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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आईआईटी दिल्ली के 51वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नए आईआईटी स्नातकों से देश की आवश्यकताओं को पहचानने और जमीनी स्तर पर हो रहे बदलावों के साथ जुड़ने को कहा है। प्रधानमंत्री ने उनसे आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में आम लोगों की आकांक्षाओं को भी पहचाने की अपील की। प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आईआईटी दिल्ली के 51वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को आज मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे भी उपस्थित थे। सचिव, उच्च शिक्षा, श्री अमित खरे, आईआईटी दिल्ली के निदेशक श्री रामगोपाल राव और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

2000 से अधिक आईआईटी छात्रों को उनके दीक्षांत समारोह पर बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर अभियान एक मिशन है जो देश के युवाओं, टेक्नोक्रेट्स और तकनीकी-उद्यम के प्रमुखों को अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आज टेक्नोक्रेट्स के विचारों और नवाचारों को स्वतंत्र रूप से लागू करने और उन्हें आसानी से बाजार में लाने के लिए अनुकूल वातावरण बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आज का भारत अपने युवाओं को ‘कारोबार करने में आसानी’ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि वे अपने नवाचार के माध्यम से देश के करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव ला सकें। श्री मोदी ने कहा कि देश आपको ‘व्यापार करने में आसानी’ प्रदान करेगा और आप इस देश के लोगों के ‘जीवनयापन में आसानी’ लाने की दिशा में कार्य करेंगे। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में लगभग हर क्षेत्र में किए गए व्यापक सुधारों के पीछे भी यही विचार प्रक्रिया है। उन्होंने उन क्षेत्रों को भी सूचीबद्ध किया जहां सुधारों के कारण पहली बार नवाचार और नए स्टार्ट-अप के लिए अवसर बनाए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अन्य सेवा प्रदाता (ओएसपी) दिशा-निर्देशों को सरल बनाया गया है और हाल ही में हटाए गए प्रतिबंधों से बीपीओ इंडस्ट्रीज के अनुपालन के बोझ को कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि बीपीओ उद्योग को बैंक गारंटी सहित विभिन्न आवश्यकताओं से छूट दी गई है। उन्होंने कहा कि तकनीकी उद्योग को घर से कार्य या कहीं से भी कार्य करने जैसी सुविधाओं से रोकने वाले प्रावधानों को भी हटा दिया गया है। यह देश के आईटी क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा और युवा प्रतिभाओं को अधिक अवसर प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत उन देशों में शामिल है, जहां कॉर्पोरेट टैक्स सबसे कम है। स्टार्ट-अप इंडिया अभियान के बाद से भारत में 50 हजार से अधिक स्टार्टअप शुरू हो चुके हैं। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में देश में पेटेंट की संख्या में 4 गुना वृद्धि, ट्रेडमार्क पंजीकरण में 5 गुना वृद्धि जैसे स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के संबंध में सरकार के प्रयासों के परिणाम को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में 20 से अधिक भारतीय इकाइयां स्थापित की गई हैं और इस संख्या में अगले एक या दो वर्षों में और वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि आज इनक्यूबेशन से लेकर वित्तपोषण तक में स्टार्टअप की सहायता की जा रही है। स्टार्टअप्स के वित्तपोषण के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 10 हजार करोड़ रुपए के कोष के साथ कोषों का एक कोष बनाया गया है। 3 वर्षों की अवधि के अलावा, स्टार्टअप को कर छूट, स्व-प्रमाणन और आसान निकासी जैसी कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं।

प्रधानमंत्री ने आज कहा कि राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे पाइपलाइन के तहत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की योजना बनाई गई है। यह देश भर में एक अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा जो यह वर्तमान और भविष्य दोनों की जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि आज देश हर क्षेत्र में अधिकतम क्षमता हासिल करने के लिए नवीन तरीकों से कार्य कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने छात्रों को उनके कार्यस्थल के लिए चार मंत्र दिए-

गुणवत्ता पर ध्यान दें; कभी समझौता न करें।

मापनीयता सुनिश्चित करें; अपने नवाचारों का व्यापक स्तर पर उपयोग करें।

विश्वसनीयता सुनिश्चित करें; बाजार में दीर्घकालिक विश्वास का निर्माण करें।

अनुकूलनशीलता लाएं; जीवन के एक मार्ग के रूप में बदलाव और अनिश्चितता को स्वीकार करने के लिए तैयार रहें।

