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केंद्रीय मंत्रीअर्जुन राम मेघवाल ने मंगोलिया से वापस लाए गए भगवान बुद्ध के पवित्र कपिलवस्तु अवशेष प्राप्त किए

मंगोलियाई बुद्ध पूर्णिमा महोत्सव के तहत मंगोलिया के गंडन बौद्ध विहार परिसर ​स्थित बत्सगान मंदिर में 12 दिनों तक प्रदर्शित होने के बाद भगवान बुद्ध के चार पवित्र अवशेष अब भारत वापस आ गए। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने आज गाजियाबाद में इन पवित्र अवशेषों को प्राप्त किया। मंगोलियाई लोगों की जबरदस्त मांग पर पवित्र अवशेषों के प्रदर्शन की अवधि कुछ दिनों के लिए बढ़ानी पड़ी।

मंगोलिया के राष्ट्रपति, मंगोलियाई संसद के अध्यक्ष, मंगोलिया के विदेश मंत्री, संस्कृति मंत्री, पर्यटन मंत्री, ऊर्जा मंत्री, 20 से अधिक सांसद, मंगोलिया के 100 से अधिक बौद्ध विहार के शीर्ष मठाधीश उन हजारों लोगों में शामिल थे जिन्होंने गंडन बौद्ध विहार परिसर ​स्थित बत्सगान मंदिर में 12 दिनों तक की इस प्रदर्शनी के दौरान अवशेषों को अपनी श्रद्धांजलि दी। महोत्सव के अंतिम दिन मंगोलिया के आंतरिक संस्कृति मंत्री अनुष्ठान के लिए उपस्थित थे।

 

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प्रदर्शनी के पहले दिन (14 जून को) लगभग 18 से 20 हजार भक्तों ने पवित्र बुद्ध अवशेषों को श्रद्धांजलि दी। कार्य दिवसों के दौरान औसतन 5 से 6 हजार श्रद्धालुओं ने गंडन बौद्ध विहार का दौरा किया जबकि सप्ताहांत के दौरान औसतन 9 से 10 हजार श्रद्धालुओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। अंतिम दिन लगभग 18 हजार श्रद्धालुओं ने पवित्र अवशेषों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गंडन बौद्ध विहार का दौरा किया। समापन के दिन आंतरिक संस्कृति मंत्री अनुष्ठान के लिए उपस्थित थे।

पवित्र बुद्ध अवशेषों को ‘कपिलवस्तु अवशेष’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि उनकी खोज 1898 में बिहार की एक जगह से की गई थी जिसे कपिलवस्तु का प्राचीन शहर माना जाता है। इन अवशेषों को राजकीय अतिथि का दर्जा दिया गया था और उन्हें उसी नियंत्रण परिवेश में रखा गया था जैसा वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है। एक विशेष हवाई जहाज सी-17 ग्लोब मास्टर के जरिये इन पवित्र अवशेषों को भारत वापस लाया गया है। वर्ष 2015 में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मंगोलिया यात्रा के दौरान श्री नरेन्द्र मोदी ने गंडन मठ का दौरा किया था और हंबा लामा को एक बोधि वृक्ष का पौधा भी भेंट किया था। दोनों देशों के बीच सदियों पुराने बौद्ध संबंधों की ओर इशारा करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने मंगोलियाई संसद को संबोधित करते हुए भारत और मंगोलिया को आध्यात्मिक पड़ोसी बताया था। पिछली बार 2012 में इन अवशेषों को देश से बाहर ले जाया गया था। उस दौरान श्रीलंका में कई स्थानों पर उन्हें प्रदर्शित किया गया था। हालांकि बाद में दिशानिर्देश जारी किए गए और इन पवित्र अवशेषों को ‘एए’ श्रेणी के पुरावशेष एवं कला खजाने के तहत रखा गया ताकि इन अवशेषों की नाजुक प्रकृति को देखते हुए उन्हें प्रदर्शनी के लिए देश से बाहर न ले जाया जा सके।

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आयकर विभाग ने राजस्थान और मुंबई में छापामारी अभियान चलाया

