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प्रधानमंत्री ने 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों के नामकरण समारोह में भाग लिया

प्रधानमंत्री  मोदी आज पराक्रम दिवस के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नामकरण करने के लिए आयोजित एक समारोह में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले और नेताजी को समर्पित होने वाले राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का भी अनावरण किया। उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने पराक्रम दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी और कहा कि यह प्रेरणादायक दिवस देश भर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। उन्‍होंने कहा, “जब इतिहास का निर्माण हो रहा होता है तो भावी पीढ़ियां न केवल इसका स्‍मरण, आकलन और मूल्यांकन करती हैं, बल्कि इससे निरंतर प्रेरणा भी पाती हैं।” प्रधानमंत्री ने बताया कि आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से 21 द्वीपों का नामकरण समारोह आयोजित हो रहा है। अब उन्हें 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम से पहचाना जाएगा। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन को सम्‍मान प्रदान करने के लिए एक नए स्मारक की आधारशिला उसी द्वीप पर रखी जा रही है, जहां वे रुके थे। उन्‍होंने कहा कि इस दिन का भावी पीढ़ियों द्वारा आजादी के अमृत काल में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में स्‍मरण किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि नेताजी स्मारक और 21 नए नामित द्वीप युवा पीढ़ियों के लिए निरंतर प्रेरणा के स्रोत होंगे।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि यहां पहली बार तिरंगा फहराया गया था और भारत की पहली स्वतंत्र सरकार बनी थी। उन्होंने यह भी कहा कि वीर सावरकर और उनके जैसे कई अन्य वीरों ने इसी भूमि पर देश के लिए तपस्या और बलिदान के उच्‍च शिखर को छुआ था। उन्होंने कहा, “उस अभूतपूर्व जुनून और अप्रतिम पीड़ा की आवाजें आज भी सेल्युलर जेल की कोठरियों से सुनी जाती हैं।” प्रधानमंत्री ने अफसोस जताया कि अंडमान की पहचान स्वतंत्रता संग्राम की यादों के बजाय गुलामी के प्रतीकों से जुड़ी हुई है और कहा, “यहां तक कि हमारे द्वीपों के नामों पर भी गुलामी की छाप थी।” प्रधानमंत्री ने तीन मुख्य द्वीपों का नाम बदलने के लिए चार-पांच साल पहले पोर्ट ब्लेयर की अपनी यात्रा का स्‍मरण करते हुए बताया कि आज रॉस द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप बन गया है, हैवलॉक और नील द्वीप स्वराज और शहीद द्वीप बन गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्वराज और शहीद नाम स्‍वयं नेताजी ने ही दिए थे लेकिन आजादी के बाद भी इन्‍हें कोई महत्व नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री ने यह टिप्‍पणी की कि जब आजाद हिंद फौज की सरकार ने 75 साल पूरे किए तो हमारी सरकार ने ही इन नामों को फिर से बहाल किया है।

प्रधानमंत्री ने भारत की 21वीं सदी का अवलोकन किया जो उसी नेताजी को याद कर रही है जो कभी भारत की आजादी के बाद इतिहास के पन्नों में गुम हो गए थे। उन्होंने आकाश में ऊँचे भारतीय ध्वज पर प्रकाश डाला, जो आज उसी स्थान पर फहरा रहा है, जहाँ नेताजी ने अंडमान में पहली बार तिरंगा फहराया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उन सभी देशवासियों के दिलों को देशभक्ति से भर देता है जो उस स्थान पर आते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी याद में जो नया संग्रहालय और स्मारक बनने जा रहा है, वह अंडमान की यात्रा को और भी यादगार बना देगा। प्रधानमंत्री ने 2019 में दिल्ली के लाल किले में उद्घाटन किए गए नेताजी संग्रहालय के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि वह स्थान लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उन्होंने नेताजी की 125वीं जयंती और उस दिन को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित किए जाने पर बंगाल में आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रमों का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल से लेकर दिल्ली और अंडमान तक, देश का हर हिस्सा नेताजी की विरासत को नमन करता है और उसे संजोता भी है।

प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित उन कार्यों के बारे में प्रकाश डाला जो आजादी के तुरंत बाद किए जाने चाहिए थे। उन्‍होंने बताया कि वे कार्य पिछले 8-9 वर्षों में किए गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वतंत्र भारत की पहली सरकार देश के इस हिस्से में 1943 में बनी थी और देश इसे और अधिक गर्व के साथ स्वीकार कर रहा है। उन्होंने कहा कि आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 साल पूरे होने पर देश ने लाल किले पर झंडा फहराकर नेताजी को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने दशकों से नेताजी के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग का उल्‍लेख किया और कहा कि यह काम पूरी निष्ठा से किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि  आज हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं और कर्तव्य पथ के सामने नेताजी की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों का स्‍मरण करा रही है।

प्रधानमंत्री ने यह उल्‍लेख किया कि जिन देशों ने अपने करीबी हस्तियों और स्वतंत्रता सेनानियों को नियत समय में जनता के साथ जोड़ा और सक्षम आदर्शों को बनाया और साझा किया, वे विकास और राष्ट्र-निर्माण की दौड़ में बहुत आगे निकल गए, भारत, आजादी के अमृत काल में इसी तरह के कदम उठाते हुए आगे बढ़ रहा है।

इन द्वीपों के नामकरण के पीछे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विशिष्‍ट संदेश के बारे में प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देश के लिए दिए गए बलिदानों और भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की अमरता का संदेश है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 परमवीर चक्र विजेताओं ने भारत माता की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। भारतीय सेना के ये बहादुर सैनिक विभिन्न राज्यों से थे, विभिन्न भाषाओं और बोलियों को बोलते थे और विभिन्न जीवन शैली जीते थे लेकिन यह माँ भारती की सेवा थी और मातृभूमि के प्रति उनका अटूट समर्पण था जिसने उन्हें एकजुट किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “जैसे समुद्र विभिन्न द्वीपों को परस्‍पर जोड़ता है, वैसे ही ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना भारत माता के हर बच्चे को आपस में जोड़ती है।” मेजर सोमनाथ शर्मा, पीरू सिंह, मेजर शैतान सिंह से लेकर कैप्टन मनोज पांडे, सूबेदार जोगिंदर सिंह और लांस नायक अल्बर्ट एक्का, वीर अब्दुल हमीद और मेजर रामास्वामी परमेश्वरन तक इन सभी 21 परमवीरों का एक ही संकल्प था – राष्ट्र प्रथम! इंडिया फर्स्ट! यह संकल्प अब नामकरण से हमेशा के लिए अमर हो गया है। अंडमान में एक पहाड़ी भी कारगिल युद्ध के कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर समर्पित की जा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंडमान और निकोबार के द्वीपों का नामकरण न केवल परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं को बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों को भी समर्पित है। आजादी के समय से ही हमारी सेना को कई युद्धों का सामना करना पड़ा है। इस बात का स्‍मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे सशस्त्र बलों ने सभी मोर्चों पर अपनी बहादुरी को सिद्ध किया है। अब यह देश का कर्तव्य है कि इन राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यों के लिए समर्पित सैनिकों को सेना में योगदान के साथ-साथ व्यापक रूप से मान्यता भी मिलनी चाहिए”, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज देश उस जिम्मेदारी को पूरा कर रहा है और इसे सैनिकों और सेनाओं के नाम पर मान्यता मिल रही है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि यह जल, प्रकृति, पर्यावरण, प्रयास, बहादुरी, परंपरा, पर्यटन, ज्ञान और प्रेरणा की भूमि है। उन्‍होंने क्षमता की पहचान करने और अवसरों को मान्‍यता देने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने पिछले 8 वर्षों में किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला और बताया कि 2014 की तुलना में 2022 में अंडमान आने वाले पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो गई है। उन्होंने अंडमान की रोजगार और पर्यटन से संबंधित आय में वृद्धि होने का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया कि इस स्थान की पहचान में भी विविधता आ रही है क्योंकि अंडमान से जुड़े स्वतंत्रता के इतिहास के बारे में लोगों की जिज्ञासा भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अब लोग यहां इतिहास जानने और उसे जीने के लिए भी आ रहे हैं।’ उन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की समृद्ध आदिवासी परंपरा का भी उल्लेख किया और कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित स्मारक और सेना की वीरता का सम्मान भारतीयों में यहां की यात्रा करने के संबंध में नई उत्सुकता पैदा करेगा।

प्रधानमंत्री ने दशकों की हीन भावना और आत्मविश्वास की कमी, विशेष रूप से विकृत वैचारिक राजनीति के कारण देश की क्षमता को पहचानने में पूर्ववर्ती सरकार के प्रयासों के बारे में खेद व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि‍ चाहे वह हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेष रूप से पूर्वोत्तर, या अंडमान और निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र हो, ऐसे क्षेत्रों में विकास, दशकों तक उपेक्षित किया गया क्योंकि इन्हें दूरस्थ, दुर्गम और अप्रासंगिक क्षेत्र माना जाता था।” उन्होंने यह भी पाया कि भारत में द्वीपों और आइलेट्स की संख्या का लेखा-जोखा नहीं रखा गया था। सिंगापुर, मालदीव और सेशेल्स जैसे विकसित द्वीपीय राष्ट्रों का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन राष्ट्रों का भौगोलिक क्षेत्रफल अंडमान और निकोबार की तुलना में कम है, लेकिन वे अपने संसाधनों का सही उपयोग करके नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए है। भारत के द्वीपों में भी ऐसी ही क्षमता है और देश इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने ‘सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर’ के माध्यम से अंडमान को तेज इंटरनेट से जोड़ने का उदाहरण दिया, जो डिजिटल भुगतान और अन्य महत्‍वपूर्ण सेवाओं को बढ़ावा दे रहा है तथा पर्यटकों को लाभान्वित कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब देश में प्राकृतिक संतुलन और आधुनिक संसाधनों को एक साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।’

स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने वाले अतीत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से तुलना करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन यह कहते हुए किया कि यह क्षेत्र भविष्य में भी देश के विकास को नई गति प्रदाने करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा है कि मुझे विश्वास है, हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जो सक्षम है और आधुनिक विकास की ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा।”

इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल डी के जोशी, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान सहित अन्य गणमान्‍य व्‍यक्ति भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति का सम्मान प्रदान करने के लिए वर्ष 2018 में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने रॉस द्वीप समूह का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रख दिया था। नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप भी कर दिया गया था।

देश के वास्तविक जीवन के नायकों को उचित सम्मान देना हमेशा प्रधानमंत्री भी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। इसी भावना के साथ आगे बढ़ते हुए अब इस द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का निर्णय लिया गया है। पहले बड़े अज्ञात द्वीप का नाम पहले परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा जाएगा, दूसरे बड़े अज्ञात द्वीप का नाम दूसरे परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा जाएगा और इसी तरह अन्‍य द्वीपों का नाम रखा गया है। यह कदम हमारे नायकों के प्रति एक चिरस्थायी श्रद्धांजलि होगी, जिनमें से कई नायकों ने राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया है।

इन द्वीपों का नाम जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा वे हैं – मेजर सोमनाथ शर्मा; सूबेदार और मानद कैप्‍टेन (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, एम.एम; सेकेंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे; नायक जदुनाथ सिंह; कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह; कैप्टन जीएस सलारिया; लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा; सूबेदार जोगिंदर सिंह; मेजर शैतान सिंह; सीक्यूएमएच। अब्दुल हमीद; लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर; लांस नायक अल्बर्ट एक्का; मेजर होशियार सिंह; सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल; फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों; मेजर रामास्वामी परमेश्वरन; नायब सूबेदार बाना सिंह; कैप्‍टेन विक्रम बत्रा; लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे; सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार; और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त (मानद कैप्‍टेन) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव।

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सर्बानंद सोनोवाल ने गुजरात के दीनदयाल पोर्ट, कांडला में 270 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुजरात के दीनदयाल पोर्ट, कांडला में 270 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। श्री सर्बानंद सोनोवाल ने पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्यमंत्री श्री शांतनु ठाकुर, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्यमंत्री श्री श्रीपद नाइक और अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में दीनदयाल पोर्ट, कांडला में 73.92 करोड़ रुपये लागत वाली ऑयल जेट्टी संख्या 7 का उद्घाटन किया।

जेट्टी मुख्य रूप से खाद्य तेल की लिक्विड हैंडलिंग क्षमता को 2.00 एमएमटीपीए तक बढ़ाएगी और भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करेगी और जहाजों के टर्न-अराउंड समय को कम करेगी। यह टी-आकार की जेट्टी 110 मीटर लंबी और 12.40 मीटर चौड़ी है और 65000 डीडब्ल्यूटी और 14 मीटर गहराई तक के बड़े आकार के पोत को संभाल सकती है। इस परियोजना ने निर्माण के चरण के दौरान लगभग 1000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 250 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार का मार्ग प्रशस्त किया है।

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श्री सोनोवाल ने तीन परियोजनाओं- 98.41 करोड़ रुपये की लागत से ऑयल जेट्टी संख्या 8 से 11, 67 करोड़ रुपये की लागत से एलसी236बी से सीजे-16 तक 4 लेन सड़क का विकास, 39.66 करोड़ रुपये की लागत से कार्गो जेट्टी में गुंबदाकार भंडारण शेड का निर्माण कार्य का शिलान्यास भी किया।

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इस अवसर पर श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “ये परियोजनाएं पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के साथ-साथ इसके लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन को बढ़ावा देने के साथ-साथ इसके पूरे भीतरी इलाकों के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी।” इनसे जहाजों के टर्नअराउंड समय में और सुधार के साथ-साथ कार्गो की तेजी से निकासी के साथ-साथ बंदरगाह की कार्गो हैंडलिंग क्षमता में भी सुधार होना संभव होगा। उन्होंने कहा, “दीनदयाल पोर्ट कार्गो हैंडलिंग के मामले में देश भर में पहले स्थान पर है और इन परियोजनाओं के माध्यम से इसकी क्षमता बढ़ाई जाएगी जो पूरे क्षेत्र के लिए फायदेमंद होगी।”

अन्य परियोजनाओं की मुख्य विशेषताएं

1. ऑयल जेट्टी 8 से 11 तक बैक-अप एरिया का विकास

• तरल कार्गो की भंडारण क्षमता में वृद्धि

• लिक्विड कार्गो की तेजी से निकासी, क्योंकि लिक्विड टर्मिनल के लिए प्रस्तावित बैक-अप क्षेत्र ऑयल जेट्टी के पीछे है, इसलिए, टर्न-आउट समय कम करना

2. एलसी236बी से सी.जे-16 तक 4 लेन सड़क का विकास

• बेहतर कनेक्टिविटी

• बंदरगाह पर यातायात में कमी

3. कार्गो जेट्टी में गुंबदाकार भंडारण शेड का निर्माण

• शेड 30 मीटर और ऊंचाई 9 से 12 मीटर की अबाधित स्पष्ट जगह प्रदान कर सकते हैं।

• रूफिंग पैनल यांत्रिक रूप से सीमेड (इंटरलॉक्ड) हैं और छेद, नट, बोल्ट ओवरलैप और सीलेंट से मुक्त हैं, लगभग शून्य रखरखाव सुनिश्चित करते हैं।

• पारंपरिक छत प्रणाली की तुलना में यह संरचना 50 प्रतिशत तक किफायती है।

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उल्लेखनीय है कि भारत में बंदरगाह क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता के तहत पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने गुजरात राज्य में सागरमाला कार्यक्रम के तहत 57,000 करोड़ रुपये की 74 परियोजनाओं की पहचान की है। जिनमें से 9,000 करोड़ रुपये की लागत से 15 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं; 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की 33 परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं और 22,700 करोड़ रुपये की 26 परियोजनाएं प्रगति के विभिन्न चरणों में हैं। ये परियोजनाएं केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों, प्रमुख बंदरगाहों, राज्य समुद्री बोर्ड और अन्य राज्य एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित की जा रही हैं।

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फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए कृषि क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने के लिए कृषि अवसंरचना कोष की राशि 30,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है

कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के कार्यान्वयन के ढाई वर्ष के भीतर, इस योजना ने कृषि अवसंरचना कोष के अंतर्गत 15,000 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के साथ कृषि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं। 3 प्रतिशत ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता के समर्थन के साथ, 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के माध्यम से क्रेडिट गारंटी समर्थन और अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार के साथ अभिसरण की सुविधा के साथ कृषि अवसंरचना कोष योजना से किसानों, कृषि-उद्यमियों, किसान समूहों जैसे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) आदि और कई अन्य लोगों को फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और पूरे देश में सामुदायिक कृषि संपत्ति के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।

कर्नाटक के मांड्या जिले के योगेश सीबी ने उपभोक्ताओं की आवश्यकता और किसानों से प्राथमिक प्रसंस्कृत सब्जियों की आपूर्ति के बीच मांग आपूर्ति के अंतर को समझते हुए, सब्जियों के लिए एक प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना की तलाश कर रहे थे। उन्हें सरकार से उपलब्ध सहायता की तलाश करते हुए वर्ष 2020 में कृषि अवसंरचना कोष योजना के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने 1.9 करोड़ रुपये के ऋण के लिए कृषि अवसंरचना कोष पोर्टल पर आवेदन किया, जिसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सत्यापित किया गया और दिसंबर 2020 में बैंक ऑफ इंडिया द्वारा बहुत जल्दी स्वीकृत किया गया। वह कृषि अवसंरचना कोष की मदद से अपनी परिकल्पना को फलीभून करने में सफल रहे और इस प्रकार से अरियांत वेज प्राइवेट लिमिटेड अस्तित्व में आया। कृषि अवसंरचना कोष योजना के अंतर्गत प्रदान की गई ब्याज सहायता के माध्यम से वह केवल 5.45 प्रतिशत की प्रभावी ब्याज दर (आरओआई) पर ऋण प्राप्त करने में सक्षम था जो कि खुले बाजार दर से बहुत कम है। वर्तमान में, अरियांत वेज 250 से अधिक स्थानीय किसानों को बीज और गुणवत्ता वाली सब्जियां उगाने की तकनीक प्रदान करके उनका समर्थन करता है, फिर वे किसानों से उचित मूल्य पर उपज एकत्र करते हैं, जिसे बाद में दैनिक आधार पर अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले प्रसंस्करण केंद्र में साफ, क्रमबद्ध, वर्गीकृत और पैक किया जाता है।

इसी तरह से मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के एक किसान आनंद पटेल ने विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए, जिनके लिए कृषि मशीनरी सस्ती नहीं है, कृषि में मशीनीकरण के महत्व और आवश्यकता को महसूस किया। इसके बाद उन्होंने एक हाई-टेक केंद्र की स्थापना की जहां स्थानीय किसानों को किराये के आधार पर कृषि मशीनरी प्रदान की जाती है। इस हाई-टेक केंद्र में 12 कृषि मशीनरी हैं जिनमें कंबाइन हारवेस्टर, थ्रेशर, लेजर लैंड लेवलर, ट्रैक्टर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, मल्चर आदि शामिल हैं, जिनकी कीमत लगभग 60.82 लाख रुपये है जो श्री पटेल जैसे किसान के लिए बहुत अधिक लग रही थी। लेकिन कृषि अवसंरचना कोष और अन्य केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं के साथ सम्मिलन की इसकी अनूठी विशेषता के माध्यम से श्री पटेल न केवल 5.4 प्रतिशत की काफी कम ब्याज दर पर 45.62 लाख रुपये का ऋण प्राप्त करने में सक्षम थे बल्कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की कृषि मशीनीकरण (एसएमएएम) योजना पर उप-मिशन के अंतर्गत कुल परियोजना लागत के 40 प्रतिशत की पूंजीगत सब्सिडी का लाभ भी प्राप्त करने में सफल हुए। अब वह 100 से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को इन मशीनों की सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे उन्हें काफी मेहनत, समय और पैसा बचाने में मदद मिली है।

योगेश और आनंद कृषि अवसंरचना कोष के 20,000 से अधिक लाभार्थियों में से दो हैं, जिनका अपनी प्रोफ़ाइल में विविधता लाने और कृषि विकास में आगे बढ़ने का सपना कृषि अवसंरचना कोष की सहायता के माध्यम से सच हो गया है। कृषि अवसंरचना कोष अत्यंत आवश्यक कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण और आधुनिकीकरण के माध्यम से शांतिपूर्वक भारतीय कृषि के परिदृश्य को बदल रहा है। ये बुनियादी ढांचा परियोजनाएं फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने, कृषि पैकेज और प्रथाओं के आधुनिकीकरण में मदद कर रही हैं और इसके अलावा किसानों को उनकी उपज के बेहतर मूल्य की प्राप्ति में मदद कर रही हैं।

कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 8 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए शुरू की गई एक वित्तपोषण सुविधा है। इस योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जाने हैं और वर्ष 2032-33 तक ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता और क्रेडिट गारंटी सहायता दी जाएगी।

     

    

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मिलेट्स व जैविक उत्पादों पर बेंगलुरू में इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में शामिल हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश के छोटे किसानों के प्रति प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अत्यधिक संवेदनशील है। श्री मोदी ने दूरदष्टि के साथ मिलेट्स के विषय को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाया, जहां भारत सरकार के प्रस्ताव का 72 देशों ने समर्थन किया और संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुरूप अब वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स ईयर के रूप में भारत की अगुवाई में मनाया जा रहा है। इसके पीछे मिलेट्स का उत्पादन व उत्पादकता, प्रोसेसिंग और निर्यात बढ़ाना सरकार का मुख्य उद्देश्य है, जिससे अंततः देश के किसानों को ही फायदा मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात आज बेंगलुरू में मिलेट्स एवं जैविक उत्पादों पर आधारित इंटरनेशनल ट्रेड फेयर के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। श्री तोमर ने कहा कि मिलेट्स की फसलें कम पानी में उगाई जा सकती है। किसानों की आय बढ़ाने में मिलेट्स का भी योगदान होगा। देश में मिलेट्स का उत्पादन व खपत बढ़ने के साथ इसका निर्यात भी बढ़ेगा, जिसका लाभ बड़ी संख्या में किसानों को मिलेगा। उन्होंने मिलेट्स का उत्पादन व उपभोग बढ़ाने के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और इस कार्यक्रम के माध्यम से 201 करोड़ रु. के एमओयू साइन होने को भी महत्वपूर्ण बताया। साथ ही, राज्य के किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान किए जाने की भी तारीफ की।

श्री तोमर ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने सहित उनके कल्याण के लिए केंद्र व राज्य सरकार अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम द्वारा किसानों को 6 – 6 हजार रु. की वार्षिक आय सहायता दी जा रही है, कर्नाटक में इसके साथ किसानों को चार-चार हजार रु. की अतिरिक्त आय सहायता भी दी जा रही है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बहुसंख्यक छोटे किसानों की क्षमता वृद्धि के उद्देश्य से देश में 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की शुरूआत की है, जिस पर 6,865 करोड़ रु. भारत सरकार खर्च कर रही हैं। उन्होंने देशभर के साथ ही कर्नाटक में नए एफपीओ गठित किए जाने में उत्साहपूर्ण योगदान की प्रशंसा की। श्री तोमर ने कहा कि कृषि को उन्नत व कृषक को समृद्ध बनाने के लिए ऐसे अनेक कार्यक्रम केंद्र द्वारा प्रारंभ किए गए हैं।

समारोह में श्री तोमर ने विभिन्न श्रेणियों में अवार्ड प्रदान किए। इस अवसर पर केंद्रीय रसायन और उर्वरक एवं नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री भगवंत खूबा, उ.प्र. के कृषि मंत्री श्री सूर्यप्रताप सिंह शाही व उद्यानिकी मंत्री श्री दिनेश प्रताप सिंह, कर्नाटक के कृषि मंत्री श्री बी.सी. पाटिल उपस्थित थे।

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‘पराक्रम दिवस’ पर 500 केन्‍द्रीय विद्यालयों में राष्ट्रव्यापी चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी

मुख्य विशेषताएं

– नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर 23 जनवरी, 2023 को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है जिससे छात्रों को महान नेता के जीवन पर प्रेरित किया जा सके और उनमें देशभक्ति की भावना जगाई जा सके।

– प्रतियोगिता की विषय वस्‍तु ‘एग्जाम वॉरियर’ बनने के बारे में है, जो प्रधानमंत्री द्वारा लिखित पुस्तक पर आधारित है।

– इसमें कुल 50,000 छात्रों के हिस्‍सा लेने की उम्मीद है।

छात्रों के बीच परीक्षा के तनाव से निपटने के लिए एक अनूठी पहल परीक्षा पे चर्चा 2023 के लिए 23 जनवरी, 2023 को देश भर के 500 विभिन्न केन्‍द्रीय विद्यालयों (केवी) में एक राष्ट्रव्यापी चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। महान नेता के जीवन पर छात्रों को प्रेरित करने और उनमें देशभक्ति की भावना जगाने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

छात्रों की रचनाशील अभिव्यक्तियों को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा कल चित्रकला प्रतियोगिता सहित पूरे देश के विद्यालयों में विभिन्न प्रकार के कार्यकलापों का आयोजन किया जा रहा है।

चित्रकला प्रतियोगिता में विभिन्न सीबीएसई विद्यालयों के छात्रों, राज्य बोर्डों, नवोदय विद्यालयों और केन्‍द्रीय विद्यालयों के छात्रों द्वारा विचारों की इस अनूठी रचनाशील अभिव्यक्ति में विविध प्रकार की सहभागिता किए जाने की उम्मीद है। प्रतियोगिता की विषय वस्‍तु ‘एग्जाम वॉरियर’ बनने के बारे में है, जो प्रधानमंत्री द्वारा लिखित पुस्तक पर आधारित है।

इस चित्रकला प्रतियोगिता में पूरे देश के कुल 50 हजार छात्रों के भाग लेने की उम्मीद है। नोडल केन्द्रीय विद्यालय, जहां कार्यक्रम आयोजित किया जाना है, इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले विभिन्न विद्यालयों के 100 छात्र होंगे। मुख्‍य रूप से राज्य बोर्ड के समीपवर्ती विद्यालयों और जिले के सीबीएसई विद्यालयों से 70 छात्रों को आमंत्रित किया गया है, 10 प्रतिभागी नवोदय विद्यालय से और 20 छात्र नोडल केवी तथा आसपास के केवी के होंगे, यदि जिले में कोई और केवी हो।

पांच सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों को स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर पुस्तकों के एक सेट और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाएगा। इस चित्रकला प्रतियोगिता की छात्रों और शिक्षकों को उत्‍साहपूर्वक प्रतीक्षा रहती है।

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प्रधानमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के मुख्य न्यायाधीश के विचार का स्वागत किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के बारे में भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई.चंद्रचूड़ के विचार की सराहना की है।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया;

‘हाल ही में आयोजित एक समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की आवश्यकता के बारे में चर्चा की। उन्होंने इसके लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया। यह एक प्रशंसनीय विचार है, जिससे अनगिनत लोगों, विशेषकर युवाओं को काफी मदद मिलेगी।’

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा,

‘भारत में अनगिनत भाषाएं हैं, जो हमारी सांस्कृतिक जीवंतता को काफी हद तक बढ़ा देती हैं। केंद्र सरकार भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए अथक प्रयास कर रही है, जिसमें इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे विषयों को संबंधित विद्यार्थि‍यों की मातृ भाषा में पढ़ने का विकल्प देना भी शामिल है।’

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गणतंत्र दिवस परेड 2023 के दौरान 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और 6 विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की कुल तेईस झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी

26 जनवरी,2023 को कर्तव्‍य पथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड के दौरान 17 राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 23 झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी। इनके अलावा परेड में केन्‍द्रीय मंत्रालयों तथा विभागों की छह झांकियां भी शामिल होंगी। इन झांकियों में देश की समृद्ध सांस्‍कृतिक धरोहर, आर्थिक और सामाजिक प्रगति तथा आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा को दर्शाया जाएगा।

इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड के दौरान देश की भौगोलिक और समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हुए को विभिन्न सफलताओं को प्रदर्शित किया जाएगा। 17 झांकियां असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, दादर नगर हवेली तथा दमन व दीव, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल जैसे राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों की ऐतिहासिक विरासत वाली झलक प्रस्तुत करेंगी।

संस्कृति मंत्रालय, गृह मंत्रालय (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल), गृह मंत्रालय (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो), आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग), जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से आने वाली छह झांकियां पिछले कुछ वर्षों में किए गए कार्यों व उपलब्धियों को दर्शाएंगी।

गणतंत्र दिवस परेड के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों का चयन आंचलिक आधार पर किया गया है, जिसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को छह मंडलों उत्तरी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र और पूर्वोत्तर क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है। आम तौर पर, गणतंत्र दिवस परेड के लिए प्रत्येक क्षेत्र के आनुपातिक परिमाण के आधार पर राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों से लगभग 15 झांकियों का चयन किया जाता है।

चयन प्रक्रिया में एक विशेषज्ञ समिति द्वारा विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों के प्रस्तावों की जांच की गई। इसके अलावा समिति के सदस्यों द्वारा झांकी की विषय-वस्तु, प्रस्तुति, कलात्मक प्रदर्शन और तकनीकी अंशों पर राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की बातचीत भी हुई थी।

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राष्ट्रपति छह श्रेणियों में असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले 11 बच्चों को कल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 प्रदान करेंगी

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू कल यानी  23 जनवरी, 2023 को विज्ञान भवन में पुरस्कार वितरण समारोह में 11 असाधारण बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, 2023 प्रदान करेंगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 जनवरी, 2023 को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं के साथ बातचीत करेंगे।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी 24 जनवरी, 2023 को राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई की उपस्थिति में बच्चों के साथ बातचीत करेंगी और उन्हें उनकी संबंधित श्रेणियों में उनके अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए बधाई देंगी।

भारत सरकार बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) पुरस्कार प्रदान करती है। यह पुरस्कार 5 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को छह श्रेणियों – कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, शैक्षिक, सामाजिक सेवा और खेल में उनकी उत्कृष्टता के लिए प्रदान किया जाता है, जो राष्ट्रीय मान्यता के पात्र हैं। पीएमआरबीपी के प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार और एक प्रमाणपत्र दिया जाता है।

इस वर्ष प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार देश के सभी क्षेत्रों से चुने गए 11 बच्चों को कला और संस्कृति (4), वीरता (1), नवाचार (2), समाज सेवा (1), और खेल (3) के क्षेत्र में उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए प्रदान किया जा रहा है।

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णतंत्र दिवस समारोह 2023 में नए कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित

राष्ट्र 26 जनवरी, 2023 को अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। समारोह में कर्तव्य पथ पर पारंपरिक मार्च पास्ट शामिल है, जिसमें सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों द्वारा एक भव्य परेड शामिल है, राज्यों और केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा झांकी का प्रदर्शन; विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह के अलावा बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां, मोटरसाइकिल सवारों की कलाबाजियां और एक फ्लाई पास्ट तथा प्रधानमंत्री की एनसीसी रैली शामिल है।

रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने ने 18 जनवरी, 2023 को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की जनभागीदारी की परिकल्‍पना को प्रतिबिंबित करते हुए समारोहों की योजना बनाई गई है। गणतंत्र दिवस समारोह महान राष्ट्रीय नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को शुरू होकर 30 जनवरी को शहीद दिवस पर समाप्‍त होने के साथ सप्ताह भर चलेगा। यह समारोह आईएनए के दिग्गजों, लोगों और आदिवासी समुदायों को श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था।

इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में अनेक नए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इनमें सैन्य टैटू और जनजातीय नृत्य उत्सव, वीर गाथा 2.0, वंदे भारतम नृत्य प्रतियोगिता का दूसरा संस्करण, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर सैन्य और तटरक्षक बैंड का प्रदर्शन; राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक में अखिल भारतीय स्कूल बैंड प्रतियोगिता, बीटिंग द रिट्रीट समारोह के दौरान एक ड्रोन शो और प्रोजेक्शन मैपिंग। कार्यक्रमों का विवरण इस प्रकार है :

सैन्य टैटू और जनजातीय नृत्य महोत्सव

गणतंत्र दिवस समारोह के अंतर्गत और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती (पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाती है) के अवसर पर, नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 23 और 24 जनवरी, 2023 को एक सैन्य टैटू और जनजातीय नृत्य उत्सव ‘आदि-शौर्य – पर्व पराक्रम का’ आयोजित किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें भारतीय तट रक्षक समन्वय एजेंसी है। इस दौरान 10 सैन्य टैटू प्रदर्शन और 20 जनजातीय नृत्य देखने को मिलेंगे।

अपनी अनूठी और रंगीन वेशभूषा, हेडड्रेस, संगीत वाद्ययंत्रों और लयबद्ध नृत्य बीट्स के साथ 1,200 से अधिक कलाकार प्रतिदिन रिहर्सल में अपनी कला को बेहतर करने में लगे हुए हैं। मुख्य कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत किए जाने वाले पारंपरिक नृत्य रूपों में गौर मारिया, गद्दी नटी, सिद्दी धमाल, बैगा परधोनी, पुरुलिया, बगुरूम्बा, घुसादी, बाल्टी, लम्बाडी, पाइका, राठवा, बूदीगली, सोंगीमुखवाटे, कर्मा, मंघो, का शाद मस्तीह, कुम्मीकली, पलैयार, चेराव और रेखम पाडा शामिल हैं।

भारतीय सशस्त्र बल हॉर्स शो, खुकुरी नृत्य, गतका, मल्लखंब, कलारीपयट्टू, थंग-टा, मोटरसाइकिल प्रदर्शन, वायु योद्धा ड्रिल, नेवी बैंड और मार्शल आर्ट का प्रदर्शन करेंगे। देश भर के 20 जनजातीय नृत्य समूह सैन्य टैटू कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शन करेंगे। इस कार्यक्रम में लगभग 60,000 दर्शकों के भाग लेने की उम्मीद है।

ग्रैंड फिनाले में प्रसिद्ध पार्श्व गायक श्री कैलाश खेर का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम के लिए प्रवेश निःशुल्क है। टिकट www.bookmyshow.com.पर उपलब्ध हैं।

वंदे भारतम 2.0

वंदे भारतम नृत्य प्रतियोगिता का दूसरा संस्करण आरडीसी 2023 के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था। 15 अक्टूबर से 10 नवम्‍बर, 2022 तक 17-30 वर्ष के आयु वर्ग के प्रतिभागियों से लोक/आदिवासी, शास्त्रीय और समकालीन शैलियों में प्रविष्टियां मांगी गई थीं। संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्‍द्रों द्वारा 17 नवम्‍बर से 10 दिसम्‍बर, 2022 तक राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश स्तर और क्षेत्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।

ग्रैंड फिनाले 19 और 20 दिसम्‍बर, 2022 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसमें 980 नर्तकियों ने भाग लिया था। उनमें से 503 नर्तकियों को एक जूरी द्वारा चुना गया था। ये नर्तकियां गणतंत्र दिवस परेड के दौरान ‘नारी शक्ति’ की विषय वस्‍तु पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्‍तुत करेंगी।

वीर गाथा 2.0

वीर गाथा, पिछले साल ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक भाग के रूप में शुरू की गई अनूठी परियोजनाओं में से एक थी, जिसका आयोजन सशस्त्र बलों के वीरतापूर्ण कार्यों और बलिदानों के बारे में बच्चों को प्रेरित करने और जागरूकता फैलाने के लिए किया गया था। इस साल भी, तीनों सेनाओं ने वीरता पुरस्कार विजेताओं के साथ स्कूली बच्चों की वर्चुअल और आमने-सामने बातचीत का आयोजन किया और छात्रों (तीसरी से 12 वीं कक्षा तक) ने कविता, निबंध, पेंटिंग, मल्टीमीडिया प्रस्तुति आदि के रूप में अपनी प्रविष्टियाँ जमा कीं। इनका मूल्यांकन एक राष्ट्रीय समिति द्वारा किया गया, जिसने सुपर-25 का चयन किया। विजेताओं को 25 जनवरी, 2023 को नई दिल्ली में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा सम्मानित किया जाएगा। ये विजेता गणतंत्र दिवस परेड में भी शामिल होंगे।

