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कर्नाटक, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और गुजरात में ग्रामीण स्थानीय निकायों को 4,189.58 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता राशि जारी की गई

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान प्रदान करने के लिए बुधवार को कर्नाटक (628.07 करोड़ रुपये), त्रिपुरा (44.10 करोड़ रुपये), उत्तर प्रदेश (2239.80 करोड़ रुपये), आंध्र प्रदेश (569.01 करोड़ रुपये) और गुजरात (708.60 करोड़ रुपये) को 4,189.58  करोड़ रुपये की राशि जारी की। यह अनुदान सहायता कर्नाटक, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश के पक्ष को चालू वित्त वर्ष 2022-23 के बंधित अनुदान की पहली किस्त और आंध्र प्रदेश और गुजरात को जारी वर्ष 2021-22 के बंधित अनुदान की दूसरी किस्त है।

15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित सशर्त अनुदान दो महत्वपूर्ण सेवाओं अर्थात (ए) स्वच्छता एवं खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) दर्जा को बनाए रखने और (बी) पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन एवं जल पुनर्चक्रण को बेहतर बनाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को जारी किया जाता है। 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद पंचायती राज मंत्रालय की सिफारिशों पर ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को बिना शर्त अनुदान जारी किया जाता है।

पंचायती राज संस्थाओं के लिए निर्धारित कुल अनुदान सहायता में से 60 प्रतिशत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे कि पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल के संचयन और स्वच्छता (सशर्त अनुदान के रूप में संदर्भित) के लिए निर्धारित किया जाता है, जबकि 40  प्रतिशत अनुदान सहायता बिना शर्त है और स्थान विशेष की जरूरतों को पूरा करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के विवेक पर इसका उपयोग किया जाना है।

स्थानीय निकाय अनुदान दरअसल केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत स्वच्छता और पेयजल के लिए केंद्र और राज्य द्वारा आवंटित धन के अलावा ग्रामीण स्थानीय निकायों को अतिरिक्त धनराशि सुनिश्चित करने के लिए हैं।

वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 के दौरान अनुदान पाने के योग्‍य होने के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। पारदर्शिता बढ़ाने, स्थानीय निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराने और स्थानीय निकायों द्वारा वार्षिक विकास योजनाएं तैयार करने के लिए ही ये शर्तें तय की गई हैं।

बंधित हुआ और अबंधित दोनों प्रकार के अनुदान प्राप्त करने के लिए, स्थानीय निकायों के कम से कम 25 प्रतिशत, पिछले वर्ष के अनंतिम खातों और उससे पिछले वर्ष के ऑडिट किए खातों, दोनों को सार्वजनिक डोमेन में ऑनलाइन तैयार करना और उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इसके अलावा, खातों को ई-ग्रामस्वराज और ऑडिट ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाना चाहिए। अनुदान केवल उन्हीं स्थानीय निकायों को जारी किया जाता है जो विधिवत निर्वाचित होते हैं।

 इसके अलावा, बंधित अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्र होने के लिए, ग्रामीण स्थानीय निकाय ई-ग्राम स्वराज पर विकास योजनाओं को अपलोड करेंगे जिसमें स्वच्छता और पेयजल आपूर्ति की वार्षिक कार्य योजना का विवरण होगा। पेयजल आपूर्ति के लिए वार्षिक कार्य योजना में पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण का विवरण शामिल होना चाहिए। स्थानीय निकायों को 15वीं एफ.सी. कोष [दोनों घटक] के उपयोग का विवरण भी अपलोड करना होगा।

राज्यों को केंद्र सरकार से अनुदान प्राप्त होने के 10 कार्य दिवसों के भीतर स्थानीय निकायों को हस्तांतरित करना आवश्यक है। 10 कार्य दिवसों से अधिक की देरी के लिए राज्य सरकारों को ब्याज सहित अनुदान जारी करना होगा।

वर्ष 2022-23 में अब तक जारी ग्रामीण स्थानीय निकाय अनुदान की राज्य-वार राशि नीचे दी गई है;

वर्ष 2022-23 में जारी ग्रामीण स्थानीय निकाय अनुदान की राज्यवार राशि

क्र.सं. राज्य का नाम 2021-22 के दौरान जारी कुल राशि

[31-08-2022 तक]

