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Bharatiya Swaroop

भारतीय स्वरुप एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र है। सम्पादक मुद्रक प्रकाशक अतुल दीक्षित (published from Uttar Pradesh, Uttrakhand & maharashtra) mobile number - 9696469699

धर्मेंद्र प्रधान ने नागरिकों से न्यू इंडिया के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए नागरिक सर्वेक्षण में भाग लेने का आग्रह किया

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने नागरिकों से एक नया पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के लिए नागरिक सर्वेक्षण में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 के अनुरूप एक सशक्त राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि एक जीवंत, सशक्त, समावेशी और भविष्यवादी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा का विकास वैश्विक दृष्टिकोण के साथ समन्वित सांस्कृतिक सुदृढ़ता सहित, शिक्षा को औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करने और हमारी अगली पीढ़ियों में गर्व की गहरी भावना पैदा करने के लिए आवश्यक है।

शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार करने और बाद में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और अन्य शिक्षण सामग्री के डिजाइन के लिए एक ऑनलाइन सार्वजनिक परामर्श सर्वेक्षण के माध्यम से जनता के सुझाव आमंत्रित किए हैं।

भारत सरकार ने 29 जुलाई, 2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 की घोषणा की, जो राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) विकसित करते हुए शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार की सिफारिश करती है। जिला परामर्श समितियों, राज्य फोकस समूहों और राज्य संचालन समिति, राष्ट्रीय फोकस समूहों और राष्ट्रीय संचालन समिति आदि के गठन के माध्यम से राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा की प्रक्रिया शुरू की गई है।

एक तकनीकी मंच-वेबसाइट और मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, ताकि बड़े पैमाने पर और कागज रहित तरीके से कार्य का निष्पादन करना संभव हो सके। माता-पिता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, शिक्षक-अध्यापक जैसे हितधारकों तक पहुंचने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बॉटम-अप दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए, राज्य फोकस समूहों और राज्य संचालन समिति के माध्यम से जिला स्तरीय परामर्श, मोबाइल ऐप-आधारित सर्वेक्षण, राज्य स्तरीय विचार-विमर्श आयोजित किए गए हैं। शिक्षक, छात्र, आदि जमीनी स्तर पर और स्कूली शिक्षा के भविष्य, बचपन की देखभाल और शिक्षा, शिक्षक शिक्षा और वयस्क शिक्षा के बारे में अपने विचार और राय एकत्रित करते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर भी राष्ट्रीय फोकस समूहों और राष्ट्रीय संचालन समिति को विभिन्न मुद्दों व चिंताओं पर विचार-विमर्श करने के लिए लगाया गया है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों, स्वायत्त निकायों, गैर-सरकारी संगठनों, कंपनियों, परोपकारी एजेंसियों आदि के साथ बातचीत शामिल है, ताकि एनसीएफ की फॉर्मूलेशन के लिए मूल्यवान इनपुट एकत्रित किया जा सके। इस प्रक्रिया में हितधारकों का मार्गदर्शन करने के लिए एनसीएफ के निर्माण के लिए एक शासनादेश दस्तावेज विकसित किया गया है।

देश में विविधता को देखते हुए, प्रत्येक हितधारक को अवसर प्रदान करना समय की आवश्यकता है। भारत में शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन लाने और संबंधित सामान्य चिंताओं पर विचार साझा करने के प्रति इच्छुक व्यक्ति इसमें भाग ले सकते हैं, चाहे वे अनिवार्य रूप से माता-पिता या शिक्षक या छात्र न हों। इस तरह के भिन्न-भिन्न और विविध विचारों से एनईपी 2020 के विजन के सुचारु कार्यान्वयन के लिए एक व्यावहारिक रोड-मैप तैयार होने की संभावना है।

शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों/प्राचार्यों, स्कूल संचालकों, शिक्षाविदों, अभिभावकों, छात्रों, समुदाय के सदस्यों, गैर-सरकारी संगठनों, विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों, कलाकारों, कारीगरों, किसानों और स्कूली शिक्षा और शिक्षक शिक्षा में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति सहित सभी हितधारकों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है। यह ऑनलाइन सर्वेक्षण हमारे संविधान की आठवीं अनुसूची की भाषाओं सहित 23 भाषाओं में किया जा रहा है।

