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प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में विभिन्न विकास कार्यों के उद्घाटन पर प्रसन्नता व्यक्त की

प्रधानमंत्री  मोदी ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में किसानों के लिए 7 कस्टम हायरिंग सेंटर, एसएचजी के लिए 9 पॉली ग्रीन हाउस समेत विभिन्न अवसंरचना परियोजनाओं के उद्घाटन पर प्रसन्नता व्यक्त की है।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल कार्यालय का ट्वीट थ्रेड साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया;

“उद्घाटन किए गए विकास कार्यों की उल्लेखनीय श्रृंखला; जम्मू और कश्मीर के लोगों, विशेष रूप से आकांक्षी जिलों के निवासियों की जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण प्रस्तुत करती है।”

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मई 2023 में कोयले का उत्पादन बढ़कर 76.26 मिलियन टन रहा

कोयला मंत्रालय ने मई, 2023 के महीने के दौरान कुल कोयला उत्पादन में ठोस वृद्धि के साथ एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। 7.10 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ कोयला उत्पादन 76.26 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच गया है, जो 22 मई के 71.21 मिलियन टन के आंकड़े को पार कर गया है। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का उत्पादन 9.54 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मई 2022 में 54.72 मिलियन टन की तुलना में मई, 2023 के महीने में 59.94 मिलियन टन बढ़ा है। कुल कोयले के उत्पादन में वित्त वर्ष 2022 में 138.41 मिलियन टन की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में 149.41 मिलियन टन की वृद्धि देखी गई है जो 7.94 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।

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फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि के साथ, कोयले का प्रेषण मई 2022 में 77.79 एमटी की तुलना में मई 2023 में 82.22 एमटी दर्ज किया गया जो 5.70 प्रतिशत की वृद्धि है। कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला ब्लॉक से कोयला प्रेषण मई 2022 में 10.47 मिलियन टन की तुलना में मई 2023 में 12.23 मिलियन टन दर्ज किया गया है जो 16.84 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। कुल कोयला प्रेषण में भी 8.47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में कोयला प्रेषण में 162.44 मिलियन टन की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में 149.76 मिलियन टन का कोयला प्रेषण हुआ था।

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कोयले की कुल खरीद (ऑफटेक) में इस प्रभावशाली उछाल के परिणामस्वरूप, कोयला स्टॉक की अच्छी स्थिति है, जो सीआईएल, एससीसीएल, टीपीपी (डीसीबी) आदि में पिटहेड कोयले के स्टॉक में पड़े कोयले की विश्वसनीय और प्रचुर मात्रा में आपूर्ति की गारंटी देता है। 31 मई 2023 तक कुल कोयला स्टॉक 112.41 मिलियन टन है जो 31 मई 2022 के कुल कोयला स्टॉक 82.97 मिलियन टन से 35.48 प्रतिशत अधिक है। सकारात्मक कोयला स्टॉक की इस स्थिति से ऊर्जा की मांग में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव से निपटने की क्षमता मजबूत हुई है। इस स्थिति ने देश की ऊर्जा मांगों को पूरा करना सुनिश्चित किया है।

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इसके अलावा, कोयले की ढुलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कोयले के रेक की उपलब्धता इस पूरी अवधि के दौरान लगातार अच्छी रही है, क्योंकि मंत्रालय ने पीएम गति शक्ति के तहत रेल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए पहल की है ताकि कोयले की निर्बाध ढुलाई सुनिश्चित की जा सके। इस तरह की रेक उपलब्धता ने कोयले के सुचारू परिवहन, परिवहन बाधाओं को कम करने और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद की है।

कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है। कोयला मंत्रालय बेहतरीन विकास के लिए एक व्यापक योजना के साथ पहले ही आगे बढ़ चुका है। मंत्रालय पर्यावरण और समुदायों की भलाई को प्राथमिकता देने वाले कर्तव्यनिष्ठ कोयला खनन प्रथाओं को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है।

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मई 2023 के लिए 1,57,090 करोड़ रुपये का सकल जीएसटी राजस्व एकत्र किया गया; साल-दर-साल विकास दर 12 प्रतिशत

