कानपुर नगर, दिनांक 09 सितम्बर, 2022(सू0वि0) प्राकृतिक खेती व कृषि नवाचार कार्यशाला एवं आत्मा योजनान्तर्गत जनपद स्तरीय किसान मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन आज विकल्प फार्म ग्राम पलरा ढोढर, विकास खण्ड बिधनू, कानपुर नगर में किया गया। कार्यशाला/मेले का शुभारम्भ मा0 मंत्री, कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान विभाग उ0प्र0 श्री सूर्य प्रताप शाही द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। मेले में कृषि (बीज/कृषि रक्षा/मृदा परीक्षण), रेशम, गन्ना, उद्यान, यू०पी०एग्रो, इफको, कृभकों, मत्स्य, पशुपालन, दुग्ध, विद्युत, खाद्य प्रसंस्करण, बाल विकास परियोजना, लघु सिंचाई, आदि पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर के स्टाल लगाये गये। कार्यशाला में कानपुर, प्रयागराज, बॉदा एवं झॉसी मण्डल के जनपदों से आये कृषकों ने साहित्य प्राप्त कर तकनीकी जानकारी प्राप्त की। कार्यशाला/मेले में मुख्य सचिव, उ0प्र0 श्री दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव (कृषि) उ0प्र0 डा0 देवेश चतुर्वेदी, मा0 जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती स्वप्निल वरूण, मा0 विधायक बिठूर श्री अभिजीत सिंह सॉगा, मण्डलायुक्त कानपुर डा0 राजशेखर, जिलाधिकारी श्री विशाख जी0, कृषि निदेशक, उ0प्र0 श्री विवेक सिंह, मुख्य विकास अधिकारी श्री सुधीर कुमार, संयुक्त कृषि निदेशक श्री महेन्द्र सिंह, उप कृषि निदेशक श्री चौधरी अरूण कुमार सहित कानपुर, प्रयागराज, झॉसी एवं बॉदा मण्डल के उप कृषि निदेशक तथा अन्य राज्य स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहें साथ ही जनपद कानपुर नगर के कृषि तथा कृषि से सम्बन्धित जनपद स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहें।
सर्वप्रथम मेले/कार्यशाला में विकल्प फार्म के संस्थापक श्री विवेक चतुर्वेदी द्वारा मा0 अतिथिगणों को अपने फार्म का अवलोकन कराते हुये स्वविकसित कृषि यंत्रों यथा बैल चालित डिस्क हैरो, बैल चालित ट्रैक्टर, बैट्री वीडर विद ब्रश कटर, हस्तचालित वीडर, ब्रश कटर, सोलर चालित पोर्टेबल स्प्रिंकलर सेट, बैल चालित पोर्टेबल स्प्रिंकलर सेट, सोलर पम्प से संचालित चैफ कटर, ई-बाइक, सोलर पम्प से पावर थ्रेसर का संचालन करके दिखाया गया जिसे अतिथिगणों द्वारा सराहा गया।
कार्यशाला/मेले में विकल्प फार्म एवं कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत प्राकृतिक खेती सम्बन्धी तकनीकी फिल्म का प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला में उपस्थित प्राकृतिक खेती करने वाले कृषक डा0 विपिन शुक्ला, श्री श्याम बिहारी गुप्ता, श्री हिमांशु गंगवार, श्री संजीव शुक्ल एवं श्री श्रीकृष्ण चौधरी द्वारा प्राकृतिक खेती करने में प्राप्त अपने अनुभवों को अन्य कृषकों के साथ साझा करते हुये प्राकृतिक खेती करने हेतु प्रेरित किया गया। कार्यशाला में डा0 अरिवन्द कुमार, के0वी0के0 कन्नौज द्वारा प्राकृतिक खेती करने के सम्बन्ध में कृषकों को तकनीकी ज्ञान दिया गया। श्री सतीश पाल, मा0 पूर्व राज्यमंत्री, उ0प्र0 द्वारा एफ0पी0ओ0 के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी।
मा० कृषि मंत्री जी, उ0प्र0 सरकार द्वारा अपने सम्बोधन के पूर्व एक एफ0पी0ओ0, एक ऐसे कृषक जो प्राकृतिक खेती कर रहे तथा एक ऐसे कृषक जो परम्परागत खेती कर रहे, से उनकी समस्याओं के सम्बन्ध में अवगत कराने हेतु आमंत्रित किया गया। मा0 कृषि मंत्री जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार कृषकों के हित में कार्य रही है। बुन्देलखण्ड को प्राकृतिक खेती हेतु हब के रूप में विकसित किया जायेगा, जिसके लिये प्रत्येक विकास खण्ड में 10-10 क्लस्टर बनाये जायेगें। नमामि गंगे योजनान्तर्गत गंगा के किनारे जैविक खेती के क्लस्टर बनाये गये ताकि कीटनाशी का प्रयोग कम कर गंगा को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। परम्परागत कृषि विकास योजना, नमामि गंगे तथा प्राकृतिक खेती को मिलाकर 03 वर्षों के लिये 50 हे0 क्षेत्रफल के क्लस्टर बनाये जा रहे है। प्राकृतिक खेती की कार्यशाला जो सुदूर ग्रामीण क्षेत्र विकल्प फार्म में करायी गयी जहाँ कृषकों द्वारा नवाचार तथा विकसित कृषि यंत्रों को नजदीक से देखा। सोलर पम्प का मल्टीपरपज उपयोग, गोबर गैस का अद्भुत नमूना दिखाया गया है। उ0प्र0 के किसानों के लिये चुनौती है कि तिलहन तथा दलहन में आत्म निर्भरता बढ़ाये जिससे विदेशों से आयात कम हो सके। कृषि हमारी पारम्परिक धरोहर रही है, कृषकों को मल्टी लेयर कापिंग करने हेतु प्रेरित किया गया।
मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन ने अपने सम्बोधन में कहा कि हरित क्रान्ति के माध्यम से रसायनों का तेजी से प्रयोग हुआ जिसके परिणामस्वरूप जमीन में सूक्ष्म जीवाणू मृत हो गये तथा केचुआ नीचे चले गये जिस कारण मृदा की उर्वरता शक्ति कम हो गयी। प्राकृतिक खेती में बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत के प्रयोग से मृदा की उर्वरता एवं सूक्ष्म जीवाणू की संख्या बढ़ाकर कम लागत में गुणवत्तायुक्त उत्पाद का उत्पादन किया जा सकता है। प्राकृतिक खेती हमें आत्मनिर्भर बनाती है। उनके द्वारा प्राकृतिक खेती एवं कृषि नवाचार कार्यशाला का आयोजन ग्रामीण क्षेत्र में कराने हेतु अपर मुख्य सचिव, कृषि की सराहना की गयी।
