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ऐस ऐन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऐन ऐस ऐस यूनिट द्वारा आयोजित ७ दिवसीय विशेष शिविर के पांचवें दिन महिलाओं के समाज में व्यवहार एवम सशक्त भूमिका के विषय में व्याख्यान आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता 21 मार्च प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता  निमिषा त्रिपाठी, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत – कानपुर प्रांत महिला प्रमुख – सेवाभारती महानगर किशोरी विकास प्रमुख, ने स्वयंसेविकाओं को महिलाओं के समाज में व्यवहार एवम सशक्त भूमिका के विषय में व्याख्यान दिया साथ मुख्य वक्ता ने व्याख्यान का प्रारंभ गयात्रिमंत्र के उच्चारण से किया। प्रोग्राम ऑफिसर प्रो. चित्रा सिंह तोमर ने पुष्पगुच्छ से मुख्य वक्ता का शिविर में स्वागत किया। अपने स्वयंसेविकाओं को किशोरी अवस्था में आने वाली शारीरिक, मानसिक एवम सामाजिक समस्याओं से अवगत कराते हुए उनके व्यवहारिक समाधानों पर प्रकाश डाला। व्याख्यान के अंत में स्वयंसेविकाओं ने कन्या भ्रूण हत्या तथा बेटी बचाओ पर सफल नुक्कड़ नाटक का मंधन किया।
भोजन अवकाश के पश्चात द्वातिये सत्र में वशिष्ठ सहायक उपनियंत्रक नागरिक सुरक्षा विमलेश कुमार यादव के द्वारा आग के बारे में जानकारी प्रदान की गई। आग क्या है, कितने प्रकार की होती है, तथा आग बुझाने के उपाय एवम डेमो के द्वारा आग बुझाने वाले उपकरणों का प्रयोग आदि के विषय में स्वयंसेविकाओं को जानकारी दी गई।
तत्पश्चात छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का अभ्यास किया एवम छटवे दिन की रूपरेखा बनाई। राष्ट्रगान के साथ सत्र का समापन हुआ।

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इण्डियन सांईस काँग्रेस एसोशियेशन, कानपुर चैप्टर और डी०ए०वी कालेज के संयुक्त तत्वाधान मे सतत विकास की चुनौतियों(Challenges for Sustainable Development) पर व्याख्यान माला आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता 21 मार्च इण्डियन सांईस काँग्रेस एसोशियेशन, कानपुर चैप्टर और डी०ए०वी कालेज के संयुक्त तत्वाधान मे सतत विकास की चुनौतियों(Challenges for Sustainable Development) पर 21 मार्च, 2024 को एक व्याख्यान माला डी०ए०वी कालेज, प्रेक्षागार में आयोजित की गयी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डी०ए०वी कालेज की प्रबंध समिति की सचिव श्रीमती कुमकुम स्वरूप ने सतत विकास की चुनौतियों में महिलाओं की भागीदारी का उल्लेख किया। प्रबंध समिति के संयुक्त सचिव ई0 गौरवेन्द्र स्वरूप ने प्राचीन भारत के गौरवशाली वैज्ञानिक योगदान पर चर्चा की। डा0 शक्ति विनय शुक्ला, निदेशक FFDC, कन्नौज ने रसायनिक प्रदूषण के निराकरण पर विचार व्यक्त किया।

डॉ. डी० एस० बाग, संयुक्त निदेशक, DMSRDE कानपुर ने पालीमर उद्योग का पर्यावरण पर प्रभाव पर चर्चा की। डा० सुधीर प्रताप सिंह, वैज्ञानिक-D,DBT-CAIB मोहाली ने जैव प्रौद्योगिकी का विकास में संभवनाओं का उल्लेख किया। प्रारम्भ में स्वागत प्राचार्य प्रो० अरुण दीक्षित द्वारा सम्पन्न हुआ एंव धन्यवाद प्रस्ताव प्रो० सुधीर कुमार श्रीवास्तव, कार्यक्रम के संयोजक द्वारा दिया गया।

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डी जी कॉलेज एनएसएस वॉलिंटियर्स ने लगाई बस्ती में बच्चों की पाठशाला

भारतीय स्वरूप संवाददाता 21 मार्च डी जी कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर के पांचवे दिन प्रथम सत्र में शिविर स्थल की सफाई, योग एवं व्यायाम के पश्चात गणपति वंदना एवं पूजन के साथ एनएसएस गीत गाकर शिविर का आरंभ महाविद्यालय की कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में किया गया। इस सत्र में वॉलिंटियर्स के द्वारा बस्ती के बच्चों की पाठशाला लगाई गई तथा उन्हें पौष्टिक आहार का वितरण भी किया गया। वॉलिंटियर्स ने बस्ती में घर-घर जाकर सर्वेक्षण का कार्य करने के उपरांत मध्याह्न भोजन ग्रहण किया उसके पश्चात सायंकालीन सत्र में डिजिटल इंडिया वर्कशॉप में रवि सी एस सी कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर से पधारे श्री अमर कुमार के द्वारा एनएसएस वॉलिंटियर्स तो ट्रेनिंग दी गई। महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर अर्चना वर्मा ने इस आदिवासी विशेष शिविर में छात्राओं के द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना में जिन मुद्दों पर कार्य किया जाता है वह छात्रों के व्यक्तित्व के विकास की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव, डॉ श्वेता गोंड, डॉ अंजना श्रीवास्तव तथा टीम लीडर्स समेत समस्त वॉलिंटियर्स का सराहनीय योगदान रहा।

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भारतीय नौसेना ने समुद्री डकैती विरोधी अभियान चलाकर एमवी रुएन को समुद्री लुटेरों से बचाया

अरब सागर में गश्त पर तैनात आईएनएस कोलकाता ने 40 घंटे से अधिक समय तक चले तलाशी अभियान के बाद 16 मार्च 24 को सोमालियाई समुद्री डाकुओं से मालवाहक जहाज एमवी रुएन को बचाया। मालवाहक जहाज का पिछले साल दिसंबर में अपहरण कर लिया गया था। अब तक यह सोमालियाई समुद्री डाकुओं के नियंत्रण में था।

समुद्री सुरक्षा अभियानों के तहत भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में व्यापक निगरानी कर रही है, जिसमें यातायात की निगरानी भी शामिल है। निगरानी के दौरान जुटाई गई सूचना के आधार पर भारतीय नौसेना रुएन जहाज की गतिविधि को ट्रैक करने में सक्षम थी। इस आधार पर आईएनएस कोलकाता को सोमालिया से लगभग 260 नॉटिकल माइल (एनएम) पूर्व में जहाज को रोकने का निर्देश दिया गया। आईएनएस कोलकाता ने 15 मार्च 24 की सुबह रुएन को रोका और जहाज से लॉन्च किए गए ड्रोन के माध्यम से सशस्त्र समुद्री डाकुओं की उपस्थिति की पुष्टि की। समुद्री डाकुओं ने भड़काऊ कार्रवाई करते हुए ड्रोन को मार गिराया और भारतीय नौसेना के युद्धपोत पर गोलीबारी शुरू कर दी। अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करते हुए संतुलित प्रतिक्रिया अपनाकर आईएनएस कोलकाता ने रुएन जहाज के स्टीयरिंग सिस्टम और नेविगेशनल सहायता को निष्क्रिय कर दिया। इसके परिणामस्वरूप समुद्री डाकुओं को जहाज रोकना पड़ा।
इस दौरान आईएनएस कोलकाता ने सुनियोजित तरीके से जहाज के करीब निकटता बनाए रखी। इसके अलावा बातचीत की प्रक्रिया भी सक्रिय रूप से जारी रही। इसके परिणामस्वरूप समुद्री लुटेरों ने आत्मसमर्पण कर दिया और समुद्री जहाज एमवी रुएन और जहाज पर मौजूद उसके चालक दल को रिहा कर दिया। भारत की मुख्य भूमि से 1400 नॉटिकल माइल (एनएम)(2600 किमी) दूर चल रहे समुद्री डकैती रोधी अभियान में भारतीय नौसेना के प्रयासों से 16 मार्च 24 की सुबह उस क्षेत्र में गश्ती पोत आईएनएस सुभद्रा की तैनाती की गई। इसके साथ ही उसी दिन दोपहर में सी-17 विमान द्वारा मरीन कमांडो (प्रहार) को एयर-ड्रॉप किया गया। इसके अतिरिक्त हेल आरपीए और पी8आई समुद्री टोही विमान की मदद से जहाज की निगरानी की जा रही थी।

