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लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से काम में आने लायक कृषि बाजार लगभग दोगुना

भारत सरकार का कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों और खेती के कार्यों में सुविधा के लिए अनेक उपाय कर रहा है। कार्यों की अद्यतन जानकारी  नीचे दी गई है:  

  1. देश के 2587 प्रधान / मुख्य कृषि बाजारों में से, 1091 बाजार लॉकडाउन अवधि की शुरुआत 26.03.2020 को कार्य कर रहे थे जो 21.04.2020 को बढ़कर 2069 बाजार हो गए।
  2.  मंडियों में प्याज, आलू और टमाटर जैसी सब्जियों की आवक 16.03.2020 की तुलना में 21.04.2020 को क्रमशः 622%, 187% और 210% बढ़ गई।
  3. रबी मौसम 2020 के दौरान, न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर दलहन और तिलहन की खरीद वर्तमान में बीस (20) राज्यों में चल रही है। नैफेड और एफसीआई ने 1,73,064.76 मीट्रिक टन दलहन और 1,35,993.31 मीट्रिक टन तिलहन खरीदा जिसका मूल्‍य 1447.55 करोड़ है। इसके जरिये 1,83,989 किसान लाभान्वित हुए हैं।
  4. राज्यों ने आगामी मानसून का लाभ उठाने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत कार्य शुरु कर दिया है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में श्रमिकों को मास्क, भोजन आदि देने के साथ बांस की नर्सरी की तैयारी शुरू हो गई है। गुजरात के साबरकांठा और वांसदा शहरों में नर्सरियां बनाई गई हैं। असम में कामरूप जिले के दिमोरिया ब्लॉक में 520 किसानों को शामिल कर 585 हेक्टेयर लक्षित क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठनों ने पौधारोपण शुरू किया है।
  5.  लॉकडाउन अवधि के दौरान 24.03.2020 से अब तक प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि (पीएम-किसान) योजना के अंतर्गत लगभग 8.938 करोड़ किसान परिवारों को लाभान्वित किया गया है और अब तक 17,876.7 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

कटाई की स्थिति 22.04.2020 को

गेहूँ: गेहूँ उगाने वाले प्रमुख राज्यों में, कटाई की स्थिति उत्साहवर्धक है। जैसी कि राज्यों द्वारा जानकारी दी गई है, मध्य प्रदेश में लगभग 98-99% गेहूं की फसल काटी जा चुकी है, राजस्थान में 88-90%, उत्तर प्रदेश में 75-78%, हरियाणा में 40-45%, पंजाब में 35-40% और अन्‍य राज्‍यों में 82 -84% गेहूं की फसल की कटाई हो चुकी है।

दलहन: राज्यों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार लगभग सभी राज्यों में दालों की कटाई पूरी हो चुकी है।

गन्ना: राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पंजाब में गन्ने की 100% कटाई पूरी हो चुकी है। तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड में लगभग 92-98% कटाई पूरी हो चुकी है जबकि उत्‍तर प्रदेश में 80-85% कटाई पूरी हो चुकी है।

आलू: आलू की कटाई पूरी हो गई है और भंडारण की प्रक्रिया चल रही है।

प्याज: छोटी किसान इकाइयों के खेत में रबी प्याज की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। बड़े किसान भूखंडों में कटाई जारी है और मई के दूसरे सप्ताह तक चल सकती है।

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भारत ने पाकिस्तान को गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने के फैसले पर जारी किया डेमार्श, कहा- ये भारत का हिस्सा, फौरन करें खाली

गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने के फैसले पर भारत ने पाकिस्तान को जारी किया डेमार्श, कहा- ये भारत का हिस्सा, फौरन करें खाली
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्‍तान को साफ कर दिया है कि जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख का पूरा क्षेत्र जिसमें गिलगित-बलूचिस्तान का हिस्‍सा भी आता है, वह भारत का आंतरिक भाग है।

क्या है पूरा मामला दरअसल, पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने वहां की केंद्र सरकार को यह आदेश दिया है कि वह गिलगिट बाल्टिस्तान में आम चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकती है और नई सरकार के गठन तक वहां एक अस्थाई सरकार का गठन भी कर सकती है। इस क्षेत्र को पाकिस्तान के पूर्ण राज्य के तौर पर स्थापित करने की कोशिशों को इससे मदद मिलेगा। गौरतलब है कि वर्ष 2018 में ही पाकिस्तान सरकार ने इस बारे में आदेश जारी किया था।