उन्होंने कहा कि इन मूल मंत्रों पर कार्य करने से एक पहचान के साथ-साथ ब्रांड इंडिया भी उज्जवल होगा, क्योंकि छात्र भारत के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों के कार्य से देश के उत्पाद को वैश्विक पहचान मिलेगी और देश के प्रयासों में तेजी आएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड के बाद की दुनिया काफी अलग होने जा रही है और प्रौद्योगिकी इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि वर्चुअल वस्तु-स्थिति के बारे में कभी सोचा भी नहीं गया था, लेकिन अब वर्चुअल वस्तु-स्थिति और संवर्द्धित वस्तु-स्थिति कार्य यथार्थ बन गई है। उन्होंने कहा कि छात्रों के वर्तमान बैच को सीखने और कार्यस्थल में सामने आने वाले नए मानदंडों के अनुकूल होने का लाभ है और उन्होंने छात्रों से इसका अधिक से अधिक उपयोग करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने सिखाया है कि वैश्वीकरण महत्वपूर्ण है लेकिन आत्म-निर्भरता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने हाल के दिनों में दिखाया है कि किस तरह से प्रौद्योगिकी शासन को अत्यंत गरीबों तक पहुंचने के लिए सबसे शक्तिशाली साधन हो सकती है। उन्होंने सरकार की उन योजनाओं जैसे शौचालय निर्माण, गैस कनेक्शन आदि को सूचीबद्ध किया जिनके माध्यम से अत्यंत गरीबों तक भी अपनी पहुंच बनाई गई। उन्होंने कहा कि देश सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी में तेजी से प्रगति कर रहा है और आम नागरिकों के जीवन को आसान बना रहा है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ने अंतिम छोर तक वितरण को कुशल बनाया है और भ्रष्टाचार के दायरे को कम किया है। डिजिटल लेन-देन के मामले में भी, भारत दुनिया के कई देशों से बहुत आगे है और यहां तक कि विकसित देश भी यूपीआई जैसे भारतीय प्लेटफार्मों को अपनाना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी स्वामित्व योजना में एक बड़ी भूमिका निभा रही है जिसका हाल ही में शुभारंभ किया गया था। इसके तहत पहली बार आवासीय और जमीन जायदाद की मैपिंग की जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले यह काम मैन्युअल रूप से किया जाता था और इस प्रकार संदेह और आशंकाएं भी स्वाभाविक थीं। आज, ड्रोन तकनीक का उपयोग करते हुए, यह मानचित्रण किया जा रहा है और ग्रामीण भी इससे पूरी तरह से संतुष्ट हैं। इससे पता चलता है कि भारत के सामान्य नागरिकों को तकनीक पर कितना भरोसा है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी आपदा प्रबंधन के पश्चात, भूजल स्तर बनाए रखने, टेलीमेडिसिन तकनीक और रिमोट सर्जरी, बिग डेटा विश्लेषण आदि जैसी चुनौतियों में समाधान प्रदान कर सकती है।

उन्होंने छात्रों की असाधारण क्षमताओं की प्रशंसा की क्योंकि उन्होंने कम आयु में ही सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक को उत्तीर्ण किया है। इसी के साथ प्रधानमंत्री ने उन्हें अपनी क्षमता को और बढ़ाने के लिए लचीला और विनम्र बनने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि लचीलेपन से उनका अभिप्राय किसी भी स्तर पर अपनी पहचान न छोड़ते हुए एक टीम वर्क के रूप में कार्य करने से कभी नहीं हिचकिचाना और विनम्रता से, उनका अभिप्राय किसी की सफलता और उपलब्धियों पर गर्व करते हुए स्वयं को अहंकार से परे रखते हुए जमीन से जुड़े रहने से है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दीक्षांत समारोह के लिए छात्रों के माता-पिता, मार्गदर्शक और संकाय को भी शुभकामनाएं दी। उन्होंने आईआईटी दिल्ली के हीरक जयंती समारोह को भी अपनी शुभकामनाएं देते हुए उन्हें इस दशक में संस्थान द्वारा दिए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलता की कामना की।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री पोखरियाल ने कहा कि आईआईटी न सिर्फ राष्ट्रीय महत्व के संस्थान हैं बल्कि ये संस्थान वैश्विक मंच पर हमारे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। उन्होंने कहा कि सहयोगी आईआईटी संस्थानों के साथ आईआईटी दिल्ली ने अतीत में असाधारण प्रदर्शन किया, चाहे वह शोध के क्षेत्र में हो या अकादमिक उत्कृष्टता में। क्यूएस रैंकिंग में आईआईटी दिल्ली ने इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी विषय में विश्व में 47वीं रैंक हासिल की है और समग्र रैंकिंग में, आईआईटी दिल्ली दुनिया के 200 शीर्ष संस्थानों में शामिल है। इससे पता चलता है कि आईआईटी इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी विषयों में बहुत अच्छा कर रही है, उनके लिए अपनी समग्र रैंकिंग में सुधार करने के लिए, उन्हें अपनी शैक्षणिक पेशकश को व्यापक करने की आवश्यकता है। यही वो बात है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी संस्थानों के संदर्भ में सुझाती है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के समय में, इस संस्थान ने राष्ट्र की सेवा में तत्परता दिखाई और समाज के बड़े तबके की मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचारों को प्रस्तुत किया। केन्द्रीय मंत्री ने इस साल की शुरुआत में आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित सबसे सस्ती कोविड-19 वायरस परीक्षण किट लॉन्च करने की खुशी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि कम लागत वाली आरटी-पीसीआर परीक्षण किट ने देश में आरटी-पीसीआर परीक्षणों की कीमतों में कमी लाने में मदद की। उन्होंने यह भी बताया कि आईआईटी दिल्ली द्वारा पोषित स्टार्टअप पहले ही 4.5 मिलियन से अधिक गुणवत्ता युक्त पीपीई की आपूर्ति कर चुका हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आईआईटी दिल्ली के शोध ने, अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोध प्रकाशनों के माध्यम से, वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में अश्वगंधा जैसी भारतीय पारंपरिक दवाओं की प्रभावशीलता के बारे में वैज्ञानिक रूप से बताया है और संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा उद्योग, अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी व सरकारी एजेंसियों के सहयोग से कोविड-19 से संबंधित अन्य अनुसंधान गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। श्री पोखरियाल ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि संस्थान ने अनुसंधान सहयोग के लिए उद्योग के साथ जुड़ने की पहल की है। परिणामस्वरूप, पिछले 5 वर्षों में संस्थान ने 13 प्रायोजित उत्कृष्टता केंद्र खोले हैं। उन्होंने कहा कि उत्कृष्टता केंद्र का लक्ष्य एक विशेष क्षेत्र पर केंद्रित शोध परिणाम है।

