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नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने हरित हाइड्रोजन प्रमाणन योजना शुरू की

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने 29 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में “हरित हाइड्रोजन आपूर्ति श्रंखला में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए अवसरों” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य भारत में हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम के विकास में एमएसएमई की प्रमुख भूमिका पर चर्चा करना और अवसरों का पता लगाना था। एमएसएमई, नीति निर्माताओं, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, उद्योग संघों और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों सहित विभिन्न हितधारक समूहों के 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

माननीय केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रहलाद वेंकटेश जोशी ने उद्घाटन भाषण में नवाचार आधारित विकास को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और इस बात पर बल दिया कि एमएसएमई अपनी नवीन क्षमताओं और स्थानीय समाधानों के माध्यम से भारत के ऊर्जा परिवर्तन की रीढ़ के रूप में काम करेंगे। उन्होंने वर्ष 2030 तक आत्मनिर्भर हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम के निर्माण के मिशन के उद्देश्यों को साकार करने में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

माननीय केंद्रीय मंत्री महोदय ने भारत की हरित हाइड्रोजन प्रमाणन योजना (जीएचसीआई) का भी शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि यह योजना हरित हाइड्रोजन उत्पादन को प्रमाणित करने और पारदर्शिता, जानकारी प्राप्त करने और बाजार की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत ढांचा बनाने की दिशा में एक आधारभूत कदम है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री संतोष कुमार सारंगी ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के कार्यान्वयन में कुछ प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने एमएसएमई को इस नए औद्योगिक परिदृश्य में सार्थक रूप से भाग लेने के लिए सशक्त बनाने हेतु क्षमता निर्माण, वित्त की सुविधा और प्रौद्योगिकी संबंधों को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने हरित हाइड्रोजन के लिए संस्थागत और ढांचागत सहायता के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें एमएसएमई महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

:कार्यशाला में चार केंद्रित तकनीकी सत्र शामिल थे:

  1. एमएसएमई के लिए प्रौद्योगिकी सहयोग

पैनल में शामिल वक्ताओं ने अनुसंधान एवं विकास सहयोग मॉडल, द्विध्रुवीय प्लेटों और इलेक्ट्रोलाइजर्स जैसे घटकों के स्वदेशीकरण और ज्ञान संस्थानों की भूमिका पर विचार-विमर्श किया।

  1. हरित हाइड्रोजन आपूर्ति श्रंखला में व्यावसायिक अवसर

चर्चा का मुख्य विषय एमएसएमई को बड़े पैमाने की परियोजनाओं में एकीकृत करना था। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और कॉर्पोरेट विशेषज्ञों ने व्यवस्थित एमएसएमई जुड़ाव रणनीतियों का समर्थन करते हुए व्यावसायिक मॉडल और बाजार के अवसरों की रूपरेखा तैयार की।

  1. बायोमास के माध्यम से विकेंद्रीकृत हाइड्रोजन उत्पादन

विशेषज्ञ वक्ताओं ने बायोमास के हाइड्रोजन में थर्मोकेमिकल और बायोकेमिकल रूपांतरण पर उपयोग के मामले प्रस्तुत किए और ग्रामीण उद्योगों में उनके अनुप्रयोग की खोज की। सत्र में स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए विकेंद्रीकृत मॉडल की क्षमता पर प्रकाश डाला गया, साथ ही पुनः उपयोग की अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को प्रोत्साहन दिया गया।

  1. हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम में निवेश को प्रेरित करना

विश्व बैंक, इरेडा, केएफडब्ल्यू और आईआईएफसीएल सहित वित्तीय संस्थानों ने जोखिम कम करने की रणनीतियों, मिश्रित वित्त व्यवस्था और एमएसएमई के लिए सुलभ हरित ऋण व्यवस्था को डिजाइन करने की आवश्यकता पर चर्चा की।

कार्यशाला ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा उपयोग में परिवर्तन में एमएसएमई को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया और एक समावेशी, प्रौद्योगिकी-संचालित और विकेन्द्रीकृत हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के निर्माण के प्रति एमएनआरई की प्रतिबद्धता को दर्शाया। कार्यशाला में एमएसएमई की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिन्होंने हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में प्रवेश करने में, विशेष रूप से घटक निर्माण, संचालन और रखरखाव सेवाओं और ग्रामीण हाइड्रोजन उत्पादन जैसे क्षेत्रों में गहरी रुचि दिखाई। प्रतिभागियों ने एमएसएमई को क्षमताओं को संयोजित करने और बडे पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं से लाभ उठाने में सहायता करने के लिए मानकीकृत प्रोटोकॉल, संयुक्त नवाचार के लिए साझा मंच और हरित हाइड्रोजन समूह के गठन की आवश्यकता पर बल दिया। चर्चाओं में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए स्पष्ट मांग संकेतों और दीर्घकालिक नीति स्थिरता के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया। विशेषज्ञों ने हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से इलेक्ट्रोलाइज़र और ईंधन कोशिकाओं के लिए विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने की भारत की मजबूत क्षमता का उल्लेख किया।

भारत सरकार राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को लागू कर रही है। इसका उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।

इस मिशन के परिणामस्वरूप वर्ष 2030 तक निम्नलिखित संभावित परिणाम सामने आएंगे:

  1. देश में लगभग 125 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ प्रति वर्ष कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास
  2. कुल आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश
  3. छह लाख से अधिक नौकरियों का सृजन
  4. जीवाश्म ईंधन आयात में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की संचयी कमी
  5. वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी