डी जी कॉलेज, कानपुर में रोड सेफ्टी क्लब के द्वारा सड़क सुरक्षा पखवाड़े के अंतर्गत प्रभारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में रैली निकाल कर जनमानस में जागरूकता लाने का कार्य किया गया। इस अभियान में महाविद्यालय की समस्त छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर छात्राओं को सड़क सुरक्षा की शपथ भी दिलवायी गई।प्राचार्य जी के द्वारा अपने वक्तव्य में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा गया कि हमें स्वयं तो यातायात व सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करना ही चाहिए अपने परिवार, आस-पड़ोस तथा अन्य व्यक्तियों को भी इन नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अत्यंत कारगर उपाय साबित हो सकता है, हमें किशोर विभिन्न गतिविधियों के द्वारा गतिशीलता लाने चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय एन सी सी इंचार्ज डॉ मनीष पांडे, कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव तथा अनुराधा सिंह का विशेष योगदान रहा।
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• बड़े हाइड्रो पावर (एलएचपी) (> 25 मेगावाट परियोजनाओं) को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत घोषित करना।
• हाइड्रो खरीद दायित्व (एचपीओ) लागू करना।
• पनबिजली टैरिफ को कम करने के लिए टैरिफ युक्तिकरण उपाय।
• जल विद्युत परियोजनाओं (एचईपी) में बाढ़ नियंत्रण/भंडारण के लिए बजटीय सहायता।
• सक्षम बुनियादी ढांचे, यानी सड़कों/पुलों की लागत के लिए बजटीय सहायता।
• नई पनबिजली परियोजनाओं के लिए अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क की पूर्ण 100% छूट, जिसमें निर्माण कार्य सौंपा गया है और पावर खरीद समझौते (पीपीए) पर 30.06.2025 को या उससे पहले हस्ताक्षर किए गए हैं।
जहां निर्माण कार्य सौंपा गया है और 30.06.2025 के बाद पीपीए पर हस्ताक्षर किए गए हैं, वहां आईएसटीएस शुल्क प्रक्षेपवक्र की छूट का विवरण नीचे दिया गया है।
छूट आईएसटीएस शुल्क प्रक्षेप पथ का विवरण जहां निर्माण कार्य सौंपा गया है और पीपीए पर 30.06.2025 के बाद हस्ताक्षर किए गए हैं
क्रम संख्या | निर्माण कार्य का आवंटन+ पीपीए पर हस्ताक्षर | आईएसटीएस शुल्क प्रक्षेपवक्र की छूट |
1 | 01.07.2025 to 30.06.2026 | 75% |
2 | 01.07.2026 to 30.06.2027 | 50% |
3 | 01.07.2027 to 30.06.2028 | 25% |
छूट कमीशनिंग के 18 साल बाद तक लागू रहेगी
पूर्वोत्तर क्षेत्र में 11,703 मेगावाट (ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों से 6,760 मेगावाट और ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों से 4,943 मेगावाट) की कुल स्थापित क्षमता वाली परियोजनाएं शुरू की गई हैं। विवरण नीचे दिया गया है।
उत्तर पूर्वी क्षेत्र में स्थित चालू बिजली परियोजनाओं (ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों से) का विवरण (31.10.2023 तक)
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राज्य | परियोजना का नाम | ईंधन | क्षमता (मेगावाट) |
अरुणाचल प्रदेश | कामेंग एचपीएस | हाइड्रो | 600 |
पारे | हाइड्रो | 110 | |
रंगनाडी एचपीएस | हाइड्रो | 405 | |
असम | कार्बी लांपी एचपीएस | हाइड्रो | 100 |
लकवा जीटी | गैस | 97 | |
लकवा रिप्लेसमेंट पावर प्रोजेक्ट | गैस | 70 | |
नामरूप सीसीपीपी | गैस | 139 | |
कथलगुड़ी सीसीपीपी | गैस | 291 | |
खोंडोंग एचपीएस | हाइड्रो | 50 | |
कोपिली एचपीएस | हाइड्रो | 200 | |
बोंगाईगांव टीपीपी | कोयला | 750 | |
मणिपुर | लीमाखोंग डीजी | डीजल | 36 |
लोकतक एचपीएस | हाइड्रो | 105 | |
मेघालय | किर्डेमकुलई एचपीएस | हाइड्रो | 60 |
मायटंडू (लेशक)एसट-1 एचपीएस | हाइड्रो | 126 | |
न्यू उम्त्रू एचपीएस | हाइड्रो | 40 | |
उमियाम एचपीएस एसटी-I | हाइड्रो | 36 | |
उमियाम एचपीएस एसटी- IV | हाइड्रो | 60 | |
मिजोरम | तुइरियल एचपीएस | हाइड्रो | 60 |
नगालैंड | डोयांग एचपीएस | हाइड्रो | 75 |
त्रिपुरा | अगरतला जीटी | गैस | 135 |
मोनारचक सीसीपीपी | गैस | 101 | |
त्रिपुरा सीसीपीपी | गैस | 727 | |
बरमुरा जीटी | गैस | 42 | |
रोखिया जीटी | गैस | 63 | |
सिक्किम | रंगीत एचपीएस | हाइड्रो | 60 |
तीस्ता वी एचपीएस | हाइड्रो | 510 | |
तीस्ता -III एचपीएस | हाइड्रो | 1,200 | |
ताशीडिंग एचपीएस | हाइड्रो | 97 | |
रोंगनीचू एचपीएस | हाइड्रो | 113 | |
चुज़ाचेन एचपीएस | हाइड्रो | 110 | |
जोरेथांग लूप | हाइड्रो | 96 | |
डिक्चु एचपीएस | हाइड्रो | 96 |
एचपीएस – हाइड्रो पावर स्टेशन, जीटी – गैस टर्बाइन, सीसीपीपी – कंबाइन साइकल पावर प्लांट, एसटी – स्टीम टर्बाइन
पूर्वोत्तर क्षेत्र में 30.11.2023 तक ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों की राज्य-वार स्थापित क्षमता
(मेगावाट में)
राज्य | लघु जल विद्युत | जैव शक्ति | सौर ऊर्जा | बड़ी जल विद्युत | कुल क्षमता | |
1 | अरुणाचल प्रदेश | 133 | – | 12 | 1,115 | 1,260 |
2 | असम | 34 | 2 | 156 | 350 | 542 |
3 | मणिपुर | 5 | – | 13 | 105 | 123 |
4 | मेघालय | 55 | 14 | 4 | 322 | 395 |
5 | मिजोरम | 45 | – | 30 | 60 | 136 |
6 | नगालैंड | 33 | – | 3 | 75 | 111 |
7 | सिक्किम | 55 | – | 5 | 2,282 | 2,342 |
8 | त्रिपुरा | 16 | – | 18 | – | 34 |
वर्तमान में, देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 6,037 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता वाली आठ जलविद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। विवरण नीचे दिया गया है।