करोड़ रुपये में 1 आंध्र प्रदेश 948.35 2 अरुणाचल प्रदेश 0.00 3 असम 0.00 4 बिहार 1921.00 5 छत्तीसगढ़ 557.00 6 गोवा 0.00 7 गुजरात 1181.00 8 हरियाणा 0.00 9 हिमाचल प्रदेश 224.30 10 झारखंड 249.80 11 कर्नाटक 1046.78 12 केरल 623.00 13 मध्य प्रदेश 1472.00 14 महाराष्ट्र 1092.92 15 मणिपुर 0.00 16 मेघालय 40.50 17 मिजोरम 0.00 18 नगालैंड 18.40 19 ओडिशा 864.00 20 पंजाब 0.00 21 राजस्थान 0.00 22 सिक्किम 6.60 23 तमिलनाडु 1380.50 24 तेलांगना 273.00 25 त्रिपुरा 73.50 26 उत्तर प्रदेश 3733.00 27 उत्तराखंड 0.00 28 पश्चिम बंगाल 0.00 x कुल 15705.65

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भारत की राष्ट्रपति ने वर्ष 2020-21 के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार’ प्रदान किए

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन में वर्ष 2020-2021 के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार’ प्रदान किए। केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री श्री निसिथ प्रमाणिक इस पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर सचिव, युवा मामले श्री संजय कुमार और खेल सचिव श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्यजन भी उपस्थित थे।

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 युवा मामले और खेल मंत्रालय, युवा मामले विभाग हर साल विश्वविद्यालयों/+2 परिषद, कार्यक्रम अधिकारियों/एनएसएस इकाइयों और एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा में किए गए उत्कृष्ट योगदान को सराहने और पुरस्कृत करने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार प्रदान करता है, ताकि देश में एनएसएस को और भी अधिक बढ़ावा दिया जा सके। वर्तमान में एनएसएस से लगभग 40 लाख स्वयंसेवक औपचारिक रूप से जुड़े हुए हैं जो देश भर में फैले हुए हैं। वर्ष 2020-21 के लिए 3 विभिन्न श्रेणियों में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) पुरस्कार का विवरण इस प्रकार है:

 

श्रेणियां पुरस्कारों की संख्या पुरस्कार का मूल्य
1  विश्वविद्यालय/ +2 परिषद 2 प्रथम पुरस्कार: 5,00,000 रुपये (एनएसएस कार्यक्रम तैयार करने के लिए) विश्वविद्यालय/ +2 परिषद को एक ट्रॉफी के साथ।  .

कार्यक्रम समन्वयक को प्रमाण पत्र एवं रजत पदक।

 

दूसरा पुरस्कार: 3,00,000 लाख रुपये (एनएसएस कार्यक्रम तैयार करने के लिए)

विश्वविद्यालय/+2 परिषद को एक ट्रॉफी के साथ। .

कार्यक्रम समन्वयक को प्रमाण पत्र एवं रजत पदक। .

2 एनएसएस इकाइयां और उनके कार्यक्रम अधिकारी 10+10 प्रत्येक एनएसएस इकाई को 2,00,000 रुपये

(एनएसएस कार्यक्रम तैयार करने के लिए), एक ट्रॉफी के साथ।

 

प्रत्येक कार्यक्रम अधिकारी को प्रमाण पत्र और रजत

पदक के साथ 1,50,000 रुपये .

3 एनएसएस स्वयंसेवक 30 प्रत्येक स्वयंसेवक को प्रमाण पत्र और रजत

पदक के साथ 1,00,000 रुपये.

एनएसएस केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है जिसे वर्ष 1969 में स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से युवा छात्रों के व्यक्तित्व और चरित्र को विकसित करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। एनएसएस का वैचारिक रुझान महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है। अत्‍यंत ही उचित रूप से एनएसएस का मूल मंत्र है ‘स्वयं से पहले आप’।

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संक्षेप में एनएसएस स्वयंसेवक नियमित और विशेष शिविर संबंधी गतिविधियों के माध्यम से सामाजिक प्रासंगिकता के उन मुद्दों पर काम करते हैं, जो समुदाय की जरूरतों के अनुरूप निरंतर बदलते रहते हैं। इस तरह के मुद्दों में ये शामिल हैं – (i) साक्षरता और शिक्षा, (ii) स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और पोषण, (iii) पर्यावरण संरक्षण, (iv) सामाजिक सेवा कार्यक्रम, (v) महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रम, (vi) आर्थिक विकास गतिविधियों से जुड़े कार्यक्रम, (vii) आपदाओं के दौरान बचाव और राहत, (viii) स्वच्छता गतिविधियां,  इत्‍यादि।

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आयुष्मान भारत प्रधानमन्त्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयुष्मान भारत दिवस का यू०एच०एम० (उर्सला) सभागार में शुभारम्भ

कानपुर नगर, दिनांक 23 सितम्बर, 2022(सू0वि0)*
सांसद सत्यदेव पचौरी द्वारा आयुष्मान भारत प्रधानमन्त्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत योजना के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयुष्मान भारत दिवस का यू०एच०एम० (उर्सला) सभागार में शुभारम्भ किया गया।
आयुष्मान भारत दिवस के पावन अवसर पर माननीय सांसद श्री सत्यदेव पचौरी द्वारा आयुष्मान लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड वितरित किया गया तथा उत्कृष्ट कार्य करने वाले निजी एवं राजकीय चिकित्सालयों को प्रशस्ति पत्र प्रदान करते हुए उक्त चिकित्सालयों से आयुष्मान लाभार्थियों को गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध कराने हेतु अपेक्षा की गई।
इस अवसर पर मा0 सांसद जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज पूरे देश में आयुष्मान दिवस मनाया जा रहा है। मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा आयुष्मान योजना का शुभारम्भ वर्ष 2018 में गरीब व्यक्तियों का पांच लाख तक का मुफ्त इलाज कराने हेतु किया गया था, पूरे देश में लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कमजोर वर्ग जो अपना इलाज नहीं करा पा रहे थे वो इस योजना से अपना इलाज करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत लोग सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी इसका लाभ उठा रहे हैं। यह योजना विश्व की सबसे बड़ी योजना है, किसी भी देश में इतनी बड़ी योजना लागू नहीं है इसका श्रेय किसी को जाता है तो वह मा0 प्रधानमंत्री जी को जाता है। मा0 प्रधानमंत्री जी ने इस योजना का शुभारम्भ कर गरीबों को इलाज कराने का अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि यह समाज के लिये बहुत बड़ी सेवा व सहायता है, जिसकी आज लोगों का आवश्यकता है।
कार्यक्रम में अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण डॉ० जी0के0 मिश्रा, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० आलोक रंजन, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ० एस0के0 सिंह (नोडल अधिकारी, आयुष्मान भारत). समस्त सूचीबद्ध राजकीय एवं निजी चिकित्सालय एवं चिकित्सालयों में कार्यरत आयुष्मान मित्रों तथा कॉमन सर्विस सेन्टर के प्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया।
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खेलों में रिक्त रह गये स्थानों के दृष्टिगत राज्य स्तरीय चयन /ट्रायल्स आयोजित किये जाएंगे