हमसे जुड़ें और ऑनलाइन सर्वेक्षण में भाग लें तथा भारत में शिक्षा के लिए एक मजबूत, लचीला और सुसंगत इको-सिस्टम तैयार करने में योगदान दें। अभी ऑनलाइन सर्वेक्षण करने के लिए लिंक: https://ncfsurvey.ncert.gov.in पर क्लिक करें।

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हर घर तिरंगा अभियान के तहत ‘हर घर तिरंगा’ वेबसाइट पर 6 करोड़ से ज्यादा तिरंगा सेल्फी अपलोड की गईं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर हर घर में तिरंगा लाने और उसे फहराने हेतु लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए “हर घर तिरंगा” अभियान शुरू किया। इस पहल का मकसद लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाना और जनभागीदारी की भावना से आजादी का अमृत महोत्सव मनाना था। राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और मंत्रालयों ने पूरे जोश के साथ इस अभियान में बड़े पैमाने पर भाग लिया। विभिन्न स्थानों के गैर सरकारी संगठनों और स्वयं सहायता समूहों ने भी हर घर तिरंगा को आजादी के अमृत महोत्सव की कामयाबी के रास्ते में एक प्रतिष्ठित बेंचमार्क बनाने में योगदान दिया। पूरे मुल्क की देशभक्ति और एकता को चित्रित करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को शामिल करते हुए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।

इस अभियान के दौरान कई नए कीर्तिमानों को छुआ गया जैसे चंडीगढ़ के सेक्टर 16 के क्रिकेट स्टेडियम में 5,885 लोगों की भागीदारी से ‘राष्ट्रीय ध्वज लहराती हुई दुनिया की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला की तस्वीर’ का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को मजबूत करने के लिए एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

एक और शानदार उपलब्धि ये रही कि हर घर तिरंगा की वेबसाइट पर 6 करोड़ से ज्यादा तिरंगा सेल्फी अपलोड की गई हैं। हाइब्रिड प्रारूप में तैयार किए गए इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत तौर पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ वास्तविक और भावनात्मक जुड़ाव की परिकल्पना की गई थी। साथ ही साथ इस पहल के लिए बनाई गई विशेष वेबसाइट (www.harghartirang.com) पर एक सेल्फी अपलोड करने के जरिए सामूहिक उत्सव और देशभक्ति की उमंग को बढ़ाने की भी परिकल्पना की गई थी।

इसके अलावा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक हिस्से के तौर पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत सेलिब्रेशंस को चिन्हित करने के लिए श्रीनगर जिला प्रशासन ने स्वतंत्रता के 75वें साल का जश्न मनाने के लिए बख्शी स्टेडियम में 1850 मीटर लंबे राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित करके एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।

केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास (डीओएनईआर) मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने देश के नागरिकों को धन्यवाद दिया और कहा, हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए पूरा देश साथ आया है। विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का इस तरह का उत्साह राष्ट्र की एकता और अखंडता की अटूट भावना का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “पूरे देश ने हर घर तिरंगा अभियान में हिस्सा लिया और तिरंगे के साथ 6 करोड़ से अधिक सेल्फी ली गईं और अपलोड की गईं। ये इस महान राष्ट्र के लिए हमारे प्यार और गर्व को दर्शाता है। जिन लोगों ने तिरंगे के साथ सेल्फी ली हैमैं उन सभी से अनुरोध करूंगा कि उत्सव की इस भावना को जारी रखने के लिए हर घर तिरंगा पोर्टल पर तस्वीरें अपलोड करना जारी रखें।श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, हर घर तिरंगा अभियान में शामिल होने के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान को सफल करने के लिए धन्यवाद भारत।” उन्होंने आगे कहा, “जब भी प्रधानमंत्री जी ने देश के नागरिकों से आह्वान किया हैतब लोगों ने काफी उत्साह के साथ प्रतिक्रिया दी है। चाहे लोगों से आग्रह किया गया हो कि जिन्हें एलपीजी सब्सिडी की जरूरत नहीं है वे इसे त्याग देंया फिर कोविड-19 फ्रंटलाइन योद्धाओं के प्रयासों को मान सम्मान देने की बात होया फिर हर घर तिरंगा अभियान हो।” भारत स्वतंत्रता के अपने 76वें वर्ष की ओर अब बढ़ रहा है और उससे पहले हर घर तिरंगा अभियान ने 15 अगस्त 2022 तक 75 सप्ताह की उलटी गिनती को पूरा किया। ये अभियान आजादी का अमृत महोत्सव के नोडल मंत्रालयसंस्कृति मंत्रालय द्वारा संचालित था।

