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भारतीय नौसेना ने वियतनाम पीपुल्स नौसेना के साथ द्विपक्षीय समुद्री सैन्य अभ्यास किया

दक्षिण चीन सागर में भारतीय नौसेना के जहाजों की चल रही तैनाती के क्रम में आईएनएस रणविजय और आईएनएस कोरा ने 18 अगस्त 2021 को वियतनाम पीपुल्स नौसेना (वीपीएन) के वीपीएनएस ली थाई तो (एचक्यू-012) युद्ध-पोत के साथ द्विपक्षीय समुद्री सैन्य अभ्यास किया। द्विपक्षीय अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं द्वारा साझा किए गए मजबूत रिश्ते को दृढ़ता से आगे ले जाना है और यह भारत-वियतनाम रक्षा संबंधों को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारतीय नौसेना के पोत 15 अगस्त 2021 को बंदरगाह चरण वार्ता के लिए वियतनाम के कैम रैन पहुंचे, जिसमें मौजूदा कोविड -19 प्रोटोकॉल को बनाए रखते हुए वियतनाम पीपुल्स नौसेना के साथ पेशेवर बातचीत भी शामिल थी। समुद्री चरण के दौरान सतही युद्ध अभ्यास, हथियारों से गोलीबारी अभ्यास और हेलीकॉप्टर संचालन शामिल थे। वर्षों से दोनों नौसेनाओं के बीच नियमित अभ्यास और बातचीत ने उनकी पारस्परिकता तथा अनुकूलन क्षमता को बढ़ाया है। इस प्रक्रिया ने व्यावसायिक आदान-प्रदान की जटिलता और अनुपात में भारी वृद्धि सुनिश्चित की है। इस यात्रा का विशेष महत्व भी है क्योंकि, भारतीय नौसेना के जहाजों ने वियतनाम में देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है।

दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध प्रगाढ़ रहे हैं। इस साल जून में, दोनों देशों ने रक्षा सुरक्षा वार्ता की और भारतीय नौसेना के पोत अक्सर वियतनामी बंदरगाहों पर आते – जाते रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से दोनों नौसेनाओं के बीच प्रशिक्षण सहयोग भी बढ़ रहा है।

आईएनएस रणविजय एक मार्गदर्शित मिसाइल विध्वंसक और राजपूत श्रेणी का नवीनतम युद्ध-पोत है। इस पोत को 21 दिसंबर 1987 को कमीशन किया गया था और यह हथियारों तथा सेंसर की एक श्रृंखला से लैस है। यह पोत सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, एंटी एयर मिसाइल एवं बंदूकें, भारी वजन वाले टॉरपीडो, एंटी सबमरीन रॉकेट तथा एंटी सबमरीन हेली-कॉप्टर (कामोव 28) ले जाने में सक्षम हैं। आईएनएस रणविजय आईएनएस कोरा के साथ है, जो कोरा श्रेणी के मिसाइल कार्वेट का प्रमुख पोत है। यह पोत सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों तथा एंटी एयर गन से लैस है।

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प्रधानमंत्री 20 अगस्त को सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 20 अगस्त को प्रात: 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाना है उनमें सोमनाथ सैरगाह, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखेंगे।

सोमनाथ सैरगाह को ‘प्रसाद  (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, धरोहर संवर्धन अभियान) योजना’ के तहत 47 करोड़ रुपये से भी अधिक की कुल लागत से विकसित किया गया है। ‘पर्यटक सुविधा केंद्र’ के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र में पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली की मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को दर्शाया जाता है।

पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर को श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा 3.5 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ पूरा किया गया है। इस मंदिर को ‘अहिल्याबाई मंदिर’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई द्वारा तब बनाया गया था, जब उन्होंने पाया कि पुराना मंदिर खंडहर में तब्‍दील हो गया है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए संपूर्ण पुराने मंदिर परिसर का समग्र रूप से पुनर्विकास किया गया है। श्री पार्वती मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर का निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास करना शामिल होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय पर्यटन मंत्री, गुजरात के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

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स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में महिला महाविद्यालय में पौधा रोपण

संवाद सूत्र डा. दिनेश चंद्र शुक्ल। स्वतंत्रता दिवस के 75 वी वर्षगांठ के उपलक्ष्य मे
भारत की आजादी का अमृत महोत्सव
के तत्वावधान महिला महाविद्यालय (पी.जी.)कालेज, किदवई नगर, कानपुर मे
पर्यावरण व हेल्थ- हाइजीन कमेटी
व्दारा वृक्षारोपण कार्यक्रम
स्वस्थ पर्यावरण, स्वस्थ जन
आयोजित किया गया, जिसमे प्राचार्या डाॅ. प्रतिभा श्रीवास्तव, डाॅ मनीषा शुक्ला, डाॅ मीरा त्रिपाठी, डाॅ ममता दीक्षित, डाॅ अनामिका वर्मा के द्वारा वृक्षारोपण किया गया।

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कुछ ख्याल अलग से

कुछ अलग से ख्याल…

कैद किया था आंखों के रास्ते से
मगर मसला रिहाई का था,
रिहा कर दिया आंखों के ही रास्ते से
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बड़े बेमुरव्वत से होते हैं ये दिल के रिश्ते
एहसासों की जमीं पर “नील की खेती” से रिश्ते
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चांद हौले से झांक गया मेरे झरोखे को
मैं मुद्दतों इंतजार करती रही उसकी रौशनी को
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इंतजार अब भी रहता है मेरी शिकायतों का
ये जुदा बात है कि अंदाज-ए-सलीका नहीं आता शिकायतों का

:: प्रियंका वर्मा

 

 

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अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि पर योगी की सर्जिकल स्टाइक

उत्तरप्रदेश मे योगी सरकार द्वारा दो ही बच्चे अच्छे नारे के साथ लाये गए जनसंख्या नियंत्रण कानून ने मानों अराजक तत्वों और धर्म की राजनीति करने वाले सभी आकाओं की नींद उड़ा दी l आये दिन इस कानून को मुस्लिम विरोधी बता कर एक समूह को न सिर्फ विकास से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि उन्हें वास्तविकता से भी दूर रखने का पूरा प्रयास किया जा रहा है l परन्तु वास्तव में ये भारत में रहने वाला प्रत्येक नागरिक जानता है कि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाना कितना जरूरी है
इसी विषय पर उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्री मोहिसन रजा ने कहा कि ‘ जनसंख्या नियत्रंण कानून से समाज कल्याण होगा’। हमें एक देश एक कानून एक बच्चा पर काम करना चाहिए
“हम मुस्लिम समाज को ऊपर बढ़ाना चाहते हैं टोपी से टाई तक ले जाना चाहते है, लेकिन बाकि विरोधी दल ये चाहते हैं कि ये लोग पंक्चर लगाते रह जाए। इनका विकास न हो, जब से हम सरकार में आए है तब से ही शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जा रहा है, अलग-अलग जगह पर स्कूल खोले जा रहे है। शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जनता तक बेहतर सुविधाए पंहुचाने के लिए जनसख्या कानून जरूरी है”
मोहिसन रज़ा द्वारा कही गई ये बात उस वास्तविकता को बताती है जिसे नज़रअंदाज़ ना तो किया जा सकता है और न ही किया जाना चाहिए l लेकिन जब कभी सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून बनाती है तो अक्सर देश में इस मुददे पर प्रारंभ होने वाले वैचारिक विमर्श को कुछ लोगों द्वारा एक हक छीनने जैसी प्रतिक्रिया मिलती है। ऐसा लगता है जैसे उनके निजी जीवन पर हमला किया गया हो। कुछ बुद्धिजीवी वर्ग इसे धार्मिक रंग चढ़ाने से भी पीछे नहीं हटते और जरूरी मुददों के प्रति जागरूकता को लेकर समाज को भटकाने का प्रयास करते है।
जनसंख्या की द्ष्टि से भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है, एवं जनघनत्व के मामले में भी भारत काफी उपर है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि एवं अन्य संसाधनों पर काफी दबाव महसूस किया जाता रहा है। मसलन जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव किस तरह पड़ता है इसे समझना जरुरी है l किसी भी देश की जनसंख्या को घटाने या बढ़ाने में मुख्यतः दो कारक प्रमुख होते है, जब जन्म दर, मुत्यु दर से अधिक हो तो जनसंख्या में वृद्धि आती है। दूसरा यदि दूसरे देशों से आने वालों की संख्या विदेश जाने वाले लोगों की संख्या से अधिक होगी तो जनसंख्या में वृद्धि होगी एवं विपरीत स्थिति में जनसंख्या में कमी आएगी।
संयुक्त राष्ट्र की द वल्र्ड पापुलेशन प्रोस्पोट्स 2019 हाईलाइट्स नामक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2027 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक भारत की कुल आबादी 1.64 बिलियन के आंकड़े को पार कर जाएगी एवं वैश्विक जनसंख्या में 2 बिलियन हो जाएगी। रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि इस अवधि में भारत में युवाओं की बड़ी संख्या मौजूद होगी l लेकिन आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों के अभाव में इतनी बड़ी आबादी की आधारभूत आवश्यकताओं जैसे- भोजन, आश्रय, चिकित्सा और शिक्षा को पूरा करना भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती होगी l बढ़ती आबादी किसी देश के विकास के लिए कितनी घातक होंगी इसका भान शायद गाँधी जी को पहले से ही पता था इसी लिए उन्होंने कहा था कि प्रकृति के पास लोगो की अवश्यक्ताओ को पूरा करने के लिए परिपूर्ण संसाधन है परन्तु बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण संसाधनों की कमी से बचने का एकमात्र तरीका है ताकि भावी पीढ़ी को संसाधनों की कमी ना हो l
किसी भी देश कि स्थिरता उस देश की आर्थिक स्थिति के द्वारा सुनिश्चित होती है, परन्तु एक अन्य वास्तविकता यह भी है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे बेरोजगारी, पर्यावरण का अवनयन, आवासों की कमी, निम्न जीवन स्तर जैसी समस्याए जुड़ी रहती है। इसका उदहारण यह है कि वर्तमान में भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। यह गरीबी और अभाव, अपराध, चोरी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी व तस्करी जैसी समस्याओं को जन्म देती है। पर्यावरण की दृष्टि से भी जनसंख्या वृद्धि हानिकारक है। बढ़ती आवश्यकताओं के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहने किया जा रहा है जिसके परिणाम विनाशकारी सिद्ध हो रहे है। जनसंख्या वृद्धि को जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवं मृदा प्रदूषण के लिये भी दोषी माना जा रहा है l ऐसा इसलिए क्योंकि जनसंख्या वृद्धि का सबसे गंभीर प्रभाव पर्यावरण पर ही देखा गया है l
यूपी की जनसंख्या पर योगी प्लान
विगत कई वर्षो से भारत में जनसंख्या नियंत्रण एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुददा रहा है। देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा है। पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न सगंठनों तथा प्रभुद्ध लोगों ने इससे संबधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वे संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया l
इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है कि वे इससे संबधित अधिनियम पारित करें। जिसक अंतर्गत हालही में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर यूपी की योगी सरकार ने नई जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट पेश किया l इस ड्राफ्ट के अंतर्गत अब यूपी में 2 से ज्यादा बच्चों के होने पर उत्तरप्रदेश के किसी भी निवासी को किसी भी सरकारी योजना का फायदा नहीं मिलेगा l सरकारी नौकरियों में मौका भी नहीं मिलेगा, स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक होंगी और राशन कार्ड में चार से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
यूपी विधि आयोग ने कहा कि पास होने के 1 साल बाद कानून लागू होगा। कानून से प्रोत्साहन ज्यादा और हत्सोत्साहन नहीं होगा। सभी जाति धर्म को देखते हुए मसौदे पर काम किया जाएगा किसी विशेष जाति को टारगेट नहीं किया जाएगा।
बच्चा एक फायदे अनेक
कानून में यह सुनिश्चित किया गया है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को अनेक फायदे मिल पांएगें l 1 बच्चे के बाद नसबंदी कराने पर स्वास्थ्य सुविध होगी. एकल बच्चा लड़का है तो 80 हजार रूपये की मदद मिलेगी और अगर एकल बच्चा लड़की है तो 1 लाख रूपए दिए जाएंगे, साथ ही बच्चे के 20 साल का होने तक बीमा कवरेज होगा और उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले पर बच्चे को फायदा मिलेगा। सरकारी नौकरियों में एकल बच्चे को प्राथमिकता मिलेगी और एक बच्चा लड़की हो तो ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्ष दी जाएगी। सबसे ज्यादा आबादी का राज्य की जनसंख्या 23 करोड़ है l यूपी में जन्म दर राष्ट्रीय औसत से अभी 2.2 प्रशित अधिक है। आखिरी बार जनसंख्या नीति साल 2000 में पारित हुई थी जिसमें जन्म दर 2.7 प्रशित का 2026 तक 2.1 प्रतिशत लाने का लक्ष्य था। 2021-2030 के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी l
विरोधजीवियों के द्वारा इस प्रगतिशील कानून पर हल्ला उठाना वास्तव में उनकी निम्न मानसिकता और त्रुटिपूर्ण राजनीति का उदाहरण है l बाहरहाल हमें यह समझना होगा कि जनसंख्या वृद्धि किसी एक राज्य की समस्या ना होकर संपूर्ण भारत की समस्या है जिसका निवारण भी राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए  – प्रीती राठौर

लेखिका शिवाजी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं

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स्वतंत्रता दिवस, 2021 के अवसर पर 1,380 पुलिस कर्मियों पदक से सम्मानित

स्वतंत्रता दिवस, 2021 के अवसर पर कुल 1,380 पुलिस कर्मियों को पदक से सम्मानित किया गया है। विवरण इस प्रकार है-

वीरता पदक

पदकों का नाम प्रदान किए गए पदकों की संख्या
वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएमजी) 02
वीरता के लिए पुलिस पदक (पीएमजी) 628

 

सेवा पदक

पदकों का नाम प्रदान किए गए पदकों की संख्या
विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक (पीपीएम) 88
सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक (पीएम) 662

 

628 वीरता पुरस्कारों में से अधिकांश में, जम्मू-कश्मीर पुलिस को 01 पीपीएमजी और सीआरपीएफ (मरणोपरांत) को 01 पीपीएमजी से सम्मानित किया जा रहा है, 398 कर्मियों को जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र में उनके वीरतापूर्ण कार्य के लिए सम्मानित किया जा रहा है, 155 जवानों को वामपंथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में उनके वीरतापूर्ण कार्यों के लिए तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में 27 जवानों को उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया जा रहा है। वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाले जवानों में से 256 जम्मू-कश्मीर पुलिस के हैं, 151 सीआरपीएफ से हैं, 23 आईटीबीपी से हैं तथा 67 ओडिशा पुलिस से हैं, 25 महाराष्ट्र से हैं और 20 छत्तीसगढ़ से हैं तथा शेष अन्य राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों तथा सीएपीएफ से हैं।

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राष्ट्रपति ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के भारतीय दल की ‘हाई टी’ पर मेजबानी की

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद नेराष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में आज (14 अगस्त, 2021) टोक्यो ओलंपिक 2020 में भाग लेने वाले भारतीय दल की ‘हाई टी’ कार्यक्रम की मेजबानी की। उप-राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

टोक्यो ओलंपिक, 2020 के भारतीय दल के साथ संवाद करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र को गौरवान्वित करने के लिए पूरे देश को उन पर गर्व है। इस दल ने अभी तक ओलंपिक में हमारी भागीदारी के इतिहास में सबसे ज्यादा पदक हासिल किए हैं। उन्होंने कहा किउनकी उपलब्धियों ने युवाओं को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है, साथ ही माता-पिता के बीच खेलों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी पैदा हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन न सिर्फ उपलब्धियों के मामले में, बल्कि क्षमता के मामले में भी उत्कृष्ट रहा। ज्यादातर खिलाड़ी अपने करियर की शुरुआत में हैं।राष्ट्रपति ने कहा किउन्होंने जिस भावना और कौशल के साथ टोक्यो में प्रदर्शन किया है, भारत आने वाले समय में खेल जगत में प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करेगा।

राष्ट्रपति ने पूरे भारतीय दल को उसके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए बधाई दी। उन्होंने कोच, सहायक स्टाफ, परिवार के सदस्यों और शुभचिंतकों द्वारी निभाई गई भूमिका की भी सराहना की, जिन्होंने उनकी तैयारियों में योगदान किया।

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हमारा मान, हमारा राष्ट्रगान, बना कीर्तिमान

पूरा भारत देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए उत्साह से तैयार हो गया है। सारे देश ने इसका जयघोष एक साथ राष्ट्रगान गाकर कर दिया है । डेढ़ करोड़ देशवासियों द्वारा अपना गाया राष्ट्रगान वेबसाइटपर अपलोड किया जाना एक असाधारण कीर्तिमान बना है। यह भारत की एकता, अखंडता और समरसता का उदघोष है ।

विगत 25 जुलाई को  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में देशवासियों से एक साथ राष्ट्रगान गाने का आह्वान किया था । यह आह्वान किसी मंत्र की तरह समूचे भारत वासियों के मन मे समा गया और देखते ही देखते सबने मिलकर एक अपराजेय कीर्तिमान रच डाला ।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की पहल पर 15 अगस्त तक  राष्ट्रगान गाकर वेबसाइट पर अपलोड करने का कार्यक्रम रचा गया। इसमे देश का सभी हिस्सों से , सभी वर्गों से लोगो ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया । बच्चे, बुजुर्ग,युवा, महिलाएं मानो कोई किसी से पीछे नही रहना चाहता था। नामी गिरामी कलाकार, जाने माने विद्वान, बड़े से बड़े नेता, आला अफसर, जाबांज सिपाही, मशहूर खिलाड़ियों से लेकर किसान, मजदूर, दिव्यांग तक सभी ने बराबरी से इसमे भाग लिया और एक स्वर में राष्ट्रगान गाया।कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और अरुणाचल प्रदेश से लेकर कच्छ तक सभी दिशाओं से जन गण मन के ही  स्वर गूंज रहे हैं। भारत के बाहर रहने वाले देशवासियों ने भी इसमे उत्साह से हिस्सा लिया और दिखा दिया कि तन उनका भले ही दूसरे देश मे हो लेकिन मन तो उनका इसी भारत भूमि में रचा बसा है। हज़ारो मील दूर किसी कोने में बैठे भारत वासी ने जब अकेले में  राष्ट्रगान गाया तो उसका स्वर एक सौ छत्तीस करोड़ देशवासियो एकाकार हो गया।सिर्फ इकीस दिन में डेढ़ करोड़ की संख्या पार हो जाना प्रतीक है इस बात का कि अगर भारत वासीठानलें तो कोई लक्ष्य कठिन नही हैं। यह इस बात का भी प्रतीक है कि डिजिटल इंडिया का भी स्वप्न साकार होने वाला है क्योंकि हर भारत वासी ने डिजिटल तकनीक का उपयोग करके अपना गान अपलोड किया है।

राष्ट्रगान हमारी आन बान शान का प्रतीक है।राष्ट्रगान गाने के इस कार्यक्रम से सभी मे उत्साह और उमंग का तो संचार हुआ ही है साथ पूरे विश्व को भी भारत की मजबूत एकता का संदेश मिल गया है।

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सरकार ने रक्षा बलों में ऑनरेरी कमीशन की रिक्तियों में वृद्धि को अनुमति प्रदान की

सशस्त्र बलों में सेवारत जूनियर कमीशंड अधिकारियों को उनकी अनुकरणीय सेवा और योगदान के सम्मान स्वरूप सेवा के अंतिम वर्ष में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ऑनरेरी कमीशन प्रदान किया जाता है। ऑनरेरी लेफ्टिनेंट के लिए दिए जाने वाले ऑनरेरी कमीशन का अनुपात 1984 से 12:1000 और कैप्टन के लिए भी इसी अनुपात में रिक्तियां रहा है। जूनियर कमीशंड अधिकारियों के योगदान को देखते हुए ऑनरेरी लेफ्टिनेंट के लिए अनुपात अब 15:1000 कर दिया गया है।  यह जूनियर कमीशंड अधिकारियों को उनकी सेवानिवृत्ति से पहले ऑनरेरी कमीशन प्राप्त अधिकारी बनने के लिए बेहतर अवसर प्रदान करेगा।

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केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने के फ़ैसले का अभिनंदन किया

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने के फ़ैसले का अभिनंदन किया है।अपने ट्वीट्स में श्री अमित शाह ने कहा कि “देश के विभाजन के समय हिंसा व घृणा के साये में विस्थापित हुए हमारे असंख्य बहनों व भाइयों के त्याग, संघर्ष व बलिदान की याद में मोदीजी ने 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस संवेदनशील निर्णय पर मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन करता हूँ”।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि “देश के विभाजन का घाव व अपनों को खोने के दुःख को शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता।मुझे विश्वास है कि ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ समाज से भेदभाव व द्वेष की दुर्भावना को खत्म कर शांति, प्रेम व एकता को बल देगा”।

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