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स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत 7 वर्षों के दौरान 1,80,630 से अधिक खातों में 40,700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित

स्टैंड अप इंडिया योजना की शुरुआत 5 अप्रैल 2016 को आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। इस योजना को वर्ष 2025 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

ऊर्जावान, उत्साही एवं महत्वाकांक्षी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग और महिला उद्यमियों को अपने सपनों को साकार करने में पेश आने वाली विभिन्न चुनौतियों के तथ्य को स्वीकार करते हुए, स्टैंड-अप इंडिया का शुभारंभ महिलाओं और अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लोगों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और उन्हें विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र एवं कृषि से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित एक ग्रीनफील्ड उद्यम शुरू करने में मदद देने के लिए किया गया था।

इस अवसर पर, केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने कहा, “यह मेरे लिए बेहद गर्व और संतोष की बात है कि 1.8 लाख से अधिक महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए 40,600 करोड़ रुपये से अधिक राशि के ऋण स्वीकृत किए गए हैं।”

एसयूपीआई योजना की सातवीं वर्षगांठ के अवसर पर, केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “इस योजना ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है जिसने सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की शाखाओं से मिलने वाले ऋण के जरिए ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने में एक सहायक वातावरण के निर्माण को सुविधाजनक बनाया है और उसे जारी रखा है। स्टैंड-अप इंडिया योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई है।”

श्रीमती सीतारामन ने कहा कि स्टैंड-अप इंडिया योजना ने सुविधाओं से वंचित/कम सुविधा प्राप्त उद्यमियों के लिए परेशानी मुक्त किफायती ऋण सुनिश्चित करके कई लोगों के जीवन को संवारा है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना ने उभरते उद्यमियों की उद्यमशीलता संबंधी उड़ान में पंख दिए हैं और ये उभरते उद्यमी रोजगार के सृजनकर्ता बनकर आर्थिक विकास को गति देने और एक मजबूत इकोसिस्टम के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।

स्टैंड-अप इंडिया योजना की सातवीं वर्षगांठ के अवसर पर, केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड़ ने कहा, “स्टैंड-अप इंडिया योजना वित्तीय समावेशन के राष्ट्रीय मिशन के तीसरे स्तंभ पर आधारित है, जिसका नाम है “वित्त पोषण से वंचित लोगों का वित्त पोषण” (फंडिंग द अनफंडेड)। इस योजना ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की शाखाओं से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों के लिए निर्बाध ऋण प्रवाह की उपलब्धता सुनिश्चित की है। यह योजना उद्यमियों, उनके कर्मचारियों व उनके परिवारों के जीवन स्तर को बेहतर करने में सहायक रही है।”

डॉ. कराड़ ने कहा, “पिछले सात वर्षों के दौरान इस योजना से 1.8 लाख से अधिक उद्यमी लाभान्वित हुए हैं।” उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह भी बेहद खुशी की बात है कि इस योजना के तहत स्वीकृत गए 80 प्रतिशत से अधिक ऋण महिलाओं को प्रदान किए गए हैं।”

अब जबकि हम स्टैंड-अप इंडिया योजना की सातवीं वर्षगांठ मना रहे हैं, आइए हम इस योजना की विशेषताओं और उपलब्धियों पर एक नजर डालें।

स्टैंड-अप इंडिया का उद्देश्य है:

  • महिलाओं तथा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के बीच उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देना;
  • विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित ग्रीनफील्ड उद्यमों के लिए ऋण प्रदान करना;
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की प्रति बैंक शाखा से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कम से कम एक उधारकर्ता और कम से कम एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख रुपये से लेकर 100 लाख रुपये तक के बैंक ऋण की सुविधा प्रदान करना।

स्टैंड-अप इंडिया की जरूरत क्यों?