भारत कनेक्शन भारत पिछले 15,000 वर्षों से अस्तित्व में है। अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान और हिन्दुस्तान सभी भारत के हिस्से थे। ‘अखंड भारत’ कहने का अर्थ यही है। 18 अगस्त 1919 को अफगानिस्तान को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। हालांकि इससे कहीं पहले अफगानिस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र बन चुका था। अनुच्छेद 4 का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने कलात के खान को 15 अगस्त 1947 को एक फरेबी और फंसाने वाली आजादी देकर 4 महीने के भीतर यह समझौता तोड़कर 27 मार्च 1948 को उस पर औपचारिक कब्जा कर लिया। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के बचे 3 प्रांतों को भी जबरन पाकिस्तान में मिला लिया था। 1948 से लेकर आज तक बलूच का विद्रोह जारी है। बलूच का मानना है कि वो पूर्व में एक स्वतंत्र राष्ट्र थे और सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से वो एक अलग पहचान रखते है। पाकिस्तान ने कलात के खान से बंदूक की नोंक पर विलय करवाया।

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आपको कौन सलाम लिखूं

बंधु आपको कौन सलाम लिखुं,लाल सलाम लिखुं,आकाश का इंद्रधनुषी सलाम लिखुं, भारत की तुम्हारे श्रम शिकर का सलाम लिखुं या दहकते अंगारों का सलाम लिखुं।

सलाम ऐ मेरे वतन वासियों

चक्के की गति,
मिट्टी पर थिरकते हाथो से
जिसने खोज निकाला था
बरतन बनाने की कला
दे दिया गया उसे नाम कुम्हार का।
जिसने लकङियों पर चलाकर
छेनी हथौड़ी
दिया बना खाट किवाङ
राजमहल के नक्काशीदार द्वार
सुंदर अलंकृत गवाछ
मिला नाम बढ़ई का ।
जिनके श्रमबिंदु गिरकर
गढ़ रहे थे अट्टालिकाओं के
छत,फर्श,दीवार
चुमती गगन मीनार
विशाल दुर्ग ,गुम्बज
कहलाए शिल्पीकार।
कर झकाझक वस्त्र मलिन
व्यक्तित्व पर फिराता था जो जादू
पिसता रहा समाज में धोबी बनकर
मृत जानवरों की खालो से
जिसने दिया पांवों को वस्त्र नरम
मिला तमगा चमार का
उच्छिष्टो को कर साफ़
बनाया घर समाज पवित्र
अपने श्रमसीकर से धोकर
घृणा को जीत
रोककर उबकाई
उठा हाथो से विष्टा
दिया समाज को तार
बना कर डोम
समाज कहता रहा नीच
करता रहा घृणा
सभ्य होने से पूर्व
सभ्यता के देह पर
ठोक दी गई
अनगिनत कीलें
ढो रहे हम आज भी
सांस्कृतिक उत्थान के नाम पर
अपने अपने गैरत की लाशे
अपने घायल कंधों पर लेकर
– डॉ प्रभा कुमारी

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लॉकडाउन उपायों के उल्लंघन के मामलों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए अंतर-मंत्रालयी केन्द्रीय दलों (आईएमसीटी) का गठन

देश के कुछ जिलों में, लॉकडाउन उपायों के उल्लंघन के अनेक मामलों की जानकारी मिली है, जिससे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है और कोविड-19 फैलने की आशंका उत्‍पन्‍न हो गई है, जो जनता के सामान्य हित के खिलाफ है। इन उल्लंघनों में स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल करने वाले अग्रिम पंक्ति के पेशेवरों पर हिंसा से लेकर पुलिस कर्मियों पर हमले, बाजार में एक दूसरे से दूरी बनाए रखने के नियमों का उल्लंघन और क्‍वारंटाइन केन्‍द्रों की स्थापना के विरोध जैसी घटनाएं शामिल हैं।

केन्‍द्र ने अंतर-मंत्रालयी केन्‍द्रीय टीमों (आईएमसीटी) का गठन किया है, जिसमें गुजरात के लिए दो और तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के लिए एक-एक (पहले से गठित मुंबई-पुणे टीम की जिम्‍मेदारी के क्षेत्र का विस्तार किया गया है) टीम शामिल है। ये टीमें मौके पर स्थिति का आकलन करेंगी और निवारण के लिए राज्य प्राधिकरणों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगी तथा अपनी रिपोर्ट आम जनता के हित में केन्द्र सरकार को सौंपेंगी।

स्थिति प्रमुख हॉटस्पॉट जिलों या अहमदाबाद और सूरत (गुजरात) अथवा उभरते हॉटस्पॉट, ठाणे (महाराष्ट्र); हैदराबाद (तेलंगाना); और चेन्नई (तमिलनाडु) में विशेष रूप से गंभीर है। ये टीमें कोविड-19 से प्रभावी ढंग से निपटने और उसे फैलने से रोकने के लिए केन्‍द्र और राज्य के प्रयासों की विशेषज्ञता का उपयोग करेंगी।

आईएमसीटी आपदा प्रबंधन कानून 2005 के अंतर्गत जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार लॉकडाउन उपायों का पालन और कार्यान्वयन; आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति; अपने घरों से बाहर निकलने पर लोगों के एक दूसरे से दूरी बनाकर रखने;  स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की तैयारी, जिले में अस्पताल सुविधाएं और आंकड़ों का प्रतिदर्श; स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा, जांच किट, पीपीई, मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता; और श्रमिकों और गरीब लोगों के लिए राहत शिविरों की स्थितियों सहित अनेक मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करेगा।

यदि उल्लंघनों की उपरोक्‍त घटनाओं को पाबंदी उपायों के बिना हॉटस्पॉट जिलों / उभरते हुए हॉटस्पॉट्स या यहां तक ​​कि मलिन बस्‍ती जैसे स्थानों पर जहां बड़े पैमाने पर इसका प्रकोप हो सकता है, में जारी रहने की अनुमति दी जाती रही तो इससे देश के लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा।

केन्द्र सरकार ने अन्‍य बातों के अलावा आपदा प्रबंधन कानून 2005 की धारा 35 (1), 35 (2) (ए), 35 (2) (ई) और 35 (2) (i) में दी गई शक्तियों का इस्‍तेमाल करते हुए समितियों का गठन किया है। राज्यों / संघ शासित प्रदेशों की सरकारों को भी सलाह दी गई है कि वे आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के अंतर्गत जारी किए गए एमएचए के दिशा-निर्देशों में अपेक्षित उपायों की तुलना में और कड़े उपाय लागू कर सकते हैं, उन्हें कमजोर नहीं किया जाएगा।

इसके अलावा, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने दिनांक 31.03.2020 के आदेश में कहा है कि देश की सभी संबंधित राज्य सरकारें, सार्वजनिक प्राधिकरण और नागरिक जनता की सुरक्षा के हित में भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों और आदेशों का ईमानदारी से शब्‍दश: पालन करेंगे। न्‍यायालय की यह टिप्‍पणी, जिसे शीर्ष न्यायालय के निर्देशों के रूप में माना जाना चाहिए, सभी राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों को भी सूचित कर दी गई है।

आईएमसीटी जल्‍द ही अपने दौरे शुरू करेगी।

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डॉ. हर्षवर्धन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की

केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामलों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए बिहार सरकार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडे के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एईएस के लिए हुई समीक्षा बैठक के दौरान यह विचार व्यक्त किए और पदाधिकारियों से जमीनी स्तर पर स्थिति का जायजा भी लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी इस बैठक के दौरान उपस्थित थे।

बैठक के दौरान, एईएस से बच्चों की मृत्यु पर चिंता व्यक्त करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह जानना कष्टकर है कि गर्मियों के दौरान 15 मई से जून के महीने के बीच एक खास समय में बिहार में एईएस के कारण छोटे बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि कई स्तरों पर उचित हस्तक्षेप के साथ समय पर देखभाल के माध्यम से  इस मृत्यु दर को रोका जा सकता है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एईएस के खिलाफ लड़ाई पुरानी है और वह इससे परिचित हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या के निवारण के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण के माध्यम से समय से पूर्व रक्षात्मक, निवारक और व्यापक उपाय करने की आवश्यकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एईएस के प्रकोप के दौरान 2014 और 2019 की अपनी बिहार यात्रा स्मरण करते हुए कहा कि उस वक्त भी उन्होंने स्वयं स्थिति का जायजा लेते हुए बाल-रोगियों और उनके माता-पिता से मुलाकात करके उसके मूल कारणों की जानकारी ली थी।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस बार भी हम स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे हैं और एईएस स्थिति के प्रबंधन हेतु राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं। उन्होंने राज्य के अधिकारियों से प्रभावित क्षेत्रों में चौबीस घंटे निगरानी रखने और समय से निवारक कार्रवाई का सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस तरह के दृष्टिकोण से हम आने वाले समय में एईएस मामलों में वृद्धि को रोकने में सक्षम हो पाएंगे।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से राज्य सरकार को पूर्ण समर्थन और सहायता प्रदान करेगा। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि महिला और बाल विकास मंत्रालय सहित केंद्र सरकार के अन्य मंत्रालयों से भी तत्काल और दीर्घकालिक उपायों के तहत सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया जाएगा।