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दिल बड़ा रखिए जनाब कौन बेमतलब आता है किसी के यहां आजकल

कोई है वहाँ ? ज़रा फ़ोन तो उठाओ।फ़ोन की घंटी कब से बजे जा रही है।रिया ने बाथरूम से अपने पति रोहन को आवाज़ देते हुये कहा।रोहन ने झट से फ़ोन उठाया तो उधर रोहन की बहन सलोनी थी जो कह रही थी वो अगले हफ़्ते रोहन के शहर किसी आफ़िस के काम से आ रही है एक हफ़्ते के लिये, और उसी के यहाँ ठहरेगी।रोहन ने बात करके फ़ोन रख दिया, मगर अब सोच रहा था कि कैसे कहे रिया से कि सलोनी आ रही है।वो रिया को जानता था।इतने मे रिया बाथरूम से बाहर आ गई और पूछा किसका फ़ोन था ?रोहन ने कहा ! सलोनी कुछ काम के सिलसिले से यहाँ आ रही है और हमारे साथ दो चार दिन रहेगी ।बस फिर क्या था ,रिया ने कहा अगले हफ़्ते मेरी दो किटी पार्टी है और मै काम पर भी जाऊँगी ,मै नही सँभाल सकती किसी मेहमान को।कह दो सलोनी से कि तुमहारे बड़े भाई के यहाँ ठहर जाये।वहाँ भी तो जा सकती हैं रोहन कहने लगा !सलोनी अपने किसी आफ़िस के काम से आ रही है और उसका आफ़िस हमारे घर के पास है,इसीलिए हमारे यहाँ ठहरेगी।अब रोहन सलोनी को हाँ कर चुका था।रोहन चुपचाप उठा अपने आफ़िस चला गया मगर मन पर बोझ था।सोच रहा था ,अगर रिया की बहन का फ़ोन आया होता तो क्या रिया तब भी यूँ कहती और सोचने लगा जब कोई रिया के मायके से आता है तो वो कितना स्वागत करता है मगर रिया कयूं ऐसा करती है।मेरी माँ बाप ,बहन भाई ,जब भी कोई आता है तो उसका व्यावहार ऐसा कयूं होता है।अगर मैं रिया की हर बात का मान रखता हूँ तो रिया कयूं नही रख पाती।कंयू ऐसा बर्ताव करती है।आज काम पर मन नही लगा ,क्यूँकि रोहन ये पहले भी देख चुका था।शाम को सुनिल के घर जाने का प्रोग्राम था।सुनिल जो रोहन का बचपन का दोस्त था मगर भाई जैसा।सुनिल की दादी की 70 वीं सालगिरह थी।पार्टी सादी सी थी मगर वहाँ अपनापन और प्यार बहुत था।रोहन और रिया दादी के पास बैठे तो रोहन ने दादी को बताया कि उसकी बहन सलोनी आ रही है पूना से।दादी बहुत ख़ुश हुई और कहने लगी।तीन सालों के बाद आ रही है यहाँ, तेरे पापा के गुज़र जाने के बाद तुम दोनों भाई ही तो है उसके।तुमहारे पास नहीं आयेगी तो किस के पास जायेगी,मगर रिया ने तुनक कर कहा !दादी मै काम पर जाती हूँ मेरे घर कोई आये ,मुझे संभालना बहुत मुश्किल लगता है।दादी तो फिर दादी थी,बडे प्यार से रिया का हाथ पकड लिया और सिर पर हाथ फेर कर कहने लगी।
बिटिया,हम कितना परिवार अकेले सँभाल लिया करते थे बिना किसी नौकर के।आजकल तुम लोग इक मेहमान भी आ जाये तो तुम कैसा व्यावहार करने लगते हो ,अभी तो तुमहारे पास काम करने वाले नौकर चाकर भी रोहन ने लगा रखे है।बिटिया ज़रा दिल को बड़ा रखा करो।अगर तुम अपने पति का प्यार या विश्वास पाना चाहती हो तो उसकी भावनाओं का सन्मान करना सीखो ,फिर दादी ने अपने गाँव के इक पति पत्नी की बात बताई।कहने लगी कि हमारे गाँव मे इक जवान पति पत्नी रहते थे ।दोनों ही बहुत ही छोटे दिल के मालिक थे।उनके घर अगर कोई मेहमान आता तो पत्नी के माथे पर बल पड़ जाते और बहाने बहाने से ,साथ वाले पड़ोसी के घर से आटा माँग कर ले आती।कोई भिखारी भी उनके यहाँ आता तब भी वो दोनों ,साथ वाले पड़ोसी के घर भेज दिया करते और कहते कि पड़ोसी के घर चले जाओ यहाँ से कुछ नही मिलेगा।आये दिन अपने पड़ोसी के घर से कुछ न कुछ मागंते रहते।इक रोज बहुत ही गरीब भिखारी उनके दरवाज़े पर आया तो पहले की तरह उन्होंने उसे भी साथ वाले घर में भेज दिया।उस रात दोनों जब सो रहे थे तो पत्नी ने सपना देखा कि जिस गुरू को वो मानते है वो गुरू उनके आटा के डिब्बे मे से आटा निकाल कर पड़ोसी की रसोई में जा कर उनके आटे का डिब्बे में डाल रहे है। सुबह उठ कर पत्नी ने पति को ये बात बताई ।
दोनो घबरा गये ।सोचने लगे ,गुरू हमारे अन्न को बढ़ाने की बजाये अन्न को कम क्यों कर रहे थे।उन दोनों को ये सपना बैचेन कर रहा था।अगले रोज सीधा गुरू के पास पहुँच गये और सारी बात ,जो पत्नी ने सपने मे देखी थी ,गुरु जी से कह डाली ।गुरू जी हंसने लगे !कहने लगे अब तुमहारे यहाँ कोई मेहमान या कोई कुछ माँगने के लिए आता है तो तुम उसे साथ वाले घर मे भेज देती हो जबकि उनका दाना पानी तो तुमहारे घर मे लिखा था।बस मै तो वही अन्न,जो उनके हिस्से का अन्न होता है तुमहारे घर से निकाल कर पड़ोसी के यहाँ पहुँचा के आता हूँ।जब रिया ने बात सुनी तो सोच मे पड़ गई।बात तो सही थी कोई किसी के यहाँ ऐसे ही नहीं जाता ,दाना पानी खींच कर ले आता है ये बात तो उसने भी सुन रखी थी।अपनी सोच पर शर्म सी महसूस करने लगी।दादी कहती जा रही थी रिया जब तुम अपने भाई के यहाँ जाती हो तो वो तुम्हें कितना सन्मान देते है, अगर तुम्हारी भाभी भी ऐसा बर्ताव करे,जैसा तुम सलोनी के आने पर कर रही हो तो कैसा लगेगा तुम्हें।
दोस्तों!आज हम सब भी तो ,यही कर रहे हैं ।दिल को बड़ा रखने की जगह मेहमानों को मुसीबत समझने लगे हैं आज कोई घर आ जाये,तो अपने हाथो से खाना बना कर खिलाना तो बहुत दूर की बात हो गई है बस आसान रास्ता अपना लेते है कि चलो किसी रेस्टोरेन्ट मे खाना खिला देते है।मेहमान कोई भी हो ,पति का या पत्नी की तरफ़ से ,खुले दिल से स्वागत करे।यू तो हम कह रहे हैं समाज में प्यार बढ़ाये तो क्यों न शुरूवात अपने से ही करें।
यूँ भी दोस्तों !
“ कौन किसी के यहाँ आता जाता है आजकल,ये तो परिंदों की मासूमियत भरी मेहरबानी है ,जो हमारे बगीचो मे कभी भी आया ज़ाया करते है “
-लेखिका स्मिता ✍️