अपर मुख्य सचिव, कृषि, उ0प्र0 शासन ने अपने सम्बोधन में कहा कि विकल्प फार्म द्वारा जो नवाचार के अन्तर्गत कृषकों के उपयोग हेतु बुवाई से लेकर कटाई तक की प्रक्रिया हेतु लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु छोटे कृषि यंत्रों को विकसित किया गया है जिससे कृषि लागत तथा श्रम की बचत होगी। पूर्व से प्राकृतिक खेती कर रहे कृषकों का क्लस्टर बनाकर प्राकृतिक खेती करने हेतु निर्देश दिये गये। साथ ही यह भी निर्देशित किया गया कि विकल्प फार्म के आस-पास के ग्रामों में प्राकृतिक खेती हेतु अन्य क्लस्टर बनाये जाये। कृषक किसी कार्य को देखकर ही करता है उनके खेत पर फार्म स्कूल चलाये जाये। देशी गाय की व्यवस्था सहभागिता योजना से गौशाला से हो सकती है।
मण्डलायुक्त डा0 राजशेखर ने सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुये अपने सम्बोधन में कहा कि यह पहली बार हो रहा है कि किसान गोष्ठी का आयोजन गांव में आकर किसान के खेत में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह विशेष कृषि गोष्ठी प्राकृतिक खेती व विचार गोष्ठी के रूप में आयोजित की जा रही है, इस गोष्ठी में विभिन्न जनपदों से आए किसानों को तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की जायेगी तथा किसानों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं का समाधान कराया जायेगा।
कार्यशाला/मेले में चन्द्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के वैज्ञानिक डा0 खलील खान द्वारा रसायनमुक्त खेती के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी, डा0 जितेन्द्र सिंह, के0वी0के0 फतेहपुर द्वारा कृषकों एफ0पी0ओ0 गठन के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी तथा डा0 वी0के0 सचान, उप कृषि निदेशक (शोध) अलीगढ़ द्वारा प्राकृतिक खेती करने के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी कृषकों को दी गयी तथा समय-समय पर कृषि की जानकारी लेने हेतु वैज्ञानिकों ने अपने-अपने मोबाइल नं0 कृषकों को उपलब्ध कराये।
इस अवसर पर आई0आई0टी0 कानपुर के वैज्ञानिक श्री पल्लव द्वारा रसायन मुक्त मृदा परीक्षण यंत्र से मिट्टी की जॉच करने का प्रदर्शन किया गया तथा श्री किशोर, वैज्ञानिक, आई0आई0टी0 कानपुर द्वारा ड्रोन का प्रदर्शन करके दिखाया गया। कानपुर, प्रयागराज, झॉसी एवं बॉदा मण्डल से आये किसानों ने विकल्प फार्म का भ्रमण कर प्राकृतिक खेती करने का अनुभव प्राप्त किया गया। कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया जिसमें जनपद कानपुर नगर के कृषक श्री विपिन शुक्ला, ग्राम बरहट बॉगर, विकास खण्ड कल्यानपुर को भी सम्मानित किया गया साथ ही जनपद कानपुर नगर के चयनित कृषकों को तोरिया मिनीकिट वितरित किया गया।
सुसाइड प्रिवेंशन दिवस तथा नशा मुक्ति अभियान कार्यक्रम
कानपुर 10 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज में एनएसएस इकाई द्वारा उर्सला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सहयोग से सुसाइड प्रिवेंशन दिवस तथा नशा मुक्ति आभियान के अंतर्गत महाविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसका आरंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल तथा एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा के निर्देशन में हुआ।
इस अवसर पर आमंत्रित किए गए अतिथि डॉ एस के निगम,डॉ चिरंजीवी प्रसाद, डॉ आरती कुशवाहा, श्रीमति निधि बाजपाई, एस पी मिश्रा,कृति प्रभा पाल,अरुण यादव, संदीप कुमार सिंह, सुनील पाठक उपस्थित रहे।कार्यक्रम में विद्यार्थियो को नशे से होने वाले दुष्प्रभाव से अवगत कराया और उससे बचने के उपाय बताए साथ ही मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण युवा पीढ़ी सुसाइड करने का प्रयास करती है इससे बचने के लिए तथा मानसिक रूप से स्वस्थ होने के उपाय बताए। कार्यक्रम का समापन डॉ सुनीता वर्मा ने अपनी एनएसएस इकाई प्रमुख हर्षवर्धन दिक्षित,सह प्रमुख विलायत फातिमा व मोमिन अली तथा कार्यक्रम सचिव अरबाज खान ने अपनी टीम जिनमें सुप्रिया,अर्फिया,मानवी,सौम्या,स्तुति,ज़रीन,इरम,साद,फरीना,मेनका,दिया,मुस्कान,सौम्यातिवारी,रितेश,सिमरन,आयुषी,हर्षिता,रिया,अंजली के साथ मिल कर कार्यक्रम का सफलता पूर्वक समापन किया।
Read More »केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई केंद्र प्रायोजित योजना को मंजूरी दी- पीएम श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया)
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज एक नई केंद्र प्रायोजित योजना- पीएम श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) को मंजूरी दी। केंद्र सरकार/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार/स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित कुछ चयनित मौजूदा स्कूलों को मजबूत करके देश भर के 14500 से अधिक स्कूलों को पीएम श्री स्कूलों के रूप में विकसित करने के लिए यह एक नई योजना होगी। पीएम श्री स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी घटकों का प्रदर्शन करेंगे, अनुकरणीय स्कूलों के रूप में कार्य करेंगे और अपने आसपास के अन्य स्कूलों को सहायता व मार्गदर्शन भी प्रदान करेंगे। पीएम श्री स्कूल छात्रों के संज्ञानात्मक विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान करेंगे और 21 वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल से युक्त समग्र और पूर्ण-विकसित व्यक्तियों का निर्माण और उनका पोषण करने का प्रयास करेंगे।