आयकर विभाग ने 16 जून, 2022 को कुछ सर्राफा कारोबारियों के साथ हस्तशिल्प की खुदरा व निर्यात बिक्री, नकद वित्तीय पोषण और भूमि व आवासों की खरीद व बिक्री में शामिल एक कारोबारी समूह के खिलाफ छापामारी और जब्ती अभियान चलाया। इसके तहत राजस्थान और मुंबई में फैले 25 से अधिक परिसरों पर छापामारी की गई। इस छापामारी अभियान के दौरान कई दोषी ठहराने योग्य दस्तावेज मिले हैं और इन्हें जब्त किया गया है। इन जब्त किए गए साक्ष्यों को देखने से इसके संकेत मिलते हैं कि समूह ने अचल संपत्ति के कारोबार में बेहिसाब नकद लेनदेन के साथ-साथ फर्जी खरीद बिल प्राप्त किए। इस समूह की कार्यप्रणाली सर्राफा कारोबारियों से प्राप्त सोने और चांदी के फर्जी बिलों के जरिए लेखा-बही में खरीद को बढ़ाकर हस्तशिल्प व्यवसाय के लाभ को छिपाने की रही है। छापामारी के दौरान यह भी पाया गया है कि इन सर्राफा कारोबारियों को जारी किए गए चेक के बदले नकद वापस मिल गया है। इस नकदी का उपयोग रियल एस्टेट में निवेश के साथ-साथ लेखा- बही में क्रेडिट के रूप में प्रस्तुत किए जाने वाले चेक प्राप्त करने के लिए किया गया था। इसके अलावा इन जब्त किए गए साक्ष्यों से यह भी पता चला है कि समूह ने हाल ही में समायोजन (इंट्री) परिचालकों के जरिए कुछ फर्जी कंपनियों का अधिग्रहण किया था। इस छापामारी अभियान में 1.30 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब नकदी और 7.90 करोड़ रुपये से अधिक के बेहिसाब सोने के आभूषण जब्त किए गए हैं। शुरुआती जांच में अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय का पता चला है। इस मामले में आगे की जांच जारी है।

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एक साथ 78,220 तिरंगे लहराकर भारत ने बनाया विश्व रिकार्ड

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भारत ने एक साथ सबसे ज़्यादा राष्ट्रीय ध्वज लहराने का रिकॉर्ड बनाया है। 23 अप्रैल 2022 को बिहार के भोजपुर के जगदीशपुर स्थित दुलौर मैदान में वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम में 78 हज़ार 220 तिरंगे झंडों को एक साथ लहराकर भारत ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया।

मौका था जगदीशपुर के तत्कालीन राजा वीर कुंवर सिंह का अंग्रेजों के खिलाफ विजय प्राप्त करने का, जिन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक माना जाता है। यह कार्यक्रम भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत गृह मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने आयोजित किया था।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों के सामने बनाये गए इस रिकॉर्ड के लिए कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की भौतिक पहचान के लिए बैंड पहनाए गए थे और पूरे कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई थी।

केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कल्पना की है कि 2047 में पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में भारत शीर्ष पर होना चाहिए और वीर कुंवर सिंह जी जैसे सभी वीर सेनानियों को यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है। बाबू कुंवर सिंह जी बहुत बड़े समाज सुधारक भी थे और उन्होंने पिछड़े और दलितों का कल्याण करने का एक विचार उस जमाने में देश के सामने रखा। इतिहास ने बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया, उनकी वीरता, योग्यता, बलिदान के अनुरूप उन्हें इतिहास में स्थान नहीं दिया गया, लेकिन आज बिहार की जनता ने बाबू जी को श्रद्धांजलि देकर वीर कुंवर सिंह का नाम एक बार फिर इतिहास में अमर करने का काम किया है

बाबु वीर कुंवर सिंह 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे, जिन्होंने लगभग 80 वर्ष की उम्र में भी विदेशी हुकूमत का डट कर मुकाबला किया। वे जगदीशपुर के परमार राजपूतों के उज्जयिनी वंश के परिवार से संबंधित थे, जो वर्तमान में भोजपुर जिले, बिहार, भारत का एक हिस्सा है। 80 साल की उम्र में, उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की कमान के तहत सैनिकों के खिलाफ सशस्त्र सैनिकों के एक चयनित बैंड का नेतृत्व किया। वह बिहार में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के मुख्य नायक थे। उन्हें वीर कुंवर सिंह के नाम से जाना जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री आरके सिंह, श्री अश्विनी चौबे और श्री नित्यानंद राय मौजूद रहे। इनके अलावा उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी की भी उपस्थिति रही। सभी ने हज़ारों की तादाद में जुटे आमजन के साथ मिलकर एक साथ पांच मिनट तक तिरंगा लहराया और राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ का गायन किया।

