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रोजगार मेले में नव-नियुक्त युवाओं को मिला नियुक्ति-पत्र, अभिभूत युवाओं ने प्रधानमंत्री को दिया धन्यवाद

वाराणसी सहित देश के 46 स्थानों पर आयोजित हुआ रोजगार मेलाप्रधानमंत्री ने प्रदान किये  51 हजार से ज्यादा नियुक्ति-पत्र

प्रधानमंत्री मोदी ने 26 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये वाराणसी सहित देश के 46 स्थानों पर आयोजित रोजगार मेले में सरकारी विभागों में नव-नियुक्तों को 51 हजार से अधिक नियुक्ति-पत्र प्रदान किये। इस कड़ी में डाक विभाग के तत्त्वावधान में वाराणसी में बीएचयू स्थित शताब्दी प्रेक्षागृह में रोज़गार मेले का शुभारंभ केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने रोहनिया विधायक डॉ. सुनील पटेल, वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव, आईआईटी बीएचयू के रजिस्ट्रार राजन श्रीवास्तव संग दीप प्रज्वलन कर किया। डाक विभाग के साथ-साथ भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग, आईआईटी, केंद्रीय विद्यालय, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ़ इण्डिया इत्यादि के नव-नियुक्त युवा अभ्यर्थी यहाँ शामिल हुए, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित किया। केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने नव नियुक्त अभ्यर्थियों को नियुक्ति-पत्र सौंप कर उनके सुखद भविष्य की कामना की। वाराणसी में समारोह के दौरान 213 नवनियुक्त अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये गए, जिनमें कुल 49 महिला अभ्यर्थी हैं। इनमें केंद्रीय विद्यालयों में प्रधानाचार्य, डाक विभाग में पोस्टल असिस्टेंट, ब्रांच पोस्टमास्टर,असिस्टेंट ब्रांच पोस्टमास्टर, बैंक क्लर्क, एमटीएस, भारतीय खाद्य निगम में असिस्टेंट जैसे तमाम पदों पर चयनित नव नियुक्त अभ्यर्थियों ने प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त कर अपनी ख़ुशी जाहिर की।

वाराणसी में आयोजित रोज़गार मेले में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यह रोज़गार मेला माननीय प्रधान मंत्री जी की रोज़गार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और बेरोजगार युवाओं के लिए आगे रोज़गार सृजन के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने की प्रतिबद्धता की दिशा में एक कदम है। दिसंबर 2023 तक 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का प्रधानमंत्री जी का संकल्प पूरा किया जायेगा। यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में देश नित् नई ऊँचाइयाँ छू रहा है और युवाओं को त्वरित गति और पारदर्शिता के साथ रोजगार के तमाम अवसर प्राप्त हो रहे हैं, जिन्हें विभिन्न सरकारी विभागों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करने और राष्ट्रीय विकास में भागीदार बनने का अवसर मिलता है। नारी सशक्तिकरण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नारी आज हर क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही है। रोज़गार मेला के माध्यम से तमाम महिलाओं को भी नए अवसर मिले हैं।

वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज़ादी के अमृत काल में माननीय प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शी सोच और प्रेरणा से इस रोज़गार मेले के अवसर पर प्राप्त होने वाला नियुक्ति पत्र सिर्फ एक कागज या दस्तावेज मात्र नहीं है, बल्कि जीवन भर देश की सेवा करने का संकल्प लेने का एक सुनहरा अवसर है। देश के भविष्य के रूप में लोगों को युवाओं से काफी आशाएं हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये नव-नियुक्तों को देश में चल रहे विकास के महायज्ञ और बड़े परिवर्तनों में सीधी भूमिका का आह्वान करते हुए अगले 25 वर्षों में अपने दायित्वों को पूरा करने के साथ-साथ विकसित भारत के संकल्पों को भी साकार करने पर जोर दिया। केंद्र सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी आप सभी नव-नियुक्त सरकारी कर्मचारियों पर है। जब आप जैसे लाखों युवा सरकारी सेवाओं से जुड़ते हैं तो नीतियों को लागू करने की स्पीड और स्केल भी बढ़ जाती है। इससे सरकार के बाहर भी रोजगार के अवसर तैयार होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी को देश की विकास यात्रा में सरकार के साथ सीधे जुड़कर काम करने का अवसर मिला है। मेरा आपसे आग्रह है कि इस यात्रा में आप सीखते रहने की अपनी आदत को बनाए रखिए। ऑनलाइन लर्निंग पोर्टल ‘आईगॉट कर्मयोगी’ के द्वारा आप अपनी पसंद के कोर्सेज से जुड़ सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत की बेटियां स्पेस से स्पोर्ट्स तक नए कीर्तिमान बना रही हैं। मुझे नारी शक्ति की इस सफलता पर बहुत गौरव होता है। सरकार की नीति भी यही है कि नारी शक्ति के लिए नए-नए द्वार खोले जाएं। हम सभी का अनुभव है कि नारी शक्ति ने हमेशा नई ऊर्जा के साथ हर क्षेत्र में बदलाव किया है। पिछले 9 वर्षों में हमारी नीतियों ने बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल करने का रास्ता तैयार किया है। खुद मैं भी प्रगति प्लेटफॉर्म के द्वारा प्रोजेक्ट्स की प्रगति  पर नजर रखता हूं। मुझे खुशी है कि आज आप भी सरकारी कर्मचारियों की टीम इण्डिया का हिस्सा बनने जा रहे हैं। आजादी के अमृतकाल में अगले 25 साल जितने अहम हैं, उतना ही आपका अगले 25 साल का करियर अहम है। आपको टीम वर्क को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी है।

कार्यक्रम के दौरान प्रवर डाक अधीक्षक राजन, डाक अधीक्षक विनय कुमार, हेमंत कुमार, परमानन्द, पीके पाठक, सहायक निदेशक बृजेश शर्मा, आरके चौहान, मारुतनन्दन, प्लाबन नस्कर, दिलीप सिंह, श्रीकांत पाल, दिलीप पांडेय, संतोषी राय सहित विभिन्न केंद्रीय विभागों के अधिकारी-कर्मचारी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए।

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हिमालयी क्षेत्र में अभिनव कोल्ड चेन कॉन्क्लेव: एनसीसीडी ने जम्मू-कश्मीर के आर्थिक वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया

सहयोगात्मक प्रयासों के उल्लेखनीय प्रदर्शन में, नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट (एनसीसीडी) के नेतृत्व में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने  देश भर में कोल्ड चेन हितधारकों को संवेदनशील बनाने के लिए अपना समर्पित मिशन जारी रखा है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आयोजित उनके हालिया प्रयास, इंडिया कोल्ड चेन कॉन्क्लेव की शानदार सफलता, उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

मुख्य सचिव, डॉ. अरुण कुमार मेहता और राज्यपाल के सलाहकार श्री राजीव राय भटनागर सहित लगभग 400 प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन ने रचनात्मक संवाद और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। 20 सितम्बर को आयोजित हुए इस सम्मेलन में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव (बागवानी), श्री प्रिय रंजन; एनसीसीडी के सीओओ, श्री आशीष फोतेदार; बागवानी कश्मीर के निदेशक, श्री गुलाम रसूल; पीएचडीसीसीआई-कश्मीर के अध्यक्ष, एसकेयूएएसटी-के, कुलपति श्री गनई और कई अन्य संबंधित अधिकारी शामिल रहे।

मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता ने इस महत्वपूर्ण सम्मेलन को श्रीनगर में लाने के दृष्टिकोण की सराहना की और उत्पादकों को लाभान्वित करने के लिए घाटी में सीए स्टोर की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया।

केन्द्रीय संयुक्त सचिव श्री प्रिय रंजन ने हिमालयी क्षेत्र में सतत कोल्ड चेन विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने व्यापक दिशा-निर्देश स्थापित करने और व्यापक अध्ययन, जागरूकता अभियान और क्षमता निर्माण पहलों को निष्पादित करने में हुई प्रगति पर जोर दिया। ये ठोस प्रयास दुनिया में हमारे सामने आने वाली चुनौतियों को देखते हुए महत्वपूर्ण हैं जहां बढ़ती वैश्विक आबादी के कारण संसाधन खतरे में हैं,

जैसा कि हम चुनौतियों से भरे भविष्य के कगार पर खड़े हैं, पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक प्रगति को संतुलित करने की अनिवार्यता कभी अधिक स्पष्ट नहीं रही है। सतत विकास की दृष्टि गहराई से गूंजती है, जो प्रगति और हमारे बहुमूल्य पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए एक खाका पेश करती है।

तेजी से तकनीकी प्रगति और बढ़ी हुई उपभोक्ता अपेक्षाओं के इस युग में, कोल्ड चेन क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्यावरण के प्रति जागरूक और ऊर्जा-कुशल शीतलन समाधानों के साथ खराब होने वाली वस्तुओं की अखंडता को संरक्षित करना सर्वोपरि हो गया है। जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को दूर करने और हमारे पर्यावरण पर पारंपरिक रेफ्रिजरेंट के प्रभाव को कम करने की तात्कालिकता कभी अधिक तीव्र नहीं रही है। केन्द्रीय बागवानी संयुक्त सचिव श्री प्रिय रंजन ने टिकाऊ कोल्ड चेन के महत्व के बारे में बताया। प्रिय रंजन ने  कहा कि कैसे एनसीसीडी ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, जलवायु पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोल्ड चेन क्षेत्र के विकास को बढ़ावा दे रहा है।

राज्यपाल के सलाहकार  राजीव राय भटनागर ने इस आयोजन के महत्व को बताया और किसानों, उत्पादकों और सीए उद्यम को पूर्ण समर्थन दिया। एनसीसीडी के सीओओ आशीष फोतेदार ने कोल्ड चेन के विकास में एनसीसीडी द्वारा लगातार किए जा रहे कार्यों के बारे में बताते  हुये कहा कि घाटी में कोल्ड चेन के सतत विकास को पूरा करने के लिए एनसीसीडी द्वारा इस कार्यक्रम को डिजाइन किया गया और श्रीनगर लाया गया था, जिसमें पिछले छह से सात वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है।

 

केंद्रीय सचिव ने बागवानी निदेशक, एनसीसीडी के सीओओ के साथ पंपोर में आईआईकेएसटीसी का दौरा किया और किसानों के लाभ के लिए बनाए गए बुनियादी ढांचे को देखा और केसर क्षेत्र के समग्र विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।

संयुक्त सचिव श्री प्रिय रंजन ने एनसीसीडी के सीओओ श्री आशीष फोतेदार, निदेशक बागवानी श्री मीर के साथ आईजीसी-लस्सीपोरा का दौरा किया, जो किसानों के लाभ के लिए उठाए गए परिवर्तनकारी कदमों का गवाह बनने के लिए दक्षिण एशिया में आधुनिक सीए स्टोर का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।

मीर के प्रतिनिधित्व वाले बागवानी निदेशालय ने श्री प्रिय रंजन और श्री आशीष फोतेदार के साथ मिलकर 20 सितंबर 2023 को एसकेआईसीसी में संपन्न पहले इंडिया कोल्ड चेन कॉन्क्लेव – हिमालयन चैप्टर में उनके अमूल्य समर्थन के लिए जेकेपीआईसीसीए के प्रति आभार व्यक्त किया। श्री प्रिय रंजन ने घाटी में सतत कोल्ड चेन विकास के लिए उनके सामूहिक दृष्टिकोण की सराहना करते हुए इसे उज्जवल, पर्यावरण-जागरूक भविष्य के लिए आशा की किरण के रूप में देखा।

आशीष फोतेदार ने दोहराया कि एनसीसीडी – एसोसिएशन, कोल्ड चेन मालिकों, उत्पादकों और अन्य हितधारकों को अटूट समर्थन और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे क्षेत्र में कोल्ड चेन क्षेत्र का निरंतर विकास सुनिश्चित हो सके।

एनसीसीडी के सीओओ ने आश्वासन दिया कि एनसीसीडी जनता के बीच जागरूकता लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और इस उद्योग को अधिक ऊर्जा कुशल और जलवायु अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय किसानों, उत्पादकों और एनसीसीडी के दृष्टिकोण के लाभों को ध्यान में रखते हुए उचित समय पर इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।

जेकेपीआईसीसीए के अध्यक्ष श्री माजिद वफई, श्री इजान जावीद और घाटी के अन्य युवा उद्यमियों ने कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन लाने के लिए एनसीसीडी को धन्यवाद दिया। उन्होंने एनसीसीडी द्वारा इस सम्मेलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं, वित्तीय संस्थानों, ऊर्जा विशेषज्ञों आदि को कश्मीर लाने और सीए स्टोर्स घाटी के विकास को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर लाने के तरीके की भी सराहना की। जेकेपीआईसीसीए के अध्यक्ष ने स्थानीय किसानों, उत्पादकों, उद्यमों के लाभ के लिए कश्मीर में इस कार्यक्रम को एक वार्षिक कार्यक्रम बनाने का भी अनुरोध किया, जिससे कोल्ड चेन उद्योग पर होने वाले वैश्विक परिवर्तनों तक पहुंच हो। जेकेपीआईसीसीए ने एनसीसीडी से यह भी अनुरोध किया कि जेकेपीआईसीसीए घाटी में सबसे बड़े स्थानीय कोल्ड चेन उद्यम का प्रतिनिधित्व करता है और अगले कार्यक्रम को जेकेपीआईसीसीए द्वारा आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।एनसीसीडी के सीओओ ने आश्वासन दिया कि एनसीसीडी जनता के बीच जागरूकता लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और इस उद्योग को अधिक ऊर्जा कुशल और जलवायु अनुकूल बनाने के स्थानीय किसानों, उत्पादकों और एनसीसीडी के दृष्टिकोण के लाभों को ध्यान में रखते हुए उचित समय पर इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।

कॉन्क्लेव को प्रमुख भागीदारों से अमूल्य समर्थन मिला, जिसमें बागवानी, BEE और ISHRAE के जेकेपीआईसीसीए निदेशालय शामिल थे, जिनमें से सभी ने कार्यक्रम की शानदार सफलता में योगदान दिया। यह सामूहिक प्रयास भारत में सतत कोल्ड चेन विकास द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की बढ़ती मान्यता को रेखांकित करता है।

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केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नई दिल्ली के कर्तव्य पथ से पहली हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस को हरी झंडी दिखाई

प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कि हरित हाइड्रोजन न केवल हरित नौकरियों के माध्यम से हरित विकास का आधार बनेगा, बल्कि यह स्वच्छ ऊर्जा रूपातंरण की दिशा में दुनिया के लिए एक उदाहरण भी स्थापित करेगा, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी मामले मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा “दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने विद्युत गतिशीलता, गैस आधारित अर्थव्यवस्था और मिशन मोड पर ग्रीन हाइड्रोजन को ले जाने के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की घोषणा की।” श्री हरदीप सिंह पुरी ने यह कर्तव्य पथ, नई दिल्ली से पहली हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस को हरी झंडी दिखाने के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा। इस अवसर पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली; पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन; और इंडियन ऑयल के अध्यक्ष श्री एस एम वैद्य भी उपस्थित थे।

युवा स्कूली बच्चों, अधिकारियों और मीडियाकर्मियों की उपस्थिति में पहली हाइड्रोजन सेल बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने हाइड्रोजन की अवधारणा और इसे भविष्य के लिए ईंधन के रूप में उपयोग करने के लाभों के बारे में बताते हुए कहा, “ईंधन सेल हाइड्रोजन और वायु का उपयोग कर बस को चलाने के लिए बिजली उत्पन्न करता है और बस का एकमात्र उप-उत्पाद पानी है, इसलिए यह डीजल और पेट्रोल पर चलने वाली पारंपरिक बसों की तुलना में संभवतः परिवहन का सबसे पर्यावरण अनुकूल साधन है। तीन गुना ऊर्जा घनत्व और हानिकारक उत्सर्जन की अनुपस्थिति के साथ, हाइड्रोजन ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक स्वच्छ, अधिक कुशल विकल्प के रूप में उभरता है।” श्री पुरी ने कहा कि इसके अतिरिक्त, हाइड्रोजन सेल से संचालित बसों को पूरी तरह से चार्ज होने में कुछ मिनट लगते हैं।

स्वच्छ और हरित ऊर्जा पर सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के बारे में बोलते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हाइड्रोजन और जैव-ईंधन जैसे उभरते ईंधन अगले दो दशकों में वैश्विक वृद्धिशील ऊर्जा मांग वृद्धि का 25प्रतिशत  हिस्सा होंगे। उन्होंने कहा, “दुनिया के सबसे बड़े सिंक्रोनस ग्रिडों में से एक के साथ, हमने ‘वन नेशन-वन ग्रिड-वन फ़्रीक्वेंसी’ हासिल की है और जल्द ही हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात में वैश्विक विजेता होंगे और हरित हाइड्रोजन के केंद्र के रूप में उभरने के लिए तैयार हैं।”

भारत को एक वैश्विक मंच पर ले जाने और यह सुनिश्चित करने में कि यह स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के लिए एक वैश्विक केंद्र बन जाए और जल्द ही ऊर्जा में आत्मनिर्भरता हासिल कर पाए पर उद्योग और सरकार के सहयोग की सराहना करते हुए, पेट्रोलियम मंत्री ने कहा “हमें दुनिया के पहले बीएस 6 (स्टेज II) विद्युतीकृत फ्लेक्स फ्यूल वाहन प्रोटोटाइप जिसमें फ्लेक्स फ्यूल इंजन के साथ-साथ एक इलेक्ट्रिक पावरट्रेन भी शामिल है और जो बेहतर ईंधन दक्षता के साथ इथेनॉल का उच्च उपयोग प्रदान करता है, के लॉन्च की जानकारी थी। अब पहली दो हाइड्रोजन सेल बसों को हरी झंडी दिखाने के साथ हमने शुरुआत कर दी है और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक ऐसी 15 अन्य बसें दिल्ली एनसीआर की सड़कों पर चलेंगी।”

हरित हाइड्रोजन चालित बसों को देश में शहरी परिवहन के लिए गेम चेंजर के रूप में चिह्नित करते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने देश में ईंधन सेल और हाइड्रोजन के बुनियादी ढांचे से संबंधित स्वदेशी समाधानों के विकास के लिए टाटा मोटर्स के साथ इस सहयोगी दृष्टिकोण को अपनाने के लिए इंडियन ऑयल की सराहना की। श्री पुरी ने कहा, “इस परियोजना की सफलता भारत को जीवाश्म ऊर्जा के शुद्ध आयातक से स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा के शुद्ध निर्यातक बनने में मदद कर सकती है।”

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री रामेश्वर तेली ने कहा, “ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, जिसका उद्देश्य भारत में ग्रीन हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, एक विकासात्मक और प्रगतिशील पथ पर है। कार्बन-मुक्त अर्थव्यवस्था में के रूप में परिवर्तित होने में हाइड्रोजन एक प्रमुख खिलाड़ी होगा और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करेगा। आज का लॉन्च निश्चित रूप से स्वच्छ और हरित राष्ट्र बनने की भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।”

सभा को संबोधित करते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन ने कहा कि हम प्रौद्योगिकी और गतिशीलता के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। उन्होंने जोड़ा, “आज ग्रीन हाइड्रोजन बस को हरी झंडी दिखाना इस बात का प्रतीक है कि गतिशीलता कैसे बदल जाएगी और भारत पारंपरिक ईंधन से कैसे दूर हो जाएगा। हाइड्रोजन के क्षेत्र में इस क्रांतिकारी प्रयास के लिए इंडियन ऑयल को मेरी बधाई।” उन्होंने स्कूली बच्चों को नई हरित प्रौद्योगिकियों के बारे में जिज्ञासु होने और यह जानने के लिए प्रोत्साहित किया कि ये प्रौद्योगिकियां हमें आंतरिक दहन इंजन से कैसे दूर ले जाएंगी।

इससे पहले दिन में, गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, इंडियन ऑयल के अध्यक्ष श्री एस एम वैद्य ने कहा कि हाइड्रोजन, वर्ष 2070 तक नेट-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य में गेम चेंजर बनने के लिए तैयार है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण और आज हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल बसों को हरी झंडी दिखाना मोबिलिटी क्षेत्र को हरित बनाने के लिए स्थायी समाधान तैयार करने की दिशा में इंडियन ऑयल की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है। भारत सरकार और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सक्रिय समर्थन से, यह मील का पत्थर शून्य उत्सर्जन गतिशीलता की दिशा में देश की यात्रा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। इस कार्यक्रम के तहत, भारतीय परिचालन स्थितियों के तहत प्रदर्शन डेटा स्थापित करने के लिए दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में निर्दिष्ट मार्गों पर 15 ईंधन सेल बसें चलाई जाएंगी। संपूर्ण मूल्य श्रृंखला की प्रभावकारिता, दक्षता और स्थिरता स्थापित करने के लिए ये 15 बसें कुल 3 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेंगी।

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ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अरुणाचल प्रदेश के तेजू हवाई अड्डे पर नए बुनियादी ढांचे का उद्घाटन किया

नागर विमानन तथा इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज अरुणाचल प्रदेश में तेजू हवाई अड्डे के नव विकसित बुनियादी ढांचे का उद्घाटन किया।

तेजू हवाई अड्डा तेजू शहर में स्थित एक घरेलू हवाई अड्डा है, जो एकल रनवे के माध्यम से संचालित होता है। यह हवाई अड्डा 212 एकड़ भूमि पर विकसित किया गया है और एटीआर 72 प्रकार के विमानों के संचालन संबंधी दायित्वों को निभाने में सक्षम है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने राज्य सरकार के अनुरोध पर तेजू हवाई अड्डे को शुरू करने हेतु विकास एवं उन्नयन का कार्य किया। कुल 170 करोड़ रुपये की लागत वाले इन कार्यों में रनवे का विस्तार (1500 मीटरx30 मीटर) और, दो एटीआर 72 प्रकार के विमान के लिए नए एप्रन का निर्माण, एक नए टर्मिनल भवन एवं एक फायर स्टेशन सह एटीसी टॉवर का निर्माण शामिल है।

