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एसजेवीएन द्वारा हिमाचल प्रदेश में 382 मेगावाट सुन्नी बांध जल विद्युत परियोजना के लिए निवेश को स्वीकृति

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2614.51 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एसजेवीएन लिमिटेड द्वारा हिमाचल प्रदेश में 382 मेगावाट सुन्नी बांध जल विद्युत परियोजना को स्वीकृति दे दी है। इसमें बुनियादी ढांचे को सक्षम बनाने के लिए भारत सरकार की बजटीय सहायता के रूप में 13.80 करोड़ रुपये के निवेश को भी स्वीकृति दी गई है। जनवरी, 2022 तक कुल 246 करोड़ रुपये के संचयी व्यय के लिए कार्योत्तर स्वीकृति भी दी गई है।

2,614 करोड़ रुपये की इस परियोजना लागत में 2246.40 करोड़ रुपये की वास्तविक लागत, निर्माण के दौरान ब्याज (आईडीसी) के तौर पर 358.96 करोड़ रुपये और वित्तपोषण शुल्क (एफसी) के रूप में 9.15 करोड़ रुपये शामिल हैं। मात्रा परिवर्तन (जोड़ने/बदलाव/अतिरिक्त मदों सहित) के कारण लागत भिन्नताओं के लिए संशोधित लागत स्वीकृतियां और निर्माणकर्ता के लिए देय समय सीमा स्वीकृत लागत के 10 प्रतिशत तक सीमित होगी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, एसजेवीएन द्वारा 382 मेगावाट सुन्नी बांध एचईपी की स्थापना के लिए वर्तमान प्रस्ताव स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं/स्थानीय उद्यमों/एमएसएमई को विभिन्न लाभ प्रदान करेगा और रोजगार को बढ़ावा देने के अलावा देश के भीतर उद्यमशीलता के अवसरों को प्रोत्साहित करते हुए क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करेगा। इस परियोजना के कार्यान्वयन से इसके निर्माण की चरम अवस्था के दौरान लगभग 4000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन होगा।

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वैज्ञानिक विभागों के प्रमुखों ने भारत को एक मजबूत ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने के तरीकों पर चर्चा की

भारत सरकार के वैज्ञानिक विभागों के प्रमुखों ने नागपुर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के पहले पूर्ण सत्र में भारत को ज्ञान प्रधान अर्थव्यवस्था बनाने की रूपरेखा तैयार की और उसके रास्ते में आने वाली चुनौतियों तथा अवसरों पर विचार-विमर्श किया।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर ए के सूद ने रेखांकित किया कि भारत विश्व स्तर पर स्टार्ट-अप्स के लिए तीसरे सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभरा है और भारत के गहन प्रौद्योगिकी स्टार्टअप परिदृश्य में तेजी से वृद्धि देखी गई हैI विशेष रूप से इसे उपभोक्ता प्रौद्योगिकी, मोटर वाहन, मीडिया और मनोरंजन, कृषि प्रौद्योगिकी, ऊर्जा उपयोगिताओं और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बढ़ावा देने के लिए अभी भी स्थान उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी, उन्नत संचार प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल परिवर्तन एवं एक स्वास्थ्य मिशन में तकनीकी क्रांति का कन्वर्जेन्स वैश्विक ज्ञान गहन अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत की प्रगति को बढ़ावा दे रहा है।

“विज्ञान भारत के परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और यह परिवर्तन हमारी प्रयोगशालाओं के माध्यम से होगा। इसलिए यह हम वैज्ञानिकों का उत्तरदायित्व है कि हम यह सोचें कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारा विज्ञान कितना प्रासंगिक होगा।“ विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस चंद्रशेखर ने कहा कि हमें भविष्य की समस्याओं के समाधान के लिए अपने प्रश्नों को तैयार करना ही होगा भले ही वह विनिर्माण या स्थिरता के विषयों में हों।

