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लद्दाख के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह से मुलाक़ात की

लेह, लद्दाख के लोगों की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने 26 सितंबर, 2020 को केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के साथ मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में लद्दाख के पूर्व दिग्गज नेता आदरणीय थिकसे रिनपोछे (पूर्व सांसद/राज्य सभा), श्री थुप्स्तन छेवांग (पूर्व सांसद/लोक सभा) और श्री छेरिंग दोरजे लकरूक (पूर्व मंत्री, जम्मू-कश्मीर) शामिल थे। बैठक के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी तथा युवा मामले और खेल राज्य मंत्री किरेन रिजिजू भी उपस्थित रहे।

प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि भाषा, जनसांख्यिकी, जातीयता, भूमि और नौकरियों से संबंधित सभी मुद्दों पर सकारात्मक रूप से ध्यान दिया जाएगा। “छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा के लिए पीपुल्स मूवमेंट” के तत्वावधान में लेह और करगिल जिलों के 

प्रतिनिधियों के एक बड़े लद्दाखी प्रतिनिधिमंडल और गृह मंत्रालय के बीच संवाद लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद, लेह चुनावों के समापन के 15 दिनों के बाद शुरू होगा। इस संबंध में कोई भी निर्णय लेह और करगिल के प्रतिनिधियों के परामर्श से ही लिया जायेगा।

केंद्रीय गृहमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि, भारत सरकार लेह और करगिल के एलएएचडीसी को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है तथा सरकार, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा करेगी। साथ ही इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी विकल्प तलाशे जायेंगे।

भारत सरकार लद्दाख के लोगों से संबंधित मुद्दों को देखते हुए देश के संविधान की छठी अनुसूची के तहत उपलब्ध संरक्षण पर चर्चा करने के लिए तैयार है।

प्रतिनिधिमंडल ने आगामी लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद-एलएएचडीसी, लेह चुनावों के बहिष्कार के आह्वान को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की और इन चुनावों के सुचारू संचालन के लिए इसे पूर्ण समर्थन देने का वायदा किया।

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प्रधानमंत्री मोदी और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया

1. भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महामहिम महिंदा राजपक्षेनेआज एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों और पारस्‍परिक चिंता के क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की।

2. प्रधानमंत्रीमोदी नेप्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को अगस्त 2020 मेंश्रीलंकामें हुए संसदीय चुनावों में एक निर्णायक जनादेश के साथ प्रधानमंत्री के पद पर बने रहने के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री राजपक्षे ने शुभकामनाओं के लिए आभार व्यक्त किया और प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर काम करने की इच्‍छा जताई।

3. दोनों नेताओं ने नवंबर 2019 में राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे और फरवरी 2020 में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे कीसफल राजकीय भारत यात्राओं को याद किया।इन यात्राओंने आपसी संबंधों के भविष्य के लिए स्पष्ट राजनीतिक दिशा एवं दृष्टि दी।

4. प्रधानमंत्री श्री महिंदा राजपक्षे ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाईमें इस क्षेत्र के देशों की पारस्‍परिक सहायता एवं मदद के दृष्टिकोण पर आधारित प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दर्शाए गए मजबूत नेतृत्व की सराहना की। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि वर्तमान परिस्थिति ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती प्रदान करने का एक नया अवसर प्रदान किया है। दोनों नेताओं ने खुशी जताई कि भारत और श्रीलंका ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए काफी करीबी से काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस वैश्विक महामारी के स्वास्थ्य एवं आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए श्रीलंका को हरसंभव मदद करने के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

5. द्विपक्षीय संबंधों को कहीं अधिक गति प्रदान करनेकेलिएदोनों नेताओं ने इन मुद्दोंपर सहमति जताई:

(i)आतंकवाद और मादक पदार्थोंकी तस्करी से निपटने के लिए पारस्‍परिक सहयोग बढ़ाया जाएगा। इसमें खुफिया क्षेत्र,सूचनाओं को साझा करना,कट्टरता को दूर करना और क्षमता निर्माण शामिल हैं।

(ii)सरकार और श्रीलंका के लोगों द्वारा पहचाने जाने वाले प्राथमिकता वाले क्षेत्रोंकेअनुसार लाभकारी एवं कुशल विकास भागीदारी को जरी रखा जाएगा। साथ ही वर्ष 2020-2025 की अवधि के लिए उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं (एचआईसीडीपी)के कार्यान्वयनके लिए समझौता ज्ञापन के तहत इस द्वीप के साथ जुड़ाव को कहीं अधिक व्‍यापक बनाया जाएगा।

(iii)प्रधानमंत्री मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान मई 2017 में घोषित वहां के वन क्षेत्रों में 10,000 रिहायशी मकानों के निर्माण में तेजी लाने के लिए मिलकर काम किया जाएगा।

(iv)दोनोंदेशों केबीच व्यापार एवं निवेश के लिए उपयुक्‍त माहौल उपलब्‍ध कराना और कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई चुनौतियों के मद्देनजर आपूर्ति श्रृंखलाओं के एकीकरण को गहराई प्रदान करना।

(v)द्विपक्षीय समझौतों और समझौता ज्ञापनों के अनुसार करीबी परामर्श के जरिये बंदरगाह एवं  ऊर्जा जैसे क्षेत्रों सहित बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी परियोजनाओं को जल्‍द पूरा करने की दिशा में काम करना। साथ ही दोनों देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी विकास सहयोग भागीदारी के लिए मजबूत प्रतिबद्धता जाहिर करना।

(vi)भारत से 10करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन के तहत विशेषरूपसे सौर परियोजनाओं पर जोर देते हुए नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना।