पीएम श्री स्कूलों की योजना (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया–उभरते भारत के लिए पीएम स्कूल) को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जिसकी कुल परियोजना लागत 27360 करोड़ रुपये है। कुल परियोजना लागत में वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 18128 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है।
प्रमुख विशेषताएं:
• पीएम श्री स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करेंगे, समय के साथ अनुकरणीय स्कूलों के रूप में उभरेंगे और निकटवर्ती स्कूलों को मार्गदर्शन व नेतृत्व प्रदान करेंगे। वे अपने-अपने क्षेत्रों में एक समान, समावेशी और आनंदमय स्कूल वातावरण में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में नेतृत्व प्रदान करेंगे, जो विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी जरूरतों और बच्चों की विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ध्यान रखती है और एनईपी 2020 के विज़न के अनुरूप उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाती है।
• पीएम श्री स्कूल मार्गदर्शन प्रदान करके अपने संबंधित क्षेत्रों के अन्य स्कूलों को नेतृत्व प्रदान करेंगे।
• सौर पैनल और एलईडी लाइट, प्राकृतिक खेती के साथ पोषण उद्यान, अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक मुक्त, जल संरक्षण और जल संचयन, पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित परंपराओं/ प्रथाओं का अध्ययन, जलवायु परिवर्तन से संबंधित हैकथॉन और जैविक जीवन शैली को अपनाने के लिए जागरूकता जैसे पर्यावरण-अनुकूल पहलुओं को शामिल करने वाले ग्रीन स्कूलों के रूप में पीएम श्री स्कूलों को विकसित किया जाएगा।
• इन स्कूलों में अपनाया गया शिक्षाशास्त्र अधिक अनुभवात्मक, समग्र, एकीकृत, खेल/खिलौना आधारित (विशेषकर, प्राथमिक वर्षों में) उत्सुकता आधारित, खोज-उन्मुख, शिक्षार्थी-केंद्रित, चर्चा-आधारित, लचीला और मनोरंजक होगा।
• प्रत्येक कक्षा में प्रत्येक बच्चे के सीखने के परिणामों पर ध्यान दिया जाएगा। सभी स्तरों पर मूल्यांकन वैचारिक समझ, वास्तविक जीवन स्थितियों में ज्ञान के अनुप्रयोग और योग्यता पर आधारित होगा।
• प्रत्येक क्षेत्र (डोमेन) के लिए उपलब्धता, पर्याप्तता, उपयुक्तता और उपयोग के संदर्भ में उपलब्ध संसाधनों और उनकी प्रभावशीलता एवं उनके प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का आकलन किया जाएगा और कमियों को व्यवस्थित व योजनाबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
• रोजगार क्षमता बढ़ाने और बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए क्षेत्र कौशल परिषदों और स्थानीय उद्योग के साथ संपर्क।
• परिणामों को मापने के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों को निर्दिष्ट करते हुए एक स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन फ्रेमवर्क (एसक्यूएएफ) भी विकसित किया गया है। अपेक्षित मानकों को सुनिश्चित करने के लिए नियमित अंतराल पर इन स्कूलों का गुणवत्ता मूल्यांकन किया जाएगा।
पीएम श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना की प्रमुख विशेषताएं हैं:
ए. गुणवत्ता और नवाचार (शिक्षा-प्राप्ति को बेहतर बनाने की योजना, समग्र प्रगति कार्ड, अभिनव शिक्षाशास्त्र, इनोवेटिव अध्यापन, बिना स्कूल बैग वाले दिन, स्थानीय कारीगरों के साथ इंटर्नशिप, क्षमता निर्माण आदि)
बी. आरटीई अधिनियम के तहत लाभार्थी उन्मुख पात्रता वाले शत-प्रतिशत पीएम श्री स्कूलों को विज्ञान और गणित के किट मिलेंगे।
सी. वार्षिक स्कूल अनुदान (समग्र स्कूल अनुदान, पुस्तकालय अनुदान, खेल अनुदान)।
डी. बालवाटिका और मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता सहित प्रारंभिक बचपन की देखभाल व शिक्षा।
ई. लड़कियों और सीडब्ल्यूएसएन के लिए सुरक्षित एवं उपयुक्त बुनियादी ढांचे के प्रावधान सहित समानता और समावेश।
एफ. छात्रों के लिए प्रस्तावित विषयों के चुनाव में लचीले रुख को प्रोत्साहित करना।
जी. शिक्षकों और छात्रों के बीच भाषा की बाधाओं को पाटने में मदद करने के लिए तकनीकी उपायों का उपयोग करते हुए मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रोत्साहित करना।
एच. डिजिटल शिक्षाशास्त्र का उपयोग करने के लिए आईसीटी, स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल लाइब्रेरी। पीएम श्री स्कूलों को शत-प्रतिशत आईसीटी, स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल पहल के तहत कवर किया जाएगा।
ए. मौजूदा अवसंरचना को मजबूत करना
जे. व्यावसायिक प्रयासों और विशेष रूप से स्थानीय उद्योग के साथ इंटर्नशिप/उद्यमिता के अवसरों को बढ़ाना। विकास परियोजनाओं/आस-पास के उद्योग के साथ कौशल का मानचित्रण और तदनुसार पाठ्यक्रम/पाठ्यचर्या विकसित करना।
के. इन विद्यालयों को सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित करने के लिए परिपूर्णता आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। सभी स्कूलों को विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय, आईसीटी सुविधा और वोकेशनल लैब आदि उपलब्ध कराए जाएंगे।
ग्रीन स्कूल पहल
