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डिस्चार्ज मरीजों में कोरोना वायरस फिर से उभरना महामारी के लिए एक बड़ी चुनौती है

हमारे लिए बहुत ही चिंता एवं चुनौति का विषय है की कोरोना वायरस  की वापसी  हो सकती  है । कई लेखों के रिसर्च करने क़े बाद यह तय पाया गया कि कोरोना फिर से एक समस्या बन सकती है । कुछ उदहारण है जिससे इस समस्या को बहुत ही गम्भीरता से लेना चाहिए कई अखबार दुनिया भर में बताते हैं कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कोरोना  रोगियों के मामलों की संख्या बढ़ रही है बहुत से विशेषज्ञ कह रहे हैं कि convalescing मरीज़ों में कोविड – 19  के  पर्याप्त एंटीबॉडी न बनने की वजह से उनमें दुबारा   संक्रमण की आशंका है । इसका मतलब है कि यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि वायरस भी biphasic हो सकता   है । 

वर्ल्ड वाइड की रिपोर्ट बता रही है कि फरवरी, 21, 2020  , दक्षिण पश्चिमी चीनी शहर चेंगदू में एक डिस्चार्ज मरीज को डिस्चार्ज होने के 10 दिन बाद  दुबारा हस्पताल में भर्ती कराया गया, क्योंकी उसका फॉलोअप टेस्ट पॉजिटिव आया (रॉयटर्स में रिपोर्ट किया गया)। जर्नल ऑफ़  अमेरिकन एसोसिएशन  में स्टडी किया गया की जो ४  इन्फेक्टेड मेडिकल  पर्सन जिनका उपचार वुहान में हुआ था, वो दुबारा सक्रमित पाए गए   