केन्द्रीय मंत्री ने इस बात को भी रेखांकित किया कि दुनिया ने सरकार द्वारा जारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रशंसा की है। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि आईआईटी दिल्ली ने शिक्षा और अनुसंधान के मार्चे पर विभिन्न पहलों के जरिये संस्थानिक स्तर पर कार्यान्वयन के पहलुओं के बारे में पहले ही चर्चा शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान विशेषज्ञता संबंधी पेशकश और छात्रों के बीच अधिक विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

श्री पोखरियाल ने 2000 स्नातक छात्रों को उनकी कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और शैक्षणिक एवं अनुसंधान संबंधी उत्कृष्टता के लिए बधाई दी जो वास्तव में उनकी संबंधित डिग्री प्रोग्राम को पूरा के लिए आवश्यक थे। उन्होंने कहा कि आज से एक नया अध्याय शुरू होता है जिसमें समय की कसौटी पर खरा उतरना होगा और भविष्य में छात्रों को ‘गुरु-दक्षिणा’ की पेशकश के लिए एक दिन अपने मातृ-संस्थान में वापस आना चाहिए। मंत्री ने सभी छात्रों से राष्ट्र निर्माण की पहल में योगदान देने की अपील की क्योंकि हम मानव पूंजी के मामले में दुनिया में सबसे बड़ा राष्ट्र हैं, और हमें 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में अपने प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करने की दिशा में काम करना चाहिए। यह तभी संभव है जब हम अपने ज्ञान को संपत्ति में रूपांतरित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं से देश को बहुत उम्मीदें हैं।

दीक्षांत समारोह के अवसर पर श्री पोखरियाल ने eVIDYA@IITD- इनेबलिंग वर्चुअल एंड इंटरेक्टिव-लर्निंग फॉर ड्राइविंग यूथ एडवांसमेंट को लॉन्च किया। इस पहल के तहत आईआईटी दिल्ली द्वारा भारत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों के लिए इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, विज्ञान, मानविकी और प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में ऑनलाइन सर्टिफिकेट प्रोग्राम पेश किए जाएंगे। eVIDYA@IITD उद्योग, समाज और व्यक्तिगत प्रतिभागियों की जरूरतों को पूरा करेगा।

समारोह को संबोधित करते हुए श्री धोत्रे ने कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आने का यह दिलचस्प समय है क्योंकि डीप लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, रोबोटिक्स, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी जैसी नई तकनीकें युवाओं के लिए नए रास्ते खोल रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पिछली पीढ़ी द्वारा शुरू किया गया काम अभी तक खत्म नहीं हुआ है और मानवता की कुछ समस्याएं हल हो गई हैं, लेकिन कुछ अभी भी बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि हमें अनसुलझी समस्याओं को सुलझाने के लिए और कृषि को टिकाऊ बनाकर किसानों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों का समाधान करने के लिए, स्वच्छ हवा, पानी और मिट्टी को वापस पाने के लिए, पानी और ऊर्जा सुरक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करें और पर्यावरण की रक्षा करें।

श्री धोत्रे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में शुरू हुए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने नवाचारों की एक लहर ला दी है। उन्होंने कहा कि आईआईटी प्रणाली से युवा प्रौद्योगिकिविदों ने स्टार्टअप के माध्यम से क्रांति ला दी है और इनमें से कई ने उन्हें यूनिकॉर्न में विकसित किया है।

इस अवसर पर प्रो. वी. रामगोपाल राव ने निदेशक की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा “पिछले 5 वर्षों में आईआईटी दिल्ली के शिक्षकों और छात्रों ने 10,000 से ज्यादा उच्च गुणवत्ता वाले शोध– पत्र लिखे हैं, 500 से अधिक पेटेंट दायर किए हैं, लगभग 150 उद्योग परियोजनाओं को निष्पादित किया है और दुनियाभर से प्रतिस्पर्धी अनुदानों से 1300 करोड़ रुपये से अधिक का अनुसंधान कोष प्राप्त किया। हमने पिछले 5 वर्षों में पूर्व छात्रों, उद्योगों और सरकारी एजेंसियों की फंडिंग से 18 नये उत्कृष्ट केंद्र भी बनाए हैं। ये संख्या संस्थान की स्थापना के बाद से किसी भी पिछले 5 वर्ष की अवधि की तुलना में कहीं भी दोगुना से चार गुना अधिक है। साथ ही पिछले एक वर्ष में संस्थान को पूर्व छात्रों से मिले दान पिछले 55 वर्षों में मिले कुल दान से अधिक है। हम अपने सभी पूर्व छात्रों, उद्योगों और अन्य फंडिंग एजेंसियों को हम पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद देते हैं।”

इस दीक्षांत समारोह को संस्थान के डोगरा हॉल में सीमित लोगों की उपस्थित के साथ एक हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया और इसके ऑनलाइन वेबकास्ट की पहुंच सभी स्नातक छात्रों, उनके माता-पिता, प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों, आमंत्रित अतिथियों और अन्य सभी लोगों तक थी।