उन्होंने रेखांकित किया कि विज्ञान को भविष्य के कारखानों एवं ऐसी डिजाइन निर्माण विधियों के बारे में कल्पना करने की आवश्यकता है जो उनके अनुकूल एवं अनुरूप होने के अलावा  उत्पादन के साथ इनपुट का इस प्रकार मिलान करें जिससे अपशिष्ट को कम से कम किया जा सकेI साथ ही चक्रीय विज्ञान की अवधारणा विकसित करके कृषि प्रौद्योगिकियों का निर्माण करें जिससे सब्सिडी की आवश्यकता को समाप्त कर सकें और वैकल्पिक गतिशीलता विकल्प ढूंढ सकें। साथ ही ये कम प्रदूषण फैलाने वाले भी हों।

डॉ. चंद्रशेखर ने जमीनी-वैश्विक जुड़ाव को विकसित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला ताकि जमीनी स्तर से निकले समाधान वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए कुछ संकेत दे सकें।

सफल वैज्ञानिक समाधानों में स्थिरता की आवश्यकता पर जोर देते हुए, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक एन कलैसेल्वी ने अगले सात वर्षों में भारत के लिए महत्वपूर्ण पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा एवं गतिशीलता, खाद्य और पोषण, उद्योग 4.0/5.0, वैज्ञानिक कार्यों में सुगमता एवं वैज्ञानिक प्रतिभा को आकर्षित करने के साथ और उसे बनाए रखना जैसे कुछ क्षेत्रों में भारत की चुनौतियों तथा अवसरों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ये सभी भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए अगले 17 वर्षों की नींव रखेंगे।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अलका शर्मा ने ऐसे जैव–विनिर्माण पर जोर दिया जो औद्योगीकरण की नई लहर के रूप में जीवाश्म ईंधन-व्युत्पन्न रसायनों के विनिर्माण के स्थान पर जैविक प्रणालियों का उपयोग करता हो। उन्होंने कहा कि इससे वायुमंडलीय कार्बन को उसके स्थिर रूप में इस प्रकार लॉक किया जा सकता है जिससे एक ऐसा मार्ग प्रशस्त होगा जो भारत को स्थिरता में दुनिया का अग्रणी देश बना देगा।

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एडीबी और भारत ने महाराष्ट्र में सुधार के लिए 350 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और भारत सरकार ने आज महाराष्ट्र राज्य में प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में सुधार के लिए 350 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

समावेशी विकास के लिए आर्थिक समूहों को जोड़ने की महाराष्ट्र परियोजना के हस्ताक्षरकर्ताओं में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के अपर सचिव श्री रजत कुमार मिश्रा ने भारत सरकार की ओर से और एडीबी के इंडिया रेजिडेंट मिशन के प्रभारी अधिकारी श्री हो यून जियोंग ने एडीबी के लिए हस्ताक्षर किए।

ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद श्री मिश्रा ने कहा कि परियोजना कनेक्टिविटी में सुधार, सेवाओं तक पहुंच की सुविधा और राज्य में पिछड़े जिलों के समावेशी आर्थिक विकास में तेजी लाकर अंतर-क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने में मदद करेगी।

श्री जियोंग ने कहा कि यह परियोजना महाराष्ट्र में राज्य राजमार्गों और प्रमुख जिला सड़कों के उन्नयन के लिए एडीबी के चल रहे समर्थन पर आधारित है। यह उन दृष्टिकोणों और प्रथाओं को प्रदर्शित करता है जो अभी तक सामान्य कार्याभ्यास नहीं रहा हैं। इसमें महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों की जरूरतों के प्रति उत्तरदायी सड़क सुरक्षा प्रदर्शन गलियारे, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा-जोखिम में कमी और राजमार्ग कार्य जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।

अहमदनगर, हिंगोली, जालना, कोहलपुर, नागुर, नांदेड़, नासिक, पुणे, सांगली और सतारा के 10 जिलों में राज्य के मुख्य सड़क नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कम से कम 319 किलोमीटर (किमी) राज्य राजमार्ग और 149 किलोमीटर जिला सड़कों को जलवायु और आपदा-प्रतिरोधी सुविधाओं को शामिल करते हुए उन्नत किया जाएगा। यह अविकसित ग्रामीण समुदायों को गैर-कृषि अवसरों और बाजारों से जोड़ने में मदद करेगा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच में सुधार करेगा और छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के लिए परिवहन लागत को कम करके कृषि मूल्य श्रृंखला में सुधार करेगा।

इसके अलावा इस परियोजना में नांदेड़ और पड़ोसी राज्य तेलंगाना को जोड़ने वाली 5 किलोमीटर की प्रमुख जिला सड़कों का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना राजमार्ग कार्यक्रमों, स्कूलों, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं में लैंगिक समानता और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देगी और बुनियादी स्वच्छता, शिक्षा और अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एकीकृत सेवा केंद्र स्थापित करेगी। आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए गरीब महिलाओं और वंचित समूहों के नेतृत्व वाले उद्यमों के लिए कौशल प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। यह परियोजना बेहतर जीवन-चक्र गुणवत्ता और परिचालन दक्षता के लिए लंबी अवधि के सड़क रखरखाव में निजी क्षेत्र की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करेगी। इससे सड़क डिजाइन और रखरखाव में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा जोखिम में कमी के लिए एक अच्छे अभ्यास के अनुभव भी विकसित होंगे।

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नई सुबह नई रोशनी नया आग़ाज़ नये साल की हार्दिक बधाई

तेरी बेपनहा मोहब्बत तेरी बेशुमार मेहरबानियाँ..

तेरी बरसती हुई रहमते.. तुम्हारी हर बात के लिए शुक्रगुज़ार हूँ ..
मेरे साईं 🌹
तू रोशनी है मेरी .. तू सकून है मेरा ..
तेरे ही नूर से महकती है रूह मेरी …
तुझ से ही तो ,मैं हूँ … तुझ से ही तो ,ये वजूद है मेरा …
आँखों को इन्तज़ार , बस अब तेरा ही है …🙏🌹
दिन गुजरे ,महीने गुजरे,साल गुजरे

कुछ भी रूकता नहीं यहाँ दोस्तों।
न गम ..न ही ख़ुशी रूकेगी कभी।
कोई लम्हा जो गुज़र गया।कभी लौट कर आता नहीं है यहाँ। अब नया साल आया है ..

बहुत सी ख़ुशियाँ ,बहुत सी यादें ,हर साल की तरह ,कुछ पढ़ा कर ..कुछ लिखा कर ,

मिलाजुला सा अनुभव दे कर ..ये भी गुज़र ही जायेगा।
वक़्त हमे कुछ न कुछ सिखाने की कोशिश में लगा रहता है, जो हम सभी अपनी मंदबुद्धि ,

अहंकार अपनी ही चालाकियों की वजह से सीख नहीं पाते और फिर वक़्त खुद अपने ही

ढंग से सिखाता है हमे और कई बार वक़्त के सिखाने का वो ढंग या तरीक़ा हमें क़तई पसंद नहीं आता
“ये जहान इक मुसाफ़िर घर हैं दोस्तों “
इसे भूल कर अपना घर न समझ बैठईये..
लेखिका स्मिता केंथ ✍️

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कानपुर में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ़ इंडिया की पहल से आई0टी0 क्षेत्र के विकास एवं बढ़ावे के लिए इंडस्ट्री/स्टार्ट अप, गवर्नमेंट तथा शिक्षण संस्थाओं का समागम

