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पिछले 20 वर्षों में श्री नरेन्द्र मोदी का शासन मॉडल हर नई चुनौती के साथ मजबूत हुआ है- केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि पिछले 20 वर्षों में श्री नरेन्द्र मोदी का शासन मॉडल हर नई चुनौती के साथ मजबूत हुआ है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा “मोदी @20- ड्रीम्स मीट डिलीवरी” में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधन देते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, “मोदी @ 20” के सार और भावना को समझने के लिए, इस पुस्तक को इसकी संपूर्णता और इसके वास्तविक संदर्भ और परिप्रेक्ष्य में पढ़ा जाना आवश्यक है। डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि श्री नरेन्द्र मोदी एकमात्र भारतीय नेता हैं जिन्होंने पहले मुख्यमंत्री के रूप में और फिर प्रधानमंत्री के रूप में सरकार के मुखिया के रूप में 20 साल पूरे किए हैं, और दुनिया भर में भी यह एक दुर्लभ उपलब्धि हो सकती है। दूसरा, मोदी संसद सदस्य रहे बिना सीधे प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने वाले मुख्यमंत्री के रूप में भी एक दुर्लभ उदाहरण हैं।

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और सबसे बड़ी विशेषता यह है कि 2002 में श्री मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले, उन्होंने कभी भी सरकार या प्रशासन में कोई पद नहीं संभाला था। न तो स्थानीय स्तर पर या राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर कोई चुनाव लड़ा था। वे ज्यादातर संगठनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रहे।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमें अध्ययन और विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि आखिर वे कौन से आवश्यक कारक हैं जिन्होंने मोदी के शासन मॉडल को 20 वर्षों तक बनाए रखा है और यह 20 वर्षों से भी आगे तक कायम है। गौरतलब है कि घटते प्रतिफल के सिद्धांत से प्रभावित होने के बजाय, मोदी के 20 वर्षों के शासन के प्रत्येक गुजरते वर्ष ने बढ़ते प्रतिफल दिए हैं और प्रत्येक नई चुनौती ने इस शासन मॉडल को मजबूत, अधिक प्रभावी और स्थायी रूप से उभरने में सक्षम बनाया है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के तुरंत बाद, उनकी पहली चुनौती भुज में आया विनाशकारी भूकंप थी और सरकार के प्रमुख के रूप में 20 साल पूरे करने के बाद, उनके सामने नवीनतम चुनौती देश भर में 140 करोड़ लोगों के बीच फैली कोविड महामारी थी। इन चुनौतियों को सफलतापूर्वक कैसे दूर किया गया और आपदा को कैसे अवसर में बदल दिया गया, इसका एक शोध अध्ययन मोदी के अनूठे और विशिष्ट कार्य शैली को भी सामने लाएगा। यह शैली उनकी हर विषय में गहराई तक जाने की निर्विवाद खोज और उन अधिकारियों को नए आइडियाज देने में सक्षम बनाती है जो उन्हें प्रशासनिक मुद्दों पर ब्रीफिंग के लिए आते हैं। लंबे समय तक इस बात पर मंथन और आत्मनिरीक्षण कि नए आइडियाज कैसे लाए जाएं और उन्हें जमीन पर कैसे उतारा जाए, उन्हें यह आश्वस्त करने में सक्षम बनाता है कि “ड्रीम्स मीट डिलीवरी”, जैसा कि पुस्तक का शीर्षक भी दर्शाता है।

 

“मोदी @ 20 …” पुस्तक में शामिल कई चैप्टर्स में से, डॉ जितेंद्र सिंह ने अमित शाह द्वारा “डेमोक्रेसी, डिलीवरी एंड पॉलिटिक्स ऑफ होप” नामक अध्याय का उल्लेख किया जो देश के निराशावाद को आशावाद में बदल देता है और सुधा मूर्ति का चैप्टर जो मोदी के नेतृत्व में आकांक्षी भारत के जागरण को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर का अध्याय मोदी द्वारा व्यग्तिगत तौर पर छाप छोड़ने की उनकी क्षमता पर प्रकाश डालता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक ओर जहां मोदी ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) जैसी योजनाओं के माध्यम से लास्ट माइल डिस्ट्रिब्यूशन के लिए प्रौद्योगिकी का बेहतरीन उपयोग किया, वहीं उनका शासन अधिक से अधिक प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित है, जिसने न केवल लोगों के जीवन को आसान बनाने में मदद की बल्कि आम आदमी के लिए सिंगल पोर्टल, सिंगल फॉर्म जैसे उपायों और “मिशन कर्मयोगी” जैसी नवीन अवधारणाओं के माध्यम से सिविल सेवकों द्वारा सर्विसेंज के उद्देश्यपूर्ण वितरण को भी सक्षम बनाया है।

मोदी ने 15 अगस्त 2015 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में भारत को एक भविष्यवादी दृष्टिकोण दिया और “स्टार्टअप इंडिया-स्टैंडअप इंडिया” के बारे में बात की। यह तक था जब इस देश में स्टार्टअप अवधारणा लगभग निराशाजनक थी। आज भारत स्टार्टअप इकोसिस्टम में दुनिया में तीसरे स्थान पर है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अमृत महोत्सव के बारे में जो जोर देकर कहते हैं, उसका एक अर्थ यह भी है कि वह अगले 25 वर्षों में भारत की उभरती भूमिका को देखते हैं और उनका शासन मॉडल वैश्विक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए राष्ट्र की क्षमता का निर्माण करना चाहता है।

कार्यक्रम के अन्य पैनलिस्टों में पूर्व राजदूत और विद्वान जी. पार्थसारथी, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के कार्यकारी निदेशक, सुरजीत एस. भल्ला शामिल थे, जबकि कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू, प्रोफेसर संजीव जैन द्वारा किया गया था।