स्टैंड-अप इंडिया योजना को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों और महिला उद्यमियों द्वारा उद्यम स्थापित करने तथा व्यवसाय में सफल होने हेतु समय-समय पर ऋण एवं अन्य जरूरी सहायता प्राप्त करने में पेश आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है। इस दृष्टि से यह योजना एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रयास करती है, जो लक्षित क्षेत्रों को व्यापार करने और उस व्यापार को जारी रखने हेतु एक अनुकूल व सहायक वातावरण की सुविधा प्रदान करे। इस योजना का उद्देश्य सभी बैंक शाखाओं को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के उधारकर्ताओं और महिला उधारकर्ताओं को अपना ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने हेतु ऋण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के तहत इच्छुक आवेदक आवेदन कर सकते हैं:

  • सीधे बैंक शाखा में या,
  • स्टैंड-अप इंडिया पोर्टल (www.standupmitra.in) के माध्यम से या,
  • लीड जिला प्रबंधक (एलडीएम) के माध्यम से।

कौन लोग ऋण के पात्र हैं?

  • 18 वर्ष से अधिक आयु वाले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और/या महिला उद्यमी;
  • इस योजना के तहत ऋण केवल ग्रीन फील्ड परियोजनाओं के लिए उपलब्ध हैं। इस संदर्भ में, ग्रीन फील्ड से आशय विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित लाभार्थी द्वारा पहली बार स्थापित किए जाने वाला उद्यम है;
  • गैर-व्यक्तिगत उद्यमों के मामले में, 51 प्रतिशत शेयरधारिता और नियंत्रणकारी हिस्सेदारी या तो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमी और/या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए;
  • उधारकर्ता किसी भी बैंक/वित्तीय संस्थान के समक्ष चूककर्ता नहीं होना चाहिए;
  • इस योजना में ’15 प्रतिशत तक’ की मार्जिन मनी की परिकल्पना की गई है जो केन्द्रीय/राज्य स्तर की पात्र योजनाओं के साथ समन्वय बिठाते हुए प्रदान की जा सकती है। किसी भी हाल में, उधारकर्ता को परियोजना लागत का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा अपने योगदान के रूप में जुटाना होगा।

सहारा प्रदान करने वाली सहायता:

ऋण चाहने वाले संभावित उधारकर्ताओं को बैंकों से जोड़ने के अलावा, स्टैंड-अप इंडिया योजना के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा विकसित ऑनलाइन पोर्टल www.standupmitra.in संभावित उद्यमियों को व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने के उनके प्रयास में मार्गदर्शन भी प्रदान कर रहा है। इस मार्गदर्शन में बैंक की जरूरतों के अनुरूप प्रशिक्षण से लेकर ऋण के लिए आवेदन भरने तक की जानकारी शामिल है। सहारा प्रदान करने वाली 8,000 से अधिक एजेंसियों के नेटवर्क के माध्यम से, यह पोर्टल संभावित उधारकर्ताओं को विशिष्ट प्रकार की विशेषज्ञता वाली विभिन्न एजेंसियों से जोड़ने के लिए चरण दर चरण मार्गदर्शन की सुविधा प्रदान करता है। इस मार्गदर्शन के तहत कौशल केन्द्र (स्किलिंग सेंटर), मार्गदर्शन संबंधी सहायता (मेंटरशिप सपोर्ट), उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम केन्द्र (एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम सेंटर), जिला उद्योग केन्द्र (डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर) के पते और संपर्क नंबर की जानकारी उपलब्ध करायी जाती है।

दिनांक 21 मार्च 2023 तक इस योजना की उपलब्धियां

  • इस योजना की शुरुआत के बाद से दिनांक 21.03.2023 तक स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत 180,636 खातों में 40,710 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
  • दिनांक 21.03.2023 तक स्टैंड-अप इंडिया योजना के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों का विवरण नीचे दिया गया है:
अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति महिला कुल
खातों की संख्या आवंटित राशि (करोड़ रुपये में) खातों की संख्या आवंटित राशि (करोड़ रुपये में) खातों की संख्या आवंटित राशि (करोड़ रुपये में) खातों की संख्या आवंटित राशि (करोड़ रुपये में)
26,889 5,625.50 8,960 1,932.50 1,44,787 33,152.43 1,80,636 40,710.43

 

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केंद्र सरकार ने सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के संबंध में निजी उपयोग के लिये विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये सभी आयातित औषधियों व खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है

