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छावनी क्षेत्रों को अन्य नगर पालिकाओं के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज छावनी क्षेत्रों में पर्यावरण की देखभाल करने और वनस्पतियों का पोषण करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि समाज के व्यापक लाभ के लिए रक्षा संपदा भूमि पर संरचित तरीके से औषधीय पौधों और बागवानी को बढ़ावा देकर इसे प्राप्त किया जा सकता है।

आज उपराष्ट्रपति के एन्क्लेव में भारतीय रक्षा संपदा सेवा के 2023 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों से बातचीत करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि छावनी क्षेत्रों को स्वच्छता, हरियाली और नागरिक सुविधाओं के मामले में अन्य निकायों (जैसे नगर पालिकाओं) के लिए एक उदाहरण बनना चाहिए। विकसित हो रहे तकनीकी और भू-राजनीतिक परिदृश्य का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने युवा अधिकारियों को तेजी से बदलते परिदृश्य के साथ लगातार तालमेल बिठाने की सलाह दी। अधिकारियों से हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखने का आग्रह करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया, “रक्षा का सबसे अच्छा तरीका युद्ध के लिए सदैव तत्पर रहना है।” रक्षा भूमि को हमारी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए उपराष्ट्रपति महोदय ने रक्षा भूमि के प्रबंधन में आने वाली कई चुनौतियों जैसे अतिक्रमण और उसके बाद कानूनी विवादों का उल्लेख किया। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को भूमि प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे आप किसी भी घुसपैठ की निगरानी कर सकेंगे और दृढ़ संकल्प के साथ त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई कर सकेंगे। उपराष्ट्रपति, जो प्रतिष्ठित अधिवक्ता भी रहे हैं, उन्होंने ऐसे मामलों में अदालती कार्रवाई के लिए तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

उपराष्ट्रपति महोदय ने परिवीक्षार्थियों को कभी भी आसान रास्ता न अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि वे नैतिक आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करें तथा दूसरों के लिए आदर्श बनें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि “जब आप दबावों और चुनौतियों का सामना करें, तब भी दृढ़ रहें।” उन्होंने अधिकारियों से वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लिए काम करने का आग्रह किया। यह देखते हुए कि रक्षा संपदा का ऐतिहासिक और विरासत संबंधी महत्व बहुत अधिक है, उपराष्ट्रपति महोदय ने इसकी योजना और विकास में दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। डॉ. सुदेश धनखड़, रक्षा मंत्रालय के सचिव श्री गिरिधर अरमाने, रक्षा संपदा के महानिदेशक श्री जी.एस. राजेश्वरन, राष्ट्रीय रक्षा संपदा प्रबंधन संस्थान के निदेशक श्री राजेंद्र पवार, प्रशिक्षु अधिकारी, भारतीय रक्षा संपदा सेवा और उपराष्ट्रपति सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी

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केन्‍द्रीय मंत्री मनोहर लाल ने अरुणाचल प्रदेश में बिजली क्षेत्र की योजनाओं और परियोजनाओं की समीक्षा की

केन्‍द्रीय विद्युत और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने आज ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश के विद्युत क्षेत्र की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू, उपमुख्यमंत्री श्री चौना मीन, सचिव (विद्युत), भारत सरकार श्री पंकज अग्रवाल और मुख्य सचिव श्री धर्मेन्‍द्र, अरुणाचल प्रदेश सरकार उपस्थित थे।

अपने संबोधन मेंकेन्‍द्रीय विद्युत तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने उल्लेख किया कि केन्‍द्र सरकार देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की समग्र प्रगति के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। पिछले दशक में, केन्‍द्र सरकार इस क्षेत्र की जरूरतों के प्रति बेहद संवेदनशील रही है और बेहतर कनेक्टिविटी, बेहतर बुनियादी ढांचे और लोगों के कल्याण के लिए काम कर रही है। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत की कुल जलविद्युत क्षमता का लगभग 38 प्रतिशत (लगभग 50 गीगावाट) अरुणाचल प्रदेश में है, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है। इस बात पर चर्चा की गई कि राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं के शीघ्र विकास के लिए पूरक वनीकरण भूमि की उपलब्धता महत्वपूर्ण है। इस बात पर चर्चा की गई कि अन्य राज्यों में भी पूरक वनीकरण भूमि के लिए भूमि की तलाश की जा सकती है। नए कनेक्शनों की मंजूरी की प्रक्रिया और बिजली बिलों का प्रारूप सरल बनाने पर जोर दिया गया, जिसे उपभोक्ता आसानी से समझ सकें। इसके अलावा, उन्होंने उपभोक्ताओं को हर दो महीने में एक बार सेल्फ मीटर रीडिंग और मोबाइल ऐप के माध्यम से बिल बनाने का विकल्प प्रदान करने का सुझाव दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण बिजली की आपूर्ति की उपलब्धता से औद्योगिक क्षेत्र का भी विकास होगा, जिससे राज्य में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बिजली वितरण के मोर्चे पर, उन्होंने आरडीएसएस के तहत स्वीकृत कार्यों के शीघ्र कार्यान्वयन की सलाह दी। उन्होंने बिजली विभाग की वित्तीय व्यवहार्यता और परिचालन दक्षता में सुधार के लिए योजना के तहत निर्धारित विभिन्न सुधार उपायों को लागू करने की सलाह दी। बिजली विभाग को इस वर्ष के भीतर उपभोक्ता सेवा रेटिंग को ‘सी’ से कम से कम ‘बी’ तक सुधारने का लक्ष्य रखने की भी सलाह दी गई। मंत्री महोदय ने देश के बिजली क्षेत्र के समक्ष रखे गए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने में राज्य से सहयोग मांगा।

मुख्यमंत्री ने विद्युत मंत्री को केन्‍द्र में नई सरकार के गठन के बाद अपनी पहली यात्रा के लिए अरुणाचल प्रदेश को चुनने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने राज्य में विद्युत क्षेत्र के विकास को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय/नीतिगत निर्णय लेने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास ने गति पकड़ी है और निकट भविष्य में भारत सरकार से निरंतर सहयोग मांगा है।

उप मुख्यमंत्री ने राज्य में विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं के लिए सीपीएसई को बिजली विभाग का पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और सीपीएसई के संयुक्त प्रयासों से 13 जलविद्युत परियोजनाएं निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी हो जाएंगी। इससे राज्य के राजस्व में प्रति वर्ष लगभग 10,000 करोड़ रुपये का योगदान होगा, जिससे प्रति व्यक्ति आय विकसित राज्यों के स्तर तक बढ़ जाएगी। उन्होंने 2000 मेगावाट की प्रतिष्ठित सुबनसिरी लोअर और 2800 मेगावाट की बहुउद्देशीय दिबांग परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का सुझाव दिया। इस बैठक के दौरान अरुणाचल प्रदेश राज्य में विद्युत क्षेत्र के समग्र परिदृश्य के संबंध में विस्तृत विचार-विमर्श किया गया, जिसमें राज्य में जलविद्युत उत्पादन, विद्युत पारेषण और वितरण क्षेत्र के पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके अतिरिक्त, विद्युत क्षेत्र के सुधारों, विद्युत उपभोक्ताओं के लिए जीवन को आसान बनाने के लिए किए जाने वाले उपायों और भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए संसाधन पर्याप्तता योजना को अंतिम रूप देने के संबंध में भी विचार-विमर्श किया गया। राज्य सरकार ने भी विचार-विमर्श के दौरान अपनी जानकारी और सुझाव दिए।

अपने स्वागत भाषण मेंसचिव (विद्युत) ने राज्य में समृद्ध जलविद्युत क्षमता और स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में अरुणाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। पारेषण क्षेत्र की समीक्षा के दौरान, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित की जा रही “अरुणाचल प्रदेश में पारेषण और वितरण को मजबूत करने की व्यापक योजना” पर चर्चा की गई। इस बैठक के दौरान, रिजर्व फॉरेस्ट (आरएफ) क्षेत्रों में राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू), पूर्ण हो चुके तत्वों के ओएंडएम और डाउनस्ट्रीम कनेक्टिविटी से संबंधित मुद्दों जैसे प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा की गई और उनका समाधान किया गया। विद्युत वितरण के मोर्चे पर, राज्य सरकार से अनुरोध किया गया कि वह राज्य में बिजली की आपूर्ति में गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार लाने के उद्देश्य से पुनर्विकसित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत स्वीकृत कार्यों को तेजी से क्रियान्वित करे। इस बात पर जोर दिया गया कि स्मार्ट मीटरिंग कार्यों के कार्यान्वयन से ऊर्जा लेखांकन में सुविधा होगी और उपभोक्ताओं को भुगतान में आसानी और उनकी विद्युत खपत पर बेहतर नियंत्रण के साथ सशक्त बनाया जा सकेगा। राज्य सरकार ने दिसम्‍बर 2024 तक फीडर मीटरिंग पूरी करने का आश्वासन दिया। सचिव (विद्युत) ने इस बात पर जोर दिया कि हमें बढ़ती ऊर्जा मांग की दिशा में काम करते रहना चाहिए। किफायती दर पर गुणवत्तापूर्ण और विश्वसनीय बिजली सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता के हितों को हमारी रणनीति के केन्‍द्र में रखना होगा।

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खेलो इंडिया महिला वुशू लीग के पटियाला में होने वाले उत्तरी क्षेत्रीय मुकाबले के लिए तैयारी पूरी

खेलो इंडिया महिला वुशु लीग का आगामी उत्तरी क्षेत्रीय दौर, बहुत से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाला है, क्योंकि इसमें प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एथलीट आयरा चिश्ती और कोमल नागर अपना शानदार प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। यह प्रतियोगिता 9 से 13 जुलाई तक पटियाला के नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान में होगी, जिसमें सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर श्रेणियों के 350 एथलीट अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। एसएआई पटियाला द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में सांडा (लड़ाई) और ताओलू (रूप) दोनों शामिल होंगे और इसमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख की प्रतिभागी भाग लेंगी।

युवा मामले और खेल मंत्रालय का खेल विभाग भारतीय वुशु महासंघ द्वारा आयोजित 7.2 लाख रुपये की पुरस्कार राशि वाली इस प्रतियोगिता का वित्तपोषण करता है। सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर स्पर्धाओं के शीर्ष आठ वुशु एथलीटों को नकद प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

पिछले महीने कर्नाटक में हुए दक्षिण क्षेत्रीय मुकाबलों के बाद यह अगले दौर की क्षेत्रीय प्रतिस्‍पर्धा होगी। चार क्षेत्रीय मुकाबलों के बाद राष्ट्रीय रैंकिंग चैंपियनशिप आयोजित की जाएगी।

महिला वुशु लीग कई ऐसी नई खिलाड़ियों को मौका देगी जो अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता आयरा (18 वर्ष) और कोमल (19 वर्ष) की तरह बड़ा नाम कमाना चाहती हैं और  जो एनएसएनआईएस पटियाला सेंटर में प्रशिक्षण ले रही हैं।

2022 में इस प्रतियोगिता में पदार्पण करने वाली आयरा ने कहा, “मैं तीसरी खेलो इंडिया महिला वुशु लीग में अपने घरेलू मैदान में खेलने को लेकर बहुत उत्साहित हूं और पिछली दो चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हूं।” आयरा ने कहा, “खेलो इंडिया महिला लीग उन बहुत सारी लड़कियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो खेलों में अपना भविष्य संवारना चाहती हैं और मैं इसके लिए सरकार की आभारी हूं। जहां तक ​मेरा सवाल है, मैं 52 किग्रा वर्ग में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं और इस भार वर्ग में भारत के लिए यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिला बनना चाहती हूं। इससे पहले, मेरा लक्ष्य इस सितंबर में चीन में होने वाली सीनियर एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।”

जम्मू-कश्मीर की आयरा चिश्ती खेलो इंडिया महिला वुशु लीग में लगातार तीसरा स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश में हैं।

जम्मू-कश्मीर की आयरा, जो सीनियर 52 किग्रा सांडा वर्ग में हिस्सा लेंगी, ने 2022 में इंडोनेशिया में जूनियर वुशु विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने 2022 में जॉर्जिया में अंतर्राष्ट्रीय वुशु चैंपियनशिप में स्वर्ण और 2024 में रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता था।

चंडीगढ़ की कोमल सांडा में रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2023 की स्वर्ण पदक विजेता हैं। उन्‍होंने कहा, “कैलेंडर वर्ष में राष्ट्रीय टूर्नामेंट के अलावा एक और टूर्नामेंट खेलने का अवसर मिलने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।”

कोमल ने 14 साल की उम्र में आत्मरक्षा तकनीक सीखना शुरू किया था, उन्‍होंने कहा, “खेलो इंडिया महिला लीग हमें अपने प्रदर्शन का आकलन करने, अपने खेल की खामियों और उसमें सुधार करने की दिशा में काम करने के लिए एक अच्छा मंच प्रदान करती है।”

चंडीगढ़ की कोमल ने रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु इंटरनेशनल चैंपियनशिप 2023 में स्वर्ण पदक जीता

महिलाओं के लिए खेल के विषय में:

महिलाओं के लिए खेल विषय के तहत, खेलो इंडिया महिला लीग को दो मुख्य प्रारूपों में तय किया गया है: मेजर लीग और सिटी लीग। ये लीग विभिन्न खेल प्रारूपों में महिलाओं के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए मंच के रूप में काम करती हैं। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक खेल की आवश्यकताओं के अनुरूप विशिष्ट आयु श्रेणियों या भार श्रेणियों में लीग आयोजित की जाती हैं।

केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा समर्थित यह दृष्टिकोण न केवल महिला एथलीटों की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, बल्कि देश भर में विभिन्न कौशल स्तरों और आयु समूहों में प्रतिभा की पहचान और उसके विकास की सुविधा भी देता है। इन खेल प्रारूपों के माध्यम से, खेलो इंडिया पहल का उद्देश्य देश में एक जीवंत खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और भारत की महिला एथलीटों के प्रदर्शन में सुधार करना है।

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केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत अपने संपूर्ण जीव-जंतुओं की सूची तैयार करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसमें 104,561 प्रजातियां शामिल हैं

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री (एमओईएफसीसी) श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत अपने संपूर्ण जीव-जंतुओं की सूची तैयार करने वाला दुनिया का पहला देश है। सूची में कुल 1,04,561 प्रजातियाँ शामिल हैं। उन्होंने कहा, इस सफलता के कारण, भारत ने खुद को जैव विविधता संरक्षण में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित किया है।

उन्होंने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण के मामले में भारत हमेशा से दुनिया में अग्रणी देश रहा है। हमारी परंपराएं, सिद्धांत और मूल्य प्रकृति का सम्मान करते हैं और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के 109वें स्थापना दिवस के अवसर पर, श्री यादव ने आज कोलकाता में भारतीय जीव-जंतुओं को सूचीबद्ध करने वाला एक पोर्टल लॉन्च किया। अपने उद्घाटन भाषण में श्री यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का प्रकृति के प्रति दृष्टिकोण और मिशन तब प्रतिबिंबित होता है जब तीसरी बार ऐतिहासिक जनादेश मिलने के बाद पहला बड़ा कार्यक्रम ‘एक पेड़ मां के नाम’ शुरू किया गया। यादव ने कही कि प्रधानमंत्री के ‘मिशन लाइफ’ ने दुनिया के सामने सतत उपभोग और संरक्षण की उपयोगिता को उजागर किया है। उन्होंने कहा, हम प्रकृति से जो कुछ भी लेते हैं, हमें उसे उसके शुद्ध रूप में प्रकृति को वापस देने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने जैव विविधता और प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस जैसी सरकार की पहलों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि सफल परियोजनाओं के रूप में चीतों को भारत में स्थानांतरित करना इसका एक उदाहरण है।  यादव ने कहा कि भारत के जीव-जंतुओं का चेकलिस्ट पोर्टल देश के संपूर्ण जीव-जंतुओं का पहला व्यापक दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि जीवों की सूची वर्गीकरण वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, संरक्षण प्रबंधकों और नीति निर्माताओं के लिए अमूल्य जानकारी के भंडार के रूप में काम करेगा। इसमें 121 सूचियाँ हैं। इस सूची में लुप्तप्राय, स्थानिक और अनुसूचित प्रजातियाँ भी शामिल हैं।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जूलॉजिकल टैक्सोनॉमी समिट 2024 का उद्घाटन करते हुए, श्री यादव ने संगठन को जैव विविधता संरक्षण के लिए समर्पित 109 गौरवशाली वर्ष पूरे करने के लिए बधाई दी। 109 की संख्या पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, बौद्ध प्रार्थना माला का 109वां मनका कृतज्ञता, स्वीकृति और मौन का प्रतीक है।

एडवर्ड कान की पुस्तक हाउ फॉरेस्ट्स थिंक: टुवार्ड्स एन एंथ्रोपोलॉजी बियॉन्ड द ह्यूमन की सराहना करते हुए श्री यादव ने कहा, इस पुस्तक में, कहन ने बताया है कि किसी विशेष क्षेत्र में कुछ प्रकार के पेड़ क्यों उगते हैं, इसके तर्कसंगत कारण हैं। ये पौधे विशेष गुणों के माध्यम से पर्यावरण से संपर्क बनाये रखते हैं। कीट प्रतिरोध इन विशेषताओं का एक उदाहरण है। उन्होंने समझाया कि पेड़ इसी तरह सोचते हैं। उन्होंने सभी से एडुआर्डो कोहन की इस अद्भुत पुस्तक को पढ़ने का आग्रह किया।

एनिमल टैक्सोनॉमी समिट-2024 जेडएसआई द्वारा आयोजित किया जा रहा दूसरा शिखर सम्मेलन है। शिखर सम्मेलन के दौरान, तीन व्यापक विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा, 1)वर्गीकरण, पद्धति और विकास, 2) पारिस्थितिकी और पशु व्यवहार; 3) जैव विविधता और संरक्षण। शिखर सम्मेलन में चार देशों के 350 प्रतिनिधि भाग लेंगे, जिनमें नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, लंदन के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में भारत और विदेशों के प्रख्यात वक्ताओं/विशेषज्ञों के 21 पूर्ण/मुख्य व्याख्यान और 142 मौखिक/पोस्टर प्रस्तुतियाँ होंगी। शिखर सम्मेलन का समापन 3 जुलाई 2024 को होगा। जैव विविधता के संरक्षण की दृष्टि से इस सम्मेलन से निकलने वाली सिफारिशों से भारत सरकार को अवगत कराया जाएगा।

इससे पहले, बच्चों ने अपनी माताओं के साथ ‘एक पेड़ मां के नाम’ कार्यक्रम में भाग लिया जहां उन्होंने केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में पौधे लगाए।

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री, प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम मन की बात को भी सुना।

श्री यादव ने जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ‘एनिमल डिस्कवरीज 2023’ नामक पुस्तक का आधिकारिक विमोचन किया। इसमें  भारत से 641 नई पशु प्रजातियाँ और नए रिकॉर्ड शामिल हैं। उन्होंने भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण  (बीएसआई) की प्लांट डिस्कवरीज 2023 नामक पुस्तक का आधिकारिक विमोचन भी किया जिसमें भारत के वैज्ञानिकों, संकायों और शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित 339 नई पौधों की प्रजातियां और देश से नए रिकॉर्ड शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें भी आधिकारिक तौर पर प्रकाशित हुईं।

केंद्रीय मंत्री द्वारा अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशनों में ‘फौना ऑफ इंडिया-109 बारकोड’, ‘कैटलॉग ऑफ होवरफ्लाइज’, ‘कैटलॉग ऑफ मस्किडे’ और ‘फ्लोरा ऑफ इंडिया सीरीज’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर आईसीएआर-एनबीएफजीआर, लखनऊ और जेडएसआई, कोलकाता द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित पहली ‘बारकोड एटलस ऑफ इंडियन फिश’ और शिलादित्य चौधरी और केतन सेनगुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक ‘आरओएआर-सेलिब्रेटिंग 50 इयर्स ऑफ प्रोजेक्ट टाइगर’ का भी विमोचन किया गया।

इस अवसर पर वन विभाग के महानिदेशक और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री जितेंद्र कुमार ने ‘इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ जूलॉजी’ (आईएसजेड) का उद्घाटन किया जो जैव विविधता की वैश्विक समझ और संरक्षण में योगदान करने के लिए व्यक्तियों और संस्थानों की क्षमता को बढ़ाएगा।

इस कार्यक्रम में देश में जीव-जंतुओं के संसाधनों की खोज और सुरक्षा, हमारे पर्यावरण की महत्ता और सुरक्षा तथा इसमें जेडएसआई और बीएसआई के योगदान के संदेश शामिल थे। जेडएसआई ने बेहतर समन्वय और आम जनता को लाभ पहुँचाने के लिए विश्वविद्यालयों/कॉलेजों (जैसे विद्यासागर विश्वविद्यालय, बरहामपुर विश्वविद्यालय, मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, हिमालयन विश्वविद्यालय, फर्ग्यूसन कॉलेज और कोंगुनाडु कला एवं विज्ञान महाविद्यालय) और राष्ट्रीय संस्थानों (आईसीएआर-एनबीएफजीआर, आईसीएआर-एनबीएआईआर, आईसीएआर-सीआईएफए, बीआईटीएस, पिलानी) के साथ 10 समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया।

कार्यक्रम में जेडएसआई निदेशक धृति बनर्जी ने स्वागत भाषण दिया, जिसमें जेडएसआई, बीएसआई के अधिकारी, वैज्ञानिक और शोधकर्ता तथा कई विश्वविद्यालयों और भारतीय और विदेशी संस्थानों के कुलपति भी शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हुआ।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामलों को देखते हुए राज्यों को परामर्श जारी किया है

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल ने महाराष्ट्र में जीका वायरस के कुछ दर्ज किए गए मामलों को देखते हुए राज्यों को एक परामर्श जारी किया है। इसमें देश में जीका वायरस की स्थिति पर निरंतर सतर्कता बनाए रखने की जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।

चूंकि जीका संक्रमित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव आ जाता है, इसलिए राज्यों को सलाह दी गई है कि वे चिकित्सकों को कड़ी निगरानी के लिए सचेत करें। राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे संक्रमित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं या प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले मामलों की देखभाल करने वाले लोगों को निर्देश दें कि वे गर्भवती महिलाओं की जीका वायरस संक्रमण के लिए जांच करें, जीका से संक्रमित पाई गईं गर्भवती माताओं के भ्रूण के विकास की निगरानी करें और केंद्र सरकार के दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करें। राज्यों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे स्वास्थ्य सुविधाओं/अस्पतालों को एक नोडल अधिकारी की पहचान करने की सलाह दें जो अस्पताल परिसर को एडीज मच्छर से मुक्त रखने के लिए निगरानी और कार्य करें।

राज्यों को कीट विज्ञान निगरानी को मजबूत करने और आवासीय क्षेत्रों, कार्यस्थलों, स्कूलों, निर्माण स्थलों, संस्थानों और स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में वेक्टर नियंत्रण गतिविधियों को तेज करने के महत्व पर जोर देते हुए निर्देश दिया गया है। राज्यों से समुदाय के बीच घबराहट को कम करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर एहतियाती आईईसी संदेशों के माध्यम से जागरूकता को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया गया है, क्योंकि जीका किसी भी अन्य वायरल संक्रमण की तरह ही है जिसके अधिकांश मामले लक्षणहीन और हल्के होते हैं। हालांकि, इसे माइक्रोसेफली से जुड़ा मामला बताया जाता है, लेकिन 2016 के बाद से देश में जीका से जुड़े माइक्रोसेफली की कोई रिपोर्ट नहीं आई है।

किसी भी आसन्न उछाल/प्रकोप का समय पर पता लगाने और नियंत्रण के लिए, राज्य अधिकारियों को सतर्क रहने, तैयार रहने और सभी स्तरों पर उचित रसद की उपलब्धता सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है। राज्यों से यह भी आग्रह किया गया है कि वे पहचान में आए जीका के किसी भी मामले के बारे में तुरंत एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) को बताएं।

जीका परीक्षण सुविधा राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे; राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), दिल्ली और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की कुछ चुनिंदा वायरस अनुसंधान और नैदानिक ​​प्रयोगशालाओं में उपलब्ध है। जीका संक्रमण के बारे में उच्च स्तर पर समीक्षा की जा रही है।

डीजीएचएस ने इस साल की शुरुआत में 26 अप्रैल को एक एडवाइजरी भी जारी की थी। एनसीवीबीडीसी के निदेशक ने भी फरवरी और अप्रैल, 2024 में दो एडवाइजरी जारी की हैं ताकि राज्यों को एक ही वेक्टर मच्छर से फैलने वाली जीका, डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी के बारे में पहले से चेतावनी दी जा सके।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर लगातार नज़र रख रहा है।

पृष्ठभूमि:

डेंगू और चिकनगुनिया की तरह जीका भी एडीज मच्छर जनित वायरल बीमारी है। यह एक गैर-घातक बीमारी है। हालांकि, जीका संक्रमित गर्भवती महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में माइक्रोसेफली (सिर का आकार कम होना) से जुड़ा है, जो इसे एक बड़ी चिंता का विषय बनाता है।

भारत में 2016 में गुजरात राज्य में जीका का पहला मामला सामने आया था। तब से, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक जैसे कई अन्य राज्यों में भी बाद में जीका मामले दर्ज किए हैं।

वर्ष 2024 में (2 जुलाई तक), महाराष्ट्र के पुणे में 6, कोल्हापुर में 1 और संगमनेर 1 यानी पूरे आठ मामले दर्ज किए गए हैं।

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केरल में पंचायतों को (2020-21 से 2026-27 तक) 15वें वित्त आयोग के अनुदान के रूप में 5337.00 करोड़ रुपये जारी किए हैं

केरल मीडिया के कुछ वर्गों में आई रिपोर्टों का संदर्भ लें। केरल में ग्राम पंचायतों को 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुदान जारी करने में केंद्र सरकार की कथित लापरवाही पर पंचायती राज मंत्रालय ने निम्नलिखित जानकारी दी हैं :

(i) भारत सरकार ने केरल में ग्राम पंचायतों को 14वें वित्त आयोग (2015-16 से 2019-20 तक) के अनुदान के रूप में 3,774.20 करोड़ रुपये और इन पंचायतों को 15वें वित्त आयोग (2020-21 से 2026-27 तक) के अनुदान के रूप में 5,337.00 करोड़ रुपये (28.06.2024 तक) जारी किए हैं।