सोंग टाई, दक्षिणी चीन ग्वांगडोंग प्रांत में स्थानीय रोग नियंत्रण केंद्र के उप निदेशक ने मीडिया को बताया कि प्रांत में 14% डिस्चार्ज रोगियों ने फिर से परीक्षण पॉजिटिव आया जिसकी वजह से वे दुबारा हस्पताल में भर्ती हुए। हालांकि सिडनी विश्वविद्यालय के एक विशेषज्ञ एडम kamradt ने   बताया की convalescing मरीज़ों में एंटीबाडीज बनते है जो की उनमे वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बनाते है । इसलिए पुन: संक्रमण की संभावना कम होती है। कुछ एक्सपर्ट्स ने एंटीबाडी डिपेंडेंट एनहांसमेंट  के बारे भी बताया है। वायरस के प्रति दुबारा एक्सपोज़र और रिस्की हो सकता है । शंघाई  में डेविड स्टैनवे, लंदन में केट केलैंड ने थॉमस रूटर ट्रस्ट प्रिंसिपल में बताया कि कोरोना वायरस की  सबसे जोखिम बात  यह है कि लोगों में इसके प्रति कोई प्रतिरक्षा नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह से नया है । चीन में वैज्ञानिकों ने वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस के १९ स्ट्रेन रिकॉर्ड किये है। चीन के महानिदेशक ने रोकथाम के रोग नियंत्रण के लिए जनरल सेंटर, गाओ फू ने कहा कि यह वायरस mutate करते हुए लोगों के बीच फैल रहा है। हम यह भी कह सकते हैं कि वायरस  के मल्टीप्ल स्ट्रेन है , इसका मतलब की शरीर में एक स्ट्रेन के लिए एंटीबाडीज बनता है तो दूसरे स्ट्रेन के लिए एंटीबाडी बनने में असमर्थ है, जो  बीमारी का कारण बनता है। Elane K.Howley ने 8 अप्रैल ,2020  को कहा था कि मनुष्यों में जन्मजात प्रतिरक्षा नहीं होती है। यह भी वास्तव में बहुत स्पष्ट नहीं है कि कोविड – 19  एक टिकाऊ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी उत्पन्न करता है ।सुमित चंद्रा ,निदेशक और प्रोफेसर, सैन्फोर्ड बुमहम्स में इम्युनिटी पैथोजेनेसिस प्रोग्राम से जुड़े हैं । सुमित चंद्रा कहते हैं कि कई सवालों के जवाब दिए जाने हैं। कितने  समय  तक एंटीबाडीज शरीर को सुरक्षा प्रदान करेंगे ? क्या वायरस एंटीबॉडी की रक्षा से बचने के लिए mutate  करता है। शंघाई के एक प्रारंभिक अध्ययन से संकेत मिलता है कि  recovered  पेशेंट्स के खून की जांच करने पर एंटीबाडीज  नहीं पाए गए  है। फ़्लोरियन क्रामर जो की पीएचडी, वायरोलॉजिस्ट और वैक्सीनोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी , icahn  स्कूल ऑफ़ मेडिसिन , माउंट सिनाई इन न्यूयोर्क सिटी   ने ट्विटर पर कहा कि कई वायरस के आरएनए वायरल शेडिंग समाप्त होने के महीनों बाद पता लगता है जो की एक चिंता का विषय है ।कभी कभी फॉलो अप टेस्ट्स पॉजिटिव आते है कई नेगेटिव टेस्ट आने के बाद। यहां तक ​​कि न्यू इंगलैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के शोध समाचारों से पता चलता है कि कुछ मरीज़ों में बुखार या रेडियोग्राफिक असामान्यताएं नहीं मिलती हैं जो वास्तव में निदान को जटिल बनाती हैं। इन सभी उपर्युक्त उदाहरणों को मानव जाति की चिंता के लिए ध्यान में रखा जाना चाहिए । श्वसन संक्रमण, डायारोहिया बीमारी, मूत्र पथ के संक्रमण, नेत्रश्लेष्मलाशोथ भी कोरोना वायरस के लक्षण हैं। यहां तक ​​कि मैं एक और बात साझा करना चाहती हूं जिसका मैंने एक लेख में अध्ययन किया है जिसमें पिरब्राइट इंस्टीट्यूट के डॉ  हेलेना मेयर का कहना है कि कोरोना वायरस का परिवार है जो मनुष्यों के  इलावा पशु  , सूअर, चिकन, कुत्ते, बिल्ली, जंगली जानवरों को भी संक्रमित कर सकता ह । आपके सामने इतने सारे उदाहरणों को उद्धृत करने का मेरा एकमात्र उद्देश्य इस वायरस के साइड इफेक्ट्स के बारे बताना है और अपने आपको कैसे बचाना है  बहुत सारे देश इस महामारी की  समस्या से पीड़ित हैं। इसकी तुलना में भारत  बहुत  सुरक्षित क्षेत्र में हैं। ईश्वर  की कृपा  और हमारे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए उचित समय   पर  सही कदम उठाने से हम सब सुरक्षित है । मुझे लगता है कि उपरोक्त लेख   हमारी परिपूर्ण चिकित्सा इकाइयों की मदद करेगा और बहुत ही सतर्कता से ध्यान में रखते हुए,  सतर्कता बरतने के लिए मार्गदर्शन करेगा विशेष रूप से उन मरीज़ों की जो की कोविड – 19  से ग्रसित थे और अब ठीक हो गए है , तथा जो क्वारंटाइन में थे . समय समय पर उनकी सम्पूर्ण जाचे होनी अतयंत आवशयक है ।प्लाज्मा थेरेपी प्रक्रिया ने कोविड – 19  के उपचार की सफलता तभी हो सकती है जब स्वस्थ डोनर्स मिलेंगे. सिर्फ सोशल डिस्टैन्सिंग स्वक्षिता के साथ ही इस विनाशकारी  वायरस से बचने  का सबसे  सुरक्षित और आसान तरीका है। अपने आप को बचाएं और दूसरों को बचाएं। यह सबसे अच्छा तरीका है जिससे आप राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं और एक सच्चे भारतीय बन सकते हैं। –

लेखिका डॉ. मीतकमल द्विवेदी , क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर में रसायन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं