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स्टार्ट-अप्स को अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत उद्योग प्रबंधन संपर्क आवश्यक हैः डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि स्टार्ट-अप्स को अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत उद्योग प्रबंधन संपर्क (लिंकेज) आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि इसमें आईआईएम जैसे संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

 

   डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू शहर के बाहरी इलाके जगती में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के एमबीए छात्रों के नए बैच के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कहा कि अधिकतर सफल स्टार्ट-अप कहानियां मजबूत उद्योग संपर्क के कारण संभव हुई हैं। उन्होंने कहा- “उदाहरण के लिए, अरोमा मिशन में, सरकार लैवेंडर में कृषि स्टार्ट-अप में लगे लोगों की क्षमता सृजन सुनिश्चित करके और लैवेंडर से बने परफ्यूम और अन्य उत्पादों जैसे हिमालयी उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए बाजार पहुंच की सुविधा प्रदान करके एक सक्षमकर्ता बन गई है।”

मंत्री महोदय ने कहा कि हिमालय के जैव संसाधनों और तटीय क्षेत्रों में अनछुए खनिजों का दोहन भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा मूल्यवर्धन कर सकता है और ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा दे सकता है। उन्होंने कहा- “भारत के तटीय राज्य और जम्मू-कश्मीर जैसे हिमालयी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश देश के भविष्य की अर्थव्यवस्था को बहुत कुछ दे सकते हैं”। डॉ. जितेंद्र सिंह ने महत्वाकांक्षी पीढ़ी के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बेहतर समय चल रहा है। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप नए अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी महान समतलीकरण रही है, जिससे प्रत्येक क्षेत्र के सभी व्यक्ति को अवसर मिला है।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि युवाओं को प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए, जिसने सामाजिक भलाई के लिए समान अवसर तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि पहले प्रौद्योगिकी कुछ लोगों का विशेषाधिकार थी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने विद्यार्थियों से 2047 के भारत का नेतृत्व करने के लिए स्वयं को तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “2027 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी पूरी करेगा, तब युवा ही विकसित भारत के निर्माता होंगे।” उन्होंने कहा कि सरकार अपनी युवा पीढ़ी को नए कौशल और प्रशिक्षण तथा विश्व स्तरीय शिक्षा से लैस करने के लिए अथक प्रयास कर रही है, ताकि उन्हें विकसित भारत का निर्माता बनाया जा सके। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षक नीति 2020 इस लक्ष्य में योगदान देगी।”  डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईआईआईएम-जम्मू की प्रगति के बारे में कहा कि अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षों में यह देश में उच्च शिक्षा के ऐसे नए प्रमुख संस्थानों में से एक बन गया है। मंत्री महोदय ने कहा, “प्रारंभिक अवस्था से ही, जब हमें फैकल्टी खोजने में भी कठिनाई हो रही थी, इसने अपनी छोटी सी यात्रा में एक लंबा सफर तय किया है।” उन्होंने कहा, ‘‘आईआईएम जम्मू की स्थापना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और ऐसे नेताओं को तैयार करने के उनके सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्र को अभूतपूर्व विकास की ओर ले जाएंगे।’’

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विद्यार्थियों के अधिक लाभ के लिए संस्थानों के बीच सहयोग और तालमेल पर बल दिया। मंत्री महोदय ने कहा, “अलग-अलग काम करने का युग समाप्त हो गया है; सहयोग का युग आ गया है।” उन्होंने आईआईएम-जम्मू, एम्स-जम्मू, आईआईटी-जम्मू और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय को अनुसंधान एवं विकास तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके साझेदारी के लिए प्रोत्साहित किया। इससे पहले डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आईआईएम-जम्मू के अत्याधुनिक परिसर का दौरा किया। उनके साथ निदेशक प्रो. बी.एस. सहाय और एम्स, जम्मू के निदेशक डॉ. शक्ति कुमार गुप्ता भी उपस्थित थे। उन्होंने इस अवसर पर एक पौधा लगाया।