(ii) 15वें वित्त आयोग की अवधि के लिए, केरल को ग्रामीण स्थानीय निकायों को बिना शर्त (बेसिक) और सशर्त अनुदान के रूप में धनराशि जारी की गई। 15वें वित्त आयोग के तहत आवंटन और धनराशि जारी करने का विस्तृत वर्षवार सारांश नीचे दी गई तालिका 1 में दिया गया है :

तालिका नंबर-एक

ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए केरल राज्य को पंद्रहवें वित्त आयोग की धनराशि के आवंटन और धनराशि जारी करने की स्थिति

(करोड़ रुपए में)

क्रम सं. वर्ष बिना शर्त (बेसिक) अनुदान राशि सशर्त अनुदान राशि कुल
आवंटन जारी करना आवंटन जारी करना आवंटन जारी करना
1 2020–21 814.00 814.00 814.00 814.00 1628.00 1628.00
2 2021–22 481.20 481.20 721.80 721.80 1203.00 1203.00
3 2022–23 498.40 498.40 747.60 747.60 1246.00 1246.00
4 2023–24 504.00 504.00 756.00 756.00 1260.00 1260.00

(iii) 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, राज्यों के लिए यह अनिवार्य शर्त है कि वे राज्य वित्त आयोग (एसएफसी) का गठन करें, उनकी सिफारिशों पर कार्य करें और मार्च 2024 तक या उससे पहले राज्य विधानमंडल के समक्ष की गई कार्रवाई के संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। मार्च 2024 के बाद, उस राज्य को कोई अनुदान जारी नहीं किया जाएगा, जिसने राज्य वित्त आयोग और इन शर्तों के संबंध में संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया है।

(iv) मंत्रालय ने 11 जून, 2024 और 24 जून, 2024 के अपने पत्र के माध्यम से राज्यों से राज्य वित्त आयोग का विवरण उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

(v) राज्य सरकार ने 7 जून 2024 के पत्र के माध्यम से वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बिना शर्त अनुदान की दूसरी किस्त का अनुदान हस्तांतरण प्रमाणपत्र (जीटीसी) प्रस्तुत किया है। इसकी जांच पंचायती राज मंत्रालय कर रहा है और वित्त मंत्रालय को अगली किस्त (वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पहली किस्त) जारी करने की सिफारिश की जा रही है। हालांकि, 28 जून 2024 तक मंत्रालय को केरल से राज्य वित्त आयोग पर विवरण प्रस्तुत करने से संबंध में जवाब प्राप्त होना बाकी है, जो मार्च 2024 के बाद अनुदान जारी करने के लिए एक अनिवार्य शर्त है।

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दोनों सदनों के अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के साथ संसद सत्र समाप्त

18वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनावों के बाद, लोकसभा का पहला सत्र और राज्यसभा का 264वां सत्र क्रमशः 24 और 27 जून से बुलाया गया था। लोकसभा को कल 2 जुलाई, 2024 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया, जबकि राज्यसभा को आज 3 जुलाई, 2024 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। आज नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने संसद के इस सत्र की कार्यवाही का विवरण प्रस्तुत किया। लोकसभा में पहले दो दिन 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ/प्रतिज्ञान के उद्देश्य के लिए विशेष रूप से समर्पित थे। सत्र के दौरान कुल 542 सदस्यों में से 539 ने शपथ/प्रतिज्ञान लिया।

शपथ/प्रतिज्ञान की सुविधा के लिए, भारत की राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत श्री भर्तृहरि मेहताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया तथा श्री सुरेश कोडिकुन्निल, श्री राधा मोहन सिंह, श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, श्री टी.आर. बालू और श्री सुदीप बंद्योपाध्याय को ऐसे व्यक्तियों के रूप में नियुक्त किया, जिनके समक्ष सदस्य संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत शपथ/प्रतिज्ञान ले सकते हैं और उन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

26 जून, 2024 को लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव हुआ और लोकसभा के सदस्य श्री ओम बिरला को ध्वनि मत से अध्यक्ष चुना गया। इसी दिन, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में अपने मंत्रिपरिषद का परिचय कराया। 27 जून, 2024 को राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 87 के तहत संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया, जिसमें सरकार की पिछली उपलब्धियों का ब्यौरा दिया गया और साथ ही राष्ट्र के भविष्य के विकास के लिए रोडमैप का भी विवरण दिया गया।

27 जून, 2024 को प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिपरिषद का राज्यसभा में परिचय कराया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा 28 जून, 2024 को दोनों सदनों में शुरू होनी थी।

लोकसभा में व्यवधानों के कारण इस विषय पर बहस 1 जुलाई, 2024 को ही शुरू हो सकी। श्री अनुराग ठाकुर, सांसद ने बहस की शुरुआत की, जबकि सुश्री बांसुरी स्वराज, सांसद ने लोकसभा में चर्चा का समर्थन किया। कुल 68 सदस्यों ने बहस में हिस्सा लिया, जबकि 50 से अधिक सदस्यों ने अपने भाषण सदन के पटल पर रखे। 2 जुलाई, 2024 को 18 घंटे से अधिक चली चर्चा के बाद प्रधानमंत्री द्वारा बहस का उत्तर दिया गया। लोकसभा में लगभग 34 घंटे की अवधि में 7 बैठकें हुईं और एक दिन के व्यवधान के बावजूद उत्पादकता 105 प्रतिशत रही। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा 28 जून, 2024 को श्री सुधांशु त्रिवेदी, सांसद द्वारा शुरू की गई, जिसका समर्थन सुश्री कविता पाटीदार, सांसद द्वारा किया गया। कुल 76 सदस्यों ने 21 घंटे से अधिक चली बहस में भाग लिया, जिसका उत्तर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 3 जुलाई, 2024 को दिया गया। राज्यसभा की कुल उत्पादकता 100 प्रतिशत से अधिक रही।

