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आईएनएस सुनयना ने सेशेल्स के पोर्ट विक्टोरिया में प्रवेश किया

यह तैनाती 1976 से सेशेल्स राष्ट्रीय दिवस के एक हिस्से के रूप में आयोजित सैन्य परेड में भारतीय सैन्य दल की निरंतर भागीदारी को दर्शाती है।

आईएनएस सुनयना ने दक्षिण पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी लंबी दूरी की तैनाती के एक हिस्से के रूप में 26 जून, 2024 को सेशेल्स के पोर्ट विक्टोरिया में प्रवेश किया।

जहाज की यात्रा 29 जून, 2024 को सेशेल्स के 48वें राष्ट्रीय दिवस के उत्सव के साथसाथ हो रही है। सेशेल्स राष्ट्रीय दिवस समारोह के एक हिस्से के रूप में आयोजित सैन्य परेड में नौसेना बैंड के साथ भारतीय नौसेना का मार्चिंग दल भाग लेगा। भारतीय नौसेना के जहाज की तैनाती 1976 से भारतीय सैन्य दल की निरंतर भागीदारी को दर्शाती हैजो दोनों देशों के बीच सौहार्द की पुष्टि करती है।

पोर्ट कॉल के दौरान, सामाजिक संपर्क, सेशेल्स रक्षा बल के साथ जुड़ाव, विशेष योग सत्र, आगंतुकों के लिए जहाज खुला रहना और सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम निर्धारित हैं। पोर्ट कॉल के दौरानस्वदेश निर्मित नौसेना एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएचका हवाई प्रदर्शन भी किया जाएगा। आईएनएस सुनयना की तैनाती हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहयोग आधारित प्रयासों को बढ़ावा देने वाले सागर के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

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सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भारतीय सेना के डी5 मोटर साइकिल अभियान दल को झंडी दिखाई

सेना प्रमुख (सी. ओ. ए. एस.) जनरल मनोज पांडे ने आज नई दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से भारतीय सेना के डी5 मोटरसाइकिल अभियान दल को झंडी दिखाकर रवाना किया। यह अभियान भारतीय सेना द्वारा 1999 के कारगिल युद्ध में भारत की जीत की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। फ्लैग ऑफ कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, सेना के उप प्रमुख, वरिष्ठ सेवारत अधिकारी, कारगिल युद्ध से जुड़े पूर्व अधिकारी, वीर नारियां और पूर्व सैनिक शामिल हुए। झंडी दिखाने से पहले, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने अभियान दल के सदस्‍यों के साथ परस्‍पर बातचीत की और टीम लीडर को मोटरसाइकिल अभियान का झंडा सौंपा। आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (एडब्ल्यूडब्ल्यूए) की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना पांडे ने कार्यक्रम के दौरान वीर नारियों को सम्मानित किया।

यह अखिल भारतीय अभियान 12 जून, 2024 को देश के तीन कोनों-पूर्व में दिनजन, पश्चिम में द्वारका और दक्षिण में धनुषकोडी से आरंभ हुआ था। आठ मोटरसाइकिल सवार तीन टीमों ने दिल्ली पहुंचने से पहले विविध क्षेत्रों और चुनौतीपूर्ण मार्गों से गुजरते हुए यात्रा की। पूर्व सी. ओ. ए. एस. जनरल दीपक कपूर (सेवानिवृत्त) ने 26 जून, 2024 को दिल्ली कैंट में टीमों को झंडी दिखाई थी। जनरल दीपक कपूर ने कारगिल युद्ध के दिग्गजों की उनकी बहादुरी के लिए सराहना की, अभियान टीमों की प्रशंसा की और प्रायोजकों द्वारा दिए गए समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में सेवारत अधिकारियों, कारगिल युद्ध के दिग्गजों, वीर नारियों और परिवारों सहित लगभग 500 व्यक्तियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

दिल्ली के बाद अब टीमें द्रास के लिए दो अलग-अलग मार्गों से आगे बढ़ रही हैं। एक टीम अंबाला, अमृतसर, जम्मू, उधमपुर और श्रीनगर से होकर 1,085 किलोमीटर की दूरी तय करेगी है जबकि दूसरी टीम चंडीमंदिर, मनाली, सरचू, न्योमा, तांगत्से और लेह से होकर 1,509 किलोमीटर की दूरी तय करेगी है। इस अभियान का समापन द्रास के गन हिल पर होगा, जो कारगिल युद्ध के दौरान अपने सामरिक महत्व के लिए इतिहास में दर्ज है। अभियान दल के सदस्‍य अपने रूट के दौरान रास्ते में रहने वाले कारगिल युद्ध के नायकों, दिग्गजों और वीर नारियों से संपर्क करेंगे, युद्ध स्मारकों पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, जागरूकता बढ़ाएंगे और युवाओं को भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

