के लिए अधिक न्यायसंगत और प्रभावी दृष्टिकोण सुनिश्चित करना है, जैसे:

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इन प्रयासों से टीबी के मामलों, नैदानिक कवरेज और मृत्यु दर जैसे प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों में सुधार होने की संभावना है, जिससे भारत टीबी उन्‍मूलन के अपने लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगा।

वित्तीय सहायता और सामुदायिक सहभागिता: टीबी के खिलाफ लड़ाई को सशक्त बनाना

टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता चिकित्सकीय हस्तक्षेपों से कहीं बढ़कर है। नि-क्षय पोषण योजना के माध्यम से सरकार ने 1 करोड़ लाभार्थियों को सहायता देने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए लगभग 2,781 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। इसके अतिरिक्त, नई पहलों के तहत आशा कार्यकर्ताओं, टीबी चैंपियनों (विजेताओं) और नि-क्षय साथी मॉडल के तहत पारिवारिक देखभाल करने वालों सहित उपचार में सहायता देने वालों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह सहायता नेटवर्क रोगियों को चिकित्सकीय और भावनात्मक दोनों तरह से निरंतर देखभाल मिलना सुनिश्चित करता है।

2022 में पीएमटीबीएमबीए की शुरुआत व्यापक सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए टीबी के खिलाफ लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई । टीबी के रोगियों की मदद करने के लिए 1.5 लाख से ज़्यादा नि-क्षय मित्र (सामुदायिक समर्थक) पहले ही इस प्रयास में शामिल हो चुके हैं। राजनीतिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों ने भी जागरूकता अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जो टीबी को समाप्‍त करने की दिशा में जमीनी स्तर पर हो रहे सामूहिक प्रयास को दर्शाता है।

टीबी उन्मूलन दिशा में भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता

टीबी को जड़ से खत्म करने के प्रति भारत का दृष्टिकोण केवल राष्ट्रीय प्रयास भर नहीं है; यह वैश्विक लक्ष्यों के साथ भी संबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में, भारत टीबी को एसडीजी की 2030 की समय सीमा से पांच साल पहले ही 2025 तक खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

टीबी उन्मूलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता अंतर्राष्ट्रीय घोषणाओं जैसे कि, गांधीनगर घोषणापत्र के प्रति इसके समर्थन में भी स्पष्ट होती है, जिस पर डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रियों द्वारा अगस्त 2023 में हस्ताक्षर किए गए थे। इस क्षेत्रीय संकल्‍प का उद्देश्य क्षेत्र में 2030 तक टीबी के खिलाफ लड़ाई को बनाए रखना, तेज करना और नई राह निकालना है।

आगे की राह: 2025 तक टीबी का उन्मूलन

टीबी मुक्त राष्ट्र की दिशा में भारत की यात्रा में यह 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए निदान, उपचार और सहायता सेवाओं को बढ़ाकर, भारत 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण के लिए मंच तैयार कर रहा है। निरंतर राजनीतिक इच्छाशक्ति, सामुदायिक सहभागिता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ, टीबी मुक्त भारत – तपेदिक से मुक्त भारत – का सपना साकार हो सकता है।

इस उद्देश्य के प्रति संकल्‍पबद्धता स्वास्थ्य संबंधी न्‍यायसंगतता, सामाजिक न्याय और सतत विकास के व्यापक दृष्टिकोण को प्रतिबिम्बित करती है। जिस तरह भारत टीबी के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक कदम उठा रहा है, यह इस बात को साबित करते हुए दुनिया के सामने एक मिसाल कायम कर रहा है कि सहयोग, नवाचार और दृढ़ संकल्प के बल पर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटा जा सकता है।

