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फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए कृषि क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने के लिए कृषि अवसंरचना कोष की राशि 30,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है

कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के कार्यान्वयन के ढाई वर्ष के भीतर, इस योजना ने कृषि अवसंरचना कोष के अंतर्गत 15,000 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के साथ कृषि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं। 3 प्रतिशत ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता के समर्थन के साथ, 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के माध्यम से क्रेडिट गारंटी समर्थन और अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार के साथ अभिसरण की सुविधा के साथ कृषि अवसंरचना कोष योजना से किसानों, कृषि-उद्यमियों, किसान समूहों जैसे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) आदि और कई अन्य लोगों को फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और पूरे देश में सामुदायिक कृषि संपत्ति के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।

कर्नाटक के मांड्या जिले के योगेश सीबी ने उपभोक्ताओं की आवश्यकता और किसानों से प्राथमिक प्रसंस्कृत सब्जियों की आपूर्ति के बीच मांग आपूर्ति के अंतर को समझते हुए, सब्जियों के लिए एक प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना की तलाश कर रहे थे। उन्हें सरकार से उपलब्ध सहायता की तलाश करते हुए वर्ष 2020 में कृषि अवसंरचना कोष योजना के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने 1.9 करोड़ रुपये के ऋण के लिए कृषि अवसंरचना कोष पोर्टल पर आवेदन किया, जिसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सत्यापित किया गया और दिसंबर 2020 में बैंक ऑफ इंडिया द्वारा बहुत जल्दी स्वीकृत किया गया। वह कृषि अवसंरचना कोष की मदद से अपनी परिकल्पना को फलीभून करने में सफल रहे और इस प्रकार से अरियांत वेज प्राइवेट लिमिटेड अस्तित्व में आया। कृषि अवसंरचना कोष योजना के अंतर्गत प्रदान की गई ब्याज सहायता के माध्यम से वह केवल 5.45 प्रतिशत की प्रभावी ब्याज दर (आरओआई) पर ऋण प्राप्त करने में सक्षम था जो कि खुले बाजार दर से बहुत कम है। वर्तमान में, अरियांत वेज 250 से अधिक स्थानीय किसानों को बीज और गुणवत्ता वाली सब्जियां उगाने की तकनीक प्रदान करके उनका समर्थन करता है, फिर वे किसानों से उचित मूल्य पर उपज एकत्र करते हैं, जिसे बाद में दैनिक आधार पर अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले प्रसंस्करण केंद्र में साफ, क्रमबद्ध, वर्गीकृत और पैक किया जाता है।

इसी तरह से मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के एक किसान आनंद पटेल ने विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए, जिनके लिए कृषि मशीनरी सस्ती नहीं है, कृषि में मशीनीकरण के महत्व और आवश्यकता को महसूस किया। इसके बाद उन्होंने एक हाई-टेक केंद्र की स्थापना की जहां स्थानीय किसानों को किराये के आधार पर कृषि मशीनरी प्रदान की जाती है। इस हाई-टेक केंद्र में 12 कृषि मशीनरी हैं जिनमें कंबाइन हारवेस्टर, थ्रेशर, लेजर लैंड लेवलर, ट्रैक्टर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, मल्चर आदि शामिल हैं, जिनकी कीमत लगभग 60.82 लाख रुपये है जो श्री पटेल जैसे किसान के लिए बहुत अधिक लग रही थी। लेकिन कृषि अवसंरचना कोष और अन्य केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं के साथ सम्मिलन की इसकी अनूठी विशेषता के माध्यम से श्री पटेल न केवल 5.4 प्रतिशत की काफी कम ब्याज दर पर 45.62 लाख रुपये का ऋण प्राप्त करने में सक्षम थे बल्कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की कृषि मशीनीकरण (एसएमएएम) योजना पर उप-मिशन के अंतर्गत कुल परियोजना लागत के 40 प्रतिशत की पूंजीगत सब्सिडी का लाभ भी प्राप्त करने में सफल हुए। अब वह 100 से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को इन मशीनों की सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे उन्हें काफी मेहनत, समय और पैसा बचाने में मदद मिली है।

योगेश और आनंद कृषि अवसंरचना कोष के 20,000 से अधिक लाभार्थियों में से दो हैं, जिनका अपनी प्रोफ़ाइल में विविधता लाने और कृषि विकास में आगे बढ़ने का सपना कृषि अवसंरचना कोष की सहायता के माध्यम से सच हो गया है। कृषि अवसंरचना कोष अत्यंत आवश्यक कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण और आधुनिकीकरण के माध्यम से शांतिपूर्वक भारतीय कृषि के परिदृश्य को बदल रहा है। ये बुनियादी ढांचा परियोजनाएं फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने, कृषि पैकेज और प्रथाओं के आधुनिकीकरण में मदद कर रही हैं और इसके अलावा किसानों को उनकी उपज के बेहतर मूल्य की प्राप्ति में मदद कर रही हैं।

कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 8 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए शुरू की गई एक वित्तपोषण सुविधा है। इस योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जाने हैं और वर्ष 2032-33 तक ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता और क्रेडिट गारंटी सहायता दी जाएगी।