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मृत एंजाइम वीईजीएफआर1 का परिवर्तित रूप कोलोन और गुर्दे के कैंसर के चिकित्सा समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण आधार है

शोधकर्ताओं ने एक ऐसी सूक्ष्म अणु प्रक्रिया की महत्वपूर्ण खोज की है जिसमें वृद्धि कारकों को इकट्ठा रखने, सेल विविधताओं के प्रसार, अस्तित्व, चयापचय और आवागमन को नियमित करने के साथ-साथ कैंसर को रोकने में सक्षम एंजाइम संरचना से संबंधित एक सेल सरफेस रिसैप्टर शामिल है।

वीईजीएफआर1 नामक यह एंजाइम उदाहरण के तौर पर हार्मोन जैसे एक लिगैंड की अनुपस्थिति में इसे स्वयं बढ़ने से रोकता है। यह शोध उन अणुओं का उपयोग करके कोलन और गुर्दे के कैंसर के लिए चिकित्सा समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण रूप से मार्ग प्रशस्त कर सकता है जो मुख्य तौर पर वीईजीएफआर1 की निष्क्रिय अवस्था को स्थिर करते हैं।

रिसेप्टर टायरोसिन किनेसेस (आरटीके) जैसे सेल सरफेस रिसेप्टर्स बाह्यकोशिकीय संकेतों (विकास कारकों जैसे रासायनिक संकेतों से, जिन्हें आमतौर पर लिगैंड के रूप में संदर्भित किया जाता है) को विनियमित सेलुलर प्रतिक्रिया में बदलने के लिए महत्वपूर्ण हैं। बाह्यकोशिकीय रिसेप्टर्स से लिगैंड वाईडिंग इंट्रासेल्युलर युग्मित एंजाइम (टायरोसिन किनेसेस) को सक्रिय करता है। सक्रिय एंजाइम, बदले में, कई टायरोसिन अणुओं में फॉस्फेट समूह जोड़ता है जो सिग्नलिंग कॉम्प्लेक्स को एकत्र करने के लिए एक एडेप्टर के रूप में कार्य करते हैं। सिग्नलिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण सेल वृद्धि, विकास और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जैसे विविध सेलुलर कार्यों को नियंत्रित करता है। लिगैंड की अनुपस्थिति में आरटीके की सहज सक्रियता अक्सर कैंसर, मधुमेह और स्व-प्रतिरक्षित विकारों जैसे कई मानव विकृति से जुड़ी होते हैं। शोधकर्ता यह पता लगा रहे हैं कि एक कोशिका एंजाइम की ऑटोइनहिबिटेड स्थिति को कैसे बनाए रखती है और मानव विकृति के बढ़ने के दौरान इस तरह का ऑटोइनहिबेशन क्यों होता है।

कोलकाता के भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के शोधकर्ताओं ने वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (वीईजीएफआर) नामक एक ऐसे आरटीके की जांच की। रिसेप्टर्स का वीईजीएफआर परिवार नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण प्रक्रिया का प्रमुख कारक है।

यह प्रक्रिया भ्रूण के विकास, घाव भरने, ऊतक पुनर्जनन और ट्यूमर बनने जैसे कार्यों के लिए आवश्यक है। वीईजीएफआर को लक्षित करके विभिन्न घातक और गैर-घातक बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।

शोधकर्ता इस तथ्य से हैरान हैं कि इस परिवार के दो सदस्य वीईजीएफआर 1 और वीईजीएफआर 2 काफी अलग तरह से व्यवहार करते हैं जबकि वीईजीएफआर 2, नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया को विनियमित करने वाला प्राथमिक रिसेप्टर अपने लिगैंड के बिना, स्वतः सक्रिय हो सकता है, परिवार का दूसरा सदस्य वीईजीएफआर 1 कोशिकाओं में अत्यधिक क्रियाशीलता होने पर भी स्वतः सक्रिय नहीं हो सकता। यह एक मृत एंजाइम वीईजीएफआर 1 के रूप में छिप जाता है और वीईजीएफआर 2 की तुलना में अपने लिगैंड वीईजीएफ-ए से दस गुना अधिक निकटता के साथ मिल जाता है। यह लिगैंड वाईडिंग एक क्षणिक काइनेज (एंजाइम द्वारा शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करना) सक्रियण को प्रेरित करता है।

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चित्र 1: वीईजीएफआर के लिगैंड-स्वतंत्र सक्रियण की जांच। एडी कम (एसीऔर उच्च (बीडीअभिव्यक्त सीएचओ सेल लाइनों में एमचैरी से जुड़े वीईजीएफआरया वीईजीएफआरकी कॉन्फ़ोकल छवियाँ। वीईजीएफआर का अभिव्यक्ति स्तर लाल रंग में हैऔर फॉस्फोराइलेशन स्थिति हरे रंग में हैस्केल बार=10यूएम। वीईजीएफआर 2 (पैनल ईया वीईजीएफआर1 (पैनल एफके अभिव्यक्ति स्तर को सीटर्मिनल टेल पर संबंधित टायरोसिन अवशेषों के फॉस्फोराइलेशन स्तर के विरुद्ध प्लॉट किया गया है

वीईजीएफआर1 के सक्रिय होने से कैंसर से संबंधित दर्द, स्तन कैंसर में ट्यूमर सेल का जीवित रहना और मानव कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं का स्थानांतरण होता है।

इस बात की जांच करते हुए कि परिवार का एक सदस्य इतना सहज रूप से सक्रिय क्यों होता है और दूसरा ऑटोइनहिबिटेड क्यों होता है, आईआईएसईआर कोलकाता के डॉ. राहुल दास और उनकी टीम ने पाया कि एक असाधारण आयनिक लैच, जो केवल वीईजीएफआर1 में मौजूद है, बेसल अवस्था में काइनेज को ऑटोइनहिबिटेड रखता है। आयनिक लैच जक्सटामेम्ब्रेन सेगमेंट को काइनेज डोमेन पर हुक करता है और वीईजीएफआर1 के ऑटोइनहिबिटेड कंफर्मेशन को स्थिर करता है।