 

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प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के दाहोद और पंचमहाल में 22,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज दाहोद में आदिजाति महासम्मेलन में भाग लिया, जहां उन्होंने लगभग 22,000 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने 1,400 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने दाहोद जिला दक्षिणी क्षेत्र में क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना का उद्घाटन किया, जिसे नर्मदा नदी बेसिन पर लगभग 840 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। यह योजना दाहोद जिले के लगभग 280 गांवों और देवगढ़ बरिया शहर की जलापूर्ति की जरूरतों को पूरा करेगी। प्रधानमंत्री ने दाहोद स्मार्ट सिटी की पांच परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया, जिन्हें लगभग 335 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। इन परियोजनाओं में एकीकृत आदेश व नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) भवन, तेज प्रवाह जल निकासी प्रणाली, सीवरेज कार्य, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली और वर्षा जल संचयन प्रणाली शामिल हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पंचमहाल और दाहोद जिले के 10,000 आदिवासियों को 120 करोड़ रुपये के लाभ प्रदान किये गए। प्रधानमंत्री ने 66 केवी घोड़िया सबस्टेशन, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी आदि का भी उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने दाहोद स्थित उत्पादन इकाई में 9,000 एचपी विद्युत रेल इंजन के निर्माण की आधारशिला भी रखी। इस परियोजना की लागत करीब 20,000 करोड़ रुपये है। दाहोद कार्यशाला को भाप इंजनों की एक निश्चित अवधि के बाद की जाने वाली सम्पूर्ण मरम्मत के लिए 1926 में स्थापित किया गया था, जिसका अब अवसंरचना संबंधी सुधारों के साथ विद्युत रेल इंजन निर्माण इकाई के रूप में उन्नयन किया जाएगा। यह 10,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री ने लगभग 550 करोड़ रुपये की राज्य सरकार की विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। इनमें शामिल हैं- करीब 300 करोड़ रुपये की जलापूर्ति से संबंधित परियोजनाएं, 175 करोड़ रुपये की दाहोद स्मार्ट सिटी परियोजनाएं, दुधिमती नदी परियोजना से संबंधित कार्य, घोड़िया में जीईटीसीओ सबस्टेशन आदि। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, श्रीमती दर्शना जरदोश, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल और गुजरात सरकार के कई मंत्री उपस्थित थे।

इस अवसर पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्थानीय आदिवासी समुदाय के साथ  अपने लंबे जुड़ाव को याद किया। उन्होंने राष्ट्र सेवा की ओर उन्हें प्रेरित करने का श्रेय इस समुदाय के लोगों के आशीर्वाद को दिया। उन्होंने एक ऐसे परिदृश्य के निर्माण का श्रेय भी इन समुदाय के समर्थन और आशीर्वाद को दिया जिसमें केंद्र और राज्य में डबल इंजन की सरकार द्वारा आदिवासी समुदायों और विशेष रूप से महिलाओं की सभी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज जिन परियोजनाओं का उद्घाटन हुआ है उनमें एक पेयजल से जुड़ी योजना है और दूसरी दाहोद को स्मार्ट सिटी बनाने से जुड़ी परियोजना है। इन दोनों परियोजनाओं से इस इलाके की माताओं और बेटियों का जीवन आसान होगा। उन्होंने कहा कि दाहोद मेक इन इंडिया अभियान में योगदान देगा क्योंकि दाहोद स्थित उत्पादन इकाई में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से 9000 एचपी वाले इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव तैयार होने वाले हैं। उन्होंने याद किया कि कैसे दाहोद का रेलवे का इलाका मरता जा रहा था जब वो इस इलाके में सर्वेंट क्वार्टरों का दौरा किया करते थे। उन्होंने इस इलाके के रेलवे से संबंधित ढांचे को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया और आज उस सपने के साकार होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह विशाल निवेश इस इलाके के युवाओं को नए अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि रेलवे सभी पहलुओं में उन्नत हो रहा है और इस किस्म के उन्नत लोकोमोटिव का निर्माण भारत के कौशल का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की विदेशों में मांग बढ़ रही है। इस मांग को पूरा करने में दाहोद बड़ी भूमिका निभाएगा। भारत अब दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है जो 9 हजार हॉर्स पावर के शक्तिशाली लोको बनाता है।”