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अंतर महाविद्यालय छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय महिला हैंडबॉल प्रतियोगिता आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 8 दिसंबर एस एन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज द्वारा अंतर महाविद्यालय छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय महिला हैंडबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया यह प्रतियोगिता सेठ मोतीलाल खेड़िया स्कूल में आयोजित की गई जिसमें कानपुर नगर से पांच महाविद्यालयों ने ट्रायल में प्रतिभा किया। इस अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में टीमों की संख्या की प्रतिभागिता कम होने के कारण ट्रायल करवाया गया जिसमें 21 खिलाड़ियों का चयन किया गया। रेफरी श्री अनुज , श्री हरप्रीत , एवंअनुराग को कानपुर हैंडबॉल एसोसिएशन से आमंत्रित किया गया था।ट्रायल में कुल 35 खिलाड़ियों ने प्रतिभा किया जिसमें से 21 खिलाड़ियों को चयनित किया गया यह सभी चयनित खिलाड़ी एक हफ्ते के कैंप के बाद छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की हैंडबॉल महिला टीम बनाकर नॉर्थ जोन अंतर विश्वविद्यालय ही प्रतियोगिता में प्रतिभा करेंगे प्राचार्य प्रोफेसर सुमन ने सभी चयनित खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दी और प्रोफेसर प्रीति पांडेय जो इस कार्यक्रम की आयोजन सचिव थी उनको सफल ट्रायल हेतु बधाई दी एवं टीम को आगे और मेहनत कर कानपुर विश्वविद्यालय टीम को को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
चयनित खिलाड़ियों के नाम निम्न वत हैं– आरती देवी, दिव्यांशी सिंह ,अनामिका कुमारी ,आरोही द्विवेदी ,दीक्षा कुमारी ,दिव्या सिंह, अंकित यादव, आराध्या यादव ,प्रीति सिंह , नित्या ,मुस्कान गौतम ,अंजलि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से निशा विश्वकर्मा, रागिनी गिरी ,नैंसी वर्मा ,निशा, दीपिका कुमारी ए एन डी कॉलेज कानपुर से, स्वाति , प्रिया एस एन सेन बालिका विद्यालय, पीजी कॉलेज से , दीशिका सिंह VSSD कॉलेज कानपुर , जहान्वी DAV कॉलेज कानपुर इस प्रकार कुल 21 खिलाड़ियों का चयन किया गया। इन सभी खिलाड़ियों का छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की तरफ से नॉर्थ जोन महिला हैंडबॉल अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में प्रतिभा करने वाली छात्रों के लिए चयन किया जाएगा इन सभी खिलाड़ियों के लिए एक हफ्ते का कैंप लगेगा उपरांत टीम हेतु 16 खिलाड़ियों का चयन करके विश्वविद्यालय को प्रतिनिधित्व करते हुए टीम का चयन किया जाएगा पूरे कार्यक्रम का आयोजन प्रोफेसर प्रीति पांडेय विभागध्यक्ष शारीरिक शिक्षाविभाग सेन कॉलेज के द्वारा किया गया प्राचार्य प्रोफेसर सुमन एवं शिक्षिकाओं ने आयोजन सचिव को सफल कार्यक्रम के लिए बधाई दी। हैंडबॉल प्रतियोगिता का आयोजन सेठ मोतीलाल खेड़िया स्कूल में कराया गया जहां की प्राचार्य एवं खेल शिक्षक श्री शंकर जी ने पूर्ण सहयोग के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया ।आयोजन सचिव ने सेन प्राचार्य प्रोफेसर सुमन एवं सेठ मोतीलालविद्यालय के प्राचार्य एवं सहयोगियों को धन्यवाद प्रेषित किया।

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कृष्णवेणी संगीत नीराजनम संगीत समारोह के दूसरे संस्करण का विजयवाड़ा में उद्घाटन हुआ

कृष्णवेणी संगीत नीराजनम संगीत महोत्सव के दूसरे संस्करण का आज विजयवाड़ा के तुम्मलपल्ली क्षेत्रय्या कलाक्षेत्र सभागार में उद्घाटन किया गया। इस भव्य समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पर्यटन राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में आंध्र प्रदेश सरकार के पर्यटन, संस्कृति और छायांकन मंत्री श्री कंडुला दुर्गेश, आंध्र प्रदेश राज्य रचनात्मकता और संस्कृति आयोग की अध्यक्ष श्रीमती पी. तेजस्वी, आंध्र प्रदेश नाटक अकादमी के अध्यक्ष श्री गुम्मादी गोपाल कृष्ण, आंध्र प्रदेश के पर्यटन सचिव श्री विनय चंद, पर्यटन मंत्रालय के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार श्री ज्ञान भूषण और आंध्र प्रदेश पर्यटन प्राधिकरण (एपीटीए) की सीईओ सुश्री आम्रपाली काटा शामिल थे।

तीन दिवसीय महोत्सव विजयवाड़ा के तीन प्रतिष्ठित स्थानों पर आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 140 से अधिक प्रतिभाशाली कलाकार भाग लेंगे और 35 मंत्रमुग्ध कर देने वाले कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे, जो कर्नाटक संगीत की समृद्ध विरासत का जश्न मनाएंगे।

अपने मुख्य भाषण के दौरान, श्री सुरेश गोपी ने इस उत्सव को तेलुगु परंपराओं की समृद्ध सांस्कृतिक और संगीत विरासत का सम्मान करने के एक मंच के रूप में मनाया। उन्होंने त्यागराज, अन्नामाचार्य और रामदास जैसे महान संगीतकारों के योगदान पर प्रकाश डाला, जिनकी रचनाएँ वैश्विक स्तर पर गूंजती रहती हैं। मंत्री ने इस उत्सव की प्रशंसा “संगीत पर्यटन” के लिए एक अग्रणी मॉडल के रूप में की, जिसमें सांस्कृतिक संरक्षण को पर्यटन संवर्धन के साथ एकीकृत किया गया है। उन्होंने आंध्र प्रदेश में आध्यात्मिक और विरासत स्थलों पर आयोजित प्रीक्वल कार्यक्रमों की सराहना की, जिसने कर्नाटक संगीत को स्थानीय समुदायों और छोटे शहरों के करीब ला दिया है।

