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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को मंजूरी दे दी है। सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को उचित समय पर अधिसूचित किया जाएगा। सरकार द्वारा 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें स्वीकार किए जाने के क्रम में 1  अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच (5) वर्षों की अवधि के लिए होंगी। संविधान के अनुच्छेद 280(1) में कहा गया है कि संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय के वितरण, अनुदान-सहायता और राज्यों के राजस्व और नियत अवधि के दौरान पंचायतों के संसाधनों की पूरकता के लिए आवश्यक उपाय करने तथा आय से संबंधित हिस्सेदारी को राज्यों के बीच आवंटन पर सिफारिश करने के मद्देनज़र एक वित्त आयोग की स्थापना की जाएगी। पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर, 2017 को किया गया था। इसने अपनी अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से एक अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली छह वर्षों की अवधि से संबंधित सिफारिशें कीं। पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2025-26 तक मान्य हैं।

सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तें:

वित्त आयोग निम्नलिखित मामलों पर सिफारिशें करेगा, अर्थात:

  1. संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण, जो संविधान के अध्याय-I, भाग-XII के तहत उनके बीच विभाजित किया जाना है, या किया जा सकता है और ऐसी आय के संबंधित हिस्सेदारी का राज्यों के बीच आवंटन;
  2. वे सिद्धांत जो संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत भारत की संचित निधि से राज्यों के राजस्व के सहायता अनुदान और उनके राजस्व के सहायता अनुदान के माध्यम से राज्यों को भुगतान की जाने वाली राशि को नियंत्रित करते हैं। उस अनुच्छेद के खंड (1) के प्रावधानों में निर्दिष्ट उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए; और
  3. राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक उपाय के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय।

आयोग आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (2005 का 53) के तहत गठित निधियों के संदर्भ में, आपदा प्रबंधन पहल के वित्त पोषण पर वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है और उस पर उचित सिफारिशें कर सकता है।

आयोग 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर, 2025 तक उपलब्ध कराएगा।

पृष्ठभूमि:

पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27.11.2017 को 2020-21 से 2024-25 की पांच साल की अवधि के लिए सिफारिशें करने के लिए किया गया था। 29.11.2019 को, 15वें वित्त आयोग की संदर्भ-शर्तों में संशोधन किया गया था। इस संबंध में आयोग को दो रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, यानी वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पहली रिपोर्ट और 2021-22 से 2025-26 की विस्तारित अवधि के लिए एक अंतिम रिपोर्ट। परिणाम स्वरूप, 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 से 2025-26 तक छह साल की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें दीं।

वित्त आयोग को अपनी सिफ़ारिशें देने में आम तौर पर लगभग दो साल लगते हैं। संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के अनुसार, वित्त आयोग का गठन हर पांचवें वर्ष या उससे पहले किया जाना है। चूंकि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 31 मार्च 2026 तक छह साल की अवधि के बारे में हैं, इसलिए 16वें वित्त आयोग का गठन अब प्रस्तावित है। इससे वित्त आयोग अपनी सिफारिशों की अवधि से तुरंत पहले की अवधि के लिए संघ और राज्यों के वित्त पर विचार और मूल्यांकन करने में सक्षम हो जाएगा। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि ऐसे उदाहरण हैं जहां ग्यारहवें वित्त आयोग का गठन दसवें वित्त आयोग के छह साल बाद किया गया था। इसी प्रकार, चौदहवें वित्त आयोग का गठन तेरहवें वित्त आयोग के पांच साल दो महीने बाद किया गया था।

16वें वित्त आयोग के एडवांस सेल का गठन 21.11.2022 को वित्त मंत्रालय में किया गया था, ताकि आयोग के औपचारिक गठन तक प्रारंभिक कार्य की निगरानी की जा सके।

इसके बाद, संदर्भ-शर्तों के निर्माण में सहायता करने के लिए वित्त सचिव और सचिव (व्यय) की अध्यक्षता में एक कार्य समूह का गठन किया गया, जिसमें सचिव (आर्थिक मामले), सचिव (राजस्व), सचिव (वित्तीय सेवाएं), मुख्य आर्थिक सलाहकार, नीति आयोग के सलाहकार और अतिरिक्त सचिव (बजट) शामिल थे। परामर्श प्रक्रिया के अंग के रूप में, संदर्भ-शर्तों पर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (विधानमंडल के साथ) से विचार और सुझाव मांगे गए थे, और समूह द्वारा विधिवत विचार-विमर्श किया गया था।

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बचाव अभियान की सफलता हर किसी के लिए भावनात्मक क्षण है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को सलाम किया है। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी स्थित सुरंग में हमारे श्रमिक भाइयों के बचाव अभियान की सफलता हर किसी के लिए भावनात्मक क्षण है। उन्होंने सुरंग में फंसे लोगों के साहस और धैर्य की सराहना करते हुए उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया; उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है।

टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।

यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे। इन सभी के परिजनों ने भी इस चुनौतीपूर्ण समय में जिस  संयम और साहस का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है।

मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को भी सलाम करता हूं। उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है।

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डी जी कॉलेज में लगाया गया मतदाता कार्ड नामांकन कैंप

कानपुर 29 नवम्बर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कालेज कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा स्वीप कार्यक्रम के अंतर्गत महाविद्यालय की एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी तथा मतदाता लिटरेसी क्लब की प्रभारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में एक कैंप का आयोजन मीरा त्रिवेदी, नजर अध्यक्ष भाजपा के सहयोग से किया गया। जिसमे 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाली छात्राओं का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने के लिए फॉर्म भरवाए गए। कुल 135 लोगो का नामांकन इस कैंप में किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मचारियों, NSS स्वयंसेवकों के साथ- साथ भारी संख्या में अन्य छात्राओं ने भी उत्साह के साथ हिस्सा लिया। गेम के आयोजन में महाविद्यालय प्राचार्य प्रो अर्चना वर्मा, सेल्फ फाइनेंस डायरेक्टर प्रो वंदना निगम, ई.एल.सी. क्लब की नोडल प्रभारी डॉ मनीष पांडे तथा डॉ अंजना श्रीवास्तव का विशेष सहयोग रहा।

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दर्शकों को सिनेमा का निरंतर आनंद प्रदान करते रहने के संकल्प के साथ 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का शानदार समापन

अरब सागर में आज हुए सूर्यास्त की स्वर्णिम आभा के साथ गोवा में पणजी के शानदार समुद्र तट पर अपनी सिनेमाई उत्कृष्टता और मनोहारी वातावरण की सुंदर आभा के बीच 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का रंगारंग समापन हो गया। शानदार समापन समारोह के साथ आज अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचे इस महोत्सव में फिल्म और मनोरंजन जगत की जानी-मानी हस्तियों, फिल्म निर्माताओं और दिग्गजों ने भागीदारी की।

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चित्र मेः इफ्फी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का गोल्डन पीकॉक पुरस्कार अर्जित वाली फिल्म एंडलेस बॉर्डस का एक दृश्य

फ़ारसी फ़िल्म एंडलेस बॉर्डर्स ने सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का गोल्डन पीकॉक पुरस्कार हासिल किया

अब्बास अमीनी द्वारा निर्देशित फारसी फिल्म एंडलेस बॉर्डर्स को 54वें आईएफएफआई में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का गोल्डन पीकॉक पुरस्कार मिला। जूरी ने कहा कि यह फिल्म दर्शाती है कि आप अपने आप को जिन भावनात्मक और नैतिक बंधनों में बाध लेते हैं, वे भौतिक सीमाओं से कहीं अधिक जटिल हो सकते हैं।

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चित्र में: स्टीफ़न कोमांडारेव की ओर से ब्लागाज़ लेसन्स की अभिनेत्रियाँ एली स्कोर्चेवा और रोज़ाल्या एबगरियन सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का सिल्वर पीकॉक पुरस्कार प्राप्त करते हुए

बुल्गारिया के निर्देशक स्टीफन कोमांडेरेव को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए सिल्वर पीकॉक का पुरस्कार

बुल्गारिया के निर्देशक स्टीफन कोमांडेरेव को उनकी फिल्म ब्लागाज लेसन्स के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के तौर पर सिल्वर पीकॉक से सम्मानित किया गया। जूरी के वक्तव्य में कहा गया है कि स्टीफन कोमांडेरेव एक महिला के चरित्र के माध्यम से एक सक्षम और हैरान करने वाले सबक के रूप में अपनी कहानी पेश करते हैं, जिसे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का निर्णय लेते समय अपने मूल्यों से समझौता करना होता है। ब्लागाज लेसन्स की अभिनेत्रियों एली स्कोरचेवा और रोजाल्या एबगेरियन ने स्टीफन कोमांडेरेव की ओर से पुरस्कार प्राप्त किया। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, तुर्की निर्देशक नूरी सीलान, ऑस्ट्रेलियाई फिल्म निर्माता हेलेन लीक और फिल्म अभिनेत्री ईशा गुप्ता ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया।

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चित्र में: फिल्म एंडलेस बॉर्डर्स में पौरिया रहीमी सैम का एक दृश्य

पौरिया रहीमी सैम को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष) के लिए सिल्वर पीकॉक पुरस्कार से सम्मानित किया गया

अब्बास अमीनी द्वारा निर्देशित फारसी फिल्म एंडलेस बॉर्डर्स में ईरानी अभिनेता पौरिया रहीमी सैम को उनकी भूमिका के लिए सर्वसम्मति से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया है। जूरी ने अभिनेता का चयन “शूटिंग की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने सहयोगियों, बच्चों और वयस्कों के साथ भावपूर्ण अभिनय और प्रभावशाली संवाद के लिए किया है।”

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चित्र में: इंस्टिट्यूट फ्रैंकैस की जूलियट ग्रैंडमोंट मेलानी थिएरी की ओर से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) के लिए सिल्वर पीकॉक पुरस्कार प्राप्त करते हुए

मेलानी थिएरी ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (महिला) के लिए सिल्वर पीकॉक पुरस्कार जीता

फ्रांसीसी अभिनेत्री मेलानी थिएरी को फिल्म पार्टी ऑफ फूल्स में उनकी शानदार भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) के लिए सिल्वर पीकॉक से सम्मानित किया गया है। जूरी ने कहा कि अभिनेत्री ने अपने पात्र को निभाने में अभिव्यक्त की गई आशा से निराशा तक की सभी भावनाओं को गंभीरता से दर्शकों के सामने प्रदर्शित किया है। इंस्टीट्यूट फ्रेंकैस के जूलियट ग्रैंडमोंट ने मेलानी थिएरी की ओर से गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, फिल्म निर्माता जेरोम पैलार्ड और पार्श्व गायक और फिल्म संगीतकार हरिहरन से पुरस्कार प्राप्त किया।

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चित्र में: कन्नड़ फिल्म निर्माता ऋषभ शेट्टी कांतारा के लिए विशेष जूरी पुरस्कार प्राप्त करते हुए

भारतीय फिल्म निर्माता ऋषभ शेट्टी ने विशेष जूरी पुरस्कार जीता

भारतीय फिल्म निर्माता ऋषभ शेट्टी को उनके समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म कांतारा के लिए स्पेशल जूरी पुरस्कार प्राप्त हुआ है। जूरी ने एक बेहद महत्वपूर्ण कहानी की प्रस्तुति के लिए निर्देशक की क्षमता की प्रशंसा की। जूरी के अनुसार, “वन के देवता की अपनी संस्कृति में निहित यह फिल्म, संस्कृति और सामाजिक स्थिति के बावजूद दर्शकों तक अपनी पहुंच बनाती है।” गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, स्पेनिश सिनेमैटोग्राफर जोस लुइस अल्काइन और फ्रांसीसी फिल्म निर्माता एवं आईएफएफआई जूरी सदस्य कैथरीन डुसार्ट के द्वारा यह पुरस्कार प्रदान किया गया।

निर्देशक रेगर आजाद काया को सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फीचर फिल्म का पुरस्कार

सीरियाई अरब गणराज्य के एक होनहार फिल्म निर्माता रेगर आजाद काया को उनकी फिल्म व्हेन द सीडलिंग्स ग्रो के लिए सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला है। जूरी ने कहा कि फिल्म छोटी-छोटी घटनाओं के माध्यम से हमें एक पिता, बेटी और एक खोए हुए लड़के के जीवन के एक दिन की कहानी सफलतापूर्वक दिखलाती है।