इस अवसर पर, केन्द्रीय नागर विमानन तथा इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री  मोदी के नेतृत्व में देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास को विशेष गति दी गई है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने उत्तर-पूर्व भारत को भारत का ‘हीरा’ बना दिया है, जिसका आशय हाईवे (राजमार्ग), इंटरनेट, रेलवे और विएशन (विमानन) से है। ये वैसे चार प्रमुख घटक हैं, जो इस क्षेत्र के समग्र एवं समावेशी विकास को संभव बना रहे हैं। इसके बाद उन्होंने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस)-उड़ान के बारे में बात की। इस योजना से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को काफी लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘उड़ान’ योजना के माध्यम से नागर विमानन क्षेत्र का लोकतांत्रीकरण किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘उड़ान’ के तहत 2.50 लाख से अधिक उड़ानों ने 1.37 करोड़ से अधिक लोगों को यात्रा करने में मदद की है।

उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में नागर विमानन क्षेत्र की स्थिति के बारे में बात की। वर्ष 2014 की स्थिति से तुलना करते हुए, उन्होंने कहा कि 2014 तक अरुणाचल प्रदेश में कोई हवाई अड्डा नहीं था और नौ वर्षों की अवधि में यहां चार नए हवाई अड्डे विकसित और शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि तेजू में निर्मित नया टर्मिनल भवन इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएगा तथा इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

केन्द्रीय मंत्री ने ‘उड़ान 5.0’ योजना के तहत ईटानगर से तीन सीधे हवाई मार्गों- ईटानगर से दिल्ली, ईटानगर से जोरहाट, और ईटानगर से रूपसी – की भी घोषणा की, जो शीघ्र ही शुरू हो जायेंगे।

तेजू हवाई अड्डे को नागरिक उड्डयन मंत्रालय की आरसीएस उड़ान योजना के तहत 2018 में चालू किया गया था। हवाई अड्डा वर्तमान में एलायंस एयर और फ्लाईबिग एयरलाइन द्वारा नियमित निर्धारित उड़ानों के माध्यम से डिब्रूगढ़, इंफाल और गुवाहाटी से जुड़ा हुआ है।

टर्मिनल भवन की मुख्य विशेषताएं

  • टर्मिनल क्षेत्र: 4000 वर्गमीटर
  • व्यस्त समय में सेवा क्षमता:             300 यात्री
  • चेक-इन काउंटर:       05 + (03 भविष्य में)
  • आगमन कैरसेल 02
  • विमान पार्किंग बे:       02 – एटीआर-72 प्रकार के विमान

स्थायित्व संबंधी विशेषताएं:

• डबल इंसुलेटेड छत प्रणाली

• ऊर्जा के मामले में किफायती एचवीएसी और प्रकाश व्यवस्था

• कम गर्मी बढ़ाने वाली ग्लेजिंग

• ईसीबीसी के अनुरूप उपकरण।

• ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली।

• फ्लशिंग और बागवानी उद्देश्यों के लिए शोधित पानी का पुन: उपयोग।

• वर्षा जल संचयन का टिकाऊ शहरी जल निकासी प्रणाली के साथ एकीकरण

• कुशल जल उपकरणों का उपयोग।

इस परियोजना के लाभ

• अधिक यातायात को संभालने के लिए हवाई अड्डे की क्षमता का विस्तार

• देश के बाकी हिस्सों के साथ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना

• पर्यटन, व्यापार और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना

• इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना

इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री चोउना मीन, अरुणाचल प्रदेश के पर्यटन एवं नागर विमानन मंत्री श्री नाकाप नालो, सांसद (राज्यसभा) श्री नबाम रेबिया, सांसद (लोकसभा)  तापिर गाओ और भारत सरकार के नागर विमान मंत्रालय में सचिव श्री वुमलुनमंग वुअलनाम उपस्थित थे।

तेजू लोहित नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा शहर है और यह अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिले का मुख्यालय है। यह शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां चारों ओर हरे-भरे जंगल और ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हैं।

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गोवा में भारत के पहले प्रकाश स्तंभ महोत्सव का आज शुभारंभ हुआ; प्रमुख पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किए जाने वाले 75 ऐतिहासिक स्थलों पर विशेष ध्यान

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 23 सितंबर 2023 को गोवा के पणजी में ऐतिहासिक किले अगौड़ा में ‘भारतीय प्रकाश स्तंभ उत्सव’ या भारतीय लाइटहाउस महोत्सव के पहले संस्करण का उद्घाटन किया।

इस महोत्सव का उद्देश्य भारत के 75 प्रतिष्ठित प्रकाशस्तंभों के समृद्ध समुद्री इतिहास को पुनर्जीवित करना और दुनिया के सामने उनकी शानदार गाथाओं को सामने लाना है। इस प्रकार के पहले आयोजन के प्रमुख स्थल, फोर्ट अगौड़ा में आयोजित बैठक में गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत; केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री,  श्रीपद नाइक और गोवा सरकार के पर्यटन मंत्री श्री रोहन खौंटे ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में राज्य और केंद्र, दोनों सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विधायक माइकल लोबो भी उपास्थित थे।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, “इस महोत्सव के शुभारंभ के साथ, हम इन प्रतिष्ठित स्थलों की समृद्ध विरासत को उजागर करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ समुद्र तटीय भारत में 75 प्रकाश स्तंभों में सदियों पुराने क्लासिक्स को फिर से जीवंत करने की प्रक्रिया और उन्हें दुनिया के सामने पेश करने के लिए सक्षम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमारा देश आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राष्ट्र निर्माण के इस पवित्र प्रयास में हम प्रतिष्ठित प्रकाश स्तंभों को शैक्षिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के प्रमुख केन्द्रों का उत्प्रेरक बनाकर मोदी की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। आज, हम अपने दूरदर्शी नेता,  मोदी  की दूरदर्शिता और नेतृत्व के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने हमारे विशिष्ट प्रकाशस्तंभों को मनोरम विरासत पर्यटन स्थलों में बदलने का समर्थन किया है। बहुत लंबे समय तक, अंधेरी रातों के बीच सैकड़ों नाविकों और जहाजों को आशा की रोशनी प्रदान करते समय समुद्र तटों के मूक प्रहरी को नजरअंदाज कर दिया गया था। “प्रकाश स्तंभ उत्सव” इसे बदलने का हमारा प्रयास है। इन ऐतिहासिक प्रकाशस्तंभों ने हमारे देश के इतिहास में जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उसके बारे में आप सभी को सूचित करनाउससे जोड़ना और शिक्षित करना हमारा मिशन है।

 

भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय का लक्ष्य ऐतिहासिक स्थलों को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थलों में विकसित करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी मार्ग के लिए आधार तैयार करने के लिए भारतीय प्रकाश स्तंभ महोत्सव का लाभ प्राप्त करना है। प्रकाश स्तंभ और लाइटशिप महानिदेशालय ने पहले ही 75 ऐसे प्रकाश स्तंभों की पहचान कर ली है और यह उत्सव हमारी समुद्री विरासत का जश्न मनाने और संरक्षित करने की सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री महोदय ने कहा, “प्रकाश स्तंभ महोत्सव” एक शानदार उत्सव है जो समय और सुंदरता के माध्यम से एक मनोरम यात्रा होने का वादा करता है। यह एक ऐसी यात्रा है जो हमारे समुद्री इतिहास के छिपे हुए रत्नों को उजागर करेगी और हमारे ऐतिहासिक प्रकाश स्तंभों की अनकही गाथाओं को उजागर करेगी। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने परिवर्तन के लिए सुधार की पहल के एक हिस्से के रूप में, भारत में पोत परिवहन क्षेत्र में सहायता के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के लिए लाइटहाउस अधिनियम, 1927 को निरस्त करके समुद्री परिवहन के लिए समुद्री सहायता अधिनियम, 2021 लागू किया। इसके अंतर्गत हमने विरासत प्रकाश स्तंभ की नई अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें केंद्र सरकार अपने नियंत्रण में समुद्री परिवहन के लिए किसी भी सहायता को विरासत प्रकाश स्तंभ के रूप में नामांकित कर सकती है। समुद्री परिवहन में सहायता के रूप में उनके कार्य के अलावा, ऐसे प्रकाशस्तंभों को शैक्षिक, सांस्कृतिक और पर्यटक उद्देश्यों के लिए विकसित किया जाएगा। यह महोत्सव सिर्फ ज्ञान का नहीं है; यह मूल्यों और अवसरों को पैदा करने के बारे में है। महोत्सव से अलग, हमारी परिकल्पना प्रकाशस्तंभों को पर्यटन स्थलों के रूप में बढ़ावा देना, इन ऐतिहासिक संरचनाओं पुनर्जीवन प्रदान करना और स्थानीय समुदायों और व्यवसायों के लिए अवसर पैदा करना है।”

दिन भर चले कार्यक्रम के दौरान, ‘हमारे तटों के अग्ररक्षक: भारत के अतीत और वर्तमान के प्रमाण के रूप में प्रकाशस्तंभ’ शीर्षक से एक सत्र आयोजित किया गया था, जिसे शासन, नीतियां और राजनीति संस्थान की पहल, भारत प्रवाह द्वारा आयोजित किया गया था, जहां प्रसिद्ध इतिहासकार और पुरातत्वविद् जो राखीगढ़ी के रूप में ख्याति प्राप्त प्रो. वसंत शिंदे ने भारत के समुद्री इतिहास में प्रकाशस्तंभों के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बात की। डॉ. सुनील गुप्ता, समुद्री पुरातत्वविद् और नई दिल्ली के प्रधानमंत्री संग्रहालय में ओएसडी; और गोवा राज्य संग्रहालय के निदेशक डॉ. वासु उस्पाकर ने भी सत्र में अपने विचार रखे। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने प्रकाश स्तंभ विरासत पर्यटन विकास के प्रति मंत्रालय के दृष्टिकोण और इस चरण में 75 प्रकाश स्तंभों में निवेश के अवसरों के बारे में एक केस प्रस्तुत किया।

भारत के पहले प्रकाश स्तंभ महोत्सव का मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक प्रदर्शनी सत्र, समुद्री इतिहास और संस्कृति पर प्रकाश और ध्वनि शो, ख्याति प्राप्त गायकों के साथ मधुर शामें, समुद्र तटों के  जायको और सामुदायिक सहभागिता हैं।

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कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में “छात्राएं NEP 2020 में अच्छे अंक कैसे प्राप्त करें” विषय पर संगोष्ठी श्रृंखला आयोजित

कानपुर 25 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय ,स्वरूप नगर के समाजशास्त्र विभाग द्वारा एक संगोष्ठी श्रृंखला का शुभारंभ किया गया। जिसका विषय *” छात्राएं NEP 2020 में अच्छे अंक कैसे प्राप्त करें “* हैं। जिसमे महाविद्यालय की अधिकतम अंक प्राप्त करने वाली छात्रा निधि मुख्य वक्ता रहीं। जिन्होंने अपनी जूनियर छात्राओं बताया कि किस प्रकार से उन्होंने परीक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त किए तथा अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए सफल योजना को विस्तारपूर्वक बताया। जिसका उपयोग करके कोई भी छात्रा अच्छे अंक प्राप्त कर सकती हैं। छात्राएं इस संगोष्ठी श्रृंखला के आयोजन से बहुत प्रसन्न और उत्साहित हैं। समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ पूर्णिमा शुक्ला ने बताया कि यह श्रृंखला 4 सप्ताह तक प्रत्येक सोमवार को आयोजित की जाएगी। जिससे छात्राओं को अच्छे अंक प्राप्त करने की प्रेरणा प्राप्त होगी।

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एस.एन सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज में महाविद्यालय की प्लेसमेंट सेल एवं काउंसलिंग सेल द्वारा “The Art of Success” विषय पर सेमिनार आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज सभागार में महाविद्यालय की placement cell तथा counselling cell के द्वारा “The Art of Success” विषय पर 23 सितंबर को counselling seminar आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आज के मुख्य वक्ता शुभिक्षा संस्थान की निदेशिका दीक्षा तिवारी, संस्थापक शुभेन्द्र मिश्रा, रोज़गार प्रकोष्ठ प्रभारी प्रोफेसर गार्गी यादव, परामर्श कोष्ठ प्रभारी डॉ. मोनिका सहाय, तथा महाविद्यालय की मुख्य अनुशासिका कैप्टन ममता ने दीप प्रज्वलन व सरस्वती मां के समक्ष माल्यार्पण से किया। अतिथियों का स्वागत तथा आभार स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। दीक्षा तिवारी ने छात्राओं को संवाद कौशल, शिक्षण कौशल, व्यक्तित्त्व विकास आदि का महत्त्व बताते हुए उन्हें सफलता के लिए आवश्यक तत्व बताया। शुभेन्द्र मिश्रा ने संस्थान में संचालित जीएसटी, कंप्यूटर आदि से संबंधित विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से छात्राओं को अवगत कराया। छात्राओं की रोज़गार संबंधित सभी जिज्ञासाओं का समाधान सेमिनार में किया गया। कार्यक्रम के अंत में प्रो. गार्गी यादव ने कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया| कार्यक्रम मे समिति के सदस्यों प्रो. निशा वर्मा, डॉ. कोमल सरोज, डॉ. मनीषा दीवान, डॉ. अनामिका, प्रीति यादव एवं श्वेता रानी ने सक्रिय योगदान दिया।

