इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपिस्ट के महत्व को सांत्वना, आशा, सौम्यता और पुनर्स्वास्थ्य लाभ के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि एक फिजियोथेरेपिस्ट न केवल शारीरिक चोट का इलाज करता है बल्कि रोगी को मनोवैज्ञानिक चुनौती से निपटने का साहस भी देता है।
प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपिस्ट पेशे की व्यावसायिकता की सराहना करते हुए कहा कि शासन की भावना के अनुरूप कैसे उनमें आवश्यकता के समय सहायता प्रदान करने की समान भावना अंतर्निहित होती है। उन्होंने कहा कि बैंक खाते, शौचालय, नल का पानी, निःशुल्क चिकित्सा उपचार और सामाजिक सुरक्षा तंत्र के निर्माण जैसी बुनियादी जरूरतों के प्रावधान में सहायता के साथ, देश का गरीब और मध्यम वर्ग अब अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने दुनिया को दिखा दिया है कि वे अपनी क्षमता से नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में सक्षम हैं।
इसी तरह, उन्होंने रोगी में आत्मनिर्भरता का भाव सुनिश्चित करने वाले इस पेशे की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पेशा ‘सबका प्रयास’ का भी प्रतीक है क्योंकि रोगी और चिकित्सक दोनों को समस्या पर काम करने की जरूरत है और यह स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ जैसी कई योजनाओं और जन आंदोलन में परिलक्षित होता है।
प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपी की भावना को रेखांकित किया जिसमें सामजस्यता, निरंतरता और दृढ़ विश्वास जैसे कई महत्वपूर्ण संदेश हैं जो शासन की नीतियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव में, फिजियोथेरेपिस्ट को एक पेशे के रूप में बहुप्रतीक्षित मान्यता मिली, क्योंकि सरकार संबद्ध और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर विधेयक के लिए राष्ट्रीय आयोग लेकर आई, जो देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में फिजियोथेरेपिस्ट के योगदान को मान्यता देता है। श्री मोदी ने कहा कि इससे आप सभी के लिए भारत के साथ-साथ विदेशों में भी काम करना आसान हो गया है। सरकार ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन नेटवर्क में फिजियोथेरेपिस्ट को भी जोड़ा है। इससे आपके लिए रोगियों तक पहुंचना आसान हो गया है। प्रधानमंत्री ने फिट इंडिया मूवमेंट और खेलो इंडिया के वातावरण में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए बढ़ते अवसरों की भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपिस्ट से लोगों को उचित मुद्रा, सही आदतें, सटीक व्यायाम के बारे में शिक्षित करने के कार्य को अपनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि लोग फिटनेस को लेकर सही दृष्टिकोण अपनाएं। उन्होंने कहा कि आप इसे लेख लिखने और व्याख्यान देने के माध्यम से कर सकते हैं और मेरे युवा मित्र इसे रील्स के माध्यम से भी दिखा सकते हैं।
फिजियोथेरेपी के अपने व्यक्तिगत अनुभव का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा अनुभव है कि जब योग की विशेषज्ञता को फिजियोथेरेपिस्ट के साथ जोड़ा जाता है तो इसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। शरीर की सामान्य समस्याएं, जिनमें अक्सर फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ती है, कई बार योग से भी दूर हो जाती हैं। इसलिए आपको फिजियोथेरेपी के साथ-साथ योग भी जरूर जानना चाहिए। यह आपकी पेशेवर क्षमता को बढ़ाएगा।
फिजियोथेरेपी पेशे का एक बड़े हिस्से के वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े होने को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने अनुभव और सरल-कौशल की आवश्यकता पर बल दिया और पेशेवरों से दस्तावेजों को सहेजते हुए उन्हें दुनिया के सामने अकादमिक दस्तावेज प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रस्तुत करने को कहा।
श्री मोदी ने इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से वीडियो परामर्श और टेली-मेडिसिन के तरीके विकसित करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह तुर्की में भूकंप जैसी स्थितियों में उपयोगी हो सकता है जहां बड़ी संख्या में फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत होती है और भारतीय फिजियोथेरेपिस्ट मोबाइल फोन के माध्यम से वहां मदद कर सकते हैं और फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन को इस दिशा में विचार करने को कहा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के समापन पर कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि आप जैसे विशेषज्ञों के नेतृत्व में, भारत फिट भी होगा और सुपर हिट भी होगा।