कानपुर नगर, दिनांक 30 दिसम्बर, 2022 (सू0वि0)*आज एच0बी0टी0यू0 स्थित डायरेक्टरेट ऑफ़ इंडस्ट्री एंड एंटरप्राइज प्रोमोशन के सभागार में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ़ इंडिया (एसटीपीआई), इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एक इंटरैक्टिव सेशन का आयोजन किया गया, जिसमे कानपुर जनपद के आईटी कंपनियों, इंडस्ट्री संघो, शिक्षण संस्थाओं ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में निदेशक एसटीपीआई, भारत सरकार डॉ0 रजनीश अग्रवाल ने एसटीपीआई द्वारा आईटी क्षेत्र में किये जा रहे विभिन्न कार्यों तथा नई योजनाओं जैसे कि सेण्टर ऑफ़ एक्सीलेंस, डेटा सेंटर्स, बीपीओ योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी बताया कि कानपुर में यू0पी0सी0डा0 मुख्यालय बिल्डिंग के आठवें तल पर एसटीपीआई का इन्क्यूबेशन केंद्र संचालित हो रहा है तथा पनकी इंडस्ट्रियल एरिया में भी एक आईटी पार्क्स/एसटीपीआई केंद्र की स्थापना की जाएगी, जिससे कि कानपुर व आस पास के क्षेत्रों के स्टार्ट अप, इंटरप्रेनुएर तथा आईटी कंपनियों को हाई टेक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जा सकेगा।
सभी प्रतिभागी इंडस्ट्री प्रतिनिधियों द्वारा उठाये गए बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा हुई तथा उनके द्वारा कई सारे सुझाव दिए गए जिसे कि उचित स्तर पर समाधान करने का आश्वासन भी दिया गया।
हरकोर्ट बटलर तकनिकी विश्वविद्यालय के डॉ0 प्रवीण यादव ने इंडस्ट्री, शिक्षण संस्थाओं तथा गवर्नमेंट के आपसी समन्वय पर जोर डाला तथा यह भी कहा कि अगर इन तीनो स्तम्भों के बीच में आपस में समन्वय हो गया तो कानपुर भी अन्य शहरों की भांति आईटी क्षेत्र में विकास कर पायेगा।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए संयुक्त आयुक्त उद्योग कानपुर मंडल सर्वेश्वर शुक्ल ने आश्वाशन दिया कि कानपुर में आईटी क्षेत्र के विकास के लिए उद्योग विभाग की तरफ से पूरा सहयोग दिया जायेगा एवं भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा, जिससे कि उद्योग स्थापित करने के इच्छुक व्यकित्यों को समय समय पर उचित मार्गदर्शन मिल सके।
कार्यक्रम के अगले क्रम में संयुक्त निदेशक एवं प्रभारी अधिकारी एसटीपीआई कानपुर डॉ0 प्रवीण कुमार द्विवेदी द्वारा एसटीपीआई की विभिन्न योजनाओ, लाभ तथा भारत सरकार की नेक्स्ट जनरेशन इन्क्यूबेशन स्कीम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। कार्यक्रम में विभिन्न उद्योग संघों के पदाधिकारी दिनेश बरसिया-आई0आई0ए0, लाडली प्रसाद-लघु उद्योग भारती, मनोज बांका-पी0आई0ए0, श्री शिव कुमार गुप्ता-फीटा, ब्रिजेश अवस्थी-पी0आई0ए0, हरेन्द्र मूर्जनी, आई0टी0 तथा आई00टी0ई0एस0 कम्पनीज, स्टार्टअप, इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का आयोजन एस0पी0 यादव सहायक आयुक्त उद्योग कानपुर मंडल की देखरेख में संपन्न हुआ।

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भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कानपुर खण्ड स्नातक एवं कानपुर खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल दिनांक 12 फरवरी, 2023 को समाप्त होने के कारण होने वाली रिक्तियों को भरने के लिये कार्यक्रम घोषित