बिहार राज्य को दी जा रही सहायता पर विस्तार से चर्चा करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि  स्थिति की दैनिक निगरानी के लिए विशेषज्ञों की समिति के गठन के अलावा, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), एम्स, पटना, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बाल स्वास्थ्य प्रभाग से विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय अंतर-अनुशासनात्मक विशेषज्ञ टीम के गठन की भी तत्काल आवश्यकता है ताकि एईएस और जापानी एन्सेफलाइटिस के मामलों में राज्य की सहायता के लिए नीतिगत हस्तक्षेपों में मार्गदर्शन लिया जा सके।

राज्य द्वारा तत्काल उठाए जाने वाले विशिष्ट कदमों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे रोग के लिए नए बाल चिकित्सा आईसीयू को शीघ्र क्रियाशील बनाया जाए; आसपास के जिलों में कम से कम 10 बिस्तर वाले बाल चिकित्सा आईसीयू के साथ पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान कराई जाऐं;  रात्रि 10 बजे से सुबह 8 बजे के बीच भी एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराई जाऐं जब अधिकांश बच्चों को बुखार, दौरे, सेंसरियम आदि जैसे एईएस के लक्षण देखने को मिलते हैं; पीक आर्वस में चिकित्सकों, पैरामेडिकल और स्वास्थ्य दलों को किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करें; नवीन स्वास्थ्य सुविधाओं से युक्त अस्पताल और अन्य प्रस्तावित बुनियादी ढांचे में सुधार के काम में तेजी लाई जाये।

डॉ. हर्षवर्धन ने सभी को यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि कोविड ​​प्रकोप के समय में एईएस के मामलों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।

इस बैठक में सुश्री प्रीति सूदन, सचिव (एचएफडब्ल्यू), श्री राजेश भूषण, ओएसडी (एचएफडब्ल्यू), श्री संजीव कुमार, विशेष सचिव (स्वास्थ्य), सुश्री वंदना गुरनानी, एएस एंड एमडी (एनएचएम) के अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, बिहार के प्रमुख सचिव, बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति के सचिव-सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बिहार के स्वास्थ्य सेवा निदेशक, एनसीडीसी दिल्ली के निदेशक, एम्स, पटना के निदेशक और बिहार के सभी जिलों के जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट भी शामिल हुए। बिहार सरकार के अधीन सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य, बिहार के सभी जिलों के राज्य निगरानी अधिकारी और बिहार के सभी जिलों के सीडीएमओ/ सीएमएचओ ने भी वेबलिंक के माध्यम से इस बैठक में भाग लिया।

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‘लाइफलाइन उड़ान’ की उड़ानों ने 22 अप्रैल 2020 को 35.78 टन आवश्यक सामग्री और चिकित्सा कार्गो का परिवहन किया

एयर इंडिया, आईएएफ और विस्तारा द्वारा संचालित लाइफलाइन उड़ान की उड़ानों ने 22 अप्रैल 2020 को 35.78 टन कार्गो ढोया है। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई का समर्थन करते हुए एयर इंडिया, अलायंस एयर, आईएएफ और निजी विमान वाहकों द्वारा घरेलू क्षेत्र में लाइफलाइन उड़ान के तहत 339 उड़ानों का संचालन किया गया हैं। इनमें से 204 उड़ानें एयर इंडिया और अलायंस एयर द्वारा संचालित की गई हैं। अब तक ढोया गया कार्गो लगभग 587.57 टन रहा है। लाइफलाइन उड़ान द्वारा अब तक तय की गई हवाई दूरी 3,37,639 किमी है। ‘लाइफलाइन उड़ान’ उड़ानों का संचालन घरेलू क्षेत्र में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा किया जाता है ताकि देश के दूरदराज के हिस्सों में कोविड-19 के खिलाफ भारत के युद्ध का समर्थन करने के लिए आवश्यक चिकित्सा कार्गो का परिवहन किया जा सके।

इसमें विशेष ध्यान पूर्वोत्तर क्षेत्र, द्वीप क्षेत्रों और पहाड़ी राज्यों पर दिया गया है। एयर इंडिया और आईएएफ ने मुख्य रूप से जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, पूर्वोत्तर और अन्य द्वीप क्षेत्रों के लिए सहयोग किया। पवन हंस लिमिटेड समेत हेलीकाप्टर सेवाएं जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, द्वीपों और पूर्वोत्तर क्षेत्र में महत्वपूर्ण चिकित्सा कार्गो और रोगियों के परिवहन का काम कर रही हैं। पवन हंस ने 22 अप्रैल 2020 तक 6537 किमी की दूरी तय करते हुए 1.90 टन कार्गो ढोया है।

घरेलू लाइफलाइन उड़ान द्वारा ढोए गए कार्गो में कोविड-19 संबंधित अभिकर्मक, एंजाइम, चिकित्सा उपकरण, परीक्षण किट, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), मास्क, दस्ताने, एचएलएल एवं आईएमसीआर की अन्य सामग्री और राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश सरकारों का जरूरी कार्गो व डाक पैकेट आदि शामिल हैं।

