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खेल मंत्री ने एशियाई खेलों में योग को शामिल करने की आईओए की पहल का स्वागत किया

युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष डॉ. पी टी उषा के एशियाई खेलों के कार्यक्रम में योग को शामिल करने के कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “यह उचित ही है कि व्यापक लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए योग एक प्रतिस्पर्धी खेल बन जाए और एशियाई खेलों में शामिल हो।”

आईओए अध्यक्ष ने एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) के अध्यक्ष श्री राजा रणधीर सिंह को 26 जून को पत्र लिखकर एशियाई खेलों में योग को खेल के रूप में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की है कि 21 जून को हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाए। मन और शरीर को एक साथ जोड़ने वाली इस विद्या ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है और यह अपने खुद के नियमों और अलग-अलग कार्यक्रमों के साथ एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में तैयार है।”

उन्होंने कहा, “भारत योग को लोकप्रिय बनाने में सबसे आगे रहा है और हमने इसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल करके इसे एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में आगे बढ़ाया और इसे बड़ी सफलता मिली। यह जानकर खुशी हो रही है कि योग करने वालों की बढ़ती संख्या ने राष्ट्रीय खेलों के आयोजकों को इसे अपने कार्यक्रम में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया है।”

भारत सरकार ने अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से योग को एक प्रतिस्पर्धी खेल के साथ-साथ स्वस्थ जीवन जीने की कला और विज्ञान के रूप में बढ़ावा दिया है। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने भारत में एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में योगासन को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए योगासन भारत को मान्यता दी है। इसके अतिरिक्त, 2020 से खेलो इंडिया यूथ गेम्स और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के पिछले कई संस्करणों में योगासन को एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में जोड़ा गया है।

यह भी पता चला है कि विश्व योगासन (वर्ल्ड योगासन) द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था एशियाई योगासन ने पहले ही संबद्धता के लिए ओसीए को पत्र लिख दिया है ताकि योगासन को पूरे महाद्वीप में एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में विकसित किया जा सके।

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव और अनुप्रिया सिंह पटेल ने ‘आयुष्मान भारत, गुणवत्त स्वास्थ्य’ कार्यक्रम में तीन पहलों का शुभारंभ किया

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव और श्रीमती अनुप्रिया सिंह पटेल ने आज ‘आयुष्मान भारत, गुणवत्त स्वास्थ्य’ कार्यक्रम में तीन पहलों का शुभारंभ किया। ये पहल भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतरीन करने एवं कारोबार करने को और भी अधिक आसान बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी।

केंद्रीय मंत्रियों ने आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (एएएम) के लिए वर्चुअल राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) आकलन; एक डैशबोर्ड, जो राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्वास्थ्य संस्थानों व केंद्रों को भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) के अनुपालन की त्वरित निगरानी करने और तदनुसार ठोस कदम उठाने में मदद करेगा; और फूड वेंडर्स के लिए स्पॉट फूड लाइसेंस एवं पंजीकरण पहल का शुभारंभ किया।

केंद्रीय मंत्रियों ने इस कार्यक्रम के दौरान वर्चुअली निर्धारित किए गए स्वास्थ्य एएएम-एससी को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण पत्र प्रदान किये।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003LGH4.jpgइसी कार्यक्रम में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (आईपीएचएल) के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक भी जारी किये गए। ये मानक एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं में प्रबंधन एवं परीक्षण प्रणालियों की गुणवत्ता और क्षमता में सुधार करेंगे, जो परीक्षण के परिणामों की विश्वसनीयता पर सकारात्मक रूप से असर डालेंगे। इनसे प्रयोगशाला से प्राप्त होने वाले परिणामों के संबंध में चिकित्सकों, रोगियों और आम जनता का भरोसा बढ़ जाएगा। इसके अलावा, कायाकल्प के लिए संशोधित दिशा-निर्देश भी जारी किए गए।

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स्पॉट फूड लाइसेंस पहल का प्रारंभ होना खाद्य सुरक्षा एवं अनुपालन प्रणाली (एफओएससीओएस) के माध्यम से तत्काल लाइसेंस जारी करने और पंजीकरण सेवा प्रदान करने के लिए एक नई व्यवस्था है। खाद्य सुरक्षा एवं अनुपालन प्रणाली एक अत्याधुनिक, अखिल भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी वाला प्लेटफार्म है, जिसे सभी खाद्य सुरक्षा विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह अभिनव प्रणाली लाइसेंसिंग तथा पंजीकरण की प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, जिससे उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव प्राप्त होता है।

श्री प्रतापराव जाधव ने सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत “सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा” प्रदान करने और कल्याण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास की निरंतरता का हिस्सा है। उन्होंने 1.73 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित करने, साल 2014 से मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी करने, एम्स की संख्या 7 से बढ़ाकर 23 करने और 2014 से पीजी और एमबीबीएस सीटों की संख्या दोगुनी से अधिक करने को लेकर केंद्र सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने आगे कहा, “सरकार अधिक कुशल मानव संसाधन और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो वर्तमान और भविष्य की चिकित्सा संबंधी चुनौतियों से निपट सकती है।” अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वर्चुअल एनक्यूएएस मूल्यांकन और डैशबोर्ड की शुरुआत के साथ-साथ दो दस्तावेजों के जारी होने से सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। वहीं, स्पॉट फूड लाइसेंस की शुरुआत से भारत में व्यापार करने में सुगमता बढ़ेगी।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image006NJXS.jpgउन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का ध्यान सस्ती स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने पर भी है। श्रीमती पटेल ने बताया कि सरकार माननीय प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप साल 2047 तक एक सुदृढ़ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना के निर्माण के लिए काफी परिश्रम कर रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने सरकार की ओर से गुणवत्ता और अपने नागरिकों के लिए कारोबार में सुगमता प्रदान करने पर निरंतर ध्यान दिए जाने को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि जहां केंद्र सरकार राज्यों को एनक्यूएएस प्रमाणन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है, वहीं उन स्वास्थ्य केंद्रों को हतोत्साहित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता के न्यूनतम मानक को सुनिश्चित नहीं करते हैं।

एफएसएसएआई के सीईओ श्री जी कमला वर्धन राव ने कहा कि एफओएससीएस के माध्यम से लाइसेंस व पंजीकरण तत्काल जारी करने से भारत में व्यापार करने को लेकर सुगमता में उल्लेखनीय सुधार होगा और माननीय प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विश्वास की सोच में योगदान करने में सहायता मिलेगी। इससे पहले पूरे भारत में विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों से आए स्वास्थ्य कर्मियों ने एनक्यूएएस प्रशिक्षण के अपने अनुभव और अपने केंद्रों को एनक्यूएएस प्रमाणित करवाने की यात्रा के साथ-साथ प्रमाणन के कारण आए बदलावों को साझा किया। इसके अलावा देश भर से आए खाद्य विक्रेताओं ने भी अपने स्टॉल के लिए एफएसएसएआई लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने के अपने अनुभव को साझा किया।

पृष्ठभूमि:

आयुष्मान आरोग्य मंदिर के लिए वर्चुअल मूल्यांकन

आयुष्मान आरोग्य मंदिर उप-केंद्रों (एएएम-एससी) का वर्चुअल प्रमाणन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गुणवत्ता आश्वासन संबंधी संरचना में एक महत्वपूर्ण नवाचार का प्रतिनिधित्व करता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के तहत, सभी नागरिकों के लिए व्यापक, सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) की स्थापना और संचालन किया गया है। वर्तमान में, देश भर में 170,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के नेतृत्व में, एएएम में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की टीमों को प्रारंभिक देखभाल, ट्राइएज का प्रबंधन करने और आगे के उपचार के लिए रोगियों को उपयुक्त सुविधाओं के लिए संदर्भित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यह दृष्टिकोण पर्याप्त रेफरल लिंकेज के साथ समुदाय के निकट प्राथमिक देखभाल सेवाएं प्रदान करके माध्यमिक और तृतीयक देखभाल सुविधाओं पर बोझ को कम करता है। स्वास्थ्य समस्याओं की प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन रोग को बढ़ने से रोकने में मदद करता है। इसके लिए उन्नत देखभाल की आवश्यकता होती है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों, जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (उप केंद्रों) के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) विकसित किए गए, जिसका लक्ष्य 2026 तक पूर्ण अनुपालन करना था। मूल्यांकन प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन शुरू किए गए हैं, जिसमें वर्चुअल टूर और रोगियों, कर्मचारियों और समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत शामिल है। प्रत्येक स्वास्थ्य सेवा सुविधा गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त करने के लिए एक कठोर बहु-स्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया से गुज़रेगी, जिसका मूल्यांकन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पैनल में शामिल राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा किया जाएगा।

एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं (आईपीएचएल)

जीवन रक्षक उपचार और बीमारी की कारगर रोकथाम करने के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले नैदानिक परीक्षणों तक पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सशक्त प्रयोगशाला सेवाओं के बिना, रोगी अक्सर निजी सुविधाओं का सहारा लेते हैं, जिससे उन्हें काफी ज़्यादा खर्च और वित्तीय भार उठाना पड़ता है। इसलिए, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय ने एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (आईपीएचएल) की स्थापना करके पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत प्रयोगशाला प्रणालियों को मजबूत किया है। ये प्रयोगशालाएं नैदानिक सेवाओं में पहुंच, दक्षता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती हैं, जो प्रभावी स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए मौलिक हैं।

आईपीएचएल के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) को सुसंगत, सटीक और सुरक्षित प्रयोगशाला परीक्षण प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है। इन मानकों का उद्देश्य रोगियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करना, जिला और ब्लॉक-स्तरीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को सक्षमता प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करना और गुणवत्ता मानकों को लगातार बनाए रखना और सुधारना है। सटीक परीक्षण परिणाम प्रदान करने, त्रुटियों को कम करने और तेज, विश्वसनीय और सस्ती नैदानिक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशालाओं के लिए इन मानकों का पालन करना आवश्यक है। आईपीएचएल मानक जिला अस्पताल के भीतर या एक स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थित पूरी तरह कार्यात्मक प्रयोगशालाओं पर लागू होते हैं। यह परिकल्पना की गई है कि राज्य और जिला स्तर पर गुणवत्ता आश्वासन टीम जिले में आईपीएचएल में एनक्यूएएस के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगी।

सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (आईपीएचएस) डैशबोर्ड का शुभारंभ

एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (आईपीएचएस) अनुपालन डैशबोर्ड का शुभारम्भ  भारत के स्वास्थ्य सेवा विकास में एक क्रांतिकारी रणनीति का प्रतिनिधित्व करता है। आईपीएचएस दिशानिर्देशों के साथ उन्नत डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करके, मंत्रालय सार्वजनिक स्वास्थ्य में उत्कृष्टता लाने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक व्यक्ति को सर्वोत्तम संभव स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो। यह पहल राष्ट्र के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए सरकार के अटूट समर्पण का एक प्रमाण है।

आईपीएचएस डैशबोर्ड सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक ऐसा अग्रणी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिर सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के मूल्यांकन और अनुपालन स्थिति का व्यापक अवलोकन प्रदान करता है। मंत्रालय का लक्ष्य इस अत्याधुनिक डिजिटल उपकरण का लाभ उठाकर यह सुनिश्चित करना है कि सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थान आईपीएचएस 2022 द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करें, जिससे प्रत्येक नागरिक को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी की गारंटी मिले।
यह डैशबोर्ड ओपन डेटा किट (ओडीके) टूल के माध्यम से वास्तविक समय डेटा संग्रह और विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों को गहन मूल्यांकन करने, अंतराल की पहचान करने और आवश्यक सुधारों को तुरंत लागू करने में सक्षम बनाया सके । यह पहल सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य सुविधाएं बुनियादी ढांचे, उपकरण और मानव संसाधनों के आवश्यक मानकों को बनाए रखें, जिससे बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त होंगे और एक स्वस्थ और अधिक न्यायसंगत समाज को बढ़ावा मिलेगा।
14 जून, 2024 तक, 216,062 सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में से 36,730 से अधिक का मूल्यांकन किया गया है, जिनमें से 8,562 पूरी तरह से आईपीएचएस मानकों के अनुरूप हैं। नई सरकार के गठन के पहले 100 दिनों के भीतर 70,000 स्वास्थ्य संस्थानों को अनुपालन के अनुरूप बनाने का लक्ष्य है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ।

एफओएससीओएस :

एफओएससीओएस एक अत्याधुनिक, अखिल भारतीय आईटी प्लेटफ़ॉर्म है जिसे सभी खाद्य सुरक्षा नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह अभिनव प्रणाली लाइसेंसिंग और पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, जिससे उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव मिलता है। लाइसेंसिंग और पंजीकरण से परे, एफओएससीओएस ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग, खाद्य सेवा प्रतिष्ठानों के लिए स्वच्छता रेटिंग, सुरक्षा मापदंडों के लिए तीसरे पक्ष के ऑडिट के माध्‍यम से स्व-अनुपालन की सुविधा प्रदान करता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अन्य आईटी प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ा, एफओएससीओएस खाद्य व्यवसाय संचालकों के लिए एक व्यापक समाधान प्रदान करता है।

कारोबार में सुगमता में और सुधार लाने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, एफएसएसएआई ने काम में आने लायक एक नई व्‍यवस्‍था शुरू की है जो खाद्य व्यवसायों की कम जोखिम वाली श्रेणियों के लिए लाइसेंस और पंजीकरण को तुरंत जारी करने में सक्षम बनाती है। इसे डिजिटल सत्यापन के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि खाद्य सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाए। यह नया प्रावधान खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियमन, 2011 के तहत निर्धारित लाइसेंस और पंजीकरण के लिए आवेदन करने और प्राप्त करने की मौजूदा प्रक्रियाओं का पूरक है।