कानपुर 23 सितम्बर, 2022(सू0वि0)*
उप निदेशक खेल, क्षेत्रीय खेल कार्यालय कानपुर ने बताया है कि खेल निदेशालय, उ०प्र०, लखनऊ द्वारा दिये गये आदेशों के क्रम में वर्ष 2022-23 में आवासीय क्रीड़ा छात्रावास में प्रवेश हेतु आयोजित किये गये केन्द्रीय प्रशिक्षण शिविरों के अन्तिम चयन/ट्रायल्स उपरान्त प्राप्त मेरिट सूची के अनुसार खिलाड़ियों का प्रवेश आवसीय क्रीड़ा छात्रावासों में किये जाने के उपरान्त कुछ खेलों में रिक्त रह गये स्थानों के दृष्टिगत निम्न खेलों के राज्य स्तरीय चयन /ट्रायल्स दिनांक 29 व 30 दिसम्बर, 2022 को आयोजित किये जायेंगे, जिसके अन्तर्गत टेबल टेनिस (बालिका वर्ग), बास्केटबाल (बालक/बालिका वर्ग), तीरन्दाजी (बालक/बालिका वर्ग), कबड्डी (बालिका वर्ग), बैडमिन्टन (बालक/बालिका वर्ग), जूडो (बालक वर्ग), तैराकी (बालिका वर्ग 12 वर्ष से कम), कुश्ती (बालक वर्ग) का आयोजन के०डी० सिंह बाबू स्टेडियम, लखनऊ व क्रिकेट (बालक वर्ग) का आयोजन चौक स्टेडियम, लखनऊ में किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि उक्त राज्य स्तरीय चयन/ ट्रायल्स से पूर्व जिला एवं मण्डल स्तर पर चयन ट्रायल्स दिनांक 26 व 27 सितम्बर 2022 को प्रातः 10ः00 बजे से ग्रीन पार्क स्टेडियम, कानपुर में आयोजित किया जाना है। चयन ट्रायल्स में प्रतिभाग करने वाले अभ्यर्थी की आयु 15 वर्ष से कम होनी चाहिए तथा तैराकी खेल में 12 वर्ष से कम होगी चाहिए। अभ्यर्थी को अपना जन्मतिथि प्रमाण पत्र मूल रूप में एवं प्रमाणित छायाप्रति लाना अनिवार्य है। चयन/ ट्रायल्स हेतु आवेदन पत्र का प्रारूप खेल विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इच्छुक अभ्यर्थी वेबसाइड से आवेदन पत्र की प्रति निकाल कर अथवा सम्बन्धित खेल कार्यालय से आवेदन पत्र प्राप्त कर उसे पूर्णरूप से भरकर उक्त ट्रायल्स हेतु निर्धारित तिथि, स्थान व समय पर व्यक्गित रूप से उपस्थित होकर निर्धारित शुल्क एवं आवश्यक अभिलेखों सहित आवेदन पत्र जमा किया जा सकता है, जो मान्य होगा।

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बदलते परिदृश्य

पिछले कुछ समय से मौजूदा राजनीति ने लोगों के जीवन में उथल-पुथल मचा रखी है। जिन वादों से सत्तायें हासिल की जातीं हैं उन्हीं वादों की धज्जियां सरकारें सरेआम उड़ाती है।