पैनल चर्चा के दौरान, प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव ने ईडी, जम्मू-कश्मीर के लिए तिफाक मित्र (प्रौद्योगिकी सूचना पूर्वानुमान और आकलन परिषद) और ‘गाँव का विकास, प्रौद्योगिकी के साथ’ विषय पर प्रस्तुति दी। प्रस्तुति देते हुए, प्रो. श्रीवास्तव ने श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी और ईएस मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा राष्ट्र को समर्पित तिफाक टेली डिजिटल हेल्थ पायलट प्रोग्राम की शुरुआत, जो देश के क्षेत्रों में दूरस्थ लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है, शामिल है। इस कार्यक्रम के तहत प्रमुख गतिविधियों में पहनने योग्य उपकरणों के साथ रोगियों की जांच, ई-संजीवनी क्लाउड के माध्यम से स्वास्थ्य डेटा रिकॉर्ड को विश्लेषण के लिए डॉक्टरों के एक पूल में स्थानांतरित करना शामिल है।

पुस्तक के प्रमुख लेखकों में श्री अजीत डोभाल, चौ अरविंद पनगढ़िया, श्री नृपेंद्र मिश्रा, श्री नंदन नीलेकणी व अन्य शामिल हैं।

‘मोदी @20- ड्रीम्स मीट डिलीवरी’ पुस्तक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उदय के बारे में है जो भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखे जाते हैं। यह पुस्तक देश पर उनके प्रभाव के परिमाण पर चर्चा करती है कि भारत के शासन प्रतिमान और राजनीतिक इतिहास को आसानी से दो अलग-अलग युगों ‘मोदी से पहले और मोदी के बाद’ में विभाजित किया जा सकता है।

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बाड़मेर के निकट भारतीय वायुसेना का मिग-21 क्रैश

भारतीय वायुसेना का एक ट्विन सीटर मिग-21 ट्रेनर विमान आज शाम राजस्थान के उतरलाई हवाई अड्डे से प्रशिक्षण के लिए उड़ान के लिए रवाना हुआ। रात करीब 9 बजकर 10 मिनट पर बाड़मेर के निकट विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दोनों पायलटों को घातक चोटें आईं।

भारतीय वायुसेना इन जानों के नुकसान पर हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है और शोक संतप्त परिवारों के साथ दृढ़तापूर्वक जुड़ी है।

दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं।

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​​टॉप्स से जुड़ी एथलीट और साई एनसीओई की प्रशिक्षु बिंद्यारानी का अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन

भारोत्तोलक बिंद्यारानी देवी ने राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं के 55 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीता। उन्होंने कुल 202 किलोग्राम (86 किलोग्राम + 116 किलोग्राम) वजन उठाए।

एक दशक से भी कम समय पहले मणिपुर की बिंद्यारानी देवी ने अपने गृहनगर इम्फाल में भारोत्तोलन शुरू किया था। इस खेल को अपनाने के तीन साल से भी कम समय में उन्हें इम्फाल स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) में प्रशिक्षण के लिए चुन लिया गया और वहां से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

एनसीओई इंफाल में तीन साल के निरंतर प्रशिक्षण एवं कड़ी मेहनत के बाद, उन्हें वर्ष 2019 में साई के पटियाला क्षेत्रीय केंद्र में भारतीय राष्ट्रीय शिविर के लिए चुना गया।

उन्होंने राष्ट्रमंडल सीनियर चैंपियनशिप 2019 में स्वर्ण पदक, वर्ष 2021 में इसी स्पर्धा में रजत पदक सहित कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की है। लेकिन उन्हें सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि 30 जुलाई की रात को हासिल हुई जब उन्होंने बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में 55 किलोग्राम भार वर्ग की स्पर्धा में रजत पदक जीता।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे राष्ट्रमंडल चैंपियन राष्ट्रमंडल खेलों के लिए अच्छी तरह से तैयार हों, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) ने साई के तहत अपने प्रशिक्षण एवं प्रतियोगिता के लिए वार्षिक कैलेंडर (एसीटीसी) योजना के माध्यम से कुल 25,63,336 रुपये का वित्त पोषण प्रदान किया। इस योजना ने अन्य भारोत्तोलकों के साथ बिंद्यारानी को भी राष्ट्रमंडल खेलों से एक महीना पहले बर्मिंघम भेजा ताकि वे इस बड़ी स्पर्धा से पहले वहां के  वातावरण के साथ तालमेल बिठा सकें। बिंद्यारानी टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के विकास समूह का भी हिस्सा हैं, जो उन्हें 25,000 रुपये के मासिक भत्ते के साथ-साथ अपने प्रशिक्षण के लिए व्यक्तिगत सहायता प्राप्त करने की अनुमति देता है।

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भारोत्तोलक मीराबाई चानू द्वारा कल भारत का पहला स्वर्ण पदक जीतने के बाद जेरेमी ने राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारोत्तोलन में भारत का दूसरा स्वर्ण जीता

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जेरेमी को उनके इस असाधारण प्रदर्शन के लिए बधाई दी
  • खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने जेरेमी को बधाई देते हुए कहाभारत को उन पर गर्व है

मिजोरम से आने वाले 19 साल के जेरेमी लालरिननुंगा ने रविवार को राष्ट्रमंडल खेलों में भारोत्तोलन के 67 किलोग्राम वर्ग में भारत का दूसरा स्वर्ण पदक जीता। जेरेमी ने इन खेलों में कुल 300 किग्रा (स्नैच में 140 किग्रा + सी एंड जे में 160 किग्रा) भार उठाया, जो सीडब्ल्यूजी में एक रिकॉर्ड है। इस मुकाबले में भारत का ये पांचवां पदक और दूसरा स्वर्ण पदक है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और देश के कोने-कोने से भारतीयों ने जेरेमी को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।Image

इससे पहले, मीराबाई चानू ने महिलाओं की 49 किलोग्राम भारोत्तोलन स्पर्धा में कुल 201 किलोग्राम भार उठाकर राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता था। संकेत सरगर ने पुरुषों की 55 किग्रा भारोत्तोलन स्पर्धा में रजत पदक जीता। बिंद्यारानी देवी ने महिलाओं के 55 किग्रा भारोत्तोलन में रजत पदक और पुरुषों के 61 किग्रा भारोत्तोलन वर्ग में गुरुराजा पुजारी ने कांस्य पदक जीता।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने जेरेमी को उनकी इस उपलब्धि के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ट्वीट किया:

“बधाई हो जेरेमी लालरिननुंगा, राष्ट्रमंडल खेलों में भारोत्तोलन में स्वर्ण पदक जीतने के लिए। इस आयोजन के दौरान चोट लगने के बावजूद आपके आत्मविश्वास ने आपको ये इतिहास रचने और लाखों लोगों को प्रेरित करने में सक्षम बनाया। आपकी पोडियम फिनिश ने भारतीयों को गर्व से भर दिया है। आपको ऐसे और गौरवशाली के पलों की शुभकामनाएं।”

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उपराष्ट्रपति ने पुलिस बलों से महिलाओं के विरूद्ध अपराधों से संबंधित मामलों में अतिरिक्त संवेदनशील होने की अपील की

उपराष्ट्रपति  एम. वेंकैया नायडू ने आज पुलिस बलों से महिलाओं के विरूद्ध अपराधों से संबंधित मामलों में अतिरिक्त संवेदनशील होने की अपील की। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ने और उनकी पूरी क्षमता हासिल करने में सहायता करने के लिए महिलाओं के लिए सुरक्षित और सक्षमकारी वातावरण का निर्माण करना बहुत महत्वपूर्ण है।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image009EV79.jpg

श्री नायडू ने आज चेन्नई में तमिलनाडु पुलिस को प्रेसिडेंशियल पुलिस कलर प्रदान करने के बाद पुलिस कर्मियों को संबोधित करते हुए, देश में सबसे अधिक महिला पुलिस थानों और महिला पुलिस कर्मियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या होने के लिए तमिलनाडु की प्रशंसा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाएं हमारी आधी आबादी हैं लेकिन उन्हें विभिन्न मोर्चों पर समान अवसर प्रदान करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

उपराष्ट्रपति ने साइबर अपराध और अन्य आधुनिक अपराधों जैसे ऑनलाइन धोखाधड़ी और सीमापारी अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए, पुलिस बलों को 21वीं सदी के इन अपराधों से प्रभावी और त्वरित तरीके से निपटने के लिए कुशल बनने और खुद को इसके लिए तैयार होने की अपील की। उन्होंने वैज्ञानिक तर्ज पर साइबर अपराध के मामलों की जांच के लिए विभिन्न साइबर फोरेंसिक सुविधाओं के अलावा 46 साइबर अपराध पुलिस स्टेशनों के साथ एक अलग साइबर अपराध विंग की स्थापना के लिए तमिलनाडु पुलिस की सराहना की। उन्होंने कहा, “कौशल का उन्नयन, अवसंरचना में सुधार और पुलिस बल के रवैये में बदलाव पुलिस के आधुनिकीकरण के प्रमुख तत्व हैं।”

उपराष्ट्रपति ने सांस्कृतिक कलाकृतियों की चोरी या नुकसान के मामलों की जांच के लिए देश में अपनी तरह की पहली विशिष्ट आइडल विंग के लिए भी तमिलनाडु पुलिस की सराहना की। हाल ही में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से दस अमूल्य प्राचीन मूर्तियों को हासिल करने के लिए राज्य पुलिस की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपनी सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत और सभ्यतागत मूल्यों को संरक्षित करने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने तमिलनाडु राज्य की समृद्ध और गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करते हुए इसे हमारी आगामी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

श्री नायडू ने तमिलनाडु को भारत के सबसे समृद्ध और औद्योगिक राज्यों में से एक बताते हुए कहा कि तेजी से बदलते सामाजिक-आर्थिक माहौल में पुलिस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “राज्य की आर्थिक प्रगति के पीछे प्राथमिक कारणों में से एक सार्वजनिक व्यवस्था और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने में राज्य पुलिस की भूमिका है, जो राज्य में निवेश, वृद्धि और विकास को आकर्षित करने के लिए आवश्यक है।”

पुलिस कर्मियों के लिए कई कल्याणकारी उपायों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति ने बल में तनाव तथा शराब और आत्महत्याओं की रोकथाम के लिए एक “पुलिस कल्याण कार्यक्रम” शुरू करने के लिए विशेष रूप से तमिलनाडु की प्रशंसा की। उन्होंने तमिलनाडु की 1076 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा की प्रभावी ढंग से रक्षा करने और मछुआरों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने में राज्य पुलिस की भूमिका की भी सराहना की।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001G8EL.jpg

प्रेसीडेंट पुलिस कलर की प्रस्तुति को तमिलनाडु पुलिस के इतिहास में एक गौरवशाली क्षण बताते हुए, श्री नायडू ने तमिलनाडु पुलिस के सभी सेवारत और सेवानिवृत्त सदस्यों को अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “यह आपके समर्पण, पेशागत कुशलता, निस्वार्थ सेवा और बलिदान का सम्मान है”। उपराष्ट्रपति ने तमिलनाडु में पुलिस महानिदेशक और पुलिस बल के प्रमुख डॉ. सी. सिलेंद्र बाबू को भी बधाई दी, जिनके नेतृत्व में तमिलनाडु पुलिस के कर्मियों ने परेड का एक प्रभावशाली प्रदर्शन किया। श्री नायडू ने इस अवसर पर एक डाक टिकट भी जारी किया।

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान, चेन्नई के साथ अपने जीवन भर रहे जुड़ाव का स्मरण किया और इसे एक सुंदर शहर बताया जो उन्हें सदा विस्मित करता रहा है। उपराष्ट्रपति के रूप में यह श्री नायडू की चेन्नई की अंतिम यात्रा थी।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री एम.के. स्टालिन, तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव डॉ. वी. इराई अंबू, तमिलनाडु के पुलिस बल के प्रमुख, डीजीपी डॉ. सी. सिलेंद्र बाबू,  तमिलनाडु सरकार के एसीएस (गृह) श्री के. फणींद्र रेड्डी, चेन्नई के डीजीपी/सीओपी श्री शंकर जीवाल, तमिलनाडु सर्कल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल श्री बी. सेल्वा कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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रक्षा मंत्री ने भूतपूर्व सैनिकों के अनाथ बच्चों के लिये वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 3000 रुपये प्रति माह करने को मंजूरी दी