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चित्र मेः ड्रिफ्ट फिल्म का एक दृश्य

एंथनी चेन की ड्रिफ्ट को आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक

एंथनी चेन द्वारा निर्देशित फ्रेंच, ब्रिटिश और ग्रीक सह-निर्माण से बनी फिल्म ड्रिफ्ट को प्रतिष्ठित आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक से नवाजा गया। चयन जूरी के अनुसार यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे जीवन की अनिश्चितताओं से गुजरने के दौरान किसी के साथ अनचाहे बंधन में बंध जाते है और यह आशा और सौम्यता का भाव जगाता है।

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चित्र में: हॉलीवुड अभिनेता और निर्माता माइकल डगलस सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त करते हुए

हॉलीवुड अभिनेता/निर्माता माइकल डगलस को सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

समापन समारोह में प्रसिद्ध हॉलीवुड अभिनेता और निर्माता माइकल डगलस को प्रतिष्ठित सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिला। पुरस्कार प्राप्त करते हुए माइकल डगलस ने कहा “करियर लाइफटाइम अचीवमेंट जैसा पुरस्कार प्राप्त करना एक उत्कृष्ट सम्मान है, जब मैंने पुरस्कार के बारे में सुना तो मैं और मेरा परिवार बहुत प्रसन्न हुए।”

प्रतिष्ठित अभिनेता ने कहा कि सिनेमा में विभिन्न सांस्कृतिक कलात्मक अभिव्यक्तियों के साथ लोगों को एकजुट करने और बदलने की क्षमका है। दो बार के ऑस्कर विजेता अभिनेता ने सिनेमा की वैश्विक भाषा के और अधिक विस्तार पर बात करते हुए कहा कि भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) फिल्म निर्माण अदभुद क्षमता और समय, भाषा और भौगोलिक क्षेत्रों से परे सांस्कृतिक कलात्मक अभिव्यक्तियों का स्मरण कराता है। डगलस ने भारतीय सिनेमा की प्रशंसा करते हुए कहा कि आरआरआर, ओम शांति ओम और लंच बॉक्स उनकी कुछ पसंदीदा भारतीय फिल्में हैं।

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चित्र मेः समापन समारोह में कैथरीन ज़ेटा जोन्स को सम्मानित करते हुए

प्रख्यात अभिनेत्री और माइकल डगलस की पत्नी कैथरीन ज़ेटा जोन्स को भी सम्मानित किया गया। कैथरीन ने कहा कि भारत में उन्हें जो प्रेम और आतिथ्य मिला, उसे देखकर मन प्रसन्न हो गया।

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चित्र में: दीपक कुमार मिश्रानिदेशकपंचायतविजय कोशीसीरिज के निर्माता और द वायरल फीवर टीवीएफ के अध्यक्ष और मनीष मेंघानीनिदेशककंटेंट लाइसेंसिंगप्राइम वीडियो सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज (ओटीटी) पुरस्कार प्राप्त करते हुए

पंचायत सीजन 2′ को सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज (ओटीटी) का पुरस्कार

दीपक कुमार मिश्रा द्वारा निर्देशित पंचायत सीजन 2 ने हाल में शुभारंभ किये गये सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज (ओटीटी) का पुरस्कार प्राप्त किया। यह सीरीज एक इंजीनियरिंग स्नातक के जीवन का वर्णन करती है जो नौकरी के बेहतर विकल्पों की कमी के कारण उत्तर प्रदेश के सुदूर काल्पनिक गांव फुलेरा में पंचायत सचिव के रूप में सेवा में शामिल होता है। अभिषेक त्रिपाठी ने इस सीरिज में मुख्य नायक जितेंद्र कुमार की भूमिका निभाई हैं।

सीरीज़ के निर्देशक दीपक कुमार मिश्रा, सीरीज़ के निर्माता और द वायरल फीवर टीवीएफ के अध्यक्ष विजय कोशी और निर्देशक, कंटेंट लाइसेंसिंग, प्राइम वीडियो मनीष मेंघानी ने गोवा के मुख्यमंत्री से पुरस्कार प्राप्त किया। अभय पन्नू द्वारा निर्देशित रॉकेट बॉयज़ सीज़न 1 को इस श्रेणी में विशेष उल्लेख प्राप्त हुआ।

 

चित्र में: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारणखेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर समापन समारोह में वीडियो संदेश देते हुए

आईएफएफआई में कई बातें पहली बार हुई और यह महोत्सव अभूतपूर्व उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री

केंद्रीय सूचना और प्रसारण, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने समापन समारोह में एक वीडियो संदेश देते हुए कहा कि 54वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव विविधता में एकता का उत्सव है और यह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना का प्रतीक है। यह महोत्सव दुनिया भर से रचनात्मक प्रतिभाओं, फिल्म निर्माताओं, सिनेमा प्रेमियों और सांस्कृतिक रूप से उत्साही लोगों को एक मंच पर ला रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन को अपनाने के आह्वान का आईएफएफआई में भी पालन किया जा रहा है। आईएफएफआई का यह आयोजन वास्तव में असाधारण था, इसमें कई बातें पहली बार हुई और यह अभूतपूर्व उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा जिसने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करते हुए सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्माण की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया।”

आईएफएफआई द्वारा किए गए समावेशिता और पहुंच की दिशा में किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि फिल्मों को विशेष रूप से दिव्यांग फिल्म-प्रेमियों के लिए तैयार किया गया ताकि वे सांकेतिक भाषा विशेषज्ञों के साथ बड़ी स्क्रीन पर सिनेमा की सुंदरता का आनंद ले सकें, जिन्होंने उनके लिए पूरी फिल्म का अनुवाद किया। उन्होंने कहा, “हमने महिलाओं की प्रतिभा का उत्सव मनाते हुए उनके द्वारा निर्देशित 40 से अधिक फिल्में शामिल करना सुनिश्चित किया।

पुरानी क्लासिक फिल्मों को पुनर्स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन के प्रयासों को बधाई देते हुए, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि 4के डिजिटल प्रारूप में कई भाषाओं की 5,000 से अधिक फिल्मों को संगृहीत किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत की भावी पीढ़ियां इन महान कृतियों की सराहना कर सकें, आनंद ले सकें और प्रेरित हो सकें।