(vii)कृषि,पशुपालन,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,स्वास्थ्य सेवा और आयुष (आयुर्वेद,यूनानी, सिद्धएवं होम्योपैथी) के क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग को मजबूत करने के साथ ही पेशेवरों के प्रशिक्षण को बढ़ाकर कौशल विकास करना ताकि दोनों देशों के जनसांख्यिकीय लाभांश की पूरी क्षमता का लाभ उठाया जा सके।

(viii)सभ्यता संबंधी संपर्कों और सामान्य विरासत जैसे बौद्ध धर्म, आयुर्वेद एवं योग के क्षेत्र में मौजूद अवसरों को तलाशते हुए लोगों से लोगों के बीच संबंधों को अधिक मजबूती प्रदान करना। भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय उड़ान के उद्घाटन पर श्रीलंका के बौद्ध तीर्थयात्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल के लिए पवित्र शहर कुशीनगर की यात्रा के लिए सुविधा उपलब्‍ध कराएगी। हाल में बौद्ध धर्म के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के महत्‍व को उजागर करते हुए इसकी घोषणा की गई थी।

(ix) कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए खतरों को ध्‍यान में रखते हुए और सुरक्षा के लिए सभी आवश्‍यक उपाय करते हुए दोनों देशों के बीच यात्रा का सुचारु करने के लिए हवाई यातायात शुरू करना और कनेक्टिविटी बढ़ाकर पर्यटन को बढ़ावा देना।

(x)संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य सहित साझा लक्ष्यों और मौजूदा ढांचे के अनुसार नियमित परामर्श एवं द्विपक्षीय चैनलों के माध्यम से मछुआरों से संबंधित मुद्दों का समाधान करना।

(xi) कार्मिकों के पारस्‍परिक दौरे, समुद्री सुरक्षा में सहयोग और श्रीलंका को रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में मदद के जरिये दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सहयोग को मजबूत करना।

6. प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने दोनों देशों के बीच बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 1.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के अनुदान की घोषणा का स्वागत किया। इस अनुदान से बौद्ध धर्म के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच लोगों से लोगों के संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी, जिसमें बौद्ध मठों का निर्माण/ नवीनीकरण, क्षमता विकास, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सांस्कृतिक सहयोग,पुरातात्विक सहयोग,बुद्ध के अवशेषों की पारस्परिक प्रदर्शनी,बौद्ध विद्वानों एवं पुरोहितों के आपसी तालमेल को मजबूत करना आदि शामिल हैं।

7. प्रधानमंत्री मोदी ने एक संयुक्‍त श्रीलंका के तहत समानता,न्याय,शांति एवं सम्मान के लिए तमिल लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करनेकेलिए श्रीलंका सरकार से आह्वान कियाजिसमें श्रीलंका के संविधान के तेरहवें संशोधन को लागू करने के साथ ही सामंजस्य की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना शामिल है।प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने भरोसा दिया कि श्रीलंका लोगों के जनादेश और संवैधानिक प्रावधानों के कार्यान्वयन के अनुसार तमिल सहित सभी जातीय समूहों की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में काम करेगा।

8.दोनों नेताओं ने पारस्परिक सहयोग के क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बढ़ती प्रगति को स्वीकार कियाजिसमें सार्क,बिम्सटेक,आईओआरए और संयुक्त राष्ट्र ढांचे के तहत उभरने वाले मुद्दे शामिल हैं।

9. यह स्वीकार करते हुए कि बिम्‍सटेक दक्षिण एशिया को दक्षिण पूर्व एशिया के साथ जोड़ने के लिए क्षेत्रीय सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच है, दोनों नेताओं ने श्रीलंका की अध्यक्षता में एक सफल बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।

10. प्रधानमंत्री श्री महिंदा राजपक्षे नेवर्ष 2021-2022 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के चुनाव के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मिले मजबूत समर्थन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी को बधाई दी।

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भारत इंटरनेट यात्रा: पिछले 25 वर्षों में विकास और अगले 5 के लिए लक्ष्य