वीईजीएफआर 1 की ऑटोइनहिबिटेड अवस्था की प्रक्रिया की खोज करते हुए शोधकर्ताओं ने वीईजीएफआर1 गतिविधि को मॉड्यूलेट करने में सेलुलर टायरोसिन फॉस्फेट की महत्वपूर्ण भूमिका का प्रस्ताव दिया। आईआईएसईआर कोलकाता में एनालिटिकल बायोलॉजी फैसिलिटी में डीएसटी-एफआईएसटी समर्थित आईटीसी और स्टॉप्ड-फ्लो फ्लोरीमीटर के साथ किए गए शोध ने कैंसर में होने वाली नई रक्त वाहिकाओं (एंजियोजेनेसिस) के वीईजीएफआर1-मध्यस्थ रोगात्मक गठन को विनियमित करने में फॉस्फेट मॉड्यूलेटर की चिकित्सीय क्षमता का भी उल्लेख किया।

नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित यह खोज वीईजीएफआर सिग्नलिंग के स्वयं सक्रिय होने के कारण रोग संबंधी स्थितियों के बारे चिकित्सीय समाधान निकालने की दिशा में नए मार्ग प्रशस्त कर सकती है। ऑटोइनहिबिटेड अवस्था को लक्षित करने वाले छोटे अणुओं में मानव कोलोरेक्टल कार्सिनोमा और गुर्दे के कैंसर जैसे कैंसर के इलाज की अधिक क्षमता होगी।

लेख का लिंक: https://doi.org/10.1038/s41467-024-45499-2

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चित्र 2: बाह्यकोशिकीय डोमेन (ईसीडीसे जुड़ने वाला लिगैंड रिसेप्टर डिमराइजेशन और टीएम-जेएम सेगमेंट के फिर से बनने को प्रेरित करता है। वीईजीएफआर में जेएम अवरोध का धीमी गति से होना सीटर्मिनल टेल पर क्षणिक टायरोसिन फॉस्फोराइलेशन की ओर ले जाता है। वीईजीएफआर या वीईजीएफआरम्यूटेंट में जेएम अवरोध की त्वरित रिलीज टायरोसिन फॉस्फोराइलेशन को बनाए रखने के लिए फिर से तैयार करती है। बाएँ: जेएम अवरोध की धीमी गति से रिलीज और प्रोटीन टायरोसिन फॉस्फेट (पीटीपीगतिविधि के बीच एक संवेदनशील संतुलन के कारण वीईजीएफआरकी लिगैंड-स्वतंत्र सक्रियता को रोक दिया जाता है

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित ग्रामीण भूमि रिकॉर्ड के लिए ‘भुवन पंचायत (संस्करण 4.0)’ पोर्टल और ‘आपातकालीन प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीईएम संस्करण 5.0)’ नामक दो जियोपोर्टल लॉन्च किए

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज पृथ्वी भवन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित दो जियोपोर्टल, ग्रामीण भूमि रिकॉर्ड के लिए ‘भुवन पंचायत (संस्करण 4.0)’ पोर्टल और “आपातकालीन प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीईएम संस्करण 5.0)” लॉन्च किए। ये नवीनतम भू-स्थानिक उपकरण पूरे देश में विभिन्न स्थानों के लिए 1:10K स्केल की उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली उपग्रह इमेजरी प्रदान करने के लिए विज़ुअलाइज़ेशन और योजना बनाने के लिए हैं। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “इन पोर्टलों का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से पिछले एक दशक में शुरू किए गए सुधारों की अगली कड़ी है।” 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पदभार संभालने के तुरंत बाद शुरू हुई यात्रा को याद करते हुए, 2015-16 की शुरुआत में बुनियादी ढांचे के विकास, नियोजन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान, कृषि विकास के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों पर विचार-विमर्श सत्र में चर्चा की गई। मंत्री महोदय ने जियोपोर्टल्स के लॉन्च पर इसरो की टीम को बधाई देते हुए कहा, “हमने न केवल रॉकेट लॉन्च किए हैं और आकाश तक पहुंचे हैं, बल्कि हम आकाश से पृथ्वी का मैपिंग भी कर रहे हैं।” विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, “अंतरिक्ष-प्रौद्योगिकी वस्तुतः हर घर में प्रवेश कर चुकी है। हमने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के हमारे संस्थापक श्री विक्रम साराभाई के दृष्टिकोण को सही मायने में आगे बढ़ाया है, जो मानते थे कि अंतरिक्ष में विकास का आम नागरिकों के जीवन पर बहुआयामी प्रभाव पड़ेगा, चाहे वह टेलीमेडिसिन हो, डिजिटल इंडिया हो, मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग की पहचान हो।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि सरकार की प्राथमिकता विभिन्न सेवाओं को एकीकृत करना और आम नागरिकों को इसका लाभ उठाने की सुविधा देना है। उन्होंने उल्लेख किया कि मोदी सरकार के तहत पिछले कुछ वर्षों में नीतिगत निर्णयों के परिणामस्वरूप अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया है, जिसका सकारात्मक प्रभाव 2022 में एक स्टार्टअप से 2024 में 200 से अधिक स्टार्टअप तक हो सकता है। डॉ. सिंह ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह सरकार ही थी जिसने चंद्रयान के प्रक्षेपण के दौरान श्रीहरिकोटा के द्वार आम जनता के लिए खोले ताकि वे आकर अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमता को देख सकें। उन्होंने यह भी साझा किया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग 1000 करोड़ रुपये का निजी निवेश आया है।

“विकेंद्रीकृत नियोजन के लिए स्थान आधारित सूचना समर्थन (एसआईएसडीपी)” का समर्थन करने और पंचायतों में जमीनी स्तर पर नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए ‘भुवन पंचायत पोर्टल’ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि यह जमीनी स्तर पर नागरिकों को सशक्त बनाने और उन्हें इन सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति देने, भूमि रिकॉर्ड के लिए स्थानीय प्रशासन पर निर्भरता को कम करके जीवन को आसान बनाने और डिजिटलीकरण और भूमि राजस्व प्रबंधन द्वारा भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के हमारे प्रयासों को जारी रखता है। ये उपकरण नागरिकों के सुझावों पर वास्तविक समय डेटा प्रदान करेंगे और जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार को कम करेंगे। आपातकालीन प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीईएम संस्करण 5.0) के लाभों पर बोलते हुए, जो प्राकृतिक आपदाओं पर अंतरिक्ष-आधारित इनपुट प्रदान करेगा और भारत के साथ-साथ पड़ोसी देशों में आपदा जोखिम को कम करने में सहायता करेगा। नागरिकों को प्रकृति की अनिश्चितताओं से बचाने और एक प्रभावी पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए ताकि प्रशासन सक्रिय रूप से आपदाओं को रोक सके और हमें भूमि उपयोग भूमि परिवर्तन (एलयूएलसी) के बारे में सूचित कर सके। उन्होंने यह भी बताया कि स्थिति की निरंतर निगरानी करने और मूल्यवान इनपुट प्रदान करने के लिए एक कमांड सेंटर स्थापित किया गया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये पोर्टल बहुत उपयोगी साबित होंगे क्योंकि स्वामित्व पोर्टल भूमि रिकॉर्ड और भूमि राजस्व प्रबंधन के मामले में कई देशों के लिए रोल मॉडल के रूप में कार्य करता है।

इसरो के अध्यक्ष श्री एस सोमनाथ, अंतरिक्ष विभाग के सचिव ने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के प्रति उनके निरंतर मार्गदर्शन और नेतृत्व के लिए आभार व्यक्त किया। पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज; पृथ्वी विज्ञान के सचिव श्री रवि चंद्रन; गृह मंत्रालय के अपर सचिव श्री एस के जिंदल; पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राजेश एस.;  जीएसआई खनन मंत्रालय के उपमहानिदेशक मनीष के, और एनआरएससी के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान भी शुभारंभ समारोह में उपस्थित थे।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज गाजियाबाद परिसर में आयोजित सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) के स्वर्ण जयंती समारोह में कंपनी को “मिनी रत्न” (श्रेणी-1) का दर्जा देने की घोषणा की।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग ने राष्ट्र की सेवा में 50 गौरवशाली वर्ष पूरे होने और इस वर्ष 26 जून को स्वर्ण जयंती मनाने पर पर सीईएल को बधाई दी।

इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “हमें गर्व है कि स्वर्ण जयंती समारोह में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ शामिल हो रहे हैं जिनका मार्गदर्शन और प्रेरणा हमें देश की बेहतरी के लिए और अधिक योगदान देने को प्रेरित करेगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने आगे कहा, “50 वर्षों का समर्पण, दृढ़ता और सफलता, कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता का प्रमाण है जिसने उत्कृष्टता की इस यात्रा को आगे बढ़ाया है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीईएल के प्रदर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, खासकर पिछले 5 वर्षों में, सीईएल की वित्तीय स्थिरता, लाभप्रदता और परिचालन उत्कृष्टता ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। टर्नओवर, नेटवर्थ, रिजर्व, नेट प्रॉफिट आदि मामले में भी सीईएल का प्रदर्शन उल्लेखनीय है।

बीच में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़; बाएं 1. केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह 2. चेतन जैन सीएमडी, सीईएल; दाएं 1. श्री सुनील शर्मा कैबिनेट मंत्री, उत्तर प्रदेश 2. सीएसआईआर के महानिदेशक, डॉ. एन. कलईसेलवी,

मंत्री महोदय ने बताया कि सीईएल, घाटे में चल रही पीएसयू से लाभांश देने वाली पीएसयू में बदल गई है और यह लगातार तीसरा वर्ष है जब सीईएल ने भारत सरकार को लाभांश का बढ़ती दर पर भुगतान किया है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि लगभग 58 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त करके 50 साल पूरे होने का जश्न मनाना सराहनीय है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के अमृत काल के विजन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य क्षमता निर्माण, कौशल विकास के माध्यम से प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण और विनिर्माण को बढ़ावा देना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने सराहना करते हुए कहा- रक्षा, रेलवे, सुरक्षा, निगरानी और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सीईएल का योगदान, स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा “स्मार्ट बोर्ड का उत्पादन से न केवल सीईएल के उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता आएगी, बल्कि देश के स्कूलों में स्मार्ट शिक्षा के कार्यान्वयन पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीईएल प्रबंधन द्वारा कर्मचारी के जुड़ाव को मजबूत करने के लिए उठाए गए नए कदमों पर संतोष व्यक्त किया, जिसके कारण पिछले कुछ वर्षों में उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ और पिछले वित्तीय वर्ष में सर्वकालिक उच्च उपलब्धि हासिल हुई। मंत्री ने पुष्टि की कि सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मिनी रत्न (श्रेणी-1) का उच्च दर्जा दिए जाने के लिए सटीक प्रदर्शन मापदंडों को हासिल किया है।

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री सुनील कुमार शर्मा, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॉ. एन. कलईसेलवी, सीईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री चेतन जैन के साथ-साथ भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी

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स्पेक्ट्रम नीलामी 2023-24 सफलतापूर्वक संपन्न हुई

दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) की स्पेक्ट्रम आवश्यकता को पूरा करने के लिए 2024 में समाप्त होने वाले स्पेक्ट्रम और 2022 में आयोजित पिछली स्पेक्ट्रम नीलामी के बिना बिके स्पेक्ट्रम को इस वर्ष नीलामी में रखा गया ताकि सेवाओं की निरंतरता और विकास सुनिश्चित किया जा सके।

800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में उपलब्ध सभी स्पेक्ट्रम नीलामी में रखे गए। इस साल नीलामी में 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड में एक्टिविटी देखी गई।

नीलामी सुबह 10:00 बजे शुरू हुई और 7 राउंड के बाद दूसर देन  सुबह 11:45 बजे समाप्त हुई। चूंकि 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हाल ही में हुई थी और 5जी मुद्रीकरण अभी भी जारी है, इसलिए 800 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में कोई बोली नहीं लगी। शेष 533.6 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम में से कुल 141.4 मेगाहर्ट्ज (26.5%) की बिक्री हुई। यह इस तथ्य के बावजूद है कि अगस्त 2022 में बहुत बड़ी मात्रा में स्पेक्ट्रम यानी 51.2 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बेचा गया था।

तीनों दूरसंचार सेवा प्रदाताओं यानी मैसर्स भारती एयरटेल लिमिटेड, मैसर्स रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड और मैसर्स वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने सेवाओं की वृद्धि और निरंतरता के लिए इस नीलामी में सफलतापूर्वक बोली लगाई और स्पेक्ट्रम हासिल किया। कुल 141.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की कीमत 11,340 करोड़ रुपये थी।

(सभी मान मेगाहर्ट्ज में)

क्रम संख्या बोलीदाता का नाम 900 मेगाहर्ट्ज 1800 मेगाहर्ट्ज 2100 मेगाहर्ट्ज 2500 मेगाहर्ट्ज Total
1. मैसर्स भारती एयरटेल लिमिटेड 42 35 20   97
2. मैसर्स रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड   14.4     14.4
3. मैसर्स वोडाफोन आइडिया लिमिटेड 18.8 1.2   10 30
कुल 60.8 50.6 20 10 141.4

तालिका 1: बैंड/बोलीदाता के अनुसार बेचे गए स्पेक्ट्रम की मात्रा का सारांश

(सभी करोड़ रुपये में)

S.No बोलीदाता का नाम 900 मेगाहर्ट्ज 1800 मेगाहर्ट्ज 2100 मेगाहर्ट्ज 2500 मेगाहर्ट्ज Total
1. मैसर्स भारती एयरटेल लिमिटेड 3825 2486.76 545   6856.76
2. मैसर्स रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड   973.62     973.62
3. मैसर्स वोडाफोन आइडिया लिमिटेड 3241.6 118.80   150 3510.40
कुल 7066.6 3579.18 545 150 11340.78

तालिका 2: बेचे गए स्पेक्ट्रम के मूल्य का बैंड/बोलीदातावार सारांश

मेसर्स भारती एयरटेल लिमिटेड और मेसर्स वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने 900 मेगाहर्ट्ज और 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में अपने समाप्त हो चुके स्पेक्ट्रम का सफलतापूर्वक नवीनीकरण किया है और इसके अलावा टीएसपी द्वारा अपनी सेवाओं को बढ़ाने के लिए 6164.88 करोड़ रुपये मूल्य के 87.2 मेगाहर्ट्ज की अतिरिक्त मात्रा हासिल की गई है। बिना बिके स्पेक्ट्रम को अगली बार फिर से नीलामी में रखा जाएगा।

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एनसीआर को अधिक हरित बनाने के लिए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने अब एनसीआर में संबंधित विभिन्न निकायों – राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी, केंद्र सरकार और शैक्षणिक संस्थानों, उच्च शिक्षा/अनुसंधान संस्थानों के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान पूरे एनसीआर में 4.5 करोड़ वृक्षारोपण का बहुत बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है

पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में खास कर शुष्क गर्मी के मौसम में हवा की खराब गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार धूल के उच्च स्तर को कम करने की दिशा में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एनसीआर में खुले क्षेत्रों, विशेष रूप से सड़कों, सड़कों के किनारे/रास्ते आदि पर व्यापक हरियाली और वृक्षारोपण को प्रभावी साधन के रूप में चिन्हित किया है। वायु प्रदूषण कम करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की हरियाली बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में एनसीआर के राज्य सरकारों, एनसीटी दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों सहित एनसीआर में स्थित शैक्षणिक और वैज्ञानिक अनुसंधान आधारित संस्थानों के साथ सक्रिय भागीदारी और सहयोग से इस प्रयास में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।

इस दिशा में हल्की शुरुआत के साथ, वर्ष 2021-22 के दौरान केवल 28,81,145 नए वृक्षारोपण किए गए जिसके बाद प्रयासों में काफी तेजी लाई गई और वर्ष 2022-23 के दौरान एनसीआर में 3,11,97,899 नए वृक्षारोपण किए गए। वर्ष 2023-24 के लिए पूरे एनसीआर में एनसीआर राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी के लिए लगभग 3.85 करोड़ नए वृक्षारोपण का एक और महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करते हुए, इस वर्ष के दौरान लगभग 3.6 करोड़ वृक्षारोपण सफलतापूर्वक किया गया। इस प्रकार, कुल मिलाकर 93.5 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल किया गया। एनसीआर क्षेत्रों में वर्ष 2023-24 के व्यक्तिगत लक्ष्यों के संबंध में राज्य-वार अनुपालन दिल्ली के लिए 84.6 प्रतिशत; हरियाणा के लिए 87.4 प्रतिशत; राजस्थान के लिए 86.2 प्रतिशत; और यूपी के लिए 103.4 प्रतिशत रहा।

2023-24 में किए गए वृक्षारोपण और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित लक्ष्य की तुलना में हरियाली/वृक्षारोपण कार्य योजना 2023-24 के अंतर्गत विभिन्न हितधारकों के वृक्षारोपण लक्ष्य की तुलनात्मक तालिका नीचे दी गई है:

राज्य वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लक्ष्य वित्त वर्ष 2023-24 में वृक्षारोपण वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लक्ष्य
  • दिल्ली
95,04,390 80,41,331 56,40,593
  • हरियाणा (एनसीआर जिले)
98,93,797 86,49,277 1,32,50,000
  • राजस्थान (एनसीआर जिले)
25,89,892 22,33,288 42,68,649
  • उत्तर प्रदेश (एनसीआर जिले)
1,64,63,497 1,70,28,308 1,97,56,196
  • केंद्रीय सरकारी एजेंसियां ​​(सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ, उत्तरी रेलवे, एनसीआरटीसी, केंद्रीय विद्यालय संगठन, दिल्ली, डीएमआरसी, डीएफएफसीआईएल, आदि सहित)
 

 

6,29,500

 

 

7,24,036

 

 

12,07,000

  • एनसीआर के शैक्षणिक संस्थान, उच्च शिक्षा/अनुसंधान संस्थान
 

3,32,500

 

7,11,456

 

9,08,742

कुल 3,94,13,576 3,73,87,696 4,50,31,180

 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान आधारित संगठनों और अन्य वाणिज्यिक/औद्योगिक इकाइयों की सीमाओं पर बड़े पैमाने पर हरियाली और पेड़-पौधों के घेरे (जैविक बाड़) लगाने पर जोर दे रहा है। घने शहरी इलाकों में खाली जगहों की कमी को देखते हुए, आयोग प्रभावी शहरी वानिकी पहलों के माध्यम से हरियाली और वृक्षारोपण अभियान को बढ़ावा दे रहा है, विशेष रूप से मियावाकी तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके अलावा, आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सड़क से जुड़ी सभी एजेंसियों को सलाह दी है कि वे प्रमुख राजमार्गों के केन्द्रीय हिस्सों/बीच के हिस्से को पूरी तरह से हरा-भरा बनाने के साथ-साथ जहां तक संभव हो, रास्ते के दाईं ओर के साथ-साथ सड़क के किनारों और खुले क्षेत्रों को भी हरा-भरा बनाने का लक्ष्य रखें।

एनसीआर राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी, केंद्रीय एजेंसियों और प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, एनसीआर के उच्च शिक्षा/अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान, आयोग ने निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला:

  1. वृक्षारोपण करते समय यह ध्यान रखना होगा कि देशी पौधों की प्रजातियों का उपयोग किया जाए।
  2. वृक्षारोपण, निगरानी, ​​वृक्षारोपण के बाद देखभाल और पौधों के जीवित रहने की दर वृक्षारोपण कार्यक्रम के प्रमुख तत्व हैं।
  3. आयोग ने 6-7 फीट की ऊंचाई वाली झाड़ियों की सिफारिश की है ताकि पर्यावरण से धूल को रोकने के लिए पर्याप्त अवरोधक तैयार किया जा सके।
  4. औद्योगिक क्षेत्रों, स्कूलों, कॉलेजों आदि में घने पेड़ों/झाड़ियों के घेरे लगाने से भी धूल/प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी।
  5. शहरी क्षेत्रों में वृक्षारोपण गतिविधियों के लिए भूमि की उपलब्धता कम है और, उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक वृक्षारोपण किया गया है वहां घने वृक्षारोपण को प्राप्त करने के लिए पेड़ों के बीच खाली जगहों पर पौधे लगाए जा सकते हैं।
  6. वृक्षारोपण की उत्तरजीविता दर की निगरानी बहुत महत्वपूर्ण है; क्षतिग्रस्त/सूखे पौधों का प्रतिस्थापन आवश्यक है।
  7. वृक्षारोपण अभियान में गैर सरकारी संगठनों और आरडब्ल्यूए की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है और इस संबंध में संस्थानों द्वारा विभिन्न आईईसी गतिविधियां भी शुरू की जा सकती हैं।
  8. यदि किसी संस्थान के पास उसके परिसर में भूमि क्षेत्र उपलब्ध नहीं है, तो संस्थान सरकारी एजेंसियों, सीबीओ आदि की मदद से अपने परिसर के बाहर भूमि को गोद ले सकते हैं। भूमि की कम उपलब्धता के कारण मियावाकी तकनीक सहित सघन वृक्षारोपण के लिए अलग पहचान को प्राथमिकता दी जाती है।
  9. संस्थानों को इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की जानी चाहिए और यूजीसी भी इसमें मदद कर सकता है। इस संबंध में आयोग पहले ही यूजीसी से अनुरोध कर चुका है।
  10. बैठक में यह सलाह दी गई कि वित्तीय वर्ष के लिए वृक्षारोपण लक्ष्य पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम 20 प्रतिशत अधिक होना चाहिए।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग राज्य-वार वृक्षारोपण लक्ष्यों सहित एनसीआर के लिए व्यापक हरित कार्य योजना के कार्यान्वयन की प्रगति की बारीकी से निगरानी करेगा। संबंधित एजेंसियों को विशेष रूप से देशी प्रजातियों के वृक्षारोपण का सहारा लेने और वृक्षारोपण के बाद उचित देखभाल और पोषण के माध्यम से पेड़-पौधों को बचाए रखने का उच्च दर हासिल करने का प्रयास करने की सलाह दी गई है।

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डीआरडीओ ने मध्यम दूरी के माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट भारतीय नौसेना को सौंपा

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में मध्यम दूरी के माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (एमआर-एमओसीआर) भारतीय नौसेना को सौंपा। इस माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ (एमओसी) को डीआरडीओ की रक्षा प्रयोगशाला, जोधपुर ने विकसित किया है। यह ऐसी तकनीक है जो रडार संकेतों को अस्पष्ट करती है और प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों के चारों ओर माइक्रोवेव शील्ड बनाती है और इस प्रकार रडार की पकड़ में आने की आशंका को कम करती है।