मई, 2023 में सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का राजस्व 1,57,090 करोड़ रुपये है, जिसमें सीजीएसटी 28,411 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 35,828 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 81,363 करोड़ रुपये (माल के आयात पर 41,772 करोड़ रुपये की वसूली सहित) और उपकर 11,489 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्रित 1,057 करोड़ रुपये सहित) है।

सरकार ने आईजीएसटी से सीजीएसटी में 35,369 करोड़ रुपये और एसजीएसटी में 29,769 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। नियमित भुगतान के बाद मई 2023 में केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 63,780 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 65,597 करोड़ रुपये है।

मई 2023 के महीने का राजस्व पिछले साल इसी महीने में जीएसटी राजस्व से 12 प्रतिशत अधिक है। महीने के दौरान, माल के आयात से राजस्व 12 प्रतिशत अधिक था और घरेलू लेनदेन से राजस्व (सेवाओं के आयात सहित) पिछले वर्ष इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से राजस्व की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है।

नीचे दिया गया चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्व में रुझान दिखाता है। तालिका मई 2022 की तुलना में मई 2023 के महीने के दौरान प्रत्येक राज्य में एकत्रित जीएसटी के राज्य-वार आंकड़ों को दर्शाती है।

मई 2023 के दौरान जीएसटी राजस्व की राज्यवार वृद्धि [1]

 

राज्यकेंद्रशासित प्रदेश मई-22 मई-23 वृद्धि(%)
जम्मूकश्मीर 372 422 14
हिमाचल प्रदेश 741 828 12
पंजाब 1833 1744 -5
चंडीगढ़ 167 259 55
उत्तराखंड 1309 1431 9
हरियाणा 6663 7250 9
दिल्ली 4113 5147 25
राजस्थान 3789 3924 4
उत्तर प्रदेश 6670 7468 12
बिहार 1178 1366 16
सिक्किम 279 334 20
अरुणाचल प्रदेश 82 120 47
नगालैंड 49 52 6
मणिपुर 47 39 -17
मिजोरम 25 38 52
त्रिपुरा 65 75 14
मेघालय 174 214 23
असम 1062 1217 15
पश्चिम बंगाल 4896 5162 5
झारखंड 2468 2584 5
ओडिशा 3956 4398 11
छत्तीसगढ़ 2627 2525 -4
मध्य प्रदेश 2746 3381 23
गुजरात 9321 9800 5
दादरा और नगर हवेली तथा दमन एवं दीव 300 324 8
महाराष्ट्र 20313 23536 16
कर्नाटक 9232 10317 12
गोवा 461 523 13
लक्षद्वीप 1 2 210
केरल 2064 2297 11
तमिलनाडु 7910 8953 13
पुडुचेरी 181 202 12
अंडमान निकोबार द्वीप समूह 24 31 27
तेलंगाना 3982 4507 13
आंध्र प्रदेश 3047 3373 11
लद्दाख 12 26 113
अन्य केंद्रशासित प्रदेश 185 201 9
केंद्र का क्षेत्राधिकार 140 187 34
कुल योग 102485 114261 11

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रबी विपणन मौसम 2023-24 में अब तक गेहूं की बम्पर खरीद, पिछले वर्ष के 260 लाख मीट्रिक टन की खरीद के आंकड़े को पार किया

चालू रबी विपणन मौसम (आरएमएस) 2023-24 के दौरान गेहूं की खरीद सुचारू रूप से जारी है। इस मौसम में 30.05.2023 तक गेहूं की खरीद 262 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) हुई। पिछले वर्ष की 188 लाख मीट्रिक टन खरीद की तुलना में 74 लाख मीट्रिक टन अधिक खरीद हुई है। सरकार ने खरीद के लिए 47,000 करोड़ रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) रखा है, जिससे 21.27 लाख किसान पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं। गेहूं की खरीद में प्रमुख योगदान पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा ने दिया है। पंजाब ने 121.27 लाख मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश ने 70.98 लाख मीट्रिक टन और हरियाणा ने 63.17 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा है।

इस वर्ष भारत सरकार ने बेमौसम वर्षा के कारण गेहूं के गुणवत्ता निर्देशों में छूट प्रदान की है। सरकार द्वारा किये गये विभिन्न उपायों में ग्राम पंचायत स्तर पर गेहूं खरीद केन्द्र खोला जाना; सहकारी समितियों/ग्राम पंचायतों/आढ़तियों आदि के माध्यम से खरीद करना; बेहतर पहुंच के लिए नामित खरीद केंद्रों के अलावा और खरीद कार्यों के लिए किसान उत्पादन संगठनों (एफपीओ) को शामिल करने की अनुमति प्रदान करना शामिल है।

धान की खरीद भी सुचारू रूप से चल रही है। खरीफ विपणन मौसम (केएमएस) 2022-23 की खरीफ फसल के दौरान 30.05.2023 तक 385 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) चावल की खरीद की जा चुकी है। अभी 110 एलएमटी की खरीद बाकी है। इसके अलावा खरीफ विपणन मौसम 2022-23 की रबी फसल के दौरान 106 एलएमटी चावल की खरीद का अनुमान लगाया गया है।

केन्द्रीय पूल में गेहूं और चावल की संयुक्त स्टॉक स्थिति 579 एलएमटी (गेहूं 312 एलएमटी और चावल 267 एलएमटी) से अधिक है। देश में खाद्यान की स्थिति आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संतोषजनक है।

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समाचार कानपुर से

सीआरपीएफ के जवान ने शादी का झांसा देकर एक युवती से किया था दुष्कर्म.

युवती को बिना बताए युवक ने दूसरी जगह कर ली शादी।

युवक की कल आई थी बरात।

प्रेमिका को जैसे पता चला मौके पर जाकर प्रेमिका ने जमकर काटा हंगामा।

युवक की बिन दुल्हन लौटी बरात।

दोनों पक्ष गुजैनी थाने में मौजूद।

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यातायात नियमों का पालन कराना टीएसआई को पड़ा भारी

नबंर प्लेट छुपाकर जा रहे डंफर का चालान करने पर टीएसआई दवेंद्र सिंह को मिली धमकी

नमंबर प्लेट छुपाकर सड़कों पर तेजरफ्तार फर्राटा भर रहा था डंफर

कार सवार आए दबंग ट्रांसपोर्टर ने टीएसआई दवेंद्र सिंह को जान से मारने की दी धमकी

धमकी देने वाले दबंग गोयल ट्रांसपोर्ट के बताए जा रहे

ईमानदारी से कार्य करने वाले पुलिसकर्मी नही है सुरक्षित,तो आम जनता कैसे होगी सुरक्षित

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कानपुर के पनकी क्षेत्र भौती अंडर बाईपास का मामला

पनकी पुलिस के हाथ लगी सफलता

हत्या मामलें में वांछित को पुलिस ने धर-दबोचा

पनकी पुलिस ने हत्या आरोपी इनामिया को किया गिरफ्तार

बीते वर्ष 2022 में हत्या वारदात में सामिल था दीपक चंदेल

हत्या आरोपी दीपक चंदेल पर था 15000 का इनाम

पुलिस को चखमा देकर कई महीनों से फरार था हत्या आरोपी

पुलिस ने हत्या घटना में प्रयुक्त बाइक किया बरामद

हत्या आरोपी की गिरफ्तारी से क्षेत्रीय जनता ने पनकी पुलिस की की प्रशंसा

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*भू माफिया रामकुमार यादव के बेटे आशीष यादव ने बेच डाली ग्राम समाज की 18 बिस्वा जमीन।*

*शिकायत के बाद भी लेखपाल व तहसीलदार ने नहीं उठाई कार्यवाही करने की जहमत।*

*मेहरबान सिंह पुरवा स्थित DPS स्कूल के ठीक सामने आराजी संख्या 234/0.184 फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेच डाली सरकारी जमीन।*

*सपा सरकार में रामकुमार यादव ने किया है कई सरकारी जमीनों पे कब्जे,बड़ा सवाल योगी बाबा का इनके अवैध कब्जाई जमीनों पे कब चलेगा बुल्डोजर?*

*अगले पार्ट में आपको बताएंगे रामकुमार यादव उनके बेटे आशीष के द्वारा सरकारी जमीनों पे कब्जा कर बनाए गए होटल व बिल्डिंगो के नाम पते।*

*आपको बताएंगे कि किस तरह धीरे धीरे गैर कानूनी ढंग से खड़ा किया है रामकुमार यादव ने बड़ा साम्राज्य।*