उत्तर पूर्वी क्षेत्र में निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं (25 मेगावाट से अधिक) की सूची
क्रम संख्या | परियोजना का नाम | क्षेत्र | क्षमता निष्पादन के तहत (मेगावाट) | समापन का अनुमानित वर्ष |
अरुणालच प्रदेश | ||||
1 | सुबनसिरी लोअर | केंद्रीय | 2,000 | 2023-26 (मई 25) |
2 | दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना | केंद्रीय | 2,880 | 2031-32 (फरवरी 32) |
असम | ||||
3 | लोअर कोपली | राज्य | 120 | 2024-25 (मई 25) |
सिक्किम | ||||
4 | तीस्ता एसटी VI | केंद्रीय | 500 | 2026-27 (अगस्त 26) |
5 | रंगीत-IV | केंद्रीय | 120 | 2024-25 (अगस्त 24) |
6 | भस्मेय | निजी | 51 | – |
7 | रंगीत-II | निजी | 66 | – |
8 | पैनन | निजी | 300 | – |
इसके अलावा, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र में सत्रह जलविद्युत योजनाओं (कुल 14,589 मेगावाट) को सहमति दे दी है। विवरण नीचे दिया गया है।
उत्तर पूर्वी क्षेत्र में जलविद्युत योजनाओं के विवरण को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा सहमति प्रदान की गई
क्रम संख्या | परियोजना का नाम | राज्य | स्थापित क्षमता (मेगावाट) | समापन का अनुमानित वर्ष |
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तीस्ता एसटी-IV | सिक्किम | 520 | 2031-32 |
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तवांग एसटी -I | अरुणाचल प्रदेश | 600 | 2031-32 से आगे |
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वाह-उमियम चरण-III | मेघालय | 85 | 2029-30 |
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तवांग एसटी-II | अरुणाचल प्रदेश | 800 | 2031-32 से आगे |
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हेओ | अरुणाचल प्रदेश | 240 | 2028-29 |
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ताटो-I | अरुणाचल प्रदेश | 186 | 2028-29 |
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ताटो-II | अरुणाचल प्रदेश | 700 | 2031-32 से आगे |
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डेमवे लोअर | अरुणाचल प्रदेश | 1750 | 2031-32 |
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कलाई-II | अरुणाचल प्रदेश | 1200 | 2031-32 से आगे |
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तालोंग लोंडा | अरुणाचल प्रदेश | 225 | 2031-32 |
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एटालिन | अरुणाचल प्रदेश | 3,097 | 2030-31 |
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नफरा | अरुणाचल प्रदेश | 120 | 2027-28 |
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हीरोंग | अरुणाचल प्रदेश | 500 | 2031-32 से आगे |
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नायिंग | अरुणाचल प्रदेश | 1,000 | 2031-32 से आगे |
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अटुनली | अरुणाचल प्रदेश | 680 | 2030-31 |
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लोअर सियांग | अरुणाचल प्रदेश | 2,700 | 2031-32 से आगे |
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दिखू | नगालैंड | 186 | 2030-31 |
यह जानकारी केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने आज, 12 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।
पीएम-कुसुम के तहत 140 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र और 2.73 लाख स्टैंड-अलोन सौर पंप स्थापित किए गए: केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री
पीएम- कुसुम योजना की अन्य मुख्य विशेषताएं
घटक, लक्ष्य और मानदंड | उपलब्ध वित्तीय सहायता |
यह योजना मांग आधारित है और योजना के लिए जारी दिशानिर्देशों के अनुसार कार्यान्वयन के उद्देश्य से देश के सभी किसानों के लिए खुली हुई है
घटक ए: किसानों की बंजर/ परती/ चारागाह/ दलदली/ खेती योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेन्द्रीकृत ग्राउंड/ स्टिल्ट माउंटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना। ऐसे संयंत्र व्यक्तिगत किसान, सौर ऊर्जा डेवलपर, सहकारी समितियों, पंचायतों और किसान उत्पादक संगठनों द्वारा स्थापित किए जा सकते हैं।
घटक बी: ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में 14 लाख स्टैंडअलोन सौर पंपों की स्थापना।
घटक सी: (i) व्यक्तिगत पंप सौरीकरण और (ii) फीडर लेवल सौरीकरण के माध्यम से 35 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सौरीकरण।
घटक-बी और घटक-सी के तहत व्यक्तिगत किसान, जल उपयोगकर्ता संघ, प्राथमिक कृषि ऋण समितियां और समुदाय/ क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणालियां लाभार्थी हो सकते हैं। |
इस योजना के तहत सौर/ अन्य नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने के लिए डिस्कॉम को 40 पैसे/ किलोवाट या 6.60 लाख रुपये/ मेगावाट/ वर्ष, जो भी कम हो, की दर से खरीद आधारित प्रोत्साहन (पीबीआई)। डिस्कॉम को संयंत्र के वाणिज्यिक संचालन की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए पीबीआई दिया जाता है। इसलिए, डिस्कॉम के लिए देय कुल पीबीआई 33 लाख रुपये प्रति मेगावाट है।