केंद्र सरकार ने सामान्य छूट अधिसूचना के जरिये राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के सम्बंध में निजी उपयोग के लिये विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये सभी आयातित औषधियों व खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है।

इस छूट को प्राप्त करने के लिये, वैयक्तिक आयातक को केंद्रीय या राज्य निदेशक स्वास्थ्य सेवा या जिले के जिला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन द्वारा प्राप्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। दवाओं/औषधियों पर आम तौर से 10 प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क लगता है, जबकि प्राणरक्षक दवाओं/वैक्सीनों की कुछ श्रेणियों पर रियायती दर से पांच प्रतिशत या शून्य सीमा शुल्क लगाया जाता है।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी या डूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार के लिये निर्धारित दवाओं के लिये छूट प्रदान की जाती है, लेकिन सरकार को ऐसे कई प्रतिवेदन मिल रहे थे, जिनमें अन्य दुर्लभ रोगों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं और औषधियों के लिये सीमा शुल्क में राहत का अनुरोध किया गया था। इन रोगों के उपचार के लिये दवायें या विशेष खाद्य सामग्रियां बहुत महंगी हैं तथा उन्हें आयात करने की जरूरत होती है। एक आकलन के अनुसार 10 किलोग्राम वजन वाले एक बच्चे के मामले में कुछ दुर्लभ रोगों के उपचार का वार्षिक खर्च 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये से अधिक तक हो सकता है। यह उपचार जीवन भर चलता है तथा आयु व वजन बढ़ने के साथ-साथ दवा तथा उसका खर्च भी बढ़ता जाता है।

इस छूट से खर्च में अत्यंत कमी आ जायेगी और बचत होगी तथा मरीजों को जरूरी राहत भी मिल जायेगी।

सरकार ने भिन्न-भिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाले पेमब्रोलीजूमाब (केट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया है।

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भारत में दुनिया का सबसे प्रभावकारी लोकतंत्र है; दुनिया में कोई भी हमें इस पर प्रवचन देने की स्थिति में नहीं है– उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताया और इस बात पर जोर दिया कि दुनिया में किसी के पास इस पहलू पर हमें उपदेश देने की साख नहीं बची है। उन्होंने कहा कि हमारी संवैधानिक संस्थाएं मजबूत और स्वतंत्र हैं तथा हमें अपनी न्यायिक प्रणाली पर गर्व है।

आज नई दिल्ली में न्यूज 18 नेटवर्क की ओर से आयोजित राइजिंग इंडिया समिट-2023 में समापन भाषण में श्री धनखड़ ने कहा कि यह दुखद है कि हममें से कुछ लोग हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कलंकित करने के लिए बिना सोचे-समझे कुटिल अभियान चला रहे हैं।

भारत की अखंडता के खिलाफ वर्चुअल युद्ध के प्रति सभी को जागरूक होने का आह्वान करते हुए उन्होंने आगाह किया कि भीतर और बाहर की भयावह ताकतें हमारे विकास पथ को दूषित करने, कम करने तथा हमारी सफलता को कम करने के लिए एक खतरनाक एजेंडे के साथ काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उभरने का मुकाबला करने के लिए एक ईकोसिस्टम को आकार दिया जा रहा है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक राष्ट्र राज्य के रूप में भारत की लेजिटमेसी पर हमला करते हुए संसद सहित इसकी संवैधानिक संस्थाएं देश के बाहर कुछ लोगों का पसंदीदा शगल बन रही हैं। उन्होंने कहा, “आपको दुनिया में ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा कि सत्ता के पदों पर बैठे लोग अपने ही देश को नीचा दिखाने के लिए दूसरे देशों में चले जाएं।”

भ्रष्टाचार के मुद्दे को राजनीतिक और पक्षपातपूर्ण चश्मे से देखने पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त करते हुए श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा कि “लोकतंत्र में कोई भी किसी भी आधार पर कानून से ऊपर और कानून की पहुंच से परे होने का दावा नहीं कर सकता है।”

हाल के वर्षों में शासन सुधारों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इनसे पारदर्शी और जवाबदेह ईको सिस्टम विकास हुआ है। “पावर कॉरिडोर, जो लंबे समय से लाइजनिंग से प्रभावित थे, लेकिन इस संस्कृति को अब खत्म कर दिया गया है। यह एक समय में एक आकर्षक काम हुआ करता था।” उन्होंने कहा नौकरशाही की स्थिति में एक बड़ा परिवर्तन भी दिखता है।