इसके अलावा, इस योजना में स्कूल की अवसंरचना के उन्नयन और सुविधाओं के निर्माण के लिए मौजूदा योजनाओं/पंचायती राज संस्थाओं/शहरी स्थानीय निकायों और सामुदायिक भागीदारी के साथ समन्वय की परिकल्पना की गई है।
कार्यान्वयन की रणनीति
(a.) पीएम श्री स्कूलों को समग्र शिक्षा, केवीएस और एनवीएस के लिए उपलब्ध मौजूदा प्रशासनिक ढांचे के माध्यम से लागू किया जाएगा। अन्य स्वायत्त निकायों को आवश्यकतानुसार विशिष्ट परियोजना के आधार पर शामिल किया जाएगा।
(b.) इन स्कूलों की प्रगति का आकलन करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए इनकी सख्ती से निगरानी की जाएगी।
चयन की प्रक्रिया:
पीएम श्री स्कूलों का चयन चैलेंज मोड के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें विभिन्न स्कूल अनुकरणीय स्कूल बनने हेतु सहायता प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। स्कूलों को ऑनलाइन पोर्टल पर स्वयं आवेदन करना होगा। इस योजना के पहले दो वर्षों के दौरान, इस पोर्टल को वर्ष में चार बार, यानी प्रत्येक तिमाही में एक बार खोला जाएगा।
ऐसे प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1-5/ 1-8) और माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 1-10/1-12/6-10/6-12) जिनका प्रबंधन केंद्र/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों/ यूडीआईएसई+ कोड वाली स्थानीय स्व-शासन द्वारा किया जाता है उनके चयन के लिए इस योजना के अंतर्गत विचार किया जाएगा। ये चयन निश्चित समय सीमा के अंदर तीन चरणों वाली प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा, जो कि इस प्रकार है: –
चरण-1: राज्य/केंद्र शासित प्रदेश समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे जिसमें वे एनईपी को संपूर्ण रूप से लागू करने पर सहमति व्यक्त करेंगे और केंद्र इन स्कूलों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्धताओं को तय करेगा ताकि पीएम श्री स्कूलों के रूप में निर्दिष्ट गुणवत्ता का आश्वासन प्राप्त किया जा सके।
चरण-2: इस चरण में यूडीआईएसई+ डेटा के माध्यम से निर्धारित न्यूनतम बेंचमार्क के आधार पर उन स्कूलों के पूल की पहचान की जाएगाी जो पीएम श्री स्कूलों के रूप में चुने जाने के योग्य हैं।
चरण-3: ये चरण कुछ मानदंडों को पूरा करने के लिए चुनौती पद्धति पर आधारित है। इसमें स्कूलों के उपरोक्त पात्र पूल में से ही विद्यालय, चुनौती की शर्तों को पूरा करने के लिए मुकाबला करेंगे। इन शर्तों की पूर्ति को राज्यों/केवीएस/जेएनवी द्वारा भौतिक निरीक्षण के जरिए प्रमाणित किया जाएगा।
स्कूलों के दावों का सत्यापन राज्य/केंद्र शासित प्रदेश/केवीएस/जेएनवी करेंगे और स्कूलों की सूची मंत्रालय को सुझाएंगे।
पूरे भारत में कुल स्कूलों की संख्या की ऊपरी सीमा के साथ प्रति ब्लॉक/यूएलबी अधिकतम दो स्कूलों (एक प्राथमिक और एक माध्यमिक/उच्च माध्यमिक) का चयन किया जाएगा। पीएम श्री स्कूलों के चयन और निगरानी के लिए स्कूलों की जियो-टैगिंग की जाएगी। जियो-टैगिंग और अन्य संबंधित कार्यों के लिए भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) की सेवाएं ली जाएंगी। स्कूलों के अंतिम चयन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा।
पीएम श्री स्कूल का गुणवत्ता आश्वासन
- एनईपी 2020 का प्रदर्शन।
- नामांकन और सीखने की प्रक्रिया में प्रगति पर निगरानी के लिए स्टूडेंट रजिस्ट्री।
- प्रत्येक बच्चे के सीखने के स्तर में सुधार करके राज्य और राष्ट्रीय औसत से ऊपर के स्तर को प्राप्त करना।
- मध्यम श्रेणी के प्रत्येक छात्र, अत्याधुनिक और 21वीं सदी के कौशल से अवगत/उन्मुख।
- माध्यमिक कक्षा का प्रत्येक छात्र कम से कम एक कौशल के साथ उत्तीर्ण होता है।
- हर बच्चे के लिए खेल, कला, आईसीटी।
- सतत और हरित स्कूल।
- सहायता व मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक विद्यालय उच्च शिक्षा संस्थानों से जुड़ा/जुड़ा हुआ है।
- प्रत्येक विद्यालय स्थानीय उद्यमशील इकोसिस्टम से जुड़ा/जुड़ा हुआ है।
- प्रत्येक बच्चे को मनोवैज्ञानिक कल्याण और करियर के लिए परामर्श दिया जाता है।
- छात्र भारत के ज्ञान और विरासत से जुड़े होंगे; सभ्यता के लोकाचार और भारत के मूल्यों पर गर्व करेंगे; दुनिया में भारत के योगदान के बारे में जागरूक होंगे; समाज, जीवों और प्रकृति के प्रति कर्तव्यों के लिए सजग रहेंगे; कुछ भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम होंगे; समावेशिता, समानता और अनेकता में एकता का सम्मान करेंगे; दूसरों की सेवा करने की प्रेरणा होगी और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के लिए काम करने की इच्छा रखेंगे।
- चरित्र निर्माण, नागरिकता मूल्य, राष्ट्र निर्माण के प्रति मौलिक कर्तव्य और उत्तरदायित्व।
इन स्कूलों को बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए जीवंत स्कूलों के रूप में विकसित किया जाएगा।
लाभार्थी:
इस योजना से 18 लाख से अधिक छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है। इसके अलावा पीएम श्री स्कूलों के आसपास के स्कूलों पर भी मार्गदर्शन और सहयोग के माध्यम से प्रभाव पड़ेगा।
Read More »केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र 2025 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद
केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज कहा, भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र 2025 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