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भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर मानसून के दौरान प्रभावी प्रबंधन के लिए सक्रिय कदम उठाए

मानसून के मौसम के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों पर जल भाराव या बाढ़ जैसी स्थिति की समस्या से निपटने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने विभिन्न उपाय किए हैं और देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर आपातकालीन राहत प्रदान की है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में प्रभावी समाधान प्रदान करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाते हुए बाढ़/भूस्खलन प्रभावित स्थानों पर मशीनरी और जनशक्ति को शीघ्रता से पहुंचाने के लिए अन्य निष्पादन एजेंसियों, स्थानीय अधिकारियों और प्रशासन के साथ निकट समन्वय में काम कर रहा है। इसके अलावा, प्रभावी आपदा राहत तैयारियों के लिए संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) समय पर तैनाती के लिए प्रमुख मशीनरी की उपलब्धता की मैपिंग कर रहा है।

राष्ट्रीय राजमार्गों पर जल भाराव या बाढ़ जैसी स्थिति से बचने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) राज्य सिंचाई विभाग के साथ संयुक्त निरीक्षण कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी चालू चैनल/धारा का प्रवाह नवनिर्मित राजमार्ग से बाधित न हो। हाल ही में दिल्ली-काटरा एक्सप्रेसवे और अन्य परियोजनाओं पर सिंचाई विभाग के परामर्श से विशेष अभियान चलाया गया।

इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर, जहां भी जल भाराव की संभावना है, वहां पर्याप्त पंपिंग की व्यवस्था की जाएगी। राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं तक किसी भी बाधा के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ लेते हुए उन्नत यातायात प्रबंधन प्रणाली (एटीएमएस) के साथ-साथ राजमार्ग यात्रा ऐप का उपयोग किया जाएगा।

पहाड़ी क्षेत्रों में, जिला प्रशासन के साथ निकट समन्वय में प्रत्येक भूस्खलन संभावित स्थल पर पर्याप्त जनशक्ति और मशीनरी से सुसज्जित समर्पित आपातकालीन राहत दल तैनात किया गया है। इससे चौबीसों घंटे और सातों दिन संपर्क को सक्षम बनाने और यातायात की सुरक्षित और सुचारू आवाजाही प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग से गंदगी को तुरंत हटाने में सहायता मिलेगी। सुरक्षित यातायात संचालन की सुविधा के लिए प्रत्येक भूस्खलन संभावित क्षेत्र में अस्थायी अवरोध और चेतावनी संकेत स्थापित किए गए हैं।

निवारक उपायों के कार्यान्वयन के लिए, संवेदनशील स्थानों की पहचान की जाती है जिनके गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना है जैसे बाढ़/भूस्खलन/चट्टान गिरने की संभावना वाले क्षेत्र, धंसने वाले क्षेत्र आदि। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारी विभिन्न संरचनाओं जोड/ पुलों के खम्भे आदि का भी निरीक्षण कर रहे हैं जिनका बाढ़ का इतिहास रहा है ताकि तटबंधों पर क्षति की पहचान की जा सके। सड़क उपयोगकर्ताओं को सावधान करने के लिए संवेदनशील स्थानों पर चेतावनी संकेत लगाए जाएंगे। 

जिन स्थानों पर भारी भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए अवरुद्ध हो सकता है, वहां जिला प्रशासन के साथ एक वैकल्पिक मार्ग परिवर्तन योजना तैयार की गई है। इसके अलावा, कुछ कमजोर ढलानों और सुरंगों पर वास्तविक समय की निगरानी सहित भू-तकनीकी उपकरण को प्रयोग के रूप में लागू किया गया है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पूरे भारत में मानसून की प्रगति के साथ बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने की तैयारी सुनिश्चित करने और आपातकालीन राहत को सक्षम करने के लिए कई सक्रिय कदम उठाए हैं। ये उपाय मानसून के मौसम के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को निर्बाध यात्रा की सुविधा प्रदान करने में काफी सहायता करेंगे।

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शिक्षा मंत्रालय समस्‍त कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों और छात्रावासों में आईसीटी लैब एवं स्मार्ट कक्षाएं उपलब्ध कराएगा  

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने समस्‍त कार्यात्‍मक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) और छात्रावासों में ‘समग्र शिक्षा’ मानदंडों के अनुसार आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) लैब एवं स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है, ताकि बालिकाओं को सशक्त बनाया जा सके, उन्हें डिजिटल रूप से दक्ष बनाया जा सके, और उनके ज्ञान एवं कौशल को बढ़ाया जा सके। इससे डिजिटल ज्ञान में मौजूदा खाई को पाटना भी संभव हो जाएगा। लगभग 290 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस पहल से केजीबीवी की 7 लाख बालिकाएं लाभान्वित होंगी।

केजीबीवी दरअसल वंचित समूहों जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवनयापन करने वाली बालिकाओं के लिए कक्षा VI से लेकर कक्षा XII तक के आवासीय विद्यालय हैं। केजीबीवी शैक्षणिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में खोले जाते हैं, जिसका उद्देश्य इन बालिकाओं तक पहुंच एवं गुणवत्तापूर्ण या बेहतरीन शिक्षा सुनिश्चित करना है और इसके साथ ही स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर बालकों एवं बालिकाओं के ज्ञान में अंतर को कम करना है। वर्तमान में देश के 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 5116 केजीबीवी कार्यरत हैं।