यह देखते हुए कि “संसद में अव्यवस्था सामान्य व्यवस्था बन गई है,” श्री धनखड़ चाहते थे कि विधायिकाएं संवाद, बहस, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए वास्तविक मंच बनें, न कि व्यवधान और गड़बड़ी का रंगमंच। यह कहते हुए कि सभी को हमारे लोकतंत्र के पोषण और प्रस्फुटन के लिए काम करना चाहिए, उन्होंने पत्रकारों और बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे ऐसा माहौल तैयार करें ताकि हमारे सांसद, लोकतंत्र के मंदिरों में, बड़े पैमाने पर लोग उच्च मानकों का अनुकरण कर सकें।

खुद को न्यायपालिका का सिपाही बताते हुए और अपने लंबे कानूनी करियर का जिक्र करते हुए, श्री धनखड़ ने सुझाव दिया कि संवैधानिक संस्थाओं के शीर्ष पर बैठे लोगों को सार्वजनिक क्षेत्र में टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने “वॉयस ऑफ इंडिया-मोदी एंड हिज ट्रांसफॉर्मेटिव मन की बात” नामक एक कॉफी टेबल बुक का भी अनावरण किया। पुस्तक में भारत की सफलता की उन कहानियों पर प्रकाश डाला गया है जिनका उल्लेख प्रधानमंत्री के मन की बात के एपिसोड में किया गया था।

इस अवसर पर राज्यसभा के उप सभापति डॉ. हरिवंश और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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आत्मनिर्भर भारत: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के 11 समुद्रगामी गश्ती युद्धपोतों और 6 मिसाइल वाहक जहाजों के अधिग्रहण के उद्देश्य से भारतीय शिपयार्ड के साथ 19,600 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ का लक्ष्य हासिल करने हेतु भारतीय नौसेना की आवश्यकतानुसार एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अगली पीढ़ी के 11 समुद्रगामी गश्ती युद्धपोतों और 6 मिसाइल वाहक जहाजों के अधिग्रहण के लिए 30 मार्च, 2023 को भारतीय शिपयार्ड के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सौदे की कुल लागत लगभग 19,600 करोड़ रुपये आंकी गई है।

अगली पीढ़ी के खुले समुद्र में गश्त करने वाले युद्धपोत

अगली पीढ़ी के 11 समुद्रगामी गश्ती युद्धपोतों के अधिग्रहण के लिए होने वाली खरीद कुल 9,781 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय-आईडीडीएम श्रेणी के तहत निर्माण हेतु की जा रही है। इस अनुबंध पर गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं। इन 11 जहाजों में से सात को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा और चार को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा स्वदेशी रूप से अभिकल्पित, विकसित तथा तैयार किया जाएगा। इन युद्धपोतों को भारतीय नौसेना को इस्तेमाल के लिए सितंबर 2026 से सौंपना शुरू किया जायेगा।

इन नौसैन्य जहाजों के अधिग्रहण से भारतीय नौसेना को अपनी लड़ाकू क्षमता को विस्तार देने और विभिन्न परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिलेगी। इनमें समुद्री डकैती का मुकाबला करना, गैरकानूनी व्यापार पर नियंत्रण, घुसपैठ पर रोक लगाना, अनधिकृत जलीय शिकार को रोकना, गैर-लड़ाकू निकास गतिविधि संचालन, तलाश और बचाव (एसएआर) अभियान व खुले समुद्र में उपस्थित परिसंपत्तियों की सुरक्षा आदि शामिल हैं। इन जलपोतों के निर्माण से साढ़े सात साल की अवधि में कुल 110 लाख मानव-दिवस रोजगार अवसर सृजित होंगे।