महिला सुरक्षा:- समाज में महिला सुरक्षा एक अहम मुद्दा है। जब सरकार यह वादा करती हैं कि बहू बेटियां निडर होकर रास्तों पर निकलेंगी तब वहीं यह देखने सुनने को मिलता है कि किसी सत्ताधारी दल के नेता  या फिर किसी मंत्री के बेटे ने एक महिला के साथ दुष्कर्म किया और फिर हत्या कर दी। इस तरह के अपराध समाज में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं एसिड फेंकना, हत्या करना, जिन्दा जला देना, यौन हिंसा, जबरदस्ती वेश्यावृत्ति जैसे अपराध बढ़ते जा रहे हैं। लड़कियां, महिलाएं निडर होकर बाहर निकलने से डरती है। इन दिनों लव जिहाद जैसे मामले ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। और तो और महिला नेता, सांसद भी अब आपत्तिजनक फब्तियों से नहीं बच पाती हैं। महिलाएं लड़कियों के अलावा छोटी छोटी बच्चियां भी सुरक्षित नहीं है। यह घटनाएं रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी हैं।
युवावर्ग:- आज का युवा वर्ग कॉलेज में पढ़ने से ज्यादा नेतागिरी और नारेबाजी ज्यादा समय व्यतीत करता है। जहां देश के टाप-100 अमीरों की आमदनी के बराबर समूचे देश के 70 फीसद लोगों के आय हो, शिक्षा तो दूर लगभग एक तिहाई आबादी साक्षर भी नही है।   मुफ्त का राशन, फ्री चीजों की लालसा और सुनहरे भविष्य का आश्वासन उन्हें शिक्षा से दूर कर रहा है। किसी भी देश का विकास उसकी शिक्षा पर आधारित है। भ्रष्ट अधिकारी और बिचौलियों द्वारा पेपर लीक करवा देना मेहनतकश बच्चों के साथ अन्याय है। प्रशासन व्यवस्था भी इस मामले पर आंखें मूंदे हुये रहती है।
धार्मिक उन्माद :- धर्म वो अफीम है जिसे चखने पर इसका नशा जल्दी उतरता नहीं है बल्कि और गहरा होता जाता है। कहीं पढ़ा था कि देश और धर्म को अलग रखा जाना चाहिए। अगर धर्म देश और समाज पर हावी हो गया तो उस देश का पतन निश्चित है। आज के परिदृश्य में यह बात सटीक बैठती है। धार्मिक होना, आस्थावान होना गलत नहीं है मगर अंधभक्ति में डूब कर सही गलत का फर्क ना कर पाना गलत है। आज ज्यादातर सरकारें धर्म का चोला पहनकर राजनीति करती है और मुद्दों से लोगों को भटका कर वोट की राजनीति कर रही है। धर्म से आगे लोग कुछ सोचना समझना नहीं चाहते। इसके आगे सारे मुद्दे फीके पड़ जाते हैं। मुफ्तखोरी, फ्री का लालच देकर जनता को अपाहिज बना दिया जा रहा है। यह मुफ्तखोरी आदमी को आगे बढ़ने और जुबान खोलने से रोकती है। आखिर क्यों चाहिए मुफ्त बिजली, राशन? जनता मुद्दों पर क्यों नहीं बात करती? सरकार से सवाल क्यों नहीं करती? जो वादे किए गए हैं ठंडे बस्ते में क्यों जा रहे है? क्यों नहीं कहती कि हमें फ्री चीजें नहीं चाहिए? हमें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराओ।
दबंगई:-  चाहे पुलिस अधिकारी हो या नेता अपना दबदबा कायम रखने के लिए यह लोग अराजकता फैलाते हैं। अक्सर जातिवाद के हथियार कौन अपनाकर अपना दबदबा और सियासत दोनों पर पकड़ मजबूत करते हैं। प्रशासन की सांठगांठ से जंगलराज फैलता जा रहा है। पीड़ितों की गुहार नजरअंदाज कर दी जाती है। शिकायत दर्ज कराने आए लोगों के साथ निंदनीय व्यवहार किया जाता है। रक्षक ही भक्षक बने फिर रहे हैं। सत्ता की हनक कानून को ठेंगा दिखा रही हैं।
स्वास्थ्य :- स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर नजर डालें तो स्वास्थ्य व्यवस्था प्रणाली बहुत ही खराब है। कोरोना का वक्त इस बात का सबूत है कि लोग किस तरह से अव्यवस्था और सुविधा के अभाव में मरे। यह माना कि स्थिति नियंत्रण के बाहर थी फिर भी यदि पहली लहर से ही सावधान हो जाते तो इतनी मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ता। डॉक्टरों ने भी आपदा में अवसर का लाभ उठाया। इस बुरे दौर में संवेदनाएं मर चुकी थी और जीवन का मूल्य खत्म हो गया था। ऐसी ही अव्यवस्था कुछ समय पहले दिखी थी जब अस्पताल में बच्चे ऑक्सीजन की कमी से मर गए थे और यह बयान आया था कि अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं। व्यक्ति का नैतिक कितना पतन हो गया है, जो बच्चों के लिए ऐसी मानसिकता रखते हैं।
मीडिया:- विगत कुछ समय से मीडिया भी निष्पक्ष नहीं रह पा रही है। एक वक्त था जब मीडिया घटनाओं की जानकारी अपनी जान जोखिम में डालकर सच बयान करती थी। आजकल चाटुकारिता का बोलबाला है और इसी चाटुकारिता के बल पर लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। जिसकी भी हां में हां मिला हो वही बड़ा पत्रकार, न्यूज़ चैनल, एंकर होते हैं। एक भटकाव है कि मीडिया क्या सच कह रही है और क्या झूठ कह रही है।

