Breaking News

पिछले 9 सालों में 2000 से अधिक अप्रचलित नियम-कानून समाप्‍त किए गए : केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह

केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने आज कहा कि पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने शासन की सरलता तथा व्‍यवसाय की सुगमता के लिए 2,000 से अधिक नियमों और कानूनों को समाप्‍त कर दिया है।

आज यहां यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) द्वारा आयोजित ‘कृतज्ञता समारोह’ में यशराज भारती सम्मान (वाईबीएस) पुरस्कार प्रदान करने के बाद मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए,डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि पहले की सरकारों के विपरीत, जो यथास्थितिवादी दृष्टिकोण में विश्‍वास करती थीं, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ऐसे नियमों को खत्‍म करने के लिए साहस और दृढ़ विश्वास का प्रदर्शन किया है जो नागरिकों के लिए असुविधा उत्‍पन्‍न कर रहे थे और जिनमें से कई ब्रिटिश राज के समय से बने हुए थे। उन्होंने कहा कि सुशासन का अंतिम उद्देश्य नागरिकों के जीवन को सरल बनाना है।

डॉ. सिंह ने यशराज भारती सम्मान (वाईबीएस) स्थापित करने और विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किए गए असाधारण कार्यों को सम्‍मानित करने के लिए यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि जिन तीन श्रेणियों अर्थात स्वास्थ्य सेवा में नवोन्‍मेषण, लोगों के जीवन को रूपांतरित करना और नैतिक शासन में पुरस्कार प्रदान किए गए हैं, वे हमेशा से प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकताएं रही हैं।

डॉ. सिंह ने स्‍मरण किया कि मई 2014 में सरकार के सत्ता में आने के शीघ्र बाद, दो से तीन महीने के भीतर, राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रमाणित प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद,एक वर्ष के भीतर प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से रोजगार भर्ती में साक्षात्कार को समाप्त करने की बात कही, जिससे कि सबको समान अवसर उपलब्‍ध कराया जा सके। पेंशन में फेस रिकॉग्निशन प्रौद्योगिकी लागू की गई, जिससे किवरिष्‍ठ नागरिकों को जीवन प्रमाण पत्र बनवाने की थकाने वाली प्रक्रिया से न गुजरना पड़े। अधिकांश कामकाज को ऑनलाइन में परिवर्तित कर दिया गया और पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक सहभागिता लाने के लिए मानव इंटरफेस को ईष्‍टतम कर दिया गया।

शिकायत निवारण की चर्चा करते हुए, डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि शिकायत निवारण तंत्र को सीपीजीआरएएमएस में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप इस सरकार के आने से पहले हर वर्ष सिर्फ 2 लाख की तुलना में अब प्रत्‍येक वर्ष लगभग 20 लाख शिकायतें प्राप्त होती हैं, क्योंकि इस सरकार ने एक समयबद्ध निवारण की नीति और लोगों का विश्वास अर्जित किया।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, डॉ. सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी और टेलीमेडिसिन के उपयोग ने प्रदर्शित किया कि किस प्रकार नवोन्‍मेषण दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा उपलब्‍ध करा सकता है।

इस सरकार ने न केवल प्रौद्योगिकी और नवोन्‍मेषण को बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी नए नवोन्‍मेषण आरंभ करने के लिए स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा दिया और इस प्रकार नागरिकों के जीवन को रूपांतरित किया है।

डॉ.जितेन्‍द्र सिंह ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्‍त की कि पहले हमारी प्राथमिकताएं अनुपयुक्‍त थीं और सत्तर साल तक ये अनुपयुक्‍त बनी रहीं क्योंकि हम यथास्थितिवादी सरकारों द्वारा शासित थे। 9 साल में पहली बार इन्‍हें दुरुस्‍त करने की कोशिश की जा रही हैजिन्‍हेंपहले के वर्षों में ही दुरुस्‍त कर दिया जाना चाहिए था।उन्होंने प्रधानमंत्री के संदेश को देश के प्रत्‍येक घर तक ले जाने की यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) की कोशिशों पर प्रसन्नता जताई।

Read More »

गडकरी ने जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा के साथ लद्दाख के लिए प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बन रही एशिया की सबसे लंबी सुरंग जोजिला टनल का निरीक्षण किया

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग से संबंधित संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों की उपस्थिति में लद्दाख के लिए प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बन रही एशिया की सबसे लंबी सुरंग जोजिला टनल व जम्मू और कश्मीर में निर्माणाधीन एक अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना का निरीक्षण किया।

 https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0015V0E.jpg

जम्मू और कश्मीर में 25000 करोड़ रुपये के व्यय के साथ 19 सुरंगों का निर्माण-कार्य किया जा रहा है। इस ढांचागत कार्यक्रम के तहत जोजिला में 6800 करोड़ रुपये की लागत से 13.14 किलोमीटर लंबी सुरंग और इसके साथ एक उप-सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह 7.57 मीटर ऊंची घोड़े की नाल के आकार की सिंगल-ट्यूब व द्वि-दिशात्मक सुरंग है, जो कश्मीर में गांदरबल तथा लद्दाख के कारगिल जिले में द्रास शहर के बीच हिमालयन क्षेत्र स्थित जोजिला दर्रे के नीचे से गुजरेगी। इस विशेष परियोजना में एक स्मार्ट टनल (पर्यवेक्षी नियंत्रण एवं डाटा अधिग्रहण प्रणाली) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है और इस सुरंग का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड का उपयोग करके किया जा रहा है। यह सुरंग सीसीटीवी, रेडियो कंट्रोल, निर्बाध बिजली आपूर्ति और वायु-संचार जैसी आवश्यक सुविधाओं से लैस है। भारत सरकार द्वारा इस परियोजना में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल करने से इसे 5000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई है।

जोजिला सुरंग परियोजना के तहत बनने वाली मुख्य जोजिला टनल 13,153 मीटर लंबी है और इसमें 810 मीटर की कुल लंबाई के 4 पुलिया निर्धारित हैं, 4,821 मीटर की कुल लंबाई की 4 नीलग्रार सुरंगें, 8 कट जो 2,350 मीटर की कुल लंबाई को और तीन कट 500 मीटर को कवर करते हैं, इसके अलावा 391 मीटर तथा 220 मीटर के ऊर्ध्वाधर वेंटिलेशन शाफ्ट लगाया जाना प्रस्तावित हैं। अभी तक जोजिला सुरंग का 28 प्रतिशत कार्य खत्म हो चुका है।

इस सुरंग का निर्माण कार्य पूरा हो जाने से लद्दाख के लिए हर मौसम में सड़क संपर्क सुविधा स्थापित हो जाएगी। वर्तमान समय में सामान्य मौसम के दौरान जोजिला दर्रे को पार करने के लिए औसत यात्रा अवधि में कभी-कभी तीन घंटे लग जाते हैं, लेकिन इस सुरंग के पूर्ण रूप से बन जाने के बाद सफर का समय घटकर सिर्फ 20 मिनट रह जाएगा। यात्रा के समय में कमी आने से कोई संदेह नहीं है कि ईंधन की बचत भी होगी।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003D4UM.jpg

जोजिला दर्रे के पास का इलाका बेहद कठिन है और यहां पर हर वर्ष कई जानलेवा दुर्घटनाएं हो जाती हैं। जोजिला सुरंग का कार्य पूरा हो जाने के बाद दुर्घटनाओं की संभावना नगण्य हो जाएगी। एक बार संचालन शुरू होने के बाद यह सुरंग कश्मीर घाटी और लद्दाख के बीच प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुविधा सुनिश्चित करेगी, जो लद्दाख के विकास तथा पर्यटन को बढ़ावा देने, स्थानीय व्यापारिक वस्तुओं की मुक्त आवाजाही और आपात स्थिति में भारतीय सशस्त्र बलों की गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।

Read More »

गडकरी ने 6 लेन वाले 212 किलोमीटर लंबे दिल्ली-देहरादून ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे का निरीक्षण किया, जिसकी लागत 12,000 करोड़ रुपये है

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, श्री नितिन गडकरी ने आज केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री जनरल वीके सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में 6 लेन वाले 212 किलोमीटर लंबे दिल्ली-देहरादून ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे का निरीक्षण किया, जिसकी लागत 12,000 करोड़ रुपये है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0017FXJ.jpg

यह एक्सप्रेसवे चार खंडों में विभाजित है और इसका निर्माण दिल्ली में अक्षरधाम के पास से शुरु होकर शास्त्री पार्क, खजूरी खास, मंडोला के खेकड़ा में ईपीई इंटरचेंज, बागपत, शामली, सहारनपुर उत्तर प्रदेश से होकर उत्तराखंड के देहरादून तक किया जा रहा है। देहरादून के दतकाली में 1,995 करोड़ रुपये की लागत से 340 मीटर लंबी 3 लेन वाली सुरंग का निर्माण भी किया जा रहा है।

इस कॉरिडोर के निर्माण में अनेक प्रकार के विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिसमें गणेशपुर से देहरादून तक मार्ग को वन्यजीवों के लिए सुरक्षित रखा गया है। इसमें 12 किलोमीटर एलिवेटेड रोड, 6 पशु अंडरपास, 2 हाथी अंडरपास, 2 बड़े पुल और 13 छोटे पुलों का प्रावधान है। पूरे एक्सप्रेसवे में 113 वीयूपी (वाहन अंडर पास), एलवीयूपी (हल्के वाहन अंडर पास), एसवीयूपी (छोटे वाहन अंडर पास), 5 आरओबी, 4 बड़े पुल और 62 बस शेल्टर का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही, 76 किलोमीटर सर्विस रोड, 29 किलोमीटर एलिवेटेड रोड और 16 प्रवेश-निकास बिंदु का भी निर्माण किया जा रहा है।

यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली-देहरादून एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर 12 सड़क सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। इस राजमार्ग को हरिद्वार से जोड़ने के लिए 2,095 करोड़ रुपये की लागत से 6 लेन वाले 51 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड सड़क का निर्माण किया जा रहा है।

Read More »

रोजगार मेले के तहत प्रधानमंत्री 13 अप्रैल को सरकारी विभागों और संगठनों में भर्ती हुए नवनियुक्त कर्मियों को लगभग 71,000 नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे

प्रधानमंत्री मोदी 13 अप्रैल, 2023 को सुबह 10:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग 71,000 नवनियुक्त कर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री इन नवनियुक्त कर्मियों को संबोधित भी करेंगे।

यह रोजगार मेला, रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में एक कदम है। उम्मीद है कि रोजगार मेला, और रोजगार सृजन के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा तथा युवाओं को उनके सशक्तिकरण और राष्ट्रीय विकास में भागीदारी के लिए सार्थक अवसर प्रदान करेगा।

देश भर से चुने गए नवनियुक्त कर्मियों को भारत सरकार के तहत ट्रेन मैनेजर, स्टेशन मास्टर, वरिष्ठ वाणिज्यिक लिपिक सह टिकट लिपिक, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल, स्टेनोग्राफर, कनिष्ठ लेखापाल, डाक सहायक, इनकम टैक्स इंस्पेक्टर, टैक्स सहायक, सीनियर ड्राफ्ट्समैन, जेई/सुपरवाइजर, सहायक प्रोफेसर, शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष, नर्स, परिवीक्षा अधिकारी, पीए, एमटीएस और अन्य जैसे पदों पर कार्य करने के लिए शामिल किया जाएगा।

नवनियुक्त कर्मियों को ‘कर्मयोगी प्रारंभ’ के माध्यम से स्वयं को प्रशिक्षित करने का अवसर भी मिलेगा, जो विभिन्न सरकारी विभागों में सभी नवनियुक्त कर्मियों के लिए एक ऑनलाइन उन्मुखीकरण पाठ्यक्रम है।

Read More »

रक्षा मंत्री ने पूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास को और अधिक सुनिश्चित करने के लिए नई दिल्ली में 31वीं केंद्रीय सैनिक बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 11 अप्रैल 2023 को नई दिल्ली में केंद्रीय सैनिक बोर्ड (केएसबी) की 31वीं बैठक की अध्यक्षता की। केएसबी केंद्र सरकार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की शीर्ष संस्था है। इसे पूर्व सैनिकों (ईएसएम) के कल्याण और पुनर्वास का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। बैठक में नीतिगत उपायों के माध्यम से पूर्व सैनिकों तक पहुंचने के बारे में विचार-विमर्श किया गया ताकि पूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास को और अधिक सुनिश्चित किया जा सके।

श्री राजनाथ सिंह ने अपने मुख्य भाषण में पूर्व सैनिकों को राष्ट्रीय संपत्ति बताया और देश के लाभ के लिए उनके समृद्ध तथा व्यावहारिक अनुभव का उपयोग करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से नए तौर-तरीके बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अनेक राज्यों में पूर्व सैनिकों के लिए नौकरियों में आरक्षण है, जिसका पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए और निगरानी की जानी चाहिए।

रक्षा मंत्री ने इस तथ्य की सराहना की कि केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों ने सैनिकों के कल्याण के लिए हमेशा एक साथ काम किया है। उन्होंने केएसबी द्वारा किए जा रहे कार्यों को सहकारी संघवाद का ज्वलंत उदाहरण बताया। “राज्यों और राजनीतिक दलों के बीच अनेक विषयों पर मतभेद हैं। यह सब लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन जब बात सैनिकों और पूर्व सैनिकों के कल्याण की आती है तो सभी एक साथ आ जाते हैं। हमारे सैनिकों को लेकर हमेशा सामाजिक और राजनीतिक सहमति रही है। सशस्त्र बल समान रूप से पूरे देश की रक्षा करते हैं। यह हमारी राष्ट्रीय और सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि सेवानिवृत्ति के बाद समाज में वापस जाने वाले हमारे सैनिक सम्मानित जीवन जीएं।”

सशस्त्र बलों को युवा रखने के लिए बड़ी संख्या में सैनिक 35-40 वर्ष की आयु में सम्मानपूर्वक सेवा मुक्त हो जाते हैं। परिणाम स्वरूप वर्तमान 34 लाख पूर्व सैनिकों की संख्या में लगभग 60,000 सैनिक प्रति वर्ष जुड़ जाते हैं। श्री राजनाथ सिंह ने पूर्व सैनिकों के कल्याण के प्रति सरकार के अटल संकल्प की बात की और पूर्व सैनिकों के कल्याण तथा विकास को सुनिश्चित करने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए अनेक कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में केएसबी की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत लगभग 3.16 लाख लाभार्थियों को लगभग 800 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। पिछले वित्त वर्ष में एक लाख लाभार्थियों को लगभग 240 करोड़ रुपए दिए गए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आवश्यक बजट प्रदान किया जा रहा है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि पैराप्लैजिक पुनर्वास केंद्र, किर्की, चेशर होम, मोहाली तथा देहरादून, लखनऊ और दिल्ली सहित देश के 36 युद्ध स्मारक अस्पतालों को संस्थागत अनुदान दिये गये हैं। उन्होंने दोहराया कि पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) सुविधाओं की नियमित आधार पर समीक्षा की जा रही है।

