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निर्भया दिवस के उपलक्ष्य पर क्राइस्ट चर्च कालेज मे क्रीड़ा प्रतियोगिताआयोजित

कानपुर 16 दिसंबर निर्भया दिवस के उपलक्ष्य पर क्राइस्ट चर्च कालेज मे क्रीड़ा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । जिसमें छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । सौ मीटर दौड़,शटल दौड़ आदि का आयोजन हुआ। सौ मीटर दौड़ में प्रथम दुर्गेश नंदिनी, द्वितीय निकिता, तृतीय सानिया रही और शटल दौड़ में प्रथम निकिता, द्वितीय तनु और विद्यांशी ,तृतीय दुर्गेश नंदिनी रही ।
यह पूरा कार्यक्रम क्राइस्ट चर्च कालेज के प्राचार्य जोसेफ डेनियल के निर्देश नेतृत्व के अंतर्गत संपन्न हुआ। वूमेन सेल की कनवीनर डाॅ शिप्रा श्रीवास्तव के दिशानिर्देश में कार्यक्रम का संचालन शक्ति मिशन प्रभारी डाॅ मीतकमल के द्वारा किया गया।डाॅ हिमांशू दीक्षित एवं देवेन्द्र ने विषेश सहयोग किया । बदलाव के अभिकर्ता के स्वयंसेवक के रूप मे अनिरुद्ध,अंजली, शगुन, कांची, श्रेया, मांसी आदि ने प्रशंसनीय कार्य किया ।10 दिसंबर मानवाधिकार दिवस को भी एक चर्चा का आयोजन शक्ति मिशन के अंतर्गत किया गया जिसमें मुख्य वक्ता ज्योत्सनालाल एवं डाॅ विभा दीक्षित ने छात्रों को मानवाधिकारों के विषय पर जागरूक किया ।

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आजादी कितने प्रतिशत?

जहां आज महिलाएं इस डिजिटल युग में नित नई ऊंचाइयों को छू रही हैं और सबसे बड़ी बात कि गरीब तबकों से आई हुई महिलाएं, लड़कियां भी अपने सपनों को पंख लगा कर उड़ रही हैं ऐसे में महिलाओं की यह सोच एक सवाल खड़ा करती है कि आज भी पति द्वारा पीटा जाना जायज है। नेशनल फैमिली हेल्थ द्वारा एक सर्वे के दौरान यह खुलासा हुआ है और आंकड़ों पर गौर किया जाये तो घरेलू हिंसा को सही ठहराने वाली महिलाओं का प्रतिशत अधिक है. उनमें- आंध्र प्रदेश 83.6℅, कर्नाटक 76.9℅, मणिपुर 65.9℅ और केरल 52.4℅ शामिल हैं। जबकि हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा में घरेलू हिंसा को लेकर स्वीकृति सबसे कम देखी गई। केवल 14.2℅, 21.3℅ ही सहमति व्यक्त की।
यह सोच फर्क पैदा करती है कि अभी महिलाओं को दासता की प्रवृत्ति से बाहर आना बाकी है। इसमें कोई शक नहीं कि आज महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है लेकिन कहीं ना कहीं आज भी उन्हें नियंत्रित करने की चाबी पुरुष के हाथों में है। सर्वे के अनुसार घर से बिना बताए बाहर जाना, घर परिवार की उपेक्षा करना, खाना ठीक से ना बनाना, परसंबंध ऐसे तमाम कारण है जो घरेलू हिंसा की वजह बनते हैं। पर क्या यह कारण इतने अहम हैं कि इसके समाधान स्वरूप मारपीट की जाए ? पुरुषवादी सोच कि मैं स्त्री को आजादी देता हूं, कितना उचित है? मैं नौकरी करने की छूट देता हूं, घुमाना फिराना, सारी सुविधाएं मुहैया कराता हूं तो उस पर अपना आधिपत्य रखना, अपना अधिकार समझता हूं, यह कितना उचित है? आपसी मामले का हवाला देकर किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते और यदि पुलिस की मदद ली जाती है तो अलगाव की स्थिति आ जाती है। यह सोच क्यों नहीं पनपती यदि पुरुष सुविधाएं दे रहा है तो स्त्री भी समर्पित है परिवार के लिए।
घर गृहस्ती को गाड़ी के दो पहिए कहा गया है। फिर सब सामान हुए यह असमानता क्यों? आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के बावजूद कितनी महिलाएं हैं जो अपने निर्णय स्वतंत्र रूप से ले सकती हैं? आखिर महिलाएं इस दास प्रवृत्ति से बाहर क्यों नहीं आना चाहती? एक महिला का तर्क है कि परिवार में शांति बनाए रखने के लिए और शांति से जीने के लिए चुप रह जाना पड़ता है। घर का माहौल खराब होता है और बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है। एक और महिला से बातचीत के दौरान मालूम हुआ कि वह घरेलू हिंसा की शिकार थी लेकिन फिर भी वह उस जगह से पलायन नहीं कर रही थी क्योंकि उसे अपने मायके का सहयोग नहीं था जब स्थिति ज्यादा खराब हुई तब उसका भाई उसे लेने पहुंचा मगर उसने आने से मना कर दिया क्योंकि उसका कहना था कि आप लोग वापस यहीं पर छोड़ जाओगे फिर मैं वापस क्यों आऊं। अंततः मायके वालों की मदद से उसने अपना घर परिवार छोड़कर आत्मनिर्भर होना स्वीकार किया।
यह बात छोटे और अशिक्षित तबको में होती है तो समझ में आता है लेकिन शिक्षित परिवारों में भी ऐसा देखने को मिलता है तो किस सभ्य समाज की बात की करते हैं हम? इस सोच से बाहर आना होगा कि जिस घर में डोली गई है वहां से अर्थी निकलेगी। अपने आत्मसम्मान को जगाना होगा। जो गलत है कम से कम उसके लिए बोलना ही होगा। परिवार एक सामाजिक इकाई है जिसे स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर चलाते हैं। आपसी सहयोग से इसमें कोई कम या ज्यादा का ना भाव है ना महत्व है

प्रियंका वर्मा महश्वरी

 

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गडकरी ने ओडिशा, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में निर्माण, पुनर्वास और परियोजनाओं में सुधार की मंजूरी दी

केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने ओडिशा के केसिंगा में एनएच-201 (वर्तमान में एनएच-26) के किमी 176 पर समपार संख्या (लेवल क्रॉसिंग) आरवी-172 के बदले भूमि अधिग्रहण सहित 4 लेन के केसिंगा आरओबी निर्माण की मंजूरी दे दी है। इस पर 324.09 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। ट्वीट्स की एक श्रृंखला में मंत्री ने सूचित किया कि आंध्र प्रदेश में नियमित तौर पर यात्रा किए जाने वाले एनएच 30 के राजमार्ग से सटे राजमार्ग के एक हिस्‍से 170+700 किलोमीटर से 234+567 (डिजाइन चौ.) के पुनरूद्धार और सुधार को 388.70 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है।

आंध्र प्रदेश में ईपीसी मोड पर एनएच-42 के मुलकालाचेरुवु के मदनपल्ले खंड के साथ 2 लेन से 2/4 लेन के पुनरूद्धार और सुधार को 480.10 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया है।

मध्य प्रदेश राज्य में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए सीआरआईएफ योजना के तहत 600.13 किलोमीटर लंबाई के 23 परियोजना कार्यों के विकास को 1814.90 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया है।

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वंदे भारतम् फाइनल प्रतियोगिता का 19 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजन

उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम ज़ोनों के 949 नृत्य कलाकारों के 73 समूह‘वंदे भारतम्-नृत्य उत्सव’ के ग्रैंड फिनाले में पहुंच गये हैं। यह अखिल भारतीय नृत्य प्रतियोगिता है, जिसे आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित किया जा रहा है। फाइनल 19 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम प्रेक्षागृह में होगा। रक्षा मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में ‘वंदे भारतम्-नृत्य उत्सव’ की शुरुआत करने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाना है। यह एक अनोखी पहल है, जो जनभागीदारी पर आधारित है। इसका मुख्य लक्ष्य है देशभर से सर्वोच्च नृत्य प्रतिभाओं का चयन करना तथा उन्हें गणतंत्र दिवस परेड 2022 के दौरान अपनी कला का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करना।

ग्रैंड फिनाले में नृत्य कलाकार इस सर्वोच्च सम्मान के लिये प्रतिस्पर्धा करेंगे। ऐसा अवसर जीवन में यदा-कदा ही मिलता है, जिसका लाभ उठाते हुये वे गणतंत्र दिवस परेड में अपनी प्रतिभा दिखायेंगे। इस परेड को न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया में देखा जाता है।

दो सौ से अधिक टीमों में से 2400 से अधिक प्रतिभागियों को जोनल स्तरीय प्रतियोगिता के लिये चुना गया था, जहां 104 ग्रुपों ने विद्वान ज्यूरी के समक्ष अपनी नृत्य प्रतिभा प्रदर्शित की थी। प्रतिभागी समूहों नेकई नृत्य विधाओं का प्रदर्शन किया। इन विधाओं में शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य, जनजातीय नृत्य और मिला-जुला नृत्य शामिल था। देशभर की प्रतिभाओं और रंगारंग पोशाकों का संयोजन देखने को मिला। समाज के सभी वर्गों ने पूरे हर्षोल्लास से हिस्सा लिया तथा सभी वर्गों ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को बलवती बनाया।

सर्वोच्च 480 नृत्य कलाकारों को ग्रैंड फिनाले के लिये चुना जायेगा और उन्हें 26 जनवरी, 2022 को नई दिल्ली के राजपथ पर आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में अपनी कला का प्रदर्शन करने का सुनहरा मौका मिलेगा।

वंदे भारतम् प्रतियोगिता 17 नवंबर को जिला स्तर पर शुरू हुई थी। इस दौरान 323 समूहों में 3,870 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। जो जिला स्तरीय प्रतियोगिता में सफल रहे, उन्हें 30 नवंबर, 2021 को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का अवसर मिला। वहां 20 से अधिक वर्चुअल आयोजन हुये। यह आयोजन चार दिसंबर, 2021 तक, यानी पांच दिन चला।

राज्य स्तर पर 300 समूहों को चुना गया, जिनमें तीन हजार से अधिक नृत्य कलाकार/प्रतिभागी थे। इस तरह एक महीने तक आयोजन में सभी आकांक्षी कलाकारों ने अपनी प्रतिभा दिखाई और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिये प्रदर्शन किया।

ग्रांड फिनाले को वंदे भारतम् के आधिकारिक फेसबुक पेज और यूट्यूब पर प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। साथ ही वेबसाइट (vandebharatamnrityautsav.in) और मोबाइल  ऐप पर भी इसे देखा जा सकता है।

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केंद्रीय विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने ‘ग्राम उजाला’ के तहत आज एक दिन में 10 लाख एलईडी वितरण का विशाल लक्ष्य हासिल करने पर सीईएसएल टीम को बधाई दी

आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में विद्युत मंत्रालय ने आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया। इस अवसर पर केंद्रीय विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह ने 31वां राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार (एनईसीए), पहला राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार (एनईईआईए) और ऊर्जा संरक्षण पर राष्ट्रीय स्तर की चित्रकारी प्रतियोगिता के विजेताओं को (अनुलग्नक I, II और III) पुरस्कार प्रदान किए। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह थे। इस दौरान विद्युत राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल और श्री आलोक कुमार, सचिव (विद्युत), भारत सरकार भी उपस्थित रहे और सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम में विद्युत सीपीएसयू के सीएमडी और विद्युत मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह ने सभी विजेताओं और विशेष रूप से नवाचार पुरस्कार जीतने वालों को हार्दिक बधाई दी।

श्री आर के सिंह ने कहा कि विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों, प्रतिष्ठानों और संगठनों के प्रमुखों, प्रबंधकों, सीईओ और कार्यकारी अधिकारियों की इस सभा को संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है, जो ऊर्जा संरक्षण अभियान के महत्वपूर्ण अंग हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं, सस्ती दर पर 24/7 सार्वभौमिक ऊर्जा पहुंच प्रदान करना हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। उन्होंने कहा कि हाल के कुछ वर्षों में, भारत ने गांवों में विद्युतीकरण और घरों को बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

