यूएच-3एच हेलीकॉप्टर का डी-इंडक्शन समारोह एक उल्लेखनीय युग का अंत दर्शाता है, जिसने विशेष संचालन और खोज और बचाव (एसएआर) मिशनों में अभिनव क्षमताओं को पेश किया। लगातार विकसित और गतिशील समुद्री वातावरण में यूएच-3एच की परिचालन भूमिका भारतीय नौसेना विमानन के इतिहास में हमेशा अंकित रहेगी।
वर्ष 2007 में आईएनएच जलाश्व के साथ भारतीय तटों पर लाये गये यूएच-3एच हेलीकॉप्टर को 24 मार्च, 2009 को आईएनएच डेगा, विशाखापत्तनम में ‘सारस’ नाम से आईएनएएस 350 में शामिल किया गया था। इस प्रतिभाशाली हेलीकॉप्टर ने मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन, अपतटीय प्रतिष्ठानों की सुरक्षा और विशेष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसकी उन्नत खोज और बचाव (एसएआर) क्षमताएं और रसद सहायता प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बहुत अहम थीं, जो प्राय: निराशा और राहत के बीच अंतर करती थीं और अनगिनत लोगों की जान बचाती थीं। शक्तिशाली ‘सारस’ स्क्वाड्रन के शिखर को ‘शक्ति, वीरता और दृढ़ता’ के आदर्श वाक्य के रूप में सुशोभित करता है। हेलीकॉप्टर ने अपनी प्रतिबद्धता को पूरी लगन से निभाया, सतर्क निगरानी बनाये रखी और अटूट समर्पण के साथ हमारे देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की।
सेवा जीवन के अंत में, एक यूएच-3एच को ‘भाग्य के शहर’, विशाखापत्तनम में प्रमुख स्थान पर स्थायी रूप से प्रदर्शित किया जायेगा, जो भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। इस मौके पर चीफ ऑफ स्टाफ, पूर्वी नौसेना कमान समीर सक्सेना ने राज्य सरकार को एक स्मारक पट्टिका सौंपी। विमान के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिये पट्टिका को विशाखापत्तनम के संयुक्त कलेक्टर श्री के. मयूर अशोक विशाखापत्तनम ने प्राप्त किया।