केजीबीवी में बालिकाओं को आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराना अत्‍यंत आवश्‍यक है क्योंकि केजीबीवी की बालिकाएं वंचित पृष्ठभूमि से आती हैं और उन्‍हें शिक्षा की प्राप्ति में विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है जिनमें घर से स्‍कूलों का काफी दूर होना, सांस्कृतिक मानदंड और सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी शामिल हैं। डिजिटल साक्षरता सुलभ कराना उनके व्यक्तिगत और प्रोफेशनल या व्यावसायिक विकास के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक है। इससे डिजिटल ज्ञान में मौजूदा खाई को पाटने में भी काफी मदद मिलेगी।

तेजी से विकास और हमारे जीवन एवं आजीविका के साथ आईसीटी के एकीकरण के मौजूदा युग में यह अत्‍यंत आवश्‍यक है कि जीवन के सभी क्षेत्रों से वास्‍ता रखने वाले बालकों- बालिकाओं को खुद को आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस करने का अवसर मिले। आईसीटी को स्कूली पाठ्यक्रम में एकीकृत किया गया है ताकि विद्यार्थियों, विशेषकर वंचित समूहों के विद्यार्थियों को पर्याप्त अनुभवात्मक जानकारियां मिल सकें।

आईसीटी सुविधाएं उपलब्‍ध कराने से यह सुनिश्चित होगा कि केजीबीवी की बालिकाओं को स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के विभिन्‍न डिजिटल प्लेटफॉर्मों/संसाधनों जैसे कि ‘स्वयं’, ‘स्वयं प्रभा’, राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी, ई-पाठशाला, राष्ट्रीय मुक्त शैक्षणिक संसाधन भंडार, दीक्षा, इत्‍यादि तक बेहतर पहुंच सुलभ होगी। इससे इन बालिकाओं का ज्ञान एवं कौशल बढ़ेगा।   

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स्मार्ट सिटी मिशन मार्च 2025 तक बढ़ाया गया

स्मार्ट सिटी मिशन भारत के शहरी विकास में एक नया प्रयोग है। जून 2015 में अपनी शुरुआत के बाद से, मिशन ने कई नवीन विचारों को अमल में लाने का प्रयास किया है, जैसे कि 100 स्मार्ट शहरों के चयन के लिए शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा, हितधारकों द्वारा संचालित परियोजना चयन, कार्यान्वयन के लिए स्मार्ट सिटी स्पेशल पर्पज व्हीकल्स का गठन, शहरी शासन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी और डिजिटल समाधानों का असरदार तरीके से इस्‍तेमाल, प्रमुख शैक्षणिक और व्यावसायिक संस्थानों द्वारा तीसरे पक्ष के प्रभाव का मूल्यांकन आदि।

100 शहरों में से प्रत्येक ने परियोजनाओं का एक विविध सेट विकसित किया है, जिनमें से कई बहुत ही अनोखी हैं और पहली बार लागू की जा रही हैं, जिससे शहरों की क्षमता और अनुभव में सुधार हुआ है और शहर के स्तर पर बड़े परिवर्तनकारी लक्ष्य हासिल हुए हैं। 100 शहरों द्वारा लगभग ₹ 1.6 लाख करोड़ की लागत से 8,000 से अधिक बहु-क्षेत्रीय परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं।

03 जुलाई 2024 तक, 100 शहरों ने मिशन के हिस्से के रूप में ₹ 1,44,237 करोड़ की राशि की 7,188 परियोजनाएं (कुल प्रोजेक्ट का 90 प्रतिशत) पूरी कर ली हैं। ₹ 19,926 करोड़ की राशि की शेष 830 परियोजनाएं भी पूरा होने के अंतिम चरण में हैं। वित्तीय प्रगति के मामले में, मिशन के पास 100 शहरों के लिए ₹ 48,000 करोड़ का भारत सरकार का आवंटित बजट है। आज तक, भारत सरकार ने 100 शहरों को ₹ 46,585 करोड़ (भारत सरकार के आवंटित बजट का 97 प्रतिशत) जारी किए हैं। शहरों को जारी किए गए इन फंडों में से, अब तक 93 प्रतिशत का उपयोग किया जा चुका है। मिशन ने 100 में से 74 शहरों को मिशन के तहत भारत सरकार की पूरी वित्तीय सहायता भी जारी कर दी है।

मिशन को कुछ राज्यों/शहरों की सरकार के प्रतिनिधियों से कई अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं, ताकि शेष 10 प्रतिशत परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कुछ और समय दिया जा सके। शेष चल रही ये परियोजनाएं कार्यान्वयन के अंतिम चरण में हैं और विभिन्न स्थितियों के कारण विलंबित हो गई हैं। यह लोगों के हित में है कि ये परियोजनाएं पूरी हों और उनके शहरी क्षेत्रों में जीवन को आसान बनाने में योगदान दें। इन अनुरोधों का संज्ञान लेते हुए, भारत सरकार ने इन शेष 10 प्रतिशत परियोजनाओं को पूरा करने के लिए मिशन की अवधि 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी है। शहरों को सूचित किया गया है कि यह विस्तार मिशन के तहत पहले से स्वीकृत वित्तीय आवंटन से परे किसी भी अतिरिक्त लागत के बिना होगा। सभी चल रही परियोजनाओं के अब 31 मार्च 2025 से पहले पूरा होने की उम्मीद है।

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