छोटे शहरों में डायल-अप मोडेम से लेकर 4 जी कनेक्टिविटी तक उपलब्ध है, पिछले 25 वर्षों में भारत ने अगले 5
वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है, जो इस विकास को तीव्र गति से जारी रखने के लिए तैयार है।
प्रौद्योगिकी मानव जीवन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण तत्वों में से एक रही है। हर नई तकनीक अपने साथ
परिवर्तन की एक लहर लाती है जो वैश्विक स्तर पर निगमों और उपभोक्ताओं के लिए व्यक्तिगत, पेशेवर, सामाजिक
और आर्थिक पहलुओं पर व्यापक रूप से लागू होती है। भारत ने पिछले 25 वर्षों में अपने वाणिज्यिक, सार्वजनिक
और सामाजिक क्षेत्रों पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव को भी देखा है। भारत की प्रमुख तकनीकों में से एक वायरलेस
कनेक्टिविटी है।
न केवल वायरलेस कनेक्टिविटी ने पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त विकास देखा है, लेकिन इसकी उन्नति अपनी गोद
लेने की तुलना में बहुत तेज गति से हुई है। आज की पीढ़ी के लिए, 4 जी और हाई-स्पीड वाई-फाई कनेक्टिविटी
आवश्यक हैं और आगे जाकर, आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) और 5 जी जैसी प्रौद्योगिकियां पीढ़ी की जीवन शैली को
प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
अगर हम संख्या के बारे में बात करते हैं, तो एक विशाल 4.6 बिलियन लोग आज इंटरनेट का उपयोग करते हैं और
हर दिन वर्ल्ड वाइड वेब पर अरबों गीगाबाइट डेटा भेजते हैं। न केवल इंटरनेट से दुनिया जुड़ी है, बल्कि इसने राष्ट्रीय,
सामाजिक और आर्थिक सीमाओं को कम परिणामी बना दिया है। इंटरनेट ने पूरी तरह से लोगों के एक दूसरे के साथ
संवाद करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। वीडियो और ऑडियो कॉलिंग सस्ता और सामान्य हो गया है,
और किसी भी विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करना कुछ ही क्लिक है दूर। उद्योग के मोर्चे पर, इंटरनेट ने कॉरपोरेट
जगत को फिर से आकार दिया है, नई प्रौद्योगिकी दिग्गजों का निर्माण किया है जो इंटरनेट के मद्देनजर सफलतापूर्वक
मांग में आ गए हैं।
इन नई कॉरपोरेट प्रौद्योगिकी दिग्गजों को जल्दी समझ में आया कि उनके व्यवसाय के बड़े हिस्से को डिजिटल बनाने
से उन्हें सफलता प्राप्त करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने में मदद मिलेगी। डिजिटलीकरण के शुरुआती अपनाने
ने इन प्रौद्योगिकी कंपनियों को कई तरीकों से इंटरनेट को मोड़ने और उपयोग करने में सक्षम बनाया। फ़ेसबुक से
लेकर ट्विटर तक, वर्चुअल पब्लिक स्क्वॉयर उभरे जहाँ लोगों को स्तम्भित किया जाता है और उनकी प्रशंसा की जाती
है। टिंडर और ट्रूली मैडली जैसे प्लेटफॉर्म डेटिंग की दुनिया में नए संबंध बनाने में मदद कर रहे हैं। अमेज़न और
फ्लिपकार्ट लोगों के खरीदारी के तरीके को बदल रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरंसीज़ से फिएट मनी के एकाधिकार को
खतरा है। दवा, मनोरंजन, और शिक्षा से लेकर सुदूर कामकाज तक ऐसे ही हजारों उदाहरण हैं।
पिछले 25 वर्षों में अभूतपूर्व रूप से भारत को विशेष रूप से देखते हुए प्रौद्योगिकी का विकास हुआ है। एक बिंदु पर,
इंटरनेट से जुड़ने के लिए ईमेल तक पहुंचने के लिए अपने फोन की लैंडलाइन के माध्यम से अचानक धीमी गति से
डायल-अप कनेक्शन की आवश्यकता होती है। आज, लाखों लोग किसी भी स्थान से उच्च गति पर अपने टचस्क्रीन
फोन पर भारत में इंटरनेट का उपयोग करते हैं। मोबाइल इंटरनेट पैठ के इस स्तर का श्रेय रिलायंस जियो को जाता है
क्योंकि वे इससे सबसे बड़ी बाधा साबित हुए इस सेगमेंट में उनके प्रवेश का दिन।
हालांकि, 1.3 बिलियन से अधिक की हमारी आबादी को देखते हुए, इंटरनेट पैठ को अभी भी कम टेली घनत्व के रूप
में गिना जाता है, खासकर चीन या पश्चिमी दुनिया की तुलना में। विकसित देशों में इंटरनेट बहुत बाद में आया,
लेकिन उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे के लिए उनकी टेलिडेंसिटी पहले से ही उच्च थी। भारतीय इंटरनेट कनेक्टिविटी अन्य

बाजारों की तुलना में धीमी गति से विकसित होने के महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। इसके अलावा, ध्यान रखें कि उच्च
निवेश के कारण यह कम आय वाला बाजार है। इन्फ्रा को स्थापित करने के लिए आवश्यक लागत। इन चुनौतियों के
साथ भी, भारत एक ऐसा देश बन गया है जो दुनिया में सबसे सस्ता मोबाइल डेटा 0.09 डॉलर प्रति जीबी पर
उपलब्ध कराता है। यह लागत-प्रभावशीलता, वायरलेस कनेक्टिविटी में प्रौद्योगिकी विकास के साथ संयुक्त भारत को
आने वाले वर्षों में अपनी इंटरनेट पैठ बढ़ाने के एक तेज ट्रैक पथ पर रखता है।
एक समर्पित स्पेक्ट्रम के साथ वायरलेस नेटवर्क को स्केल करना बहुत आसान है। इसलिए यह समझना रॉकेट साइंस
नहीं है कि वायरलेस अगले बिलियन को जोड़ने का रास्ता होगा। महामारी ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि जबकि
वायरलेस इंटरनेट से आसानी से जुड़ सकता है, यह वायरलाइन है जो लगातार कनेक्टिविटी प्रदान करता है | इंटरनेट
ने घर और ऑनलाइन शिक्षा, नेट बैंकिंग, और वॉलेट आधारित भुगतान गेटवे के काम के लिए जीवन के सभी पहलुओं
को व्यक्तिगत संचार, सामाजिक संपर्क, मनोरंजन, उत्पादकता और संचार साधनों में व्याप्त कर दिया है और स्मार्ट
घरों और आवाज / हावभाव के उपयोग के माध्यम से सहायता प्रदान की है। डिजिटल सहायक, आदि सभी उपरोक्त
दैनिक जीवन का एक हिस्सा बन गए हैं और इस प्रकार तैयार इंटरनेट उपलब्धता की आवश्यकता है।
वायरलेस और वायरलाइन प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। इंटरनेट पर सहज सर्वव्यापी पहुंच बनाने के लिए उन्हें हाथ से जाना
पड़ता है। इसे हासिल करने के लिए उद्योग और सरकार को साथ आना होगा। इंडस्ट्री को एफटीटीएच में भारी निवेश
की जरूरत है। दूरसंचार कंपनियों को वायरलाइन प्रदाताओं की कनेक्टिविटी मांगों को पूरा करने की क्षमता बढ़ाने के
लिए निवेश करने की आवश्यकता है | सरकार को विनियमों पर नए सिरे से विचार करने और वायरलाइन चैनल के
लिए व्यापार को आसान बनाने के लिए इसे सरल बनाने की आवश्यकता है।
अगले पांच साल भारत की इंटरनेट यात्रा के लिए बहुत आशाजनक हैं। एक तरफ, 5G, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन
लर्निंग जैसी नई तकनीकों से न केवल सभी के लिए हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस की उम्मीद करें। यह इंटरनेट को
अत्यधिक वैयक्तिकृत बनाएगा और नए उपकरणों के साथ अनुकूलित किया जाएगा, जो हर किसी के लिए सुलभ
बनने के लिए संवर्धित वास्तविकता को उन्नत करता है। 2020 में, महामारी ने इन परिवर्तनों में से कई को बढ़ाने और
तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आगे बढ़ते हुए, जैसा कि भारत अपनी कनेक्टिविटी पर विकसित होता है,
उम्मीद है कि वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गज भारत में प्रवेश करने के लिए दौड़ में शामिल होंगे, अधिक से अधिक सामग्री
निर्माता और साथ ही कॉर्पोरेट प्रौद्योगिकी भारत के सबसे छोटे शहरों से उठने और दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए इकसिंगें देती है। इंटरनेट का उपयोग।

लेख रौनक माहेश्वरी, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, एक्सट्रीम लैब्स, इंडिया की ओर से दिया गया है।

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इकलौता हिंदू राष्ट्र नेपाल, सेक्युलर के नाम पर कब चीन का उपनिवेश बनता गया इसका पता नेपाल की मासूम जनता को भी नहीं चला।

नेपाल से डॉ मंजू डागर चौधरी, नेपाल जोकि इकलौता हिंदू राष्ट्र था सेक्युलर के नाम पर कब चीन का उपनिवेश बनता गया इसका पता शायद नेपाल की मासूम जनता को आज तक भी पता ही नहीं चला। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी हरकतों से बाज न आते हुए एक के बाद एक चीन के नये शिकार दुनिया के सामने आने लगा है। नेपाल भी उन्हीं में से एक है। ईरान और चीन ने अमरीका प्रतिबंधों से बचने के लिए नेपाली बैंकों की मदद मांगी। नेपाली बैंकों ने भी परिणामों की परवाह किए बगैर इस अमरीका विरोधी कार्रवाई में चीन की खुलकर मदद की। इन नेपाली बैंकों और कंपनियों ने विदेशों से मिले संदिग्‍ध पैसे को चीन और ईरान को ट्रांसफर करना शुरु कर दिया।

अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार डॉ मंजू डागर चौधरी

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के एक समूह ने इस बात का खुलासा किया है कि नेपाल की कंपनियों और बैंकों ने ईरान और चीन की मदद के लिए अमरीका को धोखा दिया। सारी दुनिया को पता ही है कि अमरीका ने ईरान और चीन के खिलाफ कई व्‍यापार प्रतिबंध लगाए हुए हैं जिससे बचने के लिए तेहरान और पेइचिंग ने नेपाल का इस्‍तेमाल किया। हम आपको बता दे कि पत्रकारों ने इस रिपोर्ट को अमरीका की वित्‍तीय लेनदेन पर नजर रखनी वाली संस्‍था के गोपनीय दस्‍तावेज के आधार पर तैयार किया है। इसे फिनसेन फाइल्‍स कहा जा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर कहा गया है कि दिसंबर 2006 से मार्च 2017 के बीच नेपाल के 9 बैंकों, 10 कंपनियों और नेपाल में विभिन्‍न लोगों ने सीमापार व्‍यापार के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेनदेन किया। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘ कि नेपाली बिज़नेस संस्‍थान सोने की अंतर्राष्ट्रीय तस्‍करी, प्राचीन वस्‍तुओं, बिटुमेन और दूरसंचार उपकरणों की तस्‍करी करते हैं। इसमें स्‍टैडर्ड चार्टड बैंक, प्राइम कार्मशल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, एवरेस्‍ट बैंक, नेपाल इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक, मेगा बैंक, हिमालयन बैंक, नेपाल बांग्‍लादेश बैंक आदि संदिग्‍ध पैसे की लेनदेन करने वाले बैंकों में शामिल हैं।’

1 ) नेपाल के बैंकों और कंपनियों ने अमरीका को बड़ा धोखा द‍िया है। इन बैंकों ने अमरीका प्रतिबंधों से बचने में चीन और ईरान की मदद की। उन्‍होंने 29 करोड़ की संदिग्‍ध धनराशि का लेनदेन क‍िया।
2 ) प्राइम कार्मशल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, एवरेस्‍ट बैंक, नेपाल इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक, मेगा बैंक, हिमालयन बैंक, नेपाल बांग्‍लादेश बैंक आदि संदिग्‍ध पैसे की लेनदेन करने वाले बैंकों में शामिल हैं .