वर्तमान में 30 क्षेत्रीय केंद्र तथा 427 पोलीक्लीनिक कार्यरत हैं। 75 टाइप-सी और डी पोलीक्लीनिकों की स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है और पहुंच बढ़ाने के लिए वीडियो प्लेटफॉर्म, सेहत ओपीडी लॉन्च किया गया। विभिन्न स्थानों पर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल जैसे नए गुणवत्ता संपन्न अस्पतालों को पैनल में शामिल किया जा रहा है। लाभार्थियों को दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दवा खरीदने की प्रक्रिया आसान बनाई जा रही है।

श्री राजनाथ सिंह ने पूर्व सैनिकों तक पहुंचने के लिए विशेष जागरूकता तथा आउटरिच कार्यक्रमों की जानकारी दी। पूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास के सामूहिक प्रयास में नागरिकों तथा कारपोरेट सेक्टर को शामिल करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी योजनाओं में आवेदन से लेकर वितरण तक की प्रक्रिया पूरी तरह स्वचालित है।

रक्षा मंत्री ने सीमा की सुरक्षा और समय पर, विशेषकर प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, कार्य करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त होने के बाद मातृभूमि की सेवा करने का भाव बनाए रखने के लिए पूर्व सैनिकों की सराहना की। उन्होंने अनेक अवसरों, विशेषकर कोविड-19 महामारी के विरुद्ध देश की लड़ाई के दौरान, पूर्व सैनिकों द्वारा किए गए मूल्यवान योगदान को रेखांकित किया। पूर्व सैनिकों ने देश के विभिन्न भागों में जरूरतमंद लोगों को दवाएं, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर तथा अन्य राहत सामग्री प्रदान करने में सरकार के प्रयासों में सहायता दी थी।

बैठक के एजेंडे में सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस समारोह का दायरा बढ़ाने के उपाय, पूर्व सैनिक (ईएसएम) समुदाय में गर्व की भावना बढ़ाने, सशस्त्र सेना झंड़ा दिवस कोष के अंतर्गत अनुदानों में वृद्धि, सशस्त्र बल कर्मियों को राज्य लाभ/अनुदान प्रदान करने में एकरूपता, संबंधित राज्यों में ईएसएम कारपोरेशन की स्थापना तथा सबसे अच्छा कार्य प्रदर्शन करने वाले राज्य सैनिक बोर्ड के लिए पुरस्कार का गठन शामिल रहे। श्री राजनाथ सिंह ने आशा व्यक्त की कि सिस्टम फॉर पेंशन एडमिनिस्ट्रेशन रक्षा (एसपीएआरएसएच-स्पर्श) पूर्व सैनिकों की पेंशन से संबंधित समस्याओं को सुलझाने में सफल होगी। उन्होंने राज्य सरकारों से पूर्व सैनिकों के साथ-साथ सेवारत कर्मियों के भूमि विवादों को सुलझाने में उच्च प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

विचार-विमर्श में विभिन्न राज्यों के मंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर. हरिकुमार, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) श्री विजय कुमार सिंह, केएसबी के सचिव कॉमोडोर एच.पी. सिंह, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया।

Read More »

प्रधानमंत्री ने युवाओं से सीमावर्ती गांवों में जाने का आग्रह किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सभी से, विशेषकर भारत के युवाओं से सीमावर्ती गांवों में जाने का आग्रह किया है।

श्री मोदी ने कहा कि यह हमारे युवाओं को विभिन्न संस्कृतियों से परिचित कराएगा और उन्हें वहां रहने वालों के आतिथ्य का अनुभव करने का अवसर देगा।

एक ट्वीट में अमृत महोत्सव के ट्वीटर हैंडल ने बताया कि ओडिशा के युवा वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत किबिथू और तूतिंग गांवों के दौरे पर हैं।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम युवाओं को इस पूर्वोत्तर क्षेत्र की जीवन शैली, जनजातियों, लोक संगीत और हस्तशिल्प के बारे में जानने तथा इसके स्थानीय जायके और प्राकृतिक सुंदरता में खुद को तल्लीन करने का अवसर दे रहा है।

अमृत महोत्सव के ट्वीट के जवाब में प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया;

“एक यादगार अनुभव रहा होगा। मैं दूसरों से, विशेष रूप से भारत के युवाओं से सीमावर्ती गांवों का दौरा करने का आग्रह करूंगा। यह हमारे युवाओं को विभिन्न संस्कृतियों से परिचित कराएगा और उन्हें वहां रहने वालों के आतिथ्य का अनुभव करने का अवसर देगा।

Read More »

वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) पर 35.7 लाख रिक्तियों का पंजीकरण

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय जॉब मैचिंग, कैरियर काउंसलिंग, व्यावसायिक मार्गदर्शन, कौशल विकास पाठ्यक्रमों, इंटर्नशिप आदि की जानकारी जैसी विभिन्न प्रकार की रोजगार संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय रोजगार सेवा में परिवर्तन के लिए एक मिशन मोड परियोजना के रूप में राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) परियोजना को लागू कर रहा है। एनसीएस के तहत सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जो 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित की गई थीं।

एनसीएस पोर्टल ने जुलाई, 2015 में लॉन्च होने के बाद से वर्ष 2022-23 के दौरान सबसे अधिक रिक्तियां दर्ज की हैं। नियोक्ताओं द्वारा वर्ष 2022-23 के दौरान लगभग 35.7 लाख रिक्तियों की सूचना दी गई है, जबकि 2021-22 में लगभग 13 लाख रिक्तियां थीं। 2022-23 में एनसीएस पर रिक्तियों की रिपोर्टिंग में 2021-22 की तुलना में 175 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, वर्ष 2022-23 में भी 30 अक्टूबर, 2022 को 5.3 लाख से अधिक की सर्वाधिक सक्रिय रिक्तियां देखी गईं।

एनसीएस पर रिक्ति पोस्टिंग में सभी क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई है। वित्त और बीमा क्षेत्र ने 800 प्रतिशत से अधिक की अभूतपूर्व वृद्धि दिखाई है और 2021-22 में 2.2 लाख रिक्तियों की तुलना में 2022-23 के दौरान 20.8 लाख रिक्तियां दर्ज की हैं। संचालन और सहायता क्षेत्र में रिक्तियों ने भी 2022-23 में 3.75 लाख रिक्तियों के साथ 400 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जबकि 2021-22 में यह संख्या 76 हजार थी। पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2022-23 के दौरान ‘होटलखाद्य सेवा और खानपान‘, ‘विनिर्माण‘, ‘स्वास्थ्य‘, ‘शिक्षा आदि क्षेत्रों में रिक्तियों में भी काफी वृद्धि हुई है।

वर्ष 2022-23 के दौरान, एनसीएस पोर्टल ने लॉन्च के बाद से 1 मिलियन से अधिक नियोक्ताओं को पंजीकृत करने की उपलब्धि हासिल की है। वर्ष 2022-23 में कुल पंजीकृत नियोक्ताओं में से 8 लाख से अधिक नियोक्ता पंजीकृत थे। नियोक्ताओं का अधिकतम पंजीकरण सेवा क्षेत्र (6.5 लाख) से हुआ, जिसके बाद विनिर्माण क्षेत्र के नियोक्ताओं का पंजीकरण हुआ।

एनसीएस पोर्टल पर उपलब्ध सभी सेवाएं नौकरी चाहने वालों, नियोक्ताओं, प्रशिक्षण प्रदाताओं और प्लेसमेंट संगठनों सहित सभी हितधारकों के लिए निःशुल्क हैं।

 

Read More »

गडकरी ने जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ सभी मौसम में जम्मू और श्रीनगर के बीच कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए बनाए जा रहे जम्मू से उधमपुर-रामबन-बनिहाल से श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 44) के श्रीनगर-बनिहाल सेक्शन का निरीक्षण किया

केंद्रीय सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, केंद्रीय राज्य मंत्री (डॉ.) वी. के. सिंह (सेवानिवृत्त) तथा केंद्रीय राज्य मंत्री श्री जितेंद्र सिंह के साथ जम्मू-कश्मीर के बीच सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए बनाए जा रहे जम्मू से उधमपुर-रामबन-बनिहाल से श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 44) के श्रीनगर-बनिहाल सेक्शन का निरीक्षण किया।

जम्मू और श्रीनगर के बीच आवाजाही को सुगम बनाने के लिए 35,000 करोड़ रुपए की लागत से तीन कोरिडोर बनाए जा रहे हैं। इसके अंतर्गग जम्मू से उधमपुर-रामबन-बनिहाल और आगे श्रीनगर तक के पहले कोरिडोर में श्रीनगर से बनिहाल तक का सेक्शन शामिल है। 250 किलोमीटर लंबी यह सड़क 16,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जा रही है। इसमें से 210 किलोमीटर का चार लेन का मार्ग पूरा हो गया है, जिसमें 21.5 किलोमीटर की 10 सुरंगें शामिल हैं।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001JNAX.jpg

इस सड़क का चार लेन का डिजाइन जियो-टेक्नीकल तथा जियोलॉजिकल जांच के आधार पर तैयार किया गया है, ताकि इस क्षेत्र में संभावित भू-स्खलन से निपटा जा सके। जम्मू और श्रीनगर के बीच यात्रा को सुरक्षित तथा सहज बनाने के लिए क्रैश बेरियर और अन्य सड़क सुरक्षा उपाय किए गए हैं।