“सीजिंग द ग्लोबल ऑपर्चुनिटी” शीर्षक से 14वें सीआईआई ग्लोबल मेडटेक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा पिछले दो वर्षों में नवाचार और प्रौद्योगिकी पर अधिक केन्द्रित हो गई है और 80 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल पद्धतियों का आने वाले पांच वर्षों में डिजिटल स्वास्थ्य साधनों में अपना निवेश बढ़ाने का लक्ष्य है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, टेलीमेडिसिन भी 2025 तक 5.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तकनीकी योजना ई-संजीवनी ने वर्चुअल डॉक्टर परामर्श को सक्षम बनाया है और देश के दूरदराज के हिस्सों में रहने वाले हजारों लोगों को अपने घरों में आराम से बैठकर बड़े शहरों के प्रमुख डॉक्टरों से जोड़ा है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य अगले 10 वर्षों में आयात निर्भरता को 80 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत से कम करना है और विशेष उपलब्धि- स्मार्ट (एसएमएआरटी) के साथ मेक इन इंडिया के माध्यम से मेड-टेक में 80 प्रतिशत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारत सरकार ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए संरचनात्मक और निरंतर सुधार किए हैं और एफडीआई को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल नीतियों की भी घोषणा की है। इससे रुख में बदलाव आया है, देश मेडटेक नवाचार का केन्द्र बन गया है और पश्चिमी उत्पादों को अपनाने के बजाय, भारतीय नवप्रवर्तनकर्ता अग्रणी मेडटेक उत्पाद और समाधान विकसित कर रहे हैं। भारत महत्वपूर्ण परिवर्तन बिंदु पर पहुंच गया है, जिससे हेल्थटेक/मेडटेक इकोसिस्टम का तेजी से विस्तार हो रहा है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने जोर देकर कहा कि इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि के लिए भारत के पास सभी आवश्यक सामग्री है, जिसमें एक बड़ी आबादी, एक मजबूत फार्मा और चिकित्सा आपूर्ति श्रृंखला, 750 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता, वीसी फंडिंग तक आसान पहुंच के साथ विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप पूल और वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिए नवीन तकनीकी उद्यमी शामिल हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने यह भी कहा कि महामारी ने इस क्षेत्र में व्यापार करने के परिदृश्य को बदलकर एक अतिरिक्त गति प्रदान की है। उन्होंने कहा, इसने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए विशेष रूप से टेली-परामर्श, एआई-आधारित निदान और दूरस्थ स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में व्यापक अवसर खोले हैं।
विजन @ 2047 पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि उम्मीद है कि भारत 14 से 15 प्रतिशत से ऊपर चिकित्सा उपकरणों के शीर्ष बाजारों में से एक बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक स्थिति को घरेलू खपत बढ़ाने और स्वास्थ्य देखभाल सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 73 नए मेडिकल कॉलेज बनाकर राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन 2020 में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करके प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार की मसौदा नीति के आधार पर भारत का लक्ष्य 100-300 अरब डॉलर के उद्योग तक पहुंचने के लिए चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र के वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 10 से 12 प्रतिशत हासिल करना है। देश में उत्पाद विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा उपकरणों का तेजी से नैदानिक परीक्षण करने के लिए लगभग 50 क्लस्टर होंगे। उन्होंने कहा कि जीवन प्रत्याशा, स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव में बदलाव, वरीयताओं में बदलाव, बढ़ते मध्यम वर्ग, स्वास्थ्य बीमा में वृद्धि, चिकित्सा सहायता, बुनियादी ढांचे के विकास और नीति समर्थन और प्रोत्साहन इस क्षेत्र को आगे बढ़ाएंगे।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब यह वास्तव में विनिर्माण केन्द्र और दुनिया भर में चिकित्सा उपकरणों के प्रमुख निर्यातक बनकर वैश्विक पदचिह्न स्थापित किए जाने चाहिए, क्योंकि यह मेक इन इंडिया अभियान का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है, जिसमें भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को सूर्योदय खंड के रूप में पहचाना गया है। उन्होंने कहा कि इस मान्यता ने उद्योग को निम्न-तकनीक खंड से लेकर उपकरणों की अधिक परिष्कृत श्रेणियों तक के उपकरण-खंडों की मूल्य श्रृंखला में अपना कौशल गहरा करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन दिया है।
Read More »वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने यूपी के मिर्जापुर में ‘चुनार लॉजिस्टिक्स पार्क’ की आधारशिला रखी
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज कहा कि चुनार लॉजिस्टिक्स पार्क चुनार और आसपास के लोगों के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। वह यूपी के मिर्जापुर में ‘चुनार लॉजिस्टिक्स पार्क’ के शिलान्यास समारोह को संबोधित कर रही थीं। केंद्रीय रेल, संचार तथा इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।.