घरेलू कार्गो संचालक स्पाइसजेट, ब्लू डार्ट और इंडिगो वाणिज्यिक आधार पर कार्गो उड़ानें संचालित कर रहे हैं। स्पाइसजेट ने 24 मार्च से 22 अप्रैल 2020 के दौरान 495 कार्गो उड़ानों का संचालन कियाजिसमें 7,46,219 किमी की दूरी तय की गई और 3837 टन माल ढोया गया। इनमें से 166 अंतर्राष्ट्रीय कार्गो उड़ानें थीं। ब्लू डार्ट ने 25 मार्च से 22 अप्रैल 2020 के दौरान 1,68,396 किमी की दूरी को कवर करते हुए 169 कार्गो उड़ानों का संचालन किया और 2749 टन कार्गो का परिवहन किया। इनमें से 2 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें थीं। इंडिगो ने 3-22 अप्रैल 2020 के दौरान 35 कार्गो उड़ानों का संचालन किया हैजिसमें 42,752 किमी की दूरी तय की गई और 84 टन कार्गो ढोया गया जिसमें 6 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें भी शामिल थीं। इसमें सरकार के लिए मुफ्त में ढोई गई चिकित्सा आपूर्ति भी शामिल है।

4 अप्रैल 2020 से लेकर अब तक पूर्वी एशिया से एयर इंडिया द्वारा लाए गए मेडिकल कार्गो की कुल मात्रा 348 टन है। दवा, चिकित्सा उपकरण और कोविड-19 राहत सामग्री के परिवहन के लिए पूर्वी एशिया के साथ एक कार्गो एयर-ब्रिज की स्थापना की गई थी। एयर इंडिया आवश्यकता के अनुसार महत्वपूर्ण चिकित्सा सामग्री के हस्तांतरण के लिए अन्य देशों को समर्पित तय कार्गो उड़ानों का संचालन करेगी।

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रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों की किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने और कोविड – 19 से सम्बंधित तैयारियों की समीक्षा की

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज एक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी चीफ कमांडरों के साथ किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने की तैयारियों और कोविड – 19 के खिलाफ लडाई के उपायों की समीक्षा की।

कांफ्रेंस में रक्षा मंत्री के साथ चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ तथा सैन्य मामलों के विभाग के सचिव जनरल बिपिन रावत, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवाने , नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार और सचिव (रक्षा वित्त) श्रीमती गार्गी कौल ने भाग लिया।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में स्थानीय नागरिक प्रशासन को दी गई सहायता और कोविड – 19 से लड़ने की तैयारी के उपायों के लिए सशस्त्र बलों की भूमिका की सराहना की।

श्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से अपेक्षा की कि वे किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने की तैयारियों को सुनिश्चित करें, ऐसे समय में जब वे कोविड – 19  से जूझ रहे हैं। विरोधी को मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

उन्होंने कोविड – 19 के कारण आर्थिक बोझ के मद्देनजर वित्तीय संसाधनों को खर्च करने और अपव्यय को रोकने के उपाय करने के लिए बलों को निर्देश भी दिया।

सशस्त्र बलों की आपसी संयोजन की आवश्यकता पर जोर देते हुए  रक्षा मंत्री ने चीफ कमांडरों को उन कार्यों की पहचान करने और प्राथमिकता देने को कहा, जो लॉकडाउन हटने के बाद अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में मदद कर सकते हैं और जिन्हें कम समय में पूरा किया जा सकता है।

सम्मेलन के दौरान चीफ कमांडरों ने रक्षा मंत्री को सशस्त्र बलों में वायरस के संक्रमण को रोकने और स्थानीय नागरिक प्रशासन को दी जाने वाली सहायता के लिए किये गए विभिन्न उपायों से अवगत कराया। इनमें शामिल हैं – कोविड – 19 पर मानक संचालन प्रक्रिया, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा  अन्य एजेंसियों द्वारा जारी की गई सलाह के अनुसार प्रोटोकॉल और ड्रिल में किये गए संशोधन तथा सम्बंधित कमान क्षेत्रों में रहनेवाले पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों की देखभाल करना।

कमांडरों ने हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के हस्तांतरण की सराहना की और कहा कि इससे आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की समय पर खरीद सुनिश्चित हुई है और अस्पतालों की अवसंरचना को मजबूत करने में सहायता मिली है। 

सशस्त्र बलों ने समग्र तरीके से कोविड – 19 के खिलाफ लडाई में समर्थन को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी स्वयं पर ली है। महामारी से निपटने हेतु अतिरिक्त श्रमबल की उपलब्धता के लिए लोगों को बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