घटक-बी और घटक-सी के तहत व्यक्तिगत पंप सौरीकरण के लिए: एमएनआरई द्वारा जारी बेंचमार्क लागत का 30% सीएफए या निविदा में सामने आईं प्रणालियों की कीमतें, जो भी कम हों, उपलब्ध हैं। हालांकि, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह सहित उत्तर पूर्वी राज्यों में, एमएनआरई द्वारा जारी बेंचमार्क लागत का 50% सीएफए या निविदा में सामने आई प्रणालियों की कीमतें, जो भी कम हो, उपलब्ध हैं। इसके अलावा, संबंधित राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश को कम से कम 30% वित्तीय सहायता प्रदान करनी होगी। शेष लागत का योगदान लाभार्थी द्वारा किया जाना है। पीएम कुसुम योजना के घटक बी और घटक सी (आईपीएस) को राज्य की 30% हिस्सेदारी के बिना भी लागू किया जा सकता है। केंद्रीय वित्तीय सहायता 30% बनी रहेगी और शेष 70% किसान द्वारा वहन किया जाएगा। कृषि फीडर सौरीकरण के लिए 1.05 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट का सीएफए प्रदान किया जाता है। इसमें भाग लेने वाले राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश से वित्तीय सहायता की कोई आवश्यकता अनिवार्य नहीं है। फीडर सौरीकरण को कैपेक्स या रेस्को (आरईएससीओ) मोड में लागू किया जा सकता है। |
पीएम-कुसुम के तहत राज्य-वार लक्ष्य या निधि का आवंटन नहीं किया जाता है क्योंकि यह एक मांग आधारित योजना है। क्षमताओं का आवंटन राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से मिली मांग के आधार पर किया जाता है। इसके अलावा, कुछ लक्ष्य हासिल करने पर राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को धनराशि जारी की जाती है।
तमिल नाडु से प्राप्त मांग के आधार पर, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस योजना के तहत अब तक 31.51 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।
राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशवार आवंटित सौर पंप और अब तक इनके लगाए जाने का विवरण नीचे दिया गया है।
पीएम-कुसुम के तहत प्रगति (31.10.2023 तक)
क्र. सं. | राज्य | घटक-ए (मेगावाट) | घटक-बी (संख्या) | घटक-सी (संख्या) | ||||
स्वीकृत | स्थापित | स्वीकृत | स्थापित | स्वीकृत (आईपीएस) | स्वीकृत (एफएलएस) | स्थापित | ||
1 | अरुणाचल प्रदेश | 2 | 0 | 400 | 199 | 0 | 0 | 0 |
2 | असम | 10 | 0 | 4000 | 0 | 1000 | 0 | 0 |
3 | छत्तीसगढ | 30 | 0 | 0 | 0 | 0 | 330500 | 0 |
4 | बिहार | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 160000 | 0 |
5 | गुजरात | 500 | 0 | 8082 | 2459 | 2000 | 425500 | 0 |
6 | गोवा | 150 | 0 | 200 | 0 | 0 | 11000 | 700 |
7 | हरियाणा | 85 | 2.25 | 252655 | 64919 | 0 | 65079 | 0 |
8 | हिमाचल प्रदेश | 100 | 22.45 | 1580 | 501 | 0 | 0 | 0 |
9 | जम्मू एवं कश्मीर | 20 | 0 | 5000 | 838 | 4000 | 0 | 0 |
10 | झारखंड | 20 | 0 | 36717 | 12985 | 1000 | 0 | 0 |
11 | कर्नाटक | 0 | 0 | 10314 | 314 | 0 | 337000 | 0 |
12 | केरल | 40 | 0 | 100 | 8 | 45100 | 25387 | 2417 |
13 | लद्दाख | 0 | 0 | 2000 | 0 | 0 | 0 | 0 |
14 | मध्य प्रदेश | 600 | 11 | 17000 | 7134 | 0 | 595000 | 0 |
15 | महाराष्ट्र | 700 | 2 | 225000 | 71958 | 0 | 275000 | 0 |
16 | मणिपुर | 0 | 0 | 150 | 78 | 0 | 0 | 0 |
17 | मेघालय | 0 | 0 | 2535 | 54 | 0 | 0 | 0 |
18 | मिजोरम | 0 | 0 | 1700 | 0 | 0 | 0 | 0 |
19 | नगालैंड | 5 | 0 | 265 | 0 | 0 | 0 | 0 |
20 | ओडिशा | 500 | 0 | 5741 | 1411 | 40000 | 10000 | 0 |
21 | पुदुचेरी | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
22 | पंजाब | 220 | 0 | 78000 | 12952 | 186 | 100000 | 0 |
23 | राजस्थान | 1200 | 102.5 | 198884 | 59732 | 1144 | 200000 | 1375 |
24 | तमिल नाडु | 424 | 0 | 7200 | 3187 | 0 | 0 | 0 |
25 | तेलंगाना | 0 | 0 | 400 | 0 | 0 | 8000 | 0 |
26 | त्रिपुरा | 5 | 0 | 8021 | 2117 | 2600 | 0 | 50 |
27 | उत्तर प्रदेश | 155 | 0 | 66842 | 31752 | 2000 | 370000 | 0 |
28 | उत्तराखंड | 0 | 0 | 3685 | 318 | 200 | 0 | 0 |
29 | पश्चिम बंगाल | 0 | 0 | 10000 | 0 | 23700 | 0 | 20 |
कुल | 4766 | 140.2 | 946471 | 272916 | 122930 | 2912466 | 4562 |
पीएम कुसुम के लक्ष्यों को समय पर हासिल करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए नए कदमों सहित प्रमुख पहलों में शामिल हैं:
- पीएम-कुसुम योजना को 31.03.2026 तक बढ़ा दिया गया है।
- केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) उत्तर-पूर्वी राज्यों, पहाड़ी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों और द्वीप केंद्र शासित प्रदेशों के व्यक्तिगत किसानों और सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में उच्च जल स्तर वाले क्षेत्रों में क्लस्टर/ सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े प्रत्येक किसान के लिए 15 एचपी (7.5 एचपी से बढ़ाकर) तक की पंप क्षमता के लिए उपलब्ध है।
- किसानों को कम लागत पर वित्तपोषण की उपलब्धता के लिए बैंकों/ वित्तीय संस्थानों के साथ बैठकें।
- स्टैंडअलोन सौर पंपों की खरीद के लिए राज्य स्तरीय निविदा की अनुमति।
- कार्यान्वयन के लिए समयसीमा प्रारंभिक मंजूरी की तारीख से 24 महीने तक के लिए बढ़ा दी गई है।
- घटक-ए और घटक-सी (फीडर लेवल सौरीकरण) के तहत प्रदर्शन आधारित बैंक गारंटी की आवश्यकता में छूट दी गई।
- योजना के तहत लाभ में बढ़ोतरी में तेजी लाने के लिए इंस्टॉलर आधार को बढ़ाने के लिए निविदा की शर्तों को संशोधित किया गया है।
- किसानों को सब्सिडी वाले ऋण प्रदान करने के लिए कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) के तहत शामिल योजना के तहत पंपों का सौरीकरण।
- वित्त तक पहुंच को आसान बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) दिशानिर्देशों के तहत इस योजना को शामिल किया गया है।
- स्थापना में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए सौर पंपों की विशिष्टताओं और परीक्षण प्रक्रिया को समय-समय पर संशोधित किया गया है।
- योजना की निगरानी के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर वेब-पोर्टल विकसित किए गए हैं।
- सीपीएसयू के माध्यम के साथ-साथ अन्य तरीकों से प्रचार और जागरूकता पैदा करना।
- योजना के बारे में जानकारी प्राप्त करने में आसानी के लिए टोल फ्री नंबर उपलब्ध कराया गया है।
- कार्यान्वयन के दौरान सीखे गए सबकों के आधार पर योजना की प्रगति और स्पष्टीकरण और संशोधन जारी किए जाने की नियमित निगरानी करना।
- योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के लिए प्रगति और प्राप्त लक्ष्यों के आधार पर विस्तार दिया गया।
- घटक ‘सी’ में भूमि एकत्रीकरण (समूहन) प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए योजना के दिशानिर्देशों को 12.07.2023 को संशोधित किया गया है।
- मंत्रालय ने सितंबर, 2023 के दौरान घटक ‘बी’ के तहत बेंचमार्क लागत जारी की है।
- दिनांक 20.11.2023 के कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से अनिवार्य राज्य हिस्सेदारी प्रावधान को हटाने के साथ योजना में संशोधन किया गया है।
- घटक ‘सी’ के तहत डीसीआर सामग्री की छूट दिनांक 11.09.2023 के कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से 31.03.2024 तक बढ़ा दी गई है।
- डीओई ने दिनांक 06.09.2023 के कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से कम्पोजिट ‘बी’ और ‘सी’ के तहत लक्ष्य को 35 लाख से बढ़ाकर 49 लाख करने की मंजूरी दी।
यह जानकारी केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने आज 12 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।
छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी में आयोजित अंतरमहाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता 2023 में क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के आयुष बर्धंन ने जीता स्वर्ण एवं रजत पदक
भारतीय स्वरूप संवाददाता, सी. एस. जे. एम यूनिवर्सिटी में अंतरमहाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता 2023 का आयोजन किया गया जिसमे क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के छात्र एवं छात्राओं ने भाग लिया. जिसमे शॉट पुट एवं जेवेलीन थ्रो( पुरुष) वर्ग में आयुष बर्धंन ने स्वर्ण एवं रजत पदक प्राप्त किया , 100 मीटर महिला स्पर्धा मे क्राइस्ट चर्च कॉलेज की शैली ने रजत पदक, एवं ज़ोया ने कांस्य पदक प्राप्त किया, 200 मीटर स्पर्धा में ज़ोया ने रजत पदक एवं अलीशा ने कांस्य पदक प्राप्त किया। 100×4 रिले रेस मे क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज ने कांस्य पदक प्राप्त किया।
क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के प्राचार्य एवं मुख्य संरक्षक प्रो. जोज़ेफ डेनियल ने सभी विजेताओं को कॉलेज में बुलाकर विजेताओं का स्वागत किया। उक्त अवसर पर कॉलेज के शारीरिक शिक्षा शिक्षक डॉ आशीष कुमार दुबे, प्रो. सत्य प्रकाश सिंह, डॉ हिमांशु , एवं एथलेटिक्स कोच डोंडियाल जी उपस्थित रहे। सभी ने विजेताओं को बधाई देकर उनका स्वागत किया।
मरीजों और डॉक्टरों नर्सों के अनुपात पर ताज़ा जानकारी
सरकार ने देश में डॉक्टरों की उपलब्धता को और बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें ये कदम शामिल हैं:
- जिला / रेफरल अस्पताल को अपग्रेड करके नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना, जिसके अंतर्गत अनुमोदित 157 नए मेडिकल कॉलेजों में से 108 कॉलेज शुरू हो चुके हैं।
- एमबीबीएस और पीजी सीटें बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार / केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों के सुदृढ़ीकरण / उन्नयन के लिए केंद्र प्रायोजित योजना।
- प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) की “सुपर स्पेशलिटी ब्लॉकों के निर्माण द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन” की योजना के अंतर्गत कुल 75 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 64 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
- नए एम्स की स्थापना के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत 22 एम्स को मंजूरी दी गई है। इनमें से 19 में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो गए हैं।
- मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए संकाय, कर्मचारियों, बिस्तरों की संख्या और अन्य बुनियादी ढांचे की ज़रूरत के संदर्भ में मानकों में छूट।
- संकाय की कमी को पूरा करने के लिए संकाय के रूप में नियुक्ति के लिए डीएनबी योग्यता को मान्यता दी गई है।
- मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों / डीन / प्रिंसिपल / निदेशक के पदों पर नियुक्ति / विस्तार / पुनर्रोजगार के लिए आयु सीमा को 70 वर्ष तक बढ़ाया गया।
सरकार ने देश में नर्सों की संख्या बढ़ाने के लिए भी निम्नांकित कदम उठाए हैं:
- “मौजूदा जिला / रेफरल अस्पताल से जुड़े नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना” के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के अंतर्गत 2014 से 157 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। 2023-24 के बजट भाषण में इन मेडिकल कॉलेजों में 157 नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना की घोषणा की गई है।
- नर्सिंग शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए छात्र रोगी अनुपात को 1:5 से घटाकर 1:3 कर दिया गया है।
- नर्सिंग शिक्षण संस्थानों के लिए छात्रावास सहित नर्सिंग स्कूल / कॉलेज के लिए 54,000 वर्ग फुट की इमारत बनाने के लिए 3 एकड़ भूमि की आवश्यकता में छूट दी गई है।
- जीएनएम और बीएससी (नर्सिंग) कार्यक्रम शुरू करने के लिए 2013-2014 से 100 बिस्तरों वाला मूल अस्पताल आवश्यक है। हालांकि, पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों के लिए इसमें छूट दी गई है।
- बीएससी (एन) कार्यक्रम शुरू करने के लिए शिक्षण संकाय को मानदंडों में ढील दी गई।
- बीएससी (एन) / जीएनएम कार्यक्रमों के लिए उन संस्थानों को अधिकतम 100 सीटें दी जाएंगी, जिनके पास 300 बिस्तरों वाला मूल अस्पताल है और मेडिकल कॉलेज का आग्रह नहीं रखा जाएगा।
- स्कूल से अस्पताल की दूरी में छूट दी गई है।
- नर्सिंग कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड में ढील दी गई।
जैसा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा सूचित किया गया है – जून, 2022 तक राज्य चिकित्सा परिषदों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) में 13,08,009 एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं। पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की 80% और आयुष डॉक्टरों की 5.65 लाख की उपलब्धता मानते हुए देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:834 का है। इसके अलावा, दिसंबर, 2022 तक देश में 36.14 लाख नर्सिंग कर्मी थे। नर्सिंग कर्मियों की 80% उपलब्धता मानते हुए नर्स-जनसंख्या अनुपात 1:476 का है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
अनुलग्नक- I
जून, 2022 तक मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता रखने वाले और राज्य चिकित्सा परिषदों / पूर्ववर्ती भारतीय चिकित्सा परिषद / राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के यहां पंजीकृत डॉक्टरों की राज्य / केंद्र शासित प्रदेश वार सूची
क्र. सं. | राज्य चिकित्सा परिषद का नाम | एलोपैथिक डॉक्टरों की कुल संख्या |
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आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 105799 |
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अरुणाचल प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 1461 |
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असम मेडिकल काउंसिल | 25561 |
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बिहार मेडिकल काउंसिल | 48192 |
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छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल | 10020 |
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दिल्ली मेडिकल काउंसिल | 30817 |
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गोवा मेडिकल काउंसिल | 4035 |
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गुजरात मेडिकल काउंसिल | 72406 |
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हरियाणा मेडिकल काउंसिल | 15687 |
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हिमाचल प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 5038 |
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जम्मू और कश्मीर मेडिकल काउंसिल | 17574 |
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झारखंड मेडिकल काउंसिल | 7374 |
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कर्नाटक मेडिकल काउंसिल | 134426 |
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मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 42596 |
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महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल | 188545 |
|
भारतीय पूर्व चिकित्सा परिषद | 52669 |
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मिजोरम मेडिकल काउंसिल | 156 |
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नागालैंड मेडिकल काउंसिल | 141 |
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उड़ीसा काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन | 26924 |
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पंजाब मेडिकल काउंसिल | 51689 |
|
राजस्थान मेडिकल काउंसिल | 48232 |
|
सिक्किम मेडिकल काउंसिल | 1501 |
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तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल | 148217 |
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त्रावणकोर मेडिकल काउंसिल | 72999 |
|
उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल | 89287 |
|
उत्तरांचल मेडिकल काउंसिल | 10243 |
|
पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल | 78740 |
|
त्रिपुरा मेडिकल काउंसिल | 2681 |
|