इस दीक्षांत समारोह में स्नातक करने वाले छात्रों को संस्थान ने राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक, निदेशक का स्वर्ण पदक, डॉ. शंकर दयाल शर्मा (भारत के पूर्व राष्ट्रपति) स्वर्ण पदक, परफेक्ट 10 गोल्ड मेडल और संस्थान रजत पदक से सम्मानित किया। राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक श्री दीपांशु जिंदल, कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग में बी.टेक; निदेशक का स्वर्ण पदक सुश्री आशी अग्रवाल, टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी में बी.टेक और डॉ. शंकर दयाल शर्मा (भारत के पूर्व राष्ट्रपति) स्वर्ण पदक सुश्री मुस्कान कुलारिया, अप्लाइड ऑप्टिक्स में एम.टेक के लिए दिया गया। राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक एक ऐसे छात्र को दिया जाता है जो उच्चतम शैक्षणिक उपलब्धि/सीजीपीए के लिए सभी स्नातक छात्रों में अव्वल हो। निदेशक का स्वर्ण पदक स्नातक छात्र को अकादमिक के साथ-साथ पढ़ाई से इतर गतिविधियों में उसके द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों के लिए दिया जाता है।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (भारत के पूर्व राष्ट्रपति) स्वर्ण पदक उस स्नातकोत्तर छात्र को दिया जाता है, जिसे सभी एम.टेक छात्रों के बीच सामान्य दक्षता, जिसमें चरित्र एवं आचरण, शैक्षणिक प्रदर्शन में उत्कृष्टता, पढ़ाई से इतर गतिविधियों और समाज सेवा शामिल है, के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

परफेक्ट 10 गोल्ड मेडल उस स्नातकोत्तर छात्र को दिया जाता है जिसने 10 में से 10 सीजीपीए हासिल किया हो। संस्थान रजत पदक संबंधित प्रोग्राम में सबसे ज्यादा सीजीपीए हासिल करने वाले स्नातक छात्र को दिया जाता है।

51वें दीक्षांत समारोह में, आईआईटी दिल्ली ने अपने सम्मानित पूर्व छात्रों को भी एलुमिनी अवॉर्ड 2020 से सम्मानित किया। आईआईटी दिल्ली के पांच पूर्व छात्रों को ‘प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार’ और एक पूर्व छात्र को ‘प्रतिष्ठित पूर्व छात्र सेवा पुरस्कार’ तथा दो पूर्व छात्रों को ‘पिछले दशक का स्नातक’ (गोल्ड) पुरस्कार दिया गया।

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निवेश के लिए भारत और यूएई के बीच 8वीं उच्च स्तरीय बैठक हुई

भारत और यूएई के बीच निवेश बढ़ाने के लिए आठवीं उच्च स्तरीय बैठक (संयुक्त कार्यदल) भारत द्वारा आयोजित की गई। कोविड-19 महामारी को देखते हुए यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित की गई।

इस बैठक की सह-अध्यक्षता रेल, वाणिज्य और उद्योग एवं उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मंत्री पीयूष गोयल ने की। बैठक में अमीरात की आबूधाबी के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य और शाही सदस्य शेख अहम बिन जायद अल नाहयान ने यूएई का प्रतिनिधित्व किया। बैठक में दोनों देश के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए संयुक्त कार्यदल का गठन 2012 में किया गया। इस कार्यदल की सफलता का ही परिणाम था कि जनवरी 2017 में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने समग्र रणीनितक साझेदारी का समझौता किया।

इस मौके पर दोनों देशों के प्रतिनिधि संयुक्त कार्यदल के प्रयासों से संतुष्ट नजर आए और उन्होंने अभी तक द्विपक्षीय व्यापार और निवेश की प्रगति की सराहना भी की है। इसके अलावा दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए है कि आने वाले समय में उन क्षेत्रों की पहचान करेंगे, जिससे आर्थिक विकास को नई गति मिले। साथ ही रिश्ते मजबूत करने के लिए वार्ता का दौर भी जारी रखेंगे। जिससे संयुक्त कार्य दल के परिणाम और बेहतर सामने आए।

संयुक्त कार्यदल की पिछली बैठक में कोविड-19 की चुनौती में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए थे कि आपसी हितों को देखते हुए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए निवेश और सहयोग बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इन्ही लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए भारत द्वारा एक प्रजेंटेशन भी आठवीं बैठक के लिए तैयार किया गया था।

इस मौके पर भारत और यूएई ने व्यापार और आर्थिक समझौतों को विस्तार देने के बीच आ रही अड़चनों पर भी चर्चा की है। इसके तहत एंटी डंपिंग शुल्क, टैरिफ और नियामक प्रतिबंध जैसी अड़चनों पर दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने भी बातचीत की है। इन अड़चनों को दूर करने के लिए दोनों देश इस बात पर सहमत हुए है कि दोनों देश आपसी सहमति बनाने के लिए लगातार प्रयास करेंगे। और इन मुद्दों को प्राथमिकता के साथ दूर करने की कोशिश करेंगे। जिससे दोनों को फायदा पहुंचे।

इस बीच यूएई ने उन सेक्टर की पहचान की है, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने में कारगर साबित होंगे।

दोनों देशों ने 2018 में बनाई गई यूएई स्पेशल डेस्क और फॉस्ट ट्रैक मैकेनिज्म की भी समीक्षा की है। इन दोनों कदमों का उद्देश्य भारत में यूएई निवेश बढ़ाने और निवेशकों को समस्याओं को दूर करना है। इस दिशा में दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की भी बात की है।