     कमांडरों ने जानकारी दी कि सशस्त्र बलों और स्थानीय नागरिक प्रशासन के उपयोग के लिए आइसोलेशन और क्वारंटाइन सुविधाएं स्थापित की गई हैं। उन्होंने नागरिक प्रशासन द्वारा अनुरोध किए जाने पर स्थानीय स्तर पर आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने के लिए भी अपनी तत्परता व्यक्त की।

निम्नलिखित कमान के अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में भाग लिया: उत्तरी कमान, उधमपुर; पूर्वी कमान, कोलकाता; दक्षिणी नौसेना कमान, कोच्चि; पश्चिमी नौसेना कमान, मुंबई; दक्षिणी कमान, पुणे; दक्षिण-पश्चिमी कमान, जयपुर; पश्चिमी वायु कमान, दिल्ली; पूर्वी नौसेना कमान, विशाखापत्तनम; सेंट्रल एयर कमांड, इलाहाबाद; दक्षिण-पश्चिम वायु कमान, गांधीनगर; दक्षिणी वायु कमान, त्रिवेंद्रम; सेंट्रल कमांड, लखनऊ; और अंडमान और निकोबार कमान, पोर्ट ब्लेयर।

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डिस्चार्ज मरीजों में कोरोना वायरस फिर से उभरना महामारी के लिए एक बड़ी चुनौती है

हमारे लिए बहुत ही चिंता एवं चुनौति का विषय है की कोरोना वायरस  की वापसी  हो सकती  है । कई लेखों के रिसर्च करने क़े बाद यह तय पाया गया कि कोरोना फिर से एक समस्या बन सकती है । कुछ उदहारण है जिससे इस समस्या को बहुत ही गम्भीरता से लेना चाहिए कई अखबार दुनिया भर में बताते हैं कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कोरोना  रोगियों के मामलों की संख्या बढ़ रही है बहुत से विशेषज्ञ कह रहे हैं कि convalescing मरीज़ों में कोविड – 19  के  पर्याप्त एंटीबॉडी न बनने की वजह से उनमें दुबारा   संक्रमण की आशंका है । इसका मतलब है कि यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि वायरस भी biphasic हो सकता   है । 

वर्ल्ड वाइड की रिपोर्ट बता रही है कि फरवरी, 21, 2020  , दक्षिण पश्चिमी चीनी शहर चेंगदू में एक डिस्चार्ज मरीज को डिस्चार्ज होने के 10 दिन बाद  दुबारा हस्पताल में भर्ती कराया गया, क्योंकी उसका फॉलोअप टेस्ट पॉजिटिव आया (रॉयटर्स में रिपोर्ट किया गया)। जर्नल ऑफ़  अमेरिकन एसोसिएशन  में स्टडी किया गया की जो ४  इन्फेक्टेड मेडिकल  पर्सन जिनका उपचार वुहान में हुआ था, वो दुबारा सक्रमित पाए गए   