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कनपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज महाविद्यालय में पिछले एक सप्ताह से चल रहे मंच कला वह फिल्म अभिनय का सफलतापूर्वक समापन प्राचार्य जोसेफ डेनियल के दिशा निर्देशन में किया गया। सांस्कृतिक समिति द्वारा आयोजित की गई यह कार्यशाला संयोजक डॉ.संजय सक्सेना और सहसंयोजक प्रो.मीत कमल द्वारा की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संगीत नाटक पुरस्कार विजेता नाटक और संवाद लेखक विभांशु वैभव के नेतृत्व में यह एक सप्ताह की कार्यशाला की गई। इस कार्यशाला में महाविद्यालय के 40 से अधिक बच्चों ने प्रतिभाग किया कार्यशाला के सप्ताह में वैभव ने मंच कला में अभिनय के इतिहास के बारे में बच्चों को बताया एवं इसकी उत्पत्ति कैसे हुई यह बताया, ध्यान केंद्रित करने के तरीके बताएं ।एक छोटी सी मूवी – ए बॉय इन स्ट्रिप्ड पजामा के माध्यम से हमें ऑब्जर्वेशन के विषय में समझाया । वैभव ने विदोहम सिंफनी म्यूजिक में एक्ट भी कराया । सर ने कार्य दिया कि हमें अपने आसपास मौजूद किसी भी व्यक्ति को ध्यानपूर्वक ऑब्जर्व करना है ।उसे अगले दिन अपने एकल प्रस्तुति माध्यम द्वारा दिखाना है। कार्यशाला में एक्टर के लिए महत्वपूर्ण तत्वों पर बात की जैसे रिलैक्सेशन ,कंसंट्रेशन ऑब्जरवेशन ,बिलीव एंड इमोशन। सर ने अपनी रचित कविता भी लिखाई ।कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों को चार समूह में विभाजित कर दिया एवं उनको समाज के कुछ ऐसे विषयों पर नाट्य प्रस्तुत करने का मौका दिया जैसे ड्रग्स, वृद्ध आश्रम, आतंकवादी हमले एवं एसिड अटैक इन्हीं कार्यक्रमों की फाइनल प्रस्तुति 22/09/2023 की कार्यक्रम द्वारा की गई। कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जोसेफ डेनियल के मार्गदर्शन में किया गया मुख्य अतिथि संगीत नाटक अवार्ड विजेता विभांशु वैभव रहे ।इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विभांशु वैभव ने बताया कि बच्चे न सिर्फ जिस तरह से रंगमंच में भाग लेते हैं बल्कि उनकी बहुमुखी प्रतिभा का भी विकास होता है ।कार्यक्रम में सभी का स्वागत डॉक्टर संजय सक्सेना संयोजक सांस्कृतिक समिति द्वारा किया गया। उक्त कार्यक्रम का संचालन नागेंद्र प्रताप सिंह एवं कावेरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज के प्राचार्य द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर प्रोत्साहित किया। गया कार्यक्रम का अंत प्रोफेसर मीत कमल सह संयोजक सांस्कृतिक समिति द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से किया गया । उक्त कार्यक्रम के अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक गण एवं बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।

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पत्रकारिता में विश्वास बहाल करना: नैतिक पत्रकारों की जिम्मेदारी!

पत्रकारिता, जिसे अक्सर चौथी संपत्ति के रूप में जाना जाता है, सूचना प्रसारित करने, सच्चाई को उजागर करने और सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह बनाकर दुनिया भर के लोकतंत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि, इस महान पेशे की प्रतिष्ठा हाल के दिनों में कुछ बिकाऊ पत्रकारों के कार्यों के कारण धूमिल हुई है, जो ईमानदारी पर सनसनीज को प्राथमिकता देते हैं। इस चुनौती से पार पाने और जनता का विश्वास बहाल करने के लिए, नैतिक पत्रकारों को पत्रकारिता के सार को कमजोर करने वालों के खिलाफ खड़े होने की पहल करनी चाहिए। नैतिक प्रथाओं को सक्रिय रूप से बढ़ावा देकर, वे पूरे पेशे की विश्वसनीयता की रक्षा कर सकते हैं।

सनसनीखेज और अनैतिक पत्रकारिता:

डिजिटल मीडिया और 24/7 समाचार चक्र के युग में, सनसनीखेज और क्लिकबेट रणनीति प्रचलित हो गई है। कुछ पत्रकार तथ्य-जाँच और गहन रिपोर्टिंग के बजाय आकर्षक सुर्खियाँ बनाने और दर्शकों को आकर्षित करने को प्राथमिकता देते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल जनता को गुमराह करता है बल्कि समग्र रूप से पत्रकारिता में विश्वास को भी ख़त्म करता है।

अनैतिक प्रथाएँ, जैसे मनगढ़ंत कहानियाँ, पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और भुगतान की गई सामग्री, समस्या को और बढ़ा देती हैं। ये कार्रवाइयां न केवल पत्रकारिता की अखंडता को कमजोर करती हैं बल्कि सूचना के भरोसेमंद स्रोत के रूप में कार्य करने की पत्रकारों की क्षमता को भी कम करती हैं।

पत्रकारों की भूमिका:

नैतिक पत्रकार सत्य और निष्पक्षता के संरक्षक होते हैं। उन्हें पत्रकारिता के मूल मूल्यों को बनाए रखने में आगे आना चाहिए और अपने साथियों के लिए रोल मॉडल के रूप में कार्य करना चाहिए। सटीक रिपोर्टिंग, संतुलित कवरेज और पेशेवर मानकों के पालन के लिए प्रतिबद्ध होकर, नैतिक पत्रकार खोए हुए विश्वास को फिर से बनाने में मदद कर सकते हैं।

  1. तथ्य-जांच और सत्यापन पर जोर देना:

नैतिक पत्रकार गति से अधिक सटीकता को प्राथमिकता देते हैं। उन्हें जनता तक जानकारी प्रसारित करने से पहले कई स्रोतों से जानकारी सत्यापित करनी होगी। तथ्य-जाँच न केवल पत्रकार की विश्वसनीयता की रक्षा करती है बल्कि दर्शकों को गलत सूचना से भी बचाती है।

  1. सनसनीखेज और क्लिकबेट से बचना:

जिम्मेदार पत्रकार सनसनीखेज और क्लिकबेट हेडलाइन के प्रलोभन का विरोध करते हैं। वे ठोस और सार्थक सामग्री प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो जनता की निष्पक्ष जानकारी की आवश्यकता को पूरा करती है।

  1. पारदर्शिता और जवाबदेही:

नैतिक पत्रकार अपने स्रोतों, कार्यप्रणाली और हितों के संभावित टकराव के बारे में पारदर्शी होते हैं। वे प्रतिक्रिया और सुधारों का स्वागत करते हैं, यह स्वीकार करते हुए कि कोई भी अचूक नहीं है।

  1. साथियों को जवाबदेह बनाना:

अपने स्तर की समस्या का समाधान करने के लिए, नैतिक पत्रकारों को अपने साथी पेशेवरों को जवाबदेह ठहराने से नहीं कतराना चाहिए। पत्रकारिता समुदाय के भीतर रचनात्मक आलोचना और चर्चाएं सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं और जिम्मेदार रिपोर्टिंग के महत्व को सुदृढ़ कर सकती हैं।

मीडिया संगठनों का महत्व:

मीडिया संगठन नैतिक पत्रकारिता की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें सभी स्तरों पर पत्रकारिता की अखंडता को बढ़ावा देते हुए अपने कर्मचारियों के लिए सख्त आचार संहिता बनानी और लागू करनी चाहिए। न्यूज़रूम में विविधता को प्रोत्साहित करने से व्यापक परिप्रेक्ष्य और अधिक संतुलित रिपोर्टिंग हो सकती है।

आज पत्रकारिता के सामने आने वाली चुनौतियों के लिए इस पेशे की प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने के लिए नैतिक पत्रकारों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। पारदर्शिता, सटीकता और निष्पक्ष रिपोर्टिंग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देकर, वे जनता का विश्वास बहाल कर सकते हैं और सनसनीखेज और अनैतिक प्रथाओं के नकारात्मक प्रभाव का मुकाबला कर सकते हैं। इसके अलावा, मीडिया संगठनों को मजबूत आंतरिक जांच और संतुलन लागू करके नैतिक पत्रकारिता का समर्थन करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

अंततः, सत्य के समर्थक और सत्यनिष्ठा के संरक्षक बनने की जिम्मेदारी स्वयं पत्रकारों की है। केवल नैतिक पत्रकारिता के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता के माध्यम से ही यह पेशा लोकतंत्र की आधारशिला और जनता के लिए विश्वसनीय जानकारी के अमूल्य स्रोत के रूप में अपना दर्जा फिर से हासिल कर सकता है।

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और अब सनातन पर राजनीति- डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)

बीते सप्ताह इन्दौर के एक मन्दिर की सीढ़ी पर एक हिन्दू संगठन द्वारा तमिलनाडु के मन्त्री उदयनिधि स्टालिन की फोटो लगा दी गयी| मन्दिर में आने-जाने वाले श्रद्धालु इस फोटो पर पैर रखकर उदयनिधि के उस बयान का विरोध जता रहे थे, जिसमें उन्होंने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना से करते हुए इसे मिटाने की बात कही थी| 6 सितम्बर को अपने मन्त्रियों के साथ बैठक करते हुए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भी उदयनिधि स्टालिन के उक्त बयान का सही तथ्यों के साथ विरोध करने का आह्वाहन किया था| उसके बाद 14 सितम्बर को उन्होंने स्वयं मध्य प्रदेश के बीना में एक सभा को सम्बोधित करते हुए सनातन धर्म की आलोचना करने वालों पर सार्वजनिक रूप से हल्ला बोला| बीजेपी के अलावा अनेक धर्मगुरु भी उदयनिधि के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों के गठबन्धन इण्डिया को घेरने में लगे हुए हैं| क्योंकि उदयनिधि की पार्टी डीएमके इण्डिया गठबन्धन में शामिल है| इसके बाद से राजनीतिक विश्लेषक यह मानने लगे हैं कि 2024 के चुनाव का यह एक अहम मुद्दा बन सकता है| हालाकि कांग्रेस सहित गठबन्धन के अन्य सभी दल इसे उदयनिधि का व्यक्तिगत विचार बताते हुए स्वयं को इस मुद्दे से अलग करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं| इस बीच भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का आक्रामक रुख देखते हुए द्रमुक के अन्य नेताओं ने भी उदयनिधि के सुर में सुर मिलाकर और भी ज्यादा खतरनाक बयान दिये| किसी ने सनातन धर्म की तुलना एड्स से तो किसी ने खूंख्वार जानवरों से की| परन्तु बाद में द्रमुक के सर्वेसर्वा तमिलनाडु के मुख्यमन्त्री एमके स्टालिन ने अपने नेताओं को इस मुद्दे पर बोलने से रोक दिया| क्योंकि उन्हें समझ में आने लगा था कि भाजपा इसका पूरा-पूरा फायदा ले रही है| लेकिन भाजपा और उसके सहयोगी दल चुनाव तक हर हाल में द्रमुक नेताओं के सनातन विरोधी बयान को ताजा और महत्वपूर्ण बनाये रखना चाहते हैं|

गौरतलब है कि डीएमके मुखिया एवं तमिलनाडु के मुख्य मन्त्री एमके स्टालिन के पुत्र तथा प्रदेश सरकार के मन्त्री उदयनिधि स्टालिन ने अपने एक वक्तव्य में कहा था कि ‘सनातन का बस विरोध नहीं किया जाना चाहिए, इसे समाप्त ही कर देना चाहिए| यह धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है| हम डेंगू, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते, हमें इसे मिटाना है| इसी तरह हमें सनातन को भी मिटाना है|’ इसके बाद प्रधानमन्त्री सहित बीजेपी नेताओं और धर्म गुरुओं ने द्रमुक तथा विपक्षी गठ्बन्धन इण्डिया पर चौतरफा हमला बोल दिया| तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को शुरू में यह लगा कि वह अपने बेटे को सनातन विरोधी साबित करके तमिल राजनीति में मजबूती से स्थापित कर लेंगे| अतः उनकी सह पर द्रमुक के अन्य सभी नेता भी बाबले हो गये और सनातन धर्म पर अनाप-शनाप बयानबाजी करने लगे| लेकिन जल्द ही द्रमुक मुखिया को अपना कदम उल्टा पड़ता नजर आया और अब वह इस विषय से दूर होते नजर आ रहे हैं| इण्डिया गठबन्धन के कई घटक दलों ने भी उदयनिधि के बयान की निन्दा की है| आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने कहा कि ‘मैं सनातन धर्म से हूँ, मैं ऐसे बयानों की निन्दा और विरोध करता हूँ| किसी को भी इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए| इस तरह की धर्म विरोधी टिप्पणी से हर किसी को बचना चाहिए|’ शिवसेना ने भी इसकी कड़ी निन्दा की| कांग्रेस के अन्दर इस बयान को लेकर दो तरह के विचार चल रहे हैं| आम आदमी पार्टी और शिव सेना के सख्त रूख के बाद से इण्डिया गठबन्धन में सनातन विरोधी मुद्दा अब कमजोर भले ही पड़ रहा हो लेकिन बीजेपी लगातार विपक्षी गठबन्धन पर हमलावर बनी हुई है| प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा है कि ‘देश के कोने कोने में हर सनातनी को, इस देश को प्यार करने वाले को, इस देश की मिटटी को प्यार करने वाले को, इस देश के कोटि-कोटि जनों को प्यार करने वालों को, हर किसी को सतर्क रहने की जरुरत है| सनातन को मिटाकर ये देश को फिर एक हजार साल की गुलामी में धकेलना चाहते हैं|’ मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘इण्डिया गठबन्धन सनातन को खत्म करने की कोशिश कर रहा है|’ वहीँ गृहमन्त्री अमित शाह का कथन है कि ‘वोटबैंक और तुष्टीकरण की राजनीति करने के लिए सनातन धर्म को समाप्त करने की बात की जा रही है|’ योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि ‘जो सनातन को गाली दे रहे हैं उन सबका 2024 में मोक्ष होने वाला है|’ कांग्रेसी नेता कमलनाथ ने अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि ‘हमारा देश सनातन धर्म का है, कोई कुछ भी कहे, डीएमके वाला कुछ कहे मैं उस चक्कर में नहीं हूँ|’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी ने इण्डिया गठबन्धन को नसीहत देते हुए कहा कि ‘मेरी सभी लोगों से प्रार्थना है कि ऐसा कुछ भी न कहें जिससे किसी की आस्था को चोट पहुँचे|’ आप नेता संजय सिंह ने कहा कि ‘उद्ययनिधि ने सनातन धर्म को लेकर जो बयान दिया है उससे हम लोग सहमत नहीं हैं|’ समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने भाजपा पर आरोप जड़ते हुए कहा कि ‘भारतीय जनता पार्टी को साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के अलावा कोई काम नहीं आता है, उसमें वह माहिर हैं| लेकिन उनके कारनामों को देश की जनता पहचान चुकी है|’

सनातन के नाम पर अचानक मचे इस बवाल से देश के आम जन का चौकना स्वाभाविक है| क्योंकि नई पीढ़ी के लिए यह एक नया शब्द है, जिसे सम्प्रदाय या पन्थ के रूप में प्रतिष्ठित करके साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने की पुरजोर कोशिश हो रही है| अतः सनातन के अर्थ को समझना अति आवश्यक है| वस्तुतः सनातन का मूल अर्थ है: शाश्वत, सत्य, नित्य, प्राचीन, कभी नष्ट न होने वाला, जिसके प्रारम्भ का ज्ञान न हो तथा सदा रहने वाला|

मनुस्मृतिः के प्रथम अध्याय के श्लोक संख्या 7 में सनातन शब्द का उपयोग नित्य अर्थात सदैव के अर्थ में किया गया है| ‘योЅसावतीन्द्रियग्राह्यः सूक्ष्मोЅव्यक्तः सनातनः| सर्वभूतमेयोЅचिन्त्यः स एव स्वयमुद्वभौ|| अर्थात जो यह परमात्मा इन्द्रियों से ग्रहण नहीं किया जा सकता, शरीर रहित, सूक्ष्म रूप, नित्य, सब प्राणियों की आत्मा और चिन्तन करने के योग्य नहीं है, वह अपने आप प्रकट हुआ है|’ इसी अध्याय के श्लोक संख्या 23 में वेदों के लिए सनातन शब्द का प्रयोग हुआ है: ‘अग्निवायुरविभ्यस्तु त्रयं ब्रह्म सनातनम्| दुदोह यज्ञसिद्ध्यर्थमृग्यजुःसामलक्षणम्|| अर्थात ब्रह्मा ने यज्ञ की सिद्धि के लिए ऋक्, यजु और साम इन सनातन वेदों को अग्नि, पवन और सूर्य से क्रमशः प्रकट किया|’ श्रीमद्भगवतगीता के श्लोक संख्या 20 में शाश्वत को सनातन के अर्थ में तथा 23 में सनातन को शाश्वत के अर्थ में प्रस्तुत किया गया है: ‘न जायते म्रियते वा कदाचित्रायं भूत्वा भविता वा न भूयः| अजो नित्यः शाश्वतोЅयं पुराणोन हन्यते हन्यमाने शरीरे|| अर्थात यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है; क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है; शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता|’ श्लोक संख्या 23 में कहा गया है ‘अच्छेद्योЅयमदाह्योЅयमक्लेद्योЅशोष्य एव च| नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः|| अर्थात यह आत्मा अच्छेद्य(जो छेदा न जा सके), अदाह्य (जो जलाया न जा सके), अक्लेद्य(जो गीला न किया जा सके) और अशोष्य(जो सुखाया न जा सके) है तथा यह आत्मा नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है|’ गरुड़ पुराण के प्रथम खण्ड के अध्याय पचास के श्लोक संख्या 28 में सूर्यदेव की स्तुति करते हुए उन्हें सनातन कहा गया है ‘त्वमेव ब्रह्म परमापोज्योतिरसोsЅमृतम्| भूर्भुवःस्वस्त्वमोंकरः सर्वो रुद्रः सनातनः|| अर्थात आप ही परम ब्रह्म, आप ही ज्योति रस और अमृत हैं| आप ही भूर्भुवः स्वः मन्त्र रुप हैं, आप ओंकार रूप एकादश रूद्र तथा सनातन हैं|’  गरुड़ पुराण के प्रथम खण्ड के ही अध्याय 205 के श्लोक संख्या 4 एवं 5 में सनातन शब्द का प्रयोग करते हुए धर्म को कुछ इस तरह परिभाषित किया गया है| ‘श्रुत्युक्तः परमो धर्मः स्मृतिशास्त्रगतोЅपरः| शिष्टाचारेण शिष्टानां त्रयो धर्म सनातनः|| सत्यं दानं दया लोभो विद्येज्या पूजनं दमः| अष्टौ तानि पवित्राणि शिष्टाचारस्य लक्षणम्|| अर्थात श्रुति युक्त धर्म तथा स्मृति में कहा कर्म ही परम धर्म है| शिष्टचार भी उत्तम धर्म है| ये तीनों ही धर्म सनातन हैं| सत्य, दान, दया, अलोभ, विद्या, यज्ञ, पूजा, तथा दम (इन्द्रिय दमन) ये आठ पवित्र शिष्टाचार के लक्षण हैं|’ इसी अध्याय के श्लोक संख्या 7, 8, 9 एवं 10 में धर्म के लक्षण बताते हुए अध्ययन, दान तथा शास्त्र सम्मत आचरणों को सनातन बताते हुए धर्म के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है: ‘निवासमुख्या वर्णानां धर्माचाराः प्रकीर्त्तितः| सत्यं यज्ञस्तपो दानमेतद्धर्मस्य लक्षणम्|| अदत्तस्यानुपादानं दानमध्ययनं तपः| विद्या वित्तं तपः शौर्य्यं कुले जन्म त्वरोगिता|| संसारोच्छित्तिहेतुश्च धर्मादेव प्रवर्त्तते| धर्मात् सुखञ्च ज्ञानञ्च ज्ञानान्मोक्षोЅधिगम्यते|| इज्याध्ययनदानानि यथाशास्त्रं सनातनः| ब्रह्मक्षत्रियवैश्यानां सामान्यो धर्म उच्यते|| अर्थात निवास मुख्य (आश्रम अवस्था) कतिपय धर्माचरण के रूप में विख्यात है| सत्य, यज्ञ, तप, दान धर्म के लक्षण हैं| अदत्त द्रव्य का अनुपादान (न देने योग्य वस्तु के प्रति आसक्ति न होना), दान, अध्ययन, तप, अहिंसा, सत्य, अक्रोध, यज्ञ ये सभी धर्म के लक्षण हैं| विद्या, वित्त, तपःप्रभाव, सतकुल जन्म, आरोग्य, संसार बन्धन से मुक्ति के लिए अर्थात इन सबको पाने के लिए धर्म में लगना उचित है| धर्म से ही सुख तथा ज्ञान प्राप्त होता है| ज्ञान से ही मोक्ष मिलता है| अतः शास्त्र के अनुसार किया गया यज्ञ, अध्ययन तथा दान आदि धर्म सनातन हैं| ये यज्ञादि ही मनुष्य मात्र के लिए सामान्य धर्म बताये गये हैं|

उपरोक्त से स्पष्ट होता है कि सनातन शब्द कोई सम्प्रदाय, पन्थ या रिलीजन का नाम नहीं है| बल्कि भारतीय संस्कृति के शाश्वत या प्राचीन स्वरुप को प्रतिष्ठित करने का माध्यम भर है| भारतीय संस्कृति किसी एक प्रवर्तक द्वारा स्थापित नहीं की गयी है| अपितु भारतीय उपमहाद्वीप में जन्में हजारों ऋषियों के ज्ञान, तपस्या तथा वर्षो बरस के अनुसन्धान से प्रस्फुटित हुई है| इसे किसी सम्प्रदाय या पन्थ की दृष्टि से देखना तथा डेंगू, मलेरिया और कोरोना की तरह नष्ट करने का विचार लाना अल्पज्ञता तथा मूर्खता के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है| विश्व भर के आपस में लड़ते-झगड़ते विभिन्न सम्प्रदाय एक साथ मिलकर भी इस संस्कृति का मुकाबला नहीं कर सकते| अल्पज्ञता के वशीभूत इन सम्प्रदायों से प्रभावित होकर जब हम इनकी दृष्टि से स्वयं को देखने का प्रयास करते हैं तो हमें भी एक वैसे ही नाम की आवश्यकता महसूस होती है| तब हम कभी हिन्दू तो कभी सनातनी बनकर स्वयं को संकीर्ण बनाने का प्रयास करते  हैं| जबकि ये दोनों या ऐसा कोई भी शब्द भारतीय संस्कृति की व्यापकता का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है| हमारे पूर्वजों ने इसको जितना अधिक व्यापक बनाया उतना ही ग्राह्य भी बना दिया है| कोई भी व्यक्ति  इसे आत्मसात करके मनुष्य से देवता तथा अवतारी पुरुष के रूप में प्रतिष्ठित हो सकता है| श्रीराम तथा श्रीकृष्ण सहित अनेक महापुरुष इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं|

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