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इलेक्ट्रानिक एंड प्रिंट मीडिया एसोसिएशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जिले की टीम के साथ की चर्चा

रायबरेली। इलेक्ट्रानिक एंड प्रिंट मीडिया एसोसिएशन की बैठक व सम्मान समारोह नगर के महावीर होटल की सभागार में सम्पन्न हुआ। बताते चलें कि बीते दिन एसोसिएशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव देवी पाल व प्रदेश अध्यक्ष अंकित पाल साथ ही प्रदेश सचिव प्रीती पाल का महावीर होटल में जिलाध्यक्ष राम मिलन शर्मा की अगुवाई में भव्य स्वागत किया गया। इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि मैं पत्रकारों के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रही हूं और आगे भी करती रहूंगी। जिला टीम से साथ देने की अपील की। जिला टीम की ओर से अतिथियों का स्वागत किया गया।साथ ही ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष चंद्रेश त्रिवेदी, वरिष्ठ सलाहकार राजकुमार शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा जिला उपाध्यक्ष प्राची सविता व एसोसिएशन के जिला संरक्षक वाई.पी. सिंह को भी माल्यार्पण कर व अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया। संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री विनीत सिंह द्वारा एसोसिएशन को लैपटाप भेंट किया गया। इस मौके पर विनीत सविता, देवदत्त,इमरान,अनिल कुमार, प्रवीण कुमार,विमल कुमार, अनुभव, मनीष कुमार, राजन शर्मा, राजेंद्र कुमार शर्मा,विनीत द्विवेदी,धर्मेंद्र कुमार, गोविंद सिंह, नीतेश सिंह, राकेश कुमार गुप्ता, अनिल कुमार गुप्ता, अवधेश कुमार प्रजापति, ज्योति साहू व रवि शंकर सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन युवा पत्रकार जितेंद्र सविता व कवि वाई.पी. सिंह ने किया।

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प्रधानमंत्री ने मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस में मुंबई-सोलापुर वंदे भारत और मुंबई-साईंनगर शिरडी वंदे भारत को झंडी दिखाकर रवाना किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस में दो वंदे भारत ट्रेनों को झंडी दिखाकर रवाना किया। ये दो ट्रेनें हैं- मुंबई-सोलापुर वंदे भारत और मुंबई-साईंनगर शिरडी वंदे भारत। उन्होंने मुंबई में सड़क यातायात की भीड़ को कम करने और वाहनों की आवाजाही को सुव्यवस्थित करने के लिए दो सड़क परियोजनाओं- सांताक्रूज चेंबूर लिंक रोड और कुरार अंडरपास परियोजना- को भी राष्ट्र को समर्पित किया।

छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के प्लेटफार्म नं. 18 पर आने के बाद, प्रधानमंत्री ने मुंबई-साईंनगर शिरडी वंदे भारत का निरीक्षण किया। उन्होंने ट्रेन के चालक दल और कोच के अंदर बैठे बच्चों से बातचीत भी की।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत में रेलवे, विशेष रूप से महाराष्ट्र में उन्नत रेल-संपर्क के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि पहली बार दो वंदे भारत ट्रेनों को एक ही दिन हरी झंडी दिखाई गई है। उन्होंने रेखांकित किया कि ये वंदे भारत ट्रेनें मुंबई और पुणे जैसे आर्थिक केंद्रों को आस्था के केंद्रों से जोड़ेंगी, जिससे कॉलेज,    कार्यालय, व्यवसाय, तीर्थ यात्रा और कृषि उद्देश्यों के लिए यात्रा करने वालों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि नई वंदे भारत ट्रेनों से शिरडी, नासिक, त्र्यंबकेश्वर और पंचवटी जैसे पवित्र स्थानों की यात्रा आसान हो जाएगी, जिससे पर्यटन के साथ-साथ तीर्थाटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, “सोलापुर वंदे भारत एक्सप्रेस से पंढरपुर, सोलापुर, अक्कलकोट और तुलजापुर की तीर्थ यात्रा और भी अधिक आसान हो जायेगी।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे भारत ट्रेन आधुनिक भारत की भव्य तस्वीर है। “ये भारत की गति और पैमाने का प्रतिबिंब है।” वंदे भारत ट्रेनों को लॉन्च करने की गति के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तक देश के 17 राज्यों के 108 जिलों को जोड़ने वाली 10 वंदे भारत ट्रेनों का परिचालन शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आज शुरू की जा रही विभिन्न परियोजनाएं, जीवन को और आसान बनाएंगी। उन्होंने कहा कि ऊपरी सड़कें (एलिवेटेड रोड) पूर्वी और पश्चिमी उपनगरीय क्षेत्रों तथा अंडरपास को जोड़ेंगी, जो महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी के भारत के लिए सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने की जरूरत को दोहराया क्योंकि इससे नागरिकों का जीवन-यापन व्यापक रूप से आसान होगा। उन्होंने कहा कि आधुनिक ट्रेनों की शुरुआत, मेट्रो के विस्तार और नए हवाई अड्डों एवं बंदरगाहों के निर्माण के पीछे यही सोच है। बजट भी इस सोच को मजबूत करता है क्योंकि पहली बार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष रूप से 10 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं। इसमें रेलवे की हिस्सेदारी 2.5 लाख करोड़ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रेल बजट में महाराष्ट्र के लिए आवंटन में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और उम्मीद जताई कि डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से महाराष्ट्र में कनेक्टिविटी में और तेजी से विस्तार होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, “इस साल के बजट से मध्यम वर्ग मजबूत हुआ है।” उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि इस वर्ष के बजट में वेतनभोगी और व्यवसाय करने वाले, दोनों वर्गों की जरूरतों का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले दो लाख रुपये से अधिक आय वाले लोगों पर कर लगाया जाता था, लेकिन यह वर्तमान सरकार ही है जिसने शुरुआत में इस सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये और अब इस साल के बजट में सात लाख रुपये कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जिन लोगों को यूपीए सरकार के दौर में 20 प्रतिशत कर देना पड़ता था, उन्हें आज कोई कर नहीं देना पड़ता है।” उन्होंने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि नई नौकरियों वाले लोगों के पास अब और अधिक बचत करने का अवसर है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए यह विश्वास व्यक्त किया कि ‘सबका विकास सबका प्रयास’ की भावना को बढ़ावा देने वाला यह बजट हर परिवार को ताकत देगा और सभी को एक विकसित भारत बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस, केन्द्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे, केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री रामदास अठावले एवं श्री कपिल मोरेश्वर पाटील और महाराष्ट्र सरकार के मंत्रीगण सहित कई गणमान्य लोग इस अवसर पर उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

मुंबई-सोलापुर वंदे भारत ट्रेन और मुंबई-साईंनगर शिरडी वंदे भारत ट्रेन दो ऐसी ट्रेनें हैं जिन्हें प्रधानमंत्री ने मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह नए भारत के लिए बेहतर, अधिक कुशल और यात्रियों की जरूरतों के अनुकूल परिवहन से संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

मुंबई-सोलापुर वंदे भारत ट्रेन देश की नौवीं वंदे भारत ट्रेन होगी। यह नई विश्वस्तरीय ट्रेन मुंबई और सोलापुर के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर करेगी और सोलापुर में सिद्धेश्वर, सोलापुर के निकट अक्कलकोट, तुलजापुर, पंढरपुर और पुणे के निकट आलंदी जैसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों की यात्रा को भी सुविधाजनक बनाएगी।

मुंबई-साईनगर शिरडी वंदे भारत, जोकि देश की दसवीं वंदे भारत ट्रेन है, महाराष्ट्र के नासिक, त्र्यंबकेश्वर, साईंनगर शिरडी और शनि सिंगनापुर जैसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों के साथ कनेक्टिविटी को बेहतर करेगी।

