सीएसआईआर ने 1 अप्रैल 2024 को, 30 जून की सामान्य वित्तीय नियम (जीएफआर) की समय सीमा से काफी पहले, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अपना वार्षिक लेखा-जोखा तैयार कर लिया था। वित्तीय वर्ष 2023-24 का वार्षिक लेखा-जोखा पहले ही सीएजी कार्यालय में दाखिल किया जा चुका है।
इस्तेमाल में आसानी के लिए डिज़ाइन किए गए सहज इंटरफ़ेस के साथ, इस सॉफ़्टवेयर के उपयोगकर्ता बहुत सरलता से वित्तीय डेटा को इनपुट, ट्रैक और नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, यह व्यापक वित्तीय रिपोर्ट, बैलेंस शीट, आय व व्यय के विवरण और अन्य प्रासंगिक विश्लेषण तैयार करता है, जो सीएसआईआर को सुविचारित निर्णय लेने के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि के साथ सशक्त बनाता है। यह सॉफ्टवेयर भूमिका-आधारित पहुंच के जरिए से डेटा सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
इस सीएसआईआर सॉफ्टवेयर की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक इसकी वास्तविक समय की निगरानी क्षमता है, जो उपयोगकर्ताओं को वास्तविक समय में वित्तीय गतिविधियों की निगरानी करने की अनुमति देती है। यह समय पर हस्तक्षेप करने और बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
लेखा-परीक्षण, पर्यावरण एवं वैज्ञानिक विभाग, सी एंड एजी, नई दिल्ली की महानिदेशक सुश्री गुरवीन सिद्धू को बैलेंस शीट की हस्ताक्षरित प्रति प्रदान की
यह सॉफ्टवेयर अद्वितीय दक्षता के साथ सीएसआईआर के भीतर वित्तीय लेनदेन, लेखांकन और रिपोर्टिंग को सुव्यवस्थित और प्रबंधित करने में मदद करता है। यह वित्तीय डेटा के प्रबंधन को बहुत आसान बनाता है और हर प्रक्रिया में पारदर्शिता व सटीकता को सुनिश्चित करता है। वित्तीय कार्यप्रणालियों को मानकीकृत करके, दक्षता में सुधार करके और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में बेहतर वित्तीय नियंत्रण को सक्षम करके, इस सॉफ्टवेयर ने वित्तीय प्रबंधन का एक नया युग प्रारंभ किया है, जो अपने सभी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों, पारिवारिक पेंशनभोगियों और परियोजना कर्मचारियों के एक जटिल नेटवर्क को संभालता है।
एएमएस सॉफ्टवेयर को एक इन-हाउस टीम द्वारा विकसित किया गया था। इस टीम में सीनियर डिप्टी एफए श्री एस.पी. सिंह, एफएओ श्री अरविंद खन्ना और तकनीकी अधिकारी सुश्री आकांक्षा त्रेहन थीं। इसे डॉ. एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर/सचिव, डीएसआईआर के मार्गदर्शन और श्री चेतन प्रकाश जैन, संयुक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार, सीएसआईआर/डीएसआईआर के नेतृत्व में सीएसआईआर मुख्यालय और देश भर में फैली इसकी 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में अमल में लाया गया है।