गुजराती में संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रगति की इस यात्रा में हमारी माताएं और बेटियां पीछे न रह जाएँ। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी वजह से सरकार की सभी योजनाओं के केंद्र में महिलाओं के जीवन को आसान बनाना और उनका सशक्तिकरण करना है। उन्होंने महिलाओं को सबसे पहले प्रभावित करने वाली पानी की कमी की समस्या का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार इसलिए हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले कुछ वर्षों में छह करोड़ परिवारों को नल के पानी की सुविधा मिली है। गुजरात में पांच लाख आदिवासी परिवारों को नल के पानी की सुविधा मिल चुकी है। आने वाले दिनों में इस अभियान को और तेज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महामारी और युद्धों के कठिन दौर में, सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग जैसे कमजोर समुदायों और प्रवासी मजदूरों के कल्याण को सुनिश्चित किया। यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी गरीब परिवार भूखा न सोए और 80 करोड़ से अधिक लोगों को दो साल से अधिक समय से मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने इस संकल्प को दोहराया कि प्रत्येक आदिवासी परिवार के पास शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली, पानी के कनेक्शन से लैस एक पक्का घर होना चाहिए। उनके गांव में स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र, शिक्षा, एंबुलेंस और सड़कों की सुविधा होनी चाहिए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र और राज्य की सरकार अथक प्रयास कर रही हैं। उन्होंने लाभार्थियों को प्राकृतिक खेती जैसी राष्ट्र सेवा से जुड़ी परियोजनाओं में शामिल होते देख अपार प्रसन्नता व्यक्त की। सरकार ने सिकल सेल रोग की समस्या के समाधान की ओर भी ध्यान दिया है।

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि कई वास्तविक स्वतंत्रता सेनानियों को वह उचित सम्‍मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा जैसे श्रद्धेय सेनानियों को दिए गए उचित सम्‍मान के बारे में बताया। उन्होंने स्थानीय शिक्षकों से दाहोद में हुए नरसंहार के बारे में पढ़ाने को कहा जो जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसा ही था, ताकि नई पीढ़ी को इन घटनाओं के बारे में पता चल सके। उन्होंने उन बीते दिनों से तुलना करते हुए इस क्षेत्र में हुई उल्‍लेखनीय प्रगति के बारे में भी चर्चा की जब एक भी विज्ञान स्कूल वहां नहीं था। अब वहां मेडिकल व नर्सिंग कॉलेज खुल रहे हैं, युवा पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं और एकलव्य मॉडल स्कूल खोले जा रहे हैं। जनजातीय अनुसंधान संस्थानों की संख्या में काफी हद तक वृद्धि हो चुकी है। उन्होंने स्‍मरण किया कि किस तरह से 108 केंद्रों में सर्पदंश के लिए इंजेक्शन दिया जा रहा है।

अपने संबोधन के आखिर में उन्होंने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के वर्ष में उन 75 सरोवरों के लिए अपना अनुरोध दोहराया जिन्‍हें इस जिले में बनाया जाना है।

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उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने जम्मू और कश्मीर में एक जिला एक उत्पाद के तहत विशाल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन आयोजित किया

जम्मू और कश्मीर व्यापार संवर्धन संगठन (जेकेटीपीओ) के सहयोग से उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के ‘एक जिला एक उत्पाद’ पहल के तहत व्यापार को बढ़ावा देने और बाजार संपर्क बनाने की दृष्टि से, जम्मू और कश्मीर में 21 अप्रैल 2022 को एक विशाल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया।

क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में 8,000 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व वाले कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों की उपस्थिति रही और उनके उत्पाद दुनियाभर में एक मिलियन से अधिक खुदरा दुकानों पर उपलब्ध हैं। जम्मू और कश्मीर के विभिन्न जिलों के विक्रेताओं, व्यापारियों, किसानों, एग्रीगेटर्स ने अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया जो घाटी की अद्वितीय चीजें हैं। इसमें विश्व प्रसिद्ध कश्मीरी केसर, हिमालयन व्हाइट बबूल शहद, लाल चमकदार किडनी बीन्स, ताजी उगाई गई जैविक सब्जियां और बहुत कुछ शामिल हैं।