इस मध्यम दूरी के चैफ रॉकेट में कुछ माइक्रोन के व्यास और अद्वितीय माइक्रोवेव आरोपण गुणों के साथ विशेष प्रकार के फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। इस रॉकेट को दागे जाने पर यह पर्याप्त समय के लिए पर्याप्त क्षेत्र में फैले अंतरिक्ष में माइक्रोवेव अस्पष्ट बादल बनाता है और इस प्रकार रेडियो फ्रीक्वेंसी पकड़ने वाले शत्रुतापूर्ण खतरों के विरुद्ध एक प्रभावी कवच का निर्माण करता है।

एमआर-एमओसीआर के पहले चरण के परीक्षणों को भारतीय नौसेना के जहाजों से सफलतापूर्वक पूरा किया गया था।  इस दौरान एमओसी क्लाउड खिला रहा और अंतरिक्ष में लगातार बना रहा। दूसरे चरण के परीक्षणों में, रडार क्रॉस सेक्शन (आरसीएस) द्वारा हवाई लक्ष्य को 90 प्रतिशत तक कम करने का प्रदर्शन किया गया है और भारतीय नौसेना की ओर से इसे मंजूरी दे दी गई है। योग्यता जरूरतों को पूरा करने वाले सभी एमआर-एमओसीआर को सफलतापूर्वक भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने एमआर-एमओसीआर के सफल विकास पर डीआरडीओ और भारतीय नौसेना की सराहना की है। उन्होंने एमओसी तकनीक को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम बताया।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने एमआर-एमओसीआर को भारतीय नौसेना के नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक रियर एडमिरल बृजेश वशिष्ठ को सौंप दिया है। डीआरडीओ के अध्यक्ष ने रक्षा प्रयोगशाला, जोधपुर टीम को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी। नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक ने भी कम समय में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस तकनीक को स्वदेशी रूप से विकसित करने के लिए डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की।

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भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) तिरुपति के शोधकर्ताओं ने ‘हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था’ की ओर बढ़ने के लिए मेथनॉल और फॉर्मेल्डिहाइड के संयोजन से हाइड्रोजन उत्पादन की एक कुशल विधि विकसित की है

शोधकर्ताओं ने माइल्ड कंडीशन्ज़ में मेथनॉल और पैराफॉर्मेल्डिहाइड के मिश्रण से हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करने के लिए एक नवप्रवर्तनकारी कृत्रिम विधि विकसित की है। यह विधि एल्काइन्स का हाइड्रोजनीकरण करके एल्केन्स में बदलने के लिए विशेष रूप से प्रभावी साबित हुई है और यह संयोजन एक आशाजनक हाइड्रोजन वाहक हो सकता है, जो रासायनिक संश्लेषण और टिकाऊ ऊर्जा समाधानों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।

जीवाश्म ईंधन की तेजी से हो रही कमी ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की खोज को बढ़ावा दिया है, जो टिकाऊ और नवीकरणीय संसाधनों की जरूरत को उजागर करता है। हाइड्रोजन गैस उत्पादन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें ऊर्जा भंडारण, परिवहन और विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं में जीवाश्म ईंधन की जगह को लेने की क्षमता है। बड़े पैमाने पर उत्पादित मेथनॉल और पैराफॉर्मेल्डिहाइड, हाइड्रोजन वाहकों के लिए व्यवहार्य उम्मीदवार के रूप में उभरे हैं। उनकी प्रचुरता और उनका व्यापक रूप से बनाना उन्हें हाइड्रोजन के भंडारण और परिवहन के लिए मूल्यवान बनाता है, जो मुक्त हाइड्रोजन पर महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है।

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) तिरुपति में प्रोफेसर एकम्बरम बालारमन की अगुवाई में किए गए शोध में क्षार या एक्टिवेटर की आवश्यकता के बिना मेथनॉल और पैराफॉर्मेल्डिहाइड से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए व्यावसायिक रूप से उपलब्ध निकल उत्प्रेरक का उपयोग किया गया है। इस कुशल उत्प्रेरक प्रणाली ने माइल्ड कंडीशन्ज़ में उल्लेखनीय दक्षता का प्रदर्शन किया है और उत्पन्न हाइड्रोजन को एल्काइन्स के कीमो- और स्टीरियो-चयनात्मक आंशिक हाइड्रोजनीकरण में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया था। इस प्रक्रिया ने बेहतर सिंथेटिक वैल्यू के साथ जैव सक्रिय अणुओं तक पहुंच को सक्षम बनाया है। इस शोध को एएनआरएफ (पूर्ववर्ती एसईआरबी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का एक वैधानिक निकाय) द्वारा समर्थन दिया गया था।

कैटेलिसिस साइंस एंड टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशन के लिए स्वीकृत यह शोध COx-मुक्त हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एक नया रास्ता खोलता है, जो ‘हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था’ की प्रगति में योगदान देता है। हाइड्रोजन वाहक के रूप में मेथनॉल और पैराफॉर्मेल्डिहाइड का उपयोग करने की क्षमता, बढ़ती वैश्विक ऊर्जा मांगों के कारण उत्पन्न चुनौतियों को, संबोधित करने की महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करती है। यह विकास स्थायी ऊर्जा समाधानों की खोज में एक महत्वपूर्ण कदम को चिन्हित करता है।

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पश्चिम बंगाल में शहरी स्वच्छता के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन- शहरी 2.0 के तहत ₹860.35 करोड़ स्वीकृत

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन -शहरी 2.0 (एसबीएम-यू)  के तहत पश्चिम बंगाल के लिए ₹860.35 करोड़ के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। एसबीएम-यू (2014-19) के पहले चरण के दौरान पश्चिम बंगाल को कुल 911.34 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया था जिसे एसबीएम-यू 2.0 (2021-26) में 1.5 गुना बढ़ाकर 1449.30 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

मंत्रालय अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य के साथ मिलकर काम कर रहा है। पश्चिम बंगाल में 118 पुरानी कूड़ा डंपिंग साइटें हैं, जिनमें केवल 5 प्रतिशत कूड़े का निस्तारण किया गया है। 1987 से कोलकाता का मुख्य नगरपालिका डंपिंग ग्राउंड धापा लैंडफिल जैव-खनन और बायोरेमेडिएशन से गुजर रहा है, जो पुराने कचरे को साफ करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा चुने गए तरीके हैं और जिससे कचरे से उपयोगी सामग्री निकाली जाती है।