वर्तमान में, एफएसएसएआई लाइसेंस प्राप्त करने में पूर्ण आवेदन जमा करने की तिथि से 30 से 60 दिन लग सकते हैं। लाइसेंस के लिए, इसमें आम तौर पर 60 दिन लगते हैं, जबकि यदि निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है तो पंजीकरण में 7 दिन और यदि निरीक्षण की आवश्यकता है तो 30 दिन तक का समय लग सकता है।

लाइसेंसिंग प्राधिकरण के हस्तक्षेप के बिना लाइसेंस जारी करने की सुविधा चुनिंदा श्रेणियों जैसे थोक विक्रेताओं, वितरकों, खुदरा विक्रेताओं, ट्रांसपोर्टरों, वायुमंडलीय नियंत्रण + ठंड के बिना भंडारण, आयातकों, खाद्य वेंडिंग एजेंसियों, प्रत्यक्ष विक्रेताओं और व्यापारी-निर्यातकों के लिए उपलब्ध होगी। पंजीकरण के तत्काल अनुदान के लिए, ऊपर बताई गई श्रेणियों में आवेदन करने वाले छोटे खाद्य व्यवसायों के साथ-साथ स्नैक्स/चाय की दुकानों और फेरीवालों (घुमंतू/चलते खाद्य विक्रेता) के छोटे खुदरा विक्रेताओं को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। यह योजना दूध, मांस और मछली जैसी उच्च जोखिम वाली खाद्य श्रेणियों में शामिल व्यवसायों पर लागू नहीं होगी।

भारत में विकसित हो रहा खाद्य सुरक्षा इकोसिस्‍टम खाद्य व्यवसायों पर निगरानी रखने पर केन्‍द्रित पारंपरिक प्रथाओं से खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएस) कानून, 2006 के तहत विश्वास-निर्माण, आत्म-अनुपालन व्यवस्था में परिवर्तित हो रहा है। इन पहलों का उद्देश्य नियामक प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाकर और विभिन्न अनुपालन मॉड्यूलों तक आसान पहुंच प्रदान करके खाद्य सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार करना है, जिससे व्यापार करने में आसानी बढ़े।

इस नई कार्यक्षमता का शुभारंभ भारत की अधिक कुशल और व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो नवाचार, उद्यमशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती आराधना पटनायक; केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य सरकारों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

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कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को समृद्ध बनाने हेतु कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 29 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में लायंस क्लब इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 B-2 के द्वारा प्रधानमंत्री की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को और समृद्ध बनाने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन सी ए ज्ञान प्रकाश गुप्ता जी द्वारा महाविद्यालय की बुक बैंक में कुल 257 पुस्तकों का दान किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लायन विवेक श्रीवास्तव, लायन पवन तुलसियान एवम लायन गोपाल तुलसियान उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिस्ट्रिक्ट चेयर पर्सन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लायन वीना ऐरन जी ने की, जिन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय को लायंस क्लब द्वारा आज चतुर्थ चरण में एनईपी 2020 के अंतर्गत कला संकाय की 257 पुस्तकों का दान किया जा रहा है। इससे पूर्व प्रथम चरण में 64 एवम द्वितीय चरण में 152, तृतीय चरण में 182 पुस्तकों प्रदान की गई थीं। अब तक कुल 657 पुस्तकें बुक बैंक में हमारे द्वारा दान की गई हैं आगे भी आवश्यकतानुसार लायंस क्लब , छात्राओं हेतु शिक्षा की जरूरी सामग्री उपलब्ध कराता रहेगा, जिससे बेटियों को सक्षम और सशक्त बनाने में सहायता प्राप्त होगी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर पूनम विज जी ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र साधन है जिससे बेटियां सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकतीं हैं। लायंस क्लब कानपुर एकता विशाल, लायन क्लब कानपुर गंगेज, लायन क्लब कानपुर अलंकृत, लायन मृदुला वर्मा, लायन सर्वेश दुबे ने हमारी बुक बैंक की पहल के कार्यक्रम के विशेष सहयोग दिया है। इससे हमें बुक बैंक इकाई स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। आपके सहयोग के लिए हम आभारी हैं।
इस कार्यक्रम में लायन सुधा यादव ,लायन सविता श्रीवास्तव, लायन सुषमा श्रीवास्तव, लायन संघमित्रा, लायन उत्तरा गर्ग एवम कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय की कला संकाय की शिक्षिकाएं प्रो निशा पाठक, डॉ पूर्णिमा शुक्ला एवम पुस्तकालय प्रभारी श्रीमती सुमन उपस्थित रही I कार्यक्रम का समापन प्रो निशा पाठक के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कर किया गया।

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वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन के बाद मई 2024 में खनन क्षेत्र में वृद्धि

मूल्य के हिसाब से लौह अयस्क और चूना पत्थर कुल एमसीडीआर खनिज उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा हैं। इन प्रमुख खनिजों ने वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन प्रदर्शित किया, जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 में लौह अयस्क का उत्पादन 275 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) और चूना पत्थर का उत्पादन 450 एमएमटी रहा।

इस प्रवृत्ति को जारी रखते हुए, देश में इन प्रमुख खनिजों के उत्पादन ने अनंतिम आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में जोरदार वृद्धि प्रदर्शित की है। वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में लौह अयस्क का उत्पादन 50 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 52 एमएमटी हो गया है, जिसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चूना पत्थर का उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 77 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 79 एमएमटी हो गया है, जिसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मैंगनीज अयस्क का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 16.7 प्रतिशत बढ़ गया है और वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 0.7 एमएमटी का उत्पादन हुआ है।

अलौह धातु क्षेत्र में, वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में प्राथमिक एल्यूमीनियम उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 6.90 एलटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 6.98 लाख टन (एलटी) हो गया।

भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक, तीसरा सबसे बड़ा चूना उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है। चालू वित्त वर्ष में लौह अयस्क और चूना पत्थर के उत्पादन में निरंतर वृद्धि इस्पात और सीमेंट जैसे उपयोगकर्ता उद्योगों में मजबूत मांग की स्थिति को दर्शाती है। एल्युमीनियम के उत्पादन में वृद्धि के साथ, ये वृद्धि के रुझान ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, निर्माण, ऑटोमोटिव और मशीनरी जैसे उपयोगकर्ता क्षेत्रों में निरंतर मजबूत आर्थिक गतिविधि की ओर संकेत देते हैं।

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कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में संशोधन किया गया है, जिससे 6 महीने से कम सेवा वाले सदस्यों को निकासी का लाभ प्रदान किया जा सके; संशोधन से प्रत्येक वर्ष कर्मचारी पेंशन योजना के 7 लाख से अधिक सदस्यों को लाभ मिलेगा

भारत सरकार ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), 1995 में संशोधन किया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि 6 महीने से कम अंशदायी सेवा वाले कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्यों को भी निकासी लाभ मिल सके। इस संशोधन से प्रत्येक वर्ष कर्मचारी पेंशन योजना के 7 लाख से अधिक ऐसे सदस्यों को लाभ प्राप्त होगा जो 6 महीने से कम अंशदायी सेवा के बाद योजना छोड़ देते हैं।