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क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में 4 दिवसीय आजादी के अमृत महोत्सव का आज समापन समारोह संपन्न

कानपुर 17 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतिम दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा संग डॉ मीत कमल डॉ रवि महलवाला डॉ जुनेजा,डॉ नवीन कुमार, डॉ सुधीर गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंतर्गत स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से दर्शाया गया।इसके पश्चात देश भक्ति का गीत गाकर वातावरण को देशभक्ति की भावना से पूर्ण कर दिया।इसके पश्चात आजादी के अमृत महोत्सव में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को कॉलेज के प्राचार्य द्वारा सर्टिफिकेट वितरित किया गया। कार्यक्रम का समापन एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा ने अपने एनएसएस के प्रमुख हर्षवर्धन दीक्षित तथा सह प्रमुख विलायत फातमा, मोमिन अली ने अपनी टीम जिनमें अरबाज,स्तुति, सौम्या दीक्षित, सौम्या तिवारी ,अर्फिया, फरीना ,साद ,उमर ने मिलकर कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया।

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एसएन सेन बीवी पीजी कॉलेज में राष्ट्र भक्ति से ओत प्रोत स्वतंत्रता दिवस का आयोजन

कानपुर 16 अगस्त देश 75 वीं वर्षगांठ और 76 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर महाविद्यालय एसएन सेन बीवी पीजी कॉलेज में प्राचार्या डॉ सुमन के नेतृत्व में महाविद्यालय में स्वतंत्रता दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में उप जिलाधिकारी महोदय अनुराज जैन उपस्थित रहे,उन्होंने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिन अंग्रेजो ने हम पर दो सौ वर्ष शासन किया, वहां तक पहुंचने में हमें केवल पच्हत्तर वर्ष ही लगे,। एनसीसी एनएसएस एवं रोवर्स रेंजर्स की छात्राओं के साथ ही महाविद्यालय की अन्य छात्राओं ने भी इसमें प्रतिभागी किया।विश्व विधालय मे योग प्रतियोगिता प्रदर्शन मे प्रथम स्थान प्राप्त भूमि ने योग का अद्भुत प्रदर्शन किया। डॉ निशि ने उच्च शिक्षा निदेशक का संदेश पढा,सचालन डा प्रीति पांडेय ने किया।डाचित्रा सिंहतोमर,डा रचना, कैप्टन ममता, डा प्रीति सिंह डा मीनाक्षी सहित समस्त शिक्षिका बहनों ने अपना सहयोग प्रदान किया। कर्मचारी बंधुओं ने भी यथासंभव योगदान दिया। यह तिरंगा हमारी आन बान और शान का प्रतीक है ऐसे ही लहराता रहे जय हिंद, जय भारत

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‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए रक्षा मंत्रालय क्वांटम संचार प्रौद्योगिकी में छलांग लगाने को पूरी तरह तैयार

ऐसे समय जब देश स्वतंत्रता के 75 साल पर ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है, तो भारत उच्चस्तरीय रक्षा प्रणालियों से अपने सशस्त्र बलों को लैस करने के लिए स्वदेशी और अधिक उन्नत क्वांटम संचार प्रौद्योगिकी के साथ वैश्विक नेताओं की पांत में शामिल होने के लिए तैयार है। रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स)
– रक्षा नवाचार संगठन (डीआईओ) के तत्वावधान में बेंगलुरु स्थित डीप टेक स्टार्ट-अप क्यूएनयू लैब्स ने क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (क्यूकेडी) के माध्यम से उन्नत सुरक्षित संचार का नवाचार कर दूरी की बाधाओं को तोड़ दिया है । यह परियोजना भारतीय सेना के साथ आईडीएक्स-डीआईओ द्वारा क्यूरेटेड की गई । सफल परीक्षणों के बाद अब भारतीय सेना ने प्रस्ताव (आरएफपी) और इसकी तैनाती के लिए वाणिज्यिक अनुरोध जारी करके क्यूएनयू लैब्स द्वारा विकसित क्यूकेडी सिस्टम की खरीद की प्रक्रिया शुरू की है।