कार्यक्रम की शुरुआत में श्रीमती पटेल ने रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव को लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना में गहरी रुचि लेने और रेल मंत्रालय का निरंतर सहयोग प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया।
यह देखते हुए कि चुनार, मिर्जापुर और आसपास के क्षेत्रों के कालीन और हस्तशिल्प उद्योग न केवल राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं, बल्कि अपनी विशिष्टता और गुणवत्ता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचाने जाते हैं, श्रीमती पटेल ने जोर देकर कहा कि अत्याधुनिक ‘चुनार लॉजिस्टिक्स पार्क’ स्थानीय निर्यातकों, आयातकों और व्यापारियों को उनकी निर्यात, आयात और घरेलू व्यापार आवश्यकताओं को पूरा करेगा जिसकी जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
यह कहते हुए कि परियोजना पूर्वी यूपी और आसपास के क्षेत्रों की व्यावसायिक जरूरतों को पूरा करेगी, माननीय मंत्री ने कहा कि निर्यात और आयात को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत निर्यातकों और आयातकों को सभी आवश्यक सुविधाएं और सहायता प्रदान की जाएगी।
माननीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि लॉजिस्टिक्स पार्क की स्थापना से रोजगार उत्पन्न करने में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह रेल से माल ढुलाई को बढ़ावा देने और लॉजिस्टिक की लागत और सामान को लाने ले जाने के समय को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे स्थानीय कालीन और हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
श्रीमती पटेल ने बताया कि इस परियोजना के तहत शुरू में लगभग 400 कंटेनरों की सुविधा विकसित की जाएगी और सामान के भंडारण और संचालन के लिए 2000 वर्ग मीटर के गोदाम उपलब्ध कराए जाएंगे। इस सुविधा में चौबीसों घंटे सुरक्षा, सीसीटीवी कैमरे, अत्याधुनिक कंटेनर हैंडलिंग उपकरण भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि व्यापार और उद्योग की आवश्यकता के आधार पर और वाणिज्यिक रूप से व्यवहारिकता को ध्यान में रखते हुए, लॉजिस्टिक पार्क में सेवाओं का चरणबद्ध तरीके से विस्तार किया जाएगा।.
माननीय मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि चुनार और आसपास के क्षेत्र के विकास की गति को तेज करने में ‘चुनार लॉजिस्टिक्स पार्क’ निश्चित रूप से मील का पत्थर साबित होगा।
Read More »एस .एन. सेन बी. वी.पी.जी.कॉलेज में शिक्षक पर्व के चौथे दिन ‘ गुरु शिष्य संबंधों की वर्तमान शिक्षा नीति 2020 के परिदृश्य में प्रासंगिकता’ विषय पर चर्चा हुई
कानपुर 8 सितंबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस .एन. सेन बी. वी.पी.जी.कॉलेज, कानपुर में 5-09-2022 से 9 -09-2022 तक मनाए जाने वाले शिक्षक पर्व के चौथे दिन आज दिनांक 8 सितंबर 2022 को ‘ गुरु शिष्य संबंधों की वर्तमान शिक्षा नीति 2020 के परिदृश्य में प्रासंगिकता’ विषय पर पैनल चर्चा की गई जिसमें महाविद्यालय की शिक्षिकाओं और छात्राओं ने भाग लिया। पैनल चर्चा में शामिल मुख्य सदस्य थे- कैप्टन ममता अग्रवाल,श्रीमती किरण,डॉ. प्रीति पांडे, प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास, ,डॉ .प्रीति सिंह, डॉ. पूजा गुप्ता, डॉ. संगीता सिंह,डॉ. शिवांगी यादव, डॉ.अमिता। सर्वप्रथम शिक्षक पर्व कार्यक्रम की प्रभारी डॉ. रेखा चौबे एवं अतिथिगण डॉ अलका टंडन, डॉ.गार्गी यादव, डॉ. निशा अग्रवाल ने सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने गुरु को मां के समान बताया। कैप्टन ममता अग्रवाल जी ने प्राचीन वैदिक काल के गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पर बल देते हुए तकनीकी परिवर्तन के महत्व को भी स्वीकारा। श्रीमती किरण ने बताया कि गुरु शिष्य परंपरा तभी संभव है जब गुरु के अंदर करुणा और शिष्य के अंदर विनम्रता का भाव हो। प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास ने शिक्षक के महत्व को बताते हुए कहा कि आधुनिकता और परंपरा का समन्वय ही भारत को थिंक टैंक के रूप में विकसित कर सकता है। डॉ प्रीति पांडे ने NEP 2020 की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षक -छात्र का संबंध किस तरह से हो कि छात्र गुरु से ज्ञान प्राप्त करें और समाज में आत्मनिर्भर बन सकें।डॉ. प्रीति सिंह ने बताया कि तकनीकी का प्रयोग करके शिक्षक अपने ज्ञान का हस्तांतरण दूर बैठे छात्र को कर सकता है।डॉ संगीता सिंह ने प्रश्न उठाया की आख़िर ऐसा क्या किया जाए की छात्र औपचारिक संस्थाओं में आए और हम शिक्षकों से जुड़ाव महसूस करे।डॉक्टर पूजा गुप्ता ने गुरु शिष्य परंपरा पर बल देते हुए कहा कि न केवल गुरु शिष्य को ज्ञान देता है बल्कि शिष्य भी नई तकनीकी को सीखने में गुरु की मदद करता है।डॉ. अमिता सिंह ने बताया की सिखाने के लिए आवश्यक नही है की हमें कोई गुरु ही सिखाए, हम जीवन अनुभवों से भी सीख सकते है। डॉक्टर शिवांगी यादव ने भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए गुरु और शिष्य के महत्व पर प्रकाश डाला।प्राचार्य डॉ. सुमन ने इस कार्यक्रम के आयोजन की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए शिक्षक और छात्र के संबंध में आई दूरी को वजह बताया उन्होंने सभी छात्रों को शिक्षक के सहयोग से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया ।