सिविल एविशन क्षेत्र (नागरिक उड्डयन क्षेत्र) को अहम क्षेत्र मानते हुए दोनों देशों ने आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने पर सहमति जताई है। दोनों देशों के नागरिक उड्डयन नियामक इस दिशा में प्राथमिकता के साथ काम करेंगे। इसके जरिए एयरपोर्ट ट्रांसपोर्टेशन दोनों देशों के बीच आसान करना एक अहम उद्देश्य होगा।

इस मौके पर भारत में निवेश के लिए यूएई द्वारा बनाए गए फंड की भी चर्चा की गई। जिसकी सेबी द्वारा बनाए गए फॉरेन पोर्टफोलिओ इन्वेस्टर रेग्युलेशन-2019 के आधार पर समीक्षा भी की गई। इसके तहत भारत सरकार इस बात पर सहमत हुई है कि यूएई आधारित फंड के जरिए आने वाला निवेश सीधे तौर पर हो सके, इसके लिए भारत जरूरी कदम उठाने की दिशा में काम करेगा। जिससे कि दोनों पक्षों के हित पूरे हो सकें।

इन मुद्दों के अलावा दोनों देशों ने स्वास्थ्य सेवाओं, फॉर्मास्युटिकल, मोबिलिटी और लॉजिस्टिक, खाद्य और कृषि, ऊर्जा, उपयोगी सेवाएं सहित दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई है।

कार्यदल की आठवीं बैठक के बारे में रेल मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा “भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच साझेदारी बढ़ाने में संयुक्त कार्यदल एक अहम भूमिका निभा रहा है। भारत तेजी से विकास कर रहा है और उसकी अर्थव्यवस्था में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर विकास की असीम संभावनाएं हैं। यूएई लगातार भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार निवेश करता रहा है। और भारत के विकास का अहम साझेदार रहा है। भारत हमेशा से यूएई के निवेश को उच्च प्राथमिकता देता है और वहां के निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के अहम कदम उठाता है।”

बैठक के समापन पर अमीरात की आबूधाबी के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य और शाही सदस्य शेख अहम बिन जायद अल नाहयान ने कहा “भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच आर्थिक रिश्तों को अहम स्थान दिलाने में पिछला दशक काफी महत्वपूर्ण रहा है। मेरा मानना है कि पिछले 8 वर्षों में कार्यदल के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज दोनों देशों के रिश्ते इतने मजबूत हैं। हालांकि पिछले कुछ महीने हमारे लिए चुनौतीपूर्ण रहे है। आज हमने एक महत्वाकांक्षी एजेंडा बनाया है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को अगले स्तर पर ले जाना है। मुझे पूरा भरोसा है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश आने वाले वर्षों में एक बार फिर से नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।”

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एस एन सेन बी. वी. पी जी कॉलेज कानपुर में सरदार पटेल जयंती के उपलक्ष् में एकता दिवस कार्यक्रम का आयोजन

कानपुर 31 अक्टूबर एस.एन.सेन बी.वी.पी.जी.कॉलेज के शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती के अवसर पर एकता दिवस कार्यक्रम के उपलक्ष में सरदार वल्लभ भाई पटेल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्याख्यान का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का आरंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ । इसके पश्चात संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल, मुख्य अतिथि डॉ लकी चतुर्वेदी वाजपेई एवं कार्यक्रम संयोजिका डॉ चित्रा सिंह तोमर ने दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का औपचारिक आरंभ किया। इस उपलक्ष्य में शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा ‘एकत्वम्’ थीम पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसके निर्णायक मंडल में डॉ. वर्षा खानवलकर एवं डॉ.अलका टंडन रही। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्राचार्य ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। इसके पश्चात मुख्य अतिथि ने अपना संबोधन दिया, मुख्य अतिथि ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन से छात्राओं को प्रेरणा ग्रहण करने के लिए उनके जीवन वृतांत सुनाए। इसके पश्चात पोस्टर प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा की गई, जिसमें वैष्णवी प्रथम, प्रतिमा द्वितीय एवं पल्लवी तृतीय स्थान पर रहे। अंत में कार्यक्रम संयोजिका डॉ चित्रा सिंह तोमर ने धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम के औपचारिक समापन की घोषणा की। कार्यक्रम संचालन डॉ.निशा सिंह ने किया।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने केवड़िया में सरदार पटेल प्राणी उद्यान और जिओडेसिक एवरी डोम का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने केवड़िया में सरदार पटेल प्राणी उद्यान और जिओडेसिक एवरी डोम का उद्घाटन किया। उन्होंने केवड़िया में एकीकृत विकास योजनाओं के अंतर्गत 17 परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की और 4 नई परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इन योजनाओं में नेविगेशन चैनल, नया गोरा सेतु, गरुड़ेश्वर बांध सरकारी कर्मियों के लिए आवास, बस बे टर्मिनस, एकता पौधशाला, खलवानी पर्यावरण अनुकूल पर्यटन और जनजातीय गृह आवास शामिल हैं। उन्होंने इस अवसर पर स्टेचू ऑफ यूनिटी के लिए एकता क्रूज़ सेवा को भी झंडी दिखाकर रवाना किया।

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मंडलायुक्त ने जाजमऊ के चमड़ा निर्यात इकाइयों का निरीक्षण किया