क्वांटम प्रौद्योगिकी की सैन्य प्रयोजनों में काफी संभावना है तथा आधुनिक काल के युद्ध में लीक से हट कर यह प्रभाव डाल सकती है । एक क्यूकेडी प्रणाली स्थलीय ऑप्टिकल फाइबर बुनियादी ढांचे में कुछ दूरी (इस मामले में, 150 किमी से अधिक) के बीच अलग-अलग दूरी (150 किमी से अधिक) के बीच सममितीय की के क्वांटम सिक्योर सीक्रेट पेयर के निर्माण की अनुमति देती है । क्यूकेडी हैक न किए जाने योग्य क्वांटम चैनल बनाने में मदद करता है ताकि हैक न किए जाने योग्य एन्क्रिप्शन कुंजी बनाई जा सके, जिसका उपयोग एंड पॉइंट्स पर महत्वपूर्ण डेटा / आवाज / वीडियो को एन्क्रिप्ट करने के लिए किया जाता है।

स्टार्ट-अप की सफलता से उत्साहित रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने ‘आज़ादी का अमृत काल’ में एक मील की पत्थर की उपलब्धि के रूप में स्वदेशी क्यूकेडी प्रौद्योगिकी के विकास को और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की एक सफल सफलता की कहानी के रूप में बताया । उन्होंने डीप टेक में काम कर रहे आईडीईएक्स स्टार्ट-अप के प्रयासों की सराहना की क्योंकि वे आधुनिक और भविष्य के युद्ध के लिए अभिनव समाधान के साथ सशस्त्र बलों को लैस कर रहे हैं । रक्षा सचिव ने रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, आईडीईएक्स-डीआईओ, आर्मी डिजाइन ब्यूरो और भारतीय सेना सिग्नल निदेशालय के प्रयासों की भी सराहना की, जिसने देश में पहली बार हाई एंड क्वांटम प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान दिया है । उन्होंने कहा कि आईडीईएक्स रक्षा नवाचार में क्रांतिकारी बदलाव करता है और लागत और समय के एक अंश पर नए तकनीकी समाधानों को बढ़ावा देने में मदद करता है।

क्यूएनयू लैब्स के सह-संस्थापक और सीईओ श्री सुनील गुप्ता ने कहा कि भारत को क्वाण्टम प्रौद्योगिकी के ज़रिए डीप तकनीक के क्षेत्र में आगे रखने के दृष्टिकोण ने अंततः परिणाम दिए हैं । उन्होंने कहा कि आईडीईएक्स के ओपन चैलेंज -2 जीतने ने इस सफलता को प्राप्त करने के लिए क्यूएनयू प्रयोगशालाओं को लॉन्चिंग पैड प्रदान किया है।

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आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का किया गया आयोजन

कानपुर 15 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, भगवंती एजुकेशन सेंटर डिग्री कॉलेज मंघना बिठूर रोड कानपुर में आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया! सर्वप्रथम महाविद्यालय में ध्वजा रोहण किया गया, इसके उपरांत महाविद्यालय के छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये! पियानो एवं आर्केस्ट्रा की धुन पर गिर के छात्र छात्राओं के क़दमों ने कार्यक्रम में उत्साह व जोश भर दिया! इस अवसर पर महाविद्यालय के अध्यक्ष सरदार जगमोहन सिंह सलूजा, प्रबंधक श्री परमीत सिंह सलूजा, निर्देशिका डॉक्टर गिरीश कुमारी सिंह, प्राचार्य डॉक्टर अर्चना सिंह भदोरिया( मीडिया प्रभारी )ज्योति मिश्रा सहित समस्त प्रवक्ता गण एवं बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे!!