श्री आर के सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विद्युत क्षेत्र में, 142 गीगावाट उत्पादन क्षमता बढ़ाकर, पूरे देश को एक ग्रिड से जोड़कर और एक ग्रिड, एक बाजार के विजन को हासिल कर हम पिछले पांच वर्षों में संपूर्ण परिवर्तन लाए हैं। ऊर्जा घाटे से निकलकर भारत अब अतिरिक्त ऊर्जा पैदा करने वाला देश बन चुका है। मंत्री ने कहा कि 2014 की तुलना में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता में जबरदस्त वृद्धि हुई है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली अब क्रमश: 22 घंटे और 23.5 घंटे की अवधि के लिए उपलब्ध है।

मंत्री ने यह भी कहा कि परिवर्तन न केवल क्षमता में हुआ है बल्कि ऊर्जा मिश्रण, ऊर्जा तीव्रता और उत्सर्जन तीव्रता को लेकर भी है। उन्होंने बताया कि भारत ने गैर-जीवाश्म स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा उत्पादन करने का एनडीसी लक्ष्य हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि निर्धारित तिथि से काफी पहले हासिल कर ली गई। हमारे देश में दुनिया में सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन होता है जो कुल उत्सर्जन का करीब 3 प्रतिशत है।

ग्राम उजाला योजना के तहत आज 5 राज्यों में 10 लाख एलईडी बल्ब बांटे गए, जिसके लिए मंत्री ने सीईएसएल को बधाई दी। उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में खराब न हुए इन्कैंडिसेंट बल्बों (साधारण बल्ब) के बदले अत्यधिक छूट के साथ मात्र 10 रुपये में एलईडी दी गई। इससे ऊर्जा की अत्यधिक बचत के साथ-साथ उपभोक्ता के पैसे भी बचते हैं। उन्होंने परफॉर्म, अचीव, ट्रेड, पीएटी जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करीब 300 मिलियन टन सीओ2 का उत्सर्जन रोकने का श्रेय बीईई को दिया। पीएटी के दूसरे दौर के बाद हमने 66 मिलियन टन उत्सर्जन में कमी हासिल की है। हमारा लक्ष्य 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा हासिल करना है। 150 गीगावॉट का उत्पादन हो रहा है जबकि 63 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा अभी प्रक्रिया में है। मंत्री ने कहा कि विकास और ऊर्जा की खपत अब एक दूसरे से प्रभावित नहीं हो रहे, हमें पूरी मेहनत से इस दिशा में बढ़ना होगा।

मंत्री ने इस धारणा पर जोर दिया कि अकेले ऊर्जा परिवर्तन पर्याप्त नहीं होगा और ऊर्जा के भंडारण के प्रयास भी किए जाने चाहिए। 1 यूनिट ऊर्जा की बचत का तात्पर्य है, 1 यूनिट ऊर्जा उत्पन्न की गई। बैंकों को यह समझना होगा कि ऊर्जा दक्षता से पैसे की बचत होती है और यह न केवल बेहतर वातावरण का बल्कि अर्थशास्त्र का भी प्रतिबिंब है।

मंत्री ने कहा कि बड़े उद्योग पहले ही ऊर्जा दक्षता के फायदे को स्वीकार कर चुके हैं और मुझे उस चेतना का भी अहसास है जो हमारे देश में ऊर्जा संरक्षण को लेकर बढ़ रही है।

श्री सिंह ने ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार नामक नया पुरस्कार शुरू करने के लिए बीईई की सराहना की। उन्होंने इस साल पुरस्कार जीतने वाले सभी लोगों को बधाई दी। उन्होंने सभी लोगों से आगे आने और ऊर्जा की खपत को कम करने के दूसरे नवीन तंत्र की पहचान करने और इस पुरस्कार में भाग लेने का आग्रह किया।

केंद्रीय मंत्री ने यह कहते हुए अपनी बात पूरी की कि संबंधित हितधारकों द्वारा किए जा रहे सभी प्रयासों से हमें हरित और स्वस्थ भारत के सपने को साकार करने में मदद मिलेगी।

इस अवसर परश्री आर के सिंह और श्री कृष्णपाल गुर्जर ने निम्नलिखित दस्तावेज जारी किए गए:

() उच्च ऊर्जा लीथियम-आयन ट्रैक्शन बैट्री पैक्स और सिस्टम्स के लिए मानक एवं लेबलिंग कार्यक्रम: ईवी बैट्री इलेक्ट्रॉनिक वाहन की कुल खरीद मूल्य का लगभग एक तिहाई हिस्सा होती है, ऐसे में उत्पादन बढ़ाकर और बैट्री के घटकों के मानकीकरण से बैट्री की लागत को कम करके भारत के इलेक्ट्रिक मोबिलिटी क्षेत्र की दीर्घकालिक सफलता की राह आसान हो सकती है।

(बी) टायर के लिए मानक और लेबलिंग कार्यक्रम: वाहन मालिकों द्वारा टायर बदलने का चलन टायर उद्योग के लिए काफी मायने रखता है, जबकि वाहन मालिक इस बात से अनजान होते हैं कि बेकार टायर के चलते ईंधन की बर्बादी भी होती है। उपभोक्ता को सूचना के साथ विकल्प प्रदान करने के लिए बीईई ने भारत में बनी, आयात की गई और बेची जाने वाली यात्री कारों (सी1), लाइट ड्यूटी व्हीकल्स (सी2) और हैवी ड्यूटी व्हीकल्स (सी3) के लिए टायर को लेकर मानक और लेबलिंग कार्यक्रम शुरू किया है। स्टार लेबल मापदंड टायरों के रोलिंग रजिस्टेंस कोएफिसिएंट (आरआरसी) पर आधारित है।