पिछले 40 घंटों में भारतीय नौसेना के निरंतर दबाव और कार्रवाई के कारण सभी 35 सोमाली समुद्री डाकुओं ने 16 मार्च 24 की दोपहर को आत्मसमर्पण कर दिया। एमवी रुएन के सभी 17 चालक दल के सदस्यों को भी बिना किसी चोट सुरक्षित निकाल लिया गया। जहाज को अवैध हथियारों, गोला-बारूद और प्रतिबंधित पदार्थों से भी मुक्त कर दिया गया।
17 मार्च 2024 की सुबह एमवी रुएन की जांच की जाएगी। इस पर लगभग 37800 टन माल लदा हैजिसकी कीमत लगभग एक मिलियन डॉलर है। इस जहाज को सुरक्षित रूप से भारत लाया जाएगा।
दक्षिणी भारतीय महासागर क्षेत्र (आईओआर) में रुएन से जुड़े चल रहे एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन का निष्कर्ष शांति एवं स्थिरता को मजबूत करने और क्षेत्र में समुद्री डकैती के किसी भी प्रयास को विफल करने की दिशा में भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। भारतीय नौसेना भारतीय महासागर क्षेत्र में ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ (‘प्रथम प्रतिक्रिया देने वाले देश’) के रूप में अपनी भूमिका निभाने को लेकर दृढ़ है।

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ग्रिड-इंडिया ने मिनीरत्न कंपनी का दर्जा प्राप्‍त किया

ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड (ग्रिड-इंडिया) ने मिनीरत्न श्रेणी-I केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) का दर्जा प्राप्त करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा प्रदत्‍त यह मान्यता देश के विद्युत परिदृश्य में ग्रिड-इंडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।

2009 में स्थापित, ग्रिड-इंडिया के पास भारतीय विद्युत प्रणाली के त्रुटिहीन और निर्बाध संचालन की देखरेख करने, क्षेत्रों के भीतर और उनके पार विद्युत शक्ति का कुशल हस्तांतरण सुनिश्चित करने, विश्वसनीयता, मितव्ययिता और स्थिरता पर ध्यान देने के साथ ही साथ पारदेशीय विद्युत विनिमय सुगम बनाने का महत्वपूर्ण दायित्व है। यह किफायती और कुशल थोक विद्युत बाजारों को सुगम बनाता है और निपटान प्रणालियों का प्रबंधन करता है।

पांच क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केंद्रों (आरएलडीसी) और राष्‍ट्रीय लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) के समावेशन युक्‍त ग्रिड-इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे जटिल विद्युत प्रणालियों में से एक, ऑल इंडिया सिंक्रोनस ग्रिड के प्रबंधन की बड़ी जिम्मेदारी निभाती है। बीते वर्षों में, ग्रिड-इंडिया ने विद्युत प्रणालियों के सम्मिलन, बढ़ती ऊर्जा मांगों, नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) स्रोतों के प्रसार, आर्थिक विकास एवं तकनीकी प्रगति के साथ-साथ विकसित होते नियमों और बाजार की जरूरतों के अनुरूप तेजी से कार्य किए हैं।

ज्ञान-संचालित संगठन के रूप में ग्रिड-इंडिया विद्युत क्षेत्र की बदलती जरूरतों के अनुरूप भारत सरकार द्वारा सौंपे गए विविध कार्यों को पूरा करने के लिए समर्पित है। इसकी अटूट प्रतिबद्धता क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विद्युत प्रणालियों का एकीकृत संचालन सुनिश्चित करने, अत्यधिक विश्वसनीयता, सुरक्षा और आर्थिक दक्षता के साथ विद्युत ऊर्जा हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करने में निहित है। इतना ही नहीं, ग्रिड-इंडिया सभी सम्मिलित हितधारकों के लिए समान अवसर प्रदान करने को बढ़ावा देते हुए स्वतंत्र प्रणाली के संचालन के सिद्धांतों को कायम रखती है।

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मुख्य युद्धक टैंकों के लिये भारत के पहले स्वदेश निर्मित 1500 हार्सपावर इंजन का पहला परीक्षण बीईएमएल मैसूरू में किया गया

रक्षा सचिव गिरिधर अरमने ने मुख्य युद्धक टैंकों के लिये भारत के पहले स्वदेश- निर्मित 1500 हार्सपावर (एचपी) इंजन की बीईएमएल के मैसुरू परिसर स्थित इंजन विभाग में 20 मार्च 2024 को प्रथम टेस्ट फायरिंग की अध्यक्षता की। यह सफलता देश की रक्षा क्षमताओं में एक नये युग की शुरूआत है जो कि तकनीकी कौशल के साथ ही रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

1500 एचपी का यह इंजन सेना की प्रोपल्शन सिस्टम में एक नये बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें उच्च शक्ति-के समक्ष-भार का अनुपात, उंचाई वाले स्थानों, शून्य से नीचे तापमान और रेगिस्तानों सहित कठिन परिस्थितियों में संचालन क्षमता जैसी कई अत्याधुनिक विशेषतायें शामिल हैं। आधुनिक तकनीक से सुसज्जित यह इंजन पूरी दुनिया में उपलब्ध सबसे आधुनिक इंजनों की बराबरी वाला है।

परीक्षण सेल का उद्घाटन करते हुये रक्षा सचिव ने इस उपलब्धि को एक परिवर्तनकारी क्षण बताया जो कि सशस्त्र सेनाओं की क्षमता को बढ़ायेगा। बीईएमएल के सीएमडी श्री शांतनु राय ने कहा कि यह सफलता देश में रक्षा उत्पादन में एक प्रमुख योगदानकर्ता के तौर पर बीईएमएल की स्थिति को और मजबूत बनाती है और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने की उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

1500 एचपी इंजन का यह पहला परीक्षण प्रौद्योगिकी स्थिरीकरण पर ध्यान केन्द्रित करते हुये पहले उत्पादन के पूरा होने का प्रतीक है। दूसरे चरण के उत्पादन में बीईएमएल डीआरडीओ की प्रयोगशाला युद्धक वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान में विभिन्न परीक्षणों के लिये इंजन का उत्पादन करेगी और फिर उनके उपयोगकर्ता परीक्षण के लिये वास्तविक वाहनों में उन्हें लगायेगी। परियोजना 2025 के मध्य तक पूरी होनी है। अगस्त 2020 में शुरू इस परियोजना को पांच पड़ावों के साथ पूरी सावधानी से तैयार किया गया है जिसमें सभी गुणवत्ता मानकों का पालन करते हुये इसे तय समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया गया है।

रक्षा सचिव ने इस अवसर पर बीईएमएल टीम द्वारा किये गये असाधारण प्रयासों को मान्यता देने के लिये ‘वॉल ऑफ फेम’ का भी उद्घाटन किया। यह देश की रक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण और स्वदेशी प्रौद्योगिकीय नवाचार में नये कीर्तिमान हासिल करने में उनके योगदान का प्रतीक है। कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी, उद्योग जगत के भागीदार और बीईएमएल लिमिटेड के अधिकारी उपस्थित थे।

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प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने मैसर्स पेप्ट्रिस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और फाउंडेशन फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज रिसर्च (एफएनडीआर) को इनोवेटिव एंटीबायोटिक डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए 75 लाख रूपये का अनुदान स्वीकृत किया

स्वास्थ्य देखभाल नवाचार को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक अभिनव पहल में, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड- टीडीबी) नेमेसर्स पेप्ट्रिस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और फाउंडेशन फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज रिसर्च (एफएनडीआर), बेंगलुरु के साथ इसी 18 मार्च को एक समझौता किया है। इस समझौते के अंतर्गत बोर्ड ने “एएनएजीआरएएनआईएनएफ – ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरियल-संक्रमण के लिये एंटीबायोटिक दवाओं की एक नवीन श्रेणी का विकास” परियोजना के लिए 75 लाख रूपये के अनुदान की स्वीकृति दी है, जबकि कुल परियोजना लागत 1.5 करोड़ रूपये है।

 

माना जाता है कि इस सहयोगात्मक प्रयास से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना भारत और स्पेन की कंपनियों के बीच एक संयुक्त प्रयास है, जिसमें एबीएसी थेरेप्यूटिक्स एसएल स्पेनिश प्रोजेक्ट लीड के रूप में कार्यरत है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और प्रौद्योगिकी और नवाचार विकास केंद्र, ई.पी.ई. (सेंटर फॉर द डेवलपमेंट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन – सीडीटीआई) के नेतृत्व में इस द्विपक्षीय कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों देशों के बीच साझेदारी और व्यापार-आधारित सहयोगी परियोजनाओं को बढ़ावा देते हुए बाजार-संचालित अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है, जिससे कि स्वास्थ्य सेवा में नवाचार को आगे बढ़ाया जा सके।

इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य विशेष रूप से एक एंटीबायोटिक युक्त एक नवीन सीसा यौगिक (लैड कंपाउंड) विकसित करना है, जो फैबआई (एफएबीआई)  एंजाइम [एस्चेरिचिया कोली का एनॉयल-[एसिल-वाहक-प्रोटीन] रिडक्टेस (फैबीआई), जो फैटी एसिड जैवसंश्लेषण में एक प्रमुख नियामक कदम को उत्प्रेरित करते हुए  एनएडीएच और एनएडीपीएच को सहकारकों के रूप में स्वीकार करता है और पामिटॉयल-सीओए द्वारा बाधित होता है] को रोकने और महत्वपूर्ण ग्राम-नकारात्मक (नेगेटिव) रोगजनकों (पैथोजेन्स) से निपटने में सक्षम हो। स्वामित्वाधीन (प्रोपेराईटरी) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उपकरणों की क्षमता का उपयोग करते हुए और प्रवेशात्मक (ईएनटीआरआई) नियमों जैसे कड़े दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, परियोजना का लक्ष्य यौगिकों की एक ऐसी श्रृंखला का उत्पादन करना है जो न केवल बढ़ी हुई प्रभावकारिता प्रदर्शित करती है बल्कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) संक्रमण से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित कठोर मानदंडों के अनुरूप भी है।

चयनित कार्यकारी (हिट) अणु एमएमवी 1578564 ने ग्राम-नेगेटिव रोगजनकों के विरुद्ध ऐसी आशाजनक गतिविधि प्रदर्शित की है, जो आगे के अनुसंधान और विकास प्रयासों के लिए एक आधार के रूप में काम कर रही है। इसके अलावा, परियोजना का लक्ष्य एक ऐसे प्रतिस्पर्धी  की पहचान करना है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नवाचार मानदंडों को पूरा करते हुए  एक नई रासायनिक संरचना सुनिश्चित करता है और वर्तमान  वाणिज्यिक वर्गों के साथ किसी भी प्रकार की टकराहट से बचते हुए  एक नए लक्ष्य और कार्रवाई के  एक नए  तंत्र को सुनिश्चित करता है।

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव, श्री राजेश कुमार पाठक ने इस अवसर पर कहा कि  “इस सहयोगात्मक पहल के माध्यम से, टीडीबी रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटी माईक्रोबियल रेजिस्टेंस) जैसी महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से अग्रणी अनुसंधान प्रयासों का समर्थन करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। साथ ही बोर्ड सामाजिक लाभ के लिए नवीन विचारों को मूर्त समाधानों में बदलने की सुविधा प्रदान करने के अपने उद्देश्य  पर दृढ़प्रतिज्ञ है।

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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के दोबारा इस पद पर चुने जाने पर उन्‍हें बधाई दी

प्रधानमंत्री  ने आज रूसी संघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।

प्रधानमंत्री ने उन्हें रूसी संघ के राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुने जाने पर बधाई दी और रूस के मैत्रीपूर्ण लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए शुभकामनाएं दीं।

दोनों नेता आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में ठोस प्रयास करने पर सहमत हुए।

उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न मुद्दों में प्रगति की भी समीक्षा की और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री इसके संभावित समाधान के लिए भारत की बातचीत और कूटनीति की दृढ़ स्थिति को दोहराया।

दोनों नेता लगातार संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए।

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प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में स्टार्ट-अप महाकुंभ का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में स्टार्ट-अप महाकुंभ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने स्टार्ट-अप महाकुंभ के महत्व पर प्रकाश डाला और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लिए देश के रोडमैप पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ दशकों में सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में भारत की छाप छोड़ने का उल्‍लेख किया और नवाचार तथा स्टार्ट-अप संस्कृति के उभरते रुझानों को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्ट-अप जगत के लोगों की उपस्थिति आज के अवसर के महत्व को दर्शाती है। देश में स्टार्ट-अप की सफलता पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने उस मौलिक प्रतिभाशाली तत्व की ओर ध्यान आकर्षित किया जो उन्हें सफल बनाता है। उन्होंने निवेशकों, इनक्यूबेटरों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, उद्योग के अग्रणी सदस्यों और वर्तमान एवं भविष्य के उद्यमियों की उपस्थिति को स्वीकारते हुए कहा कि वास्तव में यह महाकुंभ अभूतपूर्व ऊर्जा और जीवंतता का निर्माण कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वे खेल और प्रदर्शनी स्टॉलों का दौरा कर रहे थे, तो उन्‍हें इसी भावना का अनुभव हुआ। इन स्‍टॉलों पर लोगों ने बड़े गर्व से अपने नवाचारों का प्रदर्शन किया। उन्‍होंने कहा कि स्टार्ट-अप महाकुंभ में आने वाला कोई भी भारतीय भविष्य के यूनिकॉर्न और डेकाकॉर्न का साक्षी बनेगा।

प्रधानमंत्री ने सही नीतियों के कारण देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास पर संतोष व्यक्त किया। समाज में स्टार्टअप की अवधारणा के प्रति शुरुआती अनिच्छा और उदासीनता का स्‍मरण करते हुए उन्होंने कहा कि स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत समय के साथ नवोन्‍मेषी विचारों को मंच मिला। उन्होंने फंडिंग स्रोतों और शैक्षणिक संस्थानों में इनक्यूबेटरों के साथ विचारों को जोड़कर इकोसिस्टम के विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे टियर 2 और टियर 3 शहरों के युवाओं को सुविधाएं प्रदान की हैं। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप एक सामाजिक संस्कृति बन गया है और सामाजिक संस्कृति को कोई नहीं रोक सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्टअप क्रांति का नेतृत्व छोटे शहरों द्वारा किया जा रहा है और यह क्रांति कृषि, वस्त्र, चिकित्सा, परिवहन, अंतरिक्ष, योग और आयुर्वेद सहित कई क्षेत्रों में परिलक्षित हो रही है। अंतरिक्ष स्टार्टअप के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र में 50 से अधिक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिनमें स्पेस शटल का प्रक्षेपण भी शामिल है।

प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप्स के बारे में बदलती सोच पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स ने यह मानसिकता बदल दी है कि व्‍यवसाय शुरू करने के लिए बहुत अधिक धनराशि की आवश्‍यकता होती है। उन्होंने नौकरी मांगने वाले के बजाय नौकरी देने वाला बनने का रास्ता चुनने के लिए देश के युवाओं की सराहना की।

उन्होंने कहा कि भारत में 1.25 लाख स्टार्टअप कार्य कर रहे हैं। यहां तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसमें 12 लाख युवा सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने उद्यमियों से अपने पेटेंट शीघ्रता से दाखिल करने के प्रति सतर्क रहने को कहा। जीईएम पोर्टल ने व्यवसायों और स्टार्टअप्स को 20,000 करोड़ रुपये से भी अधिक प्रदान किए हैं। उन्होंने नए क्षेत्रों में जाने के लिए युवाओं की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि नीतिगत मंचों पर शुरू किए गए स्टार्ट-अप आज नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।

डिजिटल इंडिया द्वारा स्टार्ट-अप को प्रदान किए गए प्रोत्साहन को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बड़ा प्रेरणा स्रोत है। उन्‍होंने सुझाव दिया कि कॉलेज इसे एक अध्‍ययन के रूप देखें। उन्होंने कहा कि यूपीआई फिन-टेक स्टार्ट-अप के लिए समर्थन का एक स्तंभ बन गया है जो देश में डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए नवीन उत्पादों और सेवाओं के विकास का नेतृत्व करता है। उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत मंडपम में स्थापित एक बूथ पर उद्योग और वैश्विक नेताओं की लंबी कतारों को याद किया, जिसमें यूपीआई की कार्यप्रणाली समझाई गई थी और ट्रायल रन की पेशकश की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे वित्तीय समावेशन सुदृढ़ हुआ है और ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर खाई में कमी आई है। प्रौद्योगिकी का विस्‍तार शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में तक हुआ है। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि देश में 45 प्रतिशत से अधिक स्टार्ट-अप महिलाओं के नेतृत्व वाले हैं, चाहे वह शिक्षा, कृषि या स्वास्थ्य हो।

प्रधानमंत्री ने न केवल विकसित भारत के लिए बल्कि मानवता के लिए नवाचार की संस्कृति के महत्व पर बल दिया। उन्होंने स्टार्टअप-20 के अंतर्गत वैश्विक स्टार्टअप के लिए एक मंच प्रदान करने की भारत की पहल का उल्लेख किया जो स्टार्टअप को विकास इंजन के रूप में स्‍वीकार करता है। उन्होंने आर्टिफिशिएल इंटलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में भी भारत का पलड़ा भारी होने की बात कही।

प्रधानमंत्री ने एआई उद्योग के आगमन के साथ युवा अन्वेषकों और वैश्विक निवेशकों दोनों के लिए सृजित हो रहे कई अवसरों को रेखांकित किया और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, भारत एआई मिशन एवं सेमीकंडक्टर मिशन का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले अमेरिकी सीनेट में अपने संबोधन के दौरान एआई पर चर्चा को याद किया और आश्वासन दिया कि भारत इस क्षेत्र में अग्रणी बना रहेगा। उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना ​​है कि वैश्विक अनुप्रयोगों के लिए भारतीय समाधान दुनिया के कई देशों के लिए मददगार बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने हैकथॉन आदि के माध्यम से भारतीय युवाओं से सीखने की वैश्विक इच्छा को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि भारतीय परिस्थितियों में परीक्षण किए गए समाधानों को वैश्विक स्वीकृति मिली है। उन्होंने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन और सनराइज सेक्टर क्षेत्रों में भविष्य की आवश्‍यकताओं के लिए अनुसंधान व योजना के लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड का उल्लेख भी किया।