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गुजरा वक्त

बचपन कहूं या गुजरा वक्त मगर यह सच है कि वक्त बहुत तेजी के साथ बदल गया है। बीते वक्त की आज से तुलना करती हूं तो लगता है जैसे पता नहीं हमारा वक्त कौन सा वक्त था। आज हम इतना ज्यादा उपभोक्तावाद हो गए हैं कि छोटी छोटी चीजों का महत्व खत्म हो गया है। उनकी उपयोगिता घट गई है। छोटी छोटी सी चीजों में भी खुश हो जाने वाला बचपन आज बड़ी बड़ी चीजों में भी बहुत सहज दिखाई देता है।

हमारे जीवन में छोटी खुशियां और चीजों का मूल्य समझा और समझाया जाता था। एक बात और है कि आज के इस तकनीकी युग में विकल्प बहुत है। मुझे याद आता है कि यदि हमारी हवाई चप्पल अगर कहीं से टूट जाती थी तो सिलवाई जाती थी और उस चप्पल का इस्तेमाल हम तब तक करते थे जब तक वो बिल्कुल फेंकने लायक ना हो जाये। सिर्फ चप्पल ही क्यों स्कूल बैग फट जाते थे तो सिलवा कर इस्तेमाल में लाए जाते थे, आज की तरह नहीं कि फेंको और दूसरा ले लो। कपड़े भी जरा से फट गए तो सिल कर काम चला लिया जाता था, नए कपड़ों से अलमारियां नहीं भर ली जाती थी, पांच सात जोड़ी कपड़े बहुत होते थे। किताबों पर जिल्द ब्राउन पेपर की नहीं बल्कि अखबारों की जिल्द से भी काम चल जाता था।
हमारा बचपन खेल कूद और पढ़ाई में ही बीता। रसोई में क्या बन रहा है कभी ध्यान ही नहीं गया। मां जो भी बना देती थी वही खाना रहता था। हमारे लिए कोई ऑप्शन नहीं थे लेकिन आज अगर घर में तीन लोग हैं तो तीन तरह की रसोई बन जाती है, अनाज बर्बाद होता है सो अलग। पढ़ाई के मामले में भी अगर किताबें भाई बहन के काम आती है तो संभाल कर रख ली जाती थी नहीं तो किसी जरूरतमंद को दे दी जाती थी, रद्दी में नहीं फेंकी जाती थी। ऐसी ही न जाने कितनी बातें हैं दूरदर्शन या डी डी मेट्रो के अलावा हमारे लिए टीवी पर दुनिया भर के चैनल नहीं थे। रविवार का इंतजार रहता था और एक फिल्म देखना, कार्टून देखना या चंद्रकांता सीरियल, रामायण, महाभारत, टॉम एंड जेरी और चित्रहार जैसे कार्यक्रमों का इंतजार रहता था। आज की तरह बटन दबाकर पाज कर दिया और कल देखेंगे वाला सिस्टम नहीं था, उत्सुकता बनी रहती थी। वह इंतजार अब नहीं रह गया है। गाना सुनने के लिए वीडियो या टेप रिकॉर्डर थे। आज की तरह मोबाइल में सब कुछ सहूलियत से उपलब्ध नहीं था। होटल वगैरा भी किसी खास मौके पर ही जाना होता था आज की तरह वीकेंड मनाने या फिर जब मन हुआ होटल चले गए ऐसा नहीं होता था।
महसूस होता है कि वक्त बहुत तेजी से बदल गया है। पता नहीं दुनिया पहले छोटी थी अब छोटी हो गई है। बहुत फर्क आ गया है बच्चे हिंदी नहीं पढ़ना जानते, वास्तविक जीवन में कम तकनीकी जीवन में ज्यादा जीते हैं , मशीनी गति से काम करते न जाने कौन सा  सुख तलाश करते हैं। हमें पैसे की वैल्यू समझाई जाती थी। अब सब समय की वैल्यू देखते हैं। हमें महंगी और सस्ती चीजों का फर्क समझाया जाता था। सिर्फ पसंद आ जाना भर ही आ जाना ही मायने नहीं रखता था समय के साथ बदलता बहुत कुछ है और बदलना भी चाहिए आज के बच्चों में परिपक्वता ज्यादा है मगर जब कभी लगता है कि बच्चे अपना बचपन, अपने संस्कार और अपने मूल्य भूलते जा रहे हैं तब दुख होता है।

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर इकाई द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर झंडा रोहण सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 15 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर इकाई के द्वारा आज आजादी का अमृत महोत्सव , स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वतंत्रता दिवस का पर्व, मैगजीन घाट चौराहा पर बस्ती वासियों के बीच पार्षद श्री मनोज पांडे जी की उपस्थिति में तिरंगा झंडा फहराकर मनाया गया।छात्राओं के द्वारा शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए विभिन्न कार्यक्रम किए गए तथा नारे लगाए गए। कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने स्वतंत्रता दिवस के महत्व व तिरंगे झंडे के सम्मान व महत्व के विषय में बस्तीवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट सर्वोपरि होता है। हमें अपने तिरंगे का सम्मान करना चाहिए तथा उसे फहराने के नियमों का पालन करना चाहिए। कार्यक्रम के आयोजन में बस्तीवासियों विशेष रुप से श्री कन्हैया जी का विशेष योगदान रहा। सभी छात्राओं ने कार्यक्रम में उमंग, जोश व उत्साह के साथ हिस्सा लिया। इस पावन अवसर पर बस्ती वासियों को मिष्ठान वितरण भी किया गया।

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राजस्थान के जोधपुर में एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने कहा कि बुरी नजर डालने वाले किसी भी व्यक्ति से देश की रक्षा के लिए फुलप्रूफ सुरक्षा तंत्र मौजूद है

सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी भारत विरोधी तत्व देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता पर बुरी नजर न डाले एक फुलप्रूफ सुरक्षा तंत्र बनाया है । यह बात रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने दिनांक 13 अगस्त, 2022 को राजस्थान के जोधपुर में प्रसिद्ध मारवाड़ी योद्धा वीर दुर्गादास राठौड़ की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर कही । श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने भारत के लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और राष्ट्र को आश्वासन दिया है कि जो भी देश में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसे करारा जवाब दिया जाएगा । उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को नवीनतम हथियारों / प्लेटफार्मों से लैस किया जा रहा है, साथ ही उन्होंने यह जोड़ा कि वे भविष्य के सभी खतरों से निपटने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तैयार हैं।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC2TO5E.jpg

रक्षा मंत्री ने एक सशक्त सेना बनाने के लिए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि रक्षा मंत्रालय ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी हथियारों/ प्लेटफॉर्मों के निर्माण के लिए अनेक सुधार किए हैं । उन्होंने कुछ सुधारों को सूचीबद्ध किया, जिसमें 2022-23 में घरेलू उद्योग के लिए पूंजीगत खरीद बजट का 68 प्रतिशत और निजी उद्योग के लिए घरेलू पूंजी खरीद बजट का 25 प्रतिशत आवंटित करना शामिल है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए उपायों के कारण भारत दुनिया के शीर्ष 25 रक्षा निर्यातकों में जगह बनाने के लिए छलांग लगा चुका है । उन्होंने कहा, “इस दशक के अंत तक भारत न केवल अपने लिए रक्षा उपकरणों का निर्माण करेगा किंतु मित्रवत विदेशी देशों की जरूरतों को भी पूरा करेगा । ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ हमारे रक्षा उत्पादन विभाग का नया मंत्र है । हमारा संकल्प आने वाले समय में भारत को रक्षा उपकरणों का शुद्ध निर्यातक बनाना है।”

रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर वीर दुर्गादास राठौड़ को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें सामाजिक सद्भाव, ईमानदारी, बहादुरी और भक्ति का प्रतीक बताया । उन्होंने कहा कि जाति या धर्म के बावजूद लोगों को वीर दुर्गादास राठौड़ से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने समाज में विभाजनकारी तत्वों के खिलाफ शांति और सद्भाव के लिए प्रयास किया।

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