(सी) नेट जीरो एनर्जी इमारतों को बढ़ावा देने के लिए शून्य‘ लेबलिंग कार्यक्रम: भवन क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं और इसलिए मौजूदा भवन लेबलिंग कार्यक्रम के दायरे को विस्तार देने के लिए, नेट जीरो एनर्जी बिल्डिंग (एनजेडईबी) और नेट पॉजिटिव एनर्जी बिल्डिंग (एनपीईबी) के लिए शून्य कार्यक्रम शुरू किया गया है। 10 ≤ ईपीआई ≤ 0 केडब्लूएच/एम2/साल वाली इमारतों को शून्य लेबल दिया जाएगा, जबकि ईपीआई < 0 केडब्लूएच/एम2/साल वाली इमारतों को शून्य+ लेबल दिया जाएगा। यह कार्यक्रम इमारत के मालिकों और प्रमोटरों को ऊर्जा कुशल इमारतें बनाने और इसे नेट जीरो या नेट पॉजिटिव एनर्जी बिल्डिंग बनाने के लिए और सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

(डी) ऊर्जा कुशल और उष्मा के लिहाज से बेहतर इमारतों को लेकर जागरूकता बढ़ाने‘ पर गाइडबुक: सूचनाओं को जनता तक पहुंचाने में मीडिया अहम भूमिका निभाती है। गाइडबुक में ऊर्जा कुशल इमारतों की डिजाइन, प्रमुख विशेषताओं, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नीतियों आदि के बारे में जानकारी शामिल है। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) ने ऊर्जा कुशल इमारतों के विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों और फेलोशिप की एक श्रृंखला चलाने के बाद बीईईपी के साथ मैनुअल विकसित किया है। इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक गाइडबुक भी तैयार की गई है।

(ई) एसएमई के लिए क्लाउड आधारित डेटा विश्लेषणात्मक टूल: इस टूल का उद्देश्य 5 एमएसएमई क्षेत्रों में प्रक्रिया अनुप्रयोग में ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों, उपायों और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का विश्लेषण करना है। इस टूल को एनर्जी ऑडिट गतिविधियों, प्रौद्योगिकी, कार्यान्वयन सपोर्ट से इकट्ठा किए गए डेटा के माध्यम से विकसित किया गया है।

(एफ) 10 लाख एलईडी बल्ब वितरण: इस पहल के तहत, पांच राज्यों- बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के 2579 गांवों में एक दिन में कुल 10 लाख एलईडी बल्ब वितरित किए गए। इस कार्यक्रम में 7 वॉट और 12 वॉट के एलईडी बल्ब को इन्कैंडिसेंट बल्ब के बदले मात्र 10 रुपये की कीमत पर दिया गया, जो खरीद की तारीख से तीन साल की गारंटी के साथ दिए गए हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि वह इस ऊर्जा दक्षता दिवस में शामिल होकर उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि ग्राउंड जीरो पर ऊर्जा दक्षता प्रयासों को मान्यता देने में यह मील का पत्थर है। उन्होंने समारोह में सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी।

अपने संबोधन में श्री आलोक कुमार ने कहा कि यह एक बहुत ही विशेष ऊर्जा दक्षता दिवस है क्योंकि हम आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहे हैं। उन्होंने यह बताते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि विद्युत मंत्रालय ऊर्जा दक्षता पर जागरूकता फैलाने के लिए पूरे भारत के गांवों, कस्बों, शहरों और स्कूलों में कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि हम सीओपी26 में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

विजेताओं समेत विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय संगठनों के हितधारकों ने भी इसमें हिस्सा लिया।

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रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ द्वारा विकसित उत्पाद सशस्त्र बलों को सौंपे

रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित उत्पाद 14 दिसंबर, 2021 को डीआरडीओ भवन, नई दिल्ली में आजादी का अमृत महोत्सव समारोह और रक्षा मंत्रालय द्वारा मनाए जा रहे विशेष सप्ताह के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में सशस्त्र बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को सौंपे। उन्होंने सात सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों को छह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) समझौते भी सौंपे। इससे पहले डीआरडीओ ने ’भविष्य की तैयारी’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें सशस्त्र बलों के उप प्रमुखों और डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने अपने विचार साझा किए।

इस अवसर पर रक्षामंत्री ने कहा, इस तरह के सेमिनार से शीर्ष नेतृत्व का समागम और दुश्मन के खतरों का सामना करने के लिए एक आम रणनीति विकसित करने में मदद मिलती है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा, ’’जब हम एकीकरण और संयुक्तता की बात करते हैं, तो यह सिर्फ सरकार द्वारा की गई पहलों तक सीमित नहीं है। इसकी सफलता हमारे रक्षा बलों के शीर्ष नेतृत्व के समागम से हासिल करनी है। यह हमारे विरोधियों द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त रूप से हमारी क्षमताओं को बढ़ाने का एक प्रयास है।’’

उन्होंने कहा, ’’हम जिस एकीकरण की बात करते हैं, वह हमारे बलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका मतलब देश के हर संबंधित संगठन के बीच तालमेल भी है।’’

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में डीआरडीओ के दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव आया है जिससे यह न सिर्फ मौजूदा खतरों की गंभीरता को कम करने वाली प्रौद्योगिकी पर काम कर रहा है बल्कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी तरह की पहली प्रौद्योगिकी विकसित करने में भी जुटा है।

भारत को रक्षा विनिर्माण आधार और शुद्ध रक्षा निर्यातक का एक मजबूत प्लेटफॉर्म बनाने के मकसद को लेकर रक्षा मंत्री ने कहा कि डीआरडीओ ने इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, ’’इसका मार्ग डीआरडीओ, सशस्त्र बलों, निजी उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षाविदों के बीच सहयोग से होकर गुजरता है। निजी कंपनियों के साथ आज हुआ टीओटी यह दर्शाता है कि हम देश में एक मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार बनाने के लिए तैयार हैं जो न सिर्फ देश की रक्षा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा बल्कि रक्षा उपकरणों के निर्यात से मित्र देशों की जरूरतों को भी पूरा करेगा।

दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस), जनरल बिपिन रावत और हाल ही में एक हवाई दुर्घटना में जान गंवाने वाले अन्य लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए, रक्षामंत्री ने कहा कि सीडीएस पद के सृजन के साथ-साथ तीनों सेनाओं के एकीकरण और आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई। सैन्य मामलों का विभाग निर्बाध रूप से इस दिशा में आगे कार्य करता रहेगा बढ़ेंगे और जल्द से जल्द लक्ष्य को हासिल करना सरकार की प्राथमिकता होगी।