अगली पीढ़ी के मिसाइल वाहक जहाज

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के साथ 9,805 करोड़ रुपये की लागत से अगली पीढ़ी के 6 मिसाइल वाहक जहाजों (एनजीएमवी) के अधिग्रहण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन युद्धपोतों को मार्च 2027 से भारतीय नौसेना को सौंपना शुरू कर दिया जाएगा। ये अगली पीढ़ी के मिसाइल वाहक जहाज रडार से बचने में सक्षम, तेज गति वाले और काफी आक्रामक क्षमता के साथ भारी हथियारों से लैस पोत होंगे। मोटे तौर पर इन जहाजों की प्राथमिक भूमिका दुश्मन के युद्धपोतों, अवैध व्यापारी जहाजों और सतही ठिकानों के खिलाफ अपनी रक्षात्मक आक्रामक क्षमता प्रदर्शित करना होगी।

ये जहाज समुद्री हमले वाली कार्रवाइयों को पूरा करने में सक्षम तथा समुद्र के साथ-साथ बड़े सतही हमलों को अंजाम देने में सहायक होंगे। ये युद्धपोत दुश्मन के जहाजों से निपटने के लिए विशेष रूप से चोक पॉइंट्स पर समुद्र में रोक लगाने के एक शक्तिशाली हथियार के रूप में तैनात होंगे। रक्षात्मक भूमिका में, इन जहाजों को स्थानीय नौसेना रक्षा संचालन और अपतटीय विकास क्षेत्र के लिए समुद्री रक्षा के अन्य उद्देश्यों की पूर्ति हेतु भी प्रयुक्त किया जाएगा। इन जहाजों के निर्माण से नौ वर्षों की अवधि में कुल 45 लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजन होगा।

इन युद्धपोतों के स्वदेशी निर्माण से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सहित भारतीय जलपोत निर्माण एवं उनसे संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त अधिकांश उपकरणों और प्रणालियों के साथ ये युद्धपोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ के गौरवशाली ध्वजवाहक बनेंगे।

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दयानंद गर्ल्स कॉलेज में एक दिवसीय सामुदायिक नेत्र एवम दंत जांच शिविर का आयोजन

कानपुर 31मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स कॉलेज, कानपुर में महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा एक दिवसीय सामुदायिक नेत्र एवम दंत जांच शिविर का आयोजन कनिका हॉस्पिटल एवं शिव नेत्रालय के सहयोग से किया गया। इस शिविर में डॉ.सौरभ यादव, डॉ.शिवम शर्मा, डॉ दीक्षा पंत ने छात्राओं, प्राध्यापिकाओं एवं कर्मचारियों की आंखों की जांच की। डॉक्टर्स के द्वारा उन्हें आंखों से संबंधित रोग मोतियाबिंद, दृष्टि दोष आंखों में ड्राइनेस, खुजली तथा दांतों से संबंधित रोग सेंसटिविटी, केविटी, दांत दर्द, पायरिया, टेढ़े दांत आदि की जांच कर चिकित्सकीय परामर्श दिया गया तथा मुफ्त दवाएं व चश्में भी वितरित किए गए। शिविर में टेक्निकल स्टाफ यश का सहयोग रहा। इस शिविर में 200 से ज्यादा व्यक्तियों के नेत्रों एवं दांतो का परीक्षण किया गया। चिकित्सकों के द्वारा खान-पान एव योग की जानकारी भी दी। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने किया। परीक्षण शिविर का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने किया l डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉक्टर श्वेता, डॉ विनीता श्रीवास्तव, श्री कृष्णेंद्र कुमार व लैब सहायक अनुराधा चंदेल का विशेष योगदान रहा l सिमरन, योगिता, मुस्कान, शिखा व नंदिनी समेत सभी वॉलिंटियर्स ने ने शिविर में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया एवं जांच कराने में सहयोग प्रदान किया।

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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, ग्रीन पार्क के “बी” ग्राउंड में एक माह के अन्दर प्रैक्टिस करने वाले बच्चों को मिलेगी दो अतिरिक्त क्रिकेट पिचें

कानपुर 31 मार्च जिला सूचना कार्यालय, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, ग्रीन पार्क के “बी” ग्राउंड में एक माह के अन्दर प्रैक्टिस करने वाले बच्चों को मिलेगी दो अतिरिक्त क्रिकेट पिचें

