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दिल ने आज एक दुआ की… जा… ”तुझे भी इश्क़ हो जाये मुझ से” …

तेरा ज़िक्र .. तेरी फ़िक्र .. तेरी ही ख़ैर … इक उम्र गुजरी है मेरी
तेरी ही इबादत में ..आज .. फिर दिल ने इक दुआ भेजी है.. तेरे ही लिए ..
कि जा… ”तुझे भी इश्क़ हो जाये मुझ से” … मेरी ही तरह

दोस्तों
“कुदरत का नियम है “सिर्फ़ देना “ जो हम दे रहे हैं आज … यकीनन वापिस वही तो आयेगा …
इक वाक़या आप सब से शेयर करना चाहती हूँ …
इक औरत इक गुरू जी का प्रवचन सुनने गई ।हाल लोगों से भरा हुआ था ।गुरू जी माँ दुर्गा के भक्त थे गुरू जी ने कहा !
यहाँ इस हाल में जो सबसे ज़्यादा बिमारी से घिरा हुआ है, स्टेज पर आ जाये और दो आदमी ,इक औरत को सहारा दे कर ,स्टेज पर ले कर आये। वो औरत कहने लगी। गुरू जी मुझे गठिये का रोग है मैं चल फिर नहीं सकती।सारा शरीर मेरा जकड़ा हुआ है। स्वामी जी ने कहा ! नही ! कोई और है ..जो ज़्यादा बिमार है। इक औरत ने हाथ उठाया। कहने लगी ! गुरू जी मुझे कैंसर है । गुरू जी ने इशारा किया ,आप यहाँ स्टेज पर आ जाये औरत को स्टेज पर लाया गया। गुरू जी ने कहा। मैं अब मंत्रों का उच्चारण करूँगा ज़ोर ज़ोर से ।जब मैं जाप कर रहा हूँगा ।आप का जिसने कभी बुरा किया हो ।उनको दुया भेजते जाईये , और उनके परिवार को आशीर्वाद देते रहिये,ऐसा कहिये ,कि उनका कारोबार बढ़े ,हर तरह से उनका मंगल हो ।ऐसे ज़ोर ज़ोर से कहते रहना जब तक मेरा जाप चलेगा। गुरू जी ने मंत्र शुरू कर दिया ।आधा घंटा गुजरा ,वो औरत आँख बंद कर कुछ मुँह में बोलती जा रही थी ,फिर एक घंटा गुजरा। गुरू जी रूके कहने लगे !
मंत्र के प्रभाव से शक्ति आ तो रही है मगर आप पर असर नहीं कर रही। आप किरपा करके ऊँचे ऊँचे स्वर में बोले ,ज़ोर ज़ोर से उनके नाम ले ले कर आशीर्वाद भेजे।
वो औरत अचानक से फूट फूट कर रोने लगी। कहने लगी !
गुरू जी ये मुझ से नहीं हो पायेगा।क्योंकि उनकी वजह से मेरा कारोबार चला गया और मेरे बच्चे को उच्च शिक्षा नहीं पाई ।मेरे पति बिमार हो गये और चल बसे।आज मै दुख के कारण कैंसर से जूझ रही हूँ ।रोते रोते कहने लगी !
आप ही बताइए !
मैं कैसे उनको आशीर्वाद दे सकती हूँ ?
जब कि मेरे ज़िन्दगी को तबाह करने की वजह ही वही है।गुरू जी कहने लगे।बेटा तब तो मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर सकता।ये प्रयोग तुम पर नहीं चलेगा और मैं आप को ठीक नहीं कर सकता। आप अपनी जगह वापस जा सकती है।
इतने में जो औरत गठिये से पीड़ित थी ,बोली !
गुरू जी क्या मैं कोशिश करूँ ?
गुरू जी ने हाँ में सिर हिला दिया।तब गुरू जी ने मंत्र उच्चारण करने शुरू कर दिये और वो औरत ज़ोर ज़ोर से एक एक का नाम ,ऊँचा ऊँचा ले कर कहने लगी।आप के घर में बरकत हो ,आप सदा सुखी रहे ,आप सदा निरोगी रहे ,आप का काम.. दिन दौगुनी ,रात चौगुनी तरक़्क़ी करे ,आप के बच्चे लायक़ निकले ,आप को धन धान्य की कोई कमी न रहे और अपनी जगह से उठ खड़ी हो गई और आँखे बंद करके हाथ ऊपर उठा कर दुयाये देती जा रही थी।ऐसा सब करते करते इंक घन्टा गुज़र चुका था। मंत्र चल रहे थे पूरे हाल का वातावरण बहुत ही प्रभावशाली और दिव्यमान हो रहा था। अचानक से इक तेज सूरज की रोशनी खिड़की के ज़रिये जो उस हाल में आ रही थी ,उस औरत पर पड़ी। गुरू जी शान्त हो गये और ध्यान में चले गए और वो औरत भी आँखें बंद करके ज़मीन पर बैठ गई कुछ मिनटों के बाद गुरू जी ने आँखें खोल कर कहा !
आप अपनी जगह जा सकती है और वो औरत जिसे दो लोग सहारा दे कर स्टेज पर लाये थे वो शुक्र शुक्र करती भागती हुई अपनी सीट पर जा बैठी।
ये इक सच है ,जो किसी की ओर हम भेजते हैं अपने भावों के ज़रिये ,वही आप की तरफ़ वापस आता है।
दोस्तों
अब आप ही सोचें कि हमें क्या दूसरों को भेजना चाहिये।
कई बार लोग दूसरों को गिराने के चक्कर में काला जादू ,काला तंत्र मंत्र ….करवा देते है और ये चीज़ें असर भी कर जाती है, मगर वो आप कहाँ बच पाते है ।ये कुदरत का नियम है जो जैसा कर रहा है उसे वही मिलेगा।
सो कुछ भी करे ,कभी किसी का बुरा करने की सोचे भी नहीं और तब तो बिलकुल भी नहीं ,अगर सामने वाला इन्सान साफ़ दिल का और भगवान में आस्था रखने वाला है।
दोस्तों!
कोई पेड़ अपना फल नहीं खाता और कोई नदी अपना पानी खुद नहीं पीती ।सूरज और चाँद पूरे संसार को रोशनी दे रहे हैं फूल अपनी सुगंध खुद न ले कर सब को खुशबू देता है
यही कुदरत का नियम है।….. “देना”……
मगर बस इन्सान ऐसा हैं जो बस लेने के ही बारे में सोचता हैं ।
अपने ही बारे में सोचना कुदरत के नियम के खिलाफ है।
जो अपनों का या किसी का धन धोखे से लूटता है,वो व्यक्ति धनवान तो बन जाता है और आज के दौर में लोग उसे अमीर भी कहते है और लोगों में उसकी वाह वाह भी होने लगती है ।
बेहद अफ़सोस की बात है ।
अच्छा संस्कार ,अच्छा मन ,सेवा भाव ,उच्च आचारण जैसा व्यक्तित्व आज के दौर में कोई मायने नहीं रखता ।
लूटना केवल इक ”डाकू प्रवृति”है।
जो कोई आज किसी को लूट रहा है कल कोई और उसे लूटेगा।पता नहीं कैसे कैसे ……
जो करम वो आज कर रहा है वो तो वापस आयेगा ही ,ये तो तय है इसमें कोई भी शक नहीं ।
मगर दोस्तों !
इक मशवरा देना चाहती हूँ ।इसे मशवरा समझ लीजिए या मेरी तरफ़ से प्रार्थना 🙏
कोई कुछ भी ,कितना भी ग़लत ,कर ले आप के साथ।
आप उसे और उसके परिवार को ढेर सारी दुआयें दें, आप की दुआ कभी ज़ाया नहीं जायेगी बल्कि आप को ही चौगुनी हो कर वापस मिल जायेगी । जानती हूँ मैं ,कि ये करना आप के लिए आसान नहीं होगा मगर कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं 🙏
लेखिका स्मिता ✍️

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यूसीसी कानून या चुनावी मुद्दा….

सभी राजनीतिक दलों ने 2024 की लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है और गठबंधन की गठजोड़ जारी है। इस चुनावी जोर आजमाइश के माहौल में भाजपा ने यूनिफार्म सिविल कोड का कार्ड चल दिया है। 2019 में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था। समान नागरिक संहिता मतलब जिसका उद्देश्य हर धर्म रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों को सभी के लिए एक समान करना है।

यूं तो भारत विविधताओं वाला देश है अनेक धर्म, जातियां उनकी संस्कृति, परंपरा अलग-अलग है। ऐसे में समान कानून वाली बात लोग अपनाएंगे इसमें जरा संशय है। समान नागरिक संहिता कानून पर जब भी विवाद होता है तो यह विवाद अन्य धर्मों के बजाय हिंदू और मुस्लिम समुदाय पर आकर टिक जाता है। सबसे पहले 1835 में ब्रिटिश सरकार ने समान नागरिक संहिता पर का मुद्दा उठाया था फिर उसके बाद 1948 में अंबेडकर जी ने इसकी चर्चा की थी लेकिन समान  राय ना होने के कारण यह विवादित ही रहा। दरअसल भारत में यह मसला कानूनी नहीं रहा बल्कि सामाजिक और राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील हो गया है।
अल्पसंख्यक समुदाय इसे अपने धर्म के ऊपर हमला मान रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह सिर्फ वोटो की राजनीति है और इससे हमारे मौलिक अधिकारों का हनन होगा। वो इसे अपनी पहचान खत्म होने की साजिश बता रहे हैं। करीब – करीब सभी राजनीतिक दल यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध करते नजर आ रहे हैं। “एक देश एक कानून” का नियम लागू करना इतना आसान नहीं है वो भी तब जब हम विविधताओं वाले देश में रहते हों। जहां उनके धर्म के हिसाब से अलग-अलग कानून बने हुये है जो कि वर्षों से चले आ रहे हैं। इसे खत्म करना बहुत मुश्किल है और यह एक मुश्किल मुद्दा है।
हिंदू एक्ट के अनुसार तलाक के नियम कुछ अलग है उसी प्रकार मुसलमान जैन, ईसाई और पारसियों के भी नियम अलग-अलग है। हिंदू मैरिज एक्ट, हिंदू उत्तराधिकार कानून समेत ऐसे कई नियम हैं जो हिंदू समाज के निजी और पारिवारिक मामलों पर लागू होते हैं। 1955 में बना हुआ मैरिज एक्ट शादी और तलाक के मामलों पर लागू होता है। इसके अलावा हिंदू उत्तराधिकार एक्ट 1956 में संपत्ति के बंटवारे के नियम बताए गए हैं। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत बेटियों को भी संपत्ति में बराबर का हक दिया गया है। उन्हें बेटों के बराबर ही संपत्ति दिए जाने का प्रावधान है। इसके विपरीत भारत में रहने वाले मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ का पालन करते हैं इसमें शरीयत में दी गई मान्यता की बात कही जाती है। मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन एक्ट 1937 के के अनुसार मुसलमानों के शादी उत्तराधिकार तलाक और मेंटेनेंस को लेकर फैसले होते रहते हैं। हालांकि तीन तलाक के मामले को लेकर विवाद बढ़ा तो एक अलग ही कानून बन गया जो इसे गलत ठहराता है। यहूदी, ईसाई पारसियों के लिए भी अलग  नियम है। इन पर इंडियन सक्सेशन एक्ट लागू होता है।
यह सिर्फ तलाक से जुड़े कानून है। इन सबके अलावा उत्तराधिकार, विवाह, वसीयत अन्य में अलग-अलग कानून ईसाई पारसी आदिवासियों के अपने अलग कानून है। सिर्फ गोवा में समान नागरिक संहिता कानून पहले से ही लागू है। गोवा को संविधान का विशेष दर्जा हासिल है। गोवा में सभी धर्म और जातियों के लिए फैमिली लॉ लागू है। इसके तहत सभी धर्म जाति संप्रदाय और वर्ग से जुड़े लोगों के लिए शादी, तलाक, उत्तराधिकार, वसीयत के कानून समान है।
भाजपा ने समान नागरिक संहिता का कार्ड तब चला है जब चुनावी सरगर्मियां तेज है “मेरा बूथ सबसे मजबूत” कैंपेनिंग के तहत पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि, “क्या कोई परिवार अलग – अलग नियमों से पल सकता है? हमारा संविधान सभी के लिए समान अधिकार की गारंटी देता है।” आज के राजनीतिक माहौल में धार्मिक उन्माद हद से ज्यादा फैला हुआ है ऐसे में यह एक मुश्किल मुद्दा है जिसे अपनाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सवाल यह भी उठता है कि यदि यह चुनावी मुद्दा है तो क्या कुछ समय पश्चात यह शांत हो जाएगा और क्या इसका मकसद सिर्फ वोटो को भुनाना है? देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होगा कि नहीं ये तो आने वाला समय ही बताएगा मगर इस मुद्दे को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रियायें जरूर आनी शुरू हो गई है।

प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ : वन महोत्सव-2023 के अंतर्गत डी जी कॉलेज में किया गया वृहद् वृक्षारोपण

कानपुर संवाद सूत्र संगीता सिरोही, मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश सरकार, योगी आदित्यनाथ द्वारा ‘वन महोत्सव-2023’ हेतु निर्धारित 30 करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्य के तहत आज दिनांक 22 जुलाई, 2023 को डी जी कॉलेज, कानपुर में वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा पौधारोपण किया गया। मुख्य रूप से आंवला, गुड़हल, करीपत्ता, मीठी नीम, अशोक हारसिंगार, कनेर, चांदनी, चमेली आदि के पौधे लगाए गए। कार्यक्रम में महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्या प्रो वंदना निगम ने अपने उद्बोधन में महाविद्यालय की समस्त छात्राओं, प्राध्यापिकाओ तथा कर्मचारियों को वन महोत्सव में जनता की अधिकतम भागीदारी तथा हरित उत्तर प्रदेश के लक्ष्य को सुनिश्चित करने हेतु स्वयं तथा अपने आसपास के सभी लोगों को एक-एक पौधा जरूर लगाने तथा वृक्षों एवम् पौधों का संरक्षण करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा गया। साथ ही शासन के निर्देशानुसार वृक्षारोपण करते हुए फोटो क्लिक कर “हरितिमा वन ऐप ” पर अपलोड भी की गई । कार्यक्रम में मुख्यरूप से प्रो मुकुलिका हितकारी, प्रो पप्पी मिश्रा, प्रो अलका श्रीवास्तव, प्रो सुमन सिंह, प्रो रचना प्रकाश की उपस्थिति सराहनीय रही। इस कार्यक्रम में माली श्री शिवनाथ व श्री रामपारस समेत सभी वॉलिंटियर्स ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया।

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आवासीय योजना का लाभ ले चुके शातिर ने तथ्यों को छुपा कर पत्नी के नाम दोबारा योजना का लाभ लिया

कानपुर देहात, भारतीय स्वरूप संवाददाता, वर्षों पहले आवासीय योजना का लाभ ले चुके शातिर व्यक्ति ने अपनी पत्नी के नाम भी तथ्यों को छुपा कर आवासीय योजना का लाभ ले लिया। यह खुलासा तब हुआ जब एक शिकायती पत्र के आधार पर प्रस्तुत किये गये तथ्यों पर जाँच करने मौके पर पहुंची तीन सदस्यीय टीम की जाँच आख्या को खण्ड विकास अधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को भेजा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, विकास खण्ड डेरापुर की ग्राम पंचायत मझगवाँ के ग्राम मिर्जापुर खुर्द निवासी राजेन्द्र सिंह पुत्र इन्द्रपाल सिंह को वर्ष-1995-96 में तत्कालीन ग्राम प्रधान शिव पाल सिंह के कार्यकाल के दौरान उच्चीकृत आवासीय योजना का लाभ दिया गया था और राजेन्द्र सिंह ने स्थानीय अधिकारियों से मिलीभगत करके ग्राम सभा की भूमि गाटा संख्या 32 पर अवैध कब्जा करके उस पर बना लिया था, जोकि अनेक अभिलेखों में दर्ज है और अतिक्रमण के रूप में जारी की गई आर. सी. सहित राजेन्द्र सिंह के द्वारा दिये गये अनेक बयानों में दर्ज है।
इसके बाद मौका मिलते ही राजेन्द्र सिंह ने वर्ष 2017-18 में तत्कालीन ग्राम प्रधान राजेलाल पाल से मिली भगत करके बीडीसी सदस्य रही अपनी पत्नी शकुन्तला देवी के नाम से प्रधानमन्त्री आवासीय योजना के तहत आवास आवंटन करवा लिया और गाटा संख्या 33 में पूर्व में कब्जा की गई भूमि पर बना दिखा दिया। इसमें तत्कालीन ग्राम प्रधान राजेलाल पाल की भूमिका संदिग्ध है। शिकायत कर्ता की मानें तो राजेन्द्र का यह आवास 1995 से भी पहले से बना है, मात्र रुपया हड़पने की नियत से नया निर्माण दिखा दिया गया।
दोनों आवासों के होने के बावजूद राजेन्द्र सिंह ने ग्राम सभा की भूमि गाटा संख्या 32 में तथ्यों को छुपा कर पट्टा करवा करवाते हुए तीसरे आवास का निर्माण करवाना शुरू कर दिया और उसे भी आवासीय योजना के तहत मिली कालोनी बताना शुरू कर दिया था। इसके बाद अवैध कब्जा करने की शिकायत होने पर तीसरे निर्माण को रूकवाया गया और निर्माणाधीन मकान के पिछले हिस्से को दिखावे के लिये ही सही किन्तु उप जिला अधिकारी ने जिला अधिकारी के निर्देश पर गिरवा दिया था।
तीन-तीन कालोनी होने की शिकायत माननीय मुख्यमन्त्री के पास होने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर एक टीम गठित की गई। 14 जून 2023 टीम के सदस्य क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी राहुल वर्मा, सहायक विकास अधिकारी सतीश चन्द्र व ग्राम विकास अधिकारी मगन सिंह ने मिर्जापुर खुर्द में पहुंच कर स्थलीय जायजा लिया और अपनी जाँच आख्या खण्ड विकास अधिकारी डेरापुर को सौंपी, जिसमें पुष्टि की कि वर्ष 1995-96 में राजेन्द्र सिंह व वर्ष 2017-18 में राजेन्द्र सिंह की पत्नी शकुन्तला देवी ने आवासीय योजना का लाभ लिया। जाँच आख्या में यह लिखा गया कि वर्ष 1995-96 में आवंटित कालोनी बनी नहीं मिली।
इस बारे में शिकायत कर्ता ने बताया कि वर्ष 1995-96 में बनाई गई कालोनी आज भी है जिसे भतीजे का बता कर गुमराह किया जा रहा है क्योंकि जिसे भतीजे का मकान बताया जा रहा है वह राजेन्द्र सिंह का ही है और उसके द्वारा पूर्व में दिये गये बयानों में अपना ही बताया गया है।
शिकायतकर्ता ने बताया कि 12 जुलाई को मुख्य विकास अधिकारी से मुलाकर पूरे तथ्यों से उन्हें अवगत करा दिया है। धांधली सम्बन्धी सभी तथ्य भी दे दिये और मुख्य विकास अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि दोषियों के विद्ध कार्यवाई अवश्य की जायेगी।

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शहरी-20 (यू-20) के मेयरों के शिखर सम्मेलन का गांधीनगर में उद्घाटन

शहरी-20 (यू-20) के मेयरों के शिखर सम्मेलन का उद्घाटन 7 जुलाई को गुजरात के माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल और आवास और शहरी मामलों के राज्यमंत्री, माननीय श्री कौशल किशोर द्वारा किया गया। राज्य के शहरीकरण के सिंधु घाटी सभ्यता तक जुड़े समृद्ध इतिहास के बारे में बोलते हुए श्री पटेल ने राज्य में अमल में ले जा रहे भविष्यगामी, दूरदर्शी शहरी उपक्रमों पर प्रकाश डाला। श्री कौशल किशोर ने हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ नीतियों और कार्यक्रमों की मुख्य झलकियाँ साझा कीं, जिनमें लाइफ मिशन, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, ई-मोबिलिटी पर नीतियां और सभी के लिए आवास, स्वच्छ भारत मिशन जैसे मिशन शामिल हैं। छठे यू-20 चक्र के अध्यक्ष के रूप अहमदाबाद, जी-20 देशों के 60 से अधिक शहरों के 140 से अधिक विदेशी शहर नेताओं, 70 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं को शहरी क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और सतत शहरी विकास प्राप्त करने में बाधक चुनौतियों का समाधान करने के लिए, एक साथ लेकर आया है। शिखर सम्मेलन में 30 से अधिक शहरों के 100 से अधिक भारतीय प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।।

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव, श्री मनोज जोशी ने भारत में शहरीकरण की तेज गति के बारे में बात की, जहाँ 2050 तक शहरी आबादी मौजूदा 450 मिलियन से बढ़कर, लगभग 800 मिलियन होने की उम्मीद है। श्री जोशी ने क्षमता निर्माण की आवश्यकता और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए पर्याप्त वित्त की जरूरत को रेखांकित किया।

अहमदाबाद के माननीय महापौर, श्री किरीट कुमार जे परमार ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और यू-20 विचार-विमर्श के परिणाम- दस्तावेज विज्ञप्ति के माध्यम से टिकाऊ और न्यायसंगत शहरी विकास सुनिश्चित करने के लिये एक कार्य-उन्मुख एजेंडे की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

जी-20 के सूस शेरपा, श्री अभय ठाकुर ने शहरी उपक्रमों में निजी निवेश की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और तेजी से शहरी विकास के परिणाम जैसे किफायती आवास की कमी और बुनियादी सेवाओं तक पहुँच जैसी समस्याओं के समाधान के लिए अविलंब, अभिनव समाधानों की आवश्यकता को दोहराया। श्री ठाकुर ने समावेशी शासन और नवाचार के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के महत्त्व पर भी ज़ोर दिया।

यू-20 यू,सी,एल,जी और सी-40 शहरों के वैश्विक संयोजकों के प्रमुख अधिकारियों ने भी शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।  यूसीएलजी महासचिव, सुश्री एमिलिया सैज कैरैनशेडो ने कहा कि यू-20 विचार-विमर्श शहरों, राष्ट्रीय सरकारों और जी-20 को  नई उम्मीद दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘यू-20 केवल शिखर सम्मेलन नहीं, यह रूपांतरण की प्रक्रिया है’ उन्होंने कहा- सी-40 सिटीज के उप कार्यकारी निदेशक डॉ. केविन ऑस्टिन ने जलवायु और स्वच्छ हवा के लिए भारतीय शहरों द्वारा किए गए उपायों की सराहना की और इस बात पर ज़ोर दिया कि शहरों की सक्रिय भागीदारी के बिना जलवायु संकट का समाधान नहीं किया जा सकता है।

‘मेयोरल-समिट’ के पहले दिन अहमदाबाद क्लाइमेट एक्शन प्लान भी लॉन्च किया गया। इसे आईसीएलईआई, स्विस विकास एजेंसी और अहमदाबाद नगर निगम के सहयोग से विकसित किया गया है। योजना का उद्देश्य 2017 तक नेट-ज़ीरो  उत्सर्जन प्राप्त करना है और शहरों में बढ़ती गर्मी, बाढ़ और प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना है।

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समर्थ योजना के अंतर्गत 43 नए कार्यान्वयन भागीदार सूचीबद्ध; 75,000 लाभार्थियों को अतिरिक्त प्रशिक्षण का लक्ष्य

वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना (समर्थ) के लिए अधिकार प्राप्त समिति की आज आयोजित बैठक में, 43 नए कार्यान्वयन भागीदारों के पैनल के साथ कार्यान्वयन भागीदारों के पैनल को व्यापक बनाया गया है और कार्यबल को कौशल प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए लगभग 75,000 भागीदार लाभार्थियों को प्रशिक्षण का अतिरिक्त लक्ष्य आवंटित किया गया है। ।

लागत मानदंडों में 5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ फंडिंग पैटर्न को भी संशोधित किया गया है, जिससे इस योजना के अंतर्गत कौशल प्रदान करने वाले उद्योगों को आवश्यक अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिलेगी।

इसके साथ, वस्त्र मंत्रालय ने वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना (समर्थ) के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने के लिए 157 कपड़ा उद्योग/उद्योग संघों, 16 केंद्रीय/राज्य सरकार एजेंसियों और मंत्रालय के 3 क्षेत्रीय संगठनों के साथ साझेदारी की है।

यह योजना देश के 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की गई है और अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जन जाति (एसटी) और अन्य हाशिए पर मौजूद श्रेणियों सहित समाज के सभी वर्गों को शामिल करती है। अब तक आवंटित 4.72 लाख लाभार्थियों के कौशल लक्ष्य में से 1.88 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। योजना के अंतर्गत अब तक प्रशिक्षित लाभार्थियों में 85 प्रतिशत से अधिक महिलाएं शामिल हैं। संगठित क्षेत्र के पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षित 70 प्रतिशत से अधिक लाभार्थियों को रोज़गार प्रदान किया गया है।

समर्थ योजना वस्त्र मंत्रालय का एक मांग आधारित और रोज़गार प्रदान करने वाला प्रमुख कौशल कार्यक्रम है, जिसे कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा अपनाई गई व्यापक कौशल नीति ढांचे के अंतर्गत तैयार किया गया है।

इस योजना का उद्देश्य संगठित वस्त्र और संबंधित क्षेत्रों में नौकरियां पैदा करने में उद्योग के प्रयासों को प्रोत्साहित करना और पूरक बनाना है। प्रवेश स्तर के कौशल के अलावा, परिधान और परिधान क्षेत्रों में मौजूदा श्रमिकों की उत्पादकता में सुधार की दिशा में योजना के अंतर्गत कौशल में वृद्धि / कौशल को बढाने वाले कार्यक्रम के लिए एक विशेष प्रावधान भी संचालित किए गए हैं। समर्थ योजना हथकरघा, हस्तशिल्प, रेशम और जूट जैसे पारंपरिक वस्त्र क्षेत्रों की कौशल में वृद्धि / कौशल को बढाने की आवश्यकता को भी पूरा करता है।

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चंद्रयान-3 विश्व  के लिए एक नए चन्द्रमा  के द्वार खोलेगा-डॉ. जितेंद्र सिंह

 केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमन्त्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग तथा कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि चंद्रयान-3 विश्व के लिए नए एक चंद्रमा के द्वार खोलेगा। ईटी (इकोनॉमिक टाइम्स) गवर्नेंस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के पहले मिशन, चंद्रयान-1 ने चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं पर एक नया प्रकाश डाला था, क्योंकि यह चंद्रयान-1 ही था जो पहली बार चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति के प्रमाण लेकर दुनिया के सामने आया था। उन्होंने कहा कि अब समूचा विश्व चंद्रयान-3 को बड़ी आशा, अपेक्षा और संभावना के साथ देख रहा है और इसके साथ ही चंद्रमा तथा ब्रह्मांड की कई और नई विशेषताओं एवं रहस्यों के उजागर होने की प्रतीक्षा कर रहा है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा की ओर एक कदम और आगे बढ़ने का संकेत देने के साथ ही इस तथ्य को भी प्रदर्शित करता है कि जहां तक ​​चंद्रमा की खोज का प्रश्न है, भारत अन्य देशों से पीछे नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मिशन की अनूठी विशेषता यह है कि यह न केवल चंद्रमा से चंद्रमा का निरीक्षण करेगा, बल्कि चंद्रमा से पृथ्वी को इस प्रकार भी देखेगा, जिससे भारत विश्व के तीन या चार देशों के विशिष्ट क्लब का हिस्सा बन जाएगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की हाल की संयुक्त राज्य अमेरिका यात्रा के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत को एक समान भागीदार और सहयोगी के रूप में मानता है। उन्होंने कहा कि नासा (एनएएसए) आज भारत के अंतरिक्ष यात्रियों से आग्रह कर रहा है और आर्टेमिस समझौता, जिसमें भारत भी हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है, भारत की महान अंतरिक्ष यात्रा का प्रमाण भी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी केवल रॉकेट प्रक्षेपित (लॉन्च) करने तक ही सीमित नहीं है, वरन इसका क्षेत्रीय विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के 6 दशकों के दौरान अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की अनुप्रयोग क्षमता का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि आज, अंतरिक्ष ने मानव जीवन के सभी क्षेत्रों को छू लिया है, जिनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, आपदा चेतावनी और शमन, जलवायु परिवर्तन का अध्ययन, नेविगेशन, रक्षा तथा शासन शामिल हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अमृत काल के अगले 25 वर्षों के लिए अंतरिक्ष के माध्यम से भारत का उत्थान शुरू हो गया है और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था भविष्य में समग्र आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होगी। भारत द्वारा अब तक अन्तरिक्ष में भेजे गए 424 विदेशी उपग्रहों में से 389 प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान पिछले नौ वर्षों में प्रक्षेपित किए गए हैं। इसके अलावा, अर्जित 17 करोड 40 लाख अमेरिकी डॉलर में से 15 करोड़ 70 लाख तो पिछले नौ वर्षों में आए और इसी तरह अब तक अर्जित 25 करोड़ 60 लाख यूरो में से 22 करोड़ 30 लाख प्रधानमन्त्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 9 वर्षों के दौरान आए। एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी शिक्षा का माध्यम बन गई है और इसने भूभौतिकी, टेलीमेडिसिन जैसे विषयों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (स्पेस टेक्नोलॉजी) के द्वारा वाईफाई के माध्यम भी शिक्षा प्राप्त की जा रही है। अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि एकीकरण नया मंत्र है क्योंकि साइलो में काम करने के दिन खत्म हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर नतीजों के लिए न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ब

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साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की 600 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं विकसित करने की योजना

कोल इंडिया लिमिटेड की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक अनुषंगियों में से एक साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) अपने कारोबार का विस्तार करने और उसमें विविधता लाने तथा “नेट ज़ीरो एनर्जी” का लक्ष्य हासिल करने की रणनीति के तहत आने वाले वर्षों में 600 मेगावाट क्षमता की रूफटॉप और ग्राउंड माउंटेड सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास करेगी।” यह रणनीति सीओपी-26 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा घोषित वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने के विशाल लक्ष्य “पंचामृत” के अनुरूप है। मिनीरत्न पीएसयू एसईसीएल 1000 करोड़ रुपये से भी अधिक लागत से उपरोक्त परियोजनाओं को विकसित करने की योजना बना रही है। इनमें से कुछ परियोजनाएं आरईएससीओ (नवीकरणीय ऊर्जा सेवा कंपनी)/बीओओ (बिल्ड-ओन-ऑपरेट) मोड में कार्यान्वित की जाएंगी।

छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में फैले एसईसीएल के परिचालन क्षेत्रों में 180 मेगावाट से अधिक क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं पहले से ही विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इसने हाल ही में जोहिला, जमुना-कोटमा और कुसमुंडा क्षेत्रों में 580 किलोवाट क्षमता की रूफटॉप सौर परियोजनाएं आरंभ की हैं।

जोहिला क्षेत्र में, आरंभ की गई क्षमता लगभग 280 किलोवाट है, जो पूरी कंपनी में सबसे अधिक क्षमता वाली रूफटॉप सौर परियोजना है। प्रशासनिक भवन जीएम कार्यालय, एसईसीएल संचालित केंद्रीय विद्यालय, क्षेत्रीय अस्पताल और क्षेत्र के अतिथि गृह में सोलर पैनल लगाए गए हैं। इस परियोजना से लगभग 4,20,000 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा, जिससे बिजली व्यय में सालाना लगभग 21 लाख रुपये की बचत होगी।

कार्यान्वित की जा रही दो विशालतम सौर परियोजनाओं में से प्रत्‍येक 40 मेगावाट क्षमता की है। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के भटगांव और बिश्रामपुर क्षेत्रों में कंपनी का 40 मेगावाट क्षमता का ग्राउंड माउंटेड, ग्रिड कनेक्टेड सोलर पीवी संयंत्र विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना कार्यान्‍वयन के चरण में है और इसके इस वित्तीय वर्ष के दौरान चालू हो जाने की संभावना है। प्रबंधन मध्य प्रदेश के जोहिला क्षेत्र में 40 मेगावाट क्षमता के एक और ग्राउंड माउंटेड सौर पीवी संयंत्र की स्थापना के लिए भी एक परियोजना रिपोर्ट पर काम कर रहा है। एसईसीएल ने 4 मेगावाट क्षमता की रूफटॉप सौर परियोजना के लिए एक निविदा भी जारी की है तथा मध्य प्रदेश के सोहागपुर क्षेत्र में शारदा ओसी खदान में एक फ्लोटिंग सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की व्यवहार्यता का भी पता लगाया जा रहा है।

कोल इंडिया लिमिटेड ने अपने कार्बन फुटप्रिंट्स में कमी लाने और अधिक टिकाऊ भविष्य का रुख करने के लिए एक व्यापक योजना के अंतर्गत 2026 तक 3000 मेगावाट क्षमता की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करके नेट-जीरो स्थिति प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। हाल ही में कोल इंडिया ने अपनी छोड़ी गई खदानों के भीतर पंप स्टोरेज पावर (पीएसपी) परियोजनाओं के लिए संभावित स्थलों का पता लगाने के लिए सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) के साथ मिलकर काम किया है।

उल्‍लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2022-23 में एसईसीएल ने सीआईएल के कुल कोयला उत्पादन में लगभग एक-चौथाई का योगदान दिया। यह कोयला खनन के कार्बन फुटप्रिंट्स में कमी लाने और नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है। उपरोक्त परियोजनाओं से उत्‍पादित बिजली के साथ, कंपनी कोयला खनन और संबद्ध गतिविधियों के लिए अपनी बिजली की जरूरतों को संतुलित करने का प्रयास कर रही है।

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कानपुर आम महोत्सव 2023 मे आम की 250 से अधिक प्रजातियां की गई प्रदर्शित

कानपुर 11 जुलाई भारतीय स्वरूप संवाददाता, योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान ने महोत्सव का किया उदघाटन

आम महोत्सव 2023 मे बुलडोजर आम बना आकर्षण का केंद्र आम की 250 से अधिक प्रजातियां की गई प्रदर्शित

राजनेताओं अधिकारियों एवं नामचीन हस्तियों ने की शिरकत

 नेशनल मीडिया क्लब के कानपुर आम महोत्सव मे बुलडोजर आम की धूम रही। म्यूजिकल फाउंटेन मोतिझील मे आयोजित इस कार्यक्रम का उदघाटन योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान ने किया । राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला , राज्यमंत्री रामकेश निषाद , राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद , लोकसभा सांसद देवेंद्र सिंह भोले , महापौर प्रमिला पाण्डेय और भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल की विशेष मौजूदगी में आमों की 250 से अधिक प्रजातियों को प्रदर्शित की गयी। नेशनल मीडिया क्लब के संस्थापक रमेश अवस्थी और राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन अवस्थी के नेतृत्व में मैंगो फेस्टिवल का यह 16 वां आयोजन था। आयोजन में दशहरी से लेकर अल्फांसो, नीलम, केसर, कैसिंग्टन, चौसा, सफेदा, देसी गोला, इलाहाबादी सफेदा, मल्लिका, फजली, फजरी गोल, अम्बिका, अरु णिका, साहेब पसंद, एल्डन, कांवसाजी पटेल, बंगनपल्ली, माया, ओस्टीन, सुकुल, मछली और शहद कुप्पी सहित भारत में पाए जाने वाले आमों की लगभग 250 प्रजातियां प्रदर्शित की गई, हलाकि बुलडोजर आम की धूम रही और यह आम लोगो मे आकर्षण का केंद्र रहा। खुशनुमा मौसम में हुए इस कानपुर आम महोत्सव में लोगों ने प्रदर्शनी के अवलोकन के अलावा स्वादिष्ट व्यंजनों और आम का लुफ्त उठाया। मोतीझील म्यूजिकल फाउंटेन का परिसर आमो की मिठास का एहसास करा रहा था खुशनुमा मौसम की फिजाओं में भी आम की भीनी खुशबू थी तो लोग इस चर्चाओं में भी आम की वैरायटी थी। पार्टी के दौरान संस्कृति विभाग लखनऊ द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कलाकारों ने गीत संगीत के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस दौरान हास्य कलाकार अन्नू अवस्थी ने भी अपने निराले अंदाज में लोगों खूब हंसाया। लाफ्टर चैलेंज फेम कवि हेमंत पांडे ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से आए हुए लोगों का खूब मनोरंजन किया तो कई बार उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर भी चोट की। कवि मुकेश श्रीवास्तव ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से खूब तालियां बटोरी। इस दौरान आम के आकार का एक केक भी काटा गया । सीबू सीतापुर को बुलडोज़र आम के लिए बेस्ट मैंगो का ख़िताब मिला जबकि क़दीम नर्सरी को मोदी मैंगो के लिए सम्मानित किया गया। आईसीएआर डिपार्टमेंट लखनऊ रहमानखेड़ा को अपनी कई किस्मों के लिए सम्मानित किया गया। कैबिनेट मंत्री राकेश मुताबिक के यह महोत्सव अपने आप में अनूठा था इसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। नेशनल मीडिया क्लब के संस्थापक रमेश अवस्थी जी ने कहा कि आम महोत्सव का मकसद वर्तमान पीढ़ी आम की प्रजातियों को देख सके और उसके बारे मे ठीक से जान सके की हमारे देश मे कितने प्रकार की प्रजातियां हैं यह ऐसा फल है जो हमारे देश की पहचान है इसफल में बहुत से मिनरल्स और फायदेमंद गुण होते हैं जो सभी के लिए लाभदायक होते हैं। नेशनल मीडिया क्लब के अध्यक्ष सचिन अवस्थी के मुताबिक भारत कृषि प्रधान देश है ऐसे में आम की फसल को बढ़ावा मिलने से किसानों को फायदा होगा इसका किसानो को कैसे ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके इस पर भी इस चर्चा की गई । कानपुर आम महोत्सव में अपर पुलिस आयुक्त प्रशासन आनंद प्रकाश तिवारी, अपर पुलिस आयुक्त अपराध नीलाब्ज़ा चौधरी सहित कई अन्य अधिकारी मौजूद थे । भारतीय जनता पार्टी से विधायक अभिजीत सिंह सांगा, विधायक सुरेंद्र मैथानी, विधायक राहुल बच्चा सोनकर , दक्षिण जिला अध्यक्ष बिना आर्या पटेल , पूर्व विधायक नीरज चतुर्वेदी पूर्व विधायक रघुनंदन सिंह भदोरिया गुरविंदर सिंह छाबड़ा ने शिरकत की। समाजवादी पार्टी से विधायक अमिताभ बाजपेई , विधायक मोहम्मद हसन रूमी , सपा पार्षद दल के नेता जावेद अख्तर गुड्डू समाजवादी पार्टी के पूर्व महामंत्री अभिषेक गुप्ता मोनू , पार्षद लियाकत अली सहित बड़ी संख्या मे नेता मौजूद थे। कांग्रेस पार्टी से शहर अध्यक्ष उत्तरी नौशाद आलम मंसूरी , पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल मन्नान , कार्यवाहक अध्यक्ष कृपेश त्रिपाठी, पीसीसी सदस्य संदीप शुक्ला , वरिष्ठ कांग्रेस नेता शरद मिश्रा कांग्रेसी नेता एवं कानपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या मे राजनैतिक समाजिक हस्तियाँ मौजूद थी

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जलता मणिपुर

मणिपुर जल रहा है काफी समय से जल रहा है, लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं। दो समुदाय मैतेई और कुकी के बीच होने वाले संघर्ष का नतीजा है सुलगता मणिपुर। वहाँ भाजपा की सरकार है लेकिन वहां की सरकार ने जनता का भरोसा खो दिया है। केंद्र सरकार की लगातार चुप्पी और नजरअंदाजी ने लोगों में रोष उत्पन्न कर दिया हैं। मन की बात के प्रसारण के समय वहां की जनता ने रेडियो तोड़कर अपना क्रोध प्रदर्शित किया। पूरी मन की बात में मणिपुर के लिए एक शब्द भी नहीं कहा गया था। बड़ी बात यह है कि वहां से मंत्री, विधायकों ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा लेकिन समयाभाव के कारण प्रधानमंत्री जी मिल नहीं सके। राज्यसभा सांसद के. वेनलेलवना ने  राष्ट्रपति शासन की मांग की। इतने लंबे समय तक सरकार के चुप रहने की क्या वजह हो सकती है? क्या यह जरूरी मुद्दा नहीं था कि मणिपुर की समस्या का शीघ्रातिशीघ्र समाधान किया जाए? अनगिनत लोगों का नरसंहार हो चुका है। मणिपुर राज्य सरकार के मंत्री के घर पर हमला बोल दिया और उनके निजी गोदाम और वहां खड़ी दो गाड़ियों को आग लगा दिया गया। और तो और मणिपुर के विधायकों को अपने ही मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं रह गया है तो फिर राष्ट्रपतिशासन क्यों नहीं लागू किया जा रहा है? दो समुदाय मिलकर लगातार उत्पात मचाये हुये हैं। पृष्ठभूमि यह है कि मणिपुर में तीन समुदाय है कुकी, नागा और मैतेई। कुकी और नागा आदिवासी समुदाय है तो वहीं मैतेई आदिवासी नहीं है। मैतेई और आदिवासियों के बीच मौजूदा संघर्ष पहाड़ी बनाम मैदानी विस्तार का संघर्ष है। मैतेई मणिपुर में बहुसंख्यक समुदाय है जबकि आदिवासी समुदायों की आबादी लगभग 40% से भी कम है। नागा और कुकी जनजातियों को एसटी की सूची में शामिल किया गया है, अधिकांश मैतेई समुदाय के लोगों को ओबीसी का दर्जा प्राप्त है और उनमें से कुछ को एससी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। मैतेई समुदाय की मांग 2012 से जोर पकड़ रही है और इसे मुख्य तौर पर शैडयूल्ड ट्राइब्स डिमांड कमेटी आफ मणिपुर (STDCM)उठाती रही है। 1949 में मणिपुर के भारत में शामिल होने से पहले तक मैतेई समुदाय को जनजाति माना जाता था, भारत में मिलने के बाद यह दर्जा उनसे छिन गया। हाल ही में हाईकोर्ट में जब एसटी का दर्जा देने का मामला उठा तो दलील दी गई कि मैतेई समुदाय की पैतृक भूमि, परंपराओं, संस्कृति और भाषा की रक्षा के लिए एसटी का दर्जा दिया जाना जरूरी है।
विरोध की कई वजह हैं मगर सबसे अहम यह है कि मैतेई समुदाय का आबादी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व दोनों ही मामलों में खासा प्रभुत्व है। राज्य विधानसभा की 60 में से 40 सीटें मैतेई समुदाय से आती हैं। ऐसे में जनजातियों को डर है कि यदि मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा मिल गया तो उनके लिए रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे।
शैडयूल्ड ट्राइब्स डिमांड कमेटी आफ मणिपुर (STDCM) का कहना है कि राज्य की आबादी में मैतेई समुदाय का हिस्सा घट रहा है। 1951 में जहाँ यह कुल आबादी का  59% थे वहीं 2011
की जनगणना में ये घटकर 44% रह गये। मैतेई यह भी दावा करते हैं कि एसटी दर्जे की मांग के खिलाफ हिंसक विरोध सिर्फ एक दिखावा है। उनका वास्तविक लक्ष्य वन भूमि का सर्वेक्षण और संरक्षित क्षेत्र से अवैध अप्रवासियों को बेदखल करना है।
केंद्र सरकार चुप्पी क्यों साधे हुये है और गृहमंत्री ने इतनी देर से क्यों सुध ली? मंत्रीगणों से मिलने के बाद भी समस्या का समाधान सिफर रहा? अमित शाह के दौरे के बाद मुख्यमंत्री ने कुकी और मैतेई समुदाय से हथियार डालने की अपील की। मणिपुर में इस समय भीड़ का शासन चल रहा है और दशकों में बनाई गई संपत्तियां नष्ट हो रही है। स्थानीय अधिकारी स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं और लोगों का पलायन जारी है। काफी समय बाद अमित शाह की सर्वदलीय बैठक बुलाई लेकिन नतीजा कुछ नहीं आया। प्रधानमंत्री से मनोज मुंतशिर मिल सकते हैं लेकिन उनके अपने मंत्री और विधायक नहीं? यह कैसा दोहरापन है? इस चुप्पी के कारण मणिपुर और कितना जलेगा?

~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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