प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप्स से कहा कि वे लोगों की मदद करें और जो उन्‍होंने समाज से ग्रहण किया है वे उसे सहायता के माध्‍यम से लौटाएं। उन्‍होंने संस्‍थानों से कहा कि वे स्‍टार्टअप्‍स क्षेत्रों में शामिल हों। उन्होंने उनसे इनक्यूबेशन केंद्रों, स्कूलों और कॉलेजों का दौरा करने और छात्रों के साथ अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए कहा। उन्‍होंने हैकथॉन के माध्यम से लिए सरकारी समस्या विवरण के समाधान में युवाओं को शामिल करने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि शासन में कई अच्छे समाधान अपनाए गए और समाधान तलाशने के लिए हैकथॉन संस्कृति सरकार में स्थापित हुई। उन्होंने व्यवसायों और सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम (एमएसएमई) में इसका पालन करने के लिए कहा। उन्होंने महाकुंभ में शामिल लोगों से कहा कि वे कार्रवाई योग्य बिंदुओं को सामने लाए।

प्रधानमंत्री ने भारत को 11वें स्थान से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में युवाओं के योगदान को रेखांकित किया। उन्‍होंने तीसरे कार्यकाल में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की गारंटी को पूरा करने में स्टार्टअप द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका पर भी प्रकाश डाला। संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं के साथ बातचीत करना उन्हें नई ऊर्जा से भर देता है। उन्होंने युवाओं के भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल, केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल और श्री सोम प्रकाश सहित अन्य उपस्थित थे।

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ऐस ऐन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऐन ऐस ऐस यूनिट के ७ दिवसीय शिविर के चतुर्थ चौथे दिन बस्ती वासियों को शिक्षा, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के विषय में जागरूक किया

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 20 मार्च, ऐस ऐन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऐन ऐस ऐस यूनिट द्वारा ७ दिवसीय शिविर के चतुर्थ दिवस का शुभारंभ ईश्वंधना तथा ऐन ऐस ऐस के लक्ष्यागीत के साथ हुआ। सर्वप्रथम स्वयंसेविकाओं ने बस्ती का भ्रमण किया तथा बस्ती वासियों को शिक्षा, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के विषय में जागरूक किया। तत्पश्चात प्राकृतिक चिकित्सा एवम योग पर आधारित व्याख्यान में भाग लिया। नेचुरोपैथी एवम योग ट्रेनर मिस भूमि तिवारी ने स्वयंसेविकाओं को संतुलित आहार की प्राकृतिक चिकित्सा में उपयोगिता के विषय में बताया। साथ ही खान पान के महत्व से स्वयंसेविकाओं को अवगत कराया। योग अभ्यास के अंतर्गत सूर्यनामस्कर, ताड़ासन, वृक्षासन, मकरासन, त्रिकोणासन, प्राणायाम, कपालभाती, भ्रमरी, ॐ शब्द का उच्चारण, मेडिटेशन तथा गायत्री मंत्र, आदि का अभ्यास कराया। इससे पूर्व प्रथम सत्र का प्रारंभ मिस भूमि तिवारी का शिविर में प्रोग्राम ऑफिसर प्रो. चित्रा सिंह तोमर ने अभिनंदन किया। भूमि तिवारी ६ बार की योग की नेशनल प्लेयर, खेलो इंडिया की कांस्य पदक विजेता, एशियन मेडलिस्ट एवम २००३ की ऐन सी सी गणतंत्र दिवस परेड की कैडेट रह चुकी है। इससे पूर्व शिविर में महाविद्यालय की प्राचार्य ने सर्वेक्षण किया तथा छात्राओं को भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए मिष्ठान वितरित किया। भोजनावकाश के पश्चात द्वातिय सत्र में स्वयंसेविकाओं ने नागरिक सुरक्षा से संबंधित विषयों जैसे सी पी आर, घरेलू आग, रोगों से बचाव, आदि पर अभ्यास किया तथा प्रश्नौत्रि में भाग लिया। तत्पश्चात स्वयंसेविकाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का अभ्यास किया जिसमे लोक नृत्य और गायन मुख्य रूप से रहे साथ ही दो टीम बना कर अधिग्रहित बस्ती का सर्वेक्षण किया। पंचम दिवस की रूपरेखा की तयारी तथा राष्ट्रगान के साथ द्वातिए सत्र का समापन हुआ।

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