अभियान का नेतृत्व तोपखाना रेजिमेंट कर रही है जिसने ऑपरेशन विजय में सफलता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अभियान दल के सदस्‍य जब द्रास में अपने गंतव्य की ओर पहुंच रहे होंगे, उनके साथ साहस, त्याग और देशभक्ति की कहानियां भी जुड़ चुकी होंगी।

यह अभियान दल कारगिल युद्ध नायकों की बहादुरी और बलिदान के प्रति एक श्रद्धांजलि है और भारतीय सेना की स्थायी भावना का प्रतीक भी है। इस कार्यक्रम को हीरो मोटोकॉर्प, एचपीसीएल, अपोलो हॉस्पिटल्स, इफको और बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा कारगिल युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि देने के रूप में प्रायोजित किया जा रहा है।.

 

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कंबोडिया के सिविल सेवकों के लिए लोकनीति और शासन पर 5वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम मसूरी स्थित राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में शुरू हुआ

कंबोडिया के सिविल सेवकों के लिए आज मसूरी स्थित राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र (एनसीजीजी) में लोकनीति और शासन पर 5वें क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। दो सप्ताह के इस कार्यक्रम का आयोजन 24 जून से 5 जुलाई, 2024 तक विदेश मंत्रालय (एमईए) के सहयोग से किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में कंबोडिया के 40 सिविल सेवक भाग ले रहे हैं, जिसमें सिविल सेवा और सीनेट मंत्रालय के संयुक्त सचिव, निदेशक, उप-सचिव और अवर सचिव शामिल हैं। इस कार्यक्रम में नीति संवाद और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का अवसर मिलता है, जिससे प्रतिभागियों को संस्थागत परिवर्तन और उससे नागरिक को जोड़ने के कार्य में अहम अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिलती है।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) के महानिदेशक और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी), भारत सरकार के सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने की। उन्होंने अपने संबोधन में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करते हुए नागरिकों को सरकार के करीब लाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डाला। भारत की नीति “न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन” का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करके नागरिकों और सरकार को करीब लाने के साथ डिजिटल रूप से सशक्त नागरिक और डिजिटल रूप से परिवर्तित संस्थान बनाना है। भारत के एआई-संचालित लोक शिकायत निवारण पोर्टल सीपीजीआरएएमएस का उदाहरण प्रस्तुत किया गया।

कंबोडिया के सिविल सेवा मंत्रालय के उप-महानिदेशक और कंबोडिया से आए प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख श्री माम फोउक ने इस अवसर के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल क्षमता निर्माण को बढ़ाएगा बल्कि द्विपक्षीय संवाद को भी बढ़ावा देगा और भारत तथा कंबोडिया के बीच संबंधों को मजबूत करेगा।

राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र के एसोसिएट प्रोफेसर और कार्यक्रम के पाठ्यक्रम संयोजक डॉ. बीएस बिष्ट ने राष्ट्रीय सुशासन केंद्र और पिछले कुछ वर्षों में हासिल की गई उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। अपनी विस्तृत प्रस्तुति में उन्होंने एनसीजीजी के उद्देश्यों, गतिविधियों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा की और बताया कि कैसे यह उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। कार्यक्रम के पहले सप्ताह में प्रशिक्षण विभिन्न विषयों पर केंद्रित होगा, जिसमें लोकनीति और प्रबंधन, जीईएम: सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाना, भारतीय संवैधानिक योजना, भारत-कंबोडिया संबंध, बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, सुशासन के लिए एक उपकरण के रूप में आधार, स्वास्थ्य शासन, शासन पर संसदीय उपकरणों का प्रभाव, विभिन्न विकास योजनाओं के सर्वोत्तम अभ्यास, 2023 तक एसडीजी हासिल करने के तरीकों, विकसित भारत: उद्योग और बुनियादी ढांचे में नीतियां और विकास, वित्तीय समावेशन, शासन के बदलते प्रतिमान, नेतृत्व और संचार, शहरी शासन और टिकाऊ शहर, भारत में नागरिक सेवाएं, सेवाओं को घर-घर पहुंचाना, ई-शासन और डिजिटल सार्वजनिक सेवा वितरण, स्त्री-पुरुष समानता बढ़ाना और प्रशासन में नैतिकता आदि शामिल हैं। इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में देहरादून में स्मार्ट सिटी परियोजना और आईटीडीए, उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में जिला प्रशासन, संघ लोक सेवा आयोग और भारतीय संसद का भ्रमण शामिल होगा। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री संग्रहालय, बुद्ध मंदिर और ताजमहल की यात्रा के दौरान देश के इतिहास और संस्कृति से भी परिचित कराएगा।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र ने 17 देशों अर्थात् बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, इरेट्रिया और कंबोडिया के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण दिया है।

राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमांशी रस्तोगी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का संचालन और समन्वयन पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. बीएस बिष्ट, सह-पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. संजीव शर्मा,  प्रशिक्षण सहायक श्री बृजेश बिष्ट, युवा पेशेवर सुश्री मोनिशा बहुगुणा और राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र की क्षमता निर्माण टीम के सहयोग से करेंगे।

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जीएनएसएस प्रौद्योगिकी से नेविगेशन एवं स्थिति निर्धारण बेहतर होता है, और यह टोल संग्रह प्रणालियों को आधुनिक बनाने, निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने, एवं हमारी सड़कों पर भीड़-भाड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है-नितिन गडकरी

राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहन चालकों को निर्बाध और बाधा मुक्त टोलिंग अनुभव कराने के लिए एनएचएआई द्वारा प्रवर्तित कंपनी भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (आईएचएमसीएल) ने ‘भारत में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) पर आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्र‍ह’ पर नई दिल्ली में एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में उद्योग जगत और वैश्विक विशेषज्ञों दोनों को ही भारत में जीएनएसएस प्रौद्योगिकी पर आधारित फ्री-फ्लो टोलिंग प्रणाली के सुचारू कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए एक अनूठा मंच मुहैया कराया गया।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग एवं कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव श्री अनुराग जैन, एनएचएआई के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार यादव, एनएचएआई के सदस्य (प्रशासन) एवं आईएचएमसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री विशाल चौहान, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव (लॉजिस्टिक्स) श्री एस.पी. सिंह तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, एनएचएआई, आईएचएमसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ अमेरिका और यूरोप के अंतर्राष्ट्रीय उद्योग विशेषज्ञ और आईआईटी, एनआईसी, एनपीसीआई, सी-डैक, एचओए (आई), एनएचबीएफ, आईआरएफ, एसआईएएम, वित्तीय संस्थानों और अग्रणी वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के प्रतिनिधिगण भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

दिन भर चली कार्यशाला में कई पैनल चर्चाएं हुईं। इन चर्चाओं में विभिन्न औद्योगिक और तकनीकी पेशेवरों के साथ-साथ दुनिया भर के ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) विशेषज्ञों ने विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। इसमें ऑन-बोर्ड यूनिट्स (ओबीयू), वाणिज्यिक वाहन और राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, टोल चार्जर सॉफ्टवेयर, जारीकर्ता इकाई की भूमिका और भारत में मल्टी-लेन फ्री फ्लो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के सफल कार्यान्वयन के लिए सड़क बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएं शामिल थीं।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, “ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) तकनीक नेविगेशन और पोजिशनिंग को बढ़ाती है, टोल संग्रह प्रणालियों को आधुनिक बनाने, निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने और हमारी सड़कों पर भीड़भाड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हम नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने, शासन को अधिक पारदर्शी बनाने और त्वरित सेवाएं प्रदान करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।”

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा, “आज की कार्यशाला में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) पर कई वैश्विक विशेषज्ञों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि दुनिया भारत की विकास गाथा में विश्वास रखती है। हम वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) का कार्यान्वयन उस लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदमों में से एक होगा।”

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार यादव ने कहा, “पिछले एक दशक में, सड़क नेटवर्क का कई गुना विस्तार हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्ग यात्री यातायात के साथ-साथ देश की 70 प्रतिशत से अधिक वस्तुओं को लाने-ले जाने का काम करते हैं। ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) को लागू करने से न केवल हमारी अर्थव्यवस्था के विकास में बहुत बड़ा योगदान मिलेगा, बल्कि हमारे नागरिकों के लिए बाधा रहित टोल व्यवस्था भी एक वास्तविकता बन जाएगी।”