श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने पुराने को संरक्षित करने और नए को बढ़ावा देने के दोहरे मिशन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “’75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो’ के तहत ‘फिल्म चैलेंज’ ने युवा प्रतिभाओं को प्रदर्शित किया, जिससे उन्हें मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने का अवसर मिला। विशेष रूप से, 75 क्रिएटिव माइंड्स में से 45 को पहले ही क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के सामने अपने विचार प्रस्तुत करने के अवसर प्रदान किए जा चुके हैं। एनएफडीसी फिल्म बाजार ने अपने दायरे का विस्तार किया, विविध अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों का स्वागत किया और अंतर-सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दिया। ‘वीएफएक्स एंड टेक पवेलियन’ की शुरुआत और एक वृत्तचित्र खंड में नवीनता और गैर-काल्पनिक कहानी का प्रदर्शन किया गया।

केंद्रीय मंत्री श्री ठाकुर ने 2023 के लिए सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करने के लिए श्री माइकल डगलस को बधाई दी और आईएफएफआई में सभी के लिए इस पल को विशेष बनाने के लिए उनके साथ आने के लिए सुश्री कैथरीन जेटा जोन्स को धन्यवाद दिया। उन्होंने गोल्डन पीकॉक अवार्ड्स के विजेताओं और आईएफएफआई में सर्वश्रेष्ठ वेब सीरिज (ओटीटी) के लिए पहले पुरस्कार के विजेताओं को भी बधाई दी।

फिल्म उद्योग के लिए गोवा को स्वर्ग बनाने के लिए प्रतिबद्ध: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत

अतिथियों का स्वागत करते हुए गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत ने कहा कि गोवा में आयोजित 54वां आईएफएफआई कलात्मकता के उत्सव की खोज और कथा वाचन की क्षमता के प्रमाण की यात्रा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का संस्करण समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है जहां विविध विचारों का मिलन होता है और सिनेमाई उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलता है। यह महोत्सव 75 से अधिक देशों की फिल्मों का प्रदर्शन करने वाले सिनेमा की विविधता और जीवंतता का सच्चा प्रतिबिंब रहा है, ”

श्री सावंत ने यह भी कहा कि यह महोत्सव गोवा के लिए विशेष रूप से खास है क्योंकि यह गोवा के फिल्म निर्माताओं को अपनी प्रतिभा और रचनात्मकता दिखाने के लिए एक मंच प्रदान करके राज्य की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के फिल्म महोत्सव में गोवा के फिल्म निर्माताओं की भागीदारी वास्तव में उल्लेखनीय रही है।

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चित्र मेः समापन समारोह में स्वागत संबोधन देते गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत

शूटिंग के लिए आने वाले विदेशी फिल्म निर्माताओं के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरे-भरे जंगलों, नदी, झरनों, गांवों और टेरेस राईस खेतों के साथ, गोवा फिल्म निर्माताओं के लिए स्वर्ग होगा क्योंकि यह पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह की स्थिति का मिश्रण प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि राज्य में फिल्मों की शूटिंग की सुव्यवस्थित प्रणाली विभिन्न स्थलों तक पहुंचने के लिए निर्बाध अनुमति भी प्रदान करती  है। उन्होंने कहा कि वह गोवा क्षेत्र को फिल्म उद्योग का स्वर्ग बनाने के लिए प्रतिबद्ध हूं। श्री प्रमोद सांवत ने जानकारी देते हुए बताया कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्रदान करने वाले बुनियादी ढांचे को विकसित करने और अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहित करने की योजना पर कार्य जारी है।

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चित्र में: आईएफएफआई के अंतर्राष्ट्रीय जूरी के अध्यक्ष शेखर कपूर समापन समारोह में दर्शकों को संबोधित करते हुए

आईएफएफआई के अंतर्राष्ट्रीय जूरी के अध्यक्ष शेखर कपूर ने कहा कि फिल्म महोत्सव इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि संघर्ष और युद्ध के बीच दुनिया भर में क्या हो रहा है, इसके संदर्भ में हमारी कहानियों को बताना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारी कहानियाँ वही हैं जो हम हैं। कहानियाँ मूलतः मानव होने की ही गाथा हैं। मानव होना हमारा मूलभूत पहलू है। अगर हम अपनी कहानियाँ एक-दूसरे को बताते हैं, तो लोग सीमाओं के पार भी इन्हें सुनेंगे और एक-दूसरे को समझेंगे।

एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक पृथुल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। समापन समारोह में एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ मिस गोवा की उपाध्यक्ष दलीला लोबो, गोवा के मुख्य सचिव डॉ. पुनीत कुमार गोयल, एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा की सीईओ सुश्री अंकिता मिश्रा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया। मंदिरा बेदी ने इस समारोह की मेजबानी की और उनके साथ अमित त्रिवेदी और आयुष्मान खुराना जैसे स्टार अभिनेताओं की शानदार प्रस्तुतियां भी इस महोत्सव का हिस्सा बनीं।

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राष्ट्रीय सेवा योजना, कानपुर के स्वयंसेवक ले रहे हैं पुलिसिंग का प्रशिक्षण

