उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्देशित “मिशन शक्ति कार्यक्रम” के अंतर्गत आज दिनांक 22 अक्टूबर 2020 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजाजीपुरम लखनऊ में महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अर्चना राजन जी की अध्यक्षता में आयोजित व्याख्यानमाला श्रृंखला में मुख्य अतिथि वक्ता श्री राजेश मैथानी जी ने अपना वक्तव्य शीर्षक “कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से सुरक्षा” विषय पर अपने अमूल्य विचार प्रस्तुत किए।
मैथानी जी आवास विकास अधिकारी लखनऊ पद पर कार्यरत हैं एवं विभिन्न संस्थानों में अपने व्याख्यान प्रस्तुत कर चुके हैं जिनमें से यूपी खादी एवं ग्रामोद्योग, आकाशवाणी लखनऊ, दूरदर्शन लखनऊ आदि विभागों में भी उनके व्याख्यान लोग लाभान्वित हुए हैं। राजेश जी का स्वागत एवं अभिनंदन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अर्चना राजन द्वारा किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर शीलधर दुबे एसोसिएट प्रोफेसर शारीरिक शिक्षा विभाग एवं संचालन डॉ नेहा जैन विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग द्वारा किया गया। श्री राजेश ने अपने वक्तव्य में बताया कि कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न से किस प्रकार से सुरक्षा की जा सकती है, यह लड़ाई कुरीतियों के विरुद्ध है और इसमें महिला एवं पुरुष मिलकर ही विजय प्राप्त कर सकते हैं। इस संबंध में श्री राजेश जी ने विशाखा कमेटी के बारे में बताया परंतु यह कमेटी असंगठित क्षेत्रों के लिए पर्याप्त नियमावली नहीं रखती थी अतः इसके पश्चात महिला उत्पीड़न से संबंधित नियमावली आई जिसमें कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों के साथ यह लक्ष्य रखा गया कि किस प्रकार से महिलाओं को कार्यस्थल पर होने वाले उत्पीड़न से बचाया जा सके। उन्होंने महिला उत्पीड़न के संबंध में बताया कि जब कार्यस्थल पर महिलाओं की इच्छा के विरुद्ध किसी भी प्रकार की लैंगिक टिप्पणी करना, अश्लील या अवांछनीय चित्र दिखाना, शरीर को छूना या छूने का प्रयास करना, द्विअर्थी बातें करना, अपशब्दों का प्रयोग करना आदि स्थितियां उत्पन्न हो तो यह महिला उत्पीड़न के अंतर्गत आएगा। श्री राजेश जी ने बताया कि ऐसी स्थितियों में कार्यस्थल में नियोजक का यह उत्तरदायित्व है कि प्रत्येक कार्य स्थल पर “आंतरिक शिकायत कमेटी” महिलाओं के संरक्षण हेतु स्थापित की जाए तथा इसमें पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति हो जोकि पीड़ित महिला की समस्याओं का निराकरण करने में सक्षम हो। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि जहां “आंतरिक प्रतिवाद समिति”गठित नहीं की जा सकती वहां”स्थानीय प्रतिवाद समिति”का गठन किया जाता है जोकि गैर सरकारी क्षेत्र असंगठित क्षेत्र एवं घरेलू क्षेत्रों में कार्य करने वाली महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों पर ध्यान देकर उसके निवारण के लिए प्रयास करती हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया किजब महिला का उत्पीड़न करने वाला उसके कार्यालय का ना हो तो महिला अपने उत्पीड़न से संबंधित पुलिस कंप्लेंट भी कर सकती है और इस स्थिति में 1 साल की कैद या जुर्माना या दोनों ही स्थितियां उत्पीड़न करने वाले के खिलाफ हो सकती हैं। राजेश जी ने कहा कि कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण प्रदान करना, उत्पीड़न के स्वास्तिक परिणाम हेतु आईसीसी का गठन करना, नियमित अंतराल पर अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित करना कार्यालय के नियोजनकर्ता के कर्तव्य हैं जिससे कार्यालय में एक स्वस्थ वातावरण बनाया जा सके। श्री राजेश जी ने अपने व्याख्यान को बहुत ही सरल शब्दों में प्रस्तुत किया जिसका लक्ष्य लाभ महाविद्यालय परिवार के समस्त अध्यापकों सहित छात्राओं एवं उनके अभिभावकों ने भी प्राप्त किया। अंत में डॉ नेहा जैन ने राजेश जी को धन्यवाद ज्ञापित किया
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