युद्ध में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाना और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विकास को एक ऐसी उन्नत तकनीक के रूप में विकसित करना होना चाहिए, जिसके लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।

मिशन शक्ति को विकसित करने में डीआरडीओ के वैज्ञानिक कौशल का हवाला देते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि डीआरडीओ स्मार्ट सामग्री, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग आधारित सिस्टम, स्वार्म ड्रोन्स और एसिमेट्रिक वारफेयर आदि पर काम कर रहा है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आॅटोमेटिक रूट से रक्षा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ाकर 74 फीसदी करने, ओएफबी का काॅरपोरेटाइजेशन, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों का निर्माण, रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति 2020 बनाने, घरेलू विनिर्माण आदि के लिए रक्षा वस्तुओं की सकारात्मक सूची लाने आदि जैसी अनेक नीतिगत सुधारों के माध्यम से सरकार ’मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वल्र्ड के उद्देश्य को साकार करने के लिए संगठित तरीके से काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि इन नीतियों का उद्देश्य घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूत करके हमारे सशस्त्र बलों को मजबूत बनाना है।

सशस्त्र बलों और गृह मंत्रालय को सौंपे गए उत्पादों में एंटी-ड्रोन सिस्टम, मॉड्यूलर ब्रिज, स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन, चैफ वेरिएंट और लाइट वेट फायर फाइटिंग सूट शामिल हैं। आने वाले ड्रोनों का पता लगाने, उन्हें रोकने और नष्ट करने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित काउंटर ड्रोन सिस्टम रक्षामंत्री द्वारा सीआईएससी को सौंपा गया।

उन्होंने सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवने को मॉड्यूलर ब्रिज भी सौंपा। आरएंडडीई (इंजीनियर्स) द्वारा विकसित मॉड्यूलर ब्रिज मिलिट्री लोड क्लास एमएलसी-70 का सिंगल स्पैन, मेकेनिकली लॉन्च किया गया असॉल्ट ब्रिज है, और इसे अलग-अलग स्पैन में लॉन्च किया जा सकता है।

रक्षामंत्री ने वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चैधरी को स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्ल्यू), एक एयर लॉन्च, लॉन्ग-रेंज, स्टैंड-ऑफ, एयर-टू-सरफेस स्मार्ट बम सौंपा। एडवांस्ड चैफ के वेरिएंट नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार को सौंपे गए। डीआरडीओ के सेंटर फॉर फायर, एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सेफ्टी (सीएफईईएस), दिल्ली द्वारा विकसित स्ट्रक्चरल फायर फाइटिंग सूट गृह मंत्रालय के विशेष सचिव श्री वी एस के कौमुदी को सौंपा गया।

इस कार्यक्रम के दौरान तटीय सर्विलांस रडार, आटोमेटिक केमिकल एजेंट डिटेक्शन एंड अलार्म (एसीएडीए) और केमिकल एजेंट मॉनिटर (सीएएम), यूनिट रखरखाव वाहन, यूनिट मरम्मत वाहन, फ्यूज्ड सिलिका आधारित सिरेमिक कोर प्रौद्योगिकी और अग्नि शमन जेल नामक सिस्टम/प्रौद्योगिकी के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित सात प्रणालियों के एलएटीओटी दस्तावेज सौंपे गए।

मुख्य विशेषताएं:

  • डीआरडीओ द्वारा विकसित पांच उत्पाद सशस्त्र बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को सौंपे गए
  • सात सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ छह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) समझौते किए गए

इस अवसर पर सचिव, डीडीआरएंडडी और अध्यक्ष, डीआरडीओ डॉ जी सतीश रेड्डी, थलसेना, नौसेना और वायुसेना के उप प्रमुख, रक्षा और गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

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एस. एन. सेन बा. वि. पी. जी. कॉलेज ने संरक्षक दिवस वार्षिकोत्सव ‘लावण्या 2021’ के रूप में मनाया।

भारतीय स्वरूप संवाददाता!

कानपुर 15 दिसंबर, एस. एन. सेन बा. वि. पी. जी. कॉलेज ने संरक्षक दिवस वार्षिकोत्सव ‘लावण्या 2021’ के रूप में मनाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री वीरेंद्रजीत सिंह, क्षेत्र संघ चालक, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विशिष्ट अतिथि प्रो. राहुल गोयल, निदेशक, गौर हरि सिंघानिया मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, प्रो. पारुल गोयल, गौर हरि सिंघानिया मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, विशिष्ट अथिति डॉ. शालिनी वेद, निदेशक, लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी, महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्रा, सचिव श्री प्रोबीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, सदस्या श्रीमती दीपा श्री सेन, समिति के गणमान्य सदस्य प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन तथा समीर सेन जी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस शुभ अवसर पर संगीत विभाग की छात्राओं ने सुमधुर सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। महाविद्यालय के स्वर्णिम इतिहास से वेष्टित कुलगीत को संगीत की छात्राओं ने प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।

प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल ने अपने स्वागत भाषण में अतिथियों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए महाविद्यालय की वार्षिक आख्या प्रस्तुत की। वार्षिक उत्सव लावण्या 2021 का शुभारंभ शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ, जिसमें मां दुर्गा की स्तुति “ऐ गिरी नंदिनी..” से की गई जिसमें नव देवियां अवतरित होकर सभागार में शक्ति और भक्ति का संचार करा गईं। उपस्थित दर्शकों ने अपने भीतर दैवीय ऊर्जा का अनुभव किया।दूसरी प्रस्तुति गृह विज्ञान विभाग के कालबेलिया नृत्य की हुई, जिसके बोल थे “काॾ़ॊपूत पड्यो मेले में।” तीसरे स्थान पर कव्वाली श्रृंखला संगीत विभाग द्वारा प्रस्तुत की गई। चतुर्थ प्रस्तुति में हिंदी विभाग द्वारा ज्ञानपीठ पुरस्कार से पुरस्कृत दिनकर की ‘उर्वशी’ का मंचन किया गया। इसमें छात्राओं ने मूल कृति के पद्यात्मक संवादों को उसी शैली में प्रस्तुत कर दर्शकों के मन को आनंद से भर दिया। पांचवें स्थान पर पंजाबी मेडले नृत्य बी.एस.सी. की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया, इसमें विभिन्न गीतों को संयुक्त रूप से जोड़ा गया। इसके पश्चात बी.कॉम. की छात्राओं द्वारा विषय आधारित नृत्य और बाल श्रम पर अभिनय करते हुए एक लघु नाटिका प्रस्तुत की गई। सातवीं प्रस्तुति अर्थशास्त्र विभाग द्वारा प्रस्तुत गुजराती नृत्य गरबा ने लोगों को आह्लादित कर दिया। अंतिम प्रस्तुति शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा रामायण से सीता स्वयंवर के अंश को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया।