इसके अलावा, केंद्र सरकार ने तालिका डी को संशोधित किया है और यह सुनिश्चित किया है कि सदस्यों को आनुपातिक निकासी लाभ देने के लिए सेवा के प्रत्येक पूरे महीने को ध्यान में रखा जाए। निकासी लाभ की राशि अब सदस्य द्वारा दी गई सेवा के पूरे महीनों की संख्या और उस वेतन पर निर्भर करेगी जिस पर कर्मचारी पेंशन योजना का अंशदान प्राप्त हुआ था। उपर्युक्त उपाय ने सदस्यों को निकासी लाभ के भुगतान को युक्तिसंगत बनाया है। अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष 23 लाख से अधिक सदस्य तालिका डी के इस संशोधन से लाभान्वित होंगे।

प्रत्येक वर्ष पेंशन योजना 95 के लाखों कर्मचारी सदस्य पेंशन के लिए आवश्यक 10 वर्ष की अंशदायी सेवा देने से पहले ही योजना छोड़ देते हैं। ऐसे सदस्यों को योजना के प्रावधानों के अनुसार निकासी का लाभ दिया जाता है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30 लाख से अधिक निकासी लाभ के दावों का निपटारा किया गया।

अब तक, निकासी लाभ की गणना पूर्ण वर्षों में अंशदायी सेवा की अवधि और उस वेतन के आधार पर की जा रही थी, जिस पर कर्मचारी पेंशन योजना के अंशदान का भुगतान किया गया है।

इसलिए, अंशदायी सेवा के 6 महीने और उससे अधिक का समय पूरा करने के बाद ही सदस्य ऐसे निकासी लाभ के लिए पात्र होते थे। परिणामस्वरूप, 6 महीने या उससे अधिक समय तक अंशदान करने से पहले योजना छोड़ने वाले सदस्यों को कोई निकासी लाभ नहीं मिलता था। यह कई दावों के खारिज होने और शिकायतों का कारण था क्योंकि कई सदस्य 6 महीने से कम की अंशदायी सेवा किए बिना ही योजना छोड़ रहे थे। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, 6 महीने से कम की अंशदायी सेवा के कारण निकासी लाभ के लगभग 7 लाख दावे खारिज कर दिए गए। इसके संशोधन बाद, ऐसे सभी कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्य जो 14.06.2024 तक 58 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर पाए हैं, वे निकासी लाभ के पात्र हो जाएंगे।

इससे पहले, पूर्ववर्ती तालिका डी के अंतर्गत गणना में प्रत्येक पूर्ण वर्ष के बाद 6 महीने से कम समय के लिए की गई सेवा की आंशिक अवधि को नजरअंदाज कर दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप कई मामलों में निकासी लाभ की कम राशि प्राप्त हुई। तालिका डी के संशोधन के साथ, निकासी लाभ की गणना के लिए अंशदायी सेवा को अब पूर्ण महीनों में माना जाएगा। इससे निकासी लाभ का उचित भुगतान सुनिश्चित होगा। उदाहरण के लिए, 2 वर्ष और 5 महीने की अंशदायी सेवा और 15,000/- प्रति माह वेतन के बाद निकासी लाभ लेने वाला सदस्य पहले 29,850/- रुपये की निकासी लाभ का हकदार था। अब उसे 36,000/- रुपये का निकासी लाभ प्राप्त होगा।

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डीएवाई-एनआरएलएम ने महिला स्वयं सहायता समूहों को सेवा क्षेत्र उद्यमों में शामिल कर ‘लखपति दीदी बनाने’ के विषय पर कार्यशाला आयोजित की

 प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की दिशा में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने आज महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को सेवा क्षेत्र के उद्यमों में एकीकृत कर लखपति दीदी बनाने के विषय पर राष्ट्रीय हितधारक परामर्श कार्यशाला आयोजित की।

इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, ग्रामीण आजीविका के अपर सचिव श्री चरणजीत सिंह ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला का आयोजन इसे एक ऐतिहासिक दिन बनाता है। यह मिशन, प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार लखपति दीदियां बनाने का प्रयास कर रहा है और सेवा क्षेत्र के उद्यमों की संभावनाओं की खोज एवं एकीकरण करते हुए लखपति पहल को सुदृढ़ बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। श्री सिंह ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सेवा क्षेत्र आज सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 50 प्रतिशत और रोजगार में 31 प्रतिशत का योगदान देता है, इसलिए इस पर खुले दिमाग से चर्चा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एसएचजी समुदाय की व्यापक भागीदारी के लिए उनके आर्थिक उत्थान और उन्हें लखपति दीदी बनने में सक्षम बनाने के लिए किस तरह की उप-योजना शुरू की जा सकती है।

ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव सुश्री स्वाति शर्मा ने संदर्भ की चर्चा करते हुए कहा कि 15 अगस्त, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा लखपति दीदी बनाने की घोषणा और 11 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री की लखपति दीदियों के साथ परस्पर बातचीत के बाद, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और इसके राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन इसे वास्तविकता बनाने के लिए प्रेरित हुए हैं। उन्होंने कहा कि मांग आधारित आर्थिक कार्यकलापों पर ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है और इसके लिए डीएवाई-एनआरएलएम अपने विभिन्न हितधारकों के साथ एसएचजी दीदियों को सफल सेवा क्षेत्र उद्यम बनाने के लक्ष्य को साकार करने के लिए मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करेगा।

इस अवसर पर ग्रामीण आजीविका विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री स्मृति शरण ने कहा कि प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी लखपति दीदी के सपने को साकार करने के लिए संयोजन महत्वपूर्ण है और मंत्रालय अपने सहयोगियों के साथ मिलकर स्वयं सहायता समूह दीदियों को लखपति दीदी के रूप में आर्थिक रूप से परिवर्तित करने में मदद करने के लिए हर संभव अवसर का लाभ उठाएगा।

इस कार्यशाला का आयोजन वर्तमान परिदृश्य- सेवा क्षेत्र में महिला स्वयं सहायता समूहों के समक्ष अवसर, संभावनाएं और चुनौतियां, महिला स्वयं सहायता समूहों को सेवा उद्यमों में एकीकृत करने के सर्वोत्तम तरीकों एवं सफल मॉडलों की पहचान और विभिन्न हितधारकों के सहयोग से अर्थव्यवस्था के सेवा क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के सफल एकीकरण के लिए आगे की रणनीति और रोडमैप की समझ विकसित करने के उद्देश्य से किया गया था। प्रतिभागियों में ग्यारह मंत्रालयों, दस राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों और अन्य हितधारकों, सेक्टर कौशल परिषद, राष्ट्रीय संसाधन संगठनों और तकनीकी सहायता एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल थे। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के साथ विभिन्न सोच और विचारों पर खुली चर्चा हुई। ग्रामीण आजीविका निदेशक सुश्री राजेश्वरी एसएम ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। समापन भाषण में, ग्रामीण आजीविका के परामर्शदाता श्री आर एस रेखी ने परामर्श कार्यशाला के मुख्य बिंदुओं और परामर्श कार्यशाला से उभरी अंतर्दृष्टि के आधार पर भावी परिदृश्य पर प्रकाश डाला।

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आठ कोर उद्योगों का संयुक्त सूचकांक मई 2024 में 6.3 प्रतिशत बढ़ा; बिजली, कोयला, इस्पात, प्राकृतिक गैस के उत्पादन में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई

मई, 2023 के सूचकांक की तुलना में मई, 2024 में आठ कोर उद्योगों (आईसीआई) का संयुक्त सूचकांक 6.3 प्रतिशत (अनंतिम) बढ़ा। मई 2024 में बिजली, कोयला, इस्पात, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादों के उत्पादन में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। वार्षिक सूचकांक, मासिक सूचकांक और वृद्धि दर का विवरण अनुलग्नक I  और अनुलग्नक II  में दिया गया है।

आईसीआई आठ कोर उद्योगों अर्थात सीमेंट, कोयला, कच्चा तेल, बिजली, उर्वरक, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और इस्पात के उत्पादन के संयुक्त और अलग-अलग प्रदर्शन की माप करता है। आठ कोर उद्योग में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं के भार का 40.27 प्रतिशत हिस्सा शामिल हैं।

फरवरी 2024 के लिए आठ कोर उद्योगों के सूचकांक की अंतिम वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रही। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान आईसीआई की संचयी वृद्धि दर पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.5 प्रतिशत (अनंतिम) रही।

आठ कोर उद्योगों के सूचकांक का सारांश नीचे दिया गया है:

सीमेंट-सीमेंट उत्पादन (भार: 5.37 प्रतिशत) मई, 2024 में मई, 2023 की तुलना में 0.8 प्रतिशत कम हुआ। अप्रैल से मई,  2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.6 प्रतिशत कम हुआ।

कोयला-कोयला उत्पादन (भार: 10.33 प्रतिशत) मई, 2023 की तुलना में मई, 2024 में 10.2 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.9 प्रतिशत बढ़ा।

कच्चा तेल– कच्चे तेल का उत्पादन (भार: 8.98 प्रतिशत) मई, 2024 में मई, 2023 की तुलना में 1.1 प्रतिशत कम हुआ। अप्रैल-मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.2 प्रतिशत बढ़ा।

बिजली-बिजली उत्पादन (भार: 19.85 प्रतिशत) मई, 2024 में मई, 2023 की तुलना में 12.8 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.6 प्रतिशत बढ़ा।

उर्वरक-उर्वरक उत्पादन (भार: 2.63 प्रतिशत) मई, 2024 में मई, 2023 की तुलना में 1.7 प्रतिशत कम हुआ। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत कम हुआ।

प्राकृतिक गैस- मई, 2024 में प्राकृतिक गैस उत्पादन (भार: 6.88 प्रतिशत) मई, 2023 की तुलना में 7.5 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.0 प्रतिशत बढ़ा।

पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद- मई, 2024 में पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन (भार: 28.04 प्रतिशत) मई, 2023 की तुलना में 0.5 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 2.2 प्रतिशत बढ़ा।

इस्पात- मई, 2024 में इस्पात उत्पादन (भार: 17.92 प्रतिशत) मई, 2023 की तुलना में 7.6 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.2 प्रतिशत बढ़ा।

नोट 1: मार्च2024अप्रैल2024 और मई2024 के आंकड़े अनंतिम हैं। कोर इंडस्ट्रीज की सूचकांक संख्या को स्रोत एजेंसियों से प्राप्त अद्यतन आंकड़ों के अनुसार संशोधित/अंतिम रूप दिया जाता है।

नोट 2: अप्रैल 2014 सेनवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन के आंकड़े भी शामिल किए गए हैं।

नोट 3: ऊपर दर्शाए गए उद्योग-वार भार आईआईपी से प्राप्त व्यक्तिगत उद्योग भार हैं और आईसीआई के संयुक्त भार के बराबर 100 के अनुपात में बढ़ाए गए हैं।

नोट 4: मार्च 2019 सेतैयार इस्पात के उत्पादन के भीतर कोल्ड रोल्ड (सीआर) कॉइल‘ मद के तहत हॉट रोल्ड पिकल्ड एंड ऑइलड (एचआरपीओनामक एक नया इस्पात उत्पाद भी शामिल किया गया है।

नोट 5: जून2024 के लिए सूचकांक बुधवार 31 जुलाई2024 को जारी किया जाएगा।

 

अनुलग्नक I

आठ प्रमुख उद्योगों का प्रदर्शन

वार्षिक सूचकांक एवं वृद्धि दर

आधार वर्ष : 2011-12=100

अनुक्रमणिका

सेक्टर कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट बिजली समग्र सूचकांक
भार 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
2012-13 103.2 99.4 85.6 107.2 96.7 107.9 107.5 104.0 103.8
2013-14 104.2 99.2 74.5 108.6 98.1 115.8 111.5 110.3 106.5
2014-15 112.6 98.4 70.5 108.8 99.4 121.7 118.1 126.6 111.7
2015-16 118.0 97.0 67.2 114.1 106.4 120.2 123.5 133.8 115.1
2016-17 121.8 94.5 66.5 119.7 106.6 133.1 122.0 141.6 120.5
2017-18 124.9 93.7 68.4 125.2 106.6 140.5 129.7 149.2 125.7
2018-19 134.1 89.8 69.0 129.1 107.0 147.7 147.0 156.9 131.2
2019-20 133.6 84.5 65.1 129.4 109.8 152.6 145.7 158.4 131.6
2020-21 131.1 80.1 59.8 114.9 111.6 139.4 130.0 157.6 123.2
2021-22 142.3 77.9 71.3 125.1 112.4 163.0 156.9 170.1 136.1
2022-23 163.5 76.6 72.4 131.2 125.1 178.1 170.6 185.2 146.7
2023-24* 182.7 77.1 76.8 135.9 129.8 200.3 185.7 198.3 157.8
अप्रैल-मई 2023-24 164.4 76.9 71.1 136.9 128.5 191.9 191.9 197.0 154.3
अप्रैल-मई 2024-25* 179.0 77.1 76.8 139.9 126.9 207.6 190.7 219.7 164.3

*अनंतिम

 

वृद्धि दर (वर्ष दर वर्ष आधार पर प्रतिशत में)

सेक्टर कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट बिजली समग्र वृद्धि
भार 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
2012-13 3.2 -0.6 -14.4 7.2 -3.3 7.9 7.5 4.0 3.8
2013-14 1.0 -0.2 -12.9 1.4 1.5 7.3 3.7 6.1 2.6
2014-15 8.0 -0.9 -5.3 0.2 1.3 5.1 5.9 14.8 4.9
2015-16 4.8 -1.4 -4.7 4.9 7.0 -1.3 4.6 5.7 3.0
2016-17 3.2 -2.5 -1.0 4.9 0.2 10.7 -1.2 5.8 4.8
2017-18 2.6 -0.9 2.9 4.6 0.03 5.6 6.3 5.3 4.3
2018-19 7.4 -4.1 0.8 3.1 0.3 5.1 13.3 5.2 4.4
2019-20 -0.4 -5.9 -5.6 0.2 2.7 3.4 -0.9 0.9 0.4
2020-21 -1.9 -5.2 -8.2 -11.2 1.7 -8.7 -10.8 -0.5 -6.4
2021-22 8.5 -2.6 19.2 8.9 0.7 16.9 20.8 8.0 10.4
2022-23 14.8 -1.7 1.6 4.8 11.3 9.3 8.7 8.9 7.8
2023-24* 11.8 0.6 6.1 3.6 3.7 12.4 8.9 7.1 7.6
अप्रैल-मई 2023-24 8.2 -2.7 -1.6 0.7 15.7 14.2 14.1 -0.1 4.9
अप्रैल-मई 2024-25* 8.9 0.2 8.0 2.2 -1.2 8.2 -0.6 11.6 6.5