*कानपुर नगर, दिनांक 30 दिसम्बर, 2022 (सू0वि0)*
प्रभारी आयुक्त, कानपुर मण्डल कानपुर/रिटर्निंग आफिसर, कानपुर खण्ड स्नातक एवं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र श्री विशाख जी ने बताया है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कानपुर खण्ड स्नातक एवं कानपुर खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल दिनांक 12 फरवरी, 2023 को समाप्त होने के कारण होने वाली रिक्तियों को भरने के लिये कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि निर्वाचन की अधिसूचना का दिनांक 05 जनवरी 2023 (बृहस्पतिवार), नाम निर्देशन हेतु अन्तिम दिनांक 12 जनवरी 2023 (बृहस्पतिवार), नाम निर्देशन की जांच हेतु दिनांक 13 जनवरी 2023 (शुक्रवार), नाम वापसी हेतु अन्तिम दिनांक 16 जनवरी 2023 (सोमवार), मतदान का दिनांक 30 जनवरी 2023 (सोमवार), मतदान का समय पूर्वाह्न 08ः00 बजे से सायं 04ः00 बजे तक, मतगणना का दिनांक 02 फरवरी 2023 (बृहस्पतिवार) तथा वह तारीख जिससे पूर्व निर्वाचन समाप्त करा लिया जायेगा दिनांक 04 फरवरी 2023 (शनिवार) है।
उन्होंने बताया कि कानपुर खण्ड स्नातक एवं शिक्षक विधान परिषद द्विवार्षिक निर्वाचन जनपद कापुर नगर, कानपुर देहात एवं उन्नाव में होने हैं। अतः आदर्श आचार संहिता के सुसंगत उपलब्ध तत्कालिक प्रभाव से भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश में दिये गये प्राविधानों के अनुसार उपरोक्त जनपदों में लागू हो गयी हैं।

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जलवायु परिवर्तन कर रहा है मनुष्य को प्रभावित

कानपुर 30 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज, कानपुर के मनोविज्ञान तथा भूगोल विभाग के सम्मिलित प्रयास द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाइडलाइन के अनुसार, “जलवायु परिवर्तन का मनुष्य पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव” विषय एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा ने दीप प्रज्वलन कर किया। व्याख्यान की मुख्य वक्ता महिला महाविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय से पधारी डॉ. प्रमिला तिवारी ने जलवायु परिवर्तन मानव को किस प्रकार मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर रहा है, इसका विशद वर्णन अपने व्याख्यान में किया। जिससे छात्राएं लाभान्वित हुई। इस कार्यक्रम में मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुषमा शर्मा एवं भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ संगीता सिरोही एवं सभी प्रवक्ताओं डॉ शशि बाला सिंह, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ श्वेता गोंड़, डॉ साधना सिंह समेत सभी छात्राओं की उपस्थिति सराहनीय रहा।

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भारतीय रेलवे ने माल गाड़ी के 9000 हॉर्स पॉवर के इलेक्ट्रिक इंजन के निर्माण और रख-रखाव ठेका सीमेंस इंडिया को प्रदान किया

भारतीय रेलवे ने सीमेंस, इंडिया को मालगाड़ी के 9000 हॉर्स पॉवर के इलेक्ट्रिक इंजन के निर्माण और रख-रखाव के लिए ठेका प्रदान किया है। दाहोद में रेलवे कारखाना 11 वर्षों की अवधि में 1200 उच्च हॉर्स पॉवर (9000 एचपी) के इलेक्ट्रिक इंजन का निर्माण करेगा। इस कारखाने में 1200 लोकोमोटिव का निर्माण और 35 वर्षों तक इन इंजनों का रख-रखाव किया जाएगा। करों और मूल्य भिन्नता को छोड़कर, अनुबंध का अनुमानित मूल्य लगभग 26000 करोड़ रुपये (लगभग 3.2 बिलियन अमरीकी डालर) है।