Read More »दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की एनएसएस इकाई द्वारा मनाए जाने वाले *’राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’* के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन
कानपुर 7 सितंबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की एनएसएस इकाई के द्वारा पोषण एवं स्वास्थ्य के तहत मनाए जाने वाले *’राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’* के अंतर्गत एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें रीजेंसी हॉस्पिटल से डॉ० जया अग्रवाल ने कुपोषण, उससे होने वाली बीमारियों, संतुलित आहार और पोषण के महत्व के बारे में अवगत कराया। प्राचार्य प्रो. सुनंदा दुबे ने रीजेंसी अस्पताल से आई टीम का स्वागत करते हुए भारत सरकार के द्वारा पोषण पूर्ति व स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए चलाए जा रहे अभियान *पोषण माह* की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया। कार्यक्रम का संचालन भूगोल विभाग की असि. प्रो. डॉ अंजना श्रीवास्तव ने तथा धन्यवाद एनएसएस प्रभारी डॉ संगीता सिरोही ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. साधना सिंह, कु० श्वेता गौड़, आकांक्षा अस्थाना एवं सभी छात्राओं ने सक्रिय प्रतिभागिता की।
Read More »एस .एन. सेन बी. वी.पी.जी.कॉलेज में शिक्षक पर्व के तीसरे दिन पुस्तक वाचन एवं प्रदर्शनी का आयोजन
एस .एन. सेन बी. वी.पी.जी.कॉलेज, कानपुर में 5-09-2022 से 9 -09-2022 तक मनाए जाने वाले शिक्षक पर्व के तीसरे दिन आज दो कार्यक्रमों का आयोजन किया गया -पहला कार्यक्रम पुस्तक वाचन एवं दूसरा प्रदर्शनी। पुस्तक वाचन कार्यक्रम का आयोजन दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष श्रीमती किरण एवं उनकी सहयोगी रोली मिश्रा, डॉक्टर पूजा गुप्ता एवं डॉक्टर संगीता सिंह ने किया। पुस्तक वाचन कार्यक्रम में विभिन्न संकाय से लगभग 50 छात्राओं एवं शिक्षिकाओं ने हिस्सा लिया। छात्राओं द्वारा अंग्रेजी कविता, उपन्यास,हिंदी कविताओं एवं संस्कृत श्लोक का वाचन किया गया। इसके उपरांत संबंधित विभाग की शिक्षिकाओं ने उन्हें आकर्षक ढंग से प्रस्तुति के गुर सिखाए।इस कार्यक्रम में अपेक्षा शुक्ला ,यास्मीन बानो, रोशनी सिंह, हर्षिता साहू के द्वारा सुंदर ढंग से प्रस्तुति करने के उपरांत उन्हें प्रमाण पत्र दिया गया। इसके उपरांत प्राचार्य डॉ सुमन ने सभी छात्राओं को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि पुस्तकें हमारे देश एवं संस्कृति से सरोकार रखती है ,अतः सभी लोग नियमित रूप से पुस्तक पढ़ें।कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती किरण ने सभी शिक्षकों एवं छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।
दिन के दूसरे कार्यक्रम पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन सितार विभाग की विभागाध्यक्ष कैप्टन ममता अग्रवाल एवं उनकी सहयोगी रोली मिश्रा ने किया। अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अलका टंडन एवं समाजशास्त्र की प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास ने निर्णायक का कार्य किया। इस प्रतियोगिता में लगभग 35 छात्राओं ने सहभागिता की जिसमें प्रथम पुरस्कार बीए तृतीय वर्ष की छात्रा संस्कृति पॉल ,द्वितीय पुरस्कार बीए तृतीय वर्ष की छात्रा रोशनी सिंह ने प्राप्त किया। तृतीय स्थान दो छात्राओं ने प्राप्त किया बीए प्रथम वर्ष की गुल्फ़िशा एवं बी. ए. तृतीय वर्ष की यासमीन। सांत्वना पुरस्कार बी. ए.तृतीय वर्ष की छात्रा ओमाक्षी पंडित को मिला। कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य जी ने प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए कैप्टन ममता अग्रवाल एवं उनकी टीम को बधाई एवं धन्यवाद ज्ञापित किया तथा इस प्रतियोगिता में आगे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के लिए सभी छात्राओं को प्रोत्साहित किया।शिक्षक पर्व कार्यक्रम की प्रभारी समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर निशि प्रकाश एवं प्रोफेसर रेखा चौबे के सफल मार्गदर्शन से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
नितिन गडकरी 8 सितंबर को बेंगलुरु में “मंथन” का उद्घाटन करेंगे