सोंग टाई, दक्षिणी चीन ग्वांगडोंग प्रांत में स्थानीय रोग नियंत्रण केंद्र के उप निदेशक ने मीडिया को बताया कि प्रांत में 14% डिस्चार्ज रोगियों ने फिर से परीक्षण पॉजिटिव आया जिसकी वजह से वे दुबारा हस्पताल में भर्ती हुए। हालांकि सिडनी विश्वविद्यालय के एक विशेषज्ञ एडम kamradt ने   बताया की convalescing मरीज़ों में एंटीबाडीज बनते है जो की उनमे वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बनाते है । इसलिए पुन: संक्रमण की संभावना कम होती है। कुछ एक्सपर्ट्स ने एंटीबाडी डिपेंडेंट एनहांसमेंट  के बारे भी बताया है। वायरस के प्रति दुबारा एक्सपोज़र और रिस्की हो सकता है । शंघाई  में डेविड स्टैनवे, लंदन में केट केलैंड ने थॉमस रूटर ट्रस्ट प्रिंसिपल में बताया कि कोरोना वायरस की  सबसे जोखिम बात  यह है कि लोगों में इसके प्रति कोई प्रतिरक्षा नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह से नया है । चीन में वैज्ञानिकों ने वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस के १९ स्ट्रेन रिकॉर्ड किये है। चीन के महानिदेशक ने रोकथाम के रोग नियंत्रण के लिए जनरल सेंटर, गाओ फू ने कहा कि यह वायरस mutate करते हुए लोगों के बीच फैल रहा है। हम यह भी कह सकते हैं कि वायरस  के मल्टीप्ल स्ट्रेन है , इसका मतलब की शरीर में एक स्ट्रेन के लिए एंटीबाडीज बनता है तो दूसरे स्ट्रेन के लिए एंटीबाडी बनने में असमर्थ है, जो  बीमारी का कारण बनता है। Elane K.Howley ने 8 अप्रैल ,2020  को कहा था कि मनुष्यों में जन्मजात प्रतिरक्षा नहीं होती है। यह भी वास्तव में बहुत स्पष्ट नहीं है कि कोविड – 19  एक टिकाऊ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी उत्पन्न करता है ।सुमित चंद्रा ,निदेशक और प्रोफेसर, सैन्फोर्ड बुमहम्स में इम्युनिटी पैथोजेनेसिस प्रोग्राम से जुड़े हैं । सुमित चंद्रा कहते हैं कि कई सवालों के जवाब दिए जाने हैं। कितने  समय  तक एंटीबाडीज शरीर को सुरक्षा प्रदान करेंगे ? क्या वायरस एंटीबॉडी की रक्षा से बचने के लिए mutate  करता है। शंघाई के एक प्रारंभिक अध्ययन से संकेत मिलता है कि  recovered  पेशेंट्स के खून की जांच करने पर एंटीबाडीज  नहीं पाए गए  है। फ़्लोरियन क्रामर जो की पीएचडी, वायरोलॉजिस्ट और वैक्सीनोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी , icahn  स्कूल ऑफ़ मेडिसिन , माउंट सिनाई इन न्यूयोर्क सिटी   ने ट्विटर पर कहा कि कई वायरस के आरएनए वायरल शेडिंग समाप्त होने के महीनों बाद पता लगता है जो की एक चिंता का विषय है ।कभी कभी फॉलो अप टेस्ट्स पॉजिटिव आते है कई नेगेटिव टेस्ट आने के बाद। यहां तक ​​कि न्यू इंगलैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के शोध समाचारों से पता चलता है कि कुछ मरीज़ों में बुखार या रेडियोग्राफिक असामान्यताएं नहीं मिलती हैं जो वास्तव में निदान को जटिल बनाती हैं। इन सभी उपर्युक्त उदाहरणों को मानव जाति की चिंता के लिए ध्यान में रखा जाना चाहिए । श्वसन संक्रमण, डायारोहिया बीमारी, मूत्र पथ के संक्रमण, नेत्रश्लेष्मलाशोथ भी कोरोना वायरस के लक्षण हैं। यहां तक ​​कि मैं एक और बात साझा करना चाहती हूं जिसका मैंने एक लेख में अध्ययन किया है जिसमें पिरब्राइट इंस्टीट्यूट के डॉ  हेलेना मेयर का कहना है कि कोरोना वायरस का परिवार है जो मनुष्यों के  इलावा पशु  , सूअर, चिकन, कुत्ते, बिल्ली, जंगली जानवरों को भी संक्रमित कर सकता ह । आपके सामने इतने सारे उदाहरणों को उद्धृत करने का मेरा एकमात्र उद्देश्य इस वायरस के साइड इफेक्ट्स के बारे बताना है और अपने आपको कैसे बचाना है  बहुत सारे देश इस महामारी की  समस्या से पीड़ित हैं। इसकी तुलना में भारत  बहुत  सुरक्षित क्षेत्र में हैं। ईश्वर  की कृपा  और हमारे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए उचित समय   पर  सही कदम उठाने से हम सब सुरक्षित है । मुझे लगता है कि उपरोक्त लेख   हमारी परिपूर्ण चिकित्सा इकाइयों की मदद करेगा और बहुत ही सतर्कता से ध्यान में रखते हुए,  सतर्कता बरतने के लिए मार्गदर्शन करेगा विशेष रूप से उन मरीज़ों की जो की कोविड – 19  से ग्रसित थे और अब ठीक हो गए है , तथा जो क्वारंटाइन में थे . समय समय पर उनकी सम्पूर्ण जाचे होनी अतयंत आवशयक है ।प्लाज्मा थेरेपी प्रक्रिया ने कोविड – 19  के उपचार की सफलता तभी हो सकती है जब स्वस्थ डोनर्स मिलेंगे. सिर्फ सोशल डिस्टैन्सिंग स्वक्षिता के साथ ही इस विनाशकारी  वायरस से बचने  का सबसे  सुरक्षित और आसान तरीका है। अपने आप को बचाएं और दूसरों को बचाएं। यह सबसे अच्छा तरीका है जिससे आप राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं और एक सच्चे भारतीय बन सकते हैं। –

लेखिका डॉ. मीतकमल द्विवेदी , क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर में रसायन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं

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संपादक की कलम से:- कोरोना वारियर्स पे हमले कहीँ साजिश तो नहीँ

साजिश तो नहीं प्राण बचाने वालों पर ही प्राणघातक हमले। पूरे भारत में जिस तरह कोरोना फाइटर्स के ऊपर कुछ लोग गोलियों, तेजाब की बोतलों,ईंट- पत्थरों, लाठी-डंडों से जानलेवा हमला कर रहे हैं, बिना वस्त्र के सामने आ रहे हैं, अन्नपूर्णा का अपमान कर रहे हैं, कहीं यह कोई बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं। यह लोग ऐसी स्थितियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना फाइटर्स अपना आपा खो कर इनके प्रश्न का उत्तर उस भाषा में दें जिसमें यह चाहते हैं। या फिर यह चंद लोग यह चाहते हो कि यह लोग धैर्य खोकर इनकी मदद करना बंद कर दें, जिससे यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाकर यह कह सकें देखो हम लोगों के साथ अत्याचार हो रहा है। हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान भारतीय हमारा इलाज भी ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं। इलाज की बात करने पर हमारे साथ यहां अत्याचार होता है। टेलीविजन चैनलों पर डिबेट में जिस तरह की भाषा का यह उपयोग कर रहे हैं उससे इनके दो मकसद पूरे होते हैं जो हमें पूरे नहीं होने देने हैं।पहली इनके विचारों को सुनकर कोरोना फाइटर्स ही नहीं आम जनता नाराज होकर कोई ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त करें जिससे देश में स्थितियां बिगड़े दूसरी इनकी ना सुनने वाली बातें को सुनकर भी लोग शांत रहें, जिससे यह अपने लोगों से यह कह सकें इनसे और भी ज्यादा अभद्रता आक्रामकता के साथ पेश आओ। इनमें हिम्मत नहीं कि यह हमारा कुछ बिगाड़ सकें। कहीं ऐसा तो नहीं ऐसा करने के लिए हमारे देश के अंदर ही कुछ लोग अपने राजनैतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए इन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हों। यदि ऐसा हो रहा है तो यह अगर भी दुर्भाग्यपूर्ण है। इन विषम परिस्थितियों में हमारे कोरोना फाइटर्स के साथ-साथ शासन प्रशासन को भी बड़े धैर्य के साथ निर्णय लेते हुए मानसिक, शारीरिक रूप से बीमार लोगों के लिए काम करना है। इनके पर्दे के पीछे के आकाओ के जो मंसूबे हैं उन्हें कतई नहीं पूरे होने देना है। यह जो कर रहे हैं यह इनकी संस्कृति संस्कार हैं हमें अपने संस्कृति, संस्कारों के अनुसार कार्य करना है। मैं मानता हूं जो यह हरकतें कर रहे हैं कतई बर्दाश्त करने योग्य नहीं है, लोगों का आक्रोशित होना स्वाभाविक है।लेकिन फिर भी यह मानते हुए कि यह नादान है, नासमझ है इनके जीवन रक्षा के लिए जो भी संभव है वह हमें कार्य करने हैं। ऐसा करके इनके पर्दे के पीछे जो आका बैठे हैं जो अपने राजनीतिक फायदे के लिए भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं उनके विचारों, मंसूबों को हमें पूरा नहीं होने देना है। हां यह जो कोरोना फाइटर्स के साथ लगातार घटनाएं हो रही हैं उसकी गहन जांच होनी चाहिए, कहीं यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय साजिश तो नहीं।

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बाजार खुलने को ले कर जिलाधिकारी ने दिये दिशा निर्देश

कानपुर नगर। जिलाधिकारी डॉ0 ब्रह्म देव राम तिवारी ने सख्त आदेश दिया कानपुर नगर की थोक मार्केट के संबंध में यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि लॉक डाउन और सो शल डिस्टेंसिंग को कठोरता से लागू करने के साथ आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित रहे, इसके लिए कलक्टरगंज, बिरहाना रोड और नयागंज क्षेत्रों की आवश्यक वस्तुओं और दवाओं की जो थोक विक्रेताओं की दुकानें हैं उनकी व्यवस्था और समय में परिवर्तन किए गए हैं कि यह थोक दुकाने सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे के बीच में खुलेंगी और दूसरा की अल्टरनेट व्यवस्था के अंतर्गत एक दुकान को छोड़कर दूसरी दुकान 1 दिन और शेष दुकानें अगले दिन खुला करेंगी। यह व्यवस्था पहले से चली आ रही आवश्यक वस्तुओं की क्षेत्र की थोक विक्रेताओं के संबंध में ही की गई है शेष वस्तुएं और सेवाएं जो आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं है, उनकी पहले से चली आ रही व्यवस्था यथावत जारी रहेगी ।

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