स्थिति बदलने के बजाय बदलाव का सिर्फ ढोल पीटा जा रहा है। लोगों की सबसे कमजोर नस दबाकर उन्हें आस्था व धर्म के नाम पर मुद्दों से भटकाया जा रहा है। भारत एक कल्याणकारी राज्य है। इसलिए कमजोर वर्ग की सहायता की ही जानी चाहिए। लेकिन, हर वर्ग को मुफ्त की रेवड़ी बांटना भी कतई तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। दुर्भाग्य से इसमें सभी राजनीतिक दलों में सिर्फ होड़ ही दिख रही, जनता की वास्तविक पीड़ा को समझने की नीयत नहीं। राजनेताओं बल्कि मेनस्ट्रीम मीडिया, इनके आईटी सेल से लेकर कार्यपालिका (यानी अफसरशाही) तक एक महामारी की तरह फैल चुकी है। इसी का नतीजा है कि दावों के विपरीत महिला, युवा, व्यापारी, नौकरी पेशा, किसान, मजदूर सभी वर्ग परेशान हैं। ~प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में सैनिक कल्याण बंधु की बैठक संपन्न

कानपुर 23 सितंबर जि. सू. का.
जिलाधिकारी विशाख जी0 की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में सैनिक कल्याण बंधु की बैठक संपन्न हुई। बैठक में जिलाधिकारी ने अपर जिलाधिकारी नगर श्री अतुल कुमार को निर्देशित करते हुए कहा कि सैनिक कल्याण बंधु के माध्यम से आने वाली समस्याओं का निस्तारण समयबद्व तरीके से सुनिश्चित किया जाए।

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एस. एन.सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज मे विश्व राइनोसरस दिवस के उपलक्ष में पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित

कानपुर 23 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन.सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज के जन्तु विज्ञान विभाग मे विश्व राइनोसरस दिवस के उपलक्ष में पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर (डॉ.) सुमन एवं मुख्य अतिथि एवं जज, पी.पी. एन कॉलेज के जन्तु विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने द्वीप प्रज्वलन करके किया। विषय की जानकारी देते हुए जन्तु विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शिवांगी यादव ने बताया कि विश्व राइनो दिवस का महत्व और उसका संरक्षण कितना आवश्यक है। डॉ. शैल वाजपेयी ने मुख्य अतिथि एवं जज का परिचय दिया।
कार्यक्रम का संचालन कुमारी ज़ेबा अफ़रोज़ ने किया । इस प्रतियोगिता में बी.एससी. प्रथम वर्ष , बी.एससी. द्वितीय वर्ष तथा बी.एससी. तृतीय वर्ष की छात्राओ ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। प्राचार्या प्रोफेसर(डॉ) सुमन मुख्य अतिथि एवं जज डॉ. शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने छात्राओं के पोस्टर का अवलोकन एवं मूल्यांकन किया । इस प्रतियोगिता में बी. एससी. प्रथम वर्ष से प्रथम पुरस्कार अश्मिता रावत द्वितीय पुरुस्कार श्रिष्टी जायसवाल तथा शिवांगी झा तृतीय पुरुस्कार हनीशा कपूर तथा मुस्कान को मिला। खुशी सैनी , योगिता, प्रियांशी शुक्ला तथा रिद्धि यादव को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। बी. एससी. तृतीय वर्ष से अमल सिद्दीकी एवं गरिमा कुशवाहा प्रथम स्थान पर रहे तथा द्वितीय स्थान पर विजिता शुक्ला, मुस्कान ने बाजी मारी।

प्रतियोगिता के अवसर पर रसायन विज्ञान की विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर(डॉ) गार्गी यादव एवं वनस्पति विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ प्रीति सिंह ने छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।
कार्यक्रम का समापन डॉ शैल वाजपेयी ने सभी शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का धन्यवाद ज्ञापन करके किया। इस मौके पर महाविद्यालय की अन्य सम्मानित शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।

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वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, अगस्त, 22 के अंत तक अब तक 216 मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग (समपारों) को हटाया गया