कानपुर 29 नवंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता,नगर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविधालय, कानपुर एवं अर्मापुर पीजी कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजन के स्वयंसेवकों के दल ने छात्र पुलिस अनुभवात्मक अधिगम कार्यक्रम के अंतर्गत कल्याणपुर थाने में थाना प्रभारी धनंजय कुमार पांडे जी की अध्यक्षता में तथा पीएन कॉलेज के स्वयंसेवकों ने रेल बाजार थाने में आगंतुक पटल एवं महिला पटल विषय से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त किया।
आगंतुक पटल (Visiter Counter) जहां पर शिकायतकर्ता अपनी व्यक्तिगत जानकारी एवं समस्या रजिस्टर पर लिखता है। सब इंस्पेक्टर  किरण ने महिला पटल के बारे में एवं हेड कांस्टेबल  विजयलक्ष्मी चौहान ने मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, निराश्रित महिला पेंशन योजना उत्तर प्रदेश, ग्रामीण आजीविका मिशन, बैंकिंग कॉरस्पॉडिंग सखी, मुख्यमंत्री सामुहिक विवाह योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, राष्ट्रीय पोषण, मिशन शक्ति, महिला हेल्प डेस्क,महिला साइबर सेल, महिला पुलिस व महिला बीट मिशन शक्ति कक्ष के बारे में बताया। इसके पश्चात सभी स्वयंसेवक के द्वारा पूछे गए प्रश्न जैसे घरेलू हिंसा केस, भीड़ प्रबंधन, सेल्फ डिफेंस आदि के जवाब प्रभारी धनंजय कुमार पांडे जी ने बड़ी विनम्रता दिये। उन्होंने स्वयंसेवकों को जीवन व्यापन, आत्मरक्षा, मौलिक अधिकार, शिक्षा का अधिकार आदि विषयों पर भी विस्तार पूर्वक जानकारियां प्रदान की। समस्त थाना स्टाफ का सहयोग सराहनीय रहा। इस अवसर पर स्वयंसेवक रवि शंकर शर्मा, आदित्य कुमार श्रीवास्तव, रिया शर्मा, शौर्य मिश्रा,सृष्टि अग्रहरि, कनिष्क तिवारी, तान्या, रिचा, मानस शुक्ला, सुष्मिता भारती, प्रिया गौतम, स्नेहा शुक्ला, अपूर्वा यादव आदि उपस्थित रहे l

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खूब फलफूल रहा है कनाडा वीज़ा और वर्क परमिट घोटाला !

एक राज्य से दूसरे राज्य, एक देश से दूसरे देश में लोगों का प्रवास कोई नई बात नहीं है। यह बहुत पुरानी घटना है. इसके दो मुख्य कारण कारण हैं – पहला आर्थिक और दूसरा बेहतर जीवन के लिए। पहले को 80 प्रतिशत और बाकी 20 प्रतिशत ने दूसरे कारण से अपनाया। अब पिछले कुछ दशकों से शिक्षा युवा पीढ़ी के लिए उच्च शिक्षा के लिए दूसरे देशों की ओर पलायन का पहला कारण बन गई है क्योंकि स्वतंत्रता के बाद से हमारी सरकारों द्वारा शिक्षा क्षेत्र की उपेक्षा की गई है। हमारे देश से सभी राज्यों से छात्र शिक्षा के लिए पलायन करते हैं। लेकिन नौकरी और बेहतर जीवन शैली के लिए पंजाब, गुजरात, केरल, आंध्र प्रदेश से अधिक लोग पलायन करते हैं।
बेहतर नौकरी के लिए सबसे पसंदीदा देशों में कनाडा शीर्ष पर है। पंजाब और अन्य राज्यों से लोग कनाडा प्रवास में काफी रुचि ले रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए कुछ अवांछित और धोखेबाज लोग भोले-भाले व्यक्तियों को नकद में अधिक राशि के बदले वीज़ा और वर्क परमिट प्रदान करने के व्यापार में शामिल हैं और कनाडा में व्यवसाय करने वाले और वर्क परमिट जारी करने का अधिकार रखने वाली कंपनियों के मालिक कुछ लोग इस अवैध तरीके से भारी पैसा कमाने का लाभ उठा रहे हैं। व्यापार और इन भोले-भाले लोगों को कनाडा के अधिकारियों को वर्क परमिट जारी करने की सिफारिश करता है और इन व्यक्तियों से भारी रकम लेने के लिए मजबूर करता है। एक बार जब कोई व्यक्ति इनकी पकड़ में आ जाता है तो ये धोखेबाज उनसे मोटी रकम वसूलने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं। चूंकि यहां कोई अधिनियम या किसी भी प्रकार का कानून नहीं है और सभी लेनदेन नकद में हैं, इसलिए पीड़ित की कोई मदद नहीं कर सकता। ये धोखेबाज़ उन महिलाओं को भी नहीं बख्शते जिनके माता-पिता/शुभचिंतक बड़ी रकम नकद में देते हैं।
कुछ लोग लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, चंडीगढ़, जालंधर, हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद आदि से काम करते हैं। कुछ एनआरआई भी इस व्यापार में शामिल हैं। कुछ बहुत प्रभावशाली व्यक्ति भी शामिल हैं और वे पीड़ितों को धमकी भी देते हैं कि वे अधिकारियों को रिपोर्ट न करें अन्यथा उनके परिवारों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
भारत सरकार, उसके अधिकारियों और सत्तारूढ़ राजनेताओं को इस मामले को एक महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में लेना चाहिए और इन दोषियों को सजा देनी चाहिए। चूँकि इस प्रकार के अपराधों से निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून और अधिनियम नहीं है, लेकिन मानव तस्करी से निपटने के लिए बहुत सारे अधिनियम और नियम हैं और यह अधिनियम इस प्रकार के अपराधों के अंतर्गत आता है। जो व्यक्ति ये वीज़ा खरीदते हैं वे अपराधी हैं और ऐसे व्यक्ति हैं जो इस कारण से देश छोड़ना चाहते हैं कि या तो वे अपराधों में शामिल हैं या कुछ प्रतिबंधित संगठनों के सदस्य हैं जो विदेशी धरती से देश के खिलाफ अपराध रचते हैं और कनाडा इन अपराधों के लिए एक सुरक्षित देश है।
ऐसे वर्क परमिट की व्यवस्था करने वाले ये अपराधी देश की आंतरिक कानून व्यवस्था, सामाजिक शांति और सामाजिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं क्योंकि आपराधिक किस्म के लोग अपराध करने के बाद देश छोड़ने में इन लोगों की मदद लेते हैं। ये गतिविधियाँ सीधे तौर पर आंतरिक सामाजिक सुरक्षा में बाधा डालती हैं।
इस रैकेट में कुछ एनआरआई व्यवसायी शामिल हैं जो अन्य आर्थिक अपराधों जैसे लिमिटेड कंपनियों में बेनामी शेयरों के निवेश और प्रचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में भी शामिल हैं। गहन जांच से इन अपराधियों और राष्ट्र विरोधियों को सामने लाया जाएगा। यदि भारत सरकार कोई कानून लाती है तो इस प्रकार के मामलों में शामिल कई लोग सामने आ जायेंगे और भारी मात्रा में काला धन सामने आ जायेगा। यह बिना किसी संदेह के साबित हो जाएगा कि हाल ही में कनाडा की धरती से हमारे देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के दोषी पाए गए लोग इस प्रकार के वर्क परमिट विक्रेताओं द्वारा वहां भेजे गए व्यक्ति हैं। सरकार इस प्रकार की अवैध गतिविधियों की कमाई से बनाई गई भारी काली कमाई और संपत्तियों का पता लगाएगी।
हमारी केंद्र सरकार को इस प्रकार के अपराधियों को पकड़ने के लिए तत्काल कुछ कदम उठाने चाहिए और उन्हें सजा के दायरे में लाना चाहिए। यदि इसमें देरी हुई तो आपराधिक मानसिकता वाले एनआरआई व्यवसायी वर्क परमिट जारी करने के इस धंधे में सक्रिय हैं और हमारे देश की भोली-भाली जनता को वीजा दिलाने में मदद करते हैं। हमारी सरकार को इन धोखेबाजों की इन गतिविधियों को रोकना चाहिए और समाज के साथ-साथ पूरे देश की सुरक्षा को बचाना चाहिए।
लेखक – सुरेश कुमार गारोदिया, गोहाटी, असम।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रोजेक्ट 15बी स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयड) के तीसरे युद्पोत 12706 (इम्फाल) का अनावरण किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 28 नवंबर, 2023 को नई दिल्ली में मणिपुर के मुख्यमंत्री  एन बीरेन सिंह की उपस्थिति में भारतीय समुद्री सीमा की रक्षा की चार 15 बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक परियोजनाओं में से तीसरे यार्ड 12706 (इम्फाल) का अनावरण किया। इस जहाज को शिखर पर ‘कंगला पैलेस’ और ‘कंगला-सा’ से सुसज्जित किया गया है। यह भारत की स्वाधीनता, संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति मणिपुर वासियों के बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि है।