एनएचएआई के सदस्य (प्रशासन) एवं आईएमएचसीएल के सीएमडी श्री विशाल चौहान ने भारत में जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान आयोजित पैनल चर्चा के मुख्य बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया तथा आगे की राह बताई।

ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित टोलिंग इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह का एक बैरियर फ्री तारीका है, जिसमें सड़क पर चलने वाले लोगों से टोल वाले राजमार्ग पर उनके द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर शुल्क लिया जाता है।

एनएचएआई मौजूदा फास्टैग इकोसिस्टम के भीतर जीएनएसएस-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली को लागू करने की योजना बना रहा है, जिसमें शुरुआत में हाइब्रिड मॉडल का उपयोग किया जाएगा, जहां आरएफआईडी-आधारित ईटीसी और जीएनएसएस-आधारित ईटीसी दोनों एक साथ काम करेंगे। टोल प्लाजा पर समर्पित जीएनएसएस लेन उपलब्ध होंगी, जिससे जीएनएसएस-आधारित ईटीसी का उपयोग करने वाले वाहन आसानी से गुजर सकेंगे। जैसे-जैसे जीएनएसएस आधारित ईटीसी अधिक व्यापक होता जाएगा, सभी लेन अंततः जीएनएसएस लेन में परिवर्तित हो जाएंगी।

भारत में जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के कार्यान्वयन से राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की सुगम आवाजाही में सुविधा होगी और राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को कई लाभ प्रदान करने की परिकल्पना की गई है जैसे कि बाधा रहित फ्री-फ्लो टोलिंग जिससे परेशानी मुक्त सवारी का अनुभव होगा और दूरी आधारित टोलिंग होगी। जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह से लीकेज को रोकने और टोल चोरों पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी, जिसके परिणामस्वरूप देश भर में टोल संग्रह प्रणाली अधिक कुशल होगी।

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“अगले 5 वर्षों में भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाएगी”: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां परमाणु ऊर्जा विभाग की 100 दिवसीय कार्य योजना की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक में कहा “भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता अगले पांच वर्षों में लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाएगी।”

यह केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग, डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा मोदी सरकार 3.0 में मंत्री के रूप में पुनः कार्यभार संभालने के बाद आयोजित पहली परमाणु ऊर्जा से संबंधित बैठक है।

ऊर्जा परिदृश्य में परमाणु ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “7.48 गीगावॉट की स्थापित क्षमता 2029 तक 13.08 गीगावॉट हो जाएगी, जो 7 नए रिएक्टरों के जुड़ने से 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। उन्होंने पहले से चल रही परियोजनाओं का भी जायजा लिया और आगामी योजनाओं के लिए दिशा-निर्देश दिए।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विभाग को क्षमता निर्माण और ज्ञान, संसाधनों और विशेषज्ञता को साझा करके पूर्ण क्षमता का दोहन करने के लिए एकीकृत सहयोग करने का निर्देश दिया। मंत्री ने प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।” उन्होंने याद दिलाया कि इस सरकार ने, सहयोग के माध्यम से बजट में वृद्धि करके, अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों का उपयोग और सहयोग में वृद्धि करके सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ संयुक्त उपक्रमों की अनुमति दी है। अनुसंधान में आसानी और गतिविधियों को बढ़ाने पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम आसान विज्ञान को बढ़ावा देने और परमाणु प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग द्वारा नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए एकल बिंदु अनुमोदन दे रहे हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि विभाग कैप्टिव परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भारत लघु रिएक्टर (बीएसआर) का उपयोग करने के लिए 220 मेगावाट दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) को डिजाइन कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि डीएई कैलेंड्रिया को प्रेशर वेसल द्वारा प्रतिस्थापित करके हल्के जल-आधारित रिएक्टरों का उपयोग करने के लिए भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (बीएसएमआर) 220 मेगावाट पर भी काम कर रहा है।

डॉ. जीतेंद्र सिंह के अनुसार, भाविनी सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर की प्रारंभिक ईंधन लोडिंग को पूरा करने का काम प्रगति पर है और आने वाले महीनों में इसकी पहली क्रिटिकैलिटी की ओर बढ़ने की उम्मीद है। यह पहला फास्ट ब्रीडर रिएक्टर है जो अपनी खपत से ज़्यादा ईंधन का उत्पादन करता है।

मंत्री ने जोर देकर कहा कि ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ रेडियोफार्मास्युटिकल्स और परमाणु चिकित्सा, कृषि और खाद्य संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि विकिरण प्रौद्योगिकी के विकास से आम नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक लाभ होगा और जीवन को आसान बनाने में मदद मिलेगी तथा उप-परमाणु कणों का उपयोग करके बुनियादी, अनुप्रयुक्त और ट्रांसलेशनल विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