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यमनोत्री यात्रा और रोमांच

कुछ यात्राएं बेहद सुखद होती हैं जिनमें सिर्फ मौज मस्ती होती है। मंदिरों के दर्शन किया, दर्शनीय स्थल घूम लिए, बाजारों की रौनक बढ़ा ली और घूमना फिरना पूरा हो जाता है लेकिन कुछ यात्राएं रोमांचक होती है। चार धाम की यात्रा मेरे लिए किसी रोमांच से कम नहीं रही। यह एक तरह से कहा जाए तो मेरे लिए ट्रैकिंग से कम अनुभव नहीं रहा। चार धाम यात्रा में सबसे पहला पड़ाव यमुनोत्री का रहा। धार्मिक स्थलों से जुड़ी हुई यात्राएं अपने साथ कुछ ना कुछ पौराणिक कथाएं जरूर लिये हुये होती है। यमनोत्री के लिए कहा जाता है कि सूर्य देव की पुत्री युमना और पुत्र यमराज है। जब मां युमना नदी के रूप में पृथ्वी पर बहने लगी तो उनके भाई यमराज को मृत्यु लोक दिया गया। मां यमुना ने भाई दूज का त्योहार मनाया और यमराज ने मां गंगा से वरदान मांगने के लिए बोला। यमराज ने बहन यमुना की बात को सुनकर वरदान दिया जो कि तेरे पवित्र जल में स्नान करेगा वह कभी भी यमलोक का रास्ता नहीं देखेगा। इसीलिए कहा जाता है कि जो भी इस जल में स्नान करता है वह अकाल मृत्यु के भय से दूर रहता है और इसी वजह से हजारों लोग दर्शन के लिए आते हैं। यमनोत्री उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मी. ऊँचाई पर स्थित है।