 ग्रीन पार्क स्टेडियम के मेन ग्राउंड में मैच के दौरान भी क्रिकेट की ट्रेनिंग प्राप्त करने वाले बच्चों का बाधित नही होगी प्रैक्टिस, ग्रीन पार्क स्टेडियम में मैच के दौरान भी बी ग्राउंड में बच्चे प्रैक्टिस कर सकते है।
 उत्तर प्रदेश खेल विकास एवं प्रोत्साहन समिति के माध्यम से बनाई जाएगी पिच।
 “बी” ग्राउण्ड में समुचित तरीके से लगाई जाएंगी लाइटे ताकि रात्रि में भी हो सकेंगे मैच।
 गर्मी की छुट्टियों में क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने वाले बच्चों के लिए 2 शिफ्ट में आयोजित होगा क्रिकेट समर कैम्प।
 उक्त बातें आज जिलाधिकारी श्री विशाख जी0 ने ग्रीन पार्क स्टेडियम के “बी” ग्राउंड में क्रिकेट पिच निर्माण कार्य के भूमि पूजन के दौरान कही ।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी नगर श्री अतुल कुमार, उपनिदेशक खेल श्रीमती मुद्रिका, पाठक क्यूरेटर शिवकुमार तथा क्रिकेट की ट्रेनिंग प्राप्त करने वाले बच्चे उपस्थित रहे।

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कानपुर अपडेट

सचेड़ी थाना क्षेत्र में संदिग्ध परिस्थितियों में विवाहित महिला का लटका मिला शव

मृतक के चचेरे भाई ने पति पर हत्या कर शव लटकाने के लगाएं आरोप

मृतक के भाई का आरोप, बहन को महीनों से पति कर रहा था प्रताड़ित

सूचना पर पहुँची सचेड़ी पुलिस जाँच पड़ताल में जुटी

मृतक के भाई का आरोप,सचेड़ी पुलिस नही कर रही सुनवाई

सचेड़ी थाना क्षेत्र पलरा गाँव का मामला

 

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कानपुर__बर्रा में डिलीवरी बॉय को अगवा कर लूट का मामला।

डिलीवरी बॉय को अगवा करने का सीसीटीवी हुआ वायरल।

डिलीवरी बॉय को घसीटते हुए कार में भरकर ले गए थे गुंडे।

बर्रा थानेदार ने FIR में नही लगाई अपहरण की धारा।

वारदात के 15 दिन बाद भी बर्रा थानेदार की पहुंच से दूर गुंडे।

पीड़ित डिलीवरी बॉय ने बर्रा थाना पुलिस की कार्रवाई पर उठाएं सवाल।

बर्रा थानाक्षेत्र के बर्रा 6 से अगवाकर गोविंदनगर जैना पैलेस ले गए थे गुंडे।
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लखनऊयू पी के डीजीपी डीएस चौहान का खत्म हो रहा कार्यकाल*

*UP के डीजीपी डीएस चौहान कल हो जाएंगे रिटायर*
*सर्वाधिक 11 महीने कार्यवाहक के तौर पर कार्य किया*

*अभी नए डीजीपी को लेकर नहीं भेजा गया प्रस्ताव*
*अगला कार्यवाहक DGP कौन होगा इस पर संशय बरकरार*

*डीएस चौहान के पास डीजी इंटेलिजेंस,विजिलेंस का भी चार्ज*
*अब इन पदों पर भी होगी नए अधिकारियों को तैनाती*

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कानपुर अपडेट

मैट्रो के कार्य में आ रही बाधाएं हुई दूर, बीआईसी की भूमि पर आज से प्रारंभ हुआ मेट्रो का कार्य।

चुन्नी गंज स्थित बीआईसी की भूमि पर जिलाधिकारी के आदेश के पश्चात चुन्नी गंज से परेड के निर्माणाधीन मेट्रो सेक्शन के निर्माण कार्य को आगे बढाते हुए चुन्नीगंज शनि देव मंदिर के सामने बीआईसी की भूमि पर आज से मेट्रो का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ

निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण जिलाधिकारी श्री विशाख जी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर मेट्रो श्री अरविंद, अपर जिलाधिकारी नगर श्री अतुल कुमार द्वारा किया गया।

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केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अमृतसर और गैटविक हवाई अड्डे के बीच सीधी उड़ान सेवा का उद्घाटन किया

केंद्रीय नागरिक विमानन और इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज अमृतसर और गैटविक के बीच सीधी उड़ान सेवा का उद्घाटन किया। अमृतसर और गैटविक के बीच बिना किसी ठहराव के यह उड़ान सेवा एयर इंडिया द्वारा आज से निम्नलिखित कार्यक्रम के अनुसार संचालित की जाएगी:

उड़ान संख्या प्रस्थान का स्थान पहुँचने का स्थान उड़ान के दिनों की संख्या प्रस्थान का समय (एलटी) पहुँचने का समय (एलटी)
एआई 169 एटीक्यू एलजीडबल्यू सप्ताह में तीन दिन 1320 1755
एआई 170 एलजीडबल्यू एटीक्यू सप्ताह में तीन दिन 2010 0840+1

केंद्रीय नागरिक विमानन और इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि यह नई अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवा इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रेरक का काम करेगा। यह एक भावनात्मक विषय भी है क्योंकि ब्रिटेन में पंजाब के लाखों लोग रहते हैं और यह नई उड़ान सेवा दो अलग-अलग देशों में रहने वाले परिवारों को जोड़ने का काम करेगी ।

श्री सिंधिया ने अमृतसर हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे के विकास पर बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अमृतसर हवाई अड्डे के विकास का भरोसा दिया है। सरकार ने 50 करोड़ रुपये की लागत से 13 पार्किंग एप्रन विकसित किए हैं। श्री सिंधिया ने कहा कि 100 करोड़ रुपये की लागत से विमानों की आसान आवाजाही के लिए एक समानांतर टैक्सी-ट्रैक भी विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि 250 करोड़ रुपये की लागत से एक नया एकीकृत टर्मिनल भी विकसित किया गया है।

नागरिक विमानन मंत्री महोदय श्री सिंधिया ने कनेक्टिविटी के बारे में कहा कि यह अमृतसर और इंग्लैंड के बीच तीसरी उड़ान सेवा है और इसे मिलाकर छह अंतरराष्ट्रीय उड़ानें अमृतसर से इंग्लैंड के लिए चल रही हैं। श्री सिंधिया ने कहा कि वर्ष 2014 तक अमृतसर हवाई मार्ग से सिर्फ 6 शहरों से जुड़ा था, लेकिन पिछले 9 वर्ष में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह बढ़कर 21 शहरों तक पहुंच गया है और इसमें 250 प्रतिशत का उछाल आया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले साप्ताहिक यातायात आवागमन 217 प्रति सप्ताह था जो अब 87 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़कर 416 प्रति सप्ताह हो गया है। श्री सिंधिया ने कहा कि क्षेत्रीय संपर्क सेवा उड़े देश का आम नागरिक-उड़ान योजना के अंतर्गत, पंजाब में 145.35 करोड़ रुपये के बजट के साथ 20 हवाई मार्ग चालू हो चुके हैं और निकट भविष्य में 4 और हवाई मार्ग शुरू करने की योजना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कनाडा के साथ ओपन स्काई ऑफर पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें एयरलाइन ऑपरेटर भारतीय शहरों और उनके कनाडा के समकक्षों के बीच असीमित उड़ान सेवाएँ संचालित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि इस समझौते से पंजाब राज्य और वहां के लोगों को लाभ होगा।

उद्घाटन समारोह में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश, श्री. एस.के. मिश्रा संयुक्त सचिव, नागरिक उड्डयन मंत्रालय श्री मालविंदर सिंह जग्गी सचिव नागरिक उड्डयन, पंजाब सरकार और एयर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री कैंपबेल विल्सन उपस्थित थे।

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दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत 31,000 से अधिक रोजगार जुटाए जाने से ग्रामीण रोजगार को काफी बढ़ावा मिलेगा