इस लिस्‍ट में नेपाल की 10 कंपनियां भी शामिल हैं जिन्‍होंने या तो सीधे तौर पर संदिग्‍ध पैसा भेजा या उसे हासिल किया। 11 साल की अवधि के दौरान इन बैंकों और कंपनियों ने 29 करोड़ डॉलर की संदिग्‍ध धनराशि का लेनदेन किया। इन कंपनियों का मुख्‍य बिजनस पेट्रोलियम प्रॉडक्‍ट जैसे बिटुमेन, इंजन ऑयल और अन्‍य तेल शामिल हैं। इन कंपनियों का ऑफिस दुबई में था।

सूत्रों से पता चला है कि इस पूरे विवाद के केंद्र में नेपाल का रौनियार परिवार है। इसी ने पेट्रोलियम के आयात और निर्यात के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेन-देन किया। रौनियार की ही कंपनी ईरान से सामान खरीदती है जबकि ईरान के खिलाफ अमरीका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। सबसे मजेदार बात यह है कि ईरान से मंगाए गए सामान को कागज में दुबई से मंगाया गया सामान बताया जाता है।

दूसरी तरफ चीन की कंपनी ZTE ने भी अमरीका प्रतिबंधों से बचने के लिए कई अलग -अलग रास्ते अपनाये। ZTE कंपनी ने दूरसंचार के उपकरणों को अमरीका से खरीदा और उसे जेटीई के उपकरण बताकर ईरान को बेच दिया। जेटीई ही नेपाल में भी दूरसंचार उपकरणों का निर्यात करती है।

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प्रधानमंत्री ने श्री एस.पी. बालासुब्रह्मण्यम के निधन पर शोक व्यक्त किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एस.पी. बालासुब्रह्मण्यम के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने कहा “श्री एस.पी. बालासुब्रह्मण्यम के असामयिक और दुर्भाग्यपूर्ण निधन से हमारे कला संसार को अपूरणीय क्षति हुई है। यह एक ऐसा नाम था जो भारत के हर घर में लोकप्रिय था, जिसके मीठे स्वर के गीतों ने दशकों तक संगीत प्रेमियों को आनंद विभोर किया। दुःख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और उनके प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति.”    

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भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेन का पहला लुक जारी

आवास एवं शहरी मामलों (एमओएचयूए) के सचिव एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के अध्यक्ष श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री की “आत्मनिर्भर भारत” परिकल्पना के पांच स्तंभों में से एक है -अवसंरचना और यह बहुत गर्व की बात है कि आरआरटीएस के लिए तेज़गति और उच्च आवृत्ति वाली यात्री ट्रेनों का निर्माण पूरी तरह सरकार की “मेक इन इंडिया” नीति के अंतर्गत किया जाएगा। भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेनों का पहला लुक जारी करते हुए एमओएचयूए के सचिव ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल, ऊर्जा सक्षम ट्रेनों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के भीतर और बाहर के इलाकों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। इससे आर्थिक प्रगति की रफ्तार तेज़ होगी, आर्थिक गतिविधियों के अवसर बढ़ेंगे और साथ साथ वायु प्रदूषण, कार्बन फुटप्रिंट, भीड़भाड़ और दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
इस अवसर पर एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह , एनसीआरटीसी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सभी सदस्य और एमओएचयूए, एनसीआरटीसी और बम्बार्डियर इंडिया के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

स्टेट ऑफ दि आर्ट आरआरटीएस ट्रेनें भारत की पहली ऐसी ट्रेनें होंगी जो 180 किलोमीटर प्रति घंटे की डिजाइन गति से चलेंगी। इनकी बाहरी बॉडी चमकदार स्टेनलैस स्टील की होगी ,ये एयरोडायनैमिक आरआरटीएस ट्रेनें वज़न में बहुत हल्की और पूरी तरह वातानुकूलित होंगी । हर डिब्बे में छह ऑटोमैटिक प्लग इन टाइप के चौड़े दरवाज़े होंगे जिनमें से तीन तीन दरवाज़े दोनों तरफ होंगे। (बिजनैस क्लास के डिब्बों में दोनों तरफ दो दो दरवाज़े यानी कुल चार दरवाज़े होंगे) इससे यात्रियों को चढ़ने उतरने में आसानी होगी। इन डिब्बों में आड़ी दो गुना दो सीटें होंगी और पांव फैलाने के लिए भी पर्याप्त जगह होगी, चौड़ा गलियारा होगा और उसमें खड़े होकर यात्रा करने वाले यात्रियों के पकड़ने के लिए हैंडल और खंभे होंगे ताकि वे आराम से अपनी यात्रा कर सकें। इसके अलावा ऊपर की तरफ सामान रखने के लिए रैक होगा, मोबाइल और लैपटाप चार्ज करने के लिए सॉकेट होंगे और अन्य सुविधाओं के साथ साथ वाई फाई की सुविधा भी होगी। नई दिल्ली स्थित लोटस टेंपल धारणीयता का एक अच्छा उदाहरण है जिसके डिज़ाइन के कारण उसमें हवा और रोशनी की प्राकृतिक रूप से आवाजाही बहुत अच्छे से होती है। इसी को आधार बनाकर आरआरटीएस ट्रेनों के डिब्बों में रोशनी और तापमान नियंत्रण प्रणाली लगाई जाएगी ताकि कम ऊर्जा की खपत कर यात्रियों को एक गुणवत्तापूर्ण यात्रा का अनुभव दिलाया जा सके। सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस आरआरटीएस ट्रेनों में नए युग की प्रौद्योगिकी और भारत की समृद्ध धरोहर का कुशल मिश्रण होगा।


इस परियोजना के लाभ बताते हुए एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक श्री विनय कुमार सिंह ने बताया, “भारत की इन पहली आरआरटीएस ट्रेनों का डिज़ाइन नए भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने की परिकल्पना के साथ किया गया है। ये आरआरटीएस ट्रेनें ऊर्जा की बचत करने वाली होंगी और खड़े रहने के समय 30 प्रतिशत ऊर्जा पैदा करेंगी। एनसीआरटीसी ने निर्माता को संपूर्ण दीर्घकालिक व्यापक रखरखाव का जिम्मा दिया है ताकि इसके जीवन काल की पूरी अवधि में इसका लाभ उठाया जा सके। मुझे विश्वास है कि आरआरटीएस एनसीआर के निवासियों के लिए परिवहन अवलंब और परिवहन क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा तथा क्षेत्र के समग्र विकास का पायदान बनेगा।”

इसके प्रोटोटाइप का 2022 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा और व्यापक परीक्षणों से गुज़रने के बाद जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। एनटीआरटीसी छह छह डिब्बों वाली 30 जोड़ी ट्रेनों की खरीद करेगा और उन्हें इस समूचे कॉरिडोर पर चलाया जाएगा तथा 10 जोड़ी ट्रेनें मेरठ के भीतर स्थानीय आवागमन के लिए चलाई जाएंगी। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर आरआरटीएस के लिए डिब्बों का निर्माण बंबार्डियर के गुजरात के सेवली स्थित प्लांट में किया जाएगा ।
 

दिल्ली -गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पहले चरण में बनाए जाने वाले प्राथमिकता वाले तीन आऱआऱटीएस कॉरिडोरों में से एक है। 82 किलोमीटर लंबा यह दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर भारत में बनने वाला पहला आरआरटीएस कॉरिडोर होगा। इस कॉरिडोर के चालू होने से दिल्ली से मेरठ पहुंचने में लगने वाला समय घटकर एक तिहाई रह जाएगा। इससे दिल्ली से मेरठ जाने में मात्र एक घंटे का समय लगेगा जबकि अभी इसमें तीन-चार घंटे का समय लगता है। साहिबाबाद से मेरठ के शताब्दी नगर तक के 50 किलोमीटर लंबे सेक्शन का निर्माण कार्य पूरे ज़ोर शोर से चल रहा है। इसके साथ ही चार स्टेशनों-गाजियाबाद, साहिबाबाद, गुलधर और दुहाई का निर्माण कार्य भी जारी है। इस कॉरिडोर के प्राथमिकता वाले सेक्शन को 2023 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है और समूचा कॉरिडोर 2025 तक चालू हो जाएगा। पहले चरण के अन्य दो आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी और दिल्ली-पानीपत हैं। दिल्ली-गुरूग्राम-एसएनबी कॉरिडोर पर निर्माणपूर्व गतिविधियां पूरे जोर शोर से चल रही हैं और इसकी डीपीआर को मंजूरी देने पर भारत सरकार पूरी सक्रियता से विचार कर रही है। दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर की डीपीआर को मंजूरी देने पर भी संबद्ध राज्य सरकारें पूरी सक्रियता से विचार कर रही हैं ।

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रक्षा उद्योग में वैश्विक पहुँच बनाने के लिए सहयोगपूर्ण साझेदारी हेतु कंबोडिया के साथ वेबिनार और प्रदर्शनी का आज आयोजन हुआ

भारत और कंबोडिया के बीच आज एक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का विषय “सहयोगपूर्ण साझेदारी के लिए भारतीय रक्षा उद्योग की वैश्विक पहुँच: वेबिनार और प्रदर्शनी” था। इसका आयोजन एसडीआईएम के माध्यम से रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा किया गया।

यह वेबिनार उन सभी वेबिनरों की श्रृंखला का भाग है जो आगामी पाँच वर्षों में रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने और 5 बिलियन डॉलर के रक्षा निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मित्र विदेशी राष्ट्रों के साथ आयोजित किए जा रहे हैं।

भारत की ओर से रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और कंबोडिया की तरफ से वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने इस वेबिनार में भागीदारी की और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने पर वार्तालाप किया गया।

वेबिनार के दौरान, अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा एडवांस्ड सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत फोर्ज लिमिटेड, अशोक लीलैंड लिमिटेड और महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी विभिन्न भारतीय कंपनियों ने प्रमुख आर्टिलरी सिस्टम, माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक और दूरसंचार प्रणाली, डीमाइनिंग उपकरण जैसे प्लेटफार्मों/उपकरणों पर अपने उद्योग और उत्पाद संबंधित प्रस्तुतियाँ दीं।

वेबिनार में 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और इस प्रदर्शनी में 100 वर्चुअल प्रदर्शनी स्टाल लगाए गए।

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प्रधानमंत्री ने बिहार के सभी 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवा से जोड़ने के लिए परियोजना का शुभारम्भ किया

हाल में 15 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के साथ 1,000 दिन के भीतर सभी 6 लाख (वर्तमान जीपी स्तर से) से ज्यादा गांवों तक कनेक्टिविटी पहुंचाई जानी है। इस लक्ष्य की दिशा में पहले कदम के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तेज गति वाली इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बिहार के सभी 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने को 21.09.2020 को “हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर द्वारा इंटरनेट सुविधा” योजना का शुभारम्भ किया है। इससे राज्य के दूरदराज के कोनों तक डिजिटल क्रांति सक्षम हो जाएगी।

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प्रधानमंत्री ने इस दिन को न सिर्फ बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक बताया, क्योंकि सरकार अपने गांवों को आत्मनिर्भर भारत का मुख्य आधार बनाने की दिशा में प्रमुख कदम उठा रही है और इसकी शुरुआत आज बिहार से हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल लेनदेन के मामले में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। केवल अगस्त 2020 में यूपीआई के माध्यम से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया है। इंटरनेट की उपयोगिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ अब यह भी आवश्यक हो गया है कि देश के गांवों में अच्छी गुणवत्ता वाली और हाई स्पीड वाली इंटरनेट सुविधाएं उपलब्ध हो।