तेलंगाना मेडिकल काउंसिल | 14999 |
कुल योग | 1308009 |
स्रोत: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग
टिप्पणी:- तत्कालीन एमसीआई ने 2015 से रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया था।
अनुलग्नक-I
31.12.2022 तक प्रशिक्षित नर्सों की राज्य / केंद्र शासित प्रदेश वार संख्या
क्र.सं. | राज्य | एएनएम | आरएन और आरएम |
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आंध्र प्रदेश | 140072 | 273430 |
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अरुणाचल प्रदेश | 8147 | 9070 |
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असम | 30174 | 28599 |
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बिहार | 19499 | 26421 |
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छत्तीसगढ़ | 15213 | 35052 |
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दिल्ली | 5404 | 85001 |
|
गोवा | 424 | 1546 |
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गुजरात | 57731 | 151108 |
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हरियाणा | 31989 | 41518 |
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हिमाचल प्रदेश | 12007 | 26611 |
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झारखंड | 10900 | 6773 |
|
कर्नाटक | 54039 | 231643 |
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केरल | 31646 | 329492 |
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मध्य प्रदेश | 39563 | 118793 |
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महाराष्ट्र | 86426 | 162205 |
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मेघालय | 2339 | 10626 |
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मणिपुर | 4361 | 12136 |
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मिजोरम | 2570 | 5282 |
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ओडिशा | 75137 | 91157 |
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पंजाब | 23029 | 76680 |
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राजस्थान | 110443 | 209554 |
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तमिलनाडु | 64012 | 348538 |
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त्रिपुरा | 2954 | 8699 |
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उत्तर प्रदेश | 75671 | 111860 |
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उत्तराखंड | 9779 | 16947 |
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पश्चिम बंगाल | 69709 | 76318 |
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तेलंगाना | 10219 | 53314 |
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सिक्किम | 236 | 2508 |
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नागालैंड | 1477 | 1536 |
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जम्मू और कश्मीर | 5264 | 3999 |
स्रोत: संबंधित राज्य नर्स पंजीकरण परिषद
एएनएम: सहायक नर्स मिडवाइफ
आरएन और आरएम: पंजीकृत नर्स और पंजीकृत मिडवाइफ
भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक सहयोग दोनों देशों को हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक-दूसरे की क्षमताओं का लाभ उठाने में मदद कर सकता है: केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री
यह रणनीतिक सहयोग दोनों देशों के लिए फायदेमंद होने की उम्मीद है, क्योंकि वे अपने-अपने देशों के भीतर ग्रीन हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक-दूसरे की क्षमताओं का लाभ उठा सकते हैं।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 4 जनवरी 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को वित्तीय वर्ष 2023-24 से वित्तीय वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ के परिव्यय के साथ कार्यान्वित कर रहा है। 2022-23 के लिए संशोधित अनुमान. 1,00,000 रुपये था। वित्त वर्ष 2022-23 में कोई खर्च नहीं हुआ। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मिशन का व्यय अनुमान 100 करोड़ रुपए था जिसमें से अब तक 11 लाख रुपये का व्यय किया गया।
मिशन का व्यापक उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके यौगिकों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है।
2030 तक मिशन के अपेक्षित परिणाम इस प्रकार हैं:
• भारत की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष 5 एमएमटी तक पहुंचने की संभावना है, जिससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता में कमी आएगी। मिशन लक्ष्यों की प्राप्ति से 2030 तक संचयी रूप से 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के जीवाश्म ईंधन आयात में कमी आने की उम्मीद है।
• इससे कुल निवेश में 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लाभ होने और 6 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।
• ग्रीन हाइड्रोजन की लक्षित मात्रा के उत्पादन और उपयोग के कारण प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन में निम्न-कार्बन स्टील, आवागमन, शिपिंग और बंदरगाहों के लिए पायलट परियोजनाओं का समर्थन करने का प्रावधान है।