ग्रामीण रोजगार को अधिक बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय 19 कैप्टिव नियोक्ताओं के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर रहा है, जिसके अंतर्गत इन नियोक्‍ताओं को दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्‍य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के तहत 31,067 ग्रामीण गरीब युवाओं को 6 महीने की न्‍यूनतम अवधि के लिए कम से कम 10,000 रुपये प्रति माह वेतन के साथ प्रशिक्षित करने और लाभकारी रोजगार प्रदान करने का लक्ष्य प्रदान किया जा रहा है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह कल नई दिल्ली में आयोजित समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि होंगे। इस अवसर पर वे कुछ ऐसे उम्‍मीदवारों को नियुक्ति-पत्र भी बांटेंगे, जिन्‍होंने डीडीयू-जीकेवाई के तहत इसी प्रकार का प्रशिक्षण प्राप्त किया था और उनकी कैप्टिव नियोक्ताओं के यहां नियुक्ति होनी है।

श्री गिरिराज सिंह के निर्देश पर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने डीडीयू-जीकेवाई के अंतर्गत कैप्टिव रोजगार (इन हाउस) दिशानिर्देश जारी किए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उम्मीदवारों को उद्योग की आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षित किया जा सकें और उन्हें रोजगार मिल सकें। कैप्टिव रोजगार मॉडल नियोक्ताओं को ग्रामीण युवाओं का चयन करने, उन्‍हें कौशल प्रदान करने और उन्हें अपने प्रतिष्ठान/अपनी अन्‍य संस्था/सहायक कंपनियों में तैनात करने की अनुमति प्रदान करता है।

आरटीडी (भर्ती, प्रशिक्षण और तैनाती) मॉडल को एक तरफ उद्योग की आवश्‍यकताओं को पूरा करने और दूसरी ओर ग्रामीण युवाओं के लिए स्थायी नौकरी सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है। यह मॉडल उद्योग, सरकार और ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। उद्योग अपनी आवश्यकता के अनुसार अपने कार्य स्थल पर ही इन युवाओं को अधिक व्यावहारिक प्रशिक्षण उपलब्‍ध कराने में सक्षम होगा, जबकि सरकार ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए अधिक अवधि तक रोजगार (न्यूनतम छह महीने) सुनिश्चित करेगी।

कैप्टिव रोजगार (इन हाउस) के दिशानिर्देश डीडीयू-जीकेवाई कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए दिए जा रहे लाभों के कारण इस योजना में उद्योग की प्रत्यक्ष भागीदारी बढ़ाएंगे जिससे ग्रामीण युवाओं के लिए बड़ी मात्रा में रोजगार सुनिश्चित होंगे। कैप्टिव नियोक्ताओं को प्रदान किए जाने वाले कुछ लाभ इस प्रकार हैं: लक्ष्य आवंटन में सर्वोच्च प्राथमिकता, प्रदर्शन बैंक गारंटी की छूट, गुणवत्ता मूल्यांकन प्रक्रिया और शुल्क की छूट, उद्योग के संचालन को आसान बनाने के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की लगन और डीडीयू-जीकेवाई के कुछ अन्य जनादेश के प्रति दिलचस्‍पी, तीन साल की अवधि के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन, उद्योग को अपने कार्य के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति की प्राप्ति होगी जिससे नुक्‍सान कम होगा, कार्य प्रदर्शन बेहतर होगा और सरकार की प्रशिक्षण लागत को कम करने में भी मदद मिलेगी।

हालांकि, बदले में कैप्टिव नियोक्ताओं को सभी प्रशिक्षित उम्मीदवारों को कैप्टिव (इन-हाउस) रोजगार देने और 6 महीने की अवधि के लिए न्यूनतम 70 प्रतिशत प्रशिक्षित उम्मीदवारों को 10,000 रुपये के न्‍यूनतम वेतन पर रोजगार उपलब्‍ध कराना है। इसके अलावा 6 महीने से अधिक के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए 12,000 रुपये का रोजगार देने की जरूरत पड़ती है।

डीडीयू-जीकेवाई का मूल उद्देश्य कौशल प्राप्‍त करने के बाद ग्रामीण युवाओं को स्थायी रूप से लाभकारी रोजगार प्रदान करना है, इसलिए वर्ष 2020 में अंत्योदय दिवस के अवसर पर कैप्टिव रोजगार की अवधारणा की परिकल्पना की गई और इसका शुभारंभ किया गया।

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