भारतीय रेलवे में समपारों को हटाए का कार्य मिशन मोड में किया जा रहा है। अब तक, भारतीय रेलवे ब्रॉड गेज नेटवर्क पर सभी मानव रहित समपारों को हटा दिया गया है। मानव रहित समपारों को हटाने की गति 2009-14 के दौरान प्रति वर्ष 1137 से बढ़कर 2014-19 के दौरान अब औसतन 1884 प्रति वर्ष हो गई है।वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, 1000 के लक्ष्य के मुकाबले अगस्त-22 के अंत तक अब तक 216 मानवयुक्त समपारों को हटा दिया गया है, जो कि इसी अवधि में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान हासिल प्रगति की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2009-14 की अवधि के दौरान 199 मानवयुक्त समपारों को बंद कर दिया गया जिनकी संख्‍या 2014-22 के दौरान प्रति वर्ष 676 हो गई।

मानवयुक्त समपारों को समाप्त करने के कार्य में तेजी लाने के उद्देश्य से पुलों के ऊपर/नीचे सड़कों का निर्माण और रेलवे के संचालन (विशेषकर स्वर्णिम चतुर्भुज/डायगनल मार्गों और पहचाने गए मार्गों पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे) में सुधार के लिए प्राथमिकताएं तय करके उन्मूलन कार्यों के 100 प्रतिशत निधियन के लिए नीति में परिवर्तन जैसे उपाय किए गए हैं। हालांकि आरओबी/आरयूबी के निर्माण की लागत रेलवे और संबंधित राज्य सरकार द्वारा समान रूप से साझा की जा रही थी, हाल ही में वित्त पोषण प्रतिमान में बदलाव ने किसी भी पक्ष को अपनी आवश्यकता के आधार पर निर्माण की पूरी लागत वहन करने की अनुमति दे दी है। प्रगति में तेजी लाने के लिए राशि का आबंटन पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के 4500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6500 करोड़ रुपये (44% की वृद्धि) कर दिया गया है।

पुलों के ऊपर/नीचे सड़कों का निर्माण (आरओबी/आरयूबी):

समपारों को हटाने के तहत समपारों के स्थान पर पुलों के ऊपर/नीचे सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। 2014-22 की अवधि के दौरान पुलों के ऊपर/नीचे सड़कों के निर्माण की प्रगति 1225 संख्या प्रति वर्ष है जो कि 2009-14 के दौरान 763 की तुलना में 61 प्रतिशत अधिक है। वर्तमान वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, अगस्‍त 2022 तक 250 सड़कों का पुल के ऊपर/नीचे निर्माण किया गया है जो इसी अवधि के लिए वित्‍त वर्ष 2021-22 की तुलना में 5 प्रतिशत अधिक है।

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असम में 14 लोकसभा क्षेत्रों के 33 जिलों के कुल 306 बच्चों को स्वस्थ बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है

असम के मुख्यमंत्री और महिला एवं बाल विकास मंत्री ने 5वें राष्ट्रीय पोषण माह के उद्घाटन समारोह में 1 सितंबर, 2022 को 10 बच्चों को राज्य स्तर पर स्वस्थ बाल पुरस्कार प्रदान किये।

पूरे भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण की पहल को ध्यान में रखते हुए, असम ने “कुपोषण मुक्त असम” के लक्ष्य को साझा किया। आंगनबाडी केन्द्रों के 20 स्वस्थ बच्चों को लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर “स्वस्थ बालक” पुरस्कार के रूप में सम्मानित किया जाना था। 6 माह से 3 वर्ष तथा 3 से 5 वर्ष आयु वर्ग के स्वस्थ बच्चों की पहचान करने के क्रम में पोषण पखवाड़ा-2022 के तहत 21 मार्च से 27 मार्च के दौरान वजन और ऊंचाई की माप के लिए पूरे राज्य में बच्चों के विकास की निगरानी की गई और बच्चों के विकास की माप के लिए जागरूकता पैदा करने के साथ अभियान चलाया गया। पोषण पखवाड़ा के दौरान संबंधित जिले से सभी आईसीडीएस परियोजना को कवर करने वाले प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से बीस स्वस्थ बच्चों की पहचान की गई। यह असम के मुख्यमंत्री द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य सामाजिक जागरूकता में वृद्धि करने के माध्यम से पोषण में सुधार करना है।

स्वस्थ बाल पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य है:

1) 6 माह से 3 वर्ष तथा 3 से 5 वर्ष आयु वर्ग के स्वस्थ बच्चों की पहचान करना तथा बच्चों के विकास की माप के लिए जागरूकता पैदा करना और अभियान चलाना।