आज कमिशनर कानपुर ने चमड़ा निर्यात इकाइयों, ओल्ड कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) और जाजमऊ में नए निर्माणाधीन सीईटीपी का भ्रमण किया । भ्रमण के मुख्य बिंदु हैं:

1) इस भ्रमण में मुख्य अभियंता जल निगम, SE जल निगम, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, चमड़ा उद्योग असोसीएशन के प्रतिनिधि और अन्य लोग शामिल थे।

2) आयुक्त ने चमड़ा निर्यात इकाइयों के कामकाज और मुद्दों को समझने के उद्देश्य से जाजमऊ में चमड़ा निर्यात इकाई का दौरा किया।
कमिश्नर ने यूनिट की पूरी प्रक्रिया को स्टेज बाई स्टेज समझने का प्रयास किया।

3) उद्योग संघ ने आयुक्त को बताया कि पिछले वर्ष निर्यात ₹ 38 हजार करोड़ थी। लेकिन इस साल COVID की वजह से उत्पादन पिछले साल के लगभग एक तिहाई तक कम हो गया है।

4) उद्योग संघ ने आयुक्त को अवगत कराया कि चमड़ा उद्योगों के संचालन की रोस्टर प्रणाली समस्याएं पैदा कर रही है क्योंकि उनका उत्पादन मूल उत्पादन के एक चौथाई तक कम हो गया है। उन्होंने सरकार और विभाग से अनुरोध किया कि वे इस पर ध्यान दें और चमड़ा निर्यात उद्योग के हित में इसे रिलैक्स करने पर विचार करे।

उद्योग संघ ने जाजमऊ के इस औद्योगिक क्षेत्र में एक समर्पित अग्निशमन केंद्र के लिए अपनी मांग भी रखी। वर्तमान में निकटतम फायर स्टेशन जाजमऊ से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

कमिश्नर ने जल निगम, जेडी इंडस्ट्रीज, नगर निगम, अग्निशमन विभाग, जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि जाजमऊ औद्योगिक क्षेत्र के लिए समर्पित फायर स्टेशन की स्थापना के लिए उपयुक्त स्थान / भूमि को अगले एक महीने में चिन्हित करने का काम करने और प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए ताकि प्रस्ताव शासन को अनुमोदन हेतु भेजा जा सके।

5) कमिश्नर ने जाजमऊ में ओल्ड कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया। इस संयंत्र में 36 MLD की क्षमता है और औद्योगिक और घरेलू लिक्विड वेस्ट के संयुक्त प्रवाह के ट्रीटमेंट के लिए काम करता है। आज की तारीख में उद्योग प्रवाह लगभग 9 से 10 MLD है और घरेलू सीवेज लगभग 25 से 26 MLD है।

उद्योग संघ, प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों और जल निगम के अधिकारियों ने आयुक्त को अवगत कराया कि चमड़ा उद्योग द्वारा “रनिंग एंड मेंट्नेन्स चार्जेज़” के लिए जल निगम को दिए जाने वाले शुल्क का भुगतान, CETP का संचालन और रखरखाव के लिए डीएम की अध्यक्षता में समिति में निस्तारण की प्रक्रिया में है। इस सम्बंध में DM की अध्यक्षता में एक बैठक हो चुकी है और जल्द ही समस्या का निदान किया जाएगा।

6) कमिश्नर ने जाजमऊ में 20 MLD न्यू अंडर कंस्ट्रक्शन कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट का भी दौरा किया, जो लेदर इंडस्ट्रीज के एफ्लुएंट के लिए समर्पित रूप से काम करेगा।

यह परियोजना पिछले 2 वर्षों से निर्माणाधीन है, लेकिन विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में विलंब के कारण और COVID लॉकडाउन के कारण, परियोजना में देरी हो गई। अब तक भौतिक प्रगति केवल 5% के आसपास है।

अब परियोजना के पूरा होने के लिए संशोधित समय सीमा , राष्ट्रीय मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) की आगामी बैठक में तय किया जाएगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय और NGT द्वारा इस परियोजना की निगरानी इसके गुणात्मक और समय पर पूरा होने के लिए की जा रही है।

कमिश्नर ने नमनी गंगे की टीम को कानपुर के चमड़ा उद्योगों के लिए समर्पित और उच्च तकनीकी युक्त कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण समय पर सुनिश्चित करने के लिए तत्काल revised timelines बनाने और इसमें तेजी लाने का निर्देश दिया।

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प्रधानमंत्री ने प्रमुख तेल और गैस कंपनियों के सीईओ के साथ बातचीत की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नीति आयोग तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में प्रमुख तेल और गैस कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ बातचीत की।

बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा मानव विकास के केंद्र में है, इसीलिये ऊर्जा क्षेत्र के बारे में बातचीत करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों को स्वच्छ, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा की एक समान पहुँच प्रदान करना सरकार की नीति के मूल में है। इसके लिए देश ने एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है।

उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि भारत में निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार कई नीतिगत कदम उठा रही है। श्री मोदी ने कहा कि भारत में ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के जबर्दस्त अवसर हैं। भारत में अब खोज और उत्पादन परियोजनाओं में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-एफडीआई की अनुमति है, और सार्वजनिक क्षेत्र में स्वचालित मार्ग से शोधन के लिये 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि ये सुधार ऊर्जा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक गैस ग्रिड’ का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए देश भर में गैस पाइपलाइन का नेटवर्क विकसित किया जा रहा है। उन्होंने खाना पकाने और परिवहन के लिये स्वच्छ ईंधन की आपूर्ति में सहायता के लिए शहरों के गैस वितरण नेटवर्क के विस्तार के प्रयासों के बारे में भी बातचीत की। उन्होंने प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत रसायनों और पेट्रो-रसायन निर्माण और निर्यात का एक केंद्र बनने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवीय आवश्यकताओं और आकांक्षाओं का प्राकृतिक परिवेश के साथ संघर्ष नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि भारत मानव सशक्तिकरण और पर्यावरण की देखभाल दोनों में बराबर विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि देश इथेनॉल, दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल, संपीड़ित जैविक गैस और जैविक डीजल के उपयोग के माध्यम से ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करने की दिशा में काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सतत विकास के दर्शन के आधार पर, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे नए संस्थानों के पोषण के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि ‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ हमारा लक्ष्य है। भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और म्यांमार के साथ ऊर्जा सहभागिता को मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का तेजी से बढ़ता हुआ ऊर्जा क्षेत्र निवेशकों के लिए इस क्षेत्र में निवेश के जबर्दस्त अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने वैश्विक उद्योगों को भारत की प्रगति में भागीदार बनने और भारत में ऊर्जा के सभी रूपों के उत्पादन को बढ़ाकर समृद्धि को साझा करने के लिए आमंत्रित किया।

इस कार्यक्रम में तेल और गैस क्षेत्र से लगभग 40 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने भाग लिया। इसमें लगभग 28 नेताओं ने प्रधानमंत्री के सामने अपने विचार प्रस्तुत किए। अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संयुक्त अरब अमीरात के उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. सुल्तान अहमद अल जाबेर; क़तर के ऊर्जा मामलों के राज्य मंत्री, उपाध्यक्ष और प्रमुख, श्री साद शेरिदा अल-काबी; ओपेक के महासचिव श्री मोहम्मद सानुसी बरकिंडो; आईईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. फेथ बिरोल; जीईसीएफ के यूरी सेंटुरिन; और आईएचएस मार्किट यूनाइटेड किंगडम के उपाध्यक्ष, डॉ. डैनियल येरगिन जैसे प्रमुख हितधारकों ने ऊर्जा क्षेत्र के बारे में अपने विचार साझा किए। बैठक में रोज़नेफ्ट, बीपी, टोटल, ल्योंडेल बासेल, टेल्यूरियन, शालम्बरगर, बेकर ह्यूजेस, जेरा, एमर्सन और एक्स-कोल सहित प्रमुख तेल और गैस कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने भाग लिया।

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केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र में 100 कुम्हार परिवारों को बिजली चालित चाक वितरित किए

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कुम्हारों के सशक्तिकरण की दिशा में खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा शुरू की गई कुम्हार सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से महाराष्ट्र के नांदेड़ और परभणी जिलों में 100 कुम्हार परिवारों को बिजली से चलने वाले चाक वितरित किए। इन कुम्हारों को केवीआईसी में इस चाक से मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए 10 दिनों का प्रशिक्षण भी दिया गया है।

जिन कुम्हारों को यह चाक वितरित किए गए हैं वह 15 गांवों से सम्बन्धित हैं, जिनमें से 10 गांव नांदेड़ से और 5 गांव परभणी ज़िले से हैं। बिजली चालित चाक वितरित किए जाने से कुम्हार समुदाय के कम से 400 सदस्य लाभान्वित होंगे क्योंकि इससे ना सिर्फ कुम्हारों की उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि होगी, जो कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का सपना है।

श्री गडकरी ने केवीआईसी की कुम्हार सशक्तिकरण योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आज़ादी के बाद पहला अवसर है जब देश के कुम्हारों की आजीविका को बेहतर करने और उन्हें सशक्त करने के लिए कोई विशेष पहल की गई है। उपेक्षित कुम्हार समुदाय को सशक्त कर मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को लुप्त होने से बचाना प्रधानमंत्री मोदी का सपना है। श्री गडकरी ने कहा कि कुम्हार सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत उत्पादन से जुड़े आधुनिक उपकरण और इससे उत्पादन हेतु व्यवस्थित प्रशिक्षण से कुम्हारों की आय में कई गुना की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इस योजना को आने वाले समय में महाराष्ट्र के अन्य सुदूरवर्ती क्षेत्रों और अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कुछ कारीगरों से बात की, जिन्होंने सरकार द्वारा उन्हें उपलब्ध कराई गई इस सहायता पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बिजली चालित चाक की मदद से उनकी उत्पादकता बढ़ी है और आय में 3-4 गुना की वृद्धि हुई है।

केवीआईसी अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना भी इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि देश भर में अब तक 18,000 से अधिक बिजली चालित चाक वितरित किए जा चुके हैं जिससे कुमार समुदाय के लगभग 80,000 लोग लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुम्हार सशक्तिकरण योजना के चलते कुम्हारों की आय 3000 रुपये प्रति माह से बढ़कर लगभग 10,000 रुपये प्रति माह तक पहुंच गई है। केवीआईसी अध्यक्ष ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के प्रत्येक कुम्हार को सशक्त करना है और केवीआईसी इस लक्ष्य को हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

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पीसीपीएनडीटी एवं बाल विवाह रोकथाम हेतु महिला कल्याण विभाग कानपुर द्वारा ऑनलाइन अभिमुखीकरण का आयोजन

29 अक्टूबर कानपुर, को पीसीपीएनडीटी एवं बाल विवाह रोकथाम हेतु महिला कल्याण विभाग कानपुर नगर द्वारा ऑनलाइन अभिमुखीकरण का आयोजन किया गया | जिसमें कुल 156 लोगों ने प्रतिभाग किया मुख्य रूप से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव श्री ऐश्वर्या प्रताप सिंह, डिप्टी डायरेक्टर कानपुर मंडल wcd श्रीमती श्रुति शुक्ला, जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री अभय कुमार, डॉ अंशुमली शर्मा स्पेशल रिलेशन एंड लाइज इन ऑफिसर एनएसएस उत्तर प्रदेश सरकार, डॉ अरविंद यादव एसीएमओ नोडल पीसीपीएनडीटी काशीराम गवर्नमेंट हॉस्पिटल कानपुर नगर, एवं महिला कल्याण अधिकारी सुश्री मोनिका यादव, जिला समन्वयक सुश्री शैल शुक्ला, श्रीमती इंदु मिश्रा विधिक परामर्श , श्रीमती रश्मि मुकेश सोशल वर्कर, प्रतीक भरत सोशल वर्कर, बाल विकास परियोजना अधिकारी, आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एनएसएस टीम एवं अन्य लोगों ने प्रतिभाग किया जिसका सीधा प्रसारण यूट्यूब पर भी किया गया इस अभिमुखीकरण में कन्या भ्रूण हत्या बाल विवाह की रोकथाम बच्चियों की शिक्षा लैंगिक समानता पोक्सो एक्ट आदि के विषय में जानकारी दी गई एवं साथ ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के उद्देश्यों के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई

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भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन संबंधी दिये निर्देश

कानपुर नगर, दिनांक 27 अक्टूबर,
भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के क्रम में उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया है कि 218-घाटमपुर विधानसभा उप निर्वाचन 2020 में मतदान के दिन और उससे एक दिन पहले दिनांक 02 एवं 03 नबम्बर, 2020 को प्रिन्ट मीडिया में कोई भी राजनैतिक दल अपमानजनक, भडकाऊ और भ्रामक प्रकृति के विज्ञापनों को प्रकाशित नही करायेगा। उन्होंने यह भी बताया है कि बिना एम0सी0एम0सी0 की पूर्व अनुमति प्राप्त किये किसी प्रकार की कोई सामग्री/विज्ञापन प्रिन्ट मीडिया में प्रकाशित नही किया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि 218-घाटमपुर विधानसभा उप निर्वाचन से संबंधित राजनैतिक दल किसी भी प्रकार की प्रचार सामग्री हेतु कलेक्ट्रेट में स्थित एम0सी0एम0सी0 से प्रचार संबंधी अनुमति प्राप्त कर सकते है।

उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के क्रम में यह भी बताया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 “क” की उपधारा (1) के अधीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए निर्वाचन आयोग उक्त धारा की उप धारा (2) के उप बन्धों के दृष्टिगत 03 नबम्बर, 2020 (मंगलवार) को पूर्वाहन 06ः00 बजे से 07 नबम्बर, 2020 (शनिवार) को अपराहन 06ः30 बजे तक के बीच की अवधि को ऐसी अवधि के रुप में अधिसूचित करता है जिसके दौरान किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल का आयोजन करने तथा प्रिन्ट या इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा इसके परिणाम के प्रकाशन या प्रचार अथवा किसी भी अन्य तरीके से उसका प्रचार-प्रसार करने पर प्रतिबन्ध होगा। उन्होंने यह भी बताया है कि मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय पर समाप्त होने वाले 48 घंटो के दौरान किसी भी इलेक्ट्रानिक मीडिया में किसी भी ओपिनियन पोल या किसी अन्य मतदान सर्वेक्षण के परिणामों सहित किसी भी प्रकार के निर्वाचन सम्बन्धी मामले के प्रदर्शन पर प्रतिबन्ध होगा।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में अन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ द्वारा एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन

आन्तरिक गुणवत्ता सुनश्चयन प्रकोष्ठ, क्राइस्ट चर्च कालेज, कानपुर दृवारा एकदिवसीय वेबिनार “Strategies to face challenges in Life” का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता डॉ सिधान्शु राय, छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर थे जिन्होंने बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लिए महत्वपूर्ण मार्ग दर्शन दिया। उन्होंने बताया कि सही communication एवं attitude का जीवन में अहम योगदान है। दूसरी वक्ता डॉ शिवा मिश्रा ने बच्चों को सफल जीवन यापन के विविध आयामों पर प्रकाश डाला कि जीवन में हमें वास्तविकता में ही जीना चाहिए। कार्यक्रम में कालेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं ऐसे कार्यक्रमों के निरन्तर आयोजन के लिए प्रोत्साहित किया। IQAC के समन्वयक डॉ राजेश कुमार द्विवेदी ने इस प्रकोष्ठ के बारे में चर्चा की और वेबिनार का विषय प्रवर्तन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ मीतकमल ने किया। इस कार्यक्रम में श्री नलिन श्रीवास्तव, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, श्री डी. सी. श्रीवास्तव और श्री अवधेश मिश्र आदि सभी शिक्षकों सहित २०० प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतिभागी विद्यार्थियों ने इसका भरपूर लाभ उठाया और उनका उत्साह देखने लायक था।

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