*अनंतिम।

वर्ष दर वर्ष की गणना पिछले वर्ष के संगत वित्तीय वर्ष के आधार पर की जाती है

अनुलग्नक II

आठ प्रमुख उद्योगों का प्रदर्शन

मासिक सूचकांक और वृद्धि दर

आधार वर्ष: 2011-12=100

अनुक्रमणिका

सेक्टर कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट बिजली समग्र सूचकांक
भार 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
मई-23 167.6 78.8 73.2 141.1 138.2 192.5 191.8 201.6 157.4
जून-23 162.4 76.4 73.4 136.2 130.8 191.9 195.0 205.2 155.9
जुलाई-23 152.6 78.9 79.0 134.4 131.8 191.7 166.1 204.0 153.2
अगस्त-23 150.3 78.4 80.3 135.4 133.3 198.4 182.0 220.5 158.6
सितम्बर-23 147.9 74.9 76.8 126.8 132.3 198.4 166.2 205.9 151.7
अक्टूबर-23 172.6 78.4 80.3 128.8 136.4 201.4 181.5 203.8 156.4
नवम्बर-23 185.7 75.5 77.2 134.5 133.5 192.6 156.5 176.3 150.4
दिसम्बर-23 204.3 77.4 79.5 145.0 137.5 206.7 191.9 181.6 161.2
जनवरी-24 219.6 78.8 79.3 135.9 135.0 217.8 192.2 197.2 165.4
फ़रवरी-24 212.1 73.5 74.5 132.5 113.3 202.9 194.3 187.2 157.7
मार्च-24* 256.0 78.9 79.3 147.0 116.6 217.6 219.4 204.2 174.6
अप्रैल-24* 173.3 76.3 74.8 137.9 117.8 208.0 191.1 212.0 161.3
मई-24* 184.7 77.9 78.7 141.8 135.9 207.3 190.3 227.4 167.3

*अनंतिम

वृद्धि दर (वर्ष दर वर्ष आधार पर प्रतिशत में)

सेक्टर कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट बिजली समग्र वृद्धि
भार 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
मई-23 7.2 -1.9 -0.3 2.8 9.7 12.0 15.9 0.8 5.2
जून-23 9.8 -0.6 3.5 4.6 3.4 21.3 9.9 4.2 8.4
जुलाई-23 14.9 2.1 8.9 3.6 3.3 14.9 6.9 8.0 8.5
अगस्त-23 17.9 2.1 9.9 9.5 1.8 16.3 19.7 15.3 13.4
सितम्बर-23 16.0 -0.4 6.6 5.5 4.2 14.8 4.7 9.9 9.4
अक्टूबर-23 18.4 1.3 9.9 4.2 5.3 13.6 17.0 20.3 12.7
नवम्बर-23 10.9 -0.4 7.6 12.4 3.4 9.8 -4.8 5.7 7.9
दिसम्बर-23 10.8 -1.0 6.6 4.0 5.8 8.3 3.8 1.2 5.0
जनवरी-24 10.6 0.7 5.5 -4.3 -0.6 9.2 4.0 5.7 4.1
फ़रवरी-24 11.6 7.9 11.3 2.6 -9.5 9.4 7.8 7.6 7.1
मार्च-24* 8.7 2.0 6.3 1.5 -1.3 6.4 10.6 8.6 6.0
अप्रैल-24* 7.5 1.6 8.6 3.9 -0.8 8.8 -0.5 10.2 6.7
मई-24* 10.2 -1.1 7.5 0.5 -1.7 7.6 -0.8 12.8 6.3

*अनंतिम।

वर्ष दर वर्ष की गणना पिछले वर्ष के संगत वित्तीय वर्ष के आधार पर की जाती है।

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मृत एंजाइम वीईजीएफआर1 का परिवर्तित रूप कोलोन और गुर्दे के कैंसर के चिकित्सा समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण आधार है

शोधकर्ताओं ने एक ऐसी सूक्ष्म अणु प्रक्रिया की महत्वपूर्ण खोज की है जिसमें वृद्धि कारकों को इकट्ठा रखने, सेल विविधताओं के प्रसार, अस्तित्व, चयापचय और आवागमन को नियमित करने के साथ-साथ कैंसर को रोकने में सक्षम एंजाइम संरचना से संबंधित एक सेल सरफेस रिसैप्टर शामिल है।

वीईजीएफआर1 नामक यह एंजाइम उदाहरण के तौर पर हार्मोन जैसे एक लिगैंड की अनुपस्थिति में इसे स्वयं बढ़ने से रोकता है। यह शोध उन अणुओं का उपयोग करके कोलन और गुर्दे के कैंसर के लिए चिकित्सा समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण रूप से मार्ग प्रशस्त कर सकता है जो मुख्य तौर पर वीईजीएफआर1 की निष्क्रिय अवस्था को स्थिर करते हैं।

रिसेप्टर टायरोसिन किनेसेस (आरटीके) जैसे सेल सरफेस रिसेप्टर्स बाह्यकोशिकीय संकेतों (विकास कारकों जैसे रासायनिक संकेतों से, जिन्हें आमतौर पर लिगैंड के रूप में संदर्भित किया जाता है) को विनियमित सेलुलर प्रतिक्रिया में बदलने के लिए महत्वपूर्ण हैं। बाह्यकोशिकीय रिसेप्टर्स से लिगैंड वाईडिंग इंट्रासेल्युलर युग्मित एंजाइम (टायरोसिन किनेसेस) को सक्रिय करता है। सक्रिय एंजाइम, बदले में, कई टायरोसिन अणुओं में फॉस्फेट समूह जोड़ता है जो सिग्नलिंग कॉम्प्लेक्स को एकत्र करने के लिए एक एडेप्टर के रूप में कार्य करते हैं। सिग्नलिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण सेल वृद्धि, विकास और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जैसे विविध सेलुलर कार्यों को नियंत्रित करता है। लिगैंड की अनुपस्थिति में आरटीके की सहज सक्रियता अक्सर कैंसर, मधुमेह और स्व-प्रतिरक्षित विकारों जैसे कई मानव विकृति से जुड़ी होते हैं। शोधकर्ता यह पता लगा रहे हैं कि एक कोशिका एंजाइम की ऑटोइनहिबिटेड स्थिति को कैसे बनाए रखती है और मानव विकृति के बढ़ने के दौरान इस तरह का ऑटोइनहिबेशन क्यों होता है।

कोलकाता के भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के शोधकर्ताओं ने वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (वीईजीएफआर) नामक एक ऐसे आरटीके की जांच की। रिसेप्टर्स का वीईजीएफआर परिवार नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण प्रक्रिया का प्रमुख कारक है।

यह प्रक्रिया भ्रूण के विकास, घाव भरने, ऊतक पुनर्जनन और ट्यूमर बनने जैसे कार्यों के लिए आवश्यक है। वीईजीएफआर को लक्षित करके विभिन्न घातक और गैर-घातक बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।

शोधकर्ता इस तथ्य से हैरान हैं कि इस परिवार के दो सदस्य वीईजीएफआर 1 और वीईजीएफआर 2 काफी अलग तरह से व्यवहार करते हैं जबकि वीईजीएफआर 2, नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया को विनियमित करने वाला प्राथमिक रिसेप्टर अपने लिगैंड के बिना, स्वतः सक्रिय हो सकता है, परिवार का दूसरा सदस्य वीईजीएफआर 1 कोशिकाओं में अत्यधिक क्रियाशीलता होने पर भी स्वतः सक्रिय नहीं हो सकता। यह एक मृत एंजाइम वीईजीएफआर 1 के रूप में छिप जाता है और वीईजीएफआर 2 की तुलना में अपने लिगैंड वीईजीएफ-ए से दस गुना अधिक निकटता के साथ मिल जाता है। यह लिगैंड वाईडिंग एक क्षणिक काइनेज (एंजाइम द्वारा शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करना) सक्रियण को प्रेरित करता है।

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चित्र 1: वीईजीएफआर के लिगैंड-स्वतंत्र सक्रियण की जांच। एडी कम (एसीऔर उच्च (बीडीअभिव्यक्त सीएचओ सेल लाइनों में एमचैरी से जुड़े वीईजीएफआरया वीईजीएफआरकी कॉन्फ़ोकल छवियाँ। वीईजीएफआर का अभिव्यक्ति स्तर लाल रंग में हैऔर फॉस्फोराइलेशन स्थिति हरे रंग में हैस्केल बार=10यूएम। वीईजीएफआर 2 (पैनल ईया वीईजीएफआर1 (पैनल एफके अभिव्यक्ति स्तर को सीटर्मिनल टेल पर संबंधित टायरोसिन अवशेषों के फॉस्फोराइलेशन स्तर के विरुद्ध प्लॉट किया गया है

वीईजीएफआर1 के सक्रिय होने से कैंसर से संबंधित दर्द, स्तन कैंसर में ट्यूमर सेल का जीवित रहना और मानव कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं का स्थानांतरण होता है।

इस बात की जांच करते हुए कि परिवार का एक सदस्य इतना सहज रूप से सक्रिय क्यों होता है और दूसरा ऑटोइनहिबिटेड क्यों होता है, आईआईएसईआर कोलकाता के डॉ. राहुल दास और उनकी टीम ने पाया कि एक असाधारण आयनिक लैच, जो केवल वीईजीएफआर1 में मौजूद है, बेसल अवस्था में काइनेज को ऑटोइनहिबिटेड रखता है। आयनिक लैच जक्सटामेम्ब्रेन सेगमेंट को काइनेज डोमेन पर हुक करता है और वीईजीएफआर1 के ऑटोइनहिबिटेड कंफर्मेशन को स्थिर करता है।

वीईजीएफआर 1 की ऑटोइनहिबिटेड अवस्था की प्रक्रिया की खोज करते हुए शोधकर्ताओं ने वीईजीएफआर1 गतिविधि को मॉड्यूलेट करने में सेलुलर टायरोसिन फॉस्फेट की महत्वपूर्ण भूमिका का प्रस्ताव दिया। आईआईएसईआर कोलकाता में एनालिटिकल बायोलॉजी फैसिलिटी में डीएसटी-एफआईएसटी समर्थित आईटीसी और स्टॉप्ड-फ्लो फ्लोरीमीटर के साथ किए गए शोध ने कैंसर में होने वाली नई रक्त वाहिकाओं (एंजियोजेनेसिस) के वीईजीएफआर1-मध्यस्थ रोगात्मक गठन को विनियमित करने में फॉस्फेट मॉड्यूलेटर की चिकित्सीय क्षमता का भी उल्लेख किया।

नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित यह खोज वीईजीएफआर सिग्नलिंग के स्वयं सक्रिय होने के कारण रोग संबंधी स्थितियों के बारे चिकित्सीय समाधान निकालने की दिशा में नए मार्ग प्रशस्त कर सकती है। ऑटोइनहिबिटेड अवस्था को लक्षित करने वाले छोटे अणुओं में मानव कोलोरेक्टल कार्सिनोमा और गुर्दे के कैंसर जैसे कैंसर के इलाज की अधिक क्षमता होगी।

लेख का लिंक: https://doi.org/10.1038/s41467-024-45499-2

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चित्र 2: बाह्यकोशिकीय डोमेन (ईसीडीसे जुड़ने वाला लिगैंड रिसेप्टर डिमराइजेशन और टीएम-जेएम सेगमेंट के फिर से बनने को प्रेरित करता है। वीईजीएफआर में जेएम अवरोध का धीमी गति से होना सीटर्मिनल टेल पर क्षणिक टायरोसिन फॉस्फोराइलेशन की ओर ले जाता है। वीईजीएफआर या वीईजीएफआरम्यूटेंट में जेएम अवरोध की त्वरित रिलीज टायरोसिन फॉस्फोराइलेशन को बनाए रखने के लिए फिर से तैयार करती है। बाएँ: जेएम अवरोध की धीमी गति से रिलीज और प्रोटीन टायरोसिन फॉस्फेट (पीटीपीगतिविधि के बीच एक संवेदनशील संतुलन के कारण वीईजीएफआरकी लिगैंड-स्वतंत्र सक्रियता को रोक दिया जाता है

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित ग्रामीण भूमि रिकॉर्ड के लिए ‘भुवन पंचायत (संस्करण 4.0)’ पोर्टल और ‘आपातकालीन प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीईएम संस्करण 5.0)’ नामक दो जियोपोर्टल लॉन्च किए