प्रधानमंत्री ने तीव्र कनेक्टिविटी के माध्यम से प्राप्त होने वाले लाभों के संदर्भ में बात करते हुए कहा कि यह छात्रों को सर्वोत्तम पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के साथ-साथ टेली-मेडिसिन तक पहुंच और बीजों के बारे में जानकारी प्रदान करने के अलावा किसानों को मौसम की स्थिति से संबंधित वास्तविक समय का आंकड़ा प्रदान करने के अलावा नई तकनीक से युक्त राष्ट्रव्यापी बाजारों को भी उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि किसान आसानी से अपने उत्पादों को पूरे देश और दुनिया में परिवहन कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं उपलब्ध करना है।

इस परियोजना को सीएससी एसपीवी के माध्यम से 180 दिनों की अल्प अवधि में 1,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से लागू किया जाएगा और 31.03.2021 तक पूरा कर लिया जाएगा, जिसमें चिन्हित किए गए सरकारी संस्थानों को एक वर्ष के लिए 1 वाई-फाई और 5 एफटीटीएच कनेक्शन मुफ्त प्रदान किए जाएंगे। बिहार के प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, आशा कार्यकर्ता और जीविका दीदी आदि और प्रत्येक गांव के सार्वजनिक स्थल पर एक वाई-फाई प्रदान किए जाएंगे। इसके 640 करोड़ रुपये की पूंजीगत खर्च का वहन भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा किया जाएगा।

केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री को बिहार के कई क्षेत्रों में विकास की विभिन्‍न योजनाएं समर्पित करने के लिए धन्यवाद दिया, जो राज्य के लिए अभूतपूर्व है। श्री प्रसाद ने इस बात पर भी जोर दिया कि सीएससी विशेष रूप से बिहार में डिजिटल सुविधाएं पहुंचाने की भूमिका निभा रहा है।

केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह मेरे लिए बेहद गर्व का विषय है कि बिहार भारत का पहला राज्य होगा जो सभी गांवों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क इंटरनेट से जोड़ेगा।

इस परियोजना को दूरसंचार विभाग के संयुक्त प्रयासों से निष्पादित किया जाएगा, जो पहले हीइलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सार्वजनिक सेवा केन्‍द्रों के साथ पूरे भारत में 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवा से जोड़ चुका है।

सीएससी के पूरे बिहार राज्य में 34,821 केन्‍द्र हैं। वे श्रमिकों की संख्‍या को न केवल इस परियोजना को लागू करने के लिए उपयोग करेंगे, बल्कि बिहार के हर गांव में साधारण  नागरिकों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए इसे व्‍यावसायिक तरीके से चलाएंगे।

बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तथा अन्य केन्द्रीय मंत्रियों के साथ-साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेंगे।

प्रधानमंत्री द्वारा घोषित डिजिटल ग्राम के सपनों को प्राप्त करने के लिए ऑप्टिकल फाइबर विलेज कनेक्टिविटी परियोजना दूरसंचार विभाग ने शुरू की है। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक विशेष कार्यक्रम, सामान्य सेवा केंद्र ई-गवर्नेंस सर्विसेज लिमिटेड द्वारा लागू किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य बिहार के प्रत्येक गाँव में एरियल ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इसके ज़रिये बिहार के प्रत्येक गाँव में कम से कम 5 फाइबर टू द होम (एफटीटीएच) कनेक्शन और 1 सार्वजनिक वाई-फाई केंद्र स्थापित किया जाएगा। इन कनेक्शनों को एक साल के लिए मुफ्त बैंडविड्थ भी दिया जाएगा।

ऑप्टिकल फाइबर विलेज कनेक्टिविटी परियोजना का उद्देश्य सभी गांवों को डिजिटल गांवों में बदलना, डिजिटल सशक्तीकरण, डिजिटल जागरूकता को बढ़ाना, डिजिटल खाई को पाटना और प्रत्येक ग्रामवासी के द्वार पर सभी डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध करना है। यह ग्रामीण जनता के लिए समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा भी देगा।

इस परियोजना की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:

रवैया: सेवा स्तर समझौते (एसएलए) की प्रतिबद्धता के साथ भारत नेट के उपयोग पर विशेष ध्यान देने के आधार पर परिणाम।

वित्तीय प्रभाव: भारत सरकार 640 करोड़ रुपये की वीजीएफ मदद को वित्त पोषित करेगी।

सामाजिक-आर्थिक प्रभाव आकलन: इस पायलट परियोजना के लाभों और सफलता को समझने के लिए राष्ट्रीय प्रमुख संस्थानों द्वारा एक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव मूल्यांकन किया जाएगा।

परियोजना की निगरानी: बिहार राज्य / डीओटी द्वारा

उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र: उपभोक्ता शिकायतों के निवारण के लिए सीएससी-एसपीवी द्वारा एक पूर्ण ग्राहक सेवा स्थापित की जाएगी।

यह परियोजना ई-एजुकेशन, ई-कृषि, टेली-मेडिसिन, टेली-लॉ और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसी डिजिटल सेवाओं का नेतृत्व करेगी, जो बटन के सिर्फ एक क्लिक से बिहार के सभी नागरिकों के लिए आसानी से उपलब्ध होंगी।

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भारत सरकार ने उड़ान के तहत छत्तीसगढ़ के 3 हवाई अड्डों के उन्नयन के लिए 108 करोड़ रूपए आवंटित किये: हरदीप सिंह पुरी

नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत सरकार ने उड़ान योजना के तहत छत्तीसगढ़ के 3 हवाई अड्डों के उन्नयन एवं विकास के उद्देश्य से जगदलपुर के लिए 48 करोड़ रूपए (व्यय 45 करोड़ रुपए), अंबिकापुर के लिए 27 करोड़ रूपए (व्यय 27 करोड़ रुपए) और बिलासपुर के लिए 33 करोड़ रूपए (व्यय 20 करोड़ रूपए) आवंटित किये हैं। उड़ान योजना के तहत आज एलायंस एयर द्वारा जगदलपुर से रायपुर एवं हैदराबाद के लिए उड़ान सेवा के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, श्री पुरी ने कहा कि यह हवाई संपर्क इस क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा। इस आभासी कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री श्री प्रेम साई सिंह, छत्तीसगढ़ के ग्रामीण विकास एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंह देव, बस्तर के सांसद श्री दीपक बैज तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। इन गणमान्य नागरिकों ने पहली बार यात्रा कर रहे यात्रियों,जो उड़ान योजना के तहत नए हवाई मार्ग के उद्घाटन से बहुत खुश लग रहे थे, के साथ बातचीत भी की।

श्री पुरी ने आगे बताया कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने रायपुर हवाई अड्डे के विकास एवं विस्तार, जिसमें टर्मिनल भवन का विस्तार भी शामिल है, के लिए लगभग 900 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है। हाल ही में, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उड़ान-4.0 के तहत बिलासपुर से भोपाल तक आरसीएस फ्लाइट के संचालन, जिसके जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है, के लिए एलायंस एयर की बोली को मंजूरी दी थी।

एयर इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एलायंस एयर को उड़ान-3 बोली प्रक्रिया के तहत इस मार्ग पर परिचालन की अनुमति दी गयी थी। यह एयरलाइन दैनिक उड़ानों का संचालन करेगी और इस मार्ग पर 72 सीटों वाले लक्जरी एटीआर 70 विमानों को तैनात करेगी। जगदलपुर-रायपुर-हैदराबाद मार्ग की शुरूआत होने के साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आरसीएस–उड़ान के तहत कुल 285 मार्गों पर परिचालन शुरू किया है।

जगदलपुर हवाई अड्डा, बस्तर में स्थित है, जो अपनी अनूठी आदिवासी संस्कृति एवं विरासत के कारण पर्यटन की अपार संभावना वाला एक जनजातीय जिला है। इसके अलावा,  इस क्षेत्र में कई फर्नीचर कारखानों एवं चावल मिलों के मौजूद होने के कारण जगदलपुर एक व्यावसायिक केंद्र भी है। नतीजतन, कई लोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए जगदलपुर और निकटतम महानगर हैदराबाद के बीच अक्सर यात्रा करते हैं। इन दोनों शहरों के बीच उड़ान शुरू होने से सड़क एवं ट्रेन यात्राओं में वर्तमान में लगने वाला 12 घंटे का समय घटकर 75 मिनट रह जायेगा। लोग अब जगदलपुर से राजधानी रायपुर सड़क मार्ग से 7 घंटे की यात्रा की तुलना में केवल 45 मिनट में पहुंच सकते हैं।

इन मार्गों पर उड़ानों की शुरुआत न केवल लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगी तथा नए गंतव्यों के बीच यात्रा के समय में भारी कमी लायेगी, बल्कि इस क्षेत्र की पर्यटन क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करेगी। जगदलपुर को स्वर्ग भूमि के रूप में जाना जाता है और इसे पलायनवादियों के सपनों की भूमि का नाम दिया जाता है क्योंकि यह शहर चित्रकोट जलप्रपात के लिए प्रसिद्ध है, जिसे ‘भारत का नियाग्रा जलप्रपात’ भी कहा जाता है। जगदलपुर अपने वन्यजीवों, मंदिरों, गुफाओं, झीलों, संग्रहालयों और ऐतिहासिक स्मारकों के लिए भी जाना जाता है। इस शहर में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एवं इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान जैसे राष्ट्रीय उद्यान स्थित हैं। कुछ समय पहले पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटकों की संख्या एवं भविष्य की पर्यटन क्षमता के आधार पर जगदलपुर-तीरथगढ़-चित्रकूट-बारसूर-दंतेवाड़ा-तीरथगढ़ सर्किट की पहचान भारत के 45 मेगा पर्यटन स्थलों / सर्किटों में से एक के रूप में की थी।

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संसद में कृषि संबंधित विधेयकों के पारित होने पर प्रधानमंत्री ने किसानों को बधाई दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में कृषि संबंधित विधेयकों के पारित होने को भारतीय कृषि के इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण बताते हुए किसानों को बधाई दी है।

इस सबंध में कई ट्वीट करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा, “भारतीय कृषि के इतिहास का यह एक महत्वपूर्ण क्षण है। संसद में कृषि संबंधित विधेयकों के पारित होने पर हमारे मेहनती किसानों को बधाई! इससे न केवल कृषि क्षेत्र का कायाकल्प होगा बल्कि करोड़ों किसानों का सशक्तिकरण भी सुनिश्चित होगा।”

 “दशकों से भारतीय किसान कई तरह की कठिनाइयों का सामना करने के लिए विवश रहे और बिचौलियों के हाथों परेशान होते रहे। संसद द्वारा पारित विधेयक किसानों को ऐसी विपत्तियों से मुक्त कराएंगे। ये विधेयक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों में तेजी लाएंगे और उनके लिए अधिक समृद्धि सुनिश्चित करेंगे।”

“हमारे कृषि क्षेत्र में ऐसे नवीनतम तकनीक की सख्त जरूरत है जो मेहनती किसानों की सहायता कर सके। इन विधेयकों के पारित होने के साथ ही हमारे किसानों के लिए भविष्य की आधुनिक तकनीक तक पहुंच आसान हो जाएगी। इससे उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा जिसके बेहतर परिणाम होंगे। यह एक स्वागत योग्य कदम है।”

“मैं पहले भी कह चुका हूं और आज फिर से कह रहा हूं,“न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था रहेगी। सरकारी खरीद जारी रहेगी। हम यहां अपने किसानों की सेवा के लिए हैं। हम उनकी मदद करने और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। ”

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