मुंबई में सड़क यातायात की भीड़ को कम करने और वाहनों की आवाजाही को सुव्यवस्थित करने के लिए, प्रधानमंत्री ने सांताक्रूज चेंबूर लिंक रोड (एससीएलआर) और कुरार अंडरपास को राष्ट्र को समर्पित किया। कुर्ला से वकोला तक और कुर्ला में एमटीएनएल जंक्शन, बीकेसी से एलबीएस फ्लाईओवर तक जाने वाला यह नवनिर्मित एलिवेटेड कॉरिडोर शहर में पूर्व-पश्चिम कनेक्टिविटी को उन्नत करेगा। यह सड़क वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे को ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से जोड़ेगी जिससे पूर्वी और पश्चिमी उपनगर कारगर तरीके से आपस में जुड़ेंगे। वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे (डब्ल्यूईएच) पर यातायात को आसान बनाने की दृष्टि से कुरार अंडरपास बेहद महत्वपूर्ण है, जोकि डब्ल्यूईएच के मलाड और कुरार की ओर वाले हिस्से को जोड़ता है। यह लोगों को आसानी से सड़क पार करने और साथ ही वाहनों को डब्ल्यूईएच पर भारी ट्रैफिक में फंसे बिना चलने की सुविधा देता है।

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तीसरी तिमाही में नालको का लाभ दूसरी तिमाही की तुलना में 61 फीसदी बढ़ा

खान मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनी नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (नालको) ने दिसंबर, 2022 को समाप्त तीसरी तिमाही के लिए अपने वित्तीय परिणामों की घोषणा की है। वित्तीय वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही के वित्तीय परिणामों की समीक्षा के लिए ओडिशा के भुवनेश्वर में बोर्ड की एक बैठक आयोजित की गई। इसके अनुसार नालको ने चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में 274 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त किया है। इससे पहले दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 170 करोड़ रुपये था।

वहीं, तीसरी तिमाही में कंपनी ने 3290 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री की। इस दौरान एल्युमिना की कम बिक्री, उच्च इनपुट लागत के साथ-साथ वैश्विक चुनौतीपूर्ण व्यापार परिदृश्य और अस्थिरता ने लाभ मार्जिन को प्रभावित किया। इन बातों के बावजूद कंपनी ने सभी मोर्चों पर उत्पादन में मजबूत बढ़ोतरी दर्ज की है।

नालको के सीएमडी श्री श्रीधर पात्रा ने कहा कि मंदी की अवधि से उबरने में नालको की परिचालन दक्षता और टीम वर्क ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आगे बताया कि वैश्विक स्तर पर एल्युमीनियम की कीमतों में बढ़ोतरी व उच्च उत्पादन मात्रा निश्चित रूप से आने वाली तिमाहियों में लाभ मार्जिन में वृद्धि करेगी और समग्र वित्तीय वर्ष 2022-23 के परिणामों में चौथी तिमाही अपना महत्वपूर्ण योगदान देगी।

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गडकरी ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में फ्लेक्स हाइब्रिड वाहनों के बाजार के लिए अपार संभावनाएं हैं’

 केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज लखनऊ में यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्य के परिवहन मंत्री  दयाशंकर सिंह, नीति आयोग के सीईओ  परमेश्वरन अय्यर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में ‘ई-मोबिलिटी, वाहन और भविष्य की गतिशीलता’ विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित किया।

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श्री गडकरी ने कहा कि भारत में कुल पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में से 25 प्रतिशत ईवी उत्तर प्रदेश में ही पंजीकृत होने को देखते हुए उत्तर प्रदेश में फ्लेक्स हाइब्रिड वाहन बाजार के लिए अपार संभावनाएं हैं। कानपुर, लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ जैसे शहर ई-वाहनों या इलेक्ट्रिक वाहनों एवं लिथियम बैटरियों के प्रमुख विनिर्माण केंद्र बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि फि‍लहाल इस राज्य के अंदर 740 इलेक्ट्रिक बसें चलती हैं जिनकी संख्‍या जल्द ही बढ़कर 5000 हो जाएगी। मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार इस राज्य में प्रत्येक 150 किमी दूरी पर स्क्रैपिंग सेंटर और वाहन फिटनेस सेंटर स्थापित कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश इथेनॉल का सबसे बड़ा उत्पादक है और इसके साथ ही प्राथमिकता के आधार पर दूसरी पीढ़ी का अपेक्षाकृत कम कार्बन वाला इथेनॉल विकसित किया जा रहा है।