उत्साह, रोमांच, कड़ाके की ठंड और हल्की बारिश के साथ यात्रा की शुरुआत हुई। चढ़ाई बहुत ज्यादा नहीं थी सिर्फ छह किलोमीटर की थी लेकिन चढ़ाई पूरी करने में बहुत शक्ति लगी और यदि खड़ी चढ़ाई हो तो दिक्कत ज्यादा होती है। एक किलोमीटर चढ़ाई मतलब एक घंटा। हमारी यात्रा की शुरुआत जानकीचट्टी से शुरू हुई। मुझे धीरे धीरे समझ में आने लगा यह चढ़ाई इतनी आसान नहीं है। मैं ऊपर देखते जाती और सोचते जाती कि कैसे और कब यह चढ़ाई पूरी होगी। एक बारगी मन में खयाल आया कि पालकी कर ली जाए लेकिन भीड़ का नजारा देखकर इरादा छोड़ दिया, जबकि लोगों को मैंने कहते हुए सुना कि भीड़ तो अभी शुरू ही नहीं हुई है। चढ़ते – चढ़ते पालकी वाले साइड साइड चिल्लाते हुए बाकायदा दौड़ लगा रहे थे। घोड़े वाले भी इसी तरह हांक लगाते हुये चल रहे थे। पिट्ठू माताजी माताजी बोलकर अपनी जगह बना रहे थे और पैदल यात्री अपने आप को इन सबसे बचाता हुआ अपनी यात्रा तय कर रहा था। रास्ता छोटा और जगह-जगह पहाड़ी पत्थर निकले हुए थे जिन से अपने आप को बचाना पड़ता था। हर कुछ दूरी पर चाय कोल्डड्रिंक और खीरे वाले बैठे थे।
चढ़ते चढ़ते पहाड़ों का मनमोहक दृश्य आंखों और कैमरे में कैद करते जा रही थी मैं। पहाड़ों से बहते हुये झरने, जमी हुई बर्फ, कोई कोई तो पूरा पहाड़ ही बर्फ से ढका हुआ, बादल सब कुछ अद्भुत था। फोटो में देखना, फिल्मों में देखना और जीवंत देखना एक अलग अनुभव रहा। मेरी यात्रा कभी ना भूलने वाली यात्रा रही जिसमें डर के साथ रोमांच भी रहा। डर इसलिए क्योंकि पहाड़ के दूसरी ओर खाई थी और कहीं रेलिंग थी तो कहीं नहीं थी। जरा सा धक्का लगा और आप नीचे। बारिश और फिसलन के कारण मैं कछुआ गति से धीरे-धीरे चढ़ती जा रही थी और मन ही मन सोच रही थी कि नीचे उतरुंगी तो पालकी से ही। मैंने ऊपर देखना छोड़ दिया और चलते रही जब तक मंजिल नहीं आ गई। आखिरकार चढ़ाई पूरी हुई और जान में जान आई। भीड़ के बीच में घुसकर यमुनोत्री माता के दर्शन किए। यहाँ पर पानी के मुख्य स्रोतों में से एक सूर्यकुण्ड है जो गरम पानी का स्रोत है। भूगर्भ से उत्पन्न नब्बे डिग्री तक गर्म पानी के जल का कुंड सूर्य-कुंड है और पास ही ठन्डे पानी का गौरीकुंड यहाँ सबसे उल्लेखनीय स्थल हैं| कुछ देर वहां रुककर फोटो शूट किया और फिर वापसी शुरू हो गई।
जिस तरह से पालकी और घोड़े वाले बदमाशी कर रहे थे मतलब बाकायदा धक्का देकर वो आगे बढ़ रहे थे, पैदल यात्रियों को परेशान कर रहे थे, घोड़े को खींचकर ले जा रहे थे। एक पालकी वाले ने एक महिला को गिरा दिया, तो कुछ दूरी पर एक घोड़ा गिर गया। फिसलन के कारण यात्री घोड़े और पालकी वालों से झगड़ा कर रहे थे। यह सब देखकर पालकी पर सवार होने की हिम्मत जवाब दे गई और मैं फिर से कछुए की गति से नीचे उतरने लगी। इस छह किलोमीटर की चढ़ाई में करीब छह घंटा लगा। ऊपर भी बारिश और ओले पड़ रहे थे।
इतनी बड़ी और कठिन यात्रा में व्यवस्था का होना बहुत जरूरी है। पैदल यात्रियों के लिए अलग से चलने की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि वह किसी हादसे का शिकार ना हो। मंदिर में दर्शन करने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं दिखी। एक भीड़ जिसमें धक्का मुक्की ज्यादा थी। वहाँ पुलिस प्रशासन व्यवस्था मूक दिखाई दे रही थी। कहीं कोई लाइन की व्यवस्था नहीं जो कि सही नहीं है। इतनी बड़ी और मेहनत से चढ़ाई के बाद दर्शन करने के बजाय लड़ाई झगड़ा धक्का मुक्की शोभनीय नहीं है। एक बड़े धाम के रूप में चर्चित यमुनोत्री में समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में सेंचुरी क्लब, विजन कानपुर@2047 के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य के अंतर्गत सरोज देवी फाउंडेशन के सहयोग से मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया गया

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर में सेंचुरी क्लब, विजन कानपुर@2047 के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा, स्वावलंबन व सशक्तिकरण के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए सरोज देवी फाउंडेशन के सहयोग से मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया गया। इस दिन पूरी दुनिया में ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ मनाया जाता है। 2014 में जर्मन के ‘वॉश यूनाइटेड’ नाम के एक एनजीओ ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य – लड़कियों और महिलाओं को महीने के उन 4-5 दिन यानी मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता रखने के लिए जागरूक करना है।
महाविद्यालय सेंचुरी क्लब समन्वयक डॉ संगीता सिरोही ने बताया कि सरोज देवी फाउंडेशन से हाइजीन एजुकेटर श्रीमती अनुपमा चौधरी ने अपने व्याख्यान में छात्राओं को मासिक धर्म के समय रखी जाने वाली सावधानियों से अवगत कराते हुए उस समय होने वाली कठिनाइयों को कम करने, संतुलित भोजन, उचित व्यायाम, आहार-विहार आदि के बारे में सुझाव दिए। इस अवसर पर एक जागरूकता रैली का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व प्राचार्य डॉ साधना सिंह, डॉ निवेदिता टंडन, आई क्यू ए सी इंचार्ज प्रो वंदना निगम, प्रो पप्पी मिश्रा, प्रो प्रज्ञा सहाय, प्रो मुकुलिका हितकारी, प्रो सुमन सिंह, प्रो स्वाति सक्सेना, डॉ कृष्णेंद्र कुमार श्रीवास्तव, स्वस्थ संसार संस्थान से श्री प्रमोद श्याम जी व उनकी टीम, सरोज देवी फाउंडेशन से श्री अरविंद चौधरी, श्रीमती संध्या एवम उनकी संपूर्ण टीम तथा समस्त छात्राओं की प्रतिभागिता सराहनीय रही।

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सोशल रिसर्च फाउंडेशन और पीपीएन कॉलेज के मध्य हस्ताक्षरित हुआ एमओयू

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, शोध और रोज़गार युक्त एमओयू से बेहतर राष्ट्र की एक पहल सोशल रिसर्च फाउंडेशन और पीपीएन कॉलेज कानपुर के मध्य एमओयू (MOU), प्राचार्य प्रो अनूप सिंह एवं सोशल रिसर्च फाउंडेशन के सचिव डॉ राजीव मिश्रा के हस्ताक्षर से संपन्न हुआ। प्राचार्या द्वारा अवगत कराया गया कि यह संस्था शोध के क्षेत्र में,समय समय पर रोज़गार मेला, संगोष्ठी और भविष्य के राष्ट्र निर्माता आज के छात्रों को नैतिक, सामाजिक एवं बौद्धिक विषयों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती रहेगी। इस मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग में सोशल रिसर्च फाउंडेशन की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष डॉ अर्चना दीक्षित (डीजी कॉलेज के रसायन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर), कानपुर जिला इकाई के उपाध्यक्ष प्रो० शैलेंद्र कुमार शुक्ला (रसायन विज्ञान, डीबीएस कॉलेज), विषय विशेषज्ञ डॉ० आर०बी० तिवारी (सांख्यिकी विभाग डीएवी कॉलेज) एवं कार्यक्रम की सूत्रधार डॉ आभा सिंह (मनोविज्ञान विभाग, पीपीएन कॉलेज) भी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर सोशल रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक कुमार जी (पूर्व कुलपति सीएसजेएमयू ) ने हर्ष व्यक्त करते हुए भविष्य में ऐसे करार के जरिए रिसर्च एक्टिविटीज के बढ़ने की आशा व्यक्ति की और अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।
स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र के संरक्षक दिलीप कुमार मिश्रा ने कहा कि सोशल रिसर्च फाउंडेशन जल्द ही माध्यमिक विद्यालय मे भी जाकर सेमिनार करके शिक्षको व छात्रो से संवाद कर जागरूक
करने की शुरुआत करने जा रही है।

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प्रधानमंत्री देहरादून से दिल्ली के बीच पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे

उत्तराखंड में यह पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन होगी। विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस यह एक्सप्रेस ट्रेन यात्रियों, विशेष रूप से राज्य की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए आरामदायक यात्रा अनुभव के एक नए युग की शुरुआत करेगी। ट्रेन पूरी तरह स्वदेश में निर्मित है और कवच तकनीक समेत सभी उन्नत सुरक्षा सुविधाओं से लैस है।

प्रधानमंत्री के, सार्वजनिक परिवहन के स्वच्छ साधन उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से प्रेरणा लेकर भारतीय रेल देश में रेल मार्गों को पूरी तरह से विद्युतीकृत करने की ओर बढ़ रही है। इसी प्रक्रिया के तहत प्रधानमंत्री उत्तराखंड में नव विद्युतीकृत रेल लाइन खंडों का लोकार्पण करेंगे। इससे राज्य का पूरा रेल मार्ग शत प्रतिशत विद्युतीकृत हो जाएगा। विद्युतीकृत खंडों पर इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन द्वारा चलाई जाने वाली ट्रेनों से न सिर्फ ट्रेनों की गति में वृद्धि होगी, बल्कि ढुलाई क्षमता भी बढेगी।

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उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी करेंगे नए संसद भवन में ऐतिहासिक व पवित्र “सेन्गोल” की स्थापना

रविवार को इतिहास की पुनरावृत्ति होगी, जब नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा। इस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन के पवित्र प्रतीक सेन्गोल को ग्रहण कर उसे नए संसद भवन में स्थापित करेंगे। यह वही सेन्गोल है जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात को अपने आवास पर, कई नेताओं की उपस्थिति में स्वीकार किया था।