ठेका जारी होने के 30 दिनों के भीतर सीमेंस इंडिया के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। आने वाले दो वर्षों में प्रोटो-टाइप इंजन वितरित किए जाने हैं। इन इंजनों के निर्माण के लिए दाहोद इकाई दो साल की अवधि के भीतर पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। तकनीकी भागीदार के रूप में चुनी गई सीमेंस इंडिया दाहोद में इन इंजनों का निर्माण करेगी और रेलवे कर्मचारियों का उपयोग करते हुए 35 वर्षों की अवधि के लिए चार रख-रखाव डिपो – विशाखापत्तनम, रायपुर, खड़गपुर और पुणे में इन इंजनों का रख-रखाव करेंगे।

यह कारखाना उपयुक्त आर्थिक संचालक विनिर्माण के पूर्ण स्वदेशीकरण को सुनिश्चित करेंगे जो बदले में सहायक विनिर्माण इकाइयों के विकास को बढ़ावा देगा, जिससे यह सही मायने में ‘मेक इन इंडिया’ पहल के दृष्टिकोण को पूरा करेगी। इस परियोजना से दाहोद क्षेत्र का विकास भी होगा और क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

ये उच्च हॉर्स पॉवर (9000 एचपी) के इंजन भारतीय रेलवे की माल ढुलाई के लिए भविष्य के वर्कहॉर्स साबित होंगे। इन इंजनों को मुख्य रूप से पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा-डीएफसी और रेलवे के ग्रेडेड सेक्शन पर 4500 टन के डबल स्टैक कॉन्फिगरेशन में 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 200 ग्रेडिएंट में कंटेनर माल गाड़ियों को खींचने के लिए उपयोग करने की योजना है और ऐसी रेलगाड़ियों की औसत गति को मौजूदा 20-25 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़ाकर लगभग 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंचाना है। संचालन मानकों में क्वांटम जम्प से थ्रूपुट में वृद्धि होगी और लाइन क्षमता में भी वृद्धि होगी। अत्याधुनिक आईजीबीटी आधारित ईंधन तकनीक से सूसज्जित ये इंजन रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक के कारण ऊर्जा की खपत में बचत करेंगे।

इस कारखाने में निर्यात बाजार के लिए स्टैंडर्ड गेज इंजन के निर्माण और आपूर्ति का प्रावधान है।

भारतीय रेलवे ने तकनीकी साझेदार की देख-रेख में रेलवे कर्मचारियों का उपयोग करते हुए इन इंजनों के निर्माण और रखरखाव के लिए प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में एक निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से सीमेंस इंडिया का चयन किया है।

पृष्ठभूमि

तकनीकी भागीदार का चयन निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है। प्रौद्योगिकी साझेदार दाहोद में 9000 हॉर्स पॉवर इंजन के निर्माण के लिए और 35 वर्ष के डिजाइन चक्र में इंजन के रख-रखाव के लिए विशाखापत्तनम, रायपुर, खड़गपुर और पुणे में चार डिपो में रेलवे कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इन 1200 इंजनों का निर्माण 11 वर्षों में किया जाएगा। प्रौद्योगिकी साझेदार 95 प्रतिशत उपलब्धता और लोकोमोटिव के 1,50,000 किलोमीटर के बाधा-मुक्त संचालन को सुनिश्चित करेगा, इससे पहले कि गारंटीकृत प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (केपीआई) के रूप में कोई गड़बड़ी हो सकती है।

संपूर्ण बोली प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी तरीके से आयोजित की गई है और इलेक्ट्रॉनिक बोली के माध्यम से रिकॉर्ड समय में प्रदान की गई है। रेल मंत्रालय ने एक उपयुक्त तकनीकी भागीदार के चयन के लिए तकनीकी और वित्तीय बोली प्राप्त करने के लिए एकल चरण में दो पैकेट बोली प्रक्रिया आयोजित करने का निर्णय लिया था। तकनीकी भागीदार के चयन के लिए बोली आमंत्रित करने की सूचना 20 अप्रैल 2022 को जारी की गई थी। वित्तीय निविदाएँ 6 दिसंबर 2022 को खोली गई थी। निविदाओं के विस्तृत मूल्यांकन के बाद, रेल मंत्रालय ने सीमेंस इंडिया लिमिटेड को चयनित तकनीकी भागीदार घोषित किया है।