समीक्षा बैठक में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजीत कुमार मोहंती तथा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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केंद्र सरकार किसानों के कल्याण और उपभोक्ताओं के साथ-साथ उद्योग के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती हैः प्रल्हाद जोशी

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज भारत मंडपम में अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) की 64वीं परिषद बैठक का उद्घाटन किया। इस बैठक का 27 जून, 2024 को समापन होगा। इस बैठक में 30 से अधिक देशों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और गन्ना, चीनी व संबद्ध क्षेत्रों में भविष्य की संभावनाओं, चुनौतियों और रणनीतियों पर चर्चा एवं विचार-विमर्श किया। इससे पहले, भारत ने वर्ष 2012 में आईएसओ कंपनी के 41वें सत्र की मेजबानी की थी।

केंद्रीय उपभोक्ता मामलेखाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया

अपने उद्घाटन भाषण में केंद्रीय मंत्री श्री जोशी ने कहा कि लगभग 5 करोड़ किसान गन्ने की खेती में लगे हुए हैं और चीनी उद्योग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्‍ध करा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार किसान कल्याण और उद्योग के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, ताकि कृषि प्रकियाओं को बेहतर बनाने के लिए सहयोगात्मक प्रयास सुनिश्चित किए जा सकें।

श्री जोशी ने आईएसओ सम्मेलन की मेजबानी पर गर्व व्यक्त करते हुए चीनी और जैव ईंधन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और कौशल को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में जानकारी दी। चीनी के बारे में भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक निर्भरता पर जोर देते हुए उन्‍होंने दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता और एक महत्वपूर्ण जैव ईंधन उत्पादक के रूप में भारत की स्थिति का उल्लेख किया और कहा कि इससे पेट्रोल के साथ 12 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का स्‍तर प्राप्‍त हो गया है और जल्दी ही 20 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्‍त होगा।

श्री जोशी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में जैव ईंधन की भूमिका पर जोर देते हुए चीनी उद्योग और किसानों पर पेट्रोल के साथ भारत के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के सकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्‍होंने प्रतिनिधियों को चीनी क्षेत्र में भविष्य के उद्यमों के लिए इस सम्मेलन का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी सफलता की कामना की।

भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव और आईएसओ के अध्यक्ष श्री संजीव चोपड़ा ने आने वाले समय में आईएसओ की बड़ी भूमिका का सुझाव दिया। उन्होंने इस बात की तत्काल जरूरत पर बल दिया कि दुनिया के चीनी और इथेनॉल उद्योग, सूखे जैसी प्रतिकूल परिस्थिति में भी पैदा होने वाली गन्ने की किस्‍म विकसित करने, जल संरक्षण और जैव ईंधन को बढ़ावा देने सहित सुदृढ़ कार्यप्रणालियों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटे। उन्‍होंने कहा कि अपने किसानों और छोटे उद्योगों के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में आईएसओ सदस्य देशों में अधिक सहयोग की आवश्यकता है। भारत और ब्राजील दो सबसे बड़े चीनी उत्‍पादक देश हैं। उन्‍हें गन्ने में अनुसंधान और विकास में सहयोग व समन्वित प्रयास करने चाहिए ताकि अधिक उपज, अधिक सुक्रोज तत्‍व वाली तथा स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त बेहतर गन्‍ना किस्मों का विकास किया जा सके। उन्होंने इथेनॉल उत्पादन और मिश्रण में भारत की प्रगति पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि इन प्रयासों में स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देना राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। श्री चोपड़ा ने भारत के प्रधानमंत्री की एक पहल वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की सफलता पर भी प्रकाश डाला।

श्री जोस ओरिवे, ईडी, आईएसओ ने अध्यक्ष के रूप में आईएसओ मामलों को सफलतापूर्वक संभालने और इस कार्यक्रम को इतने भव्य रूप में आयोजित करने के लिए भारत को बधाई दी। उन्होंने भारत सरकार, भारतीय चीनी और जैव ईंधन उद्योग के बीच समन्‍वय की सराहना करते हुए कहा कि इस क्षेत्र ने भारत की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस अवसर पर आज शुगर एवं जैव-ऊर्जा- उभरते परिदृश्य विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला ने उद्योग जगत की हस्तियों और सरकारी अधिकारियों में विचारों का आदान-प्रदान करने और चीनी तथा जैव-ऊर्जा क्षेत्रों में भविष्य की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक उत्कृष्ट मंच के रूप में भी काम किया।

शुगर एवं जैव-ऊर्जा- उभरते परिदृश्य विषय पर कार्यशाला में विभिन्न ज्ञानवर्धक सत्र शामिल रहे, जो इस प्रकार हैं-

  1. विविधीकरण के माध्यम से स्थिरता: इस सत्र में गन्ने की खेती और चीनी क्षेत्र को अधिक टिकाऊ प्रथाओं की ओर ले जाने और इस बारे में इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अतिरिक्‍त, मजबूत वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जीवाश्म ईंधन के स्थान पर हरित ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देगा।
  2. चीनी क्षेत्र का मशीनीकरण और आधुनिकीकरण: स्थिरता विषय को आगे बढ़ाते हुए, इस  सत्र के दौरान गन्ने की खेती पर मुख्‍य रूप से चर्चा की गई। भारत में छोटी भूमि जोतों के लिए कृषि मशीनीकरण, और विशेष रूप से मशीनरी का निर्माण, किसानों को विस्तार सेवाएं तथा प्रौद्योगिकी का उपयोग गन्ने की खेती को और अधिक किफायती व उत्पादक बना देगा।
  3. चीनी क्षेत्र का डिजिटलीकरण: इस सत्र में भारत सरकार की एग्रीस्टैक जैसी विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला गया। ये कृषि सांख्यिकी और डेटा प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन कर रही हैं और अधिक उपयुक्त नीति का निर्माण करने और समय पर सरकारी उपायों के लिए आवश्यक है। कृषि पद्धतियों के लिए एआई/एमएल के साथ-साथ रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  4. चीनी की वैश्विक मांग और आपूर्ति: आईएसओ के अर्थशास्त्री श्री पीटर डी क्लार्क और डॉ. क्लॉडियू कोवरिग ने वैश्विक चीनी क्षेत्र के बारे में अपने विश्लेषण साझा किए और निकट भविष्य में वैश्विक चीनी व इथेनॉल के क्षेत्र में मांग और आपूर्ति परिदृश्य को स्पष्ट करते हुए, इस पैनल चर्चा ने चीनी व्यापार की पद्धति और वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों के अनुमानों को दर्शाया।
  5. ग्रीन हाइड्रोजन: आईएसओ के सलाहकार श्री लिंडसे जॉली ने ऊर्जा के स्रोत के रूप में हाइड्रोजन की क्षमता और इस क्षेत्र में चीनी क्षेत्र की भूमिका पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। वे ऑटोमोबाइल क्षेत्र के साथ-साथ बिजली क्षेत्र के लिए ईंधन के प्रमुख स्रोत के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के विकास के प्रति अधिक आशावादी रहे।

पोडियम पर खड़ा एक व्यक्तिविवरण स्वचालित रूप से उत्पन्न होता है

सम्मेलन ने प्रतिनिधियों को चीनी क्षेत्र के विशेषज्ञों से बातचीत करने, वैश्विक रुझानों को समझने, चीनी तथा इथेनॉल के लिए प्रासंगिक विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बेहतर अवसर प्रदान किया। इन सत्रों ने उत्पादक चर्चाओं को सुगम बनाया और विचारों के सार्थक आदान-प्रदान को सुनिश्चित किया, जिसके परिणामस्‍वरूप बातचीत से प्रभावशाली परिणाम प्राप्‍त हुए। इस सम्मेलन ने चीनी उद्योग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उल्‍लेख किया। इस सम्‍मेलन से इस क्षेत्र में टिकाऊ और उन्नत प्रथाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ।

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ऐतिहासिक 350वें रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) अनुबंध पर हस्ताक्षर; रक्षा मंत्रालय 150 किलोग्राम तक के कई पेलोड ले जाने में सक्षम लघु उपग्रह के डिजाइन और विकास के लिए स्पेसपिक्सल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ सहयोग करेगा

रक्षा मंत्रालय की प्रमुख पहल रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) ने 25 जून, 2024 को नई दिल्ली में ऐतिहासिक 350वें अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह अनुबंध स्पेसपिक्सल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ ‘150 किलोग्राम तक के इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल, इन्फ्रारेड, सिंथेटिक अपर्चर रडार और हाइपरस्पेक्ट्रल पेलोड ले जाने में सक्षम लघु उपग्रह’ के डिजाइन और विकास के लिए किया गया था। 150वें आईडीईएक्स अनुबंध पर दिसंबर 2022 में हस्ताक्षर किए गए थे और 18 महीने के भीतर 350वें अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में अपर सचिव (रक्षा उत्पादन) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, रक्षा नवाचार संगठन (डीआईओ) श्री अनुराग बाजपेयी और स्पेसपिक्सेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवैस अहमद नदीम अलदुरी के बीच अनुबंध का आदान-प्रदान किया गया। स्पेसपिक्सेल विस्तृत पृथ्वी अवलोकन प्रदान करने के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

यह 350वां आईडीईएक्स अनुबंध अंतरिक्ष इलेक्ट्रॉनिक्स में नवाचार को सक्षम बनाता है, इसमें पहले समर्पित बड़े उपग्रहों पर तैनात कई पेलोड को अब लघु किया जा रहा है। मॉड्यूलर लघु उपग्रह आवश्यकता के अनुसार कई लघु पेलोड को एकीकृत करेगा, जो तेजी से और किफायती परिनियोजन, निर्माण में आसानी, मापनीयता, अनुकूलन क्षमता और पर्यावरणीय के प्रभाव को कम करने जैसे लाभ प्रदान करेगा।

अपने संबोधन में, रक्षा सचिव ने प्रौद्योगिकी के विस्तार और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए नए रक्षा नवप्रवर्तकों की अटूट प्रतिबद्धता की सराहना की। नवाचार के साथ स्वदेशीकरण के संयोजन के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि घरेलू क्षमताएं प्रयोग और विकास के लिए एक मंच प्रदान करके नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सुदृढ़ आधार प्रदान करती हैं। नवाचार नई प्रौद्योगिकियों और समाधानों के निर्माण को प्रोत्साहन देकर स्वदेशीकरण को बढ़ावा देता है।

रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईईडीईएक्स) के बारे में

आईडीईएक्स, 2021 में नवाचार श्रेणी में सार्वजनिक नीति के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में एक गेम-चेंजर के रूप में उभरा है। रक्षा उत्पादन विभाग के तहत रक्षा नवाचार संगठन (डीआईओ) द्वारा स्थापित, आईडीईएक्स ने डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (डीआईएससी) के 11 संस्करणों का शुभारंभ किया है, और हाल ही में महत्वपूर्ण और रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए आईडीईएक्स (एडीआईटीआई) योजना के साथ अभिनव प्रौद्योगिकियों के एसिंग विकास किया है।

एक संक्षिप्त अवधि में, आईडीईएक्स ने तेजी से सफलता हासिल की है। इससे रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप के एक बढ़ते समुदाय को प्रोत्साहन मिला है। यह वर्तमान में 400 से अधिक स्टार्ट-अप और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के साथ जुड़ा हुआ है। अब तक दो हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 35 वस्तुओं की खरीद को स्वीकृति दी जा चुकी है। आईडीईएक्स ने रोजगार के कई अवसर सृजित किए हैं और रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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सरकार दूरसंचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू करेगी

सभी नागरिकों को सस्ती, अत्याधुनिक उच्च गुणवत्ता वाली दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप सरकार स्पेक्ट्रम नीलामी का आयोजन कर रही है। वर्तमान दूरसंचार सेवाओं को बढ़ाने और निरंतरता बनाए रखने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने स्पेक्ट्रम नीलामी शुरू कर दी है और 08 मार्च, 2024 को आवेदन आमंत्रण सूचना (एनआईए) जारी की गई है। संचार मंत्रालय ने घोषणा की है कि आगामी नीलामी में स्पेक्ट्रम बैंड बोली के लिए 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज शामिल हैं।

नीलाम किए जाने वाले स्पेक्ट्रम की कुल मात्रा विभिन्न बैंडों में 10,522.35 मेगाहर्ट्ज है, जिसका मूल्य आरक्षित मूल्य पर 96,238.45 करोड़ रुपये है।

 

बैंड

नीलामी में रखा गया कुल स्पेक्ट्रम (मेगाहर्ट्ज में) एलएसए की संख्या जहां स्पेक्ट्रम बेचा जाता है आरक्षित मूल्य पर स्पेक्ट्रम का मूल्य (करोड़ में)
800 मेगाहर्ट्ज 118.75 19 21341.25
900 मेगाहर्ट्ज 117.2 22 15619.6
1800 मेगाहर्ट्ज 221.4 22 21752.4
2100 मेगाहर्ट्ज 125 15 11810
2300 मेगाहर्ट्ज 60 6 4430
2500 मेगाहर्ट्ज 70 5 2300
3300 मेगाहर्ट्ज 1110 22 16251.2
26 गीगाहर्ट्ज 8700 21 2734
कुल 10,522.35 96,238.45