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज पृथ्वी भवन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित दो जियोपोर्टल, ग्रामीण भूमि रिकॉर्ड के लिए ‘भुवन पंचायत (संस्करण 4.0)’ पोर्टल और “आपातकालीन प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीईएम संस्करण 5.0)” लॉन्च किए। ये नवीनतम भू-स्थानिक उपकरण पूरे देश में विभिन्न स्थानों के लिए 1:10K स्केल की उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली उपग्रह इमेजरी प्रदान करने के लिए विज़ुअलाइज़ेशन और योजना बनाने के लिए हैं। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “इन पोर्टलों का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से पिछले एक दशक में शुरू किए गए सुधारों की अगली कड़ी है।” 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पदभार संभालने के तुरंत बाद शुरू हुई यात्रा को याद करते हुए, 2015-16 की शुरुआत में बुनियादी ढांचे के विकास, नियोजन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान, कृषि विकास के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों पर विचार-विमर्श सत्र में चर्चा की गई। मंत्री महोदय ने जियोपोर्टल्स के लॉन्च पर इसरो की टीम को बधाई देते हुए कहा, “हमने न केवल रॉकेट लॉन्च किए हैं और आकाश तक पहुंचे हैं, बल्कि हम आकाश से पृथ्वी का मैपिंग भी कर रहे हैं।” विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, “अंतरिक्ष-प्रौद्योगिकी वस्तुतः हर घर में प्रवेश कर चुकी है। हमने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के हमारे संस्थापक श्री विक्रम साराभाई के दृष्टिकोण को सही मायने में आगे बढ़ाया है, जो मानते थे कि अंतरिक्ष में विकास का आम नागरिकों के जीवन पर बहुआयामी प्रभाव पड़ेगा, चाहे वह टेलीमेडिसिन हो, डिजिटल इंडिया हो, मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग की पहचान हो।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि सरकार की प्राथमिकता विभिन्न सेवाओं को एकीकृत करना और आम नागरिकों को इसका लाभ उठाने की सुविधा देना है। उन्होंने उल्लेख किया कि मोदी सरकार के तहत पिछले कुछ वर्षों में नीतिगत निर्णयों के परिणामस्वरूप अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया है, जिसका सकारात्मक प्रभाव 2022 में एक स्टार्टअप से 2024 में 200 से अधिक स्टार्टअप तक हो सकता है। डॉ. सिंह ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह सरकार ही थी जिसने चंद्रयान के प्रक्षेपण के दौरान श्रीहरिकोटा के द्वार आम जनता के लिए खोले ताकि वे आकर अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमता को देख सकें। उन्होंने यह भी साझा किया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग 1000 करोड़ रुपये का निजी निवेश आया है।

“विकेंद्रीकृत नियोजन के लिए स्थान आधारित सूचना समर्थन (एसआईएसडीपी)” का समर्थन करने और पंचायतों में जमीनी स्तर पर नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए ‘भुवन पंचायत पोर्टल’ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि यह जमीनी स्तर पर नागरिकों को सशक्त बनाने और उन्हें इन सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति देने, भूमि रिकॉर्ड के लिए स्थानीय प्रशासन पर निर्भरता को कम करके जीवन को आसान बनाने और डिजिटलीकरण और भूमि राजस्व प्रबंधन द्वारा भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के हमारे प्रयासों को जारी रखता है। ये उपकरण नागरिकों के सुझावों पर वास्तविक समय डेटा प्रदान करेंगे और जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार को कम करेंगे। आपातकालीन प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीईएम संस्करण 5.0) के लाभों पर बोलते हुए, जो प्राकृतिक आपदाओं पर अंतरिक्ष-आधारित इनपुट प्रदान करेगा और भारत के साथ-साथ पड़ोसी देशों में आपदा जोखिम को कम करने में सहायता करेगा। नागरिकों को प्रकृति की अनिश्चितताओं से बचाने और एक प्रभावी पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए ताकि प्रशासन सक्रिय रूप से आपदाओं को रोक सके और हमें भूमि उपयोग भूमि परिवर्तन (एलयूएलसी) के बारे में सूचित कर सके। उन्होंने यह भी बताया कि स्थिति की निरंतर निगरानी करने और मूल्यवान इनपुट प्रदान करने के लिए एक कमांड सेंटर स्थापित किया गया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये पोर्टल बहुत उपयोगी साबित होंगे क्योंकि स्वामित्व पोर्टल भूमि रिकॉर्ड और भूमि राजस्व प्रबंधन के मामले में कई देशों के लिए रोल मॉडल के रूप में कार्य करता है।

इसरो के अध्यक्ष श्री एस सोमनाथ, अंतरिक्ष विभाग के सचिव ने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के प्रति उनके निरंतर मार्गदर्शन और नेतृत्व के लिए आभार व्यक्त किया। पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज; पृथ्वी विज्ञान के सचिव श्री रवि चंद्रन; गृह मंत्रालय के अपर सचिव श्री एस के जिंदल; पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राजेश एस.;  जीएसआई खनन मंत्रालय के उपमहानिदेशक मनीष के, और एनआरएससी के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान भी शुभारंभ समारोह में उपस्थित थे।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज गाजियाबाद परिसर में आयोजित सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) के स्वर्ण जयंती समारोह में कंपनी को “मिनी रत्न” (श्रेणी-1) का दर्जा देने की घोषणा की।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग ने राष्ट्र की सेवा में 50 गौरवशाली वर्ष पूरे होने और इस वर्ष 26 जून को स्वर्ण जयंती मनाने पर पर सीईएल को बधाई दी।

इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “हमें गर्व है कि स्वर्ण जयंती समारोह में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ शामिल हो रहे हैं जिनका मार्गदर्शन और प्रेरणा हमें देश की बेहतरी के लिए और अधिक योगदान देने को प्रेरित करेगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने आगे कहा, “50 वर्षों का समर्पण, दृढ़ता और सफलता, कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता का प्रमाण है जिसने उत्कृष्टता की इस यात्रा को आगे बढ़ाया है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीईएल के प्रदर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, खासकर पिछले 5 वर्षों में, सीईएल की वित्तीय स्थिरता, लाभप्रदता और परिचालन उत्कृष्टता ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। टर्नओवर, नेटवर्थ, रिजर्व, नेट प्रॉफिट आदि मामले में भी सीईएल का प्रदर्शन उल्लेखनीय है।

बीच में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़; बाएं 1. केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह 2. चेतन जैन सीएमडी, सीईएल; दाएं 1. श्री सुनील शर्मा कैबिनेट मंत्री, उत्तर प्रदेश 2. सीएसआईआर के महानिदेशक, डॉ. एन. कलईसेलवी,

मंत्री महोदय ने बताया कि सीईएल, घाटे में चल रही पीएसयू से लाभांश देने वाली पीएसयू में बदल गई है और यह लगातार तीसरा वर्ष है जब सीईएल ने भारत सरकार को लाभांश का बढ़ती दर पर भुगतान किया है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि लगभग 58 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त करके 50 साल पूरे होने का जश्न मनाना सराहनीय है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के अमृत काल के विजन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य क्षमता निर्माण, कौशल विकास के माध्यम से प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण और विनिर्माण को बढ़ावा देना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने सराहना करते हुए कहा- रक्षा, रेलवे, सुरक्षा, निगरानी और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सीईएल का योगदान, स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा “स्मार्ट बोर्ड का उत्पादन से न केवल सीईएल के उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता आएगी, बल्कि देश के स्कूलों में स्मार्ट शिक्षा के कार्यान्वयन पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीईएल प्रबंधन द्वारा कर्मचारी के जुड़ाव को मजबूत करने के लिए उठाए गए नए कदमों पर संतोष व्यक्त किया, जिसके कारण पिछले कुछ वर्षों में उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ और पिछले वित्तीय वर्ष में सर्वकालिक उच्च उपलब्धि हासिल हुई। मंत्री ने पुष्टि की कि सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मिनी रत्न (श्रेणी-1) का उच्च दर्जा दिए जाने के लिए सटीक प्रदर्शन मापदंडों को हासिल किया है।

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री सुनील कुमार शर्मा, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॉ. एन. कलईसेलवी, सीईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री चेतन जैन के साथ-साथ भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी

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