मिशन विशिष्ट चयनित परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए मिशन के विभिन्न उप-घटकों जैसे साइट, पायलट प्रोजेक्ट, आर एंड डी आदि के लिए आवंटन प्रदान करता है। मिशन के तहत कोई राज्य-वार आवंटन नहीं किया गया है।
मिशन के तहत विभिन्न वित्तीय और गैर-वित्तीय उपायों की घोषणा की गई है, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित भी शामिल हैं:
1. निर्यात और घरेलू उपयोग के माध्यम से मांग को बढ़ाना;
2. हरित हाइड्रोजन अंतरण (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक उपाय, जिसमें इलेक्ट्रोलाइज़र के निर्माण और हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन शामिल है;
3. हरित इस्पात, आवागमन, शिपिंग, विकेन्द्रीकृत ऊर्जा अनुप्रयोगों, बायोमास से हाइड्रोजन उत्पादन, हाइड्रोजन भंडारण, आदि के लिए पायलट परियोजनाएं;
4. हरित हाइड्रोजन हब का विकास;
5. बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सहयोग;
6. विनियमों और मानकों का एक मजबूत ढांचा स्थापित करना;
7. अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम;
8. कौशल विकास कार्यक्रम; और
9. जन जागरूकता एवं आउटरीच कार्यक्रम।
इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन और इसके यौगिकों के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित प्रावधानों की घोषणा की गई है:
• 31 दिसंबर 2030 से पहले शुरू की गई परियोजनाओं के लिए हरित हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के उत्पादकों को 25 साल की अवधि के लिए अंतर-राज्य ट्रांसमिशन शुल्क की छूट दी गई है।
• जून 2022 में अधिसूचित विद्युत (हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना) नियम, 2022 में हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति की सुविधा के प्रावधान शामिल हैं।
• पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिनांक 28 जुलाई 2023 की अधिसूचना के माध्यम से ग्रीन अमोनिया संयंत्रों को पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 के तहत पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी से छूट दे दी है।
ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांज़िशन (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक उपाय, 17,490 करोड़ के परिव्यय के साथ एक प्रमुख वित्तीय उपाय है। इस कार्यक्रम में इलेक्ट्रोलाइज़र के घरेलू विनिर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का समर्थन करने के लिए दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र शामिल हैं।
ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन (एसआईजीएचटी) योजना (मोड-1-ट्रेंच-I) के लिए रणनीतिक उपाय के तहत भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए 450,000 टन की उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादकों के चयन के लिए, रिक्वेस्ट फॉर सेलेक्शन (आरएफएस) जारी किया गया है।
हरित हाइड्रोजन अंतरण (एसआईजीएचटी) योजना (मोड-1-ट्रेंच-I) के लिए रणनीतिक उपाय के तहत भारत में 1.5 जीडब्ल्यू वार्षिक इलेक्ट्रोलाइजर उत्पादन क्षमता के लिए इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माताओं (ईएम) के चयन के लिए रिक्वेस्ट फॉर सेलेक्शन (आरएफएस) जारी कर दिया गया है
प्रमुख चुनौतियों में ग्रे हाइड्रोजन की तुलना में हरित हाइड्रोजन की लागत में अंतर, भंडारण और परिवहन की उच्च लागत, स्थापित आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमी, परीक्षण बुनियादी ढांचे की कमी आदि शामिल हैं।
हालाँकि, भारत के पास निम्नलिखित फायदे हैं जिनसे भारतीय उत्पादकों द्वारा प्रतिस्पर्धी दरों पर हरित हाइड्रोजन का उत्पादन संभव होने की उम्मीद है:
I. प्रतिस्पर्धी आरई टैरिफ, दुनिया में सबसे कम में से एक;
II. एकल एकीकृत ग्रिड जो आरई समृद्ध क्षेत्रों से उत्पादन स्थल तक आरई बिजली के हस्तांतरण को सक्षम बनाता है, जिससे ग्रीन हाइड्रोजन की परिवहन और भंडारण लागत कम हो जाती है।
यूरोपीय संघ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान जैसे दुनिया भर के कई देशों/क्षेत्रों ने ग्रीन/क्लीन हाइड्रोजन और इसके यौगिकों का आयात करने के लिए अपनी नई रणनीतियों की घोषणा की है, जिससे भारतीय उत्पादकों के लिए एक अवसर प्रदान किया गया है।
यह जानकारी केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा तथा ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने आज, 12 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा में तीन अलग-अलग प्रश्नों के लिखित उत्तर में दी।
उड़ान योजना के अंतर्गत 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रम सहित 76 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 517 हवाई मार्ग शुरू किए गए
इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जा रही रियायतें निम्नानुसार हैं:
हवाईअड्डा ऑपरेटर:
- हवाईअड्डा ऑपरेटर आरसीएस उड़ानों पर लैंडिंग और पार्किंग कर न लगाएं।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण आरसीएस उड़ानों पर कोई टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) नहीं लगाएं।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा रूट नेविगेशन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) आरसीएस उड़ानों पर सामान्य दरों के 42.50% पर रियायती आधार पर लगाया जाए।
- चयनित एयरलाइन प्रचालकों (एसएओ) ने सभी हवाईअड्डों पर इस योजना के अंतर्गत ऑपरेटरों को स्व-ग्राउंड हैंडलिंग की अनुमति दी है।
केंद्र सरकार:
- इस योजना की अधिसूचना जारी होने की तारीख से तीन वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए आरसीएस हवाईअड्डों से एसएओ द्वारा खरीदे गए हवाई र्इंधन (एटीएफ) पर 2% की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा।
- एसएओ को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइंस दोनों के साथ कोड साझाकरण व्यवस्था में प्रवेश करने की स्वतंत्रता है।
राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के आरसीएस हवाई अड्डों पर:
- राज्यों में स्थित आरसीएस हवाईअड्डों पर एटीएफ पर वैट को 10 वर्षों की अवधि के लिए घटाकर 1 प्रतिशत या उससे कम करना।
- आरसीएस हवाई अड्डों के विकास के लिए अगर आवश्यक हो, तो न्यूनतम भूमि को निशुल्क और बाधाओं से मुक्त करना एवं आवश्यकतानुसार मल्टी-मॉडल भीतरी इलाकों को संपर्क प्रदान करना।
- आरसीएस हवाई अड्डों पर सुरक्षा और अग्निशमन सेवाएं मुफ्त प्रदान करना।
- आरसीएस हवाई अड्डों पर रियायती दरों पर बिजली, पानी और अन्य उपयोगिता सेवाएं प्रदान करना या उपलब्ध कराना।
इस योजना से अब तक 1.3 करोड़ से ज्यादा यात्री लाभान्वित हुए हैं।
यह जानकारी नागर विमानन राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
संस्कृति मंत्रालय ने मेरा गांव मेरी धरोहर परियोजना लांच की
- कला और शिल्प गांव
- पर्यावरणीय दृष्टि से उन्मुख गांव
- भारत की पाठ्य और शास्त्र सम्मत परंपराओं से जुड़ा शैक्षिक गांव
- रामायण, महाभारत और/या पौराणिक किंवदंतियों और मौखिक महाकाव्यों से जुड़ा महाकाव्य गांव
- स्थानीय और राष्ट्रीय इतिहास से जुड़ा ऐतिहासिक गांव
- वास्तुकला विरासत गांव
कोई अन्य विशेषता जिसे उजागर करने की आवश्यकता हो सकती है जैसे मछली पकड़ने का गांव, बागवानी गांव, चरवाहा गांव आदि।
यह जानकारी आज राज्यसभा मेंकेन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने दी।
राष्ट्रपति ने लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की आपाधापी ने मानवता को नुकसान पहुंचाया है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गड़बड़ी उसी का परिणाम है। आज पूरा विश्व इस चुनौती से जूझ रहा है। लाभ अधिक से अधिक बढ़ाने की अवधारणा पश्चिमी संस्कृति का एक हिस्सा हो सकती है लेकिन भारतीय संस्कृति में इसे प्राथमिकता नहीं दी गई है। लेकिन भारतीय संस्कृति में उद्यमिता का स्थान प्रमुख है।
राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि हमारे युवा स्वरोजगार की संस्कृति को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। भारत विश्व के सर्वश्रेष्ठ यूनिकॉर्न हब में शामिल है। यह हमारे देश के युवाओं के तकनीकी ज्ञान के अतिरिक्त उनके प्रबंधन कौशल और व्यावसायिक नेतृत्व का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा विश्व की अग्रणी तकनीकी कंपनियों का नेतृत्व भी कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें प्रबंधन शिक्षण संस्थानों की शिक्षा प्रणाली में कुछ परिवर्तन लाने होंगे ताकि देश का अधिक प्रभावी और समावेशी विकास हो सके। उन्होंने प्रबंधकों, शिक्षाविदों और संगठनात्मक प्रमुखों से भारतीय प्रबंधन अध्ययन को भारतीय कंपनियों, उपभोक्ताओं और समाज से जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विदेश स्थित व्यवसायों पर केस स्टडी और लेखों के बजाय भारत स्थित भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर केस स्टडी लिखी और सिखाई जानी चाहिए। हमारे प्रबंधन संस्थानों को अपने शोध का फोकस भी भारत की पत्रिकाओं पर करना चाहिए। उन भारतीय पत्रिकाओं पर विशेष फोकस किया जाना चाहिए जो ओपन एक्सेस डोमेन में हैं और जो देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ने वाले सभी श्रेणी के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए सुलभ हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हाल में उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग से जिस तरह 41 श्रमिकों को निकाला गया है, उसकी न केवल सराहना हो रही है, बल्कि इस पर नेतृत्व अध्ययन की भी बात की जा रही है। यह एक बहुत अच्छा और जीवंत विषय है, विशेषकर संकट में नेतृत्व और टीमवर्क के लिए।
राष्ट्रपति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में कहा कि अनेक लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने के बारे में भी चिंतित हैं। उन्होंने आग्रह किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सभी पक्षों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जानता है और इसका सही इस्तेमाल करता है उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने का भय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईएम लखनऊ जैसे संस्थानों को भी अमृत काल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम बनाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में गरबा नृत्य को शामिल किए जाने की सराहना की
प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया;
“गरबा जीवन, एकता और हमारी गहन परंपराओं का उत्सव है। यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में इसका शिलालेख विश्व के समक्ष भारतीय संस्कृति के सौंदर्य को दर्शाता है। यह सम्मान हमें भावी पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए बधाई वैश्विक स्वीकृति।”