 

स्पेक्ट्रम नीलामी की मुख्य विशेषताएं:

· नीलामी में तीन बोलीदाता – मैसर्स भारती एयरटेल लिमिटेड, मैसर्स वोडाफोन आइडिया लिमिटेड और मैसर्स रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड भाग लेंगे।

· नीलामी की प्रक्रिया: यह नीलामी एक समकालिक बहु-चरणीय आरोही (एसएमआरए) ई-नीलामी होगी।

· स्पेक्ट्रम की अवधि : स्पेक्ट्रम बीस (20) वर्ष की अवधि के लिए आवंटित किया जाएगा।

· भुगतान : सफल बोलीदाताओं को 8.65 प्रतिशत की ब्याज दर पर एनपीवी की विधिवत सुरक्षा करते हुए 20 समान वार्षिक किस्तों में भुगतान करने की अनुमति दी जाएगी।

· स्पेक्ट्रम का अवधि – इस नीलामी के माध्यम से प्राप्त स्पेक्ट्रम को न्यूनतम दस वर्ष की अवधि के बाद वापस किया जा सकता है।

· स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क : इस नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए कोई स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) नहीं लगेगा।

· बैंक गारंटी : सफल बोलीदाता को वित्तीय बैंक गारंटी (एफबीजी) और निष्पादन बैंक गारंटी (पीबीजी) प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं है।

बोलीदाताओं को ई-नीलामी प्लेटफॉर्म से सहजता के लिए 03 जून 2024, 13 जून 2024 और 14 जून 2024 को मॉक नीलामी आयोजित की गई। इसके बाद , बोलीदाताओं के डेटा में कोई अशुद्धि न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए 24 जून 2024 को सुबह 09:00 बजे नीलामी सूची प्रकाशित की गई।

स्पेक्ट्रम नीलामी के अन्य विवरण, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ, आरक्षित मूल्य, पूर्व-योग्यता शर्तें, बयाना राशि जमा (ईएमडी), नीलामी नियम आदि तथा उपरोक्त अन्य नियम व शर्तें शामिल हैं, एनआईए में निर्दिष्ट हैं, जिन्हें दूरसंचार विभाग की वेबसाइट https://dot.gov.in/spectrum पर देखा जा सकता है ।

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देश की राजनीति में वो होगा जो पहले कभी नहीं हुआ

दैनिक भारतीय स्वरूप , संवाद सूत्र मनोज अग्निहोत्री देश की राजनीति में जो पहले कभी नहीं हुआ वो अब होने जा रहा है।कल यानी 26 जून की सुबह लोकसभा स्पीकर के पद के लिए वोटिंग होगी। स्पीकर पद पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति ना बनने के कारण चुनाव की नौबत आई है। एनडीए ने एक बार फिर ओम बिरला को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, आईएनडीआईए की तरफ से के सुरेश ने पर्चा दाखिल किया है।

लोकसभा स्पीकर को लेकर मंगलवार सुबह से ही सियासी माहौल गरमाया हुआ था। शुरुआत में उम्मीद जताई जा रही थी कि स्पीकर पद पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर केंद्र को समर्थन देने का भी एलान किया था। हालांकि, घंटेभर बाद ही विपक्ष ने ओम बिरला के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतार दिया।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया

कानपुर 22 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता. 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर की वॉलिंटियर्स के द्वारा कु. अनुराधा चंदेल के नेतृत्व में ग्रीन पार्क में आयोजित कार्यक्रम में योग किया गया। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम *स्वयं और समाज के लिए योग* रहा। इसी संकल्प को दोहराते हुए समस्त वॉलिंटियर्स ने योग को अपने जीवन शैली में नियमित रूप से अपनाने का संकल्प लेते हुए यह भी प्रण लिया कि वह अपने परिवार तथा समाज को योग के लाभों से अवगत कराते हुए योग करने के लिए प्रेरित करेंगी। योगासनों के साथ-साथ छात्राओं ने विभिन्न यौगिक कक्रियाओं, ध्यान, प्राणायाम, साधना आदि के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की। इस अवसर पर जिला प्रशासन के द्वारा वॉलिंटियर्स को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हेतु विशेष रूप से तैयार की गई टी-शर्ट का वितरण भी किया गया।

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