मुख्य अतिथि श्री वीरेंद्रजीत सिंह ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम छात्राओं में ऊर्जा का संचार करते हैं। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राहुल गोयल ने कहा कि इस कार्यक्रम में भारतीय जीवन के अनेक रंग देखने को मिले तथा प्रोफेसर पारुल गोयल ने छात्राओं की प्रतिभा की सराहना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी। विशिष्ट अतिथि शालिनी वेद ने कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम से युवा पीढ़ी न केवल भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों से परिचित होती है अपितु उनकी प्रतिभा भी तराशी जाती है।

संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन ने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ छात्राएं पाठ्येत्तर गतिविधियों में भी अपनी प्रतिभा को निखारने में सफल रहीं। आज के आयोजन के लिए सभी छात्राओं व शिक्षिकाओं को बधाई दी तथा स्वर्गीय समीर सेन जी को याद करते हुए ऐसे ही कार्यक्रम होते रहे ऐसी शुभकामना दी। वार्षिकोत्सव समारोह में डॉ. निशी प्रकाश, डॉ. रेखा चौबे, डॉ. अलका टंडन, सांस्कृतिक प्रभारी डॉ. चित्रा सिंह तोमर, डॉ. मोनिका सहाय, डॉ. रचना शर्मा, डॉ. शुभा बाजपेई, डॉ. मीनाक्षी व्यास, डॉ. रश्मि गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से शारीरिक शिक्षा विभाग की डॉ. प्रीति पांडे एवं रसायन शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. गार्गी यादव द्वारा किया गया। डॉ. गार्गी यादव द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया तथा राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री किसान मान धन योजनान्तर्गत 60 वर्ष की आयु के बाद अंशदान करने वाले किसानों को देगी रूपये 3000 मासिक पेंशन

दिसंबर 14, भारतीय स्वरूप संवाददाता, प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के हित में कई योजनाएं चलाई है, इसी परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना संचालित है, जिसके तहत 60 साल की उम्र के बाद किसानों के लिए पेंशन का प्रावधान है। प्रदेश में संचालित इस योजना के अन्तर्गत 18 साल से 40 साल तक की उम्र का कोई भी किसान लाभ ले सकता है, जिसे उम्र के हिसाब से मासिक अंशदान करने पर 60 वर्ष की उम्र के बाद 3000 रूपये मासिक या 36000 रूपये सालाना पेंशन मिलेगी। इसके लिए अंशदान 55 रूपये से 200 रूपये तक मासिक है। अब तक इस योजना से लाखों किसान जुड़ चुके हैं। इस पेंशन कोष का प्रबंधन भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना के अन्तर्गत 18 से 40 वर्ष तक की आयु के छोटी जोत वाले लघु एवं सीमान्त किसान हिस्सा ले सकते हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर तक ही खेती की जमीन है। इस योजना के तहत कम से कम 20 साल और अधिकतम 40 साल तक 55 रूपये से 200 रूपये तक मासिक अंशदान करना होगा, जो उनकी उम्र पर निर्भर है। अगर 18 साल की उम्र में किसान जुड़ते हैं तो मासिक अंशदान 55 रूपये या सालाना 660 रूपये होगा, वहीं अगर 40 की उम्र में जुड़ते हैं तो 200 रूपये महीना या 2400 रूपये सालाना योगदान करना होगा।
पीएम किसान मानधन योजनान्तर्गत जितना योगदान किसान का होगा, उसी धनराशि के बराबर योगदान सरकार भी पीएम किसान अकाउंट में करती है। यानी अगर किसान का योगदान 55 रूपये है तो सरकार भी 55 रूपये का योगदान करेगी। अगर कोई किसान बीच में स्कीम छोड़ना चाहता है तो उसका पैसा नहीं डूबेगा, उसके स्कीम छोड़ने तक जो पैसे जमा किये होंगे, उस पर बैंकों के सेविंग अकाउंट के बराबर का ब्याज मिलेगा। अगर पॉलिसी होल्डर किसान की मौत हो गई, तो उसकी पत्नी को 50 फीसदी रकम मिलती रहेगी।
पेंशन योजना का लाभ उठाने के लिए किसान को कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड और खसरा-खतौनी की नकल ले जानी होगी। रजिस्ट्रेशन के लिए 2 फोटो और बैंक की पासबुक की भी जरूरत होगी। रजिस्ट्रेशन के लिए किसान को अलग से कोई भी फीस नहीं देनी होगी, रजिस्ट्रेशन के दौरान किसान का किसान पेंशन यूनिक नंबर और पेंशन कार्ड बनाया जाता है।
नेशनल पेंशन स्कीम, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) स्कीम, कर्मचारी भविष्य निधि स्कीम (EPFO) जैसी किसी अन्य सामाजिक सुरक्षा स्कीम के दायरे में शामिल लघु और सीमांत किसान, ऐसे किसान जिन्होंने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा संचालित प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के लिए विकल्प चुना है, या ऐसे किसान जिन्होंने श्रम और और रोजगार मंत्रालय द्वारा संचालित प्रधानमंत्री लघु व्यापारी मानधन योजना के लिए विकल्प चुना है। ऐसे किसानों को इस योजना से लाभ नहीं मिलेगा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान मानधन (पी0एम0-के0एम0वाई0) योजना के तहत वर्ष 2019-20 में प्रदेश के लघु एवुं सीमान्त कृषकों को सामाजिक सुरक्षा कवच उपलब्ध कराने एवं वृद्धावस्था में उनकी आजीविका के साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वैच्छिक रूप से पुरूष व महिला दोनों के लिए 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर रू0 3000 प्रति माह की यह सुनिश्चित मासिक पेंशन योजना लागू की है। यह एक स्वैच्छिक एवं अंशदायी पेंशन योजना है। योजनान्तर्गत दिनांक 16.11.2021 तक 252256 लाभार्थियों को कार्ड उपलब्ध कराया जा चुका है, जिसमें पुरूष 74.00 प्रतिशत एवं महिला 26.00 प्रतिशत हैं। इस योजना में 18-25 आयु वर्ग के 23.60 प्रतिशत, 26-35 आयु वर्ग के 49.90 प्रतिशत तथा 36-40 आयु वर्ग के 26.40 प्रतिशत लाभार्थी हैं। वर्ष 2015-16 की कृषि गणना के अनुसार प्रदेश के लघु एवं सीमान्त कृषक परिवारों की संख्या 221.10 लाख (92.80 प्रतिशत) है। किसानों की हितकारी प्रदेश सरकार किसानों को बुढ़ापे में पेंशन देकर उन्हें सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मुहैया करा रही है।
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राज्य सूचना आयुक्त ने नगर निगम सभागार में विभाग के सूचना अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।

