Breaking News

भाव और विश्वास इन्सान की खुद के अंतर मन की उपज है

दोस्तों ! ज़िन्दगी बहुत ही सरल और सीधी है हम लोगों ने ही उसे मुश्किल बना रखा है किसी भी चीज़ को पाना हो अगर ,तो पहले विश्वास करना पढ़ता है।चाहे वो दुनिया की कोई खुवाईशात हो या रब को पाने की चाहत ..बात सिर्फ़ विश्वास की है।
ऐलिस मेरी सहेली स्पेन से मुझे मिलने आ रही थी।ऐयरपोर्ट पर काफ़ी इंतज़ार के बाद मैं अपने डाईवर को गाड़ी पार्किंग में पार्क करने के लिए फ़ोन करने ही वाली थी कि पीछे से ज़ोर से आवाज़ सुनाई दी। हाय स्मिता !
मैंने मुड़ कर देखा।ऐलिस भागती हुई आई और मेरे गले लग गई। मेरी सहेली ऐलिस जो मेरे ही शहर में रहा करती थी फिर कुछ सालों बाद वो स्पेन चली गई।मैंने कहा !कैसी हो ऐलिस ? कैसा रहा सफ़र ?इतने सालों बाद मिल रही हो।दुबली भी हो गई हो।मेरे गले में बाँहें डाल कर बोली !जल्दी से मुझे घर चलो ।बहुत थक गई हूँ ।फिर आराम से बातें करते हैं।उसने अपना बैग उठाया और हम गाड़ी में बैठ कर घर आ गये। बड़ी ख़ुश थी मुझे मिल कर।कहने लगी मुझे बहुत इन्तज़ार था तुम से मिलने का।घर आ कर चाय का प्याला ले कर हम दोनों बैठ गये। मैंने पूछा ! कैसे आना हुआ इस बार ? ऐलिस ने लम्बी सी साँस ली और कहने लगी !टूट सी गई हूँ अब तो।मेरी स्पेन की नौकरी चली गई ,जो बिज़नेस था वो चल ही नहीं सका।सोचा शादी कर लूँ उसके लिए मुझे कोई ढंग का लड़का ही नहीं मिल पाया।मेरी गाड़ी का भी पिछले महीने ऐकसीडैंट हो गया मैं उदास हो गई थी ,सोचा इंग्लैंड हो कर आती हूँ ,तुम्हें भी मिलना हो जायेगा और अपने भाई से भी स्कॉटलैंड में मिल लूँगी।रात को देर तक बैठे बातें करते रहे ।सुबह पता नहीं क्या मेरे मन में आया।मेरे घर में मंदिर बना हुआ है जहां एक क्षीं यंत्र पड़ा था। लोग बहुत तरहां से रब की भक्ति करते हैं मगर मैं भाव से भक्ति में विश्वास करती हूँ ,न की कर्मकांड पर या यूँ कह सकती हूँ कि मुझे भक्ति करना आता ही नहीं। रब को रिझाना कैसे हैं शायद जानती ही नही मैं ।मैंने कहा ऐलिस ये क्षीं यंत्र तुम ले जाओ किसी महात्मा ने मुझे दिया था और मैंने थोड़ा सा कुम कुम उसे दे दिया और कहा कि रोज़ क्षीं यंत्र के ऊपर कुम कुम का अभिषेक कर दिया करना ,शायद तुम्हारे सब काम ठीक हो जाए।किसी महात्मा ने ऐसा ही कहा था मुझे ये यंत्र देते हुए।ये क्षीं यंत्र मुझे महात्मा जी ने शायद तुम्हारे लिये ही दिया हो।कह कर मैंने क्षीं यंत्र उसे दे दिया। ऐलिस अगले दिन की फ़्लाइट से अपने भाई से मिलने स्कॉटलैंड चली गई। वक़्त गुजरने लगा। पाँच साल हो चुके थे।इक रोज़ ऐलिस का फ़ोन आया कि स्मिता मैं तुम्हारे शहर में हूँ ,तुम्हें मिलने आ रही हूँ ।मैं हैरान थी आज एकदम अचानक से कैसे?उसी शाम ऐलिस घर आई।बेहद खुश थी मैंने पूछा !
कैसी हो? कहने लगी मैं बहुत खुश हूँ मेरा बिज़नस बहुत अच्छा हो गया है अब मुझे नौकरी की कोई ज़रूरत नहीं रही। घर भी ले लिया मैंने। नई गाड़ी भी ले ली है।और आज से तीन महीने बाद मेरी शादी है उसी का इन्वाइट देने आई हूँ तुम्हें।
मैं आजकल देश विदेश बहुत ट्रैवल करती हूँ और कहने लगी !
जहां भी जाती हूँ तुम्हारा दिया हुआ यंत्र साथ ले जाती हूँ।माई डियर फ्रैंड!ये सब तेरी वजह से हुआ है ,मैं हैरान थी ये सुन कर।मैंने पूछा !
मेरी वजह से ? कहने लगी !
हाँ हाँ तुम्हारी वजह से ही मैं सब कुछ वापस पा सकी।फिर बताने लगी तुम्हारा दिया हुआ क्षीं यंत्र मैं हर जगह ले कर जाती हूँ जैसा तुमने कहा था वैसे ही क्षीं यंत्र का अभिषेक करती हूँ। सब ठीक हो गया मेरा।ख़ुशी से उसने मुझे गले से लगा लिया ।कहने लगी !तुम मेरी बहुत स्पेशल सहेली हो। मैं उसकी ख़ुशी से बहुत खुश हो भी रही थी।ऐलिस जल्दी से एक बैग में से क्षीं यंत्र निकाल कर मुझे दिखाने लगी और एक पैकेट भी दिखाया। मैंने पूछा !ऐलिस ये क्या है ?कहने लगी !ये कुमकुम है।
मैंने पूछा कहाँ से ये लिया तुमने ? कहने लगी! ये तो हर गरोसरी शाप पर होता है। तुम्हारा दिया कुम कुम मेरे पास ख़त्म हो गया था तो मैं स्पेन में इक गरोसरी शाप पर गई। वहाँ का शाप ओनर स्पैनिश है। उसने कहा तुम ये ले ज़ाया करो ,ये भी लाल रंग का पाउडर है ,बस फिर क्या था मेरा काम बन गया।
मेरी आँखें नम हो रही थी उसकी बात सुन कर, उसकी मासूमियत देख कर और रब की मेहरबानियाँ देख कर ..असल में दोस्तों !
वो कुम कुम था ही नहीं ।
वो जो क्षीं यंत्र पर लगाया करती थी। वो लाल मिर्ची का पाउडर था। उसकी बातें सुन कर यहाँ ये समझ में आया मुझे कि उसे जो मिला है उसे उसके विश्वास से मिला है।उसने मुझ पर विश्वास करके मुझ से कुम कुम लिया और फिर उस स्पैनिश गरोसरी वाले इन्सान पर भरोसा किया ।ऐलिस का अपना ही विश्वास था कि सब ठीक हो जायेगा और हुआ भी।यहाँ इक और बात साफ़ हो गई भगवान को भाव व विश्वास चाहिए और कुछ नहीं।और हम इन्सान ही है जो कहते है ये करो ,वो करो ,तो ही काम होगा। मंत्र सही से नहीं किया तो काम ख़राब हो जायेंगे।भगवान को केवल भाव ,विश्वास ही प्रिय है ये दूध,दही,हल्दी,फल,फूल,धूप
बाती,तेल घी शहद जो भी हम भगवान को अर्पित करते हैं ,इसे हम पहले कहीं से ख़रीदते हैं या यूँ कह लीजिए ये सब भगवान के अपने ही बनाये हुये हैं।उसकी बनाई चीजों को ही भगवान पर अर्पित कर देते है और इसके विपरीत ..भाव और विश्वास ये दोनों चीजें खुद इन्सान की अपने अंतर मन की उपज है। ये वाक़या अपने आप में सब कुछ कह रहा है मुझे ज़्यादा कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं।
दोस्तों।अगर आप का मन साफ़ सरल और छल कपट से दूर है ,यकीन कर सकता है विश्वास करता है तो ये मान कर चलो कि इक रोज़ वो सब होगा ….जैसा आप चाहते हैं
लेखिका स्मिता ✍️