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केंद्रीय खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने टी20 विश्व कप 2022 की विजेता भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम को सम्मानित किया

मुख्य बातें:

• नेत्रहीन क्रिकेट टीम ने पिछले शनिवार को लगातार तीसरी बार नेत्रहीनों के लिए टी20 विश्व कप जीता

• युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री श्री निशीथ प्रमाणिक भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए

केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम के आगमन के बाद उन्हें सम्मानित किया। इस टीम ने पिछले शनिवार को चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु में बांग्लादेश को हराकर लगातार तीसरी बार नेत्रहीनों के लिए टी20 विश्व कप जीता।

केंद्रीय मंत्री के साथ युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री श्री निशीथ प्रमाणिक, नेत्रहीन क्रिकेट एसोसिएशन (सीएबीआई) के अध्यक्ष श्री महंतेश जीके के साथ-साथ युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के खेल विभाग, सीएबीआई और भारतीय खेल प्राधिकरण के अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

 

सभा को संबोधित करते हुए, श्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार का यह प्रयास रहा है कि हमारे सभी एथलीटों, विशेष रूप से हमारे दिव्यांग एथलीटों को सर्वश्रेष्ठ समर्थन प्रदान किया जाए। मैं टीम के सभी सदस्यों को और भी अधिक समर्थन देने और उनके रास्ते में आने वाली विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने का आश्वासन देता हूं।”

नेत्रहीन क्रिकेट टीम के परिवार के सदस्यों के समर्थन की सराहना करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, “खिलाड़ियों से जुड़े सभी परिवार के सदस्यों ने भारी समर्थन दिया है। परिवारों का समर्थन नहीं होता, तो अधिकांश खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए ऐसा नहीं कर पाते।”

 

भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम के कप्तान श्री अजय कुमार रेड्डी की टीम ने शनिवार को फाइनल में बांग्लादेश को 120 रनों से हराया। उन्होंने कहा, “केंद्रीय खेल मंत्रालय से लगातार समर्थन हमें और अधिक इरादे के साथ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। जीत के पीछे जबरदस्त मेहनत है और बहुत सारी बाधाएं। हालांकि, मैदान पर जाने के बाद, हम अपने भारतीय ध्वज के अलावा किसी और चीज के बारे में नहीं सोचते हैं। अपनी बाधाओं के बारे में भी नहीं। हमने अभी 5 विश्व कप जीते हैं और हमें और अधिक जीतने का भरोसा है।”

 

टी20 विश्व कप 2022 जीतने वाली भारतीय राष्ट्रीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम में 10 राज्यों के 17 खिलाड़ी शामिल थे। इनमें बी1 वर्ग के 6 खिलाड़ी (पूर्ण दृष्टिहीन), बी2 वर्ग के 5 खिलाड़ी (आंशिक दृष्टिहीन) और बी3 वर्ग के 6 खिलाड़ी (6 मीटर तक दृष्टि) हैं। भारतीय टीम ने 2012 और 2017 में पाकिस्तान को टी20 विश्व कप खिताब के लिए हराया था।

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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के तहत सशस्त्र बलों के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों की पेंशन में पुनरीक्षण को 01 जुलाई 2019 से मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (ओआरओपी) के तहत सशस्‍त्र बलों के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों की पेंशन में पुनरीक्षण को 01 जुलाई, 2019 से मंजूरी दे दी है। पूर्व पेंशनभोगियों की पेंशन कैलेंडर वर्ष 2018 में समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक में रक्षा बल के सेवानिवृत्त कर्मियों की न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के आधार पर फिर से निर्धारित की जाएगी।

लाभार्थी

30 जून, 2019 तक सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र बलों के कार्मिकों {01 जुलाई, 2014 से समय-पूर्व (पीएमआर) सेवानिवृत्त होने वाले को छोड़कर} को इस पुनरीक्षण के तहत कवर किया जाएगा। 25.13 लाख से अधिक (4.52 लाख से अधिक नए लाभार्थियों सहित) सशस्त्र बलों के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों को लाभ होगा। निर्धारित औसत से अधिक पेंशन पाने वालों की पेंशन को संरक्षित किया जाएगा। यह लाभ युद्ध में शहीद होने वाले सैन्य कर्मियों की विधवाओं और दिव्यांग पेंशनरों सहित पारिवारिक पेंशनरों को भी दिया जाएगा।

बकाये का भुगतान चार छमाही किस्तों में किया जाएगा। हालांकि, विशेष/उदारीकृत पारिवारिक पेंशन पाने वालों और वीरता पुरस्कार विजेताओं सहित सभी पारिवारिक पेंशनभोगियों को एक किस्त में बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा।

व्यय

पुनरीक्षण के कार्यान्वयन से 8,450 करोड़ रुपये @ 31 प्रतिशत महंगाई राहत (डीआर) का अनुमानित वार्षिक व्यय होगा। 01 जुलाई, 2019 से लेकर 31 दिसंबर, 2021 तक के बकाये की गणना 01 जुलाई, 2019 से लेकर 30 जून, 2021 की अवधि के लिए डीआर @ 17 प्रतिशत और 01 जुलाई, 2021 से लेकर 31 दिसंबर, 2021 तक की अवधि के लिए @ 31 प्रतिशत के आधार पर की गई है और यह राशि 19,316 करोड़ रुपये से अधिक है। 01 जुलाई, 2019 से लेकर 30 जून, 2022 तक कुल बकाया राशि लागू महंगाई राहत के अनुसार लगभग 23,638 करोड़ रुपये की होगी। यह व्यय ओआरओपी के मद में हो रहे व्यय के अतिरिक्त है।

01 जुलाई 2019 से ओआरओपी के तहत रैंक के अनुसार सेवा पेंशन में संभावित अनुमानित वृद्धि (रुपये में):

रैंक 01.01.2016 तक पेंशन 01.07.2019 से प्रभावी संशोधित पेंशन 01.07.2021 से प्रभावी संशोधित पेंशन 01.07.2019 से 30.06.2022 तक संभावित बकाया
सिपाही 17,699 19,726 20,394 87,000
नायक 18,427 21,101 21,930 1,14,000
हवलदार 20,066 21,782 22,294 70,000
नायब सूबेदार 24,232 26,800 27,597 1,08,000
सूबेदार मेजर 33,526 37,600 38,863 1,75,000
मेजर 61,205 68,550 70,827 3,05,000
लेफ्टिनेंट कर्नल 84,330 95,400 98,832 4,55,000
कर्नल 92,855 1,03,700 1,07,062 4,42,000
ब्रिगेडियर 96,555 1,08,800 1,12,596 5,05,000
मेजर जनरल 99,621 1,09,100 1,12,039 3,90,000
लेफ्टिनेंट जनरल 1,01,515 1,12,050 1,15,316 4,32,000

पृष्ठभूमि

सरकार ने रक्षा बलों के कार्मिकों/पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया और 01 जुलाई, 2014 से पेंशन में पुनरीक्षण के लिए 07 नवंबर, 2015 को नीति पत्र जारी किया। उक्त नीति पत्र में, यह उल्लेख किया गया था कि भविष्य में पेंशन हर पांच वर्ष में फिर से निर्धारित की जाएगी। ओआरओपी के कार्यान्वयन में आठ वर्षों में प्रति वर्ष 7,123 करोड़ रुपये की दर से लगभग 57,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

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