पश्चिम बंगाल के शहर प्रतिदिन लगभग 4,046 टन नगरपालिका ठोस कचरा उत्पन्न करते हैं। एसबीएम-यू 2.0 के तहत, राज्य ने कचरे की इस विशाल मात्रा के प्रबंधन के लिए परियोजनाओं का प्रस्ताव दिया है जिसमें 4800 से अधिक खाद संयंत्र और 4500 मेटिरियल रीकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) शामिल हैं। पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित तरीके से ठोस कचरे के निपटान की सुविधा के लिए, राज्य द्वारा 2216 सुरक्षित लैंडफिल सुविधाएं (एसएलएफ) प्रस्तावित की गई हैं। 460 कंप्रेस्ड बायो-गैस (सीबीजी) प्लांट्स के लिए मंत्रालय की मंजूरी के साथ राज्य को अपशिष्ट से ऊर्जा के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन मिला है। 100 से अधिक यूएलबी में पुराने अपशिष्ट डंपसाइटों के निवारण के लिए एसबीएम-यू 2.0 के तहत ₹217 करोड़ के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए धन का निर्बाध प्रवाह बनाए रखने के लिए, भारत सरकार ने ₹209 करोड़ की अतिरिक्त किश्त जारी की है ताकि राज्य द्वारा प्रस्तावित परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा सके। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत 2026 तक राज्य के सभी शहरों में अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र लगाने का लक्ष्य है।

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पुणे के सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय में जीनोम अनुक्रमण की अगली पीढ़ी की अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया

सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के महानिदेशक और सेना चिकित्सा कोर के वरिष्ठ कर्नल कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह ने आज (27 जून, 2024) पुणे में सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी) में एक नई जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशाला (जीनोम सीक्वेंसिंग लैब) का उद्घाटन किया। यह नई प्रयोगशाला जीनोम अनुक्रमण की अगली पीढ़ी की अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जिसमें उन्नत “नेक्स्टसीक 2000” और “मिनिसीक” एनालाइजर्स शामिल हैं।

एनजीएस प्रौद्योगिकी का विभिन्न स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में व्यापक अनुप्रयोग है, जिसमें वंशानुगत रोग, ऑन्कोलॉजी, प्रत्यारोपण चिकित्सा और प्रजनन चिकित्सा शामिल हैं। यह उन्नत प्रौद्योगिकी दुर्लभ आनुवंशिक विकारों के सटीक निदान, असाध्यता के आणविक पूर्वानुमान और अंग प्रत्यारोपण को आसान बनाकर एएफएमएस की क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती है। नई दिल्ली में सेना अस्पताल (रिसर्च एंड रेफरल) के बाद, जहां 23 जनवरी 2024 को सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के महानिदेशक द्वारा एनजीएस सुविधा शुरू की गई थी, यह एएफएमएस में इस तरह की दूसरी सुविधा है।

इस आयोजन में एएफएमएस पुणे के डीन और कार्यवाहक कमांडेंट, कमांड हॉस्पिटल दक्षिणी कमांड के कमांडेंट, आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियो थोरैसिक साइंसेज पुणे और सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के अपर महानिदेशक (मेडिकल रिसर्च एंड हेल्थ) के अलावा सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

एएफएमसी पुणे में जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशाला की स्थापना न केवल सशस्त्र बलों की सेवा करेगी, बल्कि नूतन चिकित्सा शोध और बेहतर नैदानिकी के माध्यम से चिकित्सकों के समुदाय को भी योगदान देगी। यह सुविधा चिकित्सा विज्ञान में नवाचार को बढ़ावा देगी, जिससे बेहतर स्वास्थ्य सेवा परिणाम सामने आएंगे, जो राष्ट्रीय विकास की आधारशिला है।

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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग एक करोड़ लोगों को जागरूक करेगा और 100 दिनों के भीतर देश भर के सभी जिलों में नशा मुक्त भारत अभियान चलाया जाएगा: डॉ. वीरेंद्र कुमार

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने 26 जून 2024  को नई दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र  में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर केन्‍द्रीय सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, राज्‍य मंत्री श्री रामदास अठावले, ब्रह्माकुमारीज के दिल्‍ली क्षेत्रीय समन्‍वयक राजयोगिनी बीके लक्ष्मी तथा सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान लगभग 700 लोग व्यक्तिगत रूप से मौजूद थे तथा लगभग 500 गैर-सरकारी संगठनों के एक लाख से अधिक लोग वर्चुअल रूप से जुड़े थे।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि नशे की लत को खत्म करने की चुनौती से निपटने के लिए समाज के सभी लोगों को एकजुट होकर इस सामाजिक उद्देश्य के लिए संघर्ष करने की आवश्यकता है।

 

इसके अलावा,  उन्होंने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी गैर-सरकारी संगठनों और आध्यात्मिक संगठनों की सराहना की। इसके लिए युवाओं में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग एक करोड़ लोगों को जागरूक करेगा और समाज के सामूहिक प्रयासों से 100 दिनों के भीतर देश भर के सभी जिलों में नशा मुक्‍त भारत अभियान चलाया जाएगा।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले ने कहा कि नशे की लत न केवल नशा करने वाले व्यक्ति को बल्कि उसके पूरे परिवार को प्रभावित करती है। उन्होंने सभी गैर-सरकारी संगठनों से नशा मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूर्ण समर्पण के साथ काम करने का आग्रह किया और आश्वासन दिया कि मंत्रालय उनके नशा मुक्ति केंद्रों को चलाने में उनकी मदद करेगा।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने अपने भाषण में मंत्रालय की एनएपीडीडीआर योजना पर प्रकाश डाला एवं उसकी सराहना की और बताया कि किस प्रकार नशा मुक्त भारत अभियान ने नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने में मदद की है। उन्होंने नशा मुक्‍त भारत अभियान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव ने अपने स्वागत भाषण में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला।

सुखमंच थियेटर ग्रुप ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से नशे की लत के दुष्प्रभावों तथा पूरे समाज पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को बहुत ही खूबसूरती से प्रदर्शित किया।

पृष्ठभूमि

मादक पदार्थ उपयोग विकार एक ऐसा मुद्दा है, जो देश के सामाजिक ताने-बाने पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। किसी भी मादक पदार्थ पर निर्भरता न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि उसके परिवार और पूरे समाज को भी बाधित करती है। विभिन्न मनो-सक्रिय पदार्थों के नियमित सेवन से व्यक्ति की उस पर निर्भरता बढ़ जाती है। कुछ मादक पदार्थ यौगिक न्यूरो-मनोवैज्ञानिक विकारों, हृदय संबंधी बीमारियों के साथ-साथ दुर्घटनाओं, आत्महत्याओं और हिंसा का कारण बन सकते हैं। इसलिए, पदार्थ के उपयोग और उस पर निर्भरता को एक मनो-सामाजिक-चिकित्सा समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय देश में नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए नोडल मंत्रालय है, जो नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम, समस्या की सीमा का आकलन, निवारक कार्रवाई, उपयोगकर्ताओं के उपचार और पुनर्वास, सूचना के प्रसार के सभी पहलुओं का समन्वय और निगरानी करता है।

इस मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) शुरू किया है और वर्तमान में यह देश के सभी जिलों में संचालित है।  इसका उद्देश्य युवाओं में मादक पदार्थों के सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना है, जिसमें उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों, स्कूलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और समुदाय तक पहुंच बनाई जा रही है। इस अभियान में समुदाय की भागीदारी और स्वामित्व को बढ़ाया जा रहा है।

नशा मुक्‍त भारत अभियान की उपलब्धियां:

  1. जमीनी स्तर अब तक  पर की गई विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक लोगों को मादक पदार्थों के सेवन के प्रति जागरूक किया गया है, जिनमें 3.50 करोड़ से अधिक युवा और 2.32 करोड़ से अधिक महिलाएं शामिल हैं।
  2. 3.35 लाख से अधिक शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया है कि इस अभियान का संदेश देश के बच्चों और युवाओं तक पहुंचा है।
  3. 8,000 से अधिक कुशल स्‍वयंसेवकों (मास्‍टर वालंटियर्स-एमवी) की एक मजबूत टीम की पहचान की गई है और उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।
  4. अभियान के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाएगी।
  5. एनएमबीए गतिविधियों के आंकड़ों को एकत्रित करने और जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एनएमबीए डैशबोर्ड पर प्रदर्शित करने के लिए एनएमबीए मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है।
  6. एनएमबीए वेबसाइट (http://nmba.dosje.gov.in) उपयोगकर्ता/दर्शक को अभियान, एक ऑनलाइन चर्चा मंच, एनएमबीए डैशबोर्ड, ई-प्रतिज्ञा के बारे में विस्तृत जानकारी और अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
  7. नशा मुक्त होने के लिए आयोजित राष्ट्रीय ऑनलाइन शपथ में 99,595 शैक्षणिक संस्थानों के 1.67 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों ने नशा मुक्त होने की शपथ ली।
  8. युवाओं व अन्य हितधारकों को जोड़ने और उनसे जुड़ने के लिए ‘नशे से आजादी – एक राष्ट्रीय युवा और छात्र संपर्क कार्यक्रम’, ‘नया भारत, नशा मुक्त भारत’, ‘एनसीसी के साथ नशा मुक्‍त भारत अभियान संपर्क’ जैसे कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।
  9. नशा मुक्‍त भारत अभियान को सहयोग देने तथा जन जागरूकता गतिविधियां संचालित करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग, ब्रह्माकुमारीज, संत निरंकारी मिशन, राम चंद्र मिशन (दाजी),  इस्कॉन तथा अखिल विश्व गायत्री परिवार जैसे आध्यात्मिक/सामाजिक सेवा संगठनों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  10. फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर हैंडल बनाकर और उन पर दैनिक अपडेट साझा करके इस अभियान के संदेश को ऑनलाइन फैलाने के लिए प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया है।
  11. जिलों और कुशल स्वयंसेवकों द्वारा वास्तविक समय पर जमीनी स्तर पर होने वाली गतिविधियों का डेटा एकत्र करने के लिए एक एंड्रॉइड आधारित मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर रखा गया है।
  12. सभी नशामुक्ति सुविधाओं को जियो-टैग किया गया है, ताकि आम जनता आसानी से इसका फायदा उठा सके।

हर साल 26 जून को अन्तर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ दुरुपयोग और अवैध तस्‍करी निवारण दिवस ​के रूप में मनाया जाता है। मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ दुरुपयोग एवं अवैध तस्करी निवारण दिवस मनाने के लिए 20.06.2024 से 26.06.2024 तक सप्ताह भर चलने वाली ऑनलाइन गतिविधियों का आयोजन किया। इन गतिविधियों में निबंध लेखन प्रतियोगिता, नशा मुक्त जीवनशैली के लिए योग, ध्यान और सचेत रहने को बढ़ावा देना, एनएमबीए के तहत सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन, नशा मुक्त अभियान का नेतृत्व करने के लिए विश्वविद्यालय के छात्रों को शामिल करना, नशा मुक्त भारत बनाने में निचले स्‍तर से महिलाओं की भूमिका आदि शामिल हैं।

देश भर के सभी राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों और डीसी/डीएम से अनुरोध किया गया कि वे राज्य और जिला स्तर पर एनएमबीए के तहत नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार के साथ-साथ रैलियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार, कार्यशालाएं, शपथ जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन/आयोजन के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

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