क्रेता-विक्रेता सम्मेलन ने एक ऐसा मंच प्रदान किया, जहां विभिन्न सरकारी विभाग और संस्थान चयनित उत्पादों के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आए। जम्मू एवं कश्मीर कृषि और उद्योग विभाग बाजार की आवश्यकता के अनुसार गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। साथ ही किसानों की आय क्षमता में सुधार के लिए इस श्रेणी के सर्वश्रेष्ठ उत्पादों को प्रसिद्ध ब्रांडों के साथ जोड़ना अनिवार्य है। सभी हितधारकों के बीच सामूहिक चर्चा से केसर आधारित डेयरी उत्पादों, अखरोट आधारित बेकरी उत्पादों आदि जैसे उत्पादों की विविधता पर नए-नए विचार सामने आए। खरीदारों और विक्रेताओं के बीच व्यापार पर केंद्रित चर्चा की सुविधा प्रदान की गई, जिसके परिणामस्वरूप 1.2 करोड़ रुपये की धनराशि के 4 उत्पादों के लिए आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।

यह आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का प्रत्यक्ष परिणाम है। अपने एक जिला एक उत्पाद पहल के तहत, डीपीआईआईटी किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस तरह के जुड़ाव को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है। कृषि, कपड़ा, हस्तशिल्प और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में 700 से अधिक उत्पादों के साथ, ओडीओपी पहल के जरिए देश के हर जिले से एक उत्पाद का चयन, ब्रांड और प्रचार किया जाता है। समन्वय और सहयोगात्मक नेटवर्क तैयार करना इसकी मुख्य भूमिका है। व्यापार को बढ़ावा देने और सुविधा के लिए यह खरीदारों और विक्रेताओं की मदद करता है।

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने मुख्य संबोधन दिया। कार्यक्रम के दौरान सुमिता डावरा, अपर सचिव डीपीआईआईटी, नवीन कुमार चौधरी प्रधान सचिव कृषि उत्पादन और किसान कल्याण विभाग के अलावा जम्मू और कश्मीर सरकार के कृषि एवं बागवानी विभागों के विषय विशेषज्ञ आदि विभिन्न गणमान्य उपस्थित रहे।

क्रेता-विक्रेता सम्मेलन के साथ-साथ वेब आधारित बिक्री के जरिए व्यापार का विस्तार करने के लिए जम्मू-कश्मीर के विक्रेताओं का सहयोग करने को देश के एक प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा ई-कॉमर्स सत्र भी आयोजित किया गया। इससे पहले ओडीओपी पहल के माध्यम से बडगाम, कश्मीर से 6750 किलोग्राम सेब और 2000 किलोग्राम अखरोट कर्नाटक के खरीदारों को बेचा गया, जो पहले इसका आयात कर रहे थे। विभिन्न उत्पादों के अनूठे बिक्री प्रस्ताव (यूएसपी) की पहचान और सहयोग के माध्यम से, ओडीओपी पहल अपने विशाल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन के माध्यम से ऐसे प्रयासों को बड़े पैमाने पर दोहराने का प्रयास कर रही है।

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एसोसियेशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स ऑफ इण्डिया के तत्वावधान में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

जयपोर, उड़ीसा। एसोसियेशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स ऑफ इण्डिया के तत्वावधान में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस अवसर पर देश के लघु और मध्यम समाचार पत्रों के अनेक प्रकाशक/स्वामी सम्मिलित हुए और अपने अपने विचार व्यक्त किये। सम्मेलन को राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चन्दोला ने वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित किया और समाचार पत्रों की समस्याओं का निस्तारण कराने बल बल दिया। राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ0 अनन्त शर्मा ने प्रिंट मीडिया के सामने उपस्थित चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इतना ही नहीं उन्होंने सोशल मीडिया व नई टेक्नोलॉजी के जरिए कैसे इस से मुकाबला किया जा सकता है इस पर अपने विचार प्रकट किए। साथ ही उपभोक्ता जागरूकता में मीडिया की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। एसोसियेशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स ऑफ इण्डिया के इस राष्ट्रीय सम्मेलन में स्थानीय सांसद, उपकुलपति उपकुलपति, एसोसिएशन के महासचिव शंकर कतीरा, उड़ीसा राज्य इकाई के अध्यक्ष रबीरथ, विनोद महापात्रा, कोण्डलराव सेंडीरेड्डी, अरविन्द्र सिंह जादौन सहित, उत्तर प्रदेश से प्रदेश इकाई के अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार, धीरेंद्र मैथानी, और अतुल दीक्षित ने जूम के माध्यम से भाग लिया।

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कानपुर के समग्र विकास कार्यो की समीक्षा बैठक आयोजित