सभी नागरिकों के लिए सुगम व सम्मानजनक जीवन की सरकार की नीति के अनुरूप और सशस्त्र सेवाओं के लिए मानवीय भावना के तहत रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भूतपूर्व सैनिकों (ईएसएम) के अनाथ संतानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को 1000 रुपये से बढ़ाकर 3000 रुपये प्रति माह करने को मंजूरी दी है। इससे अनाथ बच्चे सम्मान और गरिमा के साथ बेहतर तरीके से अपना जीवन जी सकेंगे।

इस योजना का संचालन केन्द्रीय सैनिक बोर्ड (केएसबी) करता है और रक्षा मंत्री भूतपूर्व सैनिक कल्याण कोष (आरएमईडब्ल्यूएफ) के माध्यम से वित्त पोषण किया जाता है। यह सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष का एक सब-सेट है। मौजूदा योजना अनाथ बच्चों के लिए है, जो किसी पूर्व सैनिक के बेटे या अविवाहित बेटी हैं और जिनकी आयु 21 साल से कम है। इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए संबंधित जिला सैनिक बोर्ड (जेडएसबी) आवेदन को अनुशंसित करती है।

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आयकर विभाग ने तमिलनाडु में छापेमारी की

आयकर विभाग ने 20.07.2022 को दो व्यापारिक समूहों पर तलाशी एवं जब्ती अभियान चलाया; इसमें से एक रियल एस्टेट में है, और दूसरा सड़क और रेलवे निर्माण से संबंधित कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ा  हुआ है। तलाशी अभियान में मदुरै और चेन्नई और उसके आसपास स्थित 30 से अधिक परिसरों को शामिल किया गया।

इन समूहों पर हुई तलाशी कार्रवाई के परिणामस्वरूप, दस्तावेजों और डिजिटल आंकड़ों सहित बड़ी संख्या में आपत्तिजनक साक्ष्य मिले हैं और जब्त किए गए हैं। रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े समूह के मामले में, इन सबूतों से पता चला है कि समूह बड़े पैमाने पर बेहिसाब नकदी को स्वीकार करके बड़े पैमाने पर कर चोरी में शामिल है। समूह एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ऐसी बेहिसाब नकदी का एक समानांतर बहीखाता रख रहा था ।

निर्माण से जुड़े अनुबंधों के व्यवसाय में शामिल दूसरे समूह के मामले में, यह पाया गया कि समूह खुद से तैयार वाउचर के माध्यम से विभिन्न कच्चे माल की खरीद में सब कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े फर्जी खर्चों और मूल्यवृद्धि को दिखा कर बड़े पैमाने पर कर चोरी में शामिल था। समूह द्वारा अपनाए गए तरीके में, पहले बैंकिंग चैनलों के माध्यम से फर्जी सब कॉन्ट्रैक्टर्स को अनुबंध राशि का भुगतान किया गया था, और बाद में इस रकम को नकद के रूप में समूह को वापस कर दिया गया था

इन समूहों पर हुई तलाशी अभियान में 150 करोड़ रुपये से अधिक की बिना हिसाब की आय का खुलासा हुआ है।

14 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी और 10 करोड़ रुपये कीमत के सोने और आभूषण तलाशी अभियान के दौरान जब्त किए गए हैं, जिनका कोई हिसाब नहीं मिला है।

आगे की जांच जारी है।

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एक ऐतिहासिक पहल के तहत, प्रधानमंत्री 30 जुलाई को विद्युत क्षेत्र के लिए पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना का शुभारंभ करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 30 जुलाई को दोपहर 12:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘उज्ज्वल भारत उज्ज्वल भविष्य – पावर @ 2047’ के समापन समारोह में भाग लेंगे। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना का शुभारंभ करेंगे। वे एनटीपीसी की विभिन्न हरित ऊर्जा परियोजनाओं का शिलान्यास तथा लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री नेशनल सोलर रूफटॉप पोर्टल का भी शुभारंभ करेंगे।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने बिजली क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की है। इन सुधारों से इस क्षेत्र में बदलाव आया है, सभी के लिए किफायती बिजली उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करते हुए ये सुधार किये गए हैं। लगभग 18,000 गांवों का विद्युतीकरण, जिनके पास पहले बिजली आपूर्ति की सुविधा नहीं थी, अंतिम सिरे पर खड़े व्यक्ति को लाभ देने से जुड़ी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

एक ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत, प्रधानमंत्री बिजली मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम, पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना का शुभारंभ करेंगे, जिसका उद्देश्य डिस्कॉम कंपनियों और बिजली विभागों की परिचालन क्षमता तथा वित्तीय स्थिति में सुधार करना है। वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ, इस योजना का उद्देश्य बिजली वितरण के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए डिस्कॉम कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि उपभोक्ता के लिए आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार हो सके। इसका उद्देश्य परिचालन क्षमता में सुधार करके 2024-25 तक एटी एंड सी (कुल तकनीकी और वाणिज्यिक) नुकसान को 12-15% के अखिल भारतीय स्तर और एसीएस-एआरआर (आपूर्ति की औसत लागत – औसत राजस्व प्राप्ति) के अंतर को शून्य तक कम करना भी है। इसके लिये सभी सार्वजनिक क्षेत्र की डिस्कॉम कंपनियों और बिजली विभागों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री 5200 करोड़ रुपये से अधिक की एनटीपीसी की विभिन्न हरित ऊर्जा परियोजनाओं का शिलान्यास तथा लोकार्पण भी करेंगे। वे तेलंगाना के 100 मेगावाट रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट और केरल के 92 मेगावाट कायमकुलम फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट का उद्घाटन करेंगे। वे राजस्थान में 735 मेगावाट की नोख सौर परियोजना, लेह में ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी परियोजना और गुजरात में कावास प्राकृतिक गैस के साथ ग्रीन हाइड्रोजन सम्मिश्रण परियोजना की आधारशिला रखेंगे।