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किसानों को ‘अन्नदाता’ के साथ-साथ ‘ऊर्जादाता’ भी बताते हुए श्री गडकरी ने कहा कि नया भारत हमेशा स्वदेश में ही निर्माण करने को काफी बढ़ावा देता है जो सुरक्षित, पुनर्चक्रण योग्य एवं टिकाऊ या सतत होता है, और इसके साथ ही गतिशीलता के क्षेत्र में हरित ऊर्जा और हरित अर्थव्यवस्था के लिए व्‍यापक गुंजाइश सुनिश्चित करता है।

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प्रधानमंत्री ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया

इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपिस्ट के महत्व को सांत्वना, आशा, सौम्यता और पुनर्स्वास्थ्य लाभ के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि एक फिजियोथेरेपिस्ट न केवल शारीरिक चोट का इलाज करता है बल्कि रोगी को मनोवैज्ञानिक चुनौती से निपटने का साहस भी देता है।

प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपिस्ट पेशे की व्यावसायिकता की सराहना करते हुए कहा कि शासन की भावना के अनुरूप कैसे उनमें आवश्यकता के समय सहायता प्रदान करने की समान भावना अंतर्निहित होती है। उन्होंने कहा कि बैंक खाते, शौचालय, नल का पानी, निःशुल्क चिकित्सा उपचार और सामाजिक सुरक्षा तंत्र के निर्माण जैसी बुनियादी जरूरतों के प्रावधान में सहायता के साथ, देश का गरीब और मध्यम वर्ग अब अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने दुनिया को दिखा दिया है कि वे अपनी क्षमता से नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में सक्षम हैं।

इसी तरह, उन्होंने रोगी में आत्मनिर्भरता का भाव सुनिश्चित करने वाले इस पेशे की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पेशा ‘सबका प्रयास’ का भी प्रतीक है क्योंकि रोगी और चिकित्सक दोनों को समस्या पर काम करने की जरूरत है और यह स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ जैसी कई योजनाओं और जन आंदोलन में परिलक्षित होता है।

प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपी की भावना को रेखांकित किया जिसमें सामजस्यता, निरंतरता और दृढ़ विश्वास जैसे कई महत्वपूर्ण संदेश हैं जो शासन की नीतियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव में, फिजियोथेरेपिस्ट को एक पेशे के रूप में बहुप्रतीक्षित मान्यता मिली, क्योंकि सरकार संबद्ध और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर विधेयक के लिए राष्ट्रीय आयोग लेकर आई, जो देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में फिजियोथेरेपिस्ट के योगदान को मान्यता देता है। श्री मोदी ने कहा कि इससे आप सभी के लिए भारत के साथ-साथ विदेशों में भी काम करना आसान हो गया है। सरकार ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन नेटवर्क में फिजियोथेरेपिस्ट को भी जोड़ा है। इससे आपके लिए रोगियों तक पहुंचना आसान हो गया है। प्रधानमंत्री ने फिट इंडिया मूवमेंट और खेलो इंडिया के वातावरण में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए बढ़ते अवसरों की भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपिस्ट से लोगों को उचित मुद्रा, सही आदतें, सटीक व्यायाम के बारे में शिक्षित करने के कार्य को अपनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि लोग फिटनेस को लेकर सही दृष्टिकोण अपनाएं। उन्होंने कहा कि आप इसे लेख लिखने और व्याख्यान देने के माध्यम से कर सकते हैं और मेरे युवा मित्र इसे रील्स के माध्यम से भी दिखा सकते हैं।

फिजियोथेरेपी के अपने व्यक्तिगत अनुभव का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा अनुभव है कि जब योग की विशेषज्ञता को फिजियोथेरेपिस्ट के साथ जोड़ा जाता है तो इसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। शरीर की सामान्य समस्याएं, जिनमें अक्सर फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ती है, कई बार योग से भी दूर हो जाती हैं। इसलिए आपको फिजियोथेरेपी के साथ-साथ योग भी जरूर जानना चाहिए। यह आपकी पेशेवर क्षमता को बढ़ाएगा।

फिजियोथेरेपी पेशे का एक बड़े हिस्से के वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े होने को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने अनुभव और सरल-कौशल की आवश्यकता पर बल दिया और पेशेवरों से दस्तावेजों को सहेजते हुए उन्हें दुनिया के सामने अकादमिक दस्तावेज प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रस्तुत करने को कहा।

श्री मोदी ने इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से वीडियो परामर्श और टेली-मेडिसिन के तरीके विकसित करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह तुर्की में भूकंप जैसी स्थितियों में उपयोगी हो सकता है जहां बड़ी संख्या में फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत होती है और भारतीय फिजियोथेरेपिस्ट मोबाइल फोन के माध्यम से वहां मदद कर सकते हैं और फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन को इस दिशा में विचार करने को कहा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के समापन पर कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि आप जैसे विशेषज्ञों के नेतृत्व में, भारत फिट भी होगा और सुपर हिट भी होगा।

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10.02.2023 तक वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹15.67 लाख करोड़ रहा जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के सकल संग्रह से 24.09% अधिक है

10 फरवरी, 2023 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह के अस्थायी आंकड़ों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। 10 फरवरी, 2023 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह दर्शाता है कि सकल संग्रह 15.67 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के सकल संग्रह से 24.09% अधिक है। प्रत्यक्ष कर संग्रह, रिफंड का शुद्ध 12.98 लाख करोड़ रुपये है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के शुद्ध संग्रह से 18.40% अधिक है। यह संग्रह वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए प्रत्यक्ष करों के कुल बजट अनुमानों का 91.39% है और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए प्रत्यक्ष करों के संशोधित अनुमानों का 78.65% है।

जहां तक सकल राजस्व संग्रह के संदर्भ में कॉर्पोरेट आयकर (सीआईटी) और व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) की वृद्धि दर का संबंध है,सीआईटी के लिए विकास दर 19.33% है जबकि पीआईटी (एसटीटी सहित) के लिए 29.63% है। रिफंड के समायोजन के बाद, सीआईटी संग्रह में शुद्ध वृद्धि 15.84% है और पीआईटी संग्रह में 21.93% (केवल पीआईटी)/21.23% (एसटीटी सहित पीआईटी) है।

1 अप्रैल, 2022 से 10 फरवरी, 2023 के दौरान 2.69 लाख करोड़ रुपये की राशि का रिफंड जारी किया गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान जारी किए गए रिफंड से 61.58% अधिक है।

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प्रधानमंत्री 12 फरवरी को महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में साल भर चलने वाले समारोह का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री  मोदी 12 फरवरी, 2023 को सुबह 11 बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में साल भर चलने वाले समारोह का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री उपस्थित लोगों को संबोधित भी करेंगे।

महर्षि दयानंद सरस्वती, जिनका जन्म 12 फरवरी 1824 को हुआ था, एक समाज सुधारक थे। उन्होंने 1875 में तत्कालीन सामाजिक असमानताओं से निपटने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी। आर्य समाज ने सामाजिक सुधारों और शिक्षा पर जोर देकर देश की सांस्कृतिक एवं सामाजिक जागृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सरकार समाज सुधारकों और महत्वपूर्ण हस्तियों, विशेष रूप से उन लोगों को सम्मानित करने के लिए प्रतिबद्ध है जिनके योगदानों को अभी तक अखिल भारतीय स्तर पर उपयुक्त श्रेय नहीं दिया गया है। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने से लेकर श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने तक, इस तरह की पहल का नेतृत्व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आगे बढ़कर कर रहे हैं।

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असीम सुख देता है रब से किया गया प्रेम

“पूछा जो इक रोज़ उसने …बता तो सही..क्या मिला तुम्हें
इश्क़ के दरिया में ?
मैंने हँस कर कहा …
न पूछ तू इश्क़ की सौग़ातों की बात…
बेशुमार दौलतें पाई है हमने …ख़ामोशियाँ ..
दर्द ..
इन्तज़ार ..
बेचैनियाँ .. अश्क ..सभी तो पाया हमने …
और हाँ !
सबसे ज़्यादा सकून तो तब मिला ,जब मेरी ख़ुदी ही खो गई।अब तू बता ?
“क्या कम पाया है मैंने “?

🌹फ़रवरी का महीना
गुलाब के फूल,
इश्क़ की ख़ुशबू ,
मोहब्बत से महकता
ये महीना हर तरफ़ अपना ही रंग बिखेरे हुये होता है।
दोस्तों !
लाल गुलाब उसे ही दीया जाता है जो आप के लिए बेहद ख़ास हो।
जिसने आप की रूह को छू लिया हो।

प्रेम…
प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
जो हर व्यक्ति के भाग्य में नहीं होता,……वो उसी को नसीब होता है,जिसे रूह की चाह होगी ,जिस्म की नही …..

किसी स्त्री को पत्नी बनाना,
उसके प्रेम को प्राप्त कर लेना नही है,क्योंकि स्त्री पति को सिर्फ उसका अधिकार देती है, प्रेम नही।
लोग अक्सर अधिकार ही देते है प्रेम नहीं …

प्रेम होना या किसी का प्रेम मिलना ये एक अलग और गहरी बात है। किसी किसी विरले के ही हिस्से में प्रेम आ पाता है, बाकि तो सब जीवन जी रहे हैं इक मृगतृष्णा में ..कि उन्हें प्रेम है या मिल रहा है।

प्रेम इक त्याग है ।
आसान नहीं होता ,प्रेम में रहना।
प्रेम को पाने के लिए उतना ही समर्पण चाहिए,
जितना हम भगवान को पाने के लिए करते है,
क्योंकि प्रेम को हम नही..बल्कि प्रेम हमको चुनता हैं….
बिना किसी आस के उम्र भर किसी को चाहते रहना ही प्रेम है।🙏

ज़्यादातर लोग आकर्षित होते है .. वो आकर्षण बहुत देर ठहरता नहीं। वक़्त के साथ ख़त्म होता चला जाता है।जिस प्रेम की मैं बात कर रही हूँ ।वो प्रेम ठहर जायेगा ..वहीं पर ….हमेशा के लिये . …
उसका जिस्म से कोई सरोकार
नहीं ..सिर्फ़ मतलब रह जाता है तो केवल रूह से।
रूह से जुड़ा प्रेम
वक़्त के साथ गहरा होता चला जाता है।
जो लोग दावा करते हैं अपने इश्क़ का .. अपने मन को टटोल कर देखे जिसे वह प्यार करते हैं , उसके लिए मन में क्या कभी पूजने का भाव आया है ?
क्या आप का प्रेम ,हमेशा एक ही के साथ ठहरा है कभी ..या फिर आज यहाँ और कल वहाँ ….अगर प्रेम में ठहराव नही है,
तो समझ जाईये कि आपको प्रेम नही ,सिर्फ़ इक आकर्षण हुआ है।
प्रेम तो जहां रम गया, जिसमें रम गया ,सो रम गया …फिर इधर-उधर नहीं भटकेगा।

यू भी दिल और दिमाग़ से किया प्रेम कुछ देर तो चल सकता है ,मगर ..रूह से किया गया
प्रेम तो …आख़िरी साँस तक
चलता है …

कृष्ण और मीरा का प्रेम…
कृष्णा और राधा का प्रेम ..
मर्यादाओं में बंधा हुआ ,..
दूर रह कर भी इक दूसरे की पीड़ा का अहसास था उनमे।
इक दूजे से दूर, मगर इक दूजे में ही समाये हुए।
बहुत पत्नियों के स्वामी थे कृष्णा।सब के लिए फ़र्ज़ निभाते, सब को अधिकार बाँटते ..
मगर खुद राधा के प्रेम में मग्न और परिपूर्ण रहते।वहाँ मिलन सिर्फ़ रूह का था ..शरीर का नही ..