कानपुर 13 दिसम्बर, 2021(सू0वि0) राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने नगर निगम सभागार में विभाग के सूचना अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने अफसरों को समय से सूचना न देने पर जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने चेतावनी दी कि समय से सूचना न देने पर कोई भी जनसूचना अधिकारी दंड से बच नहीं सकता। लापरवाही पर एक अपर नगर आयुक्त और एक सहायक नगर आयुक्त पर दंड अधिरोपित किया जा चुका है।
राज्य सूचना आयुक्त द्वारा समीक्षा बैठक में विभागों में लंबित वादों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की गयी तथा आर0टी0आई0 एक्ट की जानकारी दी गयी। उन्होंने कहा कि आर0टी0आई0 एक्ट के तहत मांगी गयी सूचना को तीस दिन के अन्दर उपलब्ध कराना होता है। नगर निगम एक महत्वपूर्ण विभाग है। जनता के प्रति उसकी जवाबदेही किसी भी अन्य सरकारी विभाग से अधिक है। उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा साफ-सफाई विकास कार्यो के साथ-साथ नगर वासियों को बेहतर स्वास्थ्य व बेहतर शिक्षा भी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी होती है।
कानपुर नगर निगम का लगभग 700 करोड रूपये का सालाना बजट है। इस बजट से नगर निगम द्वारा साफ-सफाई, विकास कार्य, शिक्षा व स्वास्थ्य के कार्य किये जाते है। आर0टी0आई0 एक्ट सिस्टम में भ्रष्टाचार को समाप्त करने व कार्यो में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लाया गया था। आज की बैठक में नगर निगम के समस्त अपर नगर आयुक्त, सहायक नगर आयुक्त व समस्त जन सूचना अधिकारियों को बुलाया गया था लेकिन बैठक में आधे से ज्यादा जन सूचना अधिकारी अनुपस्थित पाये गये। इस लापरवाही पर सूचना आयुक्त नाराज दिखे। उन्होंने बताया कि अभी हाल में आर0टी0आई0 एक्ट के तहत मांगी गयी सूचनाओं को समय से सूचना उपलब्ध न कराने, पूर्ण सूचना उपलब्ध न कराने व गलत सूचना उपलब्ध कराने के संबंध में नगर निगम के एक अपर नगर आयुक्त, एक सहायक नगर आयुक्त व आधा दर्जन से अधिक जन सूचना अधिकारियों पर दण्ड अधिरोपित किया गया है। लापरवाही पर आगे भी दंड अधिरोपित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे यह प्रतीत होता है कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा आर0टी0आई0 एक्ट के तहत मांगी गयी सूचनाओं को गम्भीरता से नही लिया जाता है।
बैठक में नगर निगम के एक अधिकारी द्वारा यह स्वीकार किया गया कि विभाग में आरटीआई एक्ट के तहत मांगी गयी सूचनाओं को गम्भीरता से नही लिया जाता है। सूचनाओं के प्रकरण का समयबद्ध निस्तारण हेतु नगर निगम में मासिक समीक्षा बैठक होनी चाहिये।
बैठक में अपर नगर आयुक्त रोली गुप्ता और सहायक नगर आयुक्त पूजा त्रिपाठी भी उपस्थित थीं।
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खुद को जानना हो तो अकेले में जानें