रामागुंडम परियोजना भारत की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजना है, जिसमें 4.5 लाख ‘मेड इन इंडिया’ सोलर पीवी मॉड्यूल हैं। कायमकुलम परियोजना दूसरी सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजना है, जिसमें पानी पर तैरते 3 लाख ‘मेड इन इंडिया’ सोलर पीवी पैनल शामिल हैं।

राजस्थान के जैसलमेर के नोख में 735 मेगावाट की सौर पीवी परियोजना घरेलू सामग्री की आवश्यकता पर आधारित भारत की सबसे बड़ी सौर परियोजना है, जिसमें एक ही स्थान पर 1000 मेगावाट पैनल हैं, जिनमें ट्रैकर सिस्टम के साथ उच्च-वाट क्षमता से युक्त दो तरफ वाले पीवी मॉड्यूल लगे हैं। लेह, लद्दाख में ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट एक पायलट परियोजना है, जिसका उद्देश्य लेह और उसके आसपास पांच फ्यूल सेल बसों का परिचालन करना है। इस पायलट परियोजना के तहत भारत में सार्वजनिक उपयोग के लिए फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहनों की पहली तैनाती की जाएगी। एनटीपीसी कवास टाउनशिप स्थित ग्रीन हाइड्रोजन सम्मिश्रण की पायलट परियोजना; प्राकृतिक गैस के उपयोग को कम करने में मदद करने वाली भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन सम्मिश्रण परियोजना होगी।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सोलर रूफटॉप पोर्टल का भी शुभारम्भ करेंगे, जो रूफटॉप सोलर प्लांट की स्थापना की प्रक्रिया की ऑनलाइन ट्रैकिंग को सक्षम करेगा, जिसमें आवेदन दर्ज करने से लेकर आवासीय उपभोक्ताओं के बैंक खातों में संयंत्र की स्थापना और निरीक्षण के बाद सब्सिडी जारी करना तक शामिल हैं।

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत 25 से 30 जुलाई तक ‘उज्ज्वल भारत उज्जवल भविष्य- पावर @2047’ का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में आयोजित, इस कार्यक्रम में पिछले आठ वर्षों के दौरान बिजली क्षेत्र में हुए परिवर्तनों को प्रदर्शित किया गया है। इसका उद्देश्य सरकार की बिजली संबंधी विभिन्न पहलों, योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में नागरिकों की जागरूकता और भागीदारी में सुधार करके उन्हें सशक्त बनाना है।

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डीएसटी इन्सपायर के फेलो द्वारा दूरस्थ लघु आकाशगंगा की रचना के रहस्यों पर से पर्दा उठाने वाले अध्ययन की अगुवाई

आकाशगंगा के बाहरी क्षेत्र के संकेत, जो 150 मिलियन वर्ष से अधिक के नहीं हैं, उनके विषय में हाल के अध्ययन से पता चला है कि वहां नये तारों की एक आकाशगंगा बन रही है। यह अनुसंधान इन युवा तारों के बारे में बताता है, जिसके अनुसार नये तारे जटिल समूहों या झुरमुटों में बन रहे हैं, अंदरूनी हिस्से की तरफ बढ़ रहे हैं और धीरे-धीरे इन आकाशगंगाओं में समा रहे हैं।

खगोल-भौतिकविज्ञानी यह जानने की कोशिश करते रहे हैं कि हमारे ब्रह्माण्ड की बुनियादी निर्माण इकाई आकाशगंगायें कैसे बनती हैं और लगातार क्रमिक विकास करती रहती हैं। लेकिन यह तस्वीर अब तक अधूरी है।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001SPE4.jpg

एस्ट्रो-सैट पर लगा अल्ट्रा वायोलेट इमेजिंग टेलेस्कोप (यूवीआईटी) भारत का पहला समर्पित वेवलेंग्थ अंतरिक्ष वेधशाला है, जिसने हाल ही में फार अल्ट्रा वायोलेट (एफयूवी) की हल्की रोशनी को पकड़ा था। यह रोशनी दूरस्थ ब्लू कॉम्पेक्ट लघु आकाशगंगाओं के बाहरी क्षेत्रों में थी, जो लगभग 1.5 – 3.9 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। ये लुघ आकाशगंगायें हैं, जो आमतौर पर सितारों के झुरमुट के रूप में देखी जाती हैं।

यह खोज भारत, अमेरिका और फ्रांस के खगोलविज्ञानियों के एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने की है। यह आकाशगंगाओं की रचना के रहस्यों को जानने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। ‘नेचर’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन खगोलशास्त्र एवं खगोल भौतिकी अन्तर-विश्वविद्यालय केन्द्र (आयुका), पुणे के प्रो. कनक साहा की देन है।

लेख के प्रमुख लेखक अंशुमान बोरगोहेन को विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग की इन्सपायर फेलोशिप प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि आकाशगंगाओं के छोर पर ऐसे युवा तारों का बनने का कारण आमतौर पर आसपास से उठने वाली गैस होती है। यह गैस तारे का आकार लेने और फिर आकाशगंगा के पनपने की प्रक्रिया को तेज कर देती है। तेजपुर विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता श्री बोरगोहेन ने तेजपुर विश्वविद्यालय में भौतिकी के सहायक प्रोफेसर डॉ. रूपज्योति गोगोई तथा आयुका के खगोल-भौतिकी के प्रोफेसर कनक साहा के निर्देशन में काम किया है।

प्रो. कनक साहा ने कहा, “यूवीआईटी और यूवी की गहरी इमेजिंग तकनीक इन युवा, बड़े-बड़े तारों के झुरमुट का पता लगाने में बहुत अहम भूमिका निभाती हैं। ये तारे हमसे बहुत दूरी पर स्थित हैं, इसलिये इन धूमिल, गहरे नीले तारों के झुरमुट को पकड़ना बहुत चुनौतीपूर्ण था।” उन्होंने कहा कि इससे दूरस्थ लघु आकाशगंगाओं की रचना का ‘प्रत्यक्ष’ अवलोकन करने में मदद मिलती है।

आईबीएम रिसर्च डिविजन, अमेरिका के प्रमुख अनुसंधानकर्ता डॉ. ब्रूस एल्मेग्रीन ने भी अध्ययन में योगदान किया है। उन्होंने कहा, “यह हमेशा से रहस्य रहा है कि इस तरह की छोटी-छोटी आकाशगंगायें कैसे इतने सक्रिय तारों का झुरमुट बन जाती हैं। इन वेधशालाओं से पता चलता है कि दूर गैस के रिसाव से बाहरी हिस्से का दबाव भीतर की ओर पड़ता है। इस प्रक्रिया में ज्यादा गैस रिसने से तेजी आती है और तारों के जटिल समूह बन जाते हैं। आकाशगंगा के पूरे जीवन-काल पर यह सघनता पैदा हो जाती है।”

कॉलेज दी फ्रांस की प्रोफेसर और ऑब्जरवेटवॉयर दी पेरिस की प्रो फ्रांकोइस कोम्बेस, जो आलेख की सह-लेखक हैं, उन्होंने कहा कि यह खोज बताती है कि तारे बनने की प्रक्रिया कितनी अचरज भरी है और वह कैसे पुरानी धीमी गैस से शुरू होती है। उन्होंने कहा, “इन गैसपुंजों का बाहरी हिस्सा हलचल भरा होता है। गैसपुंज के बिखरने के बाद यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है।” आलेख के सह-लेखक और आयुका और पीआई व यूवीआईटी के विशिष्ट प्रोफेसर डॉ. श्याम टंडन ने इस अध्ययन में यूवीआईटी आंकड़ों के महत्त्व को उजागर किया।

आयुका के सहयोगी और तेजपुर विश्वविद्यालय में भौतिकी के सहायक प्रोफेसर डॉ. रूपज्योति गोगोई ने कहा कि इस काम में भारत के स्वदेशी उपग्रह एस्ट्रो-सैट के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है, जो देश के युवा अनुसंधानकर्ताओं के लिये प्रेरक बन सकता है। आयुका, पुणे के निदेशक प्रो. सोमक रायचौधरी और तेजपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद के. जैन ने ऐसे सहयोगात्मक कार्यों के लाभों को रेखांकित किया।

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कबूतरों की अनियंत्रित वृद्धि अप्राकृतिक और परेशानियाँ बढ़ानेवाली

कई हाऊसिंग सोसायटियों के परिसरों में खुले स्थानों पर बड़ी संख्या में कबूतर घूमते हैं और गंदगी फैलाते हैं। बिल्डिंग के कुछ लोग उन्हें खाना खिलाकर प्रोत्साहित करते हैं। देश में सबसे आम पक्षियों में सबसे पहले कबूतर और उसके बाद कौवा आता है। इसका कारण भोजन और शहरीकरण की प्रचुरता और आसान उपलब्धता है। लोग विभिन्न कारणों से कबूतरों को खाना खिलाते हैं। मानवीय आधार, खाना न खिलाएं तो वो मर जाएँगे, दया जैसे कारणों के आलावा कबूतरों को खिलाना समृद्धि की धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है, अधिकांश भोजन केंद्रों में पूजा स्थलों या सामुदायिक स्थानों के पास कबूतरों का जमावड़ा होता है। लेकिन इनमें से ज्यादातर जगहें और कबूतरखाने अवैध हैं। ऐसी जगहों का विस्तार कर स्थानीय किराना व्यापारी रोजाना हजारों रुपये का कारोबार करते हैं। इस तरह के कृत्रिम भोजन ने कबूतरों की आबादी में भरी वृद्धि की है। दुनिया भर में 40 करोड़ कबूतर हैं, जिनमें से ज्यादातर शहरों में रहते हैं। मादा कबूतर खतरनाक दर से प्रजनन करती हैं; इसका मतलब है कि वे एक साल में कम से कम 10 स्क्वैश (पिल्ले) को जन्म देते हैं। औसतन एक कबूतर 20 से 25 साल तक जीवित रह सकता है। इतने लंबे जीवनकाल के साथ, एक अच्छी तरह से खिलाया गया कबूतर केवल एक वर्ष में लगभग 11.5 किलोग्राम हानिकारक मल उत्सर्जित करता है। प्रकृति में, शिकारी पक्षी कबूतरों की आबादी को नियंत्रण में रखते हैं। जंगल में बड़े पक्षी और जानवर कबूतरों और छोटे पक्षियों का शिकार करते हैं। हालांकि, शहरीकरण के कारण ये शिकारी पक्षी गायब या दुर्लभ हो गए हैं। इसलिए कबूतरों की आबादी पर कोई जैविक नियंत्रण नहीं है और कबूतर बढ़ रहे हैं। तैयार भोजन की आसान उपलब्धता के कारण, शहरी कबूतरों ने अपनी प्राकृतिक खाना खोजने और टिके रहने की क्षमता खो दी है। Adv. Sanjay pandey.jpg

कबूतर मूल रूप से गब्बर पक्षी है। जिस क्षेत्र में इसका निवास स्थान बढ़ता है, वहां अन्य पक्षियों को बढ़ने का मौका नहीं मिलता. उपलब्ध भोजन पर पहला दावा ये करता है. जंगलों में, मौसम और प्रकृति में भोजन की उपलब्धता पर घोंसले और प्रजनन निर्भर करता है। शहरों में भोजन और सुरक्षा की आसान उपलब्धता के कारण, कबूतर साल भर अपना घोंसला बना सकते हैं। इमारतों में यहां पैरापेट, एसी कंप्रेसर इकाइयों और इसी तरह की सपाट सतहों पर दिन-रात अपनी कॉलोनी का आक्रामक रूप से विस्तार करता है। कबूतर एक प्राकृतिक सफाई कर्मचारी है। नैसर्गिक रूप में कबूतर सर्वाहारी है, जिसका अर्थ है कि वो पौधे और कीड़े दोनों खाता है। लेकिन अब जब वो सैकड़ो सालों से मानव बस्तियों में रहते हैं, तो वे आसानी से उपलब्ध अनाज, घास, हरी पत्तेदार सब्जियां, खरपतवार, फल आदि खाते हैं। आइए कबूतर संक्रमण के खतरों पर विचार करें। कबूतरों और उनके मल से कई बीमारियों और परजीवी संक्रमणों की आशंका होती है। कबूतरों को जब खुली जगह या छत पर जगह मिल जाती है तो वे वहां अपना मल बड़े पैमाने पर फैलाने लगते हैं। ये बैक्टीरिया और वायरस से दूषित मल लोगों के पैरों और जूतों से हमारे घरों और बच्चों तक जा सकते हैं। जब यह मल सूख जाता है तो यह धूल बन जाता है और श्वास के माध्यम से हमारे फेफड़ों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, जिससे कई बीमारियां हो सकती हैं। कबूतर खाना बहिर्जात एलर्जिक एल्वोलिटिस नामक बीमारी का कारण बन सकता है, जिसे कबूतर ब्रीडर रोग या बर्ड फैनसीयर रोग के रूप में भी जाना जाता है। यह लगातार सूखी खांसी, सांस की तकलीफ, बुखार, अस्वस्थता की विशेषता है। कबूतरों के दैनिक संपर्क में फुफ्फुसीय फाइब्रोसिस और मृत्यु जैसे बढ़ते लक्षण हो सकते हैं। ये लक्षण कबूतर के पंखों से सूखी, बारीक बिखरी हुई धूल पर मल और प्रोटीनयुक्त पदार्थ के संपर्क में आने से होते हैं। उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया गया है।

न्यूमोनाइटिस: संक्रमण अतिसंवेदनशील लोगों में न्यूमोनाइटिस नामक स्थिति पैदा कर सकता है। अतिसंवेदनशीलता न्यूमोनिटिस के लक्षणों में एक पुरानी खांसी शामिल है जो जल्दी ठीक नहीं होती और सीने में जकड़न होती है। खांसी के इलाज के लिए मौखिक स्टेरॉयड की उच्च खुराक की आवश्यकता हो सकती है यदि कोई एंटीबायोटिक या कफ सिरप इसे ठीक करने में प्रभावी नहीं है।

अस्थमा (दमा) : कबूतर के पंख में विशिष्ट प्रकार का एंटीजन होता है साँस से भीतर जाने पर अस्थमा को ट्रिगर करता है। अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके वायुमार्ग संकीर्ण और सूज जाते हैं और अतिरिक्त बलगम का उत्पादन करते हैं। यह साँस की एक सूजन संबंधी बीमारी है। जब साँस लेने के रस्ते किसी ट्रिगर फैक्टर के संपर्क में आते हैं, तो वे सूजन, संकीर्ण और बलगम से भर जाते हैं। जब वह पराग, मोल्ड, या बिल्ली के डैंडर जैसे रोजमर्रा के पदार्थों के संपर्क में आता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली ओवर रिएक्ट करती है. प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस या बैक्टीरिया जैसे घटक अस्थमा के खतरे को बढ़ाते हैं इससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और खांसी, घरघराहट और सांस की तकलीफ के कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। एलर्जिक चीजें जैसे गंदगी, कवक, बैक्टीरिया और बिल्ली के बाल, कबूतर का मल और कबूतर के पंखों के सूक्ष्म तंतुओं की उपस्थिति को टाला जाना चाहिए.

एस्चेरिचिया कोलाई संक्रमण (Escherichia coli infection): जब पक्षी गोबर की खाद पर खाने के लिए चोंच घुसाते हैं, तो ई. कोलाई जीवाणु है जो आम तौर पर लोगों और जानवरों की आंतों में रहता है, कबूतरों में प्रवेश कर जाता है. पक्षियों के मल से ई.कोलाई संक्रमण फैलता है. इससे होने वाली बीमारियों में दस्त, मूत्र मार्ग में संक्रमण, निमोनिया, सांस की बीमारी, मतली, बुखार और ऐंठन और अन्य शामिल हो सकते हैं।

 सेंट लुई एन्सेफलाइटिस (St. Louis encephalitis )यह तंत्रिका तंत्र की सूजन (    inflammation of the nervous system) है, आमतौर पर उनींदापन, सिरदर्द और बुखार का कारण बनता है। इसके परिणामस्वरूप पक्षाघात, कोमा या मृत्यु भी हो सकती है। यह रोग मच्छरों द्वारा फैलता है जो संक्रमित घरेलू गौरैया, कबूतरों और घर की चिड़ियों का खून चूसते हैं. इनमे  समूह बी वायरस होता है जो सेंट लुई एन्सेफलाइटिस के लिए जिम्मेदार होता है. तंत्रिका तंत्र की यह सूजन सभी आयु समूहों के लिए खतरनाक है, लेकिन 60 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में विशेष रूप से घातक हो सकती है। लक्षणों में उनींदापन, सिरदर्द और बुखार शामिल हैं।

 एन्सेफलाइटिस (Encephalitis): कबूतर पर पलने वाले मच्छर इस गंभीर संक्रमण का कारण बन सकते हैं जिसे एन्सेफलाइटिस कहा जाता है. आमतौर पर मनुष्यों को कटाने वाले मच्छरों के माध्यम से में यह वायरस शरीर में प्रवेश करता है. टिक्स भी इस वायरस को ट्रांसफर कर सकते हैं। इस वायरस के लक्षण और संभावित नुकसान गंभीर हैं। एन्सेफलाइटिस वास्तव में मस्तिष्क की अचानक सूजन है और यह कुछ मामलों में काफी खतरनाक हो सकती है। सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं: सिरदर्द, बुखार, उनींदापन, भ्रम और थकान (headache, fever, drowsiness, confusion and fatigue). कंपकंपी, दौरे, आक्षेप, मतिभ्रम, स्मृति समस्याएं और यहां तक कि स्ट्रोक (tremors, seizures, convulsions, hallucinations, memory problems and even stroke), अधिक गंभीर लक्षणों में शामिल हो सकते हैं. आसपास कबूतरों की आबादी खत्म करना ही ऐसा होने से रोकने में कारगर हो सकता है.

हिस्टोप्लाज्मोसिस (Histoplasmosis): हिस्टोप्लाज्मोसिस जैसी बीमारियां और श्वसन रोग कबूतर या अन्य पक्षियों के मल में उगने वाले कवक (fungus) के परिणामस्वरूप होता है और घातक हो सकता है। इन बूंदों में होती हैं। कबूतर के मल में  बढनेवाला फंगस साँस से शरीर में घुसता है. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले किसी भी व्यक्ति के लिए इस संक्रमण के लक्षण खतरनाक हो सकते हैं। आमतौर पर फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और इसमें सिरदर्द, बुखार, सूखी खांसी और थकान शामिल हैं।

कैंडिडिआसिस (Candidiasis): ये भी एक साँस की बीमारी है रोग भी एक श्वसन स्थिति है जो पक्षियों में मल में पलनेबढ़ने वाले कवक (fungus) या खमीर (yeast) के कारण होता है। यह संक्रमण कैंडिडा नामक खमीर (yeast) की 20 से अधिक प्रजातियों के कारण होता है। संक्रमण के सामान्य क्षेत्र मुंह और गला है और इसे आमतौर पर “थ्रश” कहा जाता है। अगर त्वचा, श्वसन प्रणाली, आंतों और मूत्रजननांगी पथ (skin, mouth, the respiratory system, intestines and the urogenital tract) को भी प्रभावित कर सकता है। यह विशेष संक्रमण महिलाओं के लिए और भी गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।

साल्मोनेलोसिस (Salmonellosis) या फूड पॉइज़निंग: यह एक संभावित गंभीर और यहां तक कि घातक संक्रमण है जो साल्मोनेला (Salmonella) बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बीमारी को आमतौर पर “फूड पॉइज़निंग” कहा जाता है और यह बैक्टीरिया सूखे संक्रमित मल से धूल के साथ उड़ता हुआ भोजन और भोजन बनाने की जगह को दूषित कर देती है। मल की धूल में साल्मोनेला हो सकता है और कई अलग-अलग तरीकों से फैल सकता है। यह कबूतरों, स्टार्लिंग्स और गौरैयों के मल से फ़ैल सकता है. मल का धूल को वेंटिलेटर और एयर कंडीशनर द्वारा सोखा जा सकता है और रेस्तरां, घरों और खाद्य प्रसंस्करण संयंत्रों में भोजन और खाना पकाने की सतहों को दूषित कर सकता है। एक समस्या यह है कि अगर धूल घर या खाने से अंदर जा सकती है और संक्रमण का कारण बन सकती है।

 क्रिप्टोकोकस (cryptococcus): एक खमीर (yeast) जैसा कवक (fungus) है. यह फंगस कबूतर के मल पर पनपता है और इसके संक्रमण को ‘क्रिप्टोकॉकोसिस’ के रूप में जाना जाता है। यह संक्रमण फेफड़ों और तंत्रिका तंत्र (lungs and nervous system ) को प्रभावित कर सकता है। एक अन्य बीमारी जो फैलती है उसे साइटाकोसिस या “पैरो फीवर” के रूप में जाना जाता है। कबूतरों के अलावा, पालतू पक्षी भी इसे फैला सकते हैं. पक्षियों के सूखे मल से धूल में सांस लेने या पक्षी की चोंच और आंखों से निकलने वाले सूखे निर्वहन (डिस्चार्ज) में ये हो सकता है. लक्षणों में खांसी, सिरदर्द और बुखार शामिल हो सकते हैं, और यहां तक कि एक गंभीर फेफड़ों का संक्रमण (cough, headache, and fever, and can even become a serious lung infection ) भी हो सकता है जिसमें अस्पताल में एडिमिट करने की नौबत आ सकती है.

प्लास्टर और बाइंडिंग मटेरियल नुकसान: कबूतरों को छत, कोने या कहीं भी घोंसला बनाने के लिए आरामदायक जगह मिल रही है. उनका मल बहुत अम्लीय (Acidic) होता है. बारिश का पानी इस मल को सब जगह फैला देता है. ये छत के प्लास्टर और बाइंडिंग मटेरियल नुकसान पहुंचा कर नष्ट कर सकता है. इसतरह ये छत के रिसाव (लीकेज) का कारण बन सकता है.

टिक्समाइट्सबेडबग्स (खटमल): रोग और संक्रमण के अलावा, कबूतर परजीवी, टिक्स और घुन (parasites, ticks, and mites) भी ला सकते हैं। कबूतरों का मल सभी प्रकार के परजीवियों और कीटों के लिए प्रजनन स्थल है। एक मरा हुआ कबूतर कीटों और मक्खियों के लिए और भी बढ़िया प्रजनन स्थल है. इनमे पलने बढ़ने वाले कीड़ों में टिक्स, माइट्स, बेडबग्स (खटमल) और यहां तक कि जूँ भी शामिल हैं। जितने ज्यादा कबूतर, संक्रमण और इन छोटे छोटे कीड़ों के घर में आने का खतरा उतना ही अधिक होता है। कबूतर भी घुन, पिस्सू और वेस्ट नाइल वायरस के वाहक होते हैं, जो सभी मनुष्यों में असुविधा और संभावित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। कबूतरों से 60 से अधिक किस्मों की रोगजनक करक (pathogens) होते हैं जो कई बीमारियों को फैलाते हैं. इसलिए सभी जगहों को कबूतरों से मुक्त रखने पर ध्यान देना चाहिए.

अमेरिका में नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन ने 1941 से 2003 तक कबूतरों से मनुष्यों में बीमारी के 176 मामलों का दस्तावेजीकरण किया है। 2016 में, कर्नाटक वेटरनरी जूलॉजी एंड फिशरीज यूनिवर्सिटी के एक पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने कबूतर की बूंदों में लगभग 60 प्रकार की बीमारियों को वर्गीकृत किया है. सबसे महत्वपूर्ण निवारक उपाय स्रोत को हटाकर और दूषित क्षेत्र को अच्छी तरह से साफ और साफ करके कबूतरों के संपर्क में आने से रोकना है। तैयार भोजन के प्रावधान के कारण, शहरी कबूतरों ने अपनी प्राकृतिक मैला खाने की क्षमता खो दी है जो किसी भी पक्षी के लिए आवश्यक है। पक्षियों को तय करने दें कि उन्हें क्या चाहिए, इंसानों को नहीं।

–    एड. संजय पांडे

९२२१६३३२६७

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