जहाज के शिखर पर बनाए डिजाइन में बाईं ओर ‘कंगला पैलेस’ और दाईं ओर ‘कांगला-सा’ को दर्शाया गया है। कांगला पैलेस मणिपुर का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है। यह महल प्राचीनकाल में मणिपुर के मेइतेइ राजाओं का निवास हुआ करता था। ड्रैगन के सिर और शेर के शरीर की आकृति के साथ सुसज्जित ‘कंगाला-सा’ मणिपुर के इतिहास का एक पौराणिक प्राणी है, और अपने लोगों के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। ‘कांगला-सा’ मणिपुर का राज्य प्रतीक भी है।

इस युद्धपोत का डिजाइन भारतीय नौसेना युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने किया है और इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई ने किया है। यह जहाज स्वदेशी जहाज निर्माण की पहचान है और दुनिया के सर्वाधिक तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोतों में से एक है। इस जहाज को एमडीएल ने 20 अक्टूबर, 2023 को भारतीय नौसेना को सौंपा था।

इस जहाज का आधार 7,400 टन है और लंबाई 164 मीटर है। यह विध्वंसक जहाज अत्याधुनिक हथियारों और प्रणाली से लैस है, जिसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, एंटी-शिप मिसाइल और टॉरपीडो शामिल हैं। इसकी गति 30 समुद्री मील अर्थात (56 किमी प्रतिघंटा) से अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम है।

निम्नलिखित विशेषताओं से पूर्ण इस जहाज में लगभग 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी साजो-सामान इस्तेमाल किया गया है:

  • मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (बीईएल, बैंगलोर)
  • सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलें (ब्रह्मोस एयरोस्पेस, नई दिल्ली)
  • स्वदेशी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
  • पनडुब्बी-रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
  • 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट (भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड, हरिद्वार)

इंफाल का 19 मई, 2017 को रखी गई थी और जहाज को 20 अप्रैल, 2019 को पानी में उतारा गया। जहाज 28 अप्रैल, 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ था और बंदरगाह और समुद्र में परीक्षणों के एक व्यापक कार्यक्रम से गुजरा है, जिससे छह महीने की रिकॉर्ड समय-सीमा के भीतर 20 अक्टूबर, 2023 को इसे सेना को सौंपा गया।

परीक्षणों के हिस्से के रूप में, जहाज ने हाल ही में एक विस्तारित रेंज ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया। स्वदेशी विध्वंसक इंफाल का निर्माण और परीक्षण बहुत ही कम समय में किया गया है। जहाज की सुपुर्दगी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में प्रोत्साहन को दर्शाती है। यह एक समुद्री परंपरा और एक नौसैना की रीति है जिसके अनुसार कई भारतीय नौसेना जहाजों का नाम प्रमुख शहरों, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, तालाबों और द्वीपों के नाम पर रखा गया है। भारतीय नौसेना को अपने नवीनतम और तकनीकी रूप से सबसे उन्नत युद्धपोत का नाम ऐतिहासिक शहर इम्फाल के नाम पर रखने पर अत्यंत गर्व है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसी शहर के नाम पर रखा जाने वाला पहला युद्धपोत है। इसके लिए राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल, 2019 को स्वीकृति दी थी।

इस अवसर पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और रक्षा मंत्रालय तथा मणिपुर सरकार के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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जलवायु परिवर्तन पर युनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्‍लाइमेट चेंज की बैठक 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 तक दुबई में होगी

जलवायु परिवर्तन पर युनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्‍लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) (सीओपी-28) की बैठक 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 तक दुबई में होगी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बैठक में भारतीय शिष्टमंडल की भागीदारी के लिए चल रही तैयारियों के साथ ही कृषि क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट की क्षमता की समीक्षा की। श्री तोमर ने बताया कि मंत्रालय द्वारा बैठक में अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु अनुकूल श्रीअन्न, प्राकृतिक खेती, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, जलवायु अनुकूल गांवों के वैश्विक महत्व सहित देश की उपलब्धियां साइड इवेंट्स में प्रदर्शित होगी।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा है कि कृषि को जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन किया जाना चाहिए ताकि कृषक समुदाय इससे लाभान्‍वित हो सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत जैसा अत्यधिक आबादी वाला देश शमन व लक्षित मीथेन कटौती की आड़ में खाद्य सुरक्षा पर समझौता नहीं कर सकता है।

समीक्षा बैठक में, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण सचिवमनोज अहूजा ने मंत्री तोमर को सीओपी बैठक के महत्व, जलवायु परिवर्तन व भारतीय कृषि पर लिए गए निर्णयों के प्रभाव के बारे में जानकारी दी।

मंत्रालय के एनआरएम डिवीजन के संयुक्त सचिव श्री फ्रैंकलिन एल. खोबुंग ने खाद्य सुरक्षा पहलुओं तथा भारतीय कृषि की स्थिरता के संबंध में जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर ऐतिहासिक निर्णयों और भारत के रूख पर विवरण प्रस्तुत किया। बैठक में डेयर के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने भी अधिकारियों के साथ भाग लिया।

संयुक्त सचिव (एनआरएम) ने कार्बन क्रेडिट के महत्व को भी प्रस्तुत किया, जो जलवायु अनुकूल टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के माध्यम से कृषि में उत्पन्न किया जा सकता है। राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (एनएमएसए) के अंतर्गत कृषि वानिकी, सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधीकरण, राष्ट्रीय बांस मिशन, प्राकृतिक/जैविक खेती, एकीकृत कृषि प्रणाली आदि जैसे अनेक उपायों का आयोजन किया गया है। मिट्टी में कार्बन को अनुक्रमित करने की क्षमता है जिससे जीएचजी व ग्लोबल वार्मिंग में योगदान कम हो जाता है।

श्री तोमर ने सुझाव दिया कि कार्बन क्रेडिट का लाभ कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय बीज निगम के बीज फार्मों और आईसीएआर संस्थानों में मॉडल फार्मों की स्थापना के माध्यम से किसानों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवीके को कृषक समुदाय के बीच जागरूकता पैदा करने में भी शामिल होना चाहिए, ताकि किसानों की आय बढ़ाई जा सकें। कार्बन क्रेडिट, किसानों को सतत् कृषि का अभ्यास करने में प्रोत्‍साहन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल हो सकती है। श्री तोमर ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए कार्बन क्रेडिट के ज्ञान वाले किसानों को साथ लिया जा सकता है।

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54वें इफ्फी में लता मंगेशकर मेमोरियल टॉक का आरंभ

गोवा में आयोजित 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में एक गहन बोध वाले सत्र में फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने “मानव रचनात्मकता बनाम कृत्रिम आसूचना” विषय पर वार्तालाप में भाग लिया। इस सत्र का संचालन सुधीर मिश्रा ने किया। इस मास्टर क्लास का आयोजन लता मंगेशकर मेमोरियल टॉक सीरिज के अंतर्गत किया गया। इसका आयोजन इफ्फी और सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान ने संयुक्त रूप से किया।

वार्तालाप की शुरुआत करते हुए शेखर कपूर ने मानव बुद्धि के अद्वितीय गुणों पर जोर देते हुए व्यक्तियों से अपने दिल की बुद्धिमत्ता पर गर्व करने का आग्रह किया। उन्होंने मानसिक बुद्धिमत्ता से अधिक भावनात्मक बुद्धिमत्ता के महत्व पर जोर देने के लिए बॉब डायलन को उद्धृत करते हुए कहा, “मेरी सबसे अच्छी पंक्तियां उतनी ही तेजी से लिखी गईं जितनी तेजी से मेरा हाथ लिख सकता था।”

उन्होंने मानव स्वभाव को विशिष्ट बनाने वाले अंतर्ज्ञान, पसंद और सनकीपन जैसे तत्वों को रेखांकित करते हुए एआई के मानव बुद्धि पर हावी होने की धारणा पर सवाल उठाया। यद्यपि एआई संरचनाओं को तोड़ सकती है और तेजी से बदलाव ला सकती है, लेकिन कपूर ने प्राय: रचनात्मकता और परिवर्तन के साथ आने वाले अज्ञात और भय को अंगीकार करने के महत्व पर जोर दिया।

अपनी फिल्म निर्माण की यात्रा पर मंथन करते हुए कपूर ने बताया कि किस तरह अज्ञात का भय और रहस्य का विचार कलात्मक प्रयासों को प्रेरित करता है। उन्होंने कहा, “ एक ही पहाड़ पर दोबारा चढ़ना मुझे भयभीत करता है। यही कारण है कि मेरी सभी फिल्में अलग-अलग शैली की हैं।”

उन्होंने कहा  कि एआई अराजकता पैदा नहीं कर रही है, बल्कि परिवर्तन हैरतंगेज गति से आ रहा है और मनुष्य इसे संभालने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि एआई के प्रभुत्व वाली दुनिया में कलाकारों और दार्शनिकों को नेतृत्व करना चाहिए, क्योंकि वे अराजकता से सहजता से निपटने में सक्षम हैं। उन्होंने अनुचित में कारण तलाशने में कला की भूमिका पर बल देते हुए एक दार्शनिक परिप्रेक्ष्य बल दिया, जिसमें कहा गया है कि “सभी कलाएं स्वयं को तलाशने का रचनात्मक कार्य है।”

एआई को तेजी से अपनाए जाने के संबंध में कपूर ने इसकी अनिवार्यता को स्वीकार किया और समाजों को इसकी संभावनाओं पर विचार करने की आवश्यकता बतायी । उन्होंने एआई की परिवर्तनकारी प्रकृति का स्वागत करते हुए एक ऐसे भविष्य की परिकल्पना की जहां तर्क और विवेक रचनात्मकता को राह देंगे। अस्तित्व के उभरते परिदृश्य में सृजन और विनाश की चक्रीय प्रकृति पर बल देते हुए कपूर ने परिवर्तन की आवश्यकता पर गौर करते हुए अपनी बात समाप्त की।

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व्रत त्यौहार पर अवधारणाएं क्यों~प्रियांका वर्मा महेश्वरी

कुछ व्रत त्यौहार बहुत खास होते हैं और वो अपने शहरों तक ही सीमित रहते हैं लेकिन अब बहुत से व्रत त्यौहार बहुत से राज्यों में मनाये जाने लगे हैं जैसे करवा चौथ पहले कुछ शहरों तक ही सीमित था लेकिन फिल्मों के जरिए धीरे-धीरे इतना ज्यादा प्रचलित हो गया कि जगह जगह यह त्यौहार मनाया जाने लगा। मैं मेरे प्रदेश गुजरात की ही बात करती हूं कि कुछ सालों पहले तक करवा चौथ का व्रत करते कोई नहीं दिखाई देता था। हिंदी भाषी लोग ही यह व्रत करते थे लेकिन अब गुजराती महिलाएं भी यह व्रत करते हुए दिखाई दे रहीं हैं वो भी बहुत धूमधाम से। एक करवा चौथ ही नहीं हरियाली तीज भी बहुत उत्साह से मनाते हुए देखा जा सकता है। ऐसे कई त्यौहार है जो अब जाति या भाषाई महत्व को नकार कर उत्साहपूर्वक अपना रहे हैं।

हमारा आम सामाजिक जीवन इन तीज त्योहारों पर से बहुत जुड़ा हुआ है, खास तौर पर महिलाओं का। घरेलू महिलाओं की दुनिया बहुत छोटी होती है। वो घर, पति और बच्चों तक ही सीमित रहती है। ये छोटे बड़े त्यौहार ही उनके जीवन में खुशियाँ बिखेरते हैं। एक करवा चौथ ही क्यों बल्कि तीज, वटसावित्री, गणेश चतुर्थी (सकट), छठ पूजा और भी अन्य त्यौहार हैं जो बड़े उत्साह से वे मनाती आ रही हैं। पकवान बनाना, तैयार होना और अपनी संगी साथियों के साथ उत्सव मनाना उनका शगल होता है। इसी बहाने परिचितों और रिश्तेदारों के साथ वक्त भी गुजरता है। यह बात घरेलू महिलाओं पर ज्यादा लागू होती है।
बदलते समय के चलते आज महिलाएं घर से बाहर की दुनिया में लगातार कदम बढ़ाते जा रही हैं साथ ही उनके काम और जिम्मेदारी भी बढ़ती जा रही है। ऐसे समय में घर और बाहर की दोहरी भूमिका निभाते हुए इस प्रकार का पूजा पाठ करना उनके लिए संभव नहीं होता। और वो इनसे बचतीं हैं।  हालांकि इसके लिए उन्हें घर बड़े बुजुर्गों की नाराजगी उठानी पड़ती है मगर अनदेखा करने के अलावा कोई पर्याय नहीं रहता है या फिर कलह की वजह बनती हैं यह बातें। यह भी कहते सुना है कि आज मनुष्य चांद पर पहुंच गया है तो फिर इस प्रकार के व्रत के क्या मायने? बहुत सी महिलाएं ऐसे व्रत नहीं रखती हैं तो उन पर दबाव का भी कोई मतलब नहीं रहता क्योंकि मन से की गई हर चीज की खुशी मिलती है ना कि जबरदस्ती से कराये गये काम की। एक तरफ इस प्रकार का सवाल है तो दूसरी ओर पढ़ी – लिखी महिलाएं भी चांद को पूजती है, पति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और इस प्रकार के सभी नियम पालती हैं।
मैंने देखा है कि कुछ महिलाएं अनिच्छा से इस तरह के व्रत उपवास करतीं है। परिवार और समाज के दबाव के चलते मजबूरीवश निभाती हैं इन रीति रिवाजों को।  काफी समय से चली आ रही परंपराओं को बदल पाना और लोगों को समझाना खासकर बुजुर्गों को यह बहुत मुश्किल काम है। अक्सर देखा है कि पति पत्नी के रिश्तों में कड़वाहट है, अपनापन नहीं है, सम्मान नहीं है तो ऐसे में इस प्रकार के पूजा पाठ की क्या अहमियत रह जाती है? वो इन बंधनों में इस तरह जकड़ी हुई हैं कि उन्हें इसमें से बाहर निकल पाना आसान नहीं लगता और कुछ तो खुद ही महिलाओं ने ही अपने आप को जकड़ रखा है इन रूढ़ियों में।
कहीं कहीं सकारात्मक पहलू भी दिख जाता है कि पत्नी के साथ पति भी उपवास रखते हैं। एक रंग के कपड़े पहनना, एकसाथ उपवास खोलना, साथ साथ खाना खाना। यह प्रेम है और एक दूसरे के प्रति देखभाल का नजरिया है। उपहारों का देन लेन भी महज प्रेम प्रदर्शन का जरिया मात्र है। बहुत से लोग उपहार नहीं भी देते हैं तो क्या इससे प्रेम नहीं रहता  है? यह एक मिथ्या बात है।
समाज में इन व्रत उपवासों का दूसरा पहलू भी देखने को मिलता है कि बड़े घर घरानों की महिलाओं ने इस प्रकार के व्रतों को काफी लग्जरियस त्यौहार बना दिया हुआ है। ड्रेस कोड, पूजा थाली डेकोरेशन, प्राइज , गिफ्ट्स वगैरह प्रोग्राम अरेंजमेंट और भी तरह तरह के कार्यक्रमों के जरिये यह त्यौहार मनाया जाता है।
यूं भी त्यौहार उल्लास का पर्व है ना कि बंधन और रूढ़ियों का। पकवान बनाने से लेकर सजने संवरने और हंसी ठिठोलियों के बीच त्यौहार को मनाने का आनंद कुछ और होता है। इसलिए हर त्यौहार मनाए उल्लास और आनंद के साथ। महिलाएं किटी पार्टी या गेट टू गेदर रखतीं हैं तो वो भी आनंद का एक तरीका ही है।
बदलते समय के साथ साथ इसमें भी बदलाव आने चाहिए। यदि कोई गर्भवती महिला कठोर व्रत करे उसका शरीर यह सहन नहीं कर सकेगा, एक दुधमुँहे बच्चे की भूख शांत करने के लिए मां का स्वस्थ होना जरूरी है, एक स्त्री जो दिनभर घर के काम कर रही है उसे भूख प्यास तो लगेगी ही, बाहर काम करने वाली महिलाओं को ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ये व्रत उपवास स्वास्थ्य सही रखने के लिए रखे जाते हैं ना कि स्वास्थ्य खराब करने के लिए। वक्त के साथ साथ इनमें भी बदलाव आना चाहिए और सेहत को ध्यान में रखते हुए ही नियम तय करने चाहिए।
बदलाव होने चाहिए ना कि रुढ़ियों को ढोते रहना।

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