इस मार्ग के बनने से जम्मू और श्रीनगर के बीच सभी मौसम में कनेक्टिविटी होगी। श्रीनगर से जम्मू का यात्रा समय 9-10 घंटे से कम होकर 4-5 घंटे रह जाएगा। जून 2024 तक रामबन और बनिहाल के बीच 40 किलोमीटर की चार लेन सड़क का केरिज-वे तैयार हो जाएगा, जिससे श्रीनगर के आने-जाने वाले लोगों को राहत मिलेगी।

Read More »

अंडमान और निकोबार कमांड में संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘एक्स कवच’ का समापन हुआ

अंडमान और निकोबार कमांड (एएनसी) ने थल सेना, नौसेना, वायु सेना और तटरक्षक बलों की संपदाओं को शामिल करते हुए बड़े स्तर पर एक संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘एक्स कवच’ का आयोजन किया। 23 फरवरी, 2023 को शुरू हुआ यह अभ्यास 7 अप्रैल, 2023 को संपन्न हो गया।

इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त युद्ध क्षमताओं और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को ठीक करना और सेनाओं के बीच अंतर परिचालन और संचालन तालमेल को बढ़ाना था। थल सेना की ‘शत्रुजीत ब्रिगेड’, आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन (एएफएसओडी), नौसेना के विशेष बलों और एएनसी के उभयचर सैनिकों ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के एक दूरस्थ द्वीप पर तट से दूर उभयचर लैंडिंग, हवाई संचालन, हेलीबोर्न संचालन और विशेष बलों के त्वरित प्रवेश से जुड़े बहु-डोमेन अभ्यास में भाग लिया।

‘एक्स कवच’ ने भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सशस्त्र बलों की क्षमताओं और तैयारियों का प्रदर्शन किया। अभ्यास ने एक जटिल और गतिशील माहौल में सफल संयुक्त ऑपरेशन का संचालन करते हुए एएनसी के विभिन्न घटकों के बीच व्यावसायिकता और तालमेल को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया।

अंडमान और निकोबार कमांड के कमांडर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह इस अभ्यास के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं के प्रभावशाली प्रदर्शन के साक्षी बने। उन्होंने सैनिकों को उनके पेशेवर आचरण और सफल अभियानों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे अभ्यासों से क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देते हुए देश अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत कर रहा है।

Read More »

प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के हैदराबाद में 11,300 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने तेलंगाना में हैदराबाद के परेड ग्राउंड में आज 11,300 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। परियोजनाओं में हैदराबाद के बीबी नगर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पांच राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं और सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला रखना शामिल है। उन्होंने रेलवे से जुड़ी अन्य विकास परियोजनाओं का भी लोकार्पण किया। इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री ने हैदराबाद के सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर सिकंदराबाद से तिरुपति के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने तेलंगाना राज्य के विकास की गति को तेज करने का अवसर प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इससे पहले आज दिन में सिकंदराबाद से तिरुपति के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखा कर रवाना करने का भी स्मरण किया। यह रेलगाड़ी सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर हैदराबाद की आईटी सिटी को भगवान वेंकटेश्वर, तिरुपति के निवास स्थान से जोड़ेगी। श्री मोदी ने कहा, “सिकंदराबाद-तिरुपति वंदे भारत एक्सप्रेस आस्था, आधुनिकता, टेक्नोलॉजी और टूरिज्म को सफलतापूर्वक कनेक्ट करने वाली है।” प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के नागरिकों को आज की 11,300 करोड़ रुपये से अधिक की रेलवे और सड़क संपर्क तथा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित परियोजनाओं के लिए शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने उल्ले ख किया कि तेलंगाना को अलग राज्य बने करीब-करीब उतना ही समय हुआ है, जितना केन्द्र में वर्तमान सरकार को हुआ है। श्री मोदी ने तेलंगाना राज्य के गठन में योगदान देने वालों के सम्मान में नतमस्तक हुए। श्री मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ की भावना पर प्रकाश डालते हुए कहा, “तेलंगाना के विकास से संबंधित राज्य के नागरिकों के सपनों को साकार करना केंद्र सरकार का कर्तव्य है।” उन्होंने कहा कि इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि तेलंगाना पिछले नौ वर्षों में भारत के विकास मॉडल का अधिकतम लाभ प्राप्त कर सके। शहरों में विकास का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने पिछले नौ वर्षों में बिछाए गए 70 किलोमीटर के मेट्रो नेटवर्क और हैदराबाद मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (एमएमटीएस) के विकास में हुई प्रगति का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने आज 13 एमएमटीएस सेवाओं की शुरुआत पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राज्य में इसके विस्तार के लिए तेलंगाना को 600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे हैदराबाद, सिकंदराबाद और आसपास के जिलों में लाखों नागरिकों को लाभ होगा, साथ ही नए व्यापारिक केंद्र भी बनेंगे और राज्य में निवेश बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी और दो देशों के बीच चल रहे संघर्ष के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत उन कुछ गिने चुने देशों में से एक है, जिन्होंने आधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए रिकॉर्ड स्तर पर निवेश किया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष के बजट में भारत में आधुनिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में, तेलंगाना के रेल बजट में सत्रह गुना वृद्धि हुई है और नई रेल लाइनें बिछाने, रेल लाइन के दोहरीकरण तथा विद्युतीकरण सहित अन्य कार्य रिकॉर्ड समय में पूरे हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “सिकंदराबाद-महबूबनगर परियोजना का विद्युतीकरण इसका एक प्रमुख उदाहरण है”, उन्होंने कहा कि यह हैदराबाद और बैंगलोर के बीच कनेक्टिविटी में सुधार करेगा। प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण के अभियान का हिस्सा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे के साथ-साथ तेलंगाना के राजमार्ग नेटवर्क को भी तेज गति से विकसित किया जा रहा है और उन चार राजमार्ग परियोजनाओं का उल्लेख किया, जिनका आज शिलान्यास किया गया है। श्री मोदी ने राजमार्ग के अक्कलकोट-कुरनूल खंड का उल्लेख किया, जो 2300 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने 1300 करोड़ रुपये की लागत से महबूबनगर-चिंचोली खंड, 900 करोड़ रुपये की लागत से कलवाकुर्थी-कोल्लापुर खंड और 2700 करोड़ रुपये की लागत से खम्मम-देवरापल्ली खंड के निर्माण का भी उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार पूरी शक्ति के साथ तेलंगाना में आधुनिक राजमार्गों के विकास के कार्यों का नेतृत्व कर रही है। श्री मोदी ने बताया कि तेलंगाना में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई वर्ष 2014 में राज्य के गठन के समय 2500 किलोमीटर थी और यह दोगुनी होकर आज 5000 किलोमीटर से अधिक हो गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा इस परियोजना पर 35,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में 60,000 करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं पर काम चल रहा है जिसमें बड़े बदलाव वाला हैदराबाद रिंग रोड के निर्माण का कार्य भी शामिल है।