कानपुर 16 अप्रैल अध्यक्ष, उ0प्र0 विधान सभा सतीश महाना की अध्यक्षता में सर्किट हाउस के सभागार में कानपुर के समग्र विकास कार्यो की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।बैठक में परियोजना/कार्यवार विभागीय अधिकारियों से कार्यो के प्रगति की समीक्षा की गई।
उन्होने कानपुर नगर में रिंग रोड के निर्माण कार्य की समीक्षा करते हुये निर्देश दिये कि शहर में यातायात की जाम की समस्या से निपटने के लिये शहर से बाहर रिंग रोड से जुडने वाले सभी चार हाइवे पर चार बस स्टेशन ग्राम समाज की भूमि पर बनाये जाने हेतु भूमि का चिन्हिांकन कराने के निर्देश दिये तथा कार्यो का निरन्तर अनुश्रवण किये जाने के भी निर्देश दिये।इसके साथ ही औद्योगिक विकास उपयोग के लिये ग्राम समाज की भूमि का चिन्हीकरण कराने व संबंधित विभागों द्वारा आपस में समन्वय स्थापित कर रिंग रोड के आस-पास विकास कराने तथा कानपुर विकास प्राधिकरण की महायोजना में भी रिंग रोड का कार्य सम्मिलित किये जाने के निर्देश दियें।उन्होनें गड्डामुक्त मार्ग कराये जाने हेतु समस्त संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुये कहा कि सभी विभाग अपने से संबंधित मार्गो को अनिर्वाय रूप से सडकों को गड्डामुक्त कराये तथा सडक के दोनों ओर सर्विस लेन पर अवैध कब्जों को हटाकर उसे बनाया जायें।
एयरर्पोट टर्मिनल निर्माण की समीक्षा में नगर आयुक्त द्वारा अवगत कराया गया कि नाला निर्माण हेतु शासन को धनराशि का मांग पत्र प्रेिषत किया गया है तथा आन्तरिक जल निकासी हेतु 40 लाख रूपयें से कार्य कराये जाने हेतु कार्यवाही की जा रही है।गंगापुल से जाजमऊ व रामादेवी तक के मार्ग को प्राथमिकता के आधार पर जनहित में ठीक कराये जाने के निर्देश दियें।उन्होनें जनपद में पुल निर्माण कार्य की समीक्षा करते हुये करबिगंवा का पुल 30 जून,2022 तक प्रत्येक दशा में पूर्ण कराये जाने तथा कैण्ट पुल के अवशेष कार्य व सर्विस लेन का निर्माण कार्य भी पूणर््ा किये जाने के निर्देश सेतु निगम के अधिकारी को दियें।उन्होनें निर्माण किये जा रहे जयपुरिया रेलवे क्रंासिग के पुल पर विद्युत पोल के शिफिटिंग के कार्य को कराये जाने के भी निर्देश दियें।
उन्होनें नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित करते हुये कहा कि बारिश के मौसम के पहले शहर को जल भराव की समस्या से निजात दिलाने के लिये सभी नालों कह सफाई एवं सिल्ट सफाई का कार्य पूर्ण करा लिया जाए।उन्होंने सभी संबधित विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया कि ग्राम समाज, व सभी सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले भूमाफियाओं को चिन्हित करते हुये उनके विरूद्व कडी कार्यवाही की जायें।उन्होनें विद्युत विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिन किन्हीं स्थानों पर बांस बल्लियों में विद्युत केबिल लगें हैं,उन्हें तत्काल हटाकर विद्युत पोल स्थापित किये जायें।

उन्होनें नर्वल तहसील के अर्न्तगत निर्माण की जा रही सैमसी झील के सभी सम्पर्क मार्गो के चौडीकरण एवं मरम्मत कराये जाने तथा झील में पर्याप्त जल की उपलब्धता के संबंध में निर्देश दियें। शहर में यातायात को सुगम बनाने के लिये प्रमुख चौराहों को चिन्हित कर जाम की समस्या से निजात हेतु कार्यवाही किये जाने के निर्देश दियें।
बैठक मेें एम0एल0सी0 श्री अरूण पाठक,विधायक श्री सुरेन्द्र मैथानी,
मण्डलायुक्त, डा0 राजशेखर,जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा,संयुक्त पुलिस आयुक्त श्री आन्नद तिवारी,केडीए उपाध्यक्ष श्री अरविन्द सिंह,सीडीओ डा0महेन्द्र कुमार सहित सभी संबंधित अधिकारगण उपस्थित रहें।

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रक्षा मंत्रालय 08 APR 2022 3:31PM by PIB Delhi डीआरडीओ ने ओडिशा तट पर सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा 08 अप्रैल, 2022 को ओडिशा तट पर चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) बूस्टर तकनीक का सफल परीक्षण किया गया। इस दौरान परीक्षण के लिए इस्तेमाल की गई जटिल मिसाइल प्रणाली में शामिल सभी महत्वपूर्ण घटकों के विश्वसनीय कामकाज का सफलतापूर्वक प्रदर्शन हुआ और मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया गया।

एसएफडीआर-आधारित प्रपल्शन मिसाइलों को सुपरसोनिक गति से बहुत लंबी दूरी पर हवाई खतरों को रोकने में सक्षम बनाता है। आईटीआर द्वारा तैनात टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे कई रेंज इंस्ट्रूमेंट्स द्वारा प्राप्त किए गए डेटा से इस प्रणाली के सफल प्रदर्शन की पुष्टि हुई है। एसएफडीआर को हैदराबाद की रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं जैसे हैदराबाद की अनुसंधान केंद्र इमरत और पुणे की उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला के सहयोग से विकसित किया गया है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने एसएफडीआर के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ को बधाई दी है। उन्होंने इसे देश में विशेष मिसाइल प्रौद्योगिकियों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने डिजाइन, विकास और परीक्षण में शामिल टीमों की सराहना करते हुए कहा कि एसएफडीआर के सफल परीक्षण के साथ अब हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की सीमा को बढ़ाया जा सकता है।

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शासन द्वारा संचालित लाभकारी योजनाओं के लाभार्थियों के चिन्हांकन हेतु प्री कैम्प का आयोजन

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जनपद न्यायालय कानपुर नगर के तत्वाधान में शासन द्वारा संचालित लाभकारी योजनाओं के लाभार्थियों के चिन्हांकन हेतु प्री कैम्प का आयोजन हुआ संपन्न*
जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर *श्री मयंक कुमार जैन* द्वारा दिए गये दिशा- निर्देशों के अनुपालन में माह अप्रैल 2022 में प्रस्तावित विधिक सहायता एवं साक्षरता शिविर के आयोजन के पूर्व आज दिनांक 08.04.2022 को भारत सरकार द्वारा संचालित वयोश्री योजना तथा एडिप योजना के अन्तर्गत वृद्धजन एंव दिव्यांगजन को उनकी आवश्यकतानुसार निःशुल्क सहायक उपकरण वितरित करने के लिए एलिम्को टीम की उपस्थिति में शिविर का आयोजन अन्ध विद्यालय, नेहरू नगर कानपुर में आयोजित किया गया। जिसमें दिव्यांगजन अधिकारी श्री अखिलेश बाजपेयी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर के स्टाफ राज कुमार यादव, निहाल दिक्षित, व पी एल वी गोपाल गुप्ता, प्रभा पांडे, गोविंद मिश्रा, विशेष शिक्षक, दीपक यादव, गोविंद, एवं एलिम्को टीम से देवरति पॉल, अस्थि विशेषज्ञ, विनीत पांडे श्रवण विशेषज्ञ, शशांक शुक्ला कनिष्ठ सहायक आदि लोग उपस्थित रहे।
आयोजक: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर, उपकरण निर्माताः भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम, एलिम्को कानपुर।

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रक्षा मंत्रालय और मेसर्स भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरु ने लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूइट की खरीद के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय एवं भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सूइट की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध पूरा किया। रक्षा मंत्रालय और मैसर्स बीईएल के बीच आज यहां इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। अनुबंध की कुल लागत ₹ 1993 करोड़ होने का अनुमान है।

उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सूइट सिस्टम की आपूर्ति से वायुसेना के लड़ाकू विमानों की युद्ध की स्थितियों में प्रतिद्वंद्वियों के ज़मीन आधारित रडार के साथ-साथ एयरबोर्न फायर कंट्रोल और निगरानी रडार के विरुद्ध अभियानों के दौरान उत्तरजीविता में काफी वृद्धि होगी।

इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सुइट को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। परियोजना अनिवार्य रूप से आत्मनिर्भर भारत की भावना की प्रतीक है और आत्मनिर्भरता की ओर यात्रा साकार करने में मदद करेगी।

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