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी 08 सितंबर, 2022 को बेंगलुरु में “मंथन” का उद्घाटन करेंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा नागर विमानन राज्यमंत्री जनरल (डॉ.) वी.के सिंह (सेवानिवृत्त) और कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई उनके साथ उपस्थित रहेंगे।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा तीन-दिवसीय आमंत्रण सम्मेलन सह-सार्वजनिक एक्सपो – “मंथन” का आयोजन किया गया है। सड़क, परिवहन और रसद क्षेत्र से संबंधित अनेक मुद्दों तथा अवसरों पर चर्चा करना और राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों एवं उद्योगजगत के अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ जुड़ना, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना, नीतिगत समर्थन और क्षमता विकास करना इस आयोजन का लक्ष्य है। ”अवधारणाओं से कार्य तक: एक स्मार्ट, टिकाऊ, सड़क सुविधा, गतिशीलता और लॉजिस्टिक इको सिस्टम की ओर” मंथन का मूल विषय है।
कई राज्यों के लोक निर्माण विभाग, परिवहन और उद्योग मंत्रालयों के विभागों के मंत्री तथा इन मंत्रालयों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा, उद्योगजगत के वरिष्ठ एवं अग्रणी हस्तियां और विशेषज्ञ भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के वरिष्ठ अधिकारी, नीति नियोजक, विशेषज्ञ, कॉर्पोरेट क्षेत्र की हस्तियां और तकनीकी विशेषज्ञ सहित अन्य लोग भी इस आयोजन के दौरान विचार-विमर्श में हिस्सा लेंगे।चर्चा तीन व्यापक क्षेत्रों पर केंद्रित होगी। पहला, सड़क विकास, नई सामग्री और प्रौद्योगिकी एवं सड़क सुरक्षा सहित सड़कों के बारे में। दूसरा, ईवी और वाहन सुरक्षा आदि सहित परिवहन क्षेत्र; और तीसरा, रोपवे, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क, पर्वतमाला और डिजिटल इंटरवेंशन सहित वैकल्पिक तथा भविष्य का आवागमन की गतिशीलता इनमें शामिल हैं। इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान परिवहन विकास परिषद की 41वीं बैठक का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम के दौरान नेक्स्ट-जेन एम परिवहन मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया जाएगा।8 सितंबर की शाम को गायत्री विहार, पैलेस ग्राउंड में एक ड्रोन शो का भी आयोजन किया जाएगा। यह शो आम लोगों के लिए खुला होगा।
सम्मेलन के साथ आयोजित तीन-दिवसीय सार्वजनिक एक्सपो का उद्देश्य राजमार्ग के विकास में काम आने वाली प्रौद्योगिकियों और सामग्रियों को प्रदर्शित करने के साथ-साथ भारतमाला, पर्वतमाला और ईवीएस आदि जैसे नए कार्यक्रमों से अवगत कराना है। हुंडई कंस्ट्रक्शन, जेसीबी, एसीई, वोल्वो, टाटा हिताची, कैटलिन, 3एम, टिकी टार एंड शेल, टीवीएस मोटर्स, टाटा मोटर्स, टोयोटा किर्लोस्कर, कैटलिन, राइटजेन इंडिया, आईसीईएमए, अम्मान इंडिया, इंडियन रोड सर्वे सहित 65 से अधिक प्रदर्शक सार्वजनिक एक्सपो में हिस्सा लेंगे।
Read More »भारत और बांग्लादेश ने दोनों देशों के बीच अंतर-सरकारी रेलवे संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से दो समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए
अप्रैल 2022 में भारतीय रेलवे के बहु-क्षेत्रीय प्रतिनिधिमंडल की बांग्लादेश यात्रा और 1 जून 2022 को भारत के रेल मंत्री और बांग्लादेश के रेल मंत्री के बीच हुई हालिया बैठक के बाद, दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग को बढ़ावा देने और अंतर-सरकारी रेलवे संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत और बांग्लादेश के बीच दो समझौता ज्ञापन (एमओयू) तैयार किए गए हैं। बांग्लादेश की माननीय प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान 06 सितंबर 2022 को इन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए और उनका आदान-प्रदान किया गया।
- “भारतीय रेलवे के प्रशिक्षण संस्थान में बांग्लादेश रेलवे कर्मचारियों के प्रशिक्षण” से संबंधित समझौता ज्ञापन
इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य आपसी सहयोग की रूपरेखा तैयार करना और विभिन्न स्थलों के दौरों सहित भारतीय रेलवे के प्रशिक्षण संस्थानों में बांग्लादेश रेलवे के कर्मचारियों के प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करना है। इसमें डिजाइनिंग, समन्वय, सेमिनार आयोजन, कार्यशालाएं, कक्षा एवं स्थल आधारित प्रशिक्षण शामिल होंगे। बांग्लादेश में प्रशिक्षण संबंधी सुविधाओं की स्थापना एवं उनका उन्नयन करने और अध्ययन संबंधी जरूरतों को पूरा करने हेतु यात्रा एवं सहायता करने समेत विभिन्न जरूरतों के अनुरूप भारतीय रेल बांग्लादेश सरकार के रेल मंत्रालय के अधिकारियों के साथ समन्वय भी स्थापित करेगा।
- “बांग्लादेश रेलवे के लिए एफओआईएस जैसी आईटी प्रणाली और अन्य आईटी अनुप्रयोगों में सहयोग” से संबंधित समझौता ज्ञापन
भारत सरकार का रेल मंत्रालय बांग्लादेश रेलवे में यात्री टिकटिंग, माल ढुलाई एवं नियंत्रण कार्यालय, ट्रेन पूछताछ प्रणाली, परिसंपत्ति प्रबंधन का डिजिटलीकरण, मानव संसाधन एवं वित्तीय बुनियादी ढांचे जैसे कंप्यूटरीकरण के सभी पहलुओं के लिए रेलवे सूचना प्रणाली केन्द्र (सीआरआईएस) के माध्यम से बांग्लादेश रेलवे को आईटी से जुड़े समाधानों की पेशकश करेगा।
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