सोचें दोस्तों !
हम कहाँ है ?
हमारा प्रेम कहाँ खड़ा है ?
क्या हम वाक़ई प्रेम में है या इक भ्रम में जी रहे हैं ।

हर कोई अघूरा है यहाँ ..
किसी विरले की ही तालाश पूरी होती है ।
नहीं तो हर कोई भटक रहा है प्रेम की तालाश में।
प्रेम मिलना बहुत मुश्किल है ..अगर मिल जाये कहीं …तो उसकी क़दर ज़रूर कीजिए। कई जन्मों के तप का नतीजा होता है सच्चा प्रेम।

इक बात मैं ज़रूर कहना चाहूँगी कि दुनिया का प्रेम कभी सुख देगा ,कभी दुख देगा .. मगर रब से किया गया प्रेम हमेशा असीम सुख देता है ..
दोस्तों !
सोचना अब आप को है …
कि आप को क्या चाहिए
“दुख सुख की छाँव “
या
“सदा का सुख
🙏🌹🙏🌹
लेखिका स्मिता

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अभिशप्त मैं

:- “पूनम यह लो पैसे और दो किलो बाजरे का आटा लेती आ।”

पूनम:- “वो पहले के बकाया पैसे मांग रहा है, परसों कह रहा था कि पहले पैसा लाओ फिर आटा दूंगा।”
माया:- “बोलना उससे कि इसी रूपये में से काट ले और जो हिसाब बचेगा वो अगली बार दे दूंगी।”
पूनम:- “ठीक है” और कराहती हुई उठी दुकान जाने के लिए।
माया भी कमर पकड़कर उठी तो दर्द से कराह उठी। मन ही मन बड़बड़ाते हुए काम पर जाने लगी तो पास ही बैठे हुए छोटे बच्चों की और देखा जो भूखे बैठे खाने की राह देख रहे थे। पति मदन अभी तक सोया पड़ा था। बच्चों के मुंह को देखकर माया रसोई में खाना बनाने चली गई। बड़ी लड़की को उसने आवाज देकर उठाया और काम में जुट गई। सब्जी छौंकते समय उसकी आंखों में आंसू आ गए। कैसा जीवन है हम औरतों का? पति की मार खाओ और पैसा भी कमाने जाओ? उस पर इन बच्चों का भार वो अलग से।
मदन रोज शराब पीकर आता और माया को पीटता था। उससे पैसे मांगता था और न देने पर पीटता था। उसकी बेटियां भी कम दुखी नहीं थी अपने बाप से। रोज मारकर उठाना आम बात थी। कभी लात से, कभी कुछ भी फेंककर मार दिया, इस तरह लड़कियों को उठाना आम बात थी। जिंदगी एक बोझ के सिवा कुछ नहीं लगती थी। “मेरे पास रास्ता भी तो नहीं है कुछ? इन बच्चों को किसके सहारे छोड़ कर जाऊं? और मैं खुद भी कहां जाऊं? मायका भी ऊंच नीच ही समझाएगा और उसका क्या करूं कि हमारे समाज में नहीं चलता यह सब और वैसे भी कितना भी कर लो वह पक्ष पति का ही लेगा। यह सब सुन कर भी दोषी मुझे ही बताया जाएगा। फिर बेचारी बनकर जीना ही एकमात्र पर्याय है।” टीस मारते हुए जख्मों की ओर देखती हुई माया सोचती रही।
चार बच्चों की मां बनाकर मदन ने माया पर घर की जिम्मेदारी का भार भी डाल दिया था। सुबह घर के काम के बाद बाहर घर काम के लिए निकल जाती थी। मुझे इन चुप रहती इन आंखों में कई सवाल दिखते थे। ऐसा लगता कि सवाल वह खुद से कर रही और जवाब भी खुद ही दे रही है। इसी उधेड़बुन में काम करते-करते उसके हाथों की गति तेज और तेज होती जाती।
माया:- “पैसे खत्म हो गए हैं सब्जी, आटा और तेल लाना है।”
मदन:-  “तो मैं क्या करूं? तू् लेकर आ, मेरे पास पैसे नहीं है।”
माया:- “अभी तो मेरे पास भी नहीं है।”
मदन:- “अभी कल ही तो पांच सौ देखे थे तेरे पास वो कहां गए? मुझे काम है दे वो पैसे?”
माया:- “नहीं है, खर्च हो गए।” और दोनों में बहस शुरू हो गई और लड़ते-लड़ते मदन का हाथ माया पर उठ जाता है। उसके हाथ में जो भी चीज आती है चप्पल, बेल्ट,  पाइप, पत्थर उसी से मारते जाता। माया चीखती रही और रोते रही। बड़ी बेटी मां को बचाने आई तो उसे भी मार पड़ गई। मां बेटी दोनों मार खाते रहे और चिल्लाते रहे। यह रोज की दिनचर्या थी।
काम करते-करते माया सोच रही थी कि, “मैं क्यों यह अभिशप्त जीवन जी रही हूं? क्यों नहीं यह सब छोड़ कर चली जाती हूं? यहां ऐसा कौन सा सुख है जिसकी मुझे लालसा है? मार खाने के बाद रात में शरीर पर रेंगते हाथ शरीर से ज्यादा मन की तकलीफ को बढ़ा देते? क्यों मजबूर हूं इस विवशता से भरे जीवन को जीने का जीने के लिए? क्या इसी अवसादपूर्ण जीवन के लिए इस आदमी से रिश्ता जोड़ा था, शादी की थी।” ~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को महत्वपूर्ण बढ़ावा: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के लिए 2,585 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि के 41 स्वदेशी मॉड्यूलर पुलों की खरीद के लिए एलएंडटी के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के तहत रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में मंत्रालय ने भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के लिए मॉड्यूलर पुलों के 41 सेट के स्वदेशी निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इन बहुउपयोगी एवं परिवर्तनकारी पुलों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन तथा विकसित किया गया है। मॉड्यूलर पुलों को लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) द्वारा डीआरडीओ-नामित उत्पादन एजेंसी के रूप में तैयार किया जाएगा। मॉड्यूलर ब्रिज की खरीद के लिए 08 फरवरी, 2023 को एलएंडटी के साथ 2,585 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत पर अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।

मॉड्यूलर ब्रिज के प्रत्येक सेट में 8×8 हैवी मोबिलिटी व्हीकल पर आधारित सात कैरियर व्हीकल और 10×10 हेवी मोबिलिटी व्हीकल पर लगने वाले दो लॉन्चर व्हीकल शामिल होंगे। प्रत्येक सेट यांत्रिक रूप से एकल मेहराब में पूरी तरह से 46-मीटर असॉल्ट ब्रिज को स्थाई आकार प्रदान करने में सक्षम होगा। पुल को त्वरित लॉन्चिंग और पुनर्प्राप्ति क्षमताओं के साथ नहरों एवं खाइयों जैसी विभिन्न प्रकार की बाधाओं पर काबू पाने के लिए स्थापित किया जा सकता है। यह अत्यधिक सचल है, बहुमुखी है और पहिएदार तथा किसी भी तरह की परिस्थितियों में इस्तेमाल करने में सक्षम है। मॉड्यूलर ब्रिज ट्रैक किए गए यंत्रीकृत वाहनों के साथ तालमेल रखने में सक्षम है।

मॉड्यूलर ब्रिज मैन्युअल रूप से लॉन्च किए गए मध्यम गर्डर ब्रिज (एमजीबी) का स्थान लेंगे, जो वर्तमान में भारतीय सेना में उपयोग किए जा रहे हैं। एमजीबी की तुलना में स्वदेशी रूप से डिजाइन एवं निर्मित मॉड्यूलर ब्रिज के कई फायदे होंगे जैसे कि इनके बढ़े हुए मेहराब, निर्माण के लिए कम समय और रिट्रीवल क्षमता के साथ मैकेनिकल लॉन्चिंग। इन पुलों की खरीद से पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना की ब्रिजिंग क्षमता को काफी बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना विश्व स्तरीय सैन्य उपकरणों के डिजाइन एवं विकास में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करेगी और मित्र देशों को रक्षा निर्यात बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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