श्री सुरेश गोपी ने कर्नाटक संगीत की प्रामाणिकता को बनाए रखने में गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व पर जोर दिया और शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए अन्य दक्षिणी राज्यों, विशेष रूप से केरल में भी इसी तरह के उत्सवों का विस्तार करने की कल्पना की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारतीय विरासत को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के दृष्टिकोण का हवाला देते हुए सांस्कृतिक संरक्षण के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने इस उत्सव की अवधारणा बनाने, संस्कृति और पर्यटन को शास्त्रीय कलाओं के उत्सव के लिए एक स्थायी मंच में मिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को भी श्रेय दिया।

पर्यटन, संस्कृति और छायांकन मंत्री श्री कंडुला दुर्गेश ने आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने में महोत्सव की भूमिका की सराहना की। उन्होंने इसे संगीत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक शानदार मंच बताया, जिसमें कर्नाटक संगीत, पारंपरिक शिल्प और क्षेत्र की कलात्मक विरासत को उजागर किया गया। मंत्री ने त्यागराज और अन्नामाचार्य जैसे महान संगीतकारों की विरासत को संरक्षित करने और पिनाकिनी और द्वारम वेंकटस्वामी जैसे कलात्मक दिग्गजों को सम्मानित करने की योजना की घोषणा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि कलाकारों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए कदम उठाए जाएंगे और आंध्र प्रदेश में नृत्य अकादमी के लिए अध्यक्ष नियुक्त करने की योजना का खुलासा किया।

कृष्णवेणी संगीत नीराजनम महोत्सव संगीत से आगे बढ़कर आंध्र प्रदेश की समृद्ध विरासत के विभिन्न पहलुओं को एकीकृत करके एक समग्र सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है। इस महोत्सव का एक मुख्य आकर्षण आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के जीआई-टैग किए गए हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन है, जिसे कपड़ा मंत्रालय के हस्तशिल्प और हथकरघा विकास आयुक्त द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह पहल क्षेत्र की कारीगर विरासत का जश्न मनाती है, जिससे आगंतुकों को राज्य की सांस्कृतिक पहचान को परिभाषित करने वाले शिल्प कौशल की सराहना करने का अवसर मिलता है।

इस उत्सव में एक अनूठा आयाम जोड़ते हुए, तिरुपति स्थित भारतीय पाककला संस्थान (आईसीआई) ने आंध्र प्रदेश की पाककला परंपराओं को उजागर करके महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक समर्पित खाद्य स्टाल के माध्यम से, आईसीआई के छात्र और संकाय प्रामाणिक क्षेत्रीय व्यंजन परोस रहे हैं, जिससे उत्सव में आने वाले लोगों को राज्य की पाक विरासत का स्वाद मिल रहा है। यह पहल न केवल इस आयोजन की सांस्कृतिक कथा को समृद्ध करती है, बल्कि व्यंजनों और सांस्कृतिक पहचान के बीच गहरे संबंध को भी रेखांकित करती है, जो संगीत पर्यटन को बढ़ावा देने के उत्सव के लोकाचार के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।

संगीत, शिल्प और व्यंजनों को एक साथ पिरोकर कृष्णवेणी संगीत नीराजनम महोत्सव आंध्र प्रदेश की मूर्त और अमूर्त विरासत का जीवंत चित्रण करता है, जो पर्यटन मंत्रालय के अभिनव दृष्टिकोण को दर्शाता है। तीन दिनों तक चलने वाला कृष्णवेणी संगीत नीराजनम महोत्सव कर्नाटक संगीत की दिव्य धुनों के माध्यम से आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि का उत्सव मनाता है, समुदायों को जोड़ता है और तेलुगु भाषी क्षेत्र के आध्यात्मिक और कलात्मक सार को प्रदर्शित करता है।

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विकसित भारत क्विज मेगा इवेंट आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 5 दिसम्बर दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर की एनएसएस इकाई द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संगीता सिरोही के कुशल मार्गदर्शन में कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए विकसित भारत क्विज में भाग लेने के लिए एक मेगा इवेंट का आयोजन किया गया। यह क्विज युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा माय भारत पोर्टल के माध्यम से 25 नवंबर से 5 दिसंबर तक किया गया। इसमें विजेता छात्राओं को सेकंड राउंड में जाने का मौका मिलेगा। जो सेकंड राउंड में विजेता होंगे उन्हें जनवरी 2025 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले नेशनल यूथ फेस्टिवल में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से सीधे बात करने एवम् संपूर्ण देश के सम्मुख अपने विचार रखने का मौका मिलेगा। क्विज में आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी और स्थिरता जैसे विषयों को शामिल करते हुए विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भारत की प्रगति को समझने की चुनौती दी गई। 5G के लॉन्च से लेकर महत्वपूर्ण नीतिगत बदलावों तक, यह वैश्विक नेता के रूप में भारत के उदय पर एक व्यापक नज़र डालता है। कॉलेज की 500 से अधिक छात्राओं ने उत्साहपूर्वक इस क्विज मे प्रतिभाग किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त वॉलिंटियर्स तथा प्राध्यापिकाओं का सहयोग सराहनीय रहा।

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