श्री मोदी ने कहा, “केंद्र सरकार तेलंगाना में उद्योग और कृषि दोनों के विकास पर बल दे रही है।” यह देखते हुए कि वस्त्र उद्योग एक ऐसा उद्योग है जो किसान और मजदूर दोनों को ताकत प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने देश भर में 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने का निर्णय किया है और उनमें से एक मेगा टेक्सटाइल पार्क तेलंगाना में भी स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। प्रधानमंत्री ने आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बीबीनगर की आधारशिला रखने का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार तेलंगाना में शिक्षा और स्वास्थ्य में भी निवेश कर रही है। उन्होंने कहा, “आज की परियोजनाओं से तेलंगाना में यात्रा में आसानी, जीवनयापन और कारोबार में सुगमता बढ़ेगी।” हालांकि, प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार से सहयोग की कमी के कारण कई केंद्रीय परियोजनाओं को पूरा करने में देरी पर खेद व्यक्त किया। यह इशारा करते हुए कि यह तेलंगाना के लोगों का नुकसान है, श्री मोदी ने राज्य सरकार से विकास से संबंधित कार्यों में कोई बाधा नहीं आने देने और विकास की गति को तेज करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने देशवासियों की आशाओं, आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने के लिए अपनी सरकार की प्राथमिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुट्ठी भर लोग विकास की प्रगति से बहुत आंदोलित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वालों का देश हित और समाज के कल्याण से कुछ भी लेना-देना नहीं है और ऐसे लोग ईमानदारी से काम करने वालों के लिए भी समस्याएं पैदा करते रहते हैं। प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के लोगों को आगाह करते हुए कहा कि ऐसे लोग हर परियोजना और निवेश में केवल अपने परिवार का हित देखते हैं।