भारत की आजादी के उपलक्ष्य में हुए पूरे कार्यक्रम को याद करते हुए गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा, “आज आजादी के 75 साल बाद भी, अधिकांश भारत को इस घटना के बारे में जानकारी नहीं है। 14 अगस्त, 1947 की रात को वह एक विशेष अवसर था, जब जवाहर लाल नेहरू जी ने तमिलनाडु के थिरुवदुथुराई आधीनम (मठ) से विशेष रूप से पधारे आधीनमों (पुरोहितों) से सेन्गोल ग्रहण किया था। पंडित नेहरू के साथ सेन्गोल का निहित होना ठीक वही क्षण था, जब अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के हाथों में सत्ता का हस्तांतरण किया गया था। हम जिसे स्वतंत्रता के रूप में मना रहे हैं, वह वास्तव में यही क्षण है।”

प्रधानमंत्री मोदी जी ने अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सेन्गोल को अपनाने का निर्णय लिया है। संसद का नया भवन उसी घटना का साक्षी बनेगा, जिसमें आधीनम उस समारोह की पुनरावृत्ति करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी को सेन्गोल प्रदान करेंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने आगे सेन्गोल के बारे में विस्तार से बताया। “सेन्गोल का गहरा अर्थ होता है। ‘‘सेन्गोल’’ शब्द तमिल शब्द “सेम्मई” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “नीतिपरायणता”। इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य आधीनम (पुरोहितों) का आशीर्वाद प्राप्त है। ‘न्याय’ के प्रेक्षक के रूप में, अपनी अटल दृष्टि के साथ देखते हुए, हाथ से उत्कीर्ण नंदी इसके शीर्ष पर विराजमान हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सेन्गोल को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का ‘आदेश’ (तमिल में‘आणई’) होता है और यह बात सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली है- लोगों की सेवा करने के लिए चुने गए लोगों को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए।” 1947 के उसी सेन्गोल को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास प्रमुखता से स्थापित किया जाएगा। इसे राष्ट्र के देखने के लिए प्रदर्शित किया जाएगा और विशेष अवसरों पर बाहर ले जाया जाएगा।

गृहमंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि इस ऐतिहासिक ‘‘सेन्गोल’ के लिए संसद भवन ही सबसे अधिक उपयुक्त और पवित्र स्थान है। ‘‘सेन्गोल’ ’की स्थापना 15 अगस्त, 1947 की भावना को अविस्मरणीय बनाती है। यह असीम आशा, अनंत संभावनाओं और एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण का संकल्प है। यह अमृतकाल का प्रतिबिंब होगा, जो नए भारत को विश्व में अपने यथोचित स्थान को ग्रहण करने के गौरवशाली क्षण का साक्षी बनेगा।

तमिलनाडु सरकार ने 2021-22 के ‘हिन्दू रिलिजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट डिपार्टमेंट’- हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (एचआर एंड सीई) के पॉलिसी नोट में राज्य के मठों द्वारा निभाई गई भूमिका को गर्व से प्रकाशित किया है। इस दस्तावेज़ के पैरा 24 में मठों द्वारा शाही परामर्शदाता के रूप में निभाई गई भूमिका पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डाला गया है।

यह ऐतिहासिक योजना आधीनम के अध्यक्षों से विचार-विमर्श करके बनाई गई है। सभी 20 आधीनम के अध्यक्ष इस शुभ अवसर पर आकर इस पवित्र अनुष्ठान की पुनर्स्मृति में अपना आशीर्वाद भी प्रदान कर रहे हैं। इस पवित्र समारोह में 96 साल के श्री वुम्मिडी बंगारु चेट्टी जी भी सम्मिलित होंगे, जो इसके निर्माण से जुड़े रहे हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने सेन्गोल के बारे में विवरण और डाउनलोड करने योग्य वीडियो के साथ एक विशेष वेबसाइट https://sengol1947.ignca.gov.in को भी लॉन्च किया। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि भारत के लोग इसे देखें और इस ऐतिहासिक घटना के बारे में जानें, यह सभी के लिए गर्व की बात है।”

इस प्रेस वार्ता में केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री जी किशन रेड्डी, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा मामलों के मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर और संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री गोविन्द मोहन भी उपस्थित थे।

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