झांकियां

गणतंत्र दिवस परेड के दौरान देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक और सामाजिक प्रगति और मजबूत आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को दर्शाती तेईस झांकियां-राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों से 17 और विभिन्न मंत्रालयों/विभागों से छह झांकियां कर्तव्‍य पथ पर देखने को मिलेंगी।

भारत पर्व

जनभागीदारी विषय को दर्शाते हुए, पर्यटन मंत्रालय द्वारा 26-31 जनवरी, 2023 तक दिल्ली के लाल किले के सामने ज्ञान पथ पर ‘भारत पर्व’ का आयोजन किया जाएगा। इसमें गणतंत्र दिवस की झांकी, सैन्य बैंड के प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पैन इंडिया फूड कोर्ट और क्राफ्ट बाजार का प्रदर्शन किया जाएगा।

ई-आमंत्रण

इस वर्ष, मेहमानों और दर्शकों को निमंत्रण कार्डों के स्‍थान पर ई-निमंत्रण दिए गए हैं। इस उद्देश्य के लिए, एक समर्पित पोर्टल www.amantran.mod.gov.in शुरू किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से टिकटों की बिक्री, प्रवेश पत्र, निमंत्रण पत्र और कार पार्किंग लेबल ऑनलाइन जारी किए जा रहे हैं। यह पूरी प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और कागज रहित बनाना सुनिश्चित करेगा और देश के सभी हिस्सों के लोग इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेने में सक्षम हो सकेंगे।

विशेष निमंत्रण

इस वर्ष समाज के सभी वर्गों के आम लोगों को निमंत्रण भेजा गया है जैसे कि सेंट्रल विस्टा, कर्तव्य पथ, नए संसद भवन के निर्माण में शामिल श्रमयोगी, दूध, सब्जी विक्रेता, स्ट्रीट वेंडर आदि। इन विशेष आमंत्रितों को कर्तव्य पथ पर प्रमुखता से बैठाया जाएगा।

राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक में स्कूल बैंड का प्रदर्शन

बच्चों के बीच अनुशासन, टीमवर्क और राष्ट्रीय गौरव के मूल्यों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिस्पर्धा करने और प्रदर्शन करने के लिए गणतंत्र दिवस तक विभिन्न स्कूलों के लिए एक अखिल भारतीय स्कूल बैंड प्रतियोगिता आयोजित की गई। शिक्षा मंत्रालय के साथ रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में 300 से अधिक स्कूलों ने भाग लिया। आठ स्कूल बैंड चुने गए, जिन्होंने 15 जनवरी से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शन 22 जनवरी तक जारी रहेगा।

ड्रोन शो

भारत में सबसे बड़ा ड्रोन शो, जिसमें 3,500 स्वदेशी ड्रोन शामिल हैं, रायसीना की पहाड़ियों पर शाम के आसमान को रोशन करेगा, सहज तालमेल के माध्यम से राष्ट्रीय आकृतियों/कार्यक्रमों के असंख्य रूपों को गूंथेगा। यह स्टार्ट-अप इकोसिस्‍टम की सफलता, देश के युवाओं तकनीकी कौशल को दर्शाता है और भविष्य के पथ-प्रदर्शक रुझानों के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। इस कार्यक्रम का आयोजन मैसर्स बोटलैब्स डायनेमिक्स द्वारा किया जाएगा।

एनामॉर्फिक प्रोजेक्‍शन

बीटिंग रिट्रीट समारोह 2023 के दौरान नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के अग्रभाग पर पहली बार 3-डी एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन का आयोजन किया जाएगा।

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ट्राई ने ‘भारत में समुद्र के नीचे केबल बिछाने के लिये लाइसेंस देने के प्रारूप और नियामक प्रणाली’ विषयक परामर्श-प्रपत्र पर टिप्पणियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि बढ़ाई

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 23 दिसंबर, 2022 को लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क एंड रेगुलेटरी मैकेनिज्म फॉर सबमेरीन केबल लैंडिंग इन इंडिया (भारत में समुद्र के नीचे केबल बिछाने के लिये लाइसेंस देने के प्रारूप और नियामक प्रणाली) पर एक परामर्श-प्रपत्र जारी किया था। परामर्श-प्रपत्र में उठाये गये मुद्दों पर हितधारकों से टिप्पणियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि 20 जनवरी, 2023 तथा विपक्ष में टिप्पणियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि तीन फरवरी, 2023 निर्धारित की गई थी।

हितधारकों/संघों ने पक्ष-विपक्ष में टिप्पणियां जमा करने का समय बढ़ाने के बारे में जो आग्रह किया था, उसे ध्यान में रखते हुये यह तय किया गया कि पक्ष-विपक्ष में टिप्पणियां जमा करने की तिथि क्रमशः 10 फरवरी, 2023 और 24 फरवरी, 2023 कर दी जाये। पक्ष-विपक्ष में टिप्पणियां इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में  advbbpa@trai.gov.in पर और उसकी प्रति jtadvbbpa-1@trai.gov.in पर भेजी जा सकती हैं। आगे और स्पष्टीकरण/सूचना प्राप्त करने के लिये श्री संजय कुमार शर्मा, सलाहकार (ब्रॉडबैंड और नीति विश्लेषक), टीआरएआई से टेलीफोन नं. +91-11-23236119 पर संपर्क किया जा सकता है।

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