प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के बीच समानता पर ध्यान देते हुए दोहराया कि जब भाई-भतीजावाद होता है तो भ्रष्टाचार पनपने लगता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “नियंत्रण परिवारवाद और वंशवादी राजनीति का मूल मंत्र है”। प्रधानमंत्री ने इस प्रकार के सिद्धांतों की अपनी आलोचना को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वंशवादी लोग हर व्यवस्था पर अपना नियंत्रण रखना चाहते हैं और जब कोई उनके नियंत्रण को चुनौती देता है तो उससे घृणा करते हैं। प्रधानमंत्री ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम यानी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली और देश भर में डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहन देने का उदाहरण देते हुए उन वंशवादी ताकतों की ओर इशारा किया जो इस बात पर नियंत्रण रखती थीं कि किस लाभार्थी को क्या लाभ मिलेगा और इस स्थिति से निकलने वाले तीन अर्थों को विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहला परिवार की प्रशंसा होती रहे, दूसरा भ्रष्टाचार का पैसा परिवार के पास आता रहे और तीसरा जो पैसा गरीबों को भेजा जाता है, वह भ्रष्ट ईकोसिस्टम को मिलता रहे। उन्होंने कहा, ‘आज मोदी ने भ्रष्टाचार की असली जड़ पर प्रहार किया है। इसलिए ये लोग हिल गए हैं और इसके परिणामस्वरूप जो कुछ भी किया जा रहा है वह गुस्से में है।” श्री मोदी ने उन राजनीतिक दलों का जिक्र करते हुए कहा जो विरोध के रूप में न्यायालय में गए लेकिन उन्हें वहां से भी झटका लगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, “संविधान की सच्ची भावना का एहसास तब होता है जब सबका विकास (सब लोगों का विकास) की भावना के साथ काम किया जाता है और लोकतंत्र को सही अर्थों में मजबूत किया जाता है।” प्रधानमंत्री ने दोहराया कि वर्ष 2014 में केंद्र सरकार को वंशवादी राजनीति की बेड़ियों से मुक्त होने का परिणाम पूरा देश देख रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 9 वर्षों में देश की 11 करोड़ माताओं, बहनों और बेटियों को शौचालयों की सुविधा मिली है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के 30 लाख से अधिक परिवारों को शौचालयों का लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि देश में 9 करोड़ से अधिक बहनों और बेटियों को मुफ्त उज्ज्वला गैस कनेक्शन मिला है, जिसमें पिछले 9 वर्षों में तेलंगाना के 11 लाख से अधिक गरीब परिवार इस लाभ को प्राप्त करने वालों में शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि आज हमारी सरकार में 80 करोड़ गरीबों को निशुल्क राशन दिया जा रहा है, गरीबों को 5 लाख रुपये तक का निशुल्क उपचार प्रदान किया जा रहा है, तेलंगाना के 1 करोड़ परिवारों के जनधन बैंक खाते पहली बार खोले गए हैं, तेलंगाना के ढाई लाख छोटे उद्यमियों को बिना गारंटी के मुद्रा ऋण मिला है, 5 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को पहली बार बैंक से ऋण मिला है, और तेलंगाना के 40 लाख से अधिक छोटे किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत लगभग 9 हजार करोड़ रुपये मिले हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “सच्चे सामाजिक न्याय का जन्म तब होता है जब देश ‘तुष्टिकरण’ (कुछ लोगों का अपने फायदे के लिए लाभ) से ‘ संतुष्टिकरण (सभी की संतुष्टि)”‘ की ओर बढ़ता है।” उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि तेलंगाना सहित पूरा देश संतुष्टिकरण के मार्ग पर चलना चाहता है और सबका प्रयास के साथ विकास में योगदान देना चाहता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आजादी का अमृत काल में एक विकसित भारत के निर्माण के लिए तेलंगाना का तेजी से विकास बहुत महत्वपूर्ण है।” प्रधानमंत्री ने तेलंगाना की विकास यात्रा में अगले 25 वर्षों के महत्व पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर तेलंगाना की राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सौंदरराजन, केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, मलकानगिरी से सांसद श्री ए. रेवंत रेड्डी, तेलंगाना राज्य सरकार के मंत्री और अन्य लोगों उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास, 720 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। इसकी योजना इस तरह से बनाई जा रही है कि यह विश्वस्तरीय सुविधाओं और सौंदर्यपूर्ण रूप से डिजाइन किए गए प्रतिष्ठित स्टेशन भवन के साथ बड़े पैमाने पर बदलाव के साथ दिखाई देगा। पुनर्विकसित स्टेशन में एक ही स्थान पर सभी यात्री सुविधाओं के साथ दो स्तरीय अधिक जगह के साथ रूफ प्लाजा होगा, साथ ही यात्रियों को रेल से अन्य मोड में निर्बाध स्थानांतरण प्रदान करने के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी भी प्राप्त होगी।

कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने हैदराबाद-सिकंदराबाद जुड़वां शहर क्षेत्र के उपनगरीय खंड में 13 नई मल्टी-मॉडल परिवहन सेवा (एमएमटीएस) सेवाओं को झंडी दिखा कर शुभारंभ किया, जो यात्रियों को तेज, सुविधाजनक और आरामदायक यात्रा का विकल्प प्रदान करती हैं। उन्होंने सिकंदराबाद-महबूबनगर परियोजना के दोहरीकरण और विद्युतीकरण परियोजना भी राष्ट्र को समर्पित की। 85 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक फैली यह परियोजना लगभग 1,410 रुपये की लागत से पूरी की गई है। यह परियोजना निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और रेलगाड़ियों की औसत गति में वृद्धि करेगी।

प्रधानमंत्री ने हैदराबाद में आखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बीबीनगर की आधारशिला भी रखी। यह देश भर में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के प्रधानमंत्री की परिकल्पना का प्रमाण है। एम्स बीबीनगर 1,350 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया जा रहा है। एम्स बीबीनगर की स्थापना तेलंगाना के लोगों को उनके दरवाजे पर व्यापक, गुणवत्तापूर्ण और समग्र तृतीयक देखभाल स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

प्रधानमंत्री ने 7,850 करोड़ रुपये से अधिक की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। यह परियोजना तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों की सड़क कनेक्टिविटी को मजबूत करेगी और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायता प्रदान करेगी।

Read More »