”अकेले मे हम वो होते हैं जो हम असल में होते है”इन्सान वही है जो बाहर और अंदर से एक ही हो।खुद को जानना हो तो अकेले में जानें।तब अपने दिल दिमाग़ और विचारों को ध्यान दे और देखे,क्या वाक़ई में हम वो दिखाई देते हैं जो हम असल में हैं।कई बार सामाज और वक़्त के साथ चलने की चाह में हम असलीयत से कोसो दूर हो जाते है।
अकेलापन अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है, मगर बहुत लोग अकेलेपन से घबराते भी हैं।सोच अपनी अपनी है।अकेलेपन मे या तो हम उदास ग़ुस्सा या डिप्रेशन में चले जाये और अपने किये फ़ैसलों पर रोये या पछताये।
कई बार सारी उम्र ज़िम्मेदारियों को निभाते निभाते हम ख़ुद को वक़्त ही नहीं दे पाते।यही तो वक़्त होता है जब हम कुछ नया करें नया सोचें,खुद को पहचाने,खुद को निखारे।कहते है “अकेलेपन और ख़ाली मन “शैतान का घर होता है बस हमें वही नहीं होने देना।हमे यहाँ पर इक कड़ी नज़र रखनी है “इक पैनी नज़र”
दोस्तों ये ज़रूरी नहीं कि हम किसी की मदद पैसों से ही कर सकते है।किसी की बात सुनना ,हौसला देना और कई बार हमारी दी गई सलाह दूसरे की ज़िन्दगी का मुख ही मोड़
कर रख देती हैं।
दोस्तों ! इक आंटी शायद उनकी उम्र लगभग 70 के आसपास रही होगी।मैं हालाँकि उनको जानती नहीं थी मगर अक्सर पार्क में देखा करती थी।कई बार मैंने उन्हें अपने दुपट्टे से अपनी आँखों की कोरो को साफ़ करते देखा था।उनको ऐसे देख कर,मैं घर जा कर भी बेचैनै रहती। इक रोज़ मैं पार्क में सैर कर रही थी तो आंटी को बैंच पर बैठे देखा,रोज़ की तरह उतरा सा चेहरा,जैसे रात भर सोई ही न हो।बाल भी ढंग से नहीं बनाये हुए और आज आँसुओं को दुपट्टे से छुपाने की भरसक कोशिश भी उनकी नाकाम हो रही थी।शाम हो चुकी थी और अन्धेरा भी बढ़ रहा था मैं खुद को रोक न पाई और उनके पास धीरे से बैठ कर पूछ ही लिया। क्या आप ठीक है? पहले तो वो थोड़ा हिचकिचाई ,फिर मेरी तरफ़ देख कर कहने लगी !अब क्या बताऊँ तुम्हें।तीन बेटे हैं मेरे।तीनों को मुश्किलों से पढ़ा कर शादी भी कर दी।दो तो पहले से ही अलग रह रहे है।जब कभी पार्टी वारटी पर जाना होता है तो ले जाते हैं अपने घर बच्चों की देख रेख के लिये।इसी बहाने से मैं अपने पोता पोती को मिल पाती हूँ।मैं छोटे बेटे बहू के साथ रहती हूँ ।जब बच्चे ऊँचा नीचा या ग़लत बोलते हैं तो मन बहुत दुखी होता है।हर वक़्त लड़ाई कलह में जरा भी सकून नहीं मिलता।ये बेटा बहू भी अब अलग रहने चाहते हैं और वो कहती जा रही थी ,पति की मौत बहुत साल पहले हो चुकी थी ।अब पैंशन पर गुज़ारा कर रही हूँ।
जैसे ही मैंने उनका हाथ अपने हाथ में लिया वो मेरे गले लग कर बच्चों की तरह रोने लगी।उस वक़्त दिल तो मेरा भी भर आया कि इक माँ का हृदय कितना विशाल होता है।कैसे बच्चों की गलती को माफ़ कर देती है।माँ जो ज़िन्दगी की सारी ज़िम्मेदारी पूरी कर के इक थोड़ा सा सकून ही तो चाह रही है।जब माँ बाप को सबसे ज़्यादा ज़रूरत बच्चों की होती हैं ,तो कैसे वो ऐसा बर्ताव कर सकते है।क्या वो भूल जाते कि इक दिन वो भी बुजुर्ग होंगे, उन्हें भी इक दिन ऐसे ही अपने बच्चों का सहारा चाहिए होगा।
मैंने कहा आंटी आप कयूं सह रहे हो ये सब।कह दीजिये बेटे से कि वो अलग से घर ले ले। कहने लगी मैं अकेले नहीं रह सकती।कैसे काटूँगी ज़िन्दगी।मैंने कहा आप कब तक दूसरे का सोचेंगी ,अब अपने लिए सोंचे।अगर आप खुद अपनी इज़्ज़त करोगे तो सब भी आपकी इज़्ज़त करेंगे।मैंने कहा !आप का घर तो है।पैशन लगी हुई है।तो क्यों नहीं किसी को किराए पर रख लेती।आमदनी भी हो जायेगी और आप को अकेलापन भी नहीं लगेगा।उस दिन तो वो अपने घर चली गई मगर मै उनसे मिलने के बहाने हर रोज़ सैर पर जाने लगी और इस तरह मेरे बहुत समझाने पर उन्होंने अपना मन बना लिया और बेटे से कह दिया कि वो अलग हो सकता है।फिर एक पति पत्नी और उनकी बच्ची को ,दो कमरे किराये पर दे दिये।इस तरह दिन पर दिन महीने निकलते गये।इस दौरान मैं अपनी ज़िन्दगी मे व्यस्त हो गई।इक रोज़ मैं आंटी के घर उनसे मिलने चली गई।आंटी मुझे देख बहुत ख़ुश हुई।गले लगा कर कहने लगी ! तुम्हारी बात मान कर अब ज़िन्दगी को बड़ी सकून से जी रही हूँ।रोज मन्दिर चली जाती हूँ।वहाँ कितनी सहेलियाँ बन गई हैं।सब हंसते है योगा करते है।आंटी को यूँ ख़ुश देख कर मन को सकून मिल रहा था।वो कहती जा रही थी !अब बेटे भी आ जाते है मिलने कभी कभार।बहू भी खुश है।मैंने कहा आंटी कभी कभी अपनी सहेलियों के साथ बाहर घूमने चले ज़ाया करे इससे आपकी रोज सैर भी हो ज़ाया करेंगी।मुझे यक़ीन नही था वो ऐसा कर पायेंगी,मगर वो करने लगी।मैंने उनमे इक शक्ति का आवाहन होते हुये देखा।बताने लगी कि मुझे लगता है जैसे मैं फिर से जवान हो गई हूँ और शरीर से भी मज़बूत महसूस करती हूँ क्योंकि अब मुझे पता हैं कि सब मुझे ही करना है।

दोस्तों आंटी को भी अकेलापन मिला।वो चाहती तो उदास बीमार या डिप्रेशन मे चली जाती,मगर सोच पाजीटिव होने की वजह से ज़िन्दगी को अच्छे ढंग से जी रही थी।
दोस्तों मेरी कहानी की पात्र “आंटी वास्तविक मे शक्तिशाली मानसिकता वाली औरत थी”मगर हालातो ने उन्हें कमजोर बना दिया था।थोड़ी हिम्मत की और तो
अब सकून से ज़िन्दगी जी रही है।
यही है जीवन दोस्तों!
मुश्किलें तो आती है घबराये नही,रास्ता ढूँढे ,अगर सोच बुलन्द है तो वजूद पर भी इसका असर ज़रूर होता है।खुद को बदलना हमारे ही हाथ में है।खुद को बदल कर हालात ही बदल डालें मगर 🙏”बदलाव” बशर्ते पाजीटिव ही हो। *स्मिता

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