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संपादक की कलम से:- कोरोना वारियर्स पे हमले कहीँ साजिश तो नहीँ

साजिश तो नहीं प्राण बचाने वालों पर ही प्राणघातक हमले। पूरे भारत में जिस तरह कोरोना फाइटर्स के ऊपर कुछ लोग गोलियों, तेजाब की बोतलों,ईंट- पत्थरों, लाठी-डंडों से जानलेवा हमला कर रहे हैं, बिना वस्त्र के सामने आ रहे हैं, अन्नपूर्णा का अपमान कर रहे हैं, कहीं यह कोई बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं। यह लोग ऐसी स्थितियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना फाइटर्स अपना आपा खो कर इनके प्रश्न का उत्तर उस भाषा में दें जिसमें यह चाहते हैं। या फिर यह चंद लोग यह चाहते हो कि यह लोग धैर्य खोकर इनकी मदद करना बंद कर दें, जिससे यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाकर यह कह सकें देखो हम लोगों के साथ अत्याचार हो रहा है। हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान भारतीय हमारा इलाज भी ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं। इलाज की बात करने पर हमारे साथ यहां अत्याचार होता है। टेलीविजन चैनलों पर डिबेट में जिस तरह की भाषा का यह उपयोग कर रहे हैं उससे इनके दो मकसद पूरे होते हैं जो हमें पूरे नहीं होने देने हैं।पहली इनके विचारों को सुनकर कोरोना फाइटर्स ही नहीं आम जनता नाराज होकर कोई ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त करें जिससे देश में स्थितियां बिगड़े दूसरी इनकी ना सुनने वाली बातें को सुनकर भी लोग शांत रहें, जिससे यह अपने लोगों से यह कह सकें इनसे और भी ज्यादा अभद्रता आक्रामकता के साथ पेश आओ। इनमें हिम्मत नहीं कि यह हमारा कुछ बिगाड़ सकें। कहीं ऐसा तो नहीं ऐसा करने के लिए हमारे देश के अंदर ही कुछ लोग अपने राजनैतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए इन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हों। यदि ऐसा हो रहा है तो यह अगर भी दुर्भाग्यपूर्ण है। इन विषम परिस्थितियों में हमारे कोरोना फाइटर्स के साथ-साथ शासन प्रशासन को भी बड़े धैर्य के साथ निर्णय लेते हुए मानसिक, शारीरिक रूप से बीमार लोगों के लिए काम करना है। इनके पर्दे के पीछे के आकाओ के जो मंसूबे हैं उन्हें कतई नहीं पूरे होने देना है। यह जो कर रहे हैं यह इनकी संस्कृति संस्कार हैं हमें अपने संस्कृति, संस्कारों के अनुसार कार्य करना है। मैं मानता हूं जो यह हरकतें कर रहे हैं कतई बर्दाश्त करने योग्य नहीं है, लोगों का आक्रोशित होना स्वाभाविक है।लेकिन फिर भी यह मानते हुए कि यह नादान है, नासमझ है इनके जीवन रक्षा के लिए जो भी संभव है वह हमें कार्य करने हैं। ऐसा करके इनके पर्दे के पीछे जो आका बैठे हैं जो अपने राजनीतिक फायदे के लिए भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं उनके विचारों, मंसूबों को हमें पूरा नहीं होने देना है। हां यह जो कोरोना फाइटर्स के साथ लगातार घटनाएं हो रही हैं उसकी गहन जांच होनी चाहिए, कहीं यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय साजिश तो नहीं।