2) माता-पिता के बीच अपने बच्चे के स्वास्थ्य और भलाई के लिए रचनात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देना, स्वस्थ बच्चों के माता-पिता को प्रोत्साहित करना।

3) बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में समुदाय को संवेदनशील बनाना और आहार विविधता एवं उम्र के अनुकूल भोजन का महत्व जैसी सामाजिक जागरूकता के माध्यम से शिशुओं / बच्चों के पोषण में सुधार करना।

4) राज्य में स्वास्थ्य और पोषण कल्याण के लिए सामुदायिक भागीदारी को संगठित करना।

स्वस्थ बच्चे की पहचान करने की विधि

आंगनबाडी कार्यकर्ता (एडब्ल्यूडब्ल्यू)/सहायिका (एडब्ल्यूएच) द्वारा तौल पैमाना और स्टेडियोमीटर या शिशुमापी की सहायता से लक्षित समूह में बच्चों का वजन और ऊंचाई/लंबाई मापना।

बच्चों का वजन मापने के बाद डब्ल्यूएचओ की विकास सारणी में सही तरीके से अंकित करके स्वस्थ बच्चों की पहचान करना।

संबंधित पर्यवेक्षकों/ब्लॉक पोषण टीम ने पूरी प्रक्रिया में एडब्ल्यूडब्ल्यू/ एडब्ल्यूएच का मार्गदर्शन किया।

पहचान किये गए स्वस्थ बच्चों के विवरण को निर्धारित प्रारूप में सूचीबद्ध किया गया।

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केन्‍द्रीय खेल और युवा कार्यक्रम मंत्री अनुराग ठाकुरअमृतसर में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू) के खिलाड़ियों को सम्मानित करेंगे

केन्‍द्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री श्री अनुराग ठाकुर गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर के वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह में 20 सितम्‍बर को विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों का अभिनंदन/सम्मानित करेंगे।

केन्‍द्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री श्री अनुराग ठाकुर 20 सितंबर, 2022 को 52वें वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्‍तर पर, खेलो इंडिया और अखिल भारतीय अंतर विश्‍वविद्यालय स्‍तरों पर विभिन्न खेल विधाओं में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर को ख्याति दिलाने वाले खिलाड़ियों का अभिनंदन/सम्मानित करेंगे। उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन करने वाले एथलीटों को नकद पुरस्कार और विश्वविद्यालय स्तर पर समग्र रूप से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कॉलेजों को ट्राफियां प्रदान की जाएंगी।

इस अवसर पर श्री अनुराग ठाकुर मुख्य अतिथि होंगे और पंजाब के खेल और युवा सेवा विभाग के कैबिनेट मंत्री श्री गुरमीत सिंह मीत हेयर अध्यक्षीय भाषण देंगे। इसके अलावा, कुलपति प्रो. जसपाल सिंह संधू इस अवसर पर खिलाड़ियों और मेहमानों को संबोधित करेंगे।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय ने खेल के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है और भारत की प्रतिष्ठित मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी 23 बार जीती है। इसने 35 अर्जुन पुरस्कार विजेता, 6 पद्म श्री पुरस्कार विजेता और 2 द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता दिए हैं। प्रत्‍येक वर्ष शारीरिक शिक्षा विभाग (संबद्ध शिक्षण) 90 से अधिक गुरु नानक देव विश्वविद्यालय इंटर-कॉलेज (पुरुष और महिला) चैंपियनशिप आयोजित करता है और विश्वविद्यालय की 70 से अधिक टीमों (पुरुषों और महिलाओं) को अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए भेजता है। भारतीय खेल प्राधिकरण ने खेल विषयों हॉकी और हैंडबॉल में खेलो इंडिया केन्‍द्रों की तथा तलवारबाजी (फेन्सिंग) और तीरंदाजी में खेलो इंडिया अकादमियों की स्थापना की है।

विश्वविद्यालय हर साल वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित करता है, जिसमें लगभग 250 खिलाड़ियों (अंतर्राष्ट्रीय/खेलो इंडिया/अंतर-